Book Title: Aagam 06 GYATA DHARM KATHA Moolam evam Vrutti
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

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Page 422
________________ आगम (०६) “ज्ञाताधर्मकथा” - अंगसूत्र-६ (मूलं+वृत्ति:) श्रुतस्कन्ध: [१] ----------------- अध्ययनं [१६], ----------------- मूलं [११६-११९] मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित...........आगमसूत्र - [०६], अंग सूत्र - [६] "ज्ञाताधर्मकथा" मूलं एवं अभयदेवसूरि-रचित वृत्ति: ज्ञाताधर्म कथाङ्गम्. ॥२०९॥ १६ अपरकाज्ञा ता. स्वयं हवरमण्डपः सू. ११८ जिनपूजा | सू. ११९ पामुक्खाणं पत्तेयं २ आवासे वियरति, तए णं ते वासुदेवपामोक्खा जेणेव सया २ आवासा तेणेव उवा० २ हथिखंधाहितो पचोरुहंति २ पत्तेयं खंधावारनिवेसं करेंति २ सए२ आवासे अणुपविसंति २ सएसुरआवासेसु आसणेमु य सयणेसु य सन्निसमा य संतुयहा य बहहिं गंधवेहि य नाडएहि य उवगिजमाणा य उवणचिजमाणाय विहरंति,तते णं से दुवए राया कंपिल्लपुरं नगरं अणुपविसतिरविउलं असण ४ उवक्खडावेइ २ को९वियपुरिसे सहावेइ २ एवं व०-गच्छह णं तुम्भे देवाणुप्पिया ! विउलं असणं ४ सुरं च मजं च मंसं च सीधुं च पसण्णं च सुबहुपुष्फवत्वगंधमल्लालंकारं च वासुदेवपामोक्खाणं रायसहस्साणं आवासेसु साहरह, तेवि साहरंति, तते णं ते वासुदेवपामुक्खा तं विपुलं असणं ४ जाव पसन्नं च आसाएमाणा ४ विहरंति, जिमियभुत्तुत्तरागधाविय णं समाणा आयंता जाव सुहासणवरगया बहहिं गंधवेहिं जाब विहरंति, तते णं से दुवए राया पुवावरण्हकालसमपंसि कोटुंबियपुरिसे सहावेह २त्ता एवं प०-गच्छह णं तुमे देवाणुप्पिया ! कंपिल्लपुरे संघाडग जाव पहे वासुदेवपामुक्खाण प रायसहस्साणं आवासेसु हथिखंधवरगया महया २ सद्देणं जाव उग्घोसेमाणार एवं वदह-एवं खल. देवाणु कल्लं पाउ• दुवयस्स रपणो धूयाए बुलणीए देवीए अत्तयाए घटाजुण्णस्स भगिणीए दोवईए रायवरकपणाए सयंवरें भविस्संह, ते तुम्भे णं देवा! दुवयं रायाणं अणुगिण्हेमाणा व्हाया जाब विभूसिया हस्थिखंधवरगया सकोरंट० सेयवरचामर हयगयरह महया भडचरगरेणं जाव परिक्खित्ता ॥२०९|| ~421~

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