Book Title: Aagam 06 GYATA DHARM KATHA Moolam evam Vrutti
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar
________________
आगम
(०६)
श्रुतस्कन्धः [२],
मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित .....
“ज्ञाताधर्मकथा”
वर्ग: [१],
मूलं [१४८ ] .आगमसूत्र - [०६ ], अंग सूत्र - [०६] "ज्ञाताधर्मकथा" मूलं एवं अभयदेवसूरि-रचित वृत्ति:
Eaton International
-
अंगसूत्र-६ (मूलं+वृत्ति:) अध्ययनं [१५],
कालिए णं भंते! देवीए सा दिवा देविड्डी ३ कहिं गया० कूडागा रसालादिहंतो, अहो णं भंते! काली देवी महिडिया, कालिए णं भंते! देवीए सा दिवा देविट्टी ३ किष्णा लढा किण्णा पत्ता किण्णा अभिसमागया ?, एवं जहा सुरिया भस्स जाव एवं खलु गोयमा । तेणं कालेणं २ इहेब जंबुद्दीये २ भारहे वासे आमलकप्पा णाम जयरी होत्था वण्णओ अंवसालवणे चेहए जियसत्तू राया, तत्थ णं Creature care काले नामं गाहावती होत्था अड्डे जाव अपरिभूए, तस्स णं कालस्स गाहावइस्स कालसिरी णामं भारिया होत्था, सुकुमाल जाव सुरूवा, तस्स णं कालगस्स गाहावतिस्स घूया कालसिरीए भारियाए अन्तया काली णामं दारिया होत्था, वड्डा वडकुमारी जुण्णा जुण्णकुमारी पडियपुरस्थणी णिनिवरा वरपरिवजियावि होत्था, तेणं कालेणं २ पासे अरहा पुरिसादाणीए आइगरे जहा
माणसामीणवरं णवहस्थुस्सेहे सोलसहिं समणसाहस्सीहिं अट्ठत्तीसाए अज्जियासाहस्सीहिं सद्धिं संपरिवुडे जाव अंबसालवणे समोसढे परिसा णि० जाव पज्जुवासति, तते णं सा काली दारिया इमीसे कहाए लट्ठा समाणी हट्ट जाव हियया जेणेव अम्मापियरो तेणेव उवा० २ करयल जाव एवं व० एवं खलु अम्मयाओ ! पासे अरहा पुरिसादाणीए आइगरे जाव विहरति, तं इच्छामि णं अम्मयाओ ! तुमेहिं अग्भणुन्नाया समाणी पासस्स अरहओ पुरिसादाणीयस्स पायवंदिया गमित्तए ?, अहासुहं देवा० ! मा परिबंध करेहि, तसे णं सा कालिया दारिया अम्मापर्हहिं अन्भणुन्नाया समाणी हट्ट जाव हियया
For Parts Only
~ 498~
war
Page Navigation
1 ... 497 498 499 500 501 502 503 504 505 506 507 508 509 510 511 512