Book Title: Adhar Abhishek ka Suvarna Avasar
Author(s): Akhil Bharatiya Tirthprabhavak Adhar Abhishek Anushthan Samiti
Publisher: Akhil Bharatiya Tirthprabhavak Adhar Abhishek Anushthan Samiti

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Page 33
________________ नीचे लीखा हुआ मंत्र बोलकर अक डंका बजाकर पुष्पपूजा कीजिये । ॐ नमो यः सर्वशरीरावस्थिते महाभूते मेदिनि । पुरु पुरु पुष्पवति पुष्पं गृहाण गृहाण स्वाहा । नीचे लीखा हुआ मंत्र बोलकर अक डंका बजाकर धूपपूजा कीजिये । ॐ नमो यः सर्वशरीरावस्थिते दह दह महाभूते । तेजोऽधिपते धूपं धूपं गृहाण गृहाण स्वाहा । बाद में नीचे दिया गया श्लोक बोलकर दीपपूजा, अक्षतपूजा, नैवेद्यपूजा और फलपूजा कीजिये । - ॐ ह्रीँ श्री परमपुरुषाय परमेश्वराय जन्म-जरा-मृत्युनिवारणाय श्रीमते जिनेन्द्राय दीपं-अक्षतं-नैवेद्यं-फलं यजामहे स्वाहा । यहाँ सोलाहवा अभिषेक पूर्ण हुआ। । ||१७|| सप्तदशं कर्पूर-स्नात्रम् ।। ) नमोऽर्हत् सिद्धाचार्योपाध्याय सर्व साधूभ्यः नाना-सुगन्धि-पुष्पौघ-रञ्जिता, चञ्चरीक-कृतनादा | धूपामोद-विमिश्रा, पततात् पुष्पाञ्जलिर्बिम्बे ।।१।। ॐ हाँ ही हूँ हूँ ह्रौं हूँ: परमार्हते परमेश्वराय पुष्पाञ्जलिभिरर्चयामि स्वाहा । अक डंका बजाकर परमात्मा के उपर कुसुमांजलि चढाईये । सत्तराहवे अभिषेक में कर्पूर मिश्रित जल दिया जाता है । कर्पूर मिश्रित जल के कलशे लेकर खडे रहीये । नमोऽर्हत् ...बोलकर नीचे दिया गया श्लोक बोलीये । शशिकर-तुषार-धवला, उज्ज्वल-गन्धा सुतीर्थ-जलमिश्रा | कर्पूरीदक-धारा, सुमन्त्रपूता पततु बिम्बे ।।१।। कनक-करक-नाली-मुक्तधारा-भिराभि (रदि)मिलित निखिल-गन्धैः केलि-कर्पूरभाभिः । अखिल-भुवन-शान्त्यै, शान्तिधारा जिनेन्द्र क्रम-सरसिज-पीठे,स्नापयेद्वीतरागान् ।।२।। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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