Book Title: Adhyatma Panch Sangrah
Author(s): Dipchand Shah Kasliwal, Devendramuni Shastri
Publisher: Antargat Shree Vitrag Vigyan Swadhyay Mandir Trust

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Page 6
________________ परिचय पं० दीपचन्द जाति से खण्डेलवाल तथा कासलीवाल गोत्र के थे। आप सांगानेर के निवासी थे। युवावस्था में ही आप जयपुर की राजधानी आमेर में आ कर बस गये थे। वहीं पर रह कर आपने अधिकतर रचनाएँ लिखी । आपकी प्रसिद्धि दीपचन्द साधर्मी (भाई) के नाम से रही है। आप संस्कृत, प्राकृत के उच्च कोटि के विद्वान् थे । आपने अनेक प्राचीन ग्रन्थों का सार ग्रहण कर तथा उनके उद्धरण दे कर रचनाओं का निर्माण किया। यद्यपि आपके जन्म तथा जीवन के सम्बन्ध में कोई विवरण नहीं मिलता है, फिर भी यह अनुमान किया जाता है कि आप पं० हेमराज पाण्डेय के समय में जीवित रहे होंगे। क्योंकि उस युग के जयपुर राज्य के जैन साहित्यकारों ने काव्य-जगत् में तथा विशेष रूप से हिन्दी खड़ी बोली के गद्य का अभूतपूर्व एव महत्त्वपूर्ण विकास किया था। कहा जाता है कि उन दिनों में जयपुर में लगभग एक सौ दिगम्बर जैन मन्दिर थे । अकेले जयपुर नगर में लगभग दस-बारह हजार जैनी निवास करते थे। उस समय राजा के दीवान प्रायः जैन होते थे। राव कृपाराम तथा शिवजीलाल उस युग के प्रसिद्ध दीवान हुए । प्रधान दीवान अमरचन्द (१८१० - १८३५) का नाम राजस्थान में चारों ओर विश्रुत था। अध्यात्म- पंचसंग्रह प्रस्तुत ग्रन्थ में शाह दीपचन्द साधर्मी रचित पाँच रचनाओं का सुन्दर संकलन है । इसका प्रथम संस्करण श्री दि० जैन उदासीनाश्रम, इन्दौर से वि० संवत् २००५ में प्रकाशित हुआ था । प्रस्तुत संग्रह में परमात्मपुराण, ज्ञानदर्पण, स्वरूपानन्द उपदेशसिद्धान्तरत्न और सवैया.. टीका ये पाँच रचनाएँ हैं। इनमें से परमात्मपुराण तथा सवैया - टीका गद्य रचनाएँ हैं। शेष तीनों कवित्व पूर्ण आध्यात्मिक काव्य रचनाएँ हैं। आदरणीय मंत्र नाथूलालजी शास्त्री ने प्रस्तुत संग्रह की भूमिका में इन रचनाओं की प्रशंसा करते हुए लिखा है कि कवि का २

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