Book Title: Adhyatma ki Varnmala
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 10
________________ अध्यात्म की वर्णमाला मूल्यांकन करो और पढ़ने की आदत डालो । दिन-रात में दो-तीन घंटा अवश्य पढ़ो। चुनाव करो । बहुत ग्रन्थ हैं। उन ग्रन्थों को प्राथमिकता दो जो जीवन जीने की कला का बोध करा सकें, जो अवांछनीय आदतों को बदलने और वांछनीय आदतों के निर्माण में सहयोग कर सके। मार्गदर्शन में पहला स्थान गुरु का है तो दूसरा स्थान ग्रन्थ का है । कभी-कभी एक सूक्त जीवन की दिशा को बदल देता है । तुम जानते हो-जिसे गुरु उपलब्ध नहीं है और ग्रन्थ उपलब्ध नहीं है, वह निरालम्ब मार्ग पर चल रहा है । पता नहीं कब नीचे गिर जाए। स्वाध्याय एक शक्तिशाली आलम्बन है । उसकी कभी उपेक्षा मत करो। पाली १ जुलाई, १९९० Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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