Book Title: Acharya Somkirti Evam Brham Yashodhar
Author(s): Kasturchand Kasliwal
Publisher: Mahavir Granth Academy Jaipur

View full book text
Previous | Next

Page 205
________________ रामसीतारास संवत पनर पंच्यासोइ, स्कंध नयर मझारि । भवणि अजित जिनवरतणी, ए गुण गाया सार ॥ १८ ॥ वस्तु बंष भरिण भवीयण भवीयण चरित, ए सार हरष की हलघर तर हीया माहि सुणि ज्ञान आणीय नरभव सुख सेवू अनुभवी सरग रिघि बहु लहि असमाणीप देवी सुर सेवा करि, इन्द्र तणि पवतार । मुगति रमरिण अनुक्रमि वरि जिहा सौख्य तण मंडार ।। १८६ ।। इति बलिभद्र चुपई ॥

Loading...

Page Navigation
1 ... 203 204 205 206 207 208 209 210 211 212 213 214 215 216 217 218 219 220 221 222 223 224 225 226 227 228 229 230 231 232