Book Title: Adhar Abhishek ka Suvarna Avasar
Author(s): Akhil Bharatiya Tirthprabhavak Adhar Abhishek Anushthan Samiti
Publisher: Akhil Bharatiya Tirthprabhavak Adhar Abhishek Anushthan Samiti

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Page 14
________________ छठवा अभिषेक के अंदर १०० वनस्पति के मूल अथवा २१वनस्पति के मूल लेकर उसका चूर्ण किया जाता है, जिसका नाम है- (१) सहदेवी (२) शताबरी (३) कुंआरी (४) वाळो (५) बडी-छोटी रींगनी (६) मयूर शिखा (७) अंकोल (८) शालवणी (९) गंधनोली (१०) महानोली (११) शंखाहोळी (१२) लक्ष्मणा (१३) आजोकाजो (१४) थोहर (१५) तुलसी (१६) मरूओ-दमणो (१७) गळो (१८) कुबी (१९) सरपंखो (२०) राजहंसी (२१) पीलवणी यह औषधियों का चूर्ण करके जल में मिश्रित करके कलशे लेकर खडे रहीये । नमोऽर्हत् ... बोलकर श्लोक बोलीये। सहदेवी शतमूली, शंखपुष्पी शतावरी । कुमारी लक्ष्मणा चैव, स्नपयामि जिनेश्वरम् ।।१।। सहदेव्यादि-सदौषधि-वर्गेणोद्वर्तितस्य बिम्बस्य । सम्मिश्रं बिम्बोपरि, पतज्जलं हरतु दुरितानि ।।२।। कुर्वन्ति जलैः स्नपनं, सहदेवी-प्रमुख-मूलिका-मित्रैः । बिम्बे भवता-च्छोभन-सौभाग्य-स्थापनार्थमिति ।।३।। सहदेव्यादि-महौषधि-मित्रैः सलिलैः कृते महास्नपनम् । नवबिम्बे-ऽद्भुततम-सौभाग्यं च करोतु भव्यानाम् ।।४।। अनन्त-सुख-सङ्घात-कन्दकादम्बिनीसमम् | इति मूलमिदं बिम्ब-स्नात्रे यच्छतु वाञ्छितम् ।।५।। ॐ हाँ ही हूँ हूँ हौं हूँ: परमार्हते परमेश्वराय गन्धपुष्पादि-संमिश्र-सहदेव्यादिसदौषधि-शतमूलिका-चूर्णसंयुतेन जलेन स्नपयामि स्वाहा । उपर दीये गये श्लोक बोलकर, थाली बजाकर, गीत -वाजिंत्र के नादपूर्वक कलशो से बीब के उपर अभिषेक कीजिये, अंग लूछणा कीजिये । नीचे लिखा हुआ मंत्र बोलकर अक डंका बजाकर पूजा कीजिये । ॐ नमो यः सर्वशरीरावस्थिते पृथिवि पृथु पृथु गन्धं गृहाण गृहाण स्वाहा । नीचे लिखा हुआ मंत्र बोलकर अक डंका बजाकर पुष्पपूजा कीजिये । ॐ नमो यः सर्वशरीरावस्थिते महाभूते मेदिनि । पुरु पुरु पुष्पवति पुष्पं गृहाण गृहाण स्वाहा । नीचे लिखा हुआ मंत्र बोलकर ओक डंका बजाकर धूपपूजा कीजिये । Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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