Book Title: Acharang Sutra Saransh
Author(s): Agam Navneet Prakashan Samiti
Publisher: Agam Navneet Prakashan Samiti

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Page 44
________________ 42 उपसंहार:-- लिपि काल में हुए अनेक प्रकार के ठाणांग समवायांग सूत्र सम्बन्धी संपादनों के कारण एवं ऐतिहासिक भ्रम पूर्ण कल्पित उल्लेखों के कारण और अनेक इतिहासज्ञों के व्यक्तिगत चितन के प्रचार से इस सूत्र के द्वितीय श्रुत स्कंध के मौलिक स्वरूप के विषय में अनेक विकल्प एवं प्रश्न चिन्ह है किन्तु बिना किसी आगम प्रमाण के केवल बौद्धिक कल्पना को महत्व देने में कोई लाभ नहीं है। हजारों वर्ष के लंबे काल में संपादन या स्वार्थ पूर्ण ऐच्छिक परिवर्तन-परिवर्धन सूत्रों में समय समय पर अवश्य हुए है किन्तु वे विद्वानों के लिए मननीय है। सामान्य जन तो प्रात्म संयम के हितकर विषयों के अध्ययनों से युक्त इस श्रुतस्कंध का श्रद्धा पूर्वक स्वाध्याय करें यही पर्याप्त है / . अर्हम् आगमों के सारांश 1. स्वयं पढे, दूसरों को पढावें. 2. अग्रिम ग्राहक स्वयं बनें और दूसरों को भी बनावें. 3. 100/= रू० में 32 सूत्र की 32 पुस्तकें प्राप्त करें. भूल न करें आज ही १००/-रूपए का मनियार्डर भेजकर अग्रिम ग्राहक बनिए / निवेदक हनुमान लाल टाईपिस्ट श्री मरूधर केसरी पारमार्थिक समिति, राजामल का बाग, पुष्कर-३०५०२२ (जिला-अजमेर) राज. पता:

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