Book Title: Adhar Abhishek ka Suvarna Avasar
Author(s): Akhil Bharatiya Tirthprabhavak Adhar Abhishek Anushthan Samiti
Publisher: Akhil Bharatiya Tirthprabhavak Adhar Abhishek Anushthan Samiti
View full book text
________________
एकत्र-मीलितैस्तैः, पञ्चभि-रमृतैः सुगन्धिभिः स्नपनम् ।
क्रियमाणं नवबिम्बे, हरताद्विष-पञ्चकं नृणाम् ।।३।। स्नात्रं विधीयमानं, सुगन्धि-पञ्चामृतेन जिनबिम्बे |
भक्ति -प्रत्ध(हव) जनानां, प्रमादपञ्चक-विषं हरतात् ।।४।। ॐ हाँ ही हूँ है हौ हूँ: परमार्हते परमेश्वराय गन्धपुष्पादि-संमिश्र-पञ्चामृतेन (जलेन) स्नपयामि स्वाहा। उपर दिये गये श्लोक बोलकर थाली बजाकर गीत-वाजिंत्रके नादपूर्वक कलशे से बीब के उपर अभिषेक कीजिये, अंग लूछणा कीजिये।
नीचे लिखा हुआ मंत्र बोलकर अक डंका बजाकर पूजा कीजिये। ॐ नमो यः सर्व शरीरावस्थिते पृथिवि पृथु पृथु गन्धं गृहाण गृहाण स्वाहा । नीचे लिखा हुआ मंत्र बोलकर अक डंका बजाकर पुष्पपूजा कीजिये ।
ॐ नमो यः सर्वशरीरावस्थिते महाभूते मेदिनि
पुरु पुरु पुष्पवति पुष्पं गृहाण गृहाण स्वाहा । नीचे लिखा हुआ मंत्र बोलकर अक डंका बजाकर धूपपूजा कीजिये । ॐ नमो यः सर्वशरीरावस्थिते दह दह महाभूते ।'
तेजोऽधिपते धूपं धूपं गृहाण गृहाण स्वाहा । नीचे दिये गये श्लोक बोलकर दीपपूजा, अक्षतपूजा, नैवेद्यपूजा और फलपूजा कीजिये ।
ॐ ही श्री परमपुरुषाय परमेश्वराय जन्म-जरामृत्युनिवारणाय श्रीमते जिनेन्द्राय दीपं-अक्षतं-नैवेद्यं-फलं यजामहे स्वाहा ।
___यहाँ पांचवा अभिषेक पूर्ण हुआ। . | IIE || षष्ठ शतमूलिका-स्नात्रम् ।।
नमोऽर्हत् सिद्धाचार्योपाध्याय सर्व साधूभ्यः नाना-सुगन्धि-पुष्पौघ-रञ्जिता, चञ्चरीक-कृतनादा |
धूपामोद-विमिश्रा, पततात् पुष्पाञ्जलिर्बिम्बे ||१|| ॐ हाँ ह्रीं हूँ हैं हौँ हूँ: परमार्हते परमेश्वराय पुष्पाञ्जलिभिरर्चयामि स्वाहा ।
अक डंका बजाकर, परमात्मा के उपर कुसुमांजलि चढाईये ।
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org
Page Navigation
1 ... 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48