Book Title: Adhar Abhishek ka Suvarna Avasar
Author(s): Akhil Bharatiya Tirthprabhavak Adhar Abhishek Anushthan Samiti
Publisher: Akhil Bharatiya Tirthprabhavak Adhar Abhishek Anushthan Samiti

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Page 25
________________ गन्धचूर्ण मिश्रित जल के कलशे लेकर खडे रहीये । नमोऽर्हत् ... बोलकर नीचे दिया गया श्लोक बोलीये । स्वामिन्नित्यं निर्विलीकस्य तस्य, श्रद्धाभाजां पूतिदेहा-नुषङ्गम् । जन्मारम्भो-च्छेदकृत्-सोपयोगै-र्योगः स्नात्रे गन्ध सौगन्धिकैस्तैः ।।१।। गन्धाङ्ग-स्नानिकया सम्मृष्टं तदुदकस्य धाराभिः । स्नपयामि जैनबिम्ब कौघो-च्छित्तये शिवदम् ।।२।। कुङ्कुमाद्यैश्च कर्पूरै-मृगमदेन संयुतैः । अगरु-चन्दनमित्रैः, स्नपयामि जिनेश्वरम् ।।३।। बिम्बे सुगन्धिगन्धै-विधीयते स्नात्र-मादितोऽपि यथा । लुब्धै-य॑न्तरदेवैः साधिष्ठायक-मिदं भवति ||४|| गन्धाङ्ग-स्नानिकया, स्नपिते बिम्बे विभागि लोकानाम् । सहजाङ्ग-परिमलयुतो, विहरज्जिन एव सदसि गतः ।।५।। स्वच्छतया मुनिगात्र-पवित्रीभाव-मुपेत्य जनस्य शिरस्सु । प्राप्तपदानि जलान्यपि भूयो भूरिफलानि जयन्ति जगन्ति ।।६।। ॐ हाँ हाँ हूँ हूँ हाँ हूँ: परमाईते परमेश्वराय गन्धपुष्पादि संमिश्र-यक्षकर्दम-चूर्णसंयुतेन जलेन स्नपयामि स्वाहा । उपर दिया गया श्लोक बोलकर थाली बजाकर, गीत-वाजिंत्रके नाद पूर्वक कलशो से बिंब के उपर अभिषेक कीजिये, अंग लूछणा कीजिये । नीचे दिया गया मंत्र बोलकर अक डंका बजाकर पूजा कीजिये । ॐ नमो यः सर्वशरीरावस्थिते पृथिवि पृथु पृथु गन्धं गृहाण गृहाण स्वाहा । नीचे दिया गया मंत्र बोलकर अक डंका बजाकर पुष्पपूजा कीजिये । ॐ नमो यः सर्वशरीरावस्थिते महाभूते मेदिनि । पुरु पुरु पुष्पवति पुष्पं गृहाण गृहाण स्वाहा । नीचे दिया गया मंत्र बोलकर अक डंका बजाकर धूपपूजा कीजिये । ॐ नमो यः सर्वशरीरावस्थिते दह दह महाभूते । तेजोऽधिपते धूपं धूपं गृहाण गृहाण स्वाहा । बाद में नीचे दिया गया श्लोक बोलकर दीपपूजा, अक्षतपूजा, नैवेद्यपूजा और फलपूजा कीजिये । Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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