Book Title: Acharya Somkirti Evam Brham Yashodhar
Author(s): Kasturchand Kasliwal
Publisher: Mahavir Granth Academy Jaipur

View full book text
Previous | Next

Page 207
________________ वासुपूज्य गीत अनेक वादी विकट कवियण गुजता गजराय । सीहनी परि सबल सुफलि मंजीया भडवाद। माठिय मद जे कर्म तितला प्रवल नाग प्रचंड । सूपर्ण नीपरि रूडपि लीया कायां ते सत पंड। काम कोघह मान माया मोह सल्यु जेह । बावीस परीषह जीपतु मल दे ।।६।। निरमल देहछि एह रषि रायहि माता रंगीय उयरि उपनुए। साह भीमिग सुत कुल प्रजू यालए। अनेक राजा चलणे नमिए । चढाउ ।। अनेक राजा चलण सेवि मालवी मेवाड । गूजर सोरठ सिंघु सहिजि अनेक भड भूपाल । दषरण मरहट वीण कुका पूरवि नाम प्रसिद्ध । छत्रीस लक्षण कला बहतरि अनेक विद्या रिधि । पागम वेद सिद्धान्त ब्याकरण भाषि भवीयण सार । नाटक छंद प्रमाण बुझि नित जपि नवकार । थी काष्ठ संघ कुल तिनु रे यती सरोमणि सार । श्री विजयकीरति गिरूउ गणधर श्री संघ करि जयकार ।। ४ ।। इति श्री विजयकोत्ति गीत ॥ वासुपज्य गीत राग-कामोव धन्यासा सगुण सलूणु वासपूज जिन सोहि रे। भव भय मंजन जन मन रंजन भवीयरा का मन मोहि रे ।। भावु साहेल डी थेगि फारमलावु रे । हंसता रमतां जिन हरि जावु वासुपूज ___ गुण गावु रे ।। भावु ॥ १ ॥ नरमल जलना कुभ जिनहरि वालु रे। स्वामीनि तनु तेह ज ढालु मनना पाप पखालुरे ।। भावु ।। २।।

Loading...

Page Navigation
1 ... 205 206 207 208 209 210 211 212 213 214 215 216 217 218 219 220 221 222 223 224 225 226 227 228 229 230 231 232