Book Title: Adhar Abhishek ka Suvarna Avasar
Author(s): Akhil Bharatiya Tirthprabhavak Adhar Abhishek Anushthan Samiti
Publisher: Akhil Bharatiya Tirthprabhavak Adhar Abhishek Anushthan Samiti

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Page 19
________________ - २) मोती के छीपके जैसे दोनों हाथ साथ में रखकर ललाट को लगाना वह मुक्ताशुक्ति मुद्रा कहलाती है नमोऽर्हत्... ॐ नमोऽर्हत्-परमेश्वराय चतुर्मुखाय परमेष्ठिने त्रैलोक्यनताय अष्ट-दिग्भाग-कुमारीपरिपूजिताय देवेन्द्र-महिताय देवाधि-देवाय दिव्य-शरीराय (त्रैलोक्य -महिताय) भगवन्तो-ऽर्हन्तः श्री-ऋषभदेवादिस्वामिनः (यहां मूलनायक परमात्माका नाम लिजिये) अत्र आगच्छन्तु आगच्छन्तु स्वाहा । | ३) दाईना हाथ और बाया हाथ की उंगलीयों की उलटी आटी गिराकर तर्जनी उंगलि से मध्यमा को और अंगुष्ठ से सामने के हाथ की चीटली उंगलि दबाईये और दोनो अनामिका उंगलियोको खडी दिखानी वह परमेष्ठि मुद्रा कहलाती है। नमोऽर्हत् ... ॐ नमोऽर्हत्-परमेश्वराय चतुर्मुखाय परमेष्ठिने त्रैलोक्यनताय अष्ट-दिग्भाग-कुमारीपरिपूजिताय देवेन्द्र-महिताय देवाधि-देवाय दिव्य-शरीराय (त्रैलोक्य -महिताय) भगवन्तो-ऽर्हन्तः श्री-ऋषभदेवादिस्वामिनः (यहां मूलनायक परमात्माका नाम लिजिये) अत्र आगच्छन्तु आगच्छन्तु स्वाहा । मुद्राओ दिखाने के बाद हरेक जिन बीबो के उपर गुरू भगवंत वासक्षेप कीजिये । (९|| नवमं सदौषधि-स्नात्रम् || नमोऽर्हत् सिद्धाचार्योपाध्याय सर्व साधूभ्यः नाना-सुगन्धि-पुष्पौघ-रञ्जिता, चञ्चरीक-कृतनादा । धूपामोद-विमिश्रा, पततात् पुष्पाञ्जलिर्बिम्बे ||१|| ॐ हाँ ही हूँ हूँ हाँ हूँ: परमार्हते परमेश्वराय पुष्पाञ्जलिभिरर्चयामि स्वाहा । अक डंका बजाकर परमात्मा के उपर कुसुमांजलि चढाईये । Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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