Book Title: Acharya Somkirti Evam Brham Yashodhar
Author(s): Kasturchand Kasliwal
Publisher: Mahavir Granth Academy Jaipur

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Page 222
________________ २१२ प्राचार्य सोमकीति एवं ब्रह्म यशोधर सोल रे ,नार रायगि अगि करीरे। __ सखीए पर बरी सार। गुखरे बडीनि जोउ राणी बालीए रे। ता. स्तिनी ।।२।। गुहिर गुरुराडु जीवे मारी मेमजी रे सुरणी देई कान । परिहरी चाल्यु राणी रायमि मेह्वीडो परंता हो ते रानि ।। प्रीतही रे पालु पेला भवतरणी रे । अबला म मेल्स रे निरधार । रथडु रे वाली देव दया करु रे । भवि भवि नु भरतार ।। प्रीतडी ।।३।। दुखरे दहन श्री गिरिवर गउ रे । रायमि करि रे विलाप, नोरि रे नगोदर बाजू बंध बहिरषार । प्रीवि रे उग्रसेन बाप ॥ प्रीतडी० ॥४॥ नेमरे वलणे तप मांडीउ रे। छाहीउ रे काम विकार। ब्रह्मरे यसोधर इम वोनवि रे। त्रिभुवन तारण मुझ तार ।। प्रीतसरी ।। ५ ॥ राग बसंत अंगि हे मनोपम वेष रे करी उग्रसेन घरि जाय राजिल वरी1 बोलि बोलि रे राणी राजमती । नवह भवंतर नेह तजीनि दमि नैमि पमा यती ।। बोलि ।। १ ।। छपन कोड यादव दल रे साजी, भार कोडि साठी बाजिन बानी ।। बोलि ॥ २ ॥ भति रे उछाह नेमि तोरएि गया, पसूडो पोकार सुणी उभारे रहा । बोलि ।। ३ ।। नेमजी काहि रे ईणो फवण काज । परण्यां गुख तपनि यादव राज : बोलि ॥ ४ ॥

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