________________ अवलंबन भूत बन जाता है। 5. जिससे उसको महान् निर्जरा लाभ और मुक्ति लाभ होता है। (20) सूत्रार्थ के विषय में प्रश्न पूछकर समाधान प्राप्त करने से-१. सूत्रार्थ ज्ञान की विशुद्धि होती है / 2. संशयों का निराकरण हो जाता है फलतः मिथ्यात्व मोहनीय कर्म का क्षय होता है। - (21) सूत्रों की परावर्तना करने से -1. स्मृति की पुष्टि होती है 2. भूला हुआ ज्ञान स्थिर हो जाता है / 3. पदानुसारिणि बुद्धि का विकाश हो जाता है। अर्थात् एक पद के उच्चारण से अगला पद स्वतः याद आ जाता है। (22) सूत्रांतरगत तत्वों की मन में विचारणा चितवना करने से--१. कर्म शिथिल बनते हैं, संक्षिप्त होते हैं, मंद हो जाते है / और अल्प हो जाते हैं 2 कर्म बंध से और संसार से शीघ्र मुक्ति हो जाती है। (23) धर्मोपदेश देने से--१. स्वयं के कर्मों की महान् निर्जरा होती है। 2. और जिन शासन की भी महति प्रभावना होती है / 3. आगामी भावों में महा भाग्यशाली होने के कर्मों का उपार्जन करता है। (24) श्रुत की सम्यक् आराधना करने से-१. अज्ञान का क्षय हो जाता है और 2. वह ज्ञानी कहीं भी संक्लेश-चित्त की असमाधि नहीं पाता है। (25) मन को एकाग्र करने से--चित की चंचलता समाप्त होती है। (26) संयम लेने से - प्रमुख प्राश्रव-कर्म पाने के रास्ते बंद हो जाते हैं अर्थात् हिंसादि बड़े बड़े पापों का लगभग पूर्णतया त्याग हो जाता है।