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सुकोसल राय चुपई
जिन मुख्य वाणी २ मनि धरेस ।
पा लागी पूजा र सदा सिद्धि समत्ति माशुं ।
कर जोडी सांगु कहि सदगुरु सेव कुपर सकोसल चुपही हूं संख्येप
अनुकंपा करु श्रह्म तरणी देवाध्यदेव ता लगि लागु । कर्योस | भण्योस || १ |
चूहा
भारत मदसु
जाति
सरिस सवि काम ।। १ ।।
सांगु केहि मनमा हरि जिम भूत भाव्य सअनि बसमान सिद्ध अरिहंत मर्या भरीया तेहुनि करू प्रणाम ।। २ ।।
साधु जेह नाम |
चपई
अवनी दीप प्रसंख्या जाए, ते मध्य जंबूदीप प्रमाण |
प्रभव नहीं तिहां कोही तथा ।। ४ श सेरी छाट तणु नही पार ।
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भरत क्षेत्र जे नामि सुणु, तेह तणु महिमा प्रति घणु ॥ ३ ॥ तेह मध्य नयर अयोध्या एक, दान पुण्यनु लहि वदेक । धनवंत लोक दोसि प्रति पक्षा, चउरासी बहुटा प्रतिसार, जोया चार से किरतु बसि तिरिण दीठि नर हीयडु हसि ॥ ५ ॥ घिरि घरि बंध्यारिके काण, विरि घिरि राउत गुष्टि मीरा! | घिरि घरि नारी करि सिणगार, थिरि घिरि बंदी जय जयकार ॥६॥ घिरि घरि सो दीजि घर्णा, घिरि घरि ती मोती नोमरणा । घिरि घरि रगा अभूलइक जेह, घिरि घिरि नहीं लक्ष्मी नु छेह ||७|| वाणि सरोवर लागु याद ठामि यामि दोसि प्रसाद | झालिर ढोल कंसाला गुडि, कविता कहि मुखि जिल्ला एक, नयर तणु किम कहुं विवेक | ए ऊपम फिम जाइ कही, जोतां जमलपुरी का नहीं || ६ ||
नित परमेसर पूजा चेदि ।। ८ ।।