Book Title: Acharya Somkirti Evam Brham Yashodhar
Author(s): Kasturchand Kasliwal
Publisher: Mahavir Granth Academy Jaipur
View full book text
________________
१६६
प्राचार्य सोमकीर्ति एवं ब्रह्म यशोधर चंदन केशर कपूर घसायु रे। जेनि नामि दुःख पुलावु ांगी मागि रचावु रे ।। प्रात्रु ॥ ३॥ सालि सुगंधी तेहना तंदुल बारू रे । निजी मालिज ग्नीजि प्रालि निज गुरण
सारू रे 11 पाव ॥ ४ 11 बेउल बालु वुल सरीनांहारू रे । स्वामी निशि निशि पूजा कीजि देश भवचा
पारू रे ।। प्रात्रु ।। ५ ।। मोतीया लांडू वटफ विशात रेवा फीणि, प्रति घण झीशी घेवर रसालू रे । आव ।। ६ ।। उह्न धाने पूरी सोनण घालू रे, जिनजी मागिल पूजा कीचि स्वामी संकट टालू रे ॥ प्रात्रु 11 ७ ।। रत्नयोति जिम भारती प्रतिहि उत्तंगू रे, मृगति तणा गुण लेवा कारणि दीवा करू
सुचंगू रे 11 आयु ।। - ॥ सषर घूप जे कृष्णागर वर सारू रे, जिलजी भागिल सेह दहीजि टालि फर्म विकारू रे
11 प्राव
।
"
करणां चारू सोपारी नव सारू रे, श्रीफल सरसी पूजा कीजि लहीइ सुख अपारू रे
11 आधु० ॥ १० ॥ प्रष्टप्रकारी जिनवर पूज करेसि रे, भाषि भक्ति लक्ष्मी सक्ति संसार तरेसि रे ।। प्राय० ॥ ११ ॥ नयर वंशवाला मंडण नु स्वामी रे। ब्रह्म यसोधर प्रतिघणु वीनवि देयो तझ गुरणग्राम रे
॥ प्रावु० ॥ १२ ॥ दति बासुपूज्य गीत ॥

Page Navigation
1 ... 206 207 208 209 210 211 212 213 214 215 216 217 218 219 220 221 222 223 224 225 226 227 228 229 230 231 232