Book Title: Adhar Abhishek ka Suvarna Avasar
Author(s): Akhil Bharatiya Tirthprabhavak Adhar Abhishek Anushthan Samiti
Publisher: Akhil Bharatiya Tirthprabhavak Adhar Abhishek Anushthan Samiti
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ॐ नमो यः सर्वशरीरावस्थिते दह दह महाभूते । तेजोऽधिपते धूपं धूपं गृहाण गृहाण स्वाहा ।
बादमें नीचे दिये गये श्लोक बोलकर दीपपूजा, अक्षतपूजा, नैवेद्यपूजा और फलपूजा कीजिये । ॐ ह्रीँ श्रीँ परमपुरुषाय परमेश्वराय जन्म-जरा-.
मृत्युनिवारणाय श्रीमते जिनेन्द्राय दीपं अक्षतं नैवेद्यं फलं यजामहे स्वाहा ।
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यहाँ छट्वा अभिषेक पूर्ण हुआ 1
||७|| सप्तमं कुष्ठादि-प्रथमाष्टकवर्ग - स्नात्रम् ।।
नमोऽर्हत् सिद्धाचार्योपाध्याय सर्व साधूभ्यः नाना-सुगन्धि-पुष्पौघ-रञ्जिता, चञ्चरीक-कृतनादा । धूपामोद-विमिश्रा, पततात् पुष्पाञ्जलिर्बिम्बे ।।१ ।।
ॐ ह्रीँ ह्रीँ हूँ हूँ हाँ हूँ: परमार्हते परमेश्वराय पुष्पाञ्जलिभिरर्चयामि स्वाहा ।
ओक डंका बजाकर, परमात्मा के उपर कुसुमांजलि चढाईये।
सातवे अभिषेक के अंदर प्रथम अष्टक वर्ग में आती हुई आठ वस्तुओं के नाम नीचे दिये गये है ।
(१) उपलोट (कठ) (२) लोदू (३) देवदार (४) खोरासनी वज ( ५ ) धरोनीली ( ६ ) जेठीमध
(७) मरडा शिंगी (८) वरणा का मूल
यह आठ प्रकार की वस्तुओं का चूर्ण करके जल में मिश्रित करके कलशे लेकर खडे रहीये । नमोऽर्हत्... बोलकर श्लोक बोलीये ।
नाना- कुष्ठाद्यौषधि सम्मृष्टे तद्-युतं पतन्नीरम् ।
बिम्बे कृत-सन्मन्त्रं, कर्णौघं हन्तु भव्यानाम् ।।१।। उपलोट-वचा- लोद्र-हीरवणी - देवदारवः ।
यष्टि-मधु-ऋद्धि-दूर्वाभिः, स्नपयामि जिनेश्वरम् ||२||
कुष्ठाद्यष्टक वर्ग- स्नात्रं भक्त्या कृतं जिने नियतम् । भव-सप्ताष्टक-मध्ये, कर्माष्टक - हारि भवति नृणाम् ||३||
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