Book Title: Adhyatma ki Varnmala
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 13
________________ अध्यात्म की वर्णमाला आदमी को सत्य के प्रति विनम्र होना चाहिए । अपेक्षा या नयदृष्टि का प्रयोग नहीं करने वाले व्यक्ति की रीढ़ की हड्डी अकड़ जाती है । वह पूरे चिन्तन- शरीर को रुग्ण बना देती है । तुम अपने चिन्तन को स्वस्थ रखने के लिए सापेक्षदृष्टि या नयदृष्टि का विकास करो, यह नयदृष्टि का विकास ही मनन की पद्धति है । इसकी अनिवार्यता का अनुभव करो । ८ Jain Education International For Private & Personal Use Only पाली १ अगस्त, ९० www.jainelibrary.org

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