Book Title: Aahar Aur Aarogya
Author(s): Devendramuni
Publisher: Tarak Guru Jain Granthalay

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Page 5
________________ (३) प्राथमिक > अन्नं वै प्राणा :- अन्न को प्राण माना गया है । अन्न का प्रभाव शरीर पर तो पड़ता ही है, मन पर भी पड़ता है । यह बात प्रत्यक्ष अनुभव की है । जिस प्रकार सड़ा, गला, दूषित भोजन स्वस्थ प्राणी का तुरंत रोगी और अशक्त बना देता है, उसी प्रकार तामसिक, उत्तेजक और मादक पदार्थ मनुष्य के मन मस्तिष्क को अतिशीघ्र विवृत तथा विचारों को मलिन तथा हीनताग्रस्त बना देता है । आहार वे विषय में प्राचीन समय से ही बहुत गंर्भ र चिन्तन चलता रहा है । विशेषकर जैन विचारकों ने तो इस विषय पर बहुत ही सूक्ष्मता से चिन्तन कर आहार विषयक अनेक नियम, मर्यादाएं तथा सूचनाएं दी हैं जिनका उचित पालन करने

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