Book Title: Adhar Abhishek ka Suvarna Avasar
Author(s): Akhil Bharatiya Tirthprabhavak Adhar Abhishek Anushthan Samiti
Publisher: Akhil Bharatiya Tirthprabhavak Adhar Abhishek Anushthan Samiti

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Page 23
________________ ॐ ही श्री परमपुरुषाय परमेश्वराय जन्म-जरामृत्युनिवारणाय श्रीमते जिनेन्द्राय दीपं-अक्षतं-नैवेद्यं-फलं यजामहे स्वाहा। यहाँ दसवां अभिषेक पूर्ण हुआ । | ||११|| एकादशं पुष्प-स्नात्रम् ।। ) नमोऽर्हत् सिद्धाचार्योपाध्याय सर्वसाधूभ्यः नाना-सुगन्धि-पुष्पौध-रञ्जिता, चञ्चरीक-कृतनादा। . __धूपामोद-विमिश्रा, पततात्पुष्पाञ्जलिर्बिम्बे ||१ ।। ॐ हाँ हाँ हूँ हूँ हाँ हूँ: परमार्हते परमेश्वराय पुष्पाञ्जलिभिरर्चयामि स्वाहा । अक डंका बजाकर परमात्माके उपर कुसुमांजलि चढाईये ।। ग्याराहवे अभिषेक में सेवंती, चमेली, मोगरा, गुलाब, जुई, डमरा, इत्यादि पुष्पे पानी में डालकर . सुगन्धित पानी बनाईये । सुगन्धित पुष्परज मिश्रित जल के कलशे लेकर खडे रहीये । नमोऽर्हत् ...बोलकर नीचे दिया गया श्लोक बोलीये । अधिवासितं सुमन:- किंजल्क-वासितं तोयम् । तीर्थजलादि-सुपृक्तं, कलशोन्मुक्तं, पततु बिम्बे ।।१।। सुगन्धि-परिपुष्पौधै-स्तीर्थोदकेन संयुतैः । भावना भव्य-सन्दोहै:, स्नापयामि जिनेश्वरम् ।।२।। शतपत्राद्यैः पुष्पैः, स्नपनं जिनस्य सुगन्धादयैः । जातुन यथाऽस्य पार्श्व, त्यजन्ति किल जन्मिनो भृङ्गा ।।३।। मुक्ता-सितकुसुम-ततिर्बिम्बे स्नात्राय भूमिपतिताऽपि । चित्रं ददाति भविना-मैहिक-मामुष्मिकं च फलम् ।।४।। ॐ हाँ ही हूँ हूँ ह्रौं हूँ: परमार्हते परमेश्वराय गन्धपुष्पादिसंमिश्र-शतपत्र-यूथिकादि-पुष्पौधसंयुतेन जलेन स्नपयामि स्वाहा । Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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