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बाद में नीचे दिया गया श्लोक बोलकर दीपपूजा, अक्षतपूजा, नैवेद्य पूजा और फलपूजा कीजिये। .
ॐ ही श्री परमपुरुषाय परमेश्वराय जन्म-जरा-मृत्युनिवारणाय श्रीमते जिनेन्द्राय दीपं-अक्षतं-नैवेद्यं-फलं यजामहे स्वाहा ।
यहाँ अठराहवा अभिषेक पूर्ण हुआ ।
अठाराह अभिषेक के सभी जल से अभिषेक कीजिये, अंग लूछणा-अष्ट प्रकारी पूजा कीजिये ।
श्री गुरुमूर्ति के पांच अभिषेक विधि :गुरुमूर्ति के पांच अभिषेक के द्रव्य : (१) सुवर्ण (सोने का वरख) (२) पंचरत्न चूर्ण (३) पंचामृत अथवा पंचगव्य (गाय का गोबर, गौमूत्र, घी, दूध, दही) उपलब्ध न होने पर दूध, दही, घी, शक्कर
और पानी (४) सदौषधि स्नात्र (५) तीर्थजल । उपरोक्त द्रव्य से नीचे बताये गये सर्व प्रथम गुरुमूर्ति के पांच अभिषेक कीजिये, उसके पश्चात आगे बताये गये देव-देवीके पांच अभिषेक कीजिये ।
1191| प्रथमं सुवर्णचूर्ण-स्नात्रम् ।। नमोऽहत् सिद्धाचार्योपाध्याय सर्व साधूभ्यः नाना-सुगन्धि-पुष्पौघ-रञ्जिता, चञ्चरीक-कृतनादा । धूपामोद-विमिश्रा, पततात् पुष्पाञ्जलिर्बिम्बे ।।१।। ॐ हाँ हाँ हूँ हूँ हाँ हूँ: परमगुरूभ्यः पूज्यपादेभ्यः
पुष्पाञ्जलिभिरर्चयामि स्वाहा । अक डंका बजाकर गुरुमूर्ति अथवा गुरुपादुका के उपर कुसुमांजलि चढाईये ।
सुवर्णयुक्त पंचामृत के कलशे दो सजोडे को लेना है । नमोऽर्हत् ... सुपवित्र-तीर्थनीरेण संयुक्तं गन्ध-पुष्प-सम्मिश्रम् ।
पततु जलं बिम्बोपरि, सहिरण्यं मन्त्र-परिपूतम् ।।१।। सुवर्ण-द्रव्यसम्पूर्णं, चूर्णं कुर्यात् सुनिर्मलम् ।।
ततः प्रक्षालनं वार्भिः पुष्पचन्दनसंयुक्तैः ।।२।।
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