Book Title: Adhar Abhishek ka Suvarna Avasar
Author(s): Akhil Bharatiya Tirthprabhavak Adhar Abhishek Anushthan Samiti
Publisher: Akhil Bharatiya Tirthprabhavak Adhar Abhishek Anushthan Samiti
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कर्पूरचूर्ण-परिपूर्ण-सुवर्ण कुम्भै-बिम्बं जिनस्य मुदिताः स्नपयन्तु सन्तः । कर्पूरपूर-धवलां वरमालिकां च, कण्ठे यथा क्षिपति निवृत्ति-कन्यकेयम् ।।३।। कर्पूरपूर-धवलं, प्रसरति सलिलं यथा यथा बिम्बे |
स्नात्रकृतोऽपि प्रसरति, तथा तथा शुभ्रिमं यशः पूञ्जम् ।।४।। ॐ हाँ हाँ हूँ हूँ हाँ हूँ: परमार्हते परमेश्वराय गन्धपुष्पादिसंमिश्र-कर्पूरचूर्ण-संयुतेन जलेन स्नपयामि स्वाहा । उपर दिया गया श्लोक बोलकर थाली बजाकर, गीत-वाजिंत्र के नादपूर्वक कलशो से बिंब के उपर अभिषेक कीजिये, अंग लूछणा कीजिये ।
नीचे लीखा हुआ मंत्र बोलकर अक डंका बजाकर पूजा कीजिये । ॐ नमो यः सर्वशरीरावस्थिते पृथिवि पृथु पृथु गन्धं गृहाण गृहाण स्वाहा । नीचे लीखा हुआ मंत्र बोलकर अक डंका बजाकर पुष्पपूजा कीजिये ।
ॐ नमो यः सर्वशरीरावस्थिते महाभूते मेदिनि ।
पुरु पुरु पुष्पवति पुष्पं गृहाण गृहाण स्वाहा । नीचे लीखा हुआ मंत्र बोलकर अक डंका बजाकर धूपपूजा कीजिये । ॐ नमो यः सर्वशरीरावस्थिते दह दह महाभूते ।
तेजोऽधिपते धूपं धूपं गृहाण गृहाण स्वाहा । बाद में नीचे दिया गया श्लोक बोलकर दीपपूजा, अक्षतपूजा, नैवेद्यपूजा और फलपूजा कीजिये ।
ॐ हीं श्री परमपुरुषाय परमेश्वराय जन्म-जरा-मृत्युनिवारणाय श्रीमते जिनेन्द्राय दीपं-अक्षतं-नैवेद्यं-फलं यजामहे स्वाहा ।
यहाँ सत्तराहवा अभिषेक पूर्ण हुआ ।
(1|१८|| अष्टादशं केसर-कस्तूरिका-चन्दन-स्नात्रम् ।।
नमोऽर्हत् सिद्धाचार्योपाध्याय सर्व साधूभ्यः नाना-सुगन्धि-पुष्पौघ-रञ्जिता, चञ्चरीक-कृतनादा ।
___धूपामोद-विमिश्रा, पततात्पुष्पाञ्जलिर्बिम्बे ।।१।। ॐ हाँ हाँ हूँ हूँ हाँ हूँ: परमार्हते परमेश्वराय
पुष्पाञ्जलिभिरर्चयामि स्वाहा ।
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