Book Title: Aagam 06 GYATA DHARM KATHA Moolam evam Vrutti
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar
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आगम
(०६)
“ज्ञाताधर्मकथा” - अंगसूत्र-६ (मूलं+वृत्ति:) श्रुतस्कन्ध: [१] ----------------- अध्ययनं [१८], ----------------- मूलं [१३६-१३८] मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित.........आगमसूत्र - [०६], अंग सूत्र - [०६] "ज्ञाताधर्मकथा" मूलं एवं अभयदेवसूरि-रचित वृत्ति:
बेसाघरेसु य पाणघरएसु य मुहंसुहेणं परिवहति, तते णं से चिलाए दासचेडे अणोहहिए अणिवारिए सच्छंदमई सइरप्पयारी मज्जपसंगी चोजपसंगी मंसपसंगी जूयप्पसंगी वेसापसंगी परदारप्पसंगी जाए यावि होस्था, तते णं रायगिहस्स नगरस्स अदूरसामंते दाहिणपुरस्थिमे दिसिभाए सीहगुहा नाम चोरपल्ली होत्था विसमगिरिकजगकोडंबसंनिविद्या वंसीकलंकपागारपरिक्खित्ता छिपणसेलविसमप्पवायफरिहोवगूढा एगदुवारा अणेगखंडी विदितजणणिग्गमपचेसा अम्भितरपाणिया सुदुल्लभजलपेरंता सुबहुस्सवि कूवियबलस्स आगयस्स दुप्पहंसा यावि होत्या, तत्थ णं सीहगुहाए चोरपल्लीए विजए णाम चोरसेणावती परिवसति अहम्मिए जाव अधम्मे केऊ समुट्ठिए बहुणगरणिग्गयजसे सूरे दढप्पहारी साहसीए सहवेही, से णं तत्थ सीहगुहाए चोरपल्लीए पंचण्डं चोरसयाणं आहेबच्चं जाव विहरति, तते णं से विजए तकरे चोरसेणावती बट्टणं चोराण य पारदारियाण य गंठिभेयगाण य संधिच्छेयगाण य खत्त. खणगाण य रायावगारीण य अणधारगाण य बालघायगाण य वीसंभधायगाण य जयकाराण य खंडरक्खाण य अन्नेसिंच पहुणं छिन्नभिन्नबहिराहयाणं कुडंगे यावि होत्या, तते णं से विजए तकरे चोरसेणावती रायगिहस्स दाहिणपुरच्छिमं जणवयं षहहिं गामघाएहि य नगरघाएहि य गोग्गहणेहि य चंदिग्गहणेहि य पंथकुट्टणेहि य खत्तखणणेहि य उवीलेमाणे २ विद्धंसेमाणे २ णित्थाणं णिद्धणं करेमाणे विहरति, तते णं से चिलाए दासचेडे रायगिहे बहहिं अत्याभिसंकीहि य चोजाभिसंकीहि य दाराभिसंकीहि य धणि
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