Book Title: Adhar Abhishek ka Suvarna Avasar
Author(s): Akhil Bharatiya Tirthprabhavak Adhar Abhishek Anushthan Samiti
Publisher: Akhil Bharatiya Tirthprabhavak Adhar Abhishek Anushthan Samiti

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Page 9
________________ श्लोक बोलकर, थाली बजाकर, गीत -वाजिंत्र के नादपूर्वक कलशे से हरेक बिंबोको अभिषेक कीजिये, अंग लूछणा कीजिये। नीचे लिखा हुआ मंत्र बोलकर ओक डंका बजाकर चंदनपूजा कीजिये । ॐ नमो यः सर्वशरीरावस्थिते पृथिवि पृथु पृथु गन्धं गृहाण गृहाण स्वाहा ।। नीचे लिखा हुआ मंत्र बोलकर अक डंका बजाकर पुष्पपूजा कीजिये । ॐ नमो यः सर्वशरीरावस्थिते महाभूते मेदिनि । पुरु पुरु पुष्पवति पुष्पं गृहाण गृहाण स्वाहा । नीचे लिखा हुआ मंत्र बोलकर अक डंका बजाकर धूपपूजा कीजिये । ॐ नमो यः सर्वशरीरावस्थिते दह दह महाभूते । . तेजोऽधिपते धूपं धूपं गृहाण गृहाण स्वाहा | बाद में नीचे दिया गया श्लोक बोलकर दीपपूजा, अक्षतपूजा, नैवेद्यपूजा और फलपूजा कीजिये । __ॐ ह्रीं श्री परमपुरुषाय परमेश्वराय जन्म-जरामृत्युनिवारणाय श्रीमते जिनेन्द्राय दीपं-अक्षतं-नैवेद्यं-फलं यजामहे स्वाहा । यहाँ दुसरा अभिषेक पूर्ण हुआ । No ( ||३|| तृतीयं कषायचूर्ण-स्नात्रम् ।।) नमोऽर्हत् सिद्धाचार्योपाध्याय सर्व साधूभ्यः नाना-सुगन्धि-पुष्पौघ-रञ्जिता, चञ्चरीक-कृतनादा | धूपामोद-विमिश्रा, पततात् पुष्पाञ्जलिर्बिम्बे ।।१।। ॐ ह्रां ह्रीं हूँ हूँ ह्रौं हूँ: परमार्हते परमेश्वराय पुष्पाञ्जलिभिरर्चयामि स्वाहा । अक डंका बजाकर, परमात्मा के उपर कुसुमांजलि चढाईये । कषाय चूर्ण के अंदर १६ वृक्ष की आंतरछाल लेनी है, वह नीचे दी गई है। (१) पीपर (२) पीपल (३) सरसडो (४) उंबरो (५) वड (६) चंपो (७) आसोपालव (८) आंबो (९) जांबुन (१०) बकुल (११) अर्जुन (१२) पाडन (१३) बीली (१४) केसुडो (१५) दाडम (१६) नारंगी यह चूर्ण से मिश्रित जल के कलशे हाथ में लेकर खडे रहीये । Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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