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आचाराने इमे स्पर्शन-रसनोभयेन्द्रियाः द्वीन्द्रिया जीवा असंख्याताः । ..
' ' ' (२) त्रीन्द्रियाः- . . . . . . . श्रीन्द्रियाः पिपीलिकादया-पिपीलिका-रोहिणिका-कुन्थु-यूक-लिक्ष-मत्कुणमत्कोटक-शुलशुल--गोपदिका-खजूरा-कर्णशूलादयः प्रसिद्धाः । इमे स्पर्शन-रसनघाणेन्द्रियाः । त्रीन्द्रिया असंख्याताः। ..
(३) चतुरिन्द्रियाःचतुरिन्द्रियाः भ्रमरादयः-भ्रमर-चटर-मक्षिका-दंश-मशक-वृश्चिक-कीट-. कसारी-पतङ्गादयः प्रसिद्धाः । इमे स्पर्शन-रसन-प्राण-चक्षु-रिन्द्रियाः । चतुरिन्द्रिया अपि असंख्याताः। इन्द्रियां होती हैं । द्वीन्द्रिय जीव असंख्यात है।
(२) त्रीन्द्रियपिपीलिका (कीडी), रोहिणिका, कुन्थुवा, जू, लीख, खटमल, मकोडा, शुलशुल, गोपदिका, खजूरा, कर्णशूल, आदि त्रीन्द्रिय जीव प्रसिद्ध हैं । इनके स्पर्शन रसना और प्राण, ये तीन इन्द्रिया होती हैं । त्रीन्द्रिय जीव असंख्यात हैं।
। (३) चतुरिन्द्रिय- . . . . . . . भ्रमर, वटर, मक्खी, डांस, मच्छर, बिच्छू, कोट, पंतन, कंसारी, आदि चौइन्द्रिय जीव प्रसिद्ध है। इनके स्पर्शन, रसना, प्राण, और चक्षु, ये चार इन्द्रिया होती हैं। ये जीव असंख्यात है। રસના એ બે ઈન્દ્રિયે વાળા છ અસંખ્યાત છે.
(२) श्रीन्द्रिय Aa, लिपि, युवा, j, eी, मांss, भ , शुखशुस, 6ि, કાનખજૂરા, કર્ણફૂલ આદિ ત્રિીન્દ્રિય જીવ પ્રસિદ્ધ છે. તેને સ્પર્શન, રસના, અને ઘાણ. આ ત્રણ ઈન્દ્રિયો હોય છે. ત્રીન્દ્રિય જીવ અસંખ્યાત છે.
(3) यन्द्रियसमस, १८२, भाभी, संस, भ२०२, पीछी, ट, ५५, ४ सारी माहियार ઇન્દ્રિયવાળા જીવ પ્રસિદ્ધ છે. તેમને સ્પશન રસના, ઘાણ અને નેત્ર આ ચાર छन्द्रियो साय छे..4-मसभ्यात छ. .