Book Title: Adhar Abhishek ka Suvarna Avasar Author(s): Akhil Bharatiya Tirthprabhavak Adhar Abhishek Anushthan Samiti Publisher: Akhil Bharatiya Tirthprabhavak Adhar Abhishek Anushthan Samiti View full book textPage 5
________________ स्वाहांतं च पदं ज्ञेयं, पढम हवइ मंगलम् । वप्रोपरि वज्रमयं, पिधानं देह-रक्षणे ।।६।। महाप्रभावा रक्षेयं, क्षुद्रोपद्रव-नाशिनी । परमेष्ठि-पदोद्भूता, कथिता पूर्वसूरिभिः ।।७।। यश्चैवं कुरुते रक्षा, परमेष्ठिपदैः सदा । तस्य न स्याद् भयं, व्याधि-राघिश्चाऽपि कदाचन ।।८।। अक बार वज्रपंजर स्तोत्र से आत्मरक्षा करने के बाद हरेक व्यक्ति परमात्मा के पास हाथ में . कुसुमांजलि लेके खडे रहीये । श्लोक बोलने के वाद थाली का एक डंका बजे तभी दो हाथ साथ में रखकर उसमें अंजलि स्वरूप से कुसुमांजलि लेकर प्रभु के दाये अंगूठे पर समर्पित करने का विधान है । इसके लिए दो हाथ साथ में रखकर अति नम्रता पूर्वक प्रभुजीको कुसुमांजलि कीजिये । कुसुमांजलि में मुख्यतया पुष्पों का उपयोग कीजिये । ऐसे प्रथम अभिषेक में तीन कुसुमांजलि करनी है। खास नोंवः (१) पूजा की सामग्री साफ किये हुए पाट-पाटले के उपर बहुमान पूर्वक रखीये । सामग्री की तैयारी करते वक्त भी स्नान करके पूजा के वस्त्र में ही तैयारी कीजिये ।। (२) सामग्री जहां रखी हो उसके उपर से कोई भी जावे नहीं । (३) स्नात्र के कलशे लगभग जमीन के उपर रखा जाता है । फीर वहीं कलशे पवित्र पानी में डुबोया जाता है । तो इस विषय में खास ध्यान रखीये । थाली में धोकर कलश/वाटी इत्यादि रखीये । (४) अंग लूछणा इत्यादि पैर के उपर मत रखीये और नीचे जमीन पर गीर न जावे उसका ध्यान रखी । (५) विधिकारक भी पसीना इत्यादि पूजा के कपडे से पोछे नहीं लेकिन साथ मे नेपकीन रखे । पसीना पोछा हो या हाथ जमीन को छुआ हो तो फीर पक्षाल पूजा करने के पहले हाथ धोकर धूपवाला करकर पूजा कीजिये। (६) तीन लोक के नाथ का बहुत मान संभालीये ।। (७) अठरा अभिषेक काजल एक वाल्दी में हरेक अभिषेक के समय जमा कीजिये और आखिर में हरेक को अभिषेक कराईये । । Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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