Book Title: Aagam 06 GYATA DHARM KATHA Moolam evam Vrutti
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

Previous | Next

Page 434
________________ आगम (०६) “ज्ञाताधर्मकथा” - अंगसूत्र-६ (मूलं+वृत्ति:) श्रुतस्कन्ध: [१] ----------------- अध्ययनं [१६], ----------------- मूलं [१२०-१२४] मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित...........आगमसूत्र - [०६], अंग सूत्र - [६] "ज्ञाताधर्मकथा" मूलं एवं अभयदेवसूरि-रचित वृत्ति: ज्ञाताधर्म कथाइम्. ॥२१५॥ १६अमरकङ्काज्ञा० द्रौपदीगवेषणप्रत्यानयनं सू. १२४ भमाणे जेणेव पंडुराया तेणेव उवा०२ ता पंडराय एवं व०-एवं खलु ताओ! ममं आगासतलगंसि पमुत्तस्स पासातो दोवती देवी ण णजति केणइ देवेण वा दाणवेण वा किन्नरेण वा महोरगेण वा गंधवेण वा हिया वा णीया वा अवक्वित्ता वा?, इच्छामि णं ताओ दोवतीए देवीए सवतो समंता मग्गणगवसणं कयं, तते णं से पंडराया कोडुंबियपुरिसे सद्दावेद २ एवं व०-गच्छह णं तुब्भे देवा! हत्थिणाउरे नयरे सिंघाडगतियचउक्कचच्चरमहापहपहेसु महया २ सद्देणं उग्घोसेमाणा २ एवं व०-एवं खलु देवा०! जुहिडिल्लस्स रपणो आगासतलगंसि सुहपसुत्तस्स पासातो दोवती देवी ण णज्जति केणइ देवेण वा दाणवेण वा किंपुरिसेण वा किन्नरेण वा महोरगेण वा गंधवेण वा हिया वा नीया वा अवक्खित्ता वा, तं जो णं देवाणुप्पिया! दोवतीए देवीए मुर्ति वा जाव पवितिं वा परिकहेति तस्स पं पंडराया विउलं अत्थसंपयाणं दाणं दलयतित्तिक घोसणं घोसावेह २ एयमाणत्तियं पचप्पिणह, तते णं ते कोटुंबियपुरिसा जाव पचप्पिणंति, तते णं से पंडू राया दोवतीए देवीए कत्थति सुई वा जाव अलभमाणे कोती देवीं सदावेति २ एवं वनाच्छह णं तुम देवाणु! बारवर्ति णयरिं कण्हस्स वासुदेवस्स एयमझु णिवेदेहि, कण्हे णं परं वासुदेवे दोवतीए मग्गणगवेसणं करेजा, अन्नहा न नजद दोवतीए देवीए सुती वा खुती वा पवत्ती वा उवल भेजा, तते णं सा कोंती देवी पंडुरण्णा एवं चुत्ता समाणी जाव पडिसुणेइ २ण्हाया कयबलिकम्मा हथिखंधवरगया हथिणाउरं मझमझेणं णिग्गच्छइ२ कुरु ॥२१ ॥ ~ 433~

Loading...

Page Navigation
1 ... 432 433 434 435 436 437 438 439 440 441 442 443 444 445 446 447 448 449 450 451 452 453 454 455 456 457 458 459 460 461 462 463 464 465 466 467 468 469 470 471 472 473 474 475 476 477 478 479 480 481 482 483 484 485 486 487 488 489 490 491 492 493 494 495 496 497 498 499 500 501 502 503 504 505 506 507 508 509 510 511 512