Book Title: Acharya Somkirti Evam Brham Yashodhar
Author(s): Kasturchand Kasliwal
Publisher: Mahavir Granth Academy Jaipur
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विजयकत्ति गीत
सरसति सामिणि चलणेहुं लागुय मागुय मति अति निरमलीए गायसु यतीबर विजयकीरति गुरयर वर
मालु रे माता भारती ए चढायु ।। गि वर वर प्रालि वाणी हंस वाहिणी भामिनी ।। करिहि कमंडलु' वेण पुस्तक जाप जपति तु स्वामिनी । प्रसुर सुर नर लचर दानव पाम पंकज नुति करि । भाव भगति मनह राकति भनेक योगी श्रणसरि ।। रायल कवीयण दि दुख वारू चलण तोरे नित लुलि । दिइ विद्या विवेक वारणी तेहा संकट टलि । कमल के तुकि कुद करणी पूजा करी करू प्रारती । करह जोडी पाय लागु दिउ वर वर भारती ॥ १ ॥ भारती तूठीय अक्षर आलए मोरूं मन चालिरे गुरु घलणे मही सहि गुरु स्वामीय तणि परसादिय बाछिय काज केहुं नही ए ॥च.।। वादिय काजि फेह नही रे माइसुगुरु राय एक चिति मकह सुधि होइ घरी बहु भाउ । बाला परिण बुधि ऊपनी चारित्र लेवा चंग । श्री सकलकीरति केरीय वासी सुशी हदि हूउ रंग । सूणी हृदि हउ रंग रूयह जान ध्यान धुरा धरि । पंच महावय प्रबल प्रौढां तेह लेवा चित करि । ससार एह प्रसार जाणी संग सघला परिहरि । हेलाह मयरण हरायीउ संयम थी मुनिवर वार || २ ॥ मुनिवर विश्वसेन संहयि थापए संयम प्रापए स्यङ्कए । पंच महाप्रत पंच सुमति ऋण मुपति सहित मुनि ऊजसु ए | | उजलउ मुनिवर सदा सोहि ऊपमा गौतम सार । अंबूय कुमर ज अवतरच जारणे लेवा चारित्र मार ।

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