Book Title: Acharanga Sutra Part 01
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 770
________________ आचारापत्रे एके पुनरन्ये तु 'वयमनगाराः स्मः' इति सामिमानं प्रवदमाना: = ' वयमेत्र वनस्पतिजीवरक्षणपरा: महात्रतधारिणः ' इति मलपन्तो द्रव्यलिङ्गिनः सन्ति, तान् पृथक् पश्य । इमे खल्बनगाराभिमानिनो द्रव्यलिङ्गिनो मनागप्यनगारगुणेषु न प्रवर्तन्ते, नापि गृहस्थकृत्यं किञ्चित् परित्यजन्तीति दर्शयति--' यदिमम्. ' इत्यादि । यद्=यस्माद् विरूपरूपैः = विभिन्नस्वरूपैः शस्त्रैः =वनस्पतिकायशस्त्रैः, तत्र द्रव्यशस्त्रे स्वकीयदण्डलकुटादयः । परकायउभयकायशस्त्र = वासी - दात्र ६२४ शस्त्रं हि वनस्पतिकायस्य द्रव्यभावभेदाद् द्विविधम् । परकायोभयकाभेदात् त्रिविधम् । तत्र स्वकायशस्त्रं शस्त्रं कर्तरी- पापाण- हस्त - पाद - मुख - बहुचादयः । इनसे विपरीत कोई-कोई ' हम अनगार हैं ' ऐसा अभिमानपूर्वक कहते हैं'हम ही वनस्पति जीवों की रक्षा करने में तत्पर और महाव्रतधारी हैं, ' इस प्रकार प्रलाप करते हुए द्रव्यलिंगी साधुओं को अलग समझो । अनगार होने का अभिमान करने वाले ये द्रव्यलिंगी अनगार के गुणो में तनिक भी प्रवृत्ति नहीं करते । ये गृहस्थ के किसी भी कामका त्याग नहीं करते हैं, यह बात आगे बतलाते हैं -- ' यदिमम् . ' इत्यादि । 1 नाना प्रकार के वनस्पतिकाय के शस्त्रोंद्वारा वनस्पतिकाय का आरंभ करके वनस्पतिकायकी हिंसा करते हैं । वनस्पतिशास्त्र दो प्रकारका है - द्रव्यशस्त्र और भावशस्त्र । द्रव्यशस्त्र के तीन भेद हैं- (१) स्वकायशस्त्र (२) परकायशस्त्र (३) उभयकायशा । डंडा लकडी वगैरह स्वकायशस्त्र हैं। कैंची, पत्थर, हाथ, पैर, मुख और आग आदि તેનાથી વિપરીત–વિરૂદ્ધ કાઈકાઈ અમે અણુગાર છીએ' આ પ્રમાણે અભિમાન પૂર્વક કહે છે-અમેજ વનસ્પતિ જીવાની રક્ષા કરવામાં તત્પર અને મહાવ્રતધારી છીએ' આ પ્રમાણે પ્રલાપ-(ખકવા) કરનારા દ્રવ્યલિંગી સાધુઓને જુદા સમજો. અણુગાર હેાવાનું અભિમાન કરનારા એ દ્રવ્યલિંગી સાચા અણુગારના ગુણા માટે જરા પણ પ્રવૃત્તિ કરતા નથી. તે ગૃહસ્થાનાં ફાઈ પણ કામને ત્યાગ કરતા नथी. से जतावे छे. ' यदिमम् . ' त्याहि. નાના પ્રકારના વનસ્પતિકાયનાં શઓ વડે વનસ્પતિકાયને આરભ કરીને વનસ્પતિકાયની હિંસા કરે છે. વનસ્પતિશસ્ર બે પ્રકારનાં છે-દ્રવ્યશસ્ત્ર અને ભાવશષ. द्रव्यशस्त्रनां त्रषु लेढ छे - (१) स्वप्रायशस्त्र, (२) परायशस्त्र, अने (3) उलयायशस्त्र. डंडा, सामुडी वगेरे स्वप्रायशास्त्र छे, थी - ( अंतर, सांबुस ) पत्थर, हाथ, युग,

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