Book Title: Acharang Sutra Saransh
Author(s): Agam Navneet Prakashan Samiti
Publisher: Agam Navneet Prakashan Samiti

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Page 29
________________ 27 भिक्षार्थ न जाना उनके भिक्षा लेकर निवृत हो जाने पर जाना कल्पता है। छठा उद्देशकः (1) मार्ग में कबूतर आदि प्राणी आहार कर रहे हों तो अन्य मार्ग से भिक्षार्थ जाना / (2) गृहस्थ के घर में उचित स्थान पर एवं विवेक युक्त खड़े रहना / चक्षु-इन्द्रिय को नियंत्रित (वश में) रखना / (3) पूर्वकर्म दोष युक्त अथवा सचित पानी, पृथ्वी, वनस्पति, से लिप्त (खरड़े) हाथ या कुड़छी से भिक्षा नहीं लेना / (4) सचित या अचित कोई भी वस्तु साधु के लिए कूट कर, पीस कर या झटक-फटक कर देवे तो उसे नहीं लेना। (5) अग्नि पर रखी वस्तु नहीं लेना / सातवां उद्देशकः (1) मालोपहत दोष युक्त (निसरणी प्रादि लगाकर दे वैसी) वस्तु नहीं लेना तथा कठिनाई से निकाल कर या लेकर दे वैसी वस्तु भी नहीं लेना। (2) बंद ढक्कन खोलने में पहले या पीछे विराधना हो तो उसे खुलवाकर नहीं लेना / (3) सचित पृथ्वी पानी वनस्पति के उपर रखे पदार्थ नहीं लेना। (4) पंखे अादि से हवा करके गर्म पदार्थ शीतल करके देवे तो नहीं लेना। (5) धोवण के अचित जल को कुछ समय ( 20-30 मिनिट ) तक नहीं लेना।

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