Book Title: Adhar Abhishek ka Suvarna Avasar
Author(s): Akhil Bharatiya Tirthprabhavak Adhar Abhishek Anushthan Samiti
Publisher: Akhil Bharatiya Tirthprabhavak Adhar Abhishek Anushthan Samiti

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Page 17
________________ (१) मेदा (२) महामेदा (३) वेउकंद (४) कंकोल (५) खीरकंद (६) जीवक (७) ऋषभक (८)नखी-महानखी द्वितीय अष्टकवर्ग के चूर्ण से मिश्रित जल के कलशे लेकर खडे रहीये । नमोऽर्हत् ...बोलकर श्लोक बोलिये । मेदाद्यौषधिभे-दोऽ-परोऽष्टवर्गः स्व-मन्त्र-परिपूतः । जिनबिम्बोपरि निपतन् सिद्धिं विदधातु भव्यजने ||१|| पतञ्जरी विदारी च कच्चूरः कच्चुरी नखः । काकोली क्षीर-कन्दश्च, मेदाभ्यः स्नपयाम्यहम् ।।२।। मेदाद्यष्टक-वर्ग-स्नपनं क्रियते जनैः प्रभावाढ्यम् । लोकोत्कृष्ठो महिमा बिम्बस्य स्यात् किलेति-धिया ।।३।। मेदाद्यष्टक-वर्ग-स्नपनं क्रियते प्रभाव-सिंहस्य । अप्रतिबिम्ब बिम्बे स्थाप्ये-दृग्दोष-मपहरतु ।।४।। ॐ हाँ ह्रीं हूँ हूँ हाँ हूँ: परमार्हते परमेश्वराय गन्धपुष्पादिसंमिश्र-पतञ्जर्यादि-द्वितीयाष्टकवर्ग-चूर्णसंयुतेन जलेन स्नपयामि स्वाहा । उपर दिये गये श्लोक बोलकर,थाली बजाकर, गीत-वाजिंत्रके नाद पूर्वक कलशो से बीब के उपर अभिषेक कीजिये, अंग लूछणा कीजिये। नीचे लिखा हुआ मंत्र बोलकर अक डंका बजाकर पूजा कीजिये । ॐ नमो यः सर्वशरीरावस्थिते पृथिवि पृथु पृथु गन्धं गृहाण गृहाण स्वाहा । नीचे लिखा हुआ मंत्र बोलकर अक डंका बजाकर पुष्पपूजा कीजिये । ॐ नमो यः सर्वशरीरावस्थिते महाभूते मेदिनि । पुरु पुरु पुष्पवति पुष्पं गृहाण गृहाण स्वाहा । नीचे लिखा हुआ मंत्र बोलकर अक डंका बजाकर धूपपूजा कीजिये । ॐ नमो यः सर्वशरीरावस्थिते दह दह महाभूते । तेजोऽधिपते धूप धूपं गृहाण गृहाण स्वाहा । बादमें नीचे दिया गया श्लोक बोलकर दीप पूजा, अक्षत पूजा, नैवेद्यपूजा और फलपूजा कीजिये । ॐ ह्रीं श्री परमपुरुषाय परमेश्वराय जन्म-जरा-मृत्युनिवारणाय श्रीमते जिनेन्द्राय दीपं-अक्षतं-नैवेद्यं-फलं-यजामहे स्वाहा । यहाँ आठवा अभिषेक पूर्ण हुआ। X Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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