Book Title: Adhar Abhishek ka Suvarna Avasar
Author(s): Akhil Bharatiya Tirthprabhavak Adhar Abhishek Anushthan Samiti
Publisher: Akhil Bharatiya Tirthprabhavak Adhar Abhishek Anushthan Samiti

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Page 43
________________ इस तरह अष्टप्रकारी पूजा करने के बाद नीचे दिखाये गये तरीके से लूण उतार के आरति-मंगळ दीवा कीजिये । ईरियावही पूर्वक से चैत्यवंदन कीजिये । श्री संघ में सभी स्थान पे स्नात्र जल छीडकीये । घर घर पवित्र जल आदर पूर्वक ले जाईये और छीडकीये । || अष्टादश अभिषेक ( स्नात्र) बृहद् विधिः समाप्तः ।। अंत में कुसुमांजलि हाथ में लेकर नीचे दिया गया श्लोक बोलकर क्षमापना कीजिये । विधि-क्रिया में आशातना हुई हो तो उसकी क्षमा याचना भावपूर्वक कीजिये । ॐ आज्ञाहीनं क्रियाहीनं, मन्त्रहीनं च यत् कृतम् तत् सर्वं कृपया देवाः क्षमन्तु परमेश्वराः ।।१।। ॐ आह्वानं नैव जानामि, न जानामि विसर्जनम् । पूजाविधिं न जानामि, प्रसीद परमेश्वर ।।२ ।। उपसर्गाः क्षयं यान्ति, छिध्यन्ते विघ्नवल्लयः । मनः प्रसन्नतामेति पूज्यमाने जिनेश्वरे ॥ सर्वमङ्गल-माङ्गल्यं, सर्वकल्याण-कारणम् । प्रधानं सर्वधर्माणां जैन जयति शासनम् ।। अविधि- आशातनामिच्छामि - दुक्कडम् | लूण उतार के आरति उतारीये लू उतारने के लिए द्रव्य : मिट्टी, अखा नमक, दशांक धूप का चूरा । नोंध : आरति - मंगळ दीवा को कुम कुम का तिलक करके लूण विधि कीजिये । मिट्टी - नमक हाथ में लेकर आरती-मंगळ दीवा के उपर घुमा के दोनो द्रव्य पानी भरी हुई वाटी में डालिये । लूण उतारने समय बोलने के दुहे : नमोऽर्हत्... लू उतारो जिनवर अंगे, निर्मल जलधारा मन रंगे ।। १ ।। जिम जिम तड तड लूण ज फूटे, तिम तिम अशुभ कर्म बंध तूटे ।।२ ।। ( मीट्टी - नमक अग्नि में धूप पर घुमा के धूपदानी में डालिये ।) नयन सलूणा श्री जिनजीना, अनुपम रस दयारस भीना... लूण ।। ३ ।। रुप सलूनुं जिनजीनुं दिशे, लाजवं लूण ते जलमा पे से ।।४ ।। त्रण प्रदक्षिणा देई जलधारा, जलण पेखवीये लूण उदारा... .. लूण ।।५।। जे जिन उपर दुमनो प्राणी, ते अम थाजो लूण ज्युं पानी... लूण ।।६।। ४० For Personal & Private Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org


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