Book Title: Acharya Somkirti Evam Brham Yashodhar
Author(s): Kasturchand Kasliwal
Publisher: Mahavir Granth Academy Jaipur

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Page 215
________________ नेमिनाथ गीत ज्ञान महोछव नीपनु रे जय जय रब होउ नाम | सुर नर पन्नगरमी करी रे पुहुता निज निज ठाम ॥ सा ॥ ३८ ॥ देशवदेश संबोधीया रे चली श्राव्या गिरिनार । काया कुटीरज परिही रे मुगति होउ भरतार ।। सा ।। ६६ ।। श्री यसको रति खुपसाउलि ब्रह्म यसोधर भरि सार ं । चलण न खोडजं स्वामी त तरणा मुझ भवचां दु:ख निवार ३३ सा ॥ ७० ॥ भरसिजे नर सांभलि रे धन धन ते श्रवतार | नवनिधि तस घर उपजि रे ते तरसि संसार || सामला ॥ ७१ ॥ इति नेमिनाथ गीत समाप्तः मेमिनाथ गोत राग सोरठा क्रेम जी वा तु तु २०३ न घरे घरे, वाडीया बोई सिक्या माडली रे । देषिवाल रथ रे चाली देवि गिरि ग रे । नेमजी धावुन घरे । १ । कपट करीय मोहारि नेम रे काणि रायमि जाई वरी रे । भलीयान भपार अपार, जूना रे गढ भी सामा रे रूडा नेमि । २ तोरणि प्रायु वर नेमि २ पसूडा रे करूणावह तिहां रहि रे । दया घरी दीनदयाल छोडी रे सहसावन प्रति सांच रे । नेमजी | ३ | उग्रसेन धी ताम, कारण रे जागी नेमनि वीतवि रे । नव भवतु भरतार, दशमि रे देव दया करू रे | नेमजी | ४ | रायमि गई गिरिनार २ नेम रे चलगि तप श्राचर्यु रे । भव सागर मुझ तार २ यसोधर इस वीनवि रे । मल्लिनाथ गीत सरसति स्वामिण वीनव ं मा ं एक पसाउ रे । त परसादि गाइ रूयडा जिरणवर राउ रे । नेमजी प्रा० । ५ ।

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