Book Title: Mudrit Jain Swetamber Granth Namawali
Author(s): Buddhisagar
Publisher: Adhyatma Gyan Prasarak Mandal
Catalog link: https://jainqq.org/explore/008621/1

JAIN EDUCATION INTERNATIONAL FOR PRIVATE AND PERSONAL USE ONLY
Page #1 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 38 सुहिन जेवण नामावलि For Private And Personal Use Only Page #2 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir M श्रीमद् बुद्धिस्वीरसरि अंथमाला ग्रंथांक १०६ : मुद्रित जैन श्वेताबरादिग्रंथ । नामावलि (गाईड). 000000000 byc exerc प्रेरक. WC .. YO सद्गत् शास्त्रविशारद जैनाचार्य योगनिष्ट श्रीमद् बुद्धिसागर सूरीश्वरजी. ARAHTERSITERMEETTENARINEERINEERIST CREURSUWBRRORSISVEEBRRRRRBOREBBQI ARINA उपावी प्रकट करनार श्री अध्यात्मज्ञान प्रसारक मंडल हा. वकील मोहनलाल हीमचंद-पादरा. KCOX संवत १९८२ प्रथमावृत्ति, प्रत १००० सने १९२६ मूल्य १-८-० For Private And Personal Use Only Page #3 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - अमदावादःश्री "प्रजाहितार्थ मुद्रालय" मां पटेल सोमाभाइ दलपतरामे छाप्यु. ठे० शाहपुर नषी पोळ-अमदावाद. For Private And Personal Use Only Page #4 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir निवेदन. श्रीमद् बुद्धिसागरमरि संथमाली ग्रंक १०६ तरीके श्री जैन श्वेतांबरादि मुद्रित ग्रंय नामापील गोहड ) यांचकोना करफमळमां सादर करतां हर्ष थाय छे. . सं. १९८० ना चैत्र मासमां सूरत खाते भरायेली श्री जैन साहित्य परिषद्ना ठरावो पर आचार्य महाराज श्रीमद् बुद्धिसागरजी महाराज समक्ष पेयापुर मुकामे चर्चा चालतां परिषद्ना बीजा ठरावना समर्थनमा विश्वमा छपायेला जैन ग्रंयोनी पद्धतीसरनी एक नामावलि तैयार कराववानी सूचना श्री अध्यात्म ज्ञानप्रसारक मंडळना कार्यवाहकोने करतां गुरुश्रीनो आदेश मंडळे शिरोधार्य कयों. आ कार्य माटे विद्वानोने रोकी मोटा मोटा शहेरोना भंडारोनां पुस्तकोनी यादीओ लेवा भंडारो तपासाववा जरुरी जणायु. मा माटे पैसानी अने सारा विद्वाननी जरुरीआत हती. पण मंडळे ते कार्य उपाडयु अने इंडर वासी वकील वर्धमान स्वरुपचंद जेओ बा कार्य माटे योग्य जणाया तेमने सारा पगारे रोक्या अने महाराजश्रीनी सूचना प्रमाणे वडोदरा अमदावाद सूरत विगेरे सारा सारा मोटा भंडारी त्यां जाते जइ तपासी मळी आव्यां तेटलां पुस्तकोर्नु लीस्ट तैयार करवामां आव्यु. आ कार्य एटलुं विशाळ छे, भारतवर्ष अने बहार एटला बघा भंडारो छ के जुदी जुदी संस्थाओए आ कार्यो उपाडी, अनेक विद्वानो रोकी लक्षावधी रुपीआनो खर्च करी आवी अनेक नामावलीयो तैयार करवी आवस्यक छे. जेसलमेर. काठीयावाड मारवार मेवाड जोधपूर उदेपूर कच्छ महाराष्ट्र ने गुजरातमां अनेक भंडारो अमूल्य पूस्तकोना भर्या पडया छे. केटला बघा प्रयासो करवा जरुरी छ ते अमने आ कार्य उपाडया पछी प्रतित ययुं छे. For Private And Personal Use Only Page #5 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir आ उतार मंडळे "शुभे यथाशक्ति यतनीयं " ए न्याये आ सत्कार्य उपायुं ने गुरुदेवनी हमेशां महतीं सूचनाओ प्रमाणे आ नामावलि तैयार करवामां आवी अने गुरुश्रीने बतावी प्रेसमां आपी. प्रेसमा काम घणीज ढीलमां पड्युं, नर्हि तो भा ग्रंथ गुरुश्रीनी हयातीमांज प्रकट थह शक्ते. पण तेमां पुस्तकोनी यादीओतो मळतीज गइ अने काम बघतुं गयुं. आ नामावलिमां प्रथम गुरुश्रीना फर्मान प्रमाणे एवं ठराववामां आव्युं हतुं के दरेक ग्रंथ अकारथी गोठवी ते ग्रंथ क्यां रचायो कोणे रच्यो कर सालमां रच्यो तेमां वस्तु शी छे तथा तेना पर भावार्थअनुभवार्थ - टीका अवचुरि टबो विगेरे कोणे कोणे क्यारे क्यारे क्यां क्यों भर्या. आम प्रत्येक ग्रंथ पर टुक विवेचन आप शुरुआत आम करी छतां पाछळथी कोण जाणे कया संजोगो बच्चे फेरफार थयो अने हालां प्रसिद्ध थया प्रमाणे ग्रंथ गोठवायो. आमां छेवटे प्रख्यात फ्रेंच तत्वज्ञ विद्वान डॉ गॅरिनोए सन १८९५ सुधीना जैन ग्रंथोनी नामावलि तथा १९०५ सुधीना शिला लेखो साथै अकारादि पद्धतिथी लेवामां आवी छे. शरुआतमां ग्रंथोपलब्धस्थाननी सूचि आपवामां आवी हे. मां क्या क्यां पुस्तको मळे छे ते आपवामां आव्युं छे. तत्पश्चात् ग्रंथोपलब्ध गाम स्थळ संख्या अकारादिथी आपी छे. ते पछी पुस्तक प्रसारक संस्थाओ, जैन ग्रंथ वेचनार बुकसेलरो तथा अन्य संस्थाओ, तेमज मंडळो, सभाओ, समाजो, सोसाइटीओ, कोन्फरन्स, ज्ञान पुस्तक भंडारो; इत्यादिनी नामावलि आपवामां आवी छे. आ तमाम जोवा सारु अंक अने अक्षरोने माटे संकेतसूचिनां चिन्हो आप्यां छे जेथी पुस्तकोनी नामावलि जोवामां सरळता थाय. For Private And Personal Use Only Page #6 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - आ पंचकुर (Ixxx ) पृष्टमा समायों में अहीथी हवे मुद्रित जैन श्वेतांबानिय नामावलि (गाइड) वि. शेष परिचयादिसह अकारादियों द्वारा आवेल छे. अने पृष्ट १ थी मंबर नांखवामां आव्या छे. दरेक पुस्तकने छेडे तेना कर्ता:कयो भंडार, क्यांनो ते जोवा संख्यांक नाखवामां आव्या छे. आमां पुस्तको, शिलालेखो, सूचिओ, नकशा, विगेरेनो पण समावेश थाय छे. तया दरेक पुस्तकनी किंमत पण उपलब्ध थइ होय ते आपवामां आवी छे. केटलांक पृष्टो छपाइ जबा वाद उपलब्ध थयेलां पुस्तको माटे वच्चेज पुरवणी पण करवामां आवी छे. २६५ पृष्ट आ नामावलिमां रोक्यां छे. ते पछी २६७ पृष्टथी प्रख्यात फ्रेंच डॉ. गेरिनोवाळी सूचि आवे छे. तेमां कर्तावार ग्रंथ तया शिला लेखोर्नु लीष्ट आप्युं छे. ___हमो सारी पेठे समजीए छीए के आ नामावलि अपूर्ण छे. भारतवर्ष तथा बीजा देशोमांना अनेक ग्रंथो हजी लेवाना बाकी छे. तेमज आ पद्धतीमां तेमज बीजी बावतोमां खामीओने अवकाश रहेज छताये गुरुश्रीनी आ बाबतमां थयेली प्रेरणा बतावी आपे छे के तेओ बोलीनेज बेसी रहेनार न हता. भावना भाववी स्हेल छे पण तेनो अमल दुष्करछे पण गुरुश्रीएतो पोताना मंतव्य प्रमाणे आकार्य उपर रही सूचनाओ आपी आपी तैयार करावराव्यो. बचनाडंबर नहिं पण कर्तव्यशिलता ए सत्य सद्गुण छे एम गुरुश्री हमेशां कहेता ते सत्य करी बताव्यु. आ ग्रंथ प्रकट थइ जवा माटे गुरुश्रीनी अपूर्व लागणी हती ने अंतीप समय सुधी हमेशां ते माटे पुछपरछ कर्या करता पण प्रेसनी दीलने लीधे तेना पाकव्यमां ढील थइ For Private And Personal Use Only Page #7 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ने गुरुश्रीना जवा पछी ते प्रकट थइ शक्यो छे. छतां श्रीमद्नो आभार मंडळ कदीये विसरी शके तेम नथीज. ग्रंथ प्रकाशन, गरीबोने मदद, ज्ञाननुं बहूमान, अभ्यास जेथी समाजना अंग बळ तथा आत्मबळ वधे ते माटे गुरुश्री हमेशां सतत् काळजीपूर्वक सर्वने उपदेश देता रह्या हता. ने तेनेज परिणामे आ ग्रंथ प्रकाशने पामे छे. आ समये अमो मंडळ तरफथी आ कार्य माटे परिश्रम उठावनार वकील वर्धमान स्वरुपचंदनो तथा तेमने वारंवार उपयुक्त मा. हीती आफ्नार साहित्य प्रेमी भाइ वकील केशवलाल प्रेमचंद मोदी. नो आभार मुक्तकंठे मानीए छीए. आ ग्रंथ तैयार करवामां भंडारोमांथी ग्रंथोनी यादीमो लाववी अकारादिमां तैयार करवी, ग्रंथो जोवा लीस्टो ते परथी तैयार करवां, तेने गोठवां, तेनां छपातां मुफस तपासवां विगेरे तमाम कार्यों वकील वर्धमान स्वरुषचंदने स्वतंत्र रीते सोपेला होवाथी तेमां जे जे छे ते तेमने आभारीछे. जोके अमारी धारणा प्रमाणे आ गंथ तैयार थयो नथी. ग्रंथमा आवता आचार्यों साधुओ मुनिवर्योना नामनी आग ळ श्री के श्रीमद् अने पाछळ जी शद्धनो उपयोग करवानुं पण तेमनाथी रही गयुं छे आ माटे सज्जनो दरगुजर करशे. आ ग्रंथ जेवा अनेक उपयुक्त ग्रंथो घणा प्रकाशने पामे ए अमारी सदोदित वांच्छा छे ने गुरुश्रीनी तेवी महदेच्छा हती. ते शाशनदेव सफळ करो एज इच्छा साथे विरपीए छीए. पादरा श्री अ० ज्ञा० प्र० पंडळ फागण सुद १५ । J वकील मोहनलाल हीमचंद, For Private And Personal Use Only Page #8 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir वक्तव्य. ज्ञानयात्रा संघप्रयोजन अने प्रबंध. तीर्थयात्रा संघ पाछळ द्रव्यव्यय करनार करावनार संघपतिओनी जेम ज्ञानयात्रा संघर्नु प्रयोजन पण आवश्यक जणायाथी संवत १९७० ना फागण सुद ६-७-८ मार्च सने १९१४ना दिव. सोमां जोधपुर मुकामे "जैन साहित्य संमेलन" श्री विजयधर्म सूरिजीना नेतृत्व नीचे थयु हतुं. अने ते वखते जैन जैनेतर विद्वा. नोना निबंधोनुं वांचन थवा उपरांत कमीटीओ नीमी-ठरावो करी संमेलन पूर्ण कर्यु हतुं (जुओ जैन साहित्य संमेलन कार्य विवरण भा. १-२ ) पण पाछळथी कमीटीओ मळी शकी नही ने सूरिजीए कार्यविवरण प्रसिद्ध कर्यु अने बीजा अधिवेशन माटे सूरिजीए घणा प्रयासो सेव्या छतां तेओ ते जोइ शक्या नहिं. सने १९२४ ना मे मासनी २२-२३-२४-२५ ना दिवसोमां सूरत मुकामे श्री जैन साहित्य परिषद् भराइ. तेमां जैन जैनेतर विद्वानोना निबंधोनुं वांचन थइ ठरावो विगेरे थयां अने तेनी ओ. फीस मुंबाइ मुकामे रखाइ तेना ऑन. सेक्रेटेरीओ तरीके जवेरी जीवणचंद साकरचंद साथे रा. मणिलाल मोहनलाल पादराकर अने रा. मोहनलाल भगवानदास जवेरी सोलीसीटर निमाया. (परिषद् विवरण माटे जुओ महिला भूषण पु. ५ अंक १-२ सं. १९८० जेष्ट अषाडनो सुरत जैन साहित्य परिषद् अंक ) आ परिषद् परत्वे पेथापुर मुकामे योगनिष्ठ साहित्याचार्य श्रीमद् बुद्धिसागरजी सूरीश्वरजी समक्ष चर्चा चालतां परिषद्ना श्रीजा ठरावना त्रीजा ठरावने वधु समर्थन योग जाणी श्रीमद् गुरुए ज्ञानयात्रा संघप्रयोजनने सार्थक करवा माटे लागणीपूर्वक प्रबंध For Private And Personal Use Only Page #9 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir करतां तेने श्रीअध्यात्मज्ञानप्रसारक मंडळना आगेवान श्रीमान् मोहन. लालभाइ हिंमचंदभाइए शिरोधार्य करतां मंडळना भाइओनी अनु. मतीपूर्वक मंडळ तरफथी एक यात्रीने सबळ साधन आपीने अनेक स्थळेथी प्राचीन इतिहास, साहित्य, कला, धर्म, तत्त्वज्ञान विगैरेनी शोधखोळ करी परिणाम प्रसिद्ध करवाना करेल निश्चय प्रमाणे आ एक न्हानी सरखी ज्ञानयात्रानी तवारीख छः बधु मळीने १०१ दीवसर्नु आ मंथन छे तेमां मात्र ३० दीवसनी यात्रापां थयेलां जुदा श्रुत मंदिरोनी यात्रा वर्णन तथा बाकीनो वखत पोष्ठद्वारा ज्ञानयात्रानी तीर्थस्थानोनी विगतो एकठी करवा विगेरे समारंभ खाते रोकायेल छे. तोपण आ साहित्ययात्रामां मळेली इबारतो-जेवीके-अजब यात्रा, भ्रमयात्रा इत्यादि सविस्तर वर्णन आपवामां आवेल छे. ... . अल्प समय, अल्प द्रव्य सहायना कारणथी आ यात्रा अघव. चथी बंध पडी छे, तोपण आवी यात्रा माटे एक नहि पण अनेक व्यक्तिओनो संघ काढी-ज्ञानयात्रानां न्हानां मोटां सघळा तीर्थोनी पवित्र भूमिमां उपराउपरी संघो मोकली-अनेक व्यक्तिओने दर्शन कराववा जोइए. अने तवारीखो बहार लाववी जोइए. ___ आ ग्रंथ प्रकट करवाना विचारो प्रकट करतांन एक प्रश्नावळी तैयार करी छपावी साधु मुनिराजो आचार्यों तथा विद्वान जैनजैनेतरो तरफ रवाना करी तेमनी जाणमां, कबजामां, के ध्यानमा होय ते बधां पुस्तकोनी नोंधो मांगी हती पण केटलाक-मुनि महाराजाओ तरफथी फॉर्म अधुरां भराइने आव्यां हतां आवेलां फॉर्ममां लखाइ आवेला ग्रंथो अमे नजरोनजर जोया नथी-पण तेमां आवेली हकीकत प्रमाणे दाखल कर्या छे-एक बीजा ग्रंथोनी साथे मुकाबला माटे उपयोगी प्रथो जणाया ते जैनेतर छतां-अथवा स्वेताम्बरोना समुदायनी साथे तेने पण अनुक्रममां गोठव्या छे. For Private And Personal Use Only Page #10 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नाम वगरनां अने अपूर्ण विगतनां फॉर्म पण आव्यां छे के ते फॉर्म कोना तरफयी आव्यु छे ते पण समजवामां आव्यां नथी. केटलाकोए लीष्टो मोकली आपवाना जबाबो आपेला छसां पण अने तेमने बबे, त्रण त्रण अने केटलाकोने चोथी बखत लख्या छतां जवाबज आप्या नथी. बुकसेलरोनां लीष्टो परथी पण नोंघ लेवामां आवी छे. फॉर्मस आप्या छतां अने वारंवार विनति कर्या छतां-पण आणे आ कामने इसी काढता ना होय एम करी दरकार पण करी नथी. छतां मल्युं तेटला पर तथा मेळव्यु तेटला परथी ग्रंथ तैयार करवामां आव्यो छे. केटलीक विगतो आपवामां आवी के तेथी वधु स्पष्टीकरण थशे: दिगंबर समुदाय जुदो पाडवामां आव्यो छे ते अनुकुळताए छपाशे पण हालना लीष्ट साथे केटलाक जरुरी ग्रंथोने मेगाज दा. खल कर्या छे.. जैन पंडितोए लखेला-अन्य योनी पण नोंध लेवामां आवी छे. एकनो एक ग्रंथ अनेक स्थळेयी उपलब्ध थतो होय छे तेनां जुदां जुदां ठेकाणां पण बताव्यां छे. छपावनार पासे ग्रंथ सीलकमां ना होय तो पण जोनारने जोवा मली शके. ते हेतुसर तेची खानगी लायब्रेरीओनां स्थळ पण बताव्यां छे. केटलाक बुकसेलरो तथा तेमनी खानगी लायब्रेरीओ के. तेमा उपलब्धस्थान भेगां जणाव्यां. ... तपासेली लायब्रेरीओ. (१) के. प्रे मोदी पूर्ण. (२) पं. मेष विजयनो भंडार. अपूर्ण-(३) सूरत, अपूर्ण जैनानंद पुस्तकालय पूर्ण For Private And Personal Use Only Page #11 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org 10 (४) तथा समितिनी मोहनलालजी महाराजनो ज्ञानभंडार. सुरत. (५) शेठ देवचंदलाल भाइनी लायब्रेरी अपूर्ण. (६) ज्ञानमंदिर वडोदरा मपूर्ण (७) वडोदरा सेन्टरल लायब्रेरी संस्कृत विभाग अपूर्ण (८) शेठ वर्धमान सरुपचंद लायब्रेरी अपूर्ण. Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir केटलाक पंथोमां तो तेना छपावनारनुं नाम, कइ प्रेसमां छपायो, कया शहेरमां छपायो, क्यांथी उपलब्ध यह शकशे - तेमांनुं कंइ पण अणावेलुं नहि होवाथी, तेने जेमना तेम रहेवा देवा पडया हे, तोपण तेवा ग्रंथो व्यांग्यांथी जडया तेनुं स्थान पण केटलेक ठेकाणे बनाव्यां छे. केटलीक संस्थाओ एक बीजा साथे जोडाइ गइ छे, attacदारो भने नामो बदलाइ गया छे, तेना स्पष्ट खुलासा छपाया नथी खूणे खोचरे पडेला ओनुं नाम के निशान जडतुं नथी तेथी तेवा ग्रंथो ज्यां ज्यां जणाया ते स्थाननो परिचय कराव्यो छे.. ས། रीवाज प्रमाणे वे पांच रुपैपानी लागतनुं पुस्तक होय तोपण तेनी कींमत नामनी मात्र एक आनो अथवा मेट अमूल्य वांचन, मनन, शान वृद्धि अथवा ते संबंधां कई इसारो पण नथी जणायो एटले वगर कीमतना ओछी कीमतनां, अथवा, भेट तरीके व्हेची दीघेलां न्हानां अने नकामां पुस्तको इशे एम समजवामां कोइए भूल करबी नहि. कारण के अढीसो पृष्टना ग्रंथनी कींमत एक आनो अने तेथी वधारे कदना ग्रंथ विना मूल्य. न्हाना कदनां पुस्तकोमांथी केटलांकनां घणांज महत्तावाळा ज्ञान कीरणोनो रोशनीरुप छे. For Private And Personal Use Only एकाद सूत्र उपर म्होटा म्होटा ग्रंथो लखाया छे ते विबुद्धजनोने उपयोगी होवा छतां साधारण समुदायने विस्तारथी बोधवा माटे तेना ते सूत्रने अवलंबीने अनेक सेंकडो ग्रंथो लखायेला नजरे आये है; तोपण ते मूळ सूत्रना कीरणनी रोशनी पटको मोटो प्रकाश Page #12 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 11 पाडे छे. के ते विस्तार थइ शके तेटलो करीने लखी नाखवा मागेतो सेंकडो, हजारो के लाखोनी गणत्रीथी नहीं पण करोडोनी गणत्री उपरांत थवा जाय छे आटलो विस्तार होवा छतां पण तेवां सत्रो अर्थ साथे रुबरुमा स्हेजे शिखवी शकाय तेवा छे. साधारण संस्कृत जाणनार पात्रने आ जैन शैलीनो जाणीतो विद्वान सहेजे समजावी शके छे.. दाखला तरीके:-एकेक श्लोकना सो सो अर्थ जणावनारां छपायेला तथा छपाया विनानां पुस्तको, एकज लेखमांयी सात महा पुरुषोनी जीवमी निष्पन्न थनारां पुस्तको एक सूत्रना करायेला ८००००० आठ लाख अर्थ, लेख एकने बे महापुरुषोनी जीवनी वर्णन करतां पुस्तको, सूत्र एक अने तेना अर्थावबोवनी च्याति जुओतो अढार हजार, अढार लाख उपरांत, तेर करोड उपरांत तेमज खास जुदाज विषयना बोधनारा. अन्य विद्वानोना, तेमज अन्य मतवाळाओना बनावेला, माघ, नैषधिय, मेघद्तादि काल्योने पादपूर्तिमा गोठवी धर्म बोधनां, अने समर्थ महात्माओनी जीवनीओ लखाय-तेनी पण योडीक थोडी नोंध लीधी छे. वेटलेयीन समजवामां आवशे. श्राविकाओना लखेला ग्रंथो साध्वीओना लखेला गंयो जैनेतरोना लखेला गंथो अंग्रेज विद्वानोना लखेला ग्रंथो - प्रमाद अने अज्ञानने लीधे अपूर्ण नोंध लेवइ गइ एम पाछळयी जणाया छतां फरी-तेने पुरु करवानी जोगवाइनी गेरहाजरीने की तेवु अपूर्ण रहेवा दीधुं छे. केटलाफ ग्रंयकर्ताओ अने संस्थाओनो पत्तो पण मल्यो नयी वेमने मली आवेले ठेकाणे लखी पूछतां कागळो डेडलेटर ऑफीस. For Private And Personal Use Only Page #13 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 10 माथी पाछा आव्या छे तोपण अनुभवीओए बतावेले ठेकाणे लखी पुछतां पण जवाबो मळ्या नथी माटे जे जे लायब्रेरीओमां जणाया के ते ते स्थान पण उपलब्ध स्थानोनो परिचय कराव्यो छे. केटलाक पुस्तकोमा एम जणायुं छे के तेनी कीमतनी जगाए मेट एम लख्या छतां तेना तेज पुस्तक उपर अमुक कीमत पण लखेल जणाइ छ अमुक पुस्तफ कोने कोणे. छपाव्यु, कोणे प्रसिद्ध कर्यु, कोणे संग्रह कयु, कोणे भाषान्तर कयु, कोणे शोध्यु, अगर कोणे बनाव्यु तेनी पण मली आवी तेटली नोंध लेवामां आवी छे. मोटा शहेरमा रहेनारनुं मात्र नामज पुस्तकना डीबाचा उपर आपी शहेरनुं नाम लखेलुं होय पण तेनुं ठेका' जणावनारु पोळ पजार के लतो जणावेलो नथी आq नाम मात्र जडवाथी तपास कर्या छतां पण नकामो प्रयत्न निवडे ते पण ठीक नहिं ए एटला माटे ज्यां ग्रंथ जडयो ते ठेकाणानी नोंघ लीधी छे. . ___ मात्र आगळ जणावेलो पुस्तक प्रसिद्ध करनारी संस्थाओ तया बुकसेलरोनी टीपज चोकस ठेकाणाना माटे उपयोगी साधन छे. ग्रंथ वेचनार नहिं छतां धारण करनाराओनी टीप पण जुदी मापी छे. लायब्रेरीओ छे तेमां रहेलां पुस्तकोनो लाभ लेवाने अनुकुळ पडे तेनी खातर ते नंबरो वारंवार उपलब्धस्थानमां बतान्या छे. पुस्तक वेचनारनां नामो पण आप्यां छे-केटलीक संस्थाओना प्रसिद्ध करेला मंथोमां गंन्यांक नंबर १२ मो. मणको नं. २१, पुष्य नंबर ४६; अने सगे नंबर, विभाग ८, भाग १६ अने गुच्छक विगेरे संज्ञाओ दीवाचा उपर जणाय छे. पण ते ते संस्थाओना For Private And Personal Use Only Page #14 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 18 बहार पाडेला बीजा केटला अने कया कया ग्रंथो छे ते जोवाने अपने मल्या नथी तेम तेनी याद के कीष्ट पण मल्यां नथी. मुख्य छापेai फॉर्म मोकल्या पछी उघराणी पत्रो लखेला पण नकामा थया छे. ग्रंथ प्रकाश करनारी संस्थाओना वहीवटदारोए पोताना खांनगी सरनामां पण जुदां जणावेलां होवाथी तेनी नोंध साथे साथे लेवामां आवी छे. एकनुं एक नाम अने कीमतना रासो पण जुदा जुदा पंडितोना बनावेला के अने विगतो जुदी जुदी छे. स्वेताम्बरोना घणा ग्रंथोना उपरथी दोहन अने टीकारूप दिगंबर पंडितोए टीकाओ लखी छे तेमां थयेली गेर समजावटो जोबाजोग है. जोवा नही पळेलां पुस्तकोनां नाम कीमत के वर्णनमां तफात जणाया प्रयाणे जुदी नोंध लीधी छे. तेथी दुबार दोष दृष्टिए आवशेज पण बखते एकना एकज पुस्तकने सुधारा वधारा साथे बीजाए छपाव्यं होय तेने छोडी देवाय तो ते एक खरेखर त्रुटी गणाय तेथी तेवा दुबार दोषने अमे लक्षमां कीधो नथी. विशेष हकीकत. असल फरमान शेठ आणंदजी कल्याणजी ठे. शवेरीवाढ अमदावादनी पेढीमां छे. बीजा छ मळी सात खास जोवालायक अने एक सारो ग्रंथ भंडार छे. For Private And Personal Use Only Page #15 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १ वीरचंद राघवजी गांधी कृत अंग्रेजी कर्म फोलोसोफी दे. ला. फंड छपाइ छ कीमत ०-५-० २ चंद्रसेन जैन वैद्य इटावा (दि) वि. भाग १-२-३-४-५ जैन फीलॉसॉफी ऊ. स्था. ५० उपलब्ध स्थान नं. १५३ नां बां पुस्तकोनी नोष लीधी नयी नवमो नंबर जणायो छे. मुलाचार -दि. माणेकचंद नं. १९ तेनी सुखलालकृत पंचपतिक्रमणमा नोंघ छे. उपमिति भावप्रपंच कथापीठ बंधन भाषान्तर नथुराम प्रेमीए कर्य छे. धनपाळ पंचाशिकाना कर्ता. धनपाळ पंडित भोजराजाना मान्यवर पंडितो पैकिना एक हता. आ धनपाळनां बखाण हेमचंद्राचार्य पण कर्या के. जुओ अष्टापदकल्प, गिरनार गिरिश्वरकल्प, श्री. समेदशिखरकल्प (कविधनपाल ). गृहस्थ स्त्रीओए लखेला ग्रंथो. जैनेतर हिंदुओए लखेला ग्रंथो. दिगंबरोए-प्रसिद्ध करेला गंथो. साधवीओए लखेला ग्रंथो.. पारसी ग्रहस्थोए कखेला गंथो For Private And Personal Use Only Page #16 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पु एक एक पुस्तक एकनो एक अनुवादक होवा छतां प्रकाशको जुदा, नाम जुदा कीमत जुदी आवी विचीत्रता पण जणाइ छे. पण तेम थवां ना खास कारणो मली आव्याना अभावे ते वातने विशेष तारवी नथी. मूळ ग्रंथनुं नाम बीजु होय - पण प्रसिद्ध करनाराओए तेनां नांमो बदलीने रुपांतर करी नाख्यां छे तेथी-केटलाक प्राचीन ग्रंथोने जेनी तेज स्थितिमां प्रकाशमां आणवामां आव्या छे के-जेओ नाममा रुपान्तर - तेम कृतिमां पण रूपान्तर छे. ते मेळववाना वखतना अभावे - कंइ पण करी शकायुं नथी तो पण केटलाक पंडितोर पोताने ना समजायुं तेथी. अगर बीजा कारणथी- तेओ तेटला भागने रुपान्तर करवामां अथवा उढावी देवाने चुक्या नथी. संग्रह ग्रंथोमां आवेला ग्रंथो. - सं. १२३१ - उदयसिंह राजा परलोकवासी थयो ते बखते आ ग्रंथकार (श्री जिनदत्तसूरि) हयात हता. (जुओ विवेक विलास श्री जिनदत्तसूरिकृत. भाषान्तर कर्ता पंडित दामोदर गोविंदाचार्य. For Private And Personal Use Only Page #17 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मेघदूतना-टीकाकारोनी नोंध. (१) वलभदेव-(२) मल्लिनाथ. (३) महिमसिंहगणि (४) सुमतिविजय (५) लक्ष्मीविलास (६) मेघराज (७) भरत (८) सनातन (९) रामनाय (१०) हरगोविंद (११) कल्याण (१२) सारोद्वारिणी (१३) मेघलना (१४) दक्षिणावर्त (१५) नाथ (१४) (१६) सरस्वती तीर्थ (१७) पूर्ण सरस्वती (१८) बीजी अवचूरीमो (१९) इश्वरचंद्र विद्या सागर. आ मेघदूतनी पादमूर्तिओसिद्धदूत काव्य-कर्ता-अवधूतरांमयोगि जुओ. (ग्रंथोप लब्ध. स्थान. नंबर.-३७२ मेघविजयनो विज्ञप्ति रुपपत्र और बादयी लखेलो ज्योतिषसार-हिन्दी दु. ०-१२-० प्राचीन ग्रन्थकी अनुवादक पं. क्रि भगवानदास मेघमहोदय वर्षे प्रबोध (सेठिया) ज्योतिषसार संग्रह (१६-१-) आ प्रमाणे मळी आवेला साहित्य साधन द्वारा तैयार करेली आ नामावली ज्ञानपिपासु सजन विद्वद् वर्गने उपयोगी थशे. एम आशा राखी विरमु कुं. वकील वर्धमान स्वरुपचंद. (इहर-महिकांठा). For Private And Personal Use Only Page #18 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अनुक्रमणिका. १ निवेदन 3१६ फंड lxiv २ वक्तव्य 7 १७ विद्यामंदिरो ३ अनुक्रमणिका 17 १८ स्त्री ग्रंथकारो १ संकेतसूचि १९ जैन पंडितो ५ केटलांक जाणवाजोग २० जैन साहित्यनी शोध कुलवृक्ष । खोळ करी रहेला आचा६ ग्रंथोपलब्धस्थान । यों अने मुनि गण 1xvi ७ ग्रंयोपलब्ध ग्रामस्थळ २१ ईडरना इतिहासनां संख्या अकारादि xxxviil साधनो lxvii ७ माखी सीरीजो जोवा. २२ आणंद विमलसरि lxviii हायक ग्रंथमालाओ xivi २३ विजयदेवसरि lxx ८ पुस्तक प्रसारक २४ हीरविजयसूरिना वखते संस्थाओ 1 विद्यमान १८ शाखा. ९ जैन ग्रंथ वेचनार तथा Ixxiv बुकसेलरो तथा चीज़ी संस्थाओ २५ विदेशस्थ विद्वान वर्ग १० मंडळो li परिचय १८ शाखाओ, ११ सभाओ ममाजो २६ अजबयात्रा इत्यादि सोसाइटीओ । १८ शाखाओ १२ कान्फरन्सो २७ मूद्रित जैन श्वेताम्बरादि १३ ज्ञानपुस्तक भंडारो lv ग्रंथ नामावली १ यी २६५ १४ अठवाडीक तथा २८ डॉ गेरीनो कृत लीष्टमासीक विगेरे lxii अंग्रजीमां कर्त्तावार क्रम १५ दिगंबर अठवाडीका. साथे तथा शिलालेखो दि पत्र परिचय 1xiii विगेरे २५७ को For Private And Personal Use Only Page #19 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 18 संकेत सूचि. अलभ्य. पं० पंन्यास पंडित. * अकारादि ग्रन्थ पा० पान. अलभ्य-ग्रंथ छपावनारनी पासे पु० बसो वर्ष पूर्वेनो पुरातन शीलक नयी. प्र० प्रकाशक (१) अंक संख्या (ग्रन्थानुक्रम पा० प्राकृत. (उपलब्ध स्थानानुक्रम पृ० पृष्ठ. ) ज्ञानभंडारस्थानानुक्रमादि अ० क. अर्थकर्ता. भा० क० भाषान्तर कर्चा अनु० अनुवादक भा० भाषान्तर. ई. इसुनोसन. मू० मूळ. अं.. अंग्रेजी. र० सं० ग्रन्थ रचन संवत. क० कर्ता वि० विवेचन करनार गु० गुजराती. वि० विशेष हकीकत माटे परि१० शंकासुचकस्थान. शिष्ट जुओ. दि० दिगम्बर सं०) संस्कृत. दे० देवनागरी लिपि विक्रम संवब दे० देवचंद लालभाइनी शंशोधक लापब्रेरी सं० क० संग्रह कर्ता नं० नंबर. हिं० हिन्दी. For Private And Personal Use Only Page #20 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org 19 जाणवाजोग कुलवृक्ष. उपदेश सप्ततिका ( नव्या ) श्री क्षेमराज मुनि विरचिता स्वोपज्ञ टीका सहित कर्त्तानुं कुलवृक्ष. खरतरगच्छ — जिनकुशळ - विजयतिलक I विजयप्रभ क्षेमकीर्ति T क्षेमहंस ' क्षेमध्वज क्षेमराज I Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पान्डव चरित्रे महाकाव्यना कर्त्ता पंडित शुभ वर्धननुं कुळवृक्ष सोळसुंदर साधुविजयगणि 1 शुभवर्धन गणि For Private And Personal Use Only Page #21 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org केशरविजय 20 हरिवल माछीनो रास-कर्त्ता मुनि लब्धि विजयजी तेमनुं कुलवृक्ष. हीररि धर्मविजय धनहर्ष ' कुशळविजय लखमिविजय अमरविजय छब्धिविजय (सं. १८१० ना महा सुद २ भृगुबारे ग्रंथ लख्यो छे ) ( ६३ ) Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कुमार बिहार शतक - सुधा भूषण गणि विरचित अवचूर्णी (५०) सोमसुंदर विशाळराजपंडित विवेकसागर ' धाभूषणगणि. For Private And Personal Use Only Page #22 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra * श्री अध्यात्मज्ञानप्रसारक मंडळ तरफथी श्रीमद् बुद्धिसागरसूरिजी ग्रन्थमाळामां प्रगट थयेला ग्रन्थो. www.kobatirth.org ग्रंथांक. १ अध्यात्म व्याख्यानमाळा. २ भजनसंग्रह भाग २ जो. ३ भजनसंग्रह भाग ३ जो. ४ समाधिशतकम्. ५ अनुभवपच्चिशी. ६ आत्मप्रदीप. ७ भजनसंग्रह भाग ४ थो. ८ परमात्मदर्शन. ९ परमात्मज्योति * १० तत्वबिंदु. * ११ गुणानुराग ( आवृत्ति बीजी ) * १२-१३ भजनसंग्रह भाग ५ मो तथा ज्ञानदीपिका. * १४ तीर्थयात्रानुं विमान (आ० बीजी) * १५ अध्यात्मभजनसंग्रह * १६ गुरुबोध. आ० २ * १७ तत्वज्ञानदीपिका * २२ वचनामृत. २३ योगदीपक. पृष्ट २०६ ३३६ २२५ ६१२ २४ जैन ऐतिहासिक रासमाळा. Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २४८ ३१५ ३०४ ४०० ५०० २३० २४ १०० ६४ १९० * १८ गहूंलीसंग्रह भा. १ ११२ * १९-२० श्रावकधर्मस्वरूप भाग १ - २ ४०-४० * २१ भजनपदसंग्रह भाग ६ हो. २९० १२४ २०८ ८३० ३०८ ३०८ For Private And Personal Use Only किंमत. 0-810 ०-८-० ०-८-० <10 ०-८-० ४-१२-० ०-१२०० 0-8-0 ०-१-० 013-0 ०-२-० ०-६-० ०-८-० ०-६-० ०-३-० ०-१-० ०-१२-० ०.१४.० ०.१४-० ?-0-8 Page #23 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ० ० ० २-०-० ०-३-० ०-८-० ०-२-० ०-६-० ०-४-० ०-४-० ०-४-० ०-६-० ०-५-० ० ० ० * २५ आनन्दघनपद (१०८) संग्रह, ८०८ * २६ अध्यात्मशान्ति (आवृति बीजी) १३२ २७ काव्यसंग्रह भाग ७ मो. १६६ * २८ जैनधर्मनी प्राचीन अने अर्वाचीन स्थिति ९६ * २९ कुमारपाल (हिंदी) २८७ * ३० थी ३४ सुखसागर गुरुगीता. ३०० * ३५ षड्द्रव्यविचार. २४० *:३६ विजापुरवृत्तांत. x ३७ साबरमती गुणशिक्षण काव्य. १९२ ३८ प्रतिज्ञापालन. * ३९-४०-४१ जैनगच्छमतप्रबंध, संघप्रगति, जैनगीता. ३०४ ४२ जैनधातुप्रतिमा लेखसंग्रह भा. १ * ४३ मित्रमैत्री. १७० * ४४ शिष्योपनिषद् ४५ जैनोपनिषद् ४६-४७ धार्मिक गद्यसंग्रह तथा पत्र सदुपदेश भाग १ लो. ९७६ ४८ भजनसंग्रह भा. ८ ९७६ * ४९ श्रीमद् देवचंद्र भा. १ १०२८ * ५० कर्मयोग.. १०१२ * ५१ आत्मतत्त्वदर्शन. :५२ भारतसहकारशिक्षण काव्य. १६८ * ५३ श्रीमद् देवचंद्र भा. २ १२०० ५४ गहुँली संग्रह भा. २ १३० * ५५ कर्मप्रकृतिटीकाभाषांतर. ८०० ५६ गुरुगीत गुंहळीसंग्रह. १९० ५७.५८ आगमसार अने अध्यात्मगीता. ४७० * ५९ देववंदन स्तुति स्तवन संग्रह. १७६ १-०-० १-०-० ०-८-० ०-२-० ०-२-० ३-०-० ३-०-० २-०-० ३-०-० ०.१०.० ३-८-० ०-४-० ३-०-० ०-१२-० ०-६-० For Private And Personal Use Only Page #24 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ६० पूजासंग्रह भा. १ लो. ६१ भजनपदसंग्रह भा० ९ ६२ भजनपदसंग्रह भा. १० ६३ पत्र सदुपदेश भा. २ ६४ धातुप्रतिमालेख संग्रह भाग २ ६५ जैनदृष्टिए ईशावास्योपनिषद् भावार्थविवेचन. ८२ सत्यस्वरूप. ८३ ध्यानविचार. ८४ आत्मशक्तिप्रकाश. ८५ सांवत्सरिक क्षमापना. ६६ पूजासंग्रह भाग १-२ ६७ स्नात्रपूजा. ६८ श्रीमद् देवचंद्रजी अने तेमनुं जीवनचरित्र. ६९-७२ शुद्धोपयोग वि. संस्कृत ग्रंथ ४ १८० ७३-७७ संघकर्तव्य वि. संस्कृत ग्रंथ ५ १६८ ७८ लाला लाजपतराय अने जैनधर्म. ७९ चिन्तामणि ८०-८१ जैनधर्म अने ख्रिस्ति धर्मनो मुकाबलो तथा जैनस्त्रिस्ति संवाद २२० २०० ८५ ८६ आत्मदर्शन ( मणीचंद्रजीकृत सज्जायो ) नुं विवेचन. ८७ जैनधार्मिक शंकासमाधान. ८८ कन्याविक्रय निषेध ८९ आत्मशिक्षा भावनाप्रकाश. ९० आत्मप्रकाश. ९१ शोक विनाशक ग्रंथ ९२ तत्वविचार. ४१६ ५८० २०० ५७६ १८० ३६० ४१५ १०० १२० १४० ८० Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १५० ५५ २०० ११५ ५६५ ८० १२५ ९३-९७ अध्यात्मगीता वि. संस्कृत ग्रंथ. २०५ For Private And Personal Use Only १-०-० १-८-० १-०-० १-८-० १-०-० १-०-० २-०-० ०-२-० 0-8-0 ०-१२-० ०-१२-० 0-8-0 ०-४-० १-०-० ०-६-० ०-८-० 0-8-0 ०-३-० ०-४-० ०-२-० -६-० 01619 १-८-० ०-१-० ०-६-० १-०-० Page #25 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २२० ९८ जनसूत्रमा मूर्तिपूजा. ०-३-० ९९ श्री यशोविजयजी निबंध. ०-६-० १०० भजनपदसंग्रह भाग ११ । ०-१२.० १०१ , भाग १ आ. ४थी २०० .-८-० १०२ गुजरात बृहद विजापुर वृत्तांत ३०० १-४-० १०३.४ श्रीमद् देवचंद्रजी विस्तृतजीवन च रित्र तथा देवविलास २३० ०.१२.० १०५ मुद्रितजैन प्रवे. ग्रंथगाइड १-८-० १०६ ककावली-सुबोध १०७ स्तवन संग्रह (देववंदन सहित) २७५ ०.१०.० १०८ पत्र सदुपदेश भाग ३ १०९ श्रीबुद्धिसागर सूरिश्वर स्मारक ग्रंथ (सचित्र.) २३० ०.१२.० * आ निशानीवाला ग्रंथो शिलकमां नथी. * आ ग्रंथो ब्रीटीश केळवणी खाताए मंजुर करेला छे. : आ ग्रंथो श्रीमंत गायकवाड सरकारना केळवणी. खाताए मंजुर करेला छे. ग्रंथो मळवानां ठेकाणां १ वकील मोहनलाल हीमचंद-पादरा(गुजरात) २ शा. आत्माराम खेमचंद-साणंद. ३ शा. नगीनदास रायचंद जाखरीया-महेसाणा ४ शा. चंदुलाल गोकळभाश्-विजापुर ५ शा. रतीलाल केशवलाल-प्रांतिन ६ श्री बुद्धिसागरसूरि जैनसमाज-पेथापुर ७ शा. मोहनलाल नगीनदास भांखरीया १९२-९४ बजार गेट, कोट, मुंबाई. For Private And Personal Use Only Page #26 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ग्रंथोपलब्ध स्थान. १ शेठ देवचंद लालभाइनी आगमोदय समितिनी लायब्रेरी ठा. गोपीपूरा. सूरत. २ हरीदास अॅन्ड कंपनी सु. काइमगंज. ३ शा. नानचंद वेळचंद गोपीपुरा बडेखां चकलो सूरत. ४ पंडित, त्रिभुवनदास अमरचंद पालीटाणा. ५ जैन पुस्तक प्रकाशक कार्यालय. हस्ते मुन्सी केसरीमल मोतीलाल रांका, ब्यावर. ६ जैनधर्म प्रसारक सभा तथा लायब्रेरी समाज, भावनगर, ७ श्रावक भीमसह माणेक. मांडवीबंदर. मुंबई. [ रखन. ८ शेठ. शिवदानजी प्रेमाजी गोटीवाले साकीन पुना, मुल्क द९ पंडित, काशीनाथ जैन, २०१ हरिसनरोड कलकत्ता. १० निर्णयसागर प्रेस. मुंबई, ठा. कालबादेवीरोड. ११ शेठ. मनसुखभाई भगुभाइ, शाहापुर बंगलो. अमदावाद. १२ मोहनलालजी महाराजनो ज्ञानभंडार. गोपीपूरा सूरत. चुनीलाल गुलाबचंद दालीया. मेनेजींग ट्रस्टी. १३ मोतीचंद झवेरचंद महेता. फर्स्ट. आसीस्टंट मास्तर, भावनगर. १४ यशोविजय जैन ग्रंथमाला भावनगर, हेरीसरोड. प्रेमचंद रतनजी तथा नं. ४७ • १५ अध्यात्मज्ञान प्रसारक मंडल, पादरा, वकील मोहनलाल हेमचंद तथा नं. ५८-५९-६०-६१-६२ १६ शेठ. देवचंद लालभाई पुस्तकोद्धार फंड सूरत. गोपीपुरा. १७ आत्मानंद सभा भावनगर. १८ मुक्तिकमल जैन मोहनलाल नं. ६७ आ साथे जोडायेलो छे. C/o शाह, लालचंद नंदलाल वकील, कोठीपोळ वडोदरा. For Private And Personal Use Only Page #27 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir II १९ रत्नप्रभा ज्ञान पुष्पमाला लोहावट, मारवाड, हाल आफीस फलोधी मारवाड. २० शाह. हरगोविंद वर्द्धमाननी कंपनी. रहेवासी. सीनोर, २१ हुकम मुनिनो उपाश्रय. गोपीपुरा. सूरत. २२ क्यूरेटर सेन्ट्रल लायब्रेरी राज्य. वडोदरा. २३ जैन विजय प्री. प्रेस. कोट. बजारगेट. मुंबइ. २४ रायधनपतसिंह बहादुरकी कोठी अजीमगंज. २५ विजय कमल, केसर ग्रंथमाला. मुंबइ. C/o पोपटलाल दलमु. खराम पटवा. झवेरी बजार. २६ श्री हेमचंद्राचार्य सभाना सेक्रेटरी. शाह. लहेरुभाइ भोगीलाल पाटण ( हेमचंद्राचार्य ग्रंथावली.) २७ देशी केलवणी खातुं. वडोदरा. [मुंबई. २८ आगमोदय समिति. C/o शेठ. जीवणभाइ साकरचंद. ४२६ २९ एसीआटीक. सोसाइटी. बेन्गाल. नं. ५७ यार्क स्ट्रीट कलक ता. ( जुओ. नं. १४४) ३० शा. अचरतलाल जगजीवन. भावनगर. ३१ मोतीचंद आधवजी आत्मानंद प्रकाशना तंत्री. भावनगर. ३२ पंडित. हीरालाल हंसराज जामनगर. ३३ जैन. श्रेयस्कर मंडल, महेसाणा. ३४ बुद्धिसभा आफीस अमदावाद. (नं. १५ पादरा साथे जोडाइछे.) ३५ अध्यात्म ज्ञान प्रसारक मंडळ चंपागली मुंबइ. (फेरवीने नं. १५ पादरामां छे.) ३६ गुजरात पुरातत्व मंदिर. एलीसब्रीज. अमदावाद. ३७ अभिधान राजेन्द्र कार्यालय. रतलाम. ३८ सुरजमलजी सोहनलालजी जालोरी बोहरा अजमेर. ३९ आत्मानंद जैन पुस्तक प्रचारक मंडल रोसन महोल्ला. आगरा For Private And Personal Use Only Page #28 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ४० सौभागमल हरकावत नया बजार. अजमेर. ४१ उजमवाइनी धर्मशाळा वाघणपोळ रतनपोळ. अमदावाद. ४२ पंजाब युनिवरसीटी लाहोर. ४३ सेठिया जैन ग्रंथालय. C/o भैरोदान जेमल सेठिया. महोल्ला मरोटीयोंका. वीकानेर राजपूताना. [ भावनगर. ४४ "जैन " पत्रनी ऑफीस. अमदावाद, मुंबइ, अने हाल ४५ सखारांप नेमचंद. सोलापूर. ४६ यशोविजय ग्रंथमाला बनारस. भावनगरमां-आग्रामां वहीवट छे जुओ. नं. १४-४७ ।। ४७ श्री विजयधर्म लक्ष्मी मंदिर बेलनगंज आग्रा. ४८ आत्मानंद जैन ट्रेकट सोसाइटी अंबाला शहेर. ४९ गुजरात वर्नाक्युलर सोसाइटी. अमदावाद. ५० जैनानंद पुस्तकालय. गोपीपुरा सुरत. ५१ श्री रामावतार शर्मणा. मुरादपुर-पटना. ५२ हंसविजयजी फ्री लायब्रेरी ऑ. सेक्रेटरी जेशंगभाइ मोतीलाल शाह. लुणसावाडे अमदावाद. ५३ जैनश्वेताम्बर कॉन्फरन्स ओफीस पायधुनी मुंबइ. ५४ जैनधर्म हितेच्छु सभा. भावनगर. ५५ शारदाविजय ग्रंथमाला, मोहनलाल गीरधरलाल. भावनगर. ५६ जैन विविध साहित्य शास्त्रमाला कार्यालय बनारस सीटी. यू.पी आमाथी केटलांक पुस्तकोनो इक्क विगेरे नं. ४७ मां तबदील थया छे. ५७ श्री लक्षमीचंदजी जैन लायब्रेरी नं. ४७ साथे मळी गइ आया. ५८ शा. आत्माराम खेमचंद. साणंद. [१९३-९४ मुंबई. ५९ भांखरीमा मोहनलाल नगीनदास. कोट बजार गेटस्ट्रीट नं. For Private And Personal Use Only Page #29 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir IV ६० बुकसेलर. मेघजी हीरजी ५६६ पायधुनी मुंबई. ६१ शेठ, नगीनदास रायचंद. भांखरीआ. सु. मेसाणा. ६२ विजपुर जैन ज्ञानमंदिर. C/o शा. चंदुलाल गोकळदास विजापुर. ६३ वकील. केशवलाल प्रेमचंद मोदी. बी. ए. एल. एल. बी. ठा. हाजापटेलनी पोळ, अमदावाद (खानगी लायब्रेरी.) ६४ ज्ञान प्रसारक मंडल. (नं. १५ प्रमाणे नाम बदलायूं) अमदावाद. ६५ त्रिभोवनदास भाणजी स्मारक ग्रंथमाळा (नं. ६ साधे पण छे) ६६ नरोत्तमदास भाणजी छीपीचाली. मुंबई. [ भावनगर. ६७ मुक्तिकमल जैन मोहनमाला पालीताणा. ( नं. १८ साथै ) जोडाया छे, वडोदरा. ६८ रत्नप्रभाकर ज्ञान पुष्पमाला मु. ओसीया जील्ला जोधपुर-मावाडमां हती. पछी लोहावट अने हाल फलोधी मारवाड. ६९ सरस्वती ग्रंथमाला बनारसना केटलांक पुस्तको नं. ४७ मां लोघां छे. बनारस. ७० विजय धर्मसूरि मंडल ( शान्तिनाथजी जैन कलब ) नमकमंडी ७१ ज्ञानमंदिर, ठा. नरसिंहजीनी पोळ वडोदरा. [ आगरा. ७२ हिंदी जैन कार्यालय, मुंबई. ७३ " श्री दयामि ग्रंथमाला " देवसानो पाडो. अमदाबाद. ७४ " जैन विजय तरंग " ना अधिपति मोहनलाल अमरसी ठा. जैनविजय प्रेस मुंबई, ( मासीक ) ७५ कल्याणजी मूळजी. ठा. दाणाबंदर पुल नीचे मांडवी मुंबई. ७६ शेठ. हरगोविंददास पंडित. ठा. नं. २६ जकडीया स्ट्रीट जुओ नंबर १३६७ कळकत्ता. ७७ अभयदेवसूरि ग्रंथमाला बडा उपाश्रय बीकानेर ( राजपूताना ) (जुओ नं. २१३ ) For Private And Personal Use Only Page #30 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Y ७८ " खरतरगच्छ ग्रंथमाला " श्री मंडळाचार्य कमलसूरि विका सितम् लालबाग मुंबई. ७९ खेडा जैनोदय सभा. शेठ. सोमचंद पानाचंद. खेडा.. 66 तत्व दीपक मोहन मंडली " जैन पाठशाळा मुंबई८१ माणेकचंद दिगंबर जैन ग्रंथमाला समिति, मुंबई. ८० ८२ शा. बालाभाइ छगनलाल ठा. कीकाभटनी पोळ अमदाबाद. ८३ " जैन साहित्य संशोधक समिति " पूना सीटी. फरग्युसनरोड, पूना. (जुओ नं. १५८ ) Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ८४ प्रो. रवजीभाइ देवराज. कच्छ कोडाय. ८५ शा. तळकचंद पीतांमर. मांन्डल, ताबे वीरमगाम. ८६ अ. सौ. बाइ रुपाळी स्मारक माळा. (जुओ नं. ६) भावनगर. ८७ श्री आठले संस्कृत गुजराती भाषान्तर माळा. प्र० त्रीभुवनदास कल्याणदास गज्जर अमे. ए. बी. अॅस, सी. वडोदरा. 45 आत्म तिलक ग्रंथ सोसाइटी 11 भारत जैन विद्यालय [ पूना सीटी. ૪૮ ८९ चुनीलाल ग्रंथमाला. मुंबई. ९० वेजलपुरनो संघ. भरुच, For Private And Personal Use Only . ९१ " सद्विचार पुस्तकमाला. " • ९२ श्री महावीर जैन सभा. शेठ. नानजीभाइ पोपट बंद खंभात. ९३ न्युतन साहित्य मंदिर C/o यशोविजय गं. माला भावनगर. मालीक प्रभुदास अमृतलाल महेता. बंसी, "" ९४ वीरसमाज " अमदावाद से. केशवलाल दलसुखराम शेठनी पोळ अमदावाद. ९५ पन्यास मेघविजयजी लायब्रेरी, ठा. दोसीवाडानी पोळमां विद्याशाळाम अमदाबाद. ९६ शाळबी. भीखाभाइ खीमचंद रेशमबाळा. भावनगर, Page #31 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir Vt ९७ नयानगरका संघ समस्त. ९८ ( जुओ नं. ९४) [अमदावाद( जुओ नं. २३९) ९९ राज्यचंद्र साहित्य मंदिर. (पूरा तत्वमंदिर साथे जोडायु छ) १०० पुनाजी इन्द्रमल कावडिआ रतलाम. १०१ बाबु सुमेरमल सुराणा. ठा. मनोरदासका कटरा बडाबजार कलकत्ता. (जुओ ६४७) [दावाद. १०२ शा. वालाभाइ खुशाल हाजी झवेरीवाडो निशापोळ. अम१०३ शा. मुरचंद सरुपचंद विजापुर. १०४ गुलाबबाइ लायब्रेरी नं. ४६ मीररस्ट्रीट कलकत्ता. १०५ सेतावचंद नहार अजीमगंज निवासी. १०६ जैन ग्रंथ रत्नाकर कार्यालय (दि) मुंबइ हीरालाल. १०७ आत्मवीर ग्रंथमाला ( जुओ. नं. १०१) कलकत्ता. १०८ कवि. सांकलचंद पीताम्बरदास ठा. श्यामलानी पोळमां. १०९ फतेचंद कपुरचंद लालन मढडा. शिवसदन. [ अमदावाद. ११० शा. हीरजी कानजी मणशी. ठा. खारेकबजार मांडवी. मुंबई. १११ बहेचरदास दुर्लभदास. पादरा. ११२ “जैन स्वयं सेवक मंडळ" मोरसली गली नं. ९ इन्दौरसीटी. ११३ नंदलाल मोतीलालनी बजाजखाना चौक इन्दोर सीटी. ११४ नथमलजी कनैयाकालजी ममादेवी पोष्टके उपर मुंबई. ११५ शा. नवलचंद हीराचंद. ठा. जैनोदय पी. प्रेस. मुंबई. ११६ बा. चन्द्रसैन जैन वैद्य. इटावा. (दि.) ११७ शेठ. जीवणचंद साफरचंद झवेरी. ४२६ झवेरी बजार. मुंबई. ११८ शा. जमनादास जेठाभाइ. ग. कीकाभटनीपोछ.अमदावाद. ११९ मोतीचंद गीरथर कापडीया. प्रीन्सेस स्ट्रीट मुंबई. १२० शेरसिंह जैन कोटा. For Private And Personal Use Only Page #32 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org VII Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १२१ पंडित ललितविजय. १२२ " जैनमित्र " कार्यालय, हीराबाग मुंबई ( दि. ) १२३ " जैन शासन " ना मालीक. पुरुषोतम गीगाभाइ (अठवा - डीक पत्र भावनगर. ) १२४ शा. मगनलाल दलपतरांम अमदावाद. १२५ " जैन तत्व प्रकाशीनी सभा " बनारस. १२६ " जीवदया प्रबोधक मंडळ " छोटुभाइ दाजीभाइ अंबाजीरोड सुरत. १२७ राजा शिवप्रसाद सितारे हिन्द इलाहाबाद. १२८ मोहनलाल वैद्य. आग्रा. १२९ सवाइभाइ रायचंद अमदावाद ( जुओ नं. १४७ ) १३० शाह. नगीनदास मोतीचंद मांडवी सूरत. • १३१ जैन ज्ञानप्रसारक मंडळ मुंबई. १३२ - मित्रमंडळ " ठे. मणिलाल घेलाभाइ हेरीसरोड भावनगर. १३३ उत्तमचंद गीरधर कापडीया स्मारक माळा C/o (नं. १३२) १३४ सौभाग्यचंदनी विधवा केसरबाई जामनगर. [ भावनगर १३५ जीवराज घेलाभाइ दोशी नवा दरवाजा अमदावाद. १३६ ( जुओ नं. ७६ ) कलकत्ता. १३७ मुनिमाणेक. १३८ गायकवाड ओरीअॅन्टल सीरीज वडोदरा. १३९ शा. सोमचंद धारसी कच्छ-अंजारा. १४० " अंचऴ गच्छ स्थापक - आर्य रक्षितसूरि पुस्तकोद्धारक खातुं " जामनगर (जुओ ३२ ) १४१ शास्त्री हरीशंकर वढवाण. १४२ शेठ वसनजी त्रिकमजी जे. पी. ग्रंथमाला मुंब १४३ जैन धर्म विद्यापसारक वर्ग पालीताणा. For Private And Personal Use Only Page #33 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir www.kobatirth.org VIIT १४४ एसियाटीक सोसाइटी नं. ५७ पास्ट्रीट कलकत्ता ( जुओ १४५ शा. रवचंद जेचंद जैन विद्याशाळा. [नं. २९) १४६ पंडित. लालचंद भगवानदास. कोठीपोळ वदोदरा. १४७ सवाइभाइ रायचंद. अमदावाद. ( जुओ नंबर. १२९) १४८ आत्म कमल जैन ग्रंथमाला अंबाला पंजाब. १४९ श्री हंसविजयजी जैन फ्री लायब्रेरी. वडोदरा. आ. से. ला. लचंद एम शाह. (जुओ नं. ३२६) १५० " तरंग मासीक " संपादक मोहनलाल. अमरसी. १५१ मुराणा चान्दमलजी खाचरोद जील्ला उज्जन. १५१ शाह. हीरालाल वर्धमान वढवाण. १५३ हिन्दी साहित्य कार्यालय (हिन्दी साहित्य ग्रंथावली.) १५४ श्री महावीर नव युवक मंडल. वाली. १५५ जैन विद्याशाळा दोशीवाडानी पोळ. १५६ पं. जीवानंद विद्यासागर, बी. ए, सुभी. फ्री. सं, कोलेज, कलकत्ता. [पुररोड. १५७ वजिंग विजयचंद सदानी जैन वागरा. (मारवाड) एरण१५८ जैन साहित्य संशोधक समिति पूना (जुओ नं. ८३) १५९ सोभागमल हरकावन. देहली. १६० वेलजी शीवजी दाणावंदर मुंबइ. १६१ शेठ. खेमराज पुंजाभाइ पायठ (कच्छ) १६२ शेठ. हीरालालजी केसरीचंदजी झवेरी नागपुर. १६३ जैन युवक मंडळ साणंद. १६४ पंडित त्रिभुवनदास अने झवेरचंद पालीताणा. १६५ डाखाभाइ पीतामर देरासरी बार अॅ. ला. अमदावाद. १६६ साहित्य ग्रंथ समुच्चय (निर्णयसागर ) For Private And Personal Use Only Page #34 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir X १६७ महासुखभाइ चुनीलाल विसनगर. १६८ सरकारी केलवणी खातुं ग. से. प्रे. मुंबइ. १६९ झवेरी मुलचंद आशाराम वैराटी. श्री कुसुम विजयजी जैन श्वेताम्बर पुस्तकालय अने पुस्तकमालाना ग्रंथो. अमदावाद. १७० श्री कांन्तिविजय ग्रंथपाला (जुओ नं. १७) भावनगर. १७१ भोगीलाल धोळशा दोसीवाडानी पोळमां अमदावाद. १७२ श्री कान्तिविजय जैन इतिहासमाला पुष्पो (जुओ नं. १७) भावनगर. १७३ जैन भावप्रकाशक मंडली मेसाणा केशवलाल लल्लुभाइ पटवा. १७४ साहित्यसेवा समाज से. शा. व्रजलाल उजमसी. खारगेट, १७५ प्राचीन पुस्तकोद्धार फंड सूरत. [ भावनगर, १७६ प्रजाबंधु आफीस अमदावाद. १७७ सनातन जैन (मासीकनी ऑफीस.) १७८ जैन मित्र मंडल मांडल. C/o लालचंद नागजीभाइ शाह. १७९ मगनलाल हठीसिंह ज्ञान. प्र. ना मालोक. अमदावाद. १८० राजा शीवप्रसादजी सितारे हिंन्दकी बहिन गौतमी बीबीने १८१ शा. बालाभाइ ककलभाइ. अमदावाद. [बनारस. १८२ जैन युवक मित्र मंडल लोहावट मारवाड. १८३ जैन युवक मंडल शामळानी पोळ, अमदावाद. १८४ शेठ रतिलाल केशवलाल प्रान्तीज. १८५ यति कॉन्फरन्सना प्रमुख माणेकचंद जगरुपयति प्राचीन शि ला लेखोना ज्ञाता. इन्दौर. १८६ आत्मोन्नति सभाना प्रमुख मांणेकचंदजी जगरुपयति. इन्दौर. १८७ जैन तत्त्व विवेचक सभा पांजरा पोळ अमदावाद. For Private And Personal Use Only Page #35 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १८८ (संघ ज्ञान खातुं) मेसाणा. [ककलभाइ. १८९ जैन पाठशाळा फताशानी पोळ अमदावाद. हा. हीराचंद १९० शेठ, भोगीलाल ताराचंद झवेरी दोशीवाडानीपोळ.अमदावाद. १९१ जैनोदय बुद्धिसागर समाज साणंद. १९२ शा. खेताजी भीखाजीना ची. पानाचंद खेताजी मुं. नडोद. १९३ शा. प्रेमचंद केवळदास अमदावाद. १९४ शा. प्रेमचंद काळोदास अमदावाद. १९५ शा. बालाभाइ त्रीकमलाल. अमदावाद. १९६ प्रेमचंद रतनचंद अमदावाद. १९७ शेठ जमनाभाइ भगुभाइ अमदावाद. १९८ देवसानापाडे विपळना उपाश्रयना वहीवटदार अमदावाद. १९९ वांरा लल्लुभाइ मोतीचंद शाह. पालीताणा. २०० शा. देवकरण मूलजी. ठा. मूलजी जेठा मारकेट मुंबई. २०१ मगनलाल दलपतराम खरखर. २०२ मेसर्स अन अम त्रिपाठीनी कंपनी मुंबइ. २०३ यति माणेकचंदजी ठा. सराफेये खामगाम (प्रा. वेरार.) २०४ जैन तत्व प्रकाशिनी सभा. इटावा. [अमदावाद. २०५ शा. गीरधरलाल हीराभाइ मांडवीनी पोळमां मंकोडी पोळ, २०६ फुल कुंवरबाइ शेठ चंद्रमलजी रतलामवाळानां पत्नि राजपूताना. २०७ सेलोत अमरतलाल अगरचंद पालीताणा. २०८ ज्ञान खातुं (जैन.) नडीयाद. २०९ पुजाभाइ हीराचंद. अमदावाद. २१० जसवंतराय जैन लाहोर. २११ शा. पानाचंद खेताजी कालीआवाडी. २१२ कोठारी जमनालाल बीकानेर. २१३ अभयदेव सूरि ग्रंथमाला बीकानेर ( जुओ नं. ७७) For Private And Personal Use Only Page #36 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org XI २१४ मोहनलाल दलीचंद देसाई मुंबाई, तवाबील्डींग लुहारचाल.. मुंबई. २१५ कापड मारकेट वेपारी जैन मंडल तरफथी मणीलाल मोती२१६ जैनशाळा खंभात. [ लाल चंपागली मुंबई २१७ स्याद्वाद रत्नाकर कार्यालय मुंबई. २१८ जैन ग्रंथ प्रकाशक सभाना कार्यवाहक वाडीलाल बापुलाल शाह २१९ जिनागम प्रकाश सभा अमदावाद ( जुओ २०९ ) २२० श्री वीर विद्योतेजक सभा पालणपुर, २२१ शेठ. वधुभाइ माणेकचंद मुंबई. २२२ सनातन जैन ग्रंथमाला, Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २२३ मुक्ति कमल जैन मोहनमाला पालीताणा ( नं. १८ जुओ. ) २२४ श्री जैन ज्ञान इच्छक सभा धोलेरा. ܕܪ २२५ शा. उत्तमचंद केसरीचंद झवेरी रांमपुरा सूरत. २२६ ज्ञानवर्धक पुस्तकमाळा C/o जीवणलाल अमरसी महेता. २२७ 4" जैन समाचार अमदावाद. २२८ श्री आत्मानंद जैन पुस्तक प्रचारक मंडल नौघरा दिल्ली छोटा दरीबा दील्ली. २२९ श्री यशोविजय जैन संस्कृत पाठशाळा महेसाणा, वेणीचंद सुरचंद. २३० श्री ज्ञानवर्धक जैन मित्र मंडल सैलाना. ( मालवा. ) २३१ व्यास मणिलाल बकोरदास. गोधरा. २३२ शा. माणेकलाल अंबाराम डॉकटर वडोदरा. २३३ शा. मूलचंद कीशनदास कापडिया सूरत. २३४ सोलापुर जैनशाळाना अद्यापक गोपाळदास २३५ कॉन्फरन्स हेरल्ड ऑफोस. पायधुनि मुंबई. २३६. राजा शिवप्रसाद सितारे हिन्द बनारस. For Private And Personal Use Only शर्मा फडकुले. [ मुंबई. Page #37 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir XII २३७ श्री महावीर जिन मंडली अमदावाद. २३८ केशवलाल भोगीलाल महेता चोळावाडो खंभात. २३९ रायचंद्र साहित्य मंदिर अमदावाद. ( जुओ नं. ९९ ) २४० शा. जगजीवन पानाचंद मास्तर पोपरडीनी पोळ अमदाबाद. २४१ शाह जेठानी पदमाजी पोरवाड मंडवारीयावाळा शिरोइ. २४२ लाला निरंजनदास रामलाल श्रावक डब्बी बजार लाहोर. २४३ शा. त्रिभोवनदास रुगनाथदास तथा शा. छोटालाल मोती चंद सुतारवाडो खंभात. २४४ शा. खेमचंद पीताम्बरदास वलाद अमदाबाद. २४५ शा. फतेचंद हजारीमल कोयतुर. २४६ गुजरात आर्य औषधालय अमदावाद. मालीक वैद्य जटाश२४७ जसवंतराय जैनी लाहोर. [ कर लीलाधर त्रिवेदी. २४८ महेरचंद लक्ष्मणदास श्रावक सैद मिट्टाबाजार लाहोर. २४९ के. मो. रांका मुन्सी. २५० जैन फ्रेन्डली सोसाइटी मुंबई. २५१ शा. अनोपचंद मलुकचंद भरूच. २५२ जैन धर्म ज्ञान दीपक मासीक. -२५३ जैन दिवाकर " मासीक अमदावाद. 44 २५४ ज्ञान प्रकाश मासीक अमदावाद. २५५ हिन्दी जैन ग्रंथमाला कस्तुरचंद सेवरचंद गादिया ठा. कालबादेवी मुंबई, २५६ “ हिन्दी जैन " पत्रनी ऑफीस कालबादेवी रोड मुंबई, २५७ मास्तर उमेदचंद रायचंद पांजरा पोळ अमदाबाद. २५८ पंडित सुखलालजी C/o पूरातत्व मंदिर. अमदावाद. २५९ शा. पुष्करराज पुनमचंद बाली मारवाड. २६० शास्त्री रामचंद्र दीनानाथ. सांकडीशेरी जतिनीपोळ अमदाबाद For Private And Personal Use Only Page #38 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir XII २६१ आत्मतिलकगंथ सोसाइटी पूना. २६२ हिन्दी साहित्य ग्रंथमाला ( जुओ नं. १५३) आयुरोड. २६३ कुसुमविजयजी जैन श्वेताम्बर लायब्रेरी C/ मु. आ. वैराटी रीचीरोड अमदावाद. २६४ महावीर जैन लायब्रेरी. मारवाड सोजत. २६५ शा. प्रेमचंद दलसुखभाइ. पादरा. २६६ मंगलविजयजी. आग्रा. २६७ संघ. फलोधी. २६८ शीतलप्रसाद छाजेड शोहरी. बनारस. २६९ ले. मुनिचंद्र. २७० लालचंद एम शाह. २७१ अभयचंद भगवानदास. भावनगर. २७२ जे. श्वे. संघ. जील्ला खानदेश. पाचोरा. २७३ श्रावक ठाकुरदास मूलराज ओसवाल. गुजरावाला पंजाब. २७४ जगननाथदास. मुरादाबाद. २७५ पदममूनि हर्षविजयना शिष्य, २७६ (खंभातनो संघ) मुंबइ. २७७ नाथुरांम प्रेमी (दि ) मुंबइ. २७८ भगुभाइ फतेचंद कारभारी. मुंबड. (जुओ ४४) २७९ डाह्याभाइ नथुभाइ देसाइ. विजापुर. २८० संघ. सायला मरुधर. २८१ समस्त संघ. मांडवला पोष्ट. जालोर. २८२ चमनलाल सांकलचंद मारफतीया. मुंबइ. २८३ पूर्णचंद नहार. अॅम. ए. बी. अॅल. वकील हाइकोर्ट कलकत्ता जैन बि. सा. शा. बनारस मेम्बर मीरर स्ट्रीट कापा. For Private And Personal Use Only Page #39 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org XIV २८४ श्री गुलाबकुमारी लायब्रेरी. नं. ४६ इन्डीयन मीरर स्ट्रीट कलकत्ता. २८५ थरानो संघ. थरा. २८६ जैन विवेक प्रकाश. ( मासीक ) २८७ जैन शासन. ( जुओ १२३ मां जोडायो छे संपादक हरख२८८ जैन एसोसीएशन अफ इन्डीओ मुंबई. [ चंद राभाइ २८९ जैन धर्म विद्याप्रसारक मंडळ, मुंबई. Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २९० सौभाग्यवती " उषा " प्रकाशक ग्रंथ भंडार लेडी हार्डिंग रोड माटुंगा मुंबई. ग्रंथभंडारना मालीक भाइ कृष्णलाल वर्मा. २९१ जैन समाज मासीक (दि ) २९२ मनसुख कीरतचंद महेता. मोरबी. २९३ पंडित बेचरदास जीवराज, पुरातत्व मंदिर अमदावाद. २९४ करोडीचंद्र मंत्रि जैन सिद्धान्तभवन, आरा. २९५ सद्बोध रत्नाकर कार्यालय बडाबजर - सागर ( सी. पी. ) मूलचंद मेनेजर. [ अमदाबाद. २९६ शा. कचराभाइ गोपाळदास धनासुतारनी पोळमां पडीपोळ २९७ शा. जेसंग भाइ कस्तुरभाइ ठा. कीकाभटनी पोळ अमदावाद. २९८ जीताजी रुपाजी. २९९ शा. सांकलचंद हीराचंद मास्तर, अमदावाद. ३०० शा. पाशुभाइ परवतभाइ मुंबई. तखतगढ. ३०१ घिया लक्ष्मीचंद शंकरलालजी प्रतापगढ. · ३०२ शा. वालजी हीरजी भांडुप स्ट्रीट मुंबई. ३०३ झवेरी भाइचंद कस्तुरचंद, मुंबई. ३०४ फुलचंद गोवेच्छक भोंदी. ३०५ झवेरी वाडीलाल बखतचंद दोशीवाडानी पोळ अमदाबाद. ३०६: जै. बो. बुद्धिसागर सभा. साणंद. For Private And Personal Use Only Page #40 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir XV ३०७ वंधली. जैनशाळा. [बादेवीरोड. मुंघइ. ३०८ डॉ. त्रिभोवनदास लहेरचंद. अॅल. अॅम. अॅन्ड अॅस. काल२०९ पंडित. हंसराज शर्मा. पंजाबी-वडोदरा. ३१० मेनेजर ब्रह्मप्रेस इटावा. ३११ कुवर दिग्विजयसिंह जैन. बीधुपुरा इटावा. ३१२ शा. डाह्याभाइ दलपतराम भरुच. ३१३ जैन सुभेच्छक मंडळ. मुंबइ. ३१४ पंडित भगवानदास. वीकानेर. ३१५ श्री सत्यविजय ग्रंथमाला. C/ बालाभाइ मूलचंद. ठा. री चीरोड-अमदावाद माहावीरस्वामीना देरा सामे. ३१६ शकरचंद कालीदास. सादरा. (पेथापुर निवासी) .३१७ मनु अने नानु. स्वदेशी दुकान सुरत. ३१८ भोगीलाल घोळशा. दोशीवाडानी पोळ-अमदावाद. ३१९ हीराचंद सचेती. अजमेर. ३२० शा. रतनचंद दगडुशा पटनी. आमलनेरा. ३२१ मेला रोम जैनी-देहली. ठे. जैनमंदिर ठाणा. ३२२ जैन श्वेता-श्रेयस्कर वर्गना सेक्रेटरी शा. लालचंद छगनलाल ३२३ शेठ. वर्धमान सरुपचंद वकील. (इडरवाला) ठा. अमदावाद हाजापटेलनी पोळ-खाराकुवानी पोळ. (इडर महिकांठा.) ३२४ धर्मवृद्धि ग्रंथमाला. भावनगर (जुओ नं. १७) ३२५ रायचंद जैन शास्त्रमाला मुंबइ. ३२६ हेसविजय फ्री लायब्रेरी वडोदरा. (जुओ नं. १४९) ३२७ सागरगच्छनो उपाश्रय गोपीपुरा-सुरत. ३२८ केसरीचंद रुपचंद झवेरी सुरत-गोपीपुरा. ३२९ बबलचंद केशवलाल मोदी. हाजापटेलनी पोळ अमदावाद. १३० आत्मानंद जैन सभाना सेक्रेटरी चिरंजीलाल. अंबाला शहेर. For Private And Personal Use Only Page #41 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir XVI ३३१ हेमचंद्राचार्य ग्रंथावली. (जुओ नं. २६) पाटण. ३३२ परीख. मोतीलाल मगनभाइ. महुधावाळा गुसापारेखनी पोळ ३३३ , , , महुधा. [अमदावाद. ३३४ यति बालचंद्राचार्यजी महाराज. हैदराबाद दक्षिण. ३३५ मोतीचंदजी केवळजी वांकानेरवाळा. वांकानेर. ३३६ लाला जैनीलाल जैन मालिक. जैन धर्म प्रचारक पुस्तकालय मु. देवबंद जि. सहरानपुर. ३३७ श्री जैन धर्माभ्युदय ग्रंथमाला. भावनगर. ३३८ शा. लक्ष्मीचंद अमीचंद पोरवाड (मारवाड) गुडा बालोतरा. ३३९ शा. कुंवरजी मूलजी मुंबाई (कच्छी) ३४० बाबु धनपतिसिंहजी प्रतापसिंहजी. मकसुदाबाद. ३४१ रत्नप्रभाकर ज्ञान पुष्पमाला मु. ओसीया जोधपुर. ३४२ शा. मलीचंद बुलाखीदास. हा. त्रिभुवनदास रुघनावदास. ठा. आकाशेठनाकुवानी पोळ-अमदावाद. . ३४३ सांकळचंद माणेकचंद घडीयाळी. घाटकोपर कामागली मुंबइ. पण हाल भुलेश्वर अनंतवाडी मदनजी मोनजीनो माळो मुंबई. ३४४ आत्मकमल ग्रंथमाला. ठे. शा. सरुपचंद दोलतराम माणसा. ३४५ शेरचंद जुरट. जोधपुर. ३४६ आत्मानंद जैन ग्रं. माळा (जुओ नं. १७) भावनगर. ३४७ जैन मित्रमंडल. देहली. ३४८ बीवी. अॅन्ड. महाशया कंपनी खारगेट. भावनगर. ३४९ श्री हेमचंद्राचार्य ग्रंथावली. (जुओ ३४८) भावनगर, ३५० छोटालाल नरभेरांम भट्ट. वडोदरा. ३५१ दोलतराम मगनलाल शाह. वडोदरा. ३५२ जैनविजय प्रेस. बजरगेट-कोट मुंबई. ३५३ जैन विद्याविजय प्रेस. रीलीरोड-अमदावाद. ३५४ मुखसागर मंथमाल. आबु (जुओ १५३) For Private And Personal Use Only Page #42 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir XVII ३५५ शा. फुलचंद गुलेछा. फलोधी. ३५६ शेरसिंह. रतलाम निवासी रतलाम. ३५७ गवर्नमेन्ट सेन्टरल प्रेसमां सरकारी केलवणीखातामां संस्कृत अने प्राकृत सीरीझ मुंबई. ३५८ डाह्याभाइ हीमतलाल. रावत. वडोदरा.. [अमदावाद. ३५९ जीवणलाल अमरसी महेता. मेनेजर ज्ञानवर्धक पुस्तकमाला ३६० जैन श्वे. आनंद वर्धक मंडल. उजैन. ३६१ दलपतरांम भाइशंकर. रावल. ध्रांगद्रा. ३६२ नाराण हीराचंद कानुनी. मुंबई. ३६३ मुनि. अमरविजय जैन पाठशाला गांम सीरसाळा. ता. आ मलनेर. जी. खानदेश. १६४ शा. वाडीलाल वर्धमानचंद. ३६५ शा. लालचंद चतुरदास जी. पुना गांम जूनेरवाला. ३६६ सेताबचंद नहार कलकत्ता. C/o गुलाबबाइ लायब्रेरी मीरर३६७ सरस्वती सदन बनारस. [स्ट्रीट कलकत्ता. ३६८ मुनि. रामविजय. अमदावाद. विद्याशाळा. ३६९ जैनसस्ती वांचनमाला भावनगर. ३७० नागरदास केसवलाल शेठ. कलोल. उत्तर गुजरात. ३७१ सूरजभानू ( सहरानभानू ) [नं. ६३) ३७२ श्री हेमचंद्राचार्य ग्रंथमाला. ( जुओ, २६) ( सेक्रटरी जुओ ३७३ आत्मावीर सभा. ३७४ मात्मवीर ग्रंथमाला भावनगर. ३७५ मासाजी फताजी. खीवाणदी मारवाड, ३७६ रतीलाल प्राणजीवनदास सूडीवाला हरीपूरा सूरत. ३७७ मास्तर शवचंद दामोदर शाह. मान्डल. ३७८ श्री रत्नसागरजी जैन स्कुल. सूरत. For Private And Personal Use Only Page #43 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir XVIII ३७९ आत्मानंद सभा अंबालाशहर पंजाब (सेक्रेटरी जुओ ३८०) ३८. गोपीचंद जैन. B A LL B. सेक्रटरी (नं. ३७९) अं बालाशहर पंजाब. . ३८१ शा. वीसाजी बुबाजी मुंबई. ३८२ शा. दलाजी हरनाथजी कोठारी. मुंबई. [सुरत. ३८३ मास्तर चुनीलाल प्रेमचंद. ठा. गोपीपुरा खीमागाइनी वाडी. .३८४ आद्य जैन धर्म प्रवर्तक सभा. अमदावाद. ठा. गुसापारेख नी पोळ. ३८५ जैन ग्रंथ प्रकाशक सभा अमदावाद. (जुओ नं. १८) ऑ. से. वाडीलाल बापुलाल. ३८६ शा. वाडीलाल बापुलाल ठा. पांजरा पोळ अमदावाद. ३८७ गांधी कोदरलाल छगनलाल मु. वेजलपुर. जिल्ला. पंचमहाल. (स्टे. परसालीया.) ३८८ जैन ज्ञान प्रसारक मंडल मुंबई. . ३८९ मनसुखलाल हरीलाल वेजलपुर. [वेजलपुर पंचमहाल. ३९० कान्तिलाल महासुखराम नाथजी गांधी स्टे. परसालीया ३९१ श्री रुषभदेवजी केसरीमलजी ठा बजावा रतलाम. ३९२ भादचंदजी ग्रंथमाला सांमलानी पोळ अमदावाद. ३९३ दिगंबर जैन पुस्तकालय लाहोर. पंजाब. बाबुज्ञान चंद्र जैन. (जुओ ३२४) ३९४ बाबु ज्ञानचंद जैनी पुराणी अनारकली लाहोर. ३९५ " श्री अभयदेव सरि ग्रंथमाला गुच्छक." कलकत्ता. मा ल्लिक स्ट्रीट कलकत्ता. ( जुओ नं. ३९६) ३९६ कोठारी जमनालाल नं. ३ मल्लिक स्ट्रीट कलकत्ता. ३९७ पृथ्वीराजजी रतनलालजी मुहुता. आकोला निवासी. ३९८ शा. चंदुलाल नांनचंद मास्तर ठा. झवेरीवाड अमदावाद. For Private And Personal Use Only Page #44 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir IXX ३९९ पृथ्वीलाळजी रतनलालजी मुडुता खामगाम वराड, ४०० यति बालचंदजी केवलचंदजी खामगाम वराड. ४०१ ज्ञानवर्धक पुस्तकालय अमदावाद. ४०२ अ. सौ. मणि मीसीस वर्धमान सरुपचंद. शेठ ईडर. ४०३ छगनलाल गोडीदास वकील सायला झालावाड. ४०४ शाह. कंकुचंद मुलचंद मुंबई चोपाटी पो. नं. ७ ४०५ , , , पाटण. ४०६ तत्व विवेचक सभा राजनगर. ४०७ अमृतविजय रत्नविजय विजापुर गुजरात. ४०८ मुनि लब्धिविजयजी. ४०९ हरीदास & C/ कलकत्ता. ४१० रायबहादूर शेठ. सौभाग्यमधजी ढडा. अजमेर. ४११ पनालाल जैन. (दि.) मुंबई. ४१२ खुबचंदजी बंसीधरजी. ४१३ दलीपसिंह ज्हॉहरी (१-२ मछुआ बजार कलकत्ता. ४१४ शेठ. वीरचंद दीपचंद सी, आइ, इ, अने जे. पी. अमदाबाद. ४१५ पन्नालाल जैन. काशी. ४१६ शेठ, मगनभाइ कपुरचंद पुनावाळानी विधबा समरतबाइपना. ४१७ स्वर्गवासी व्हेन नवलवाइ पोपटलाल केवळचंद, मोरवी. ४१८ पोपटलाल केवळचंद झवेरी मोरबी. ४१९ मोहनलाल डाह्याभाइ इद्रकोट दोशीवाडानी पोळ अमदाबाद. ४२० आत्म तिलक ग्रंथ सोसाइटी जामनगर. ४२१ बीब्ळीओ थेका इन्डीका. कलकत्ता. ४२२ देवचंद सवाइचंद सणंदी वकील पाळणपुर. ४२३ संघसमस्त साचोर. ४२४ शा. पोपटलाल अमृतलाल पाठशाळा संभात. For Private And Personal Use Only Page #45 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ४२५ थराद संघ. मु. थराद. ४२६ शेठ. लखमीचंदजी अमीचंदजी पोरवाड बेंगलोर. (दलिण.) ४२७ मणिलाल नथुभाइ दोसी रतनपोळ अमदावाद. ४२८ उदयराज कोचर. फलोधी. ४२९ गांधी भूराभाइ ताराचंद. कपडवणज. ४३० यशोविजय जैन ग्रंथमाळा. बनारस. (जुओ नं. १४) ४३१ बहेरामजी महेरवानजी दादाचानजी. वीए. मांडवी वडोदरा. ४३२ शा. मोहनलाल लल्लुभाइ. ऑ. सेक्रेटरी. श्री पाटण जैन श्वेताम्बर संघाळुनी सरभरा करनारी कमीटीना. ४३३ श्री पाटण जैन श्वेताम्बर संघाळुनी सरभरा कमीटी पाटण. ४३४ विद्याविजय प्रेस. भावनगर. ४३५ संघवी. शिवलाल झवेरचंद. देवसाना पाडे अमदावाद. ४३६ कृष्णलाल वर्मा. प्रेस. मुंबई. ४३७ जैन संसार ओफीस. ज्युबीली बाग तारदेव मुंबई. ४३८ यति गुलाबचंदजी महाराज. उदयपुर. ४३९ शा. बालाभाइ मुलचंद. सत्यविजय ग्रंथमाला. रीचीरोड४४० काव्यमाळा. निर्णयसागर मुंबई. [अमदावाद. ४४१ शा. मंगळदास लल्लुभाइ. सांमलानी पोळ अमदावाद. ४४२ मोहनलालजी ग्रंथमाला मुंबइ. ४४३ बाबु. चुनीलाल पन्नालालनी वि. पत्नि भीखीबाइ मुंबई. ४४४ चंदनबाइ जैन कन्याशाळा. मुंबई ठा. पायधुनि गोडीजीना उपाश्रयमां. ४४५ गुजरात पुरातत्व मंदिर ग्रंथावली ठे. एलीसनीज अमदावाद. ४४६ मुनि संपतविजयजी. ४४७ शारदाविजय ग्रंथमाला. ४४८ शेठ, नानजीभाइ पोपटचंद. खंभात. For Private And Personal Use Only Page #46 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ४४९ शा. शिवजी देवशी. गढडा-काठीयावाड. ४५० इन्द्रलाल शास्त्री. जयपुर. [ ( जुओ ३२५ ) ४५१ परमश्रुत प्रभावकमंडल खाराकुवा नं. २ मुंबई झवेरीबजार ४५२ खीमजी भीमसिंह माणेक. मांडवी शाकगली मुंबई. ४५३ शा. नरोतमदास रीखवचंद लाडवाशेरी राधनपुर. ४५४ विद्याशाळा दोशीवाडानी पोळ अमदावाद४५५ हठीसंग दामोदरदास ठा. झवेरीवाडे शेखने पाडे अमदाबाद. ४५६ माणेकलाल नानजी भावनगर मास्तर. भावनगर. ४५७ संघवी गोमरा फतेचंद पोरवाड. शिवगंज. ४५८ शेठ. मोहनलाल मगनलाल दोशीवाडानी पोळ अमदावाद. ४५९ विद्यावर्धक ग्रंथमाळा. दोशीवाडानी पोळ ( ४५४ ) बिद्याशाळा अमदावाद. ४६० जैन धर्माभ्युदय ग्रंथमाला (जुओ २७१, १४६ ) भावनगर. ४६१ श्री जिनदत्तसूर प्राचीन पुस्तकोधार फंड बुहारी . ४७२ पीताम्बर पन्नाजी शेठ. बुहारीनिवासी. बुहारी. ४६३ Messers Markert of Petters Leipzig. ( Seeburgstr 53 ) • Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ४६४ हरखचंद भूराभाइ, बनारस, ४६५ शेठ आणंदजी पुरुषोतम ग्रंथमाळा. [ अमदावाद. ४६६ पटेल, विठलभाइ जीवाभाइ ठा. नागोरीसराय झवेरीवाड ४६७ “ पं. (सूरि) अजितसागर गणि शास्त्र संग्रह. " शा. शांमळदास तुळजाराम ठा. मोटो माढ प्रांतिज. 64 ४६८ शा. शांमळदास तुळजाराम कापडीआ. मोटो माढ प्रांतिज. ४६९ मणिळाक न्यालचंद अमदावाद. ४७० चुनीलाल खजांची. सरदारपुरकी छावणी. ४७१ मुनि चंद्रसूरि मेवाड-जालंधर. For Private And Personal Use Only Page #47 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir XXII ४७२ शा. चुनीलाल छगनदास मगनदास. मामलनेर. ४७३ लालचंद नंदलाल वकील. कोठीपोळ-वडोदरा. ४७४ मुलचंद नथुभाइ वकील. भावनगर. ४७५ जैन हठोसींग सरस्वती सभा. सांमलानी पोळ अमदावाद. ४७६ अध्यात्म ज्ञान प्रसारक मंडल मुंबइ (जुओ नं. १५) ४७७ जैन ग्रंथमाला समिति. मुंबई. ४७८ पंन्यास चारित्रविजय. ४७९ जैन विद्याशाला. मुंबई. ४८. शास्त्री रामचंद्र दीनानाथ सांकडीशेरीना नाके जतिनी पोळ ४८१ मेसर्स. मगनलाल C/o मुंबई. [अमदावाद. ४८२ चकलदास सांकलचंद देवसानो पाडो अमदावाद. ४८३ जैन पाठशाळा. फलोधी. ४८४ लल्लुभाइ वल्यमदास शाह. झवेरीवाड अमदावाद. ४८५ लल्लुभाइ वल्यमदास शाह. धोलेरा. ४८६ आनंदसागर प्रेस. दरबार धार. ४८७ शा. रवचंदभाइ गीरधरलाल फताशानी पोळ अमदावाद. ४८८ संघवी भोगीलाल कालीदास. हाजापटेलनी पोळमां पाच्छा. नी पोळ अमदावाद. ४८९ शा. जे. मास्तर. नं. १९ छीपीचाल मुंबई. ४९० झवेरी. फकीरचंद घेळाभाइ. सुरत. ४९१ भावसार गांडालाल मानचंद वेळाणी. भावनगर. ४९२ सौ. बाइ हरकोर शा. मोहनलाल गोविंदजीनां धर्म पत्नि. ४९३ पंडित बहेचरदास जीवराज, वळा. [पालीताणा. ४९४ शेठ. दलीचंद पीताम्बरदास. मीयांगाम. ४९५ कीनारीवाला डाह्याभाइ कालीदास. सुरत. ४९६ रमेशचंद्र दच. For Private And Personal Use Only Page #48 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir XXIII ४९७ गौरीशंकर हीराचंद ओझा. रायबहादूर ठा. हिन्दी साहित्य मंदिर. इन्दौर सी. आइ. ४९८ हिन्दी साहित्य मंदिर. इन्दौर. ४९९ (कान्तिविजय ग्रंथमाला ) (जुओ १७) ५०० लालचंद एम. शाह. वडोदरा ऑ. से. (जुओ १४९) ५०१ प्रवर्तक कान्तिविजय जैन इतिहासमाला (जुओ १७) ५०२ अंबालाल जेठालाल शाह खंभात (जुओ ९२) ५०३ युवकोदय मित्रमंडलना प्रमुख लक्षमीचंद प्रेमचंद राधनपुर. ५०४ लक्षमीचंद प्रेमचंद. राधनपुर. ५०५ नरसीभाइ इश्वरभाइ पटेल. स्वराजमंदिर पाणंद. ५०६ मित्रमंडळ. पेटलाद. ५०७ फार्बस गुजराती सभा. मुंबई (जुओ नं. ५०९) ५०८ फार्बस गुजराती सभा. ग्रंथमाळा मुंबई (जुओ नं. ५०९) ५०९ रा. रा. उत्तमरांम केशवलाल त्रिवेदी बी, ए, अॅल, अॅल, बी. मोरारजी गोकलदास. चाल नं. ५ सेन्डहर्स्ट रोड मुंबई. ५१० फुलचंद अग्रवाल. आबुरोड. ५११ हिन्दी जैन ग्रन्थमाला. आबुरोड, ५१२ बाबु गंगाप्रसाद गुप्त काशी. ५१३ गोविंददेव शास्त्रि बनारस. प्रोफेसर संस्कृत कॉलेज. ५१४ भद्रशंकर जयशंकर शास्त्री. खंभात. ५१५ कलाप्रकाशक प्रेस. मालेगाम धुळीआ. ५१६ नवजीवन प्रकाशन मंदिर, अमदावाद. ५१७ किशोरलाल घनश्यामलाल मशरुवाळा. ठा. राष्ट्रीय विद्या मंदिर. सत्याग्रहाश्रय अमदावाद. ५१८ अवतारलीला लेखमाळा. (जुओ नं. ५१६) ५१९ मणिलाल बाडीलाल, साणंद. For Private And Personal Use Only Page #49 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir XXIV ५२० संभव जिन मंडळी. झवेरीवाढ अमदाबाद. ५२१ त्रिभोवनदास दलपतभाइ वकील, पादरा. ५२२ मणिलाल मोहनलाल, पादरा. ५२३ भोगीलाल मनसुखराम. ५२४ लालाजी. ५२५ रणजीतसिंहजी. ५२६ अभयदेव सूरि ग्रंथमाला. (जुओ नं. ५२८ ) सुरत. ५२७ जिनदत्तसूरि ज्ञानभंडार ( जुओ नं. ५२८ ) गोपीपुरा सीतलवाडी. जैन उपाश्रय. सुरत. ५२८ शा. पानाचंद भगुभाइ जिनदत्त सूरिना ज्ञानभंडारना कार्यवाहक माली फलीया सुरत. ५२९ कवि हेमराज . मुंबई. ५३० भाइचंद कस्तुर गोपीपुरा सूरत. ५३१ प्रेमचंद रतनजो वीरजी शेठ. भावनगर. ५३२ गीरधरलाल हरजीवनदास शरना व्यापरी. घोघा. ५३३ शा. मगनलाल नारणदास पाटण. ५३४ मुंबई. " "" "" ५३५ रायचंद जिनागम संग्रह अमदावाद. ( जुओ २०९ ) ५३६ पंडित बहेचरदास. मुंबई. ५३७ शेठ, जवाहरलाल जैनी सिकन्दराबाद जिल्ला बुलन्दशहर, ५३८ Johannes Hertel, In Commission dei Markort & Petters Leipzing Seeburgstr 53 ५३९ अचरतलाल जगजीवन भावनगर. ५४० झवेरी सोभागचंद दोलतचंद नवी कापड ५४१ शा. शान्तिदास बेनसी जामनगर. ५४२ मास्तर जेचंद नेणसी बोरा, ठा. नायगांम म्यु. स्कूल. मुंबई. [ मुंबई. मारकेटनी सामे. [ नं. १४ For Private And Personal Use Only Page #50 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org XXV ५४३ सुखसागर ज्ञानप्रचारक सभा लोहावट मारवाट (जुओ ५४४ बालचंद्रनाथ लाहोर. [ नं. ६८१९ ) ५४५ वकील ल्हेरभाइ अणहीलपुर पाटण गुजरात. ५४६ क्षेमराज दखनदास मुंबई. ५४७ उकाभाइ शीवजी, ज्ञानदीपक छापखानाना मालीक मुंबई. ५४८ शा. गंभीर शामजी मुंबई. ५४९ जैन एडवोकेट प्रीं. प्रेस अमदावाद. ५५० पं. भगवानदास. सेखनो पाडो झवेरीबाड अमदावाद. ५५१ शा. उमरसी रायसीनी वखारे पोष्ट नं. ३ भात बजार मां५५२ शा. हीरालाल वर्धमान. अमदावाद. [ डवी. मुंबई. Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ५५३ आत्मकमल ग्रंथमाला. खंभात. ५५४ प्रेमचंद अमरचंद ठा. जैन विद्याशाळा. वांकानेर राजपूताना. ५५५ जैन विद्याशाळा. वांकानेर ( जुओ ६५४ ) ५५६ पंडित कान्तीविजयजी ( पंन्यास जोइए ) ५५७ भीमजी हरजीवन ( जुओ नं. ४४९ ) ५५८ सुशील. ५५९ जैन सस्ती वांचनमाला. भावनगर. ५६० सुखसागर ग्रंथमाला. लोहावट. ५६१ देवचंद दामजी. कुंडळाकर, मालीक जैन ५६२ मेसर्स. देवचंद अमरचंद. पालीताणा. • भावनगर (जुओ [ नं. ४४ ) ५६३ . पंडित. लालचंद एम शाह. वडोदरा. ( जुओ नं. ५०० ) ५६४ शेठ. वर्धमन स्वरुपचंद, इडर, महिकांठा. ५६५ शिरपुरनो संघ, शिरपुर. ५६६ संस्कृत कोलेज. काशी. ५६७ व्यास, पूनमचंद तनसुख वैध्य व्यावर राजपूताना. ५६८ जैन धर्मविजय पुस्तकालय, वीरमगाम, For Private And Personal Use Only Page #51 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir XXVI ५६९ पं. हीरालाल शर्मा. अमृतसर. ५७० लाला चुनीलाल दुग्गड. अमृतसर. ५७१ अंबालाल जेठालाल. चिंतामणि बजार. मु. खंभात. ५७२ मंछारांम घेलाभाइ “ देशीमित्र" पत्रना अधिपति मुंबइ. ५७३ किलाभाइ घनश्याम. ५७४ डेकन कॉलेज, पुना. ५७५ जैन ग्रंथोत्तेजक मंडळीना प्रमुख (जुओ नं. २०० ) मुंबई. ५७६ श्री खंभात मुबोधक पुस्तकालय. खंभात. ५७७ मंडनग्रंथ संग्रह ग्रंथो-हेमचंद्राचार्य ग्रंथावली पाटण. (ग्रन्या [१० नं. ५) ५७९ संस्कृत प्रधानाध्यापक डुंगरकॉलेज. बीकानेर. ५८० आत्मधीर ग्रन्थावली. ( जुओ ३७३) ५८१ पुरुषोतमदास जयमलदास. सूरत. ५८२ भोगीलाल सांकल चंद. वहोरा. वडनगर (गुजरात) ५८३ यति ज्ञानचंद्र अक्षयचंद्रजी. ठा. पायधोणी श्री शांन्तिनाथ५८४ श्री लत्तर शर्मणा. बनारस. [जीना देरासरमां मुंबई. ५८५ इश्वरलाल करसनदास कापडिआ. सूरत. ५८६ टी, ए, गोपीनाथ, राव, अॅम. ए. सुप्रीन्टेन्डेन्ट, ऑफ, __ आर्चीऑलॉजी त्रिवन्द्राम तान्जोर. ५८७ सरस्वतीविलास सीरीझ. त्रिवन्द्राम. ५८८ भगवानजी लुंबाजी ( मारवाड ) सियाना. ५८९ आत्मतिलक ग्रंथ सोसाइटी रतनपोळ अमदावाद. ५९० झवेरी बापुलाल चुन्नीलाल. पाटण. ५९१ वाडीलाल पानाचंद. पाटण. ९९२ प्रो. अॅल. मुएली. डी. पी. अॅच. ( संशोधक). ५९३ शा. मंछुचंद कल्याचंद, सूरत. For Private And Personal Use Only Page #52 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir XXVII ५९४ शा. चुन्नीलाल हकमचंद. अमदावाद. ५९५ माङ्गरोल जैन सभा गंथमाला. मुंबई. ५९६ शेठ. चान्दमल्लजी. बेदका पूत्र जोगीराज वेद. फलोषि. ५९७ रामलालजी ठा. बडा उपाश्रय. बीकानेर. ५९८ जैन लक्ष्मी मोहनशाळा. ठा. बडा उपाश्रय. बीकानेर ५९९ तत्वदीपक मोहनमंडली. कलकत्ता. ६०० ,, , जैन पाठशाळा. मुंबई. ६०१ श्री हीरजी हंसराज. मुंबई. ६०२ ताराचंद निहालचंद. रतलाम. ६०३ शा. चंदुलाल छगनलाल. झापडानी पोळ, अमदावाद. ६०४ सनातन जैन. कार्यालय. मुंबई. (जुओ ४५१) ६०५ जैन प्रीन्टीन्ग वर्कस् लोमीटेड कोट मुंबई. ६०६ मनसुखभाइ रवजीभाइ महेता. अवेरीबजार मुंबई. ६०७ मनसुखभाइ रायचंद वांचनग्रह. अमदावाद. ६०८ भभूतमल. डी. सी. इ. आबुरोड सिरोही. ६०९ बी. पी. सिंधी. आबुरोड सिरोही. ६१० अणथुइनो संघ. सूरत. ६११ संभव जिनमंडळी लुणसावाडे मोटीपोळ. अमदावाद. ६११ गुजरात वर्नाक्युलर सोसाइटी. अमदावाद. ६१३ भोगीलाल भीखाभाई गांधी. हेडमास्तर. स्कुल कडी. ६१४ वाडीलाल पुरुषोतम. राणपुर का यावाड, ६१५ शेठ. नागरचंद उजमचंदना वहीवटदार प्रेमचंद रतनचंद. कनासपाडा पाटण. ६१६ वकील मोहनलाल हीमचंद. पादरा. ६१७ श्री ज्ञानोदीपक मंडली. लोहावट. ६१८ चीमनलाल प्रेमचंद मोदी. For Private And Personal Use Only Page #53 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ZXVIII ६१९ जीवराज मणसी. भावनगर. ६२० श्री वीरशासन आनंद समाज. पालीताणा. ६२१. लल्लुभाइ गुलाबचंद झवेरी. ३०९ सराफ बार मुंबई, ६२२ जीवदया ज्ञानप्रसारक फंड. मुंबई ( जुओ नं. ६२१) ६२४ ज्वालाप्रसादजी मुरादाबाद नीवासी. ६२५ पं. श्रीधर शिवलाल. ज्ञानसागर प्री.प्रे. मुंबई पोस्ट माहिम, मु. श्री कृष्णगंज मुंबई. ६२६ पंडित बलदेवप्रसाद मित्र. मुरादाबाद निवासी. मुरादाबाद. ६२७ ए. जी. ( जे.) सुनावाला बी, ए, अॅल, अॅल, बी. ६२८ डॉ. अल पी देसीटोरी. ६२९ शा. हरीलाल शिवलाल बी. ए. ६३० मगनलाल नगीनदास. ६३१ M. V. मोक्षाकर. ( वल्लभ विजयना शिष्य.) ६३२ वीसनगर संग समस्त. वीसनगर. ६३३ मास्तर यदुराम हरिदास कोडाय. कच्छ. ६३४ जगजीवनदास केवलदास सूरत. ६३५ हरगोवन कालीदास अमदावाद. ६३६ जैन हठीसींग सरस्वती सभा. शामलानी पोळ अमदावाद. ६३७ मोतीलाल छगनलाल. ६३८ सांकलचंद वाडीलाल.. ६३९ हरीलाल वाडीलाल. ६४० सरस्वती ग्रंथमाला. बनासर.. ६४१ दामोदर गोविंदाचार्य. ६४२ डायमंड ज्युबिली. पी. प्रेस. अमदावाद. ६४३ विचारामृत संग्रह ६५५ क्षेठ, सक्षमीचंद भमरचंद बेटनगंज मागरा. For Private And Personal Use Only Page #54 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir XXIX ६४५ प्रवर्तक कान्तिविजय जैन इतिहासमाला. (जुओ १७) भा. ६४८ बापुजी सुमेरमलजी सूराणा बीकानेर. [वनगर. ६४७ ,, (जुओ नं. १०१) , मनोहरदासका कटरा. बडाबजार कलकत्ता. ६४८ शा. प्रेमचंद सांकलचंद घांचीनी पोळ. अमदावाद. ६४९ श्री मोहनलालजी जैन लायब्ररी (पाठशाळा ) अमदावाद. ६५० मोहनलाल डाह्याभाइ सूरती. दोशीवाडानी पोळ. १९६९ अमदाबाद. ६५१ आत्मानंद जैन स्वेताम्बर महामंडलका द्वितीय अधिवेशन लुधियाना सीटी पंजाब. ६५२ माठुमल भनसाली श्वेतामर जैन मालीक आर्ट प्रीटींग ब केस फतहपुरी देहली. ६५३ " साहित्य प्रकाशक मंडल " ना सेक्रटेरी जुओ. (६५४) ६५४ चुन्नीलाल चत्रभुज. जामनगर. [जामनगर. ६५५ " जैन ग्रंथावलो." का. भगुभाइ फतेचंद. पेयापुर. ६५६ वीरसमाज ग्रंथावली अमदावाद. [मदावाद. ६५७ लघु जैन धर्म प्रवर्तक सभाना सेक्रेटरी (जुओ ६५८) अ६५८ वाडीलाल मनसुखराम सेक्रेटरी ल. आ. जै. ध. स. गुसा पारेखनी पोळ अमदावाद. ६५९ मोजाशानी धर्मशाळा. “जैन धर्मशाळा श्रेयस्कर मंडळ" पालीताणा. (जुओ ३३)। ६६० प्रवर्तक कान्तिविजय जैनइतिहासमाला. ( जुओ १७) ६६१ दोलतराम मगनलाल शाह. वडोदरा. [ भावनगर. ६६२ पंडित जीवानंद विद्यासागर भट्टाचार्येण प्रकाशितम नं. ९ शामसेट स्ट्रीट कलकत्ता. ६६७ धारदाविजय प्रेस. भावनगर. For Private And Personal Use Only Page #55 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ६६८ "जैन शासन "बनारस. (जुओ १२३) ६६९ कीबडी संघ. (काठीयावाड ) ६७० हरगोवन बहेचरदास. बनारस. वाराणसी काशी. ६७१ लालारांम शास्त्री. सूरत. (दि.) ६७२ पादरा संघ. ६७३ अमेरिकन ओरोऍन्टल सोसाइटी. ६७४ हरिभद्रसरि कृत ग्रंथमाला भावनगर. ( जुओ नं. ६) ६७५ शेठ, हवसीलालजी पानाचंदजी बालापुर. आकोला. मुल्क ६७६ शिवानंद ग्रंथमाला मढडा. ( जुओ नं. ४४९) [वराड. ६७७ अग्लोवर्नाक्युलर पी. प्रेस. अमदावाद. ६७८ शाह. झवेर डाह्याभाइ धोलेरा बंदर. ६७९ शाह. देवसी डाह्याभाइ धोलेरा बंदर. ६८० " प्राचीन काव्यमाला" गायकवाड वडोदरा. ६८१ हरगोवनदास द्वारकादास कांटावाला वडोदरा. ६८२ रायबहादुर मायसिंहजी मेघराज कोठारी. ६८३ शेठ. कस्तुरभाइ लालभाइ दलपतभाइ. अमदावाद. ६८४ झवेरी कस्तुरचंद कल्याणचंद. मुंबई. ६८५ लालचंद हेमचंद मुखडीआ. सूरत. ६८६ " वॉरा. हठीसिंह झवेरचंद. सीरीझ" (नं. १७ जुओ.) ६८७ "जैन प्रभाकर " बनारस नानकचंद जती. [ भावनगर. ६८८ आनंद प्रीन्टींग प्रेस भावनगर. ६८९ “जैन ग्रंथावली " भावनगर. (जैन जुओ ४४) ६९० विवेकचंद ज्ञानमल. धार. ६९१ उदयसागर छापखानुं धार. ६९२ मुनि अनन्तकीर्ति दि. जै. प. मा. ६९३ “किशोर मणिमाला. " भावनगर, For Private And Personal Use Only Page #56 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir XXXI ६९४ शा. वाडीलाल मोतीलाल मुंबई. c/o शकराभाइ मोतीलाल ६९५ " श्री आत्मानंद जय ग्रंथमाला " डभोइ. [मुंबई. ६९६ " प्राचीन जैन काव्य संग्रह. " (जुओ नं. १६) मौक्तिक. ६९७ "गुर्जर साहित्योद्धार" (जुओ १६, ६९६ ग्रंथाङ्क, सूरत. ६९८ आनंद काव्यमहोदधि. ( जुओ नं. १६) ६९९ श्रावक उमेदमल चंद्रभाणजी ऍन्दला गुडा ठा. चमनाजी डुंगाजी. ठा. चीकपेठ मु. बेंगलोर. ७०० मनोहरलाल शास्त्री. ७०१ जैन ग्रंथ उद्धारक कार्यालय मुंबई. ठा. खदरगली हौदावा डी पोस्ट गीरगाम. मुंबई. ७०२ शेठ, खेमचंद फुलचंद सीनोर. ७०३ बाइ समरथ स्मारक माळा मणको.१ लो.) भावनगर. ७०४ शा. वल्लभजी हीरजी पोरबंदर. ७०५ , कलकत्ता. ७०६ चोखंभा संस्कृता सीरिझ. ७०७ बाबु सुरजभानू वकील (दि.) ७०८ एसीआटीक सोसाइटी मुंबई. ७०९ “ मुंबइ संस्कृत ऍन्ड प्राकृत सीरीझ" ए. सो. मुंबई. ७१० मुन्सी नाथुरांम लभेचुभाइ. लखनउ. ७११ शा. अंबालाल गोवर्धनदास मंगळदास मारकीट चोयीगली ७१२ शेठ वीरचंद दीपचंद अमदावाद. [मुंबई. ७१३ व्हेन सूरज भावसार मनसुखभाइ पुरुषोतमना पत्नि खेडा. ७१४ शा. लल्लुभाइ करमचंदन छापखानुं शिलानुं अमदावाद. ७१५ शा. सांकलचंद जेचंद. अमदावाद. ७१६ त्रीभोवन रुघनाथदास आकाशेठना कुवानी पोळ अमदावाद. ७१७ लल्लभाइ इश्वरदास ठा. मदनगोपाळनी हवेली अमदावाद. For Private And Personal Use Only Page #57 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir XXXII ७१८ " शिक्षा रत्नमाला" इन्दौर. ७१९ श्री मध्यभारत हिन्दी साहित्य समिति इन्दौर. ७२० श्रावक हरशीभाइ देवराज कच्छ सरडीवाळा. ७२१ धुळजी गणेश. महेदपुर मालवा. ७२२ " धर्मवृद्धि ग्रन्थमाला" (जुओ नं. १४ ४७) ७२३ हरगोवनदास त्रीकमचंद राधनपुर. ७२४ शेठ चांपसीभारा C/o. लखमसी नेणसीनी दुकाने मांडवी पुल उपर मुंबई. ७२५ सागरचंदजी गुलाबचंदजी द्वा. ७२६ माणेकलाल दीयाळजी भावनगरी. भावनगर. ७२७ माधवजी प्रेमजी तोरीवाळा. ७२८ दोलतचंद हकमचंद मुंबई. ७२९ "जैन ज्ञान प्रसारक मंडल" मुंबद ठा. सराफ बजार मुंबई. ७३० कीर्ति प्रसादजी वकील मेस्ट. ७३१ डॉ. भूखणदास प्रभुदास. ७३२ राय लक्ष्मीपतिसिंह बहादूर मुर्शिदाबाद. ७३३ आत्मानंद जैन सभा लाहोर पंजाब. ७३४ " जैन यूनीयन " जामनगर. ७३५ मणिशंकर हरगोविंद. भट. ७३६ वीरचंद राघवजी गांधी. ७३७ जवेरी नगीनदास लल्लुभाइ पायधोनी मुंबई. ७३८ कनार्टक प्रेस. मुंबई. ७३९ वेणीचंद सुरचंद. महेसाणा. ७४० जैन सभा. तीवरी-मारवाड. ७४१ चुन्नीलाल पनालाल. मुंबई. ७४२ चंद्रप्रभा यंत्रालय, For Private And Personal Use Only Page #58 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir XXXIII ७४३ कालीदास वनमालीदास, अमदावाद. ठा. मनसुखभाइनी स्कुलना हेडमास्तर. ७४४ कचराभाइ गुलाबचंद शाह. अमदावाद. ७४५ शा. रायचंद खुशाल. मुंबई. ७४६ वीसनगर जैन ज्ञानभंडार ग्रंथावली. ७४७ वीसनगर जैन ज्ञानभंडार समाज. ठा, जैन उपाश्रय वीसनमर. ७४८ पुनमचंद आनंदमलजी वीकानेर राजपूताना. ७४९ रवजी देसर. सायण-कच्छ. ७५० जुगराज सेठिया. सेठि बीकानेर. ७५१ वाडीलाल डाह्याभाइ पंडित. नवादरवाजा अमदावाद, ७५२ जैन सरस्वतीभवन, अमदावाद. ७५३ धर्म नीति ग्रंथावली (२) अमदावाद. ७५४ एज्युकेशन सोसाइटी प्रेस मुंबई. भोयखला (जुओ ७९५) ७५५ मनसुखलाल हरीलाल गांधी. गोधरा-(दाहोद) ७५६ नाथजी मनसुखलाल गांधी. गोधरा. ७५७ गांधी कान्तिलाल महासुखनाथजी वेजलपुर स्टे. खरसालीवा. ७५८ मास्तर कुंवरजी दामजी. बुद्धिसिंहजी जैनशाळा पालीतागा. ७५९ कपुरचंद ठाकरसी. पालीताणा. ७६० शा. नगीनचंद अवेरचंद. ७६१ "जैन सुभेच्छक मंडळ. " वेताळ पेठ पूना. ७६२ रामगोपाल दुबे. मुरादाबाद. ७६३ शेठ. माणेकचंद कुंवर. कुंडळा. ७६४ पीथालाल C/o शा. गुलाबचंद नगीनदासनी दुकाने सिंधी ७६५ श्री पद्म जिनमंडली. सागंद. [गली हंबई. ७६६ शेठ चुनीलाल उमेदभाइ साणंद. ७६७ शेठ मंगळदास वालचंद साणंद जुओ (नं १६३) For Private And Personal Use Only Page #59 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir XXXIV ७६८ तत्व प्रकाशक सभा (नाम बदलीने) ग्रंथ प्रकाशक सभा नाम राख्युं छे ( जुओ नं. २१८ ) अमदावाद. ७६९ शा. वाडीलाल बापुलाल. पांजरापोळ-अमदावाद. ७७० "सत्यविजय ग्रंथमाला" (जुओ नं. ४३९) अमदावाद. ७७१ शाह. वाडीलाल मोतीलाल. (जुओ नं. २२७) अमदावाद. ७७२ हीराचंद कस्तुरचंद झवेरी. बावासिधि गोपीपुरा सुरत. ७७३ दोशी रामचंद जेठाभाइ, ७७४ सेवग मुगनचंद ठा. जैनमंदिर च्यारकमानका हैद्राबाद दक्षिण. ७७५ नेमिचंद्र यति. हैद्राबाद दक्षिण ग. च्यारकमानका जैनमंदिर. ७७६ शा. भूरमलजी जीवाजी. जालोर-मारवाड. ७७७ शा. सोमचंद हठीसींग बुकसेलर. हाजापटेलनी पोळमां लां. ७७८ बोहरा मिश्रीमल जैन रतलाम. [बेसर अमदावादः ७७९ शा. ककलचंद लल्लुभाइ भावनगर. ७८० शेठ. रतनजी वीरजी भावनगर. ७८१ शेठ. मोतीचंद गीरघर कापडीया. भावनगर. ७८२ लक्षमीचंद ठा. कल्याणमल भडगना त्यां मोतींकटरा. अजमेर. ७८३ माणेकलाल घेलाभाड वडोदरा. ७८४ हंसराज शास्त्री पञ्चनन्दीय (पंजाबी) अमृतसर. ७८५ श्री आत्मानंद जैन सेन्टरल लायब्रेरी. अमृतसर पंजाब. ७८६ देवचंद दामजी. भावनगर. ७८७ "जैन सुभेच्छक मित्रमंडल" भावनगर. जुओ (इनामी नि. बंधो बहार पाडया छे ) ( नं. ७८६) ७८८ महादेव रामचंद्र जागुष्टे त्रण दरवाजा-अमदावाद. ७८९ पीमतरांम नवलराम लक्ष्मीराम ठा. वैद्यकवि दुर्लभश्याम ध्रु वना कालकादेवी परर्नु दवाखानुं बदामवाडी पासे मुंबई. ७९० नाथुरांम प्रेमी. (जुओ नं, ) मुंबई. For Private And Personal Use Only Page #60 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir XXXV ७९१ जी. अॅम, गेकटीवाला अॅन्ड. अधर्स सूरते. बुकसेलर्स अॅन्द ७९२ पण्डित कीर्तिविजय गणि. [कमीशन एजन्ट सूरत. ७९३ अमरचंद बहेचर. पालीताणा. ७९४ प्रेमचंद जेठाभाइ राधनपुर, ७९५ मुंबई जुओ.७५४ ७९६ Joh Kirste, Vienna विएना. ७९७ जैन धर्माभ्युदय ग्रंथमाला वडोदरा कोठीपोळ. ७९८ धन्नुलाल सुचंति मु. बिहार. ७९९ मावजी दामजी शाह. भावनगर. ८०० ज्ञानपाल सेठिया. वीकानेर. ८०१ शा. रतनचंद लाधाजी. काविठा पेटलाद. ८०२ शा. झवेरभाइ भगवानदास. (पेटलाद) (काविठा.) ८०३ गुजराती पी. प्रेस. मुंबइ. ८०४ शाह. दीपचंद छगनलाल बी. ए. भावनगर, ८०५ शाह. हरीलाल छगनलाल. भावनगर. ८०६ शा. खीमचंद हीराचंद दलाल. ८०७ प्रभुदास अमरतलाल महेता बंसी (जुओ नं. ९३) भावनगर. ८०८ " सनातन जैन ग्रंथमाला" मुंबई. ८०९ जिनविजयजी ( जुओ ३६) अमदावाद. ८१० चंचळबाइनो ज्ञानभंडार. फताशानी पोळ हरकोर शेठाणीनी हवेली अमदावाद. ८११ मोहनलालजी लायब्रेरी ठा. कालुपुर रोड कागदीओळ फर नान्डीझ ब्रीज पासे अमदावाद. ८१२ पं. मेघविजय शास्त्र भंडार. ठा. विद्याशाळा दोशीवाडानी पोळ अमदावाद. ८१३ श्रीपूज्य नृपचंद्रजीनो जुनो ज्ञानभंडार. माळवा पळगड. For Private And Personal Use Only Page #61 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir XXXVI ४१६ पर्वधन (हस्त लिखित मासीक) वीरतत्व प्रकाशक जीवपुरी. ८१५ मंडळना विद्यार्थी मंडल. शीवपुरी गवालीयेर. ८१६ बुद्धिसिंह जैन पाठशाळा. पालीताणा. ८१७ चुनीलाल हकमचंद. अमदावाद. ८१८ फूलचंद हरीचंद दोसी. महुवाकर. ८१९ वजिंग विजयचंन्दजी सदाजी जैन. बागरा. ८२० मूलचंद बोहरा. अजमेर. ८२१ मदनचंद घाडीलाल. अजमेर. ८२२ मुंशी नवलकिशोर. सी.आइ.इ. पी. प्रेस. लखनउ कानपुर. ८२३ सोमचंद जेठालाल. अमदावाद ढाळनीपोळमां खाराकुवानीपोळ ८२४ शाह. उदयमल कल्याणमल. ब्यावर. ८२५ आणंदजी ताराचंद. जामनगर. ८२६ चोथमल चुनीलाल. झालोर-मारवाड. ८२७ मद्रास कोलेज. प्रो. अॅम. रंगाचार्य. मद्रास. ८२८ शा. फकीरचंद इश्वरदास. ठे. शिवलाल झवेरचंद संघवी देवसाना पाडा-अमदावाद. [नी पोळ. ८२९ दोलतचंद पुरुषोतम. बरोडीया-बी. ए. अमदावाद. ठेमला८३० चुनीलाल वर्द्धमान शाह. अमदावाद. ८३१ चीमनलाल डाह्याभाइ. वडोदरा. ८३२ कृष्णलाल मोहनलाल झवेरी. ८३३ सुगनचंद श्रावणसुखा. वीकानेर. ८३४ रावत शेरसिंहजी जैन. कोटा. ४३५ श्रीमद् राजेन्द्र सूर्याभ्युदयावली. रतलाम. ८३६ शा. हेमचंद मोहनलाल चोकशी. बोरसद. ८३७ “चद्रसिंहसरि जैन मंथमाला." For Private And Personal Use Only Page #62 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ८३९ छगनलाल उमेदचंद. ८४० गीरधर इकमचंद. XXXVII ८३८ हरगोवनदास मगनलाल शाह. " जैन सुधाराखाताना कार [ भारी " मेसाणा. Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( राज्य डुंगरपुर ) ८४१ प्राचीन सुभाषित संग्रह. ( जुओ नं. २८३ ) कलकता. ८४२ पंडित. करुणाशंकर शर्मा. वांसवाडा ८४३ झवेरी मनसुखलाल दोलतचंद. पाटण. ८४४ पंजाब संस्कृत पुस्तकालय लाहोर. For Private And Personal Use Only Page #63 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ग्रंथोपलब्ध ग्राम स्थळ संख्या अकारादि. ३ अजमेर. ३१९, ४१०, ७८२, ८२०, ८२१, २ अजीमगंज, २४, १०५, १४५ अमदावाद राजनगर. ११, ३४, ३६, ४१, ४९, ५२, ६३, ६४, ७३, ८२, ९४, ९५, ९८, (९९-२३९) २६०, १०२, २०८, ११८, १२४, (१२९-१४७) १३५, १५५, १६५, १६९, २६३, (१७१, १९०) १७६, १७९, १८१, १८३, १८७, १८९, १९३, १९४, १९५, १९६, १९७, १९८, २०५, २०९, २१८, २१९, २२९, २२७, २३७, २४०, २४६, २५३, २५४, २५७, २५८, २९६-२९७, २९८, ३०५, ३१५, ३१८, ३२३, ३२३, ३२९, ३१२, ३४२, ३५३, ३५९, ३८४, ३८५, ३८६, ३९२, ३९८, ४०१, ४०२, ४०६, ४१४, ४१९, ४२७, ४३५, ४३९, ४४१, ४४५, ४५४, ४५५, ४५८, ४५९, ४६६, ४६८, ४७५, ४८०, ४८२, ४८४, ४८७, ४८८, ५१६, ५१७, ५१८, ५२०, ५३५, ५४९, ५५०, ५५१, ५८९, ५९४, ६०२, ६०७-६११, ६१२, ६३५, ६३६, ६३७, ६३८, ६३९, ६४०, ६४१, ६४२, ६४४-६४८ अ, ६५०, ६५६ ६५७, ६५८, ६७७, ६८३, ७१२, ७१४, ७१५, ७१६, ७१७, ७४३, ७४४, ७५१, ७५२, ७५३, ७६८,७६९, ७७०, ७७१, ७७७, ७८८, ८०९, ८१०, ८११, ८१२, ८१७, ४ अमृतसर-(पंजाब.) ५६९, ५७०, ७८४, ७८५, १ आकोला वराड ३९७ ९ भाषा-१४, ३९,४६, ४७,५७, ७०, १२८, ६४४,७२२ For Private And Personal Use Only Page #64 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १ आणंद ५०५ ६ आबुरोड १५३, २६२, ३५४, ५१०, ६०८, ६०९ २ आमलनेर ३२०-४७२ १ आरा २९४ ४ इटावा ११६, २०४, ३१०, ३११ २ इडर ३२३, ४०२ ९ इन्दौर ११२, ११३, १८५, १८६, ४९७, ४९८, ७१८, १ इलाहाबाद.१२७ [७१९, ७२. १ उजैन ३६० १ उदयपुर ४३८ ३ ओसिया ६८, ३४१ १ अंजारा (कच्छ) १३९ ५ अंबाला शहेर ४८-१४८, ३३०, ३७९, ३९० १ कपडवणज ४२९ १ कडी-गुजरात ६१३ २३ कलकत्ता ९, (२९-.१४४), (७६-६३६) (१०१, ६४७) (१०४-२८४) १०७, १५६, २८३, ३६६, ३९५, ३९६, ४०९, ४१३, ४२१, ५९९, ६४७, ६६२, ७०५, ८४१ १ कलोल-गुजरात ३७० १ काइमगंज २. १ कानपुर ८८२, १ कालीयावाडी १११, २ काविठा-पेटलाद ८०१,८०२ १ कुंडळा ७६३ २ कोटा १२०-८३४ २ कोडाय (कच्छ) ८४-६३१ For Private And Personal Use Only Page #65 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org १ कोयतुर २४५ १ खाचरोद - ( उजैन ) १५१ Il ३ खामगाम ( प्रान्त वेरार ) बराड २०३, ३९९, ४०० १ खीवाणदी (मारवाड) ३७५ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २ खेडा ७९, ७१३ ११ खंभात ९२, २१६, २३८, २४३, ४२४, ४४८,५०२, ५१४, ५५३, ५७१, ५७६ १ गुजरातवाला (पंजाब) २७३ १ गुडा बालोतरा ( मारवाड ) ३३८ ३ गोधरा २३१, ७७५, ७७६ १ घोघा ५३२ २ जयपुर ७२५, ४५० ९ जामनगर ३२, १३४, १४०, ४२०, ५४१, ६५३, ६५४, १ जालंधर (मेवाड ) ४७१ [ ७३४, ८२५ २ जालोर - झालोर - ( मारवाड ) २ जोधपुर ३४१ - ३४५ १ ठाणा ३२२ ५४ ठेकाणां नहि मळेलां ९१, १२१, २०१, २२२, २४९, २५२, २६९, २७०, २७५, २८६, २७१, २९३, ३६४, ३६८, ३७१, ४०८, ४१२, ४४६, ५२३, ५२४, ५२५, ५३८, ५७३, ६२८, ६२९, ६३१, ६३०, ६४३, ६९२, ७००, ७०६, ७०७, ७२७, ७४२, ७६१, ७७३, ८०६, ७९२, ८३२, ८३७, ८३९, ८४० ४४७, ४६५, ४९६, ५९२, ६१८, ६२७, ६४४, ६७३, ६८२, ७३१, ७३५, ७३६, १ डभोई ( वडोदरा ) ६९५ For Private And Personal Use Only Page #66 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १ तखतगढ २९८ १ तीवरी-(मारवाड) ७४० २ त्रिवन्द्राम तानजोर ५८६, ५८७ १ यरा २८५ १ थराद ४२५ १ देवबंद (जील्ला सहरानपुर ) ३३६ ५ देहली, दील्ही, दिल्ली १५९, २२८, ३२१, ३४७, ६५२ ३ धार ४८६, ६९०, ६९१ । १ ध्रांगद्रा ( काठीयावाड) ३६९ ४ धोलेरा २२४, ६७८, ६७९ १ नडीआद २०८ १ नडोद १९२ १ नयानगर ९७ १ नागपुर १६२ १ पाचोरा २७२ १२ पाटण २६, ३३१, ३७२, ४०५, ४३२, १३३, ५३३, ५४५, ५७८, ५२०, ५९१, ६१५ ७ पादरा १५, १११, २६५, ५२१, ५२२, ६१६, ६७२ २ पालणपुर २२०, ४२२ १४ पालीताणा ४, (६७, २२३) १४३, १६४, १९९, २०७, ५६२, ६२०, ६५९, ७५८, ८१६, ७५९, ७९३ ९ पूना ८, (८३, १५८), ८८, २६१, ३६५, ४१६, ५७४, ७६१ १ पेटलाद ५०६ .१ पेयापुर ३१६ १ पोरबंदर-काठीयावाढ ७०४ For Private And Personal Use Only Page #67 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir xit १ प्रतापगढ ३०१ ३ प्रान्तीज १८४, ४६७, ४६८. .. ६ फलोधी २६७, ६८, ३५५, ४२८, ४२३, ५९६ १८ बनारस ५६, ६९, १२५, १८०, २३६, २६८, २८७, ३६७, ४१५, ४३०, ४६४, ५१२, ५१३, ५६६, ५८४, ६६८, ६७०, ६८७ १ बायठ (कच्छ) १६१ १ बालापुर (जील्ला आकोला वराड ) ६७५ २ बाली (मारवाड) १५४, २५९ १ बिहार ७९८ २ वुहारी ४६१-४६२ २ बेंगलोर (दक्षिण) ४२६, ६९९ १ बोरसद ८३६ ३ ब्यावर (राजपूताना) ५, ५५७, ८८४ २ भरुच २५१, ३१३ ५९ भावनगर ६, १३, १४, १७, ३०, ३१, ४४, ५४, ५५, ६५, ८६, ९३-९६, १२३, १३२, १३३, १७०, १७१, १७४, २७१, ३२४, ३३७, ३४६, ३४८, ३४९, ३६९, ३७३, ३७४, ४३४, ४५६, ४६०, ४७४, ४९९, ५३१, ५३९, ५५९, ५६१, ५८०, ६१९, (६४५, ६६०) ६६७, ६७४, ६८६, ६८८, ६८९, ६९३, ७०३, ७०२, ७२६, ७७९, ७८०, ७८१, ७८६, ७९९, ८०७, ८०४, ८०५, ७८७. १ मकसुदाबाद ३४०. ३ मन्दा १०९, ४४९, ६७६. १ मद्रास ८२७. १ महुधा ३३२. For Private And Personal Use Only Page #68 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ८३८. १ माणसा ३४४. slite १ महुवा ( काठीयावाड ) ८१८. १ महेदपुर (माळवा) ७२१. ७ महेसाणा - मेसाणा ३३, ६१, १७३, १८८, २२९, ७३९, Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ३ माण्डल ८५, १७८, ३७७. १ माण्डवला ( पोस्ट जालोर ) २८१. १ मालेगाम धुलीया ५१५. ३८१, ३८२, ११९ मुंबई ७, १०, २५, २८, ३५, २३, ५३, ५९, ६०, ६६, ७३, ७४, ७५, ७८, ८०, ८१, ८९, १०६, १०९, ११४, ११५, ११७, ११९, १२१, १३१, १४२, १६०, १६६, १६८, २००, २०२, २१४, २१५, २१७, २२१, २३५, २५०, २५५, २५६, २७६, २७७, २७८, २८२, २८८, २८९, २९०, ३००, ३०२, ३०३, ३०४, ३०८, ३१३, ३२५, ३३९, ३४३, ३५२, ३५७, ३६२, ३८८, ४०४, ४११, ४३६, ४३७, ४४०, ४४४, ४५१, ४५२, ४७६, ४७७, ४७८, ४८९, ५०७, ५०८, ५०९, ५२९, ५३४, ५४२, ५४६,५४७, ५४८, ५५१, ५७२, ५९५, ६०, ६०४, ६०५, ६०६, ६२१, ६८४, ६९५, ७०१, ७०८, ७०९, ७११, ७२९, ७३७, ७३८, ७४१, ७४५, ७५४, ७९०, ८०३, ८०८० १ मुरादपुर ( पटना ) ५१. ४ मुरादाबाद २७४, ६२४, ६२६. ७६२. १ मुर्शिदाबाद ७३२. १ मेरठ ७३०, For Private And Personal Use Only ४४२, ४४३, ४७९, ४८१, ५३६, ५४०, ५७५, ५८३, ६२२, ६२५, ७२४, ७२८, ७६४, ७८९, Page #69 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ३ मोरवी २९२ ४१७, ४१८. १ मंडवारीया (शिरोही) २४१. ८ रतलाम ३७, १००, २०६, ३५६, ३९१,६०२,७७८,८३५ १ राजकोट १५०. १ राणपुर ६१४. ५ राधनपुर ४५३, ५०३, ५०४, ७२३, ७९४. २ लखनउ ७१०, ८२२. ९ लाहोर ४२, (२०१, २४७), २४२, २४८, ३९३, ३९४, ५४४, ७३३. . १ लीपक्षीग् (जर्मनी) ४६३. १ लीम्बडी (काठीयावाड ) ६६९. १ लुधियाना (पंजाब) ६५१. ५ लोहावट १९, १८२, ५४३, ५६०, ६१७. १ वडनगर ५४२. २५ वडोदरा १८, २२, २७. ७१, ८७, १३८, १४६, (१४९, ३२६) २३२, ३०९, ३५०, ३५१, ३५८, ४३१, ४७३, (५००, ५६३), ५०१, ६६१, ६८०, ६८१,७८३, ७९७, ८३१. २ वढवाण १४१, १५२. १ बलाद-(अपदावाद) २४४. १ वागरा (मारवाड) १५७, ८१९. १ वाहानेर ३३५. १वांसवाडा ८४२. १ विएना ७९६. ४ विजापुर ६२, १०३, २७९ ४०७. १ वीरमगाम ५६८. १७ पीकानेर ४३, (७७, २१३), २१२, ५५४, ५५५, ५५६, For Private And Personal Use Only Page #70 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ५५७, ५५८, ५७९, ५९७, ५९८, ६४६, ७४८,७५०, ८००, ८३३. ४ वीसनगर १६७, ६३२, ७४६, ७४७. ४ वेजलपुर ९०, ३८७, ३८९, ७५७. १ वंथली ३०७. १ शिरपुर ५६५. १ शिवगंज ४५७. ३ शीवपुरी (गवालीयेर) ८१४, ८१५, ८१६. १ सरदारपुरकी छावणी ४७०. १ सागर (सी. पी.)२९५. १ साचोर ४२३. ८ साणंद ५८, १६३, १९१, ३०६, ५१९, ७६५, ७६६,७६७ १ सादरा ३१६. १ सायण (कच्छ) ७४९. १ सायला ४०३. १ सायला ( मरुधर ) २८०. १ सिकंदराबाद ५३७. १ सियाना (मारवाड) ५८८. २ सीनोर २०, ७०२. १ सीरसाळा ३६४. ३३ सूरत १, ३, १६, २१, ५०, १२६, १२, १३०, १७५, २२५, २३३, ३१७, ३२८, ३७६, ३७८, ३८३, ४९५, ६२६, ५२७, ५२८, ५३०, ५८१, ५८५, ५९३, ६१०, ६३४, ६७१, ६८५, ६९६, ६९७, ६९८, ७७२, ७९१. १ सैलाना २३०. १ सोजत ( मारवाड ) २६४. १ सोलापुर ४५. ३ हैदराबाद (दक्षिण) १३४, ७७४, ७७५. For Private And Personal Use Only Page #71 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir IlH आखी सीरीजो जोवालायक ग्रन्थमालाओ. आ ग्रंथमाळाओना मथाळे मे नंबरो मापेला छे तेनां संपूर्ण अडेस (सोरनामु) जोषा माटे छे. झुओ ग्रंथोपलब्धस्थानना नंबरो. २५ विजयकमलकेसर ग्रन्थमाला मुंबई. १४ यशोविजय जैन ग्रन्थमाला भावनगर. ४८ आत्मानंद जैन ट्रेकट सोसाइटी अंबाला शहेर. ५५ शारदाविजय ग्रन्थमाला मुंबई. ५६ जैन विविध साहित्य शास्त्रमाला. बनारस. २२३ ६५ त्रिभोवनदास भाणजी स्मारक ग्रन्थमाला. भावनगर. ६६ मुक्तिकमल जैन मोहनमाला. पालीताणा. ६८ रत्नप्रभाकर ज्ञानपुष्पमाला. ओशिआ. ६९ सरस्वती ग्रन्थमाला. बनारस. ७३ दयाविमल ग्रन्थमाला. अमदावाद. ७७ अभयदेवमूरि ग्रन्थमाला. वीकानेर. २१३ ७८ खरतरगच्छ ग्रन्थमाला. मुंबई. ८१ माणिक्यचंद दि. जैन ग्रन्थमाला. मुंबई ८३ जैन साहित्य संशोधक समिति. पुना. ८६ अ. सो. बाइ रुपाळी. स्मारकमाळा. भावनगर. ८७ आठले संस्कृत गुजराती भाषान्तर ग्रन्थमाला. वडोदरा. ८९ चुनीलाल ग्रन्थमाला. मुंबई. ९१ सद्विचार पुस्तकमाला. ९३ न्युतन साहित्यमंदिर. १०७ आत्मवीर ग्रन्थमाला. कलकत्ता. १३३ उत्तमचंद गीरधर कापडीआ. स्मारकमाळा. भावनगर. १३८ गायकवाड ओरीअॅन्टल सीरीझ. वडोदरा. १२. For Private And Personal Use Only Page #72 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir xlvii १४० अंचळगच्छ स्थापक आर्यरसितमूरि पुस्तकोदारखातुं जामनगर १४२ शेठ, वसनजी त्रिकमजी जे. पी. ग्रन्थमाला. मुंबई. १४८ आत्मकमल जैन ग्रन्थमाळा अंबाला. पंजाब. १५३ हिन्दी साहित्य ग्रंथावली. आबुरोड. १६६ साहित्य ग्रन्थ समुच्चय. निर्णयसागर. मुंबई. १६८ सरकारी केलवणीखातुं. मुंबई. १७० कान्तिविजय ग्रंथमाला. भावनगर. १७२ कान्तिविजय जैन इतिहासमाला. भावनगर. २१६ जैन विद्याशाळा, खंभात. २२२ सनातन जैन ग्रंन्थमाला. २२६ ज्ञानवर्धक पुस्तकमाला. ३०७ वैथली जैनशाळा. ३१५ सत्यविजय ग्रन्थमाला. अमदावाद. १२४ धर्मवृद्धि ग्रंथमाला. भावनगर. ३२५ रामचंद्र जैन शास्त्रमाळा. अमदाबाद. ३२७ सागरगच्छना उपाश्रयनी सीरीझ. सूरत. ३३१ हेमचंद्राचार्य ग्रंथावली. पाटण. ३३६ जैनधर्म प्रचारक पुस्तकालय. ३३७ जैन धर्माभ्युदय ग्रंथमाला. ३४१ रत्नप्रभाकर पुष्पमाला ओसीया. ३४४ आत्मस्मल ग्रंथमाल. माणसा. ३४६ आत्मानंद जैन ग्रन्थमाला. भावनगर. ३४९ हेमचंद्राचार्य ग्रंथावली. भावनगर. ३५४ सुखसागर ग्रन्थमाला. आबु. ३५७ गवर्नमेन्ट सॅन्टल प्रेस. सरकारी केलवणी खातामां संस्कृत अने प्राकृत सीरीज. For Private And Personal Use Only Page #73 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir xlvii ६५९ मानवर्षक पुस्तकमाला. अमदावाद. ३६३ मुनि अमरविजय जैनपाठशाळा. सीरसाळा. ३६९ जैन सस्ती वांचनमाला. भावनगर. ३७४ आत्मवीर ग्रंथमाला. ३९२ भातृचंदजी ग्रन्थमाला. अमदावाद. ३९५ अभयदेवसूरि ग्रन्थमाला. कलकचा. ४२१ बीब्लीओथेका इन्डीका. कलकचा. ४४० काव्यमाला (निर्णयसागरना.) मुंबई. काव्यमाला बीजी छे (ठेका' जणायुं नयी.) गुच्छक ७ जणावा छे. ४४२ मोहनलालजी ग्रन्थमाला. मुंबई. ४४५ गुजरात पुरातत्व मंदिर ग्रन्थावली. अमदावाद. ४४७ शारदाविजय ग्रन्थमाला. ४५१ परमश्रुत प्रभावक मंण्डल. मुंबई. ४५९ विद्यावर्द्धक ग्रन्थमाला. अमदावाद. ४६० जैन धर्माभ्युदय ग्रन्थमाला. भावनगर. ४६५ शेठ. आणंदजी पुरुषोतम ग्रन्थमाला. ४७७ जैन ग्रन्थमाळा समिति. मुंबई. ४७९ जैन विद्याशाळा. मुंबई. ४८३ जैन पाठशाळा. फलोधि. ५०८ फार्बस गुजराती सभा ग्रन्थमाला. मुंबई. ५११ हिन्दी ग्रन्थमाला. आयुरोड. ५१८ अवतारलीला लेखमाळा, अमदावाद. ५२६ अभयदेवमूरि अन्यमाला. सूरत. ५३५ राषचंद्र जिनागम संग्रह अमदावाद. ५३२ आत्पकमल ग्रन्थमाला, खंभात. For Private And Personal Use Only Page #74 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org xlix ५७७ मंडनग्रन्थ- संग्रहना ग्रन्थो. ५८७ सरस्वतीविलास सीरी तान्जोर ६४३ विचारामृत संग्रह. ६७४ हरिभद्रसूरिकृत ग्रन्थमाला. ६७६ शिवानंद ग्रन्थमाळा. ६८६ व्हारा. हठीसींग झवेरचंद सीरि. ६८९ जैन ग्रन्थावली. भावनगर. ६९२ मुनि अनन्तकीर्त्ति दि. जै. गं. मा. ६९३ किशोर मणिमाला. ६९५ आत्मानंद जय ग्रन्थमाला. डभोई. ६९६ प्राचीन जैन काव्य संग्रह. ६९७ गुर्जर साहित्योहार. ६९८ आनंदकाव्य महोदधि. सूरत, ( आगमोदय समिति ) ७०३ बाइ समरथ स्मारकमाला. ७०६ चोखंभा संस्कृत सीरिड्. ७०९ संस्कृत ॲन्ड प्राकृत सीरिन् ए. सो. मुंबई. ७१८ शिक्षारत्नमाला इन्दौर. ७२२ धर्मवृद्धि ग्रन्थमाला, आग्रा. ७४७ वीसनगर जैन ज्ञानभंडार ग्रन्थावली. ७५३ धर्मनीति ग्रन्थावली. ७७० सत्यविजय ग्रन्थमाला. अमदावाद. ७९७ जैन धर्माभ्युदय ग्रन्थमाला. वडोदरा. ८०८ सनातन जैन ग्रन्थमाला मुंबई. ८३७ चंद्रसिंहसूरि. जैन ग्रन्थमाला. ८४१ माचीन सुभाषित संग्रह. कलकत्ता, Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir For Private And Personal Use Only Page #75 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पुस्तक प्रसारक संस्थाओ. ५ जैन पुस्तक प्रकाशक कार्यालय ब्यावर. ६ जैन धर्म प्रसारक सभा भावनगर. ७२ हिन्दी जैन कार्यालय मुंबई. १०६ जैन ग्रन्थ रत्नाकर कार्यालय (दि.) मुंबई. १४३ जैन धर्म विद्या प्रसारक वर्ग पालीताणा. ४९८ हिन्दी साहित्य मन्दीर. ६०४ "सनातन जैन" कार्यालय. ७०१ जैन ग्रन्थोद्धारक कार्यालय, ७०८ एसीयाटीक सोसाइटी मुंबई. ७१९ मध्य भारत हिन्दी साहित्य समिति इन्दौर. ८१६ बुद्धिसिंह जैन पाठशाळा. जैन ग्रन्थ वेचनार बुकसेलरो तथा बीजी संस्थाओ. ७ श्रावक भीमसिंह माणेक मुंबई. ९ पंडित काशीनाथ जैन कलकत्ता. १० निर्णयसागर-प्रेस मुंबई. १५ अध्यात्म ज्ञानप्रसारक मंडल पादरा. ६ जैन धर्म प्रसारक सभा भावनगर. १६ शेठ. देवचंद लालभाइ पुस्तकोद्धार फंड सूरत. १७ आत्मानंद सभा भावनगर. १८ मुक्तिकमल जैन मोहनमाला वडोदरा. १९ रत्नप्रभा ज्ञान पुष्पमाला लोहावट. २४ राय धनपतिसिंह बहादूर की कोठी अजिमगंज, २७ देशी केलवणी खातुं वडोदरा. २८ आगमोदय समिति सूरत (मुंबई) For Private And Personal Use Only Page #76 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २९ एसीयाटीक सोसाइटी बन्गाल कलकता. ३३ जैन श्रेयस्कर मंडल मेसाणा. ३७ अभिधान राजेन्द्र कार्यालय रतलाम. ४२ पंजाब युनिवरसीटी लाहोर. ४३ शेठिया जैन ग्रंथालय वीकानेर. ४९ गुजरात वर्नाक्युलर सोसाइटी अमदावाद. ५३ कॉन्फरन्स ओफीस मुंबई. ६० मेघजी हीरजी मुंबई. ८२ शा. बालाभाइ छगनलाल अमदावाद कीकाभटनी पोळ. १४५ जैन विद्याशाळा. १५३ हिन्दी साहित्य कार्यालय आबुरोड. २१७ स्याद्वाद रत्नाकर कार्यालय (दि.) मुंबई. २९४ जैन सिद्धान्त भवन आरा (दि.) ४५२ खीमजी भीमसिंह माणेक मुंबइ. मंडळो. ३५ अध्यात्म ज्ञान प्रसारक मंडळ. (१५) पादरा. ३९ आत्मानंद जैन पुस्तक प्रसारक मंडल. आगरा. ६४ बानप्रसारक मंडल. ७० विजय धर्मसूरि मंडल, ८० तस्व दीपक मोहनमंडली. ११२ जेन स्वयं सेवक मंडळ मारसलीगली इन्दौर. १२६ " जीवदया प्रबोधक मंडल." सूरत. १३१ जैन ज्ञान प्रसारक मंडळ मुंबई. १३२ जैन " मित्रमंडळ" भावनगर. १५४ श्री महावीर नव युवक मंडल. बाली. For Private And Personal Use Only Page #77 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १९३न युवक मंडल. साणद. १७३ जैन भावप्रकाशक मंडली. मेसाणा. १७८ जैन मित्रमंडळ. मान्डळ. १८३ जैन युवक मित्रमंडल. लोहावट-मारवाड. २१५ कापड मारकेट वेपारी जैन मंडळ. २२८ आत्मानंद जैन पुस्तक प्रचारक मंडल. दिल्ही. २३० ज्ञानवर्धक जैन मित्रमंडल. सेलाना-मालवा. २३७ महावीर जिन मंडली. अमदावाद. २६२ हिन्दी साहित्य ग्रन्थमाला. आबू. २८९ जैनधर्म विद्या प्रसारक मंडल. मुंबाई. ११३ जैन मुभेच्छक मंडळ. मुंबई. ३४७ जैन मित्रमंडल. देहली. ३६० जैन स्वेताम्बर आनंद वर्धक मंडल उजेन. ३८४ जैन ज्ञान प्रसारक मंडल. मुंबई. ५०३ युवकोदय मित्रमंडल. राधनपुर. ५०६ मित्रमंडळ पेटलाद. ५२० संभव जिन मंडली. अमदावाद. ५७५ जैन ग्रन्योत्तेजक मंडळी. मुंबई. ५९९ तत्वदीपक मोहन मण्डली. कलकत्ता. ६०० तत्वदीपक मोहन मण्डली. मुंबई. ६११ संभव जिनमंडळ लुणसावाडे मोटीपोळ अमदावाद. ६१७ बानोदीपक मंडळी लोहावट, ६२० वीरशासन भानंदसमाज. पालीताणा. ६२३ जीवदया ज्ञान प्रसारक मंडळ, ६११ आत्मानंद जैन श्वेताम्बर महामंडल. लुधियाना. ६५३ साहित्य प्रकाशक मंडल. जामनगर. For Private And Personal Use Only Page #78 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org 方法 ६५५ जैन ग्रन्थावली. ६५६ वीरसमाज प्रन्थावली. ७२९ जैन ज्ञानप्रसारक मंडल, मुंबई. ७३३ आत्मानंद जैन सभा. लाहोर. ७३४ जैन युनियन, जामनगर. ७४० जैन सभा. तीवरी. ७६१ जैन सुभेच्छक मंडल. पुना. ७६५ श्री पद्म जिन मंडळी. साणंद. ७८७ जैन सुभेच्छक मंडल भावनगर, ८१४-८१५ वीरतत्त्व प्रकाशक मंडल तेनुं विद्यार्थी मंडल. सभाओ समाजो सोसाइटीओ. मयाळे आपला नंबर प्रमाणे ग्रंथोपलब्धस्थानमां जोवायी तेनो पुरेपुरो पत्तो मळशे. २६ हेमचंद्राचार्य सभा पाटण. Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ४८ आत्मानंद जैन ट्रेकट सोसाइटी अंबाला शहेर. ५४ जैन धर्म हितेच्छु सभा भावनगर. ७९ खेडा जॅनोदय सभा खेडा. ८८ आत्मतिळक ग्रन्थ सोसाइटी पुना. ९२ महावीर जैन सभा खंभात, ९३ वीरसमाज, १२५ जैनतत्व काशीनी सभा कलकता. १७४ साहित्य सेवा समाज भावनगर. १८६ आत्मोन्नति सभा. १८७ जैनसत्व विवेचक सभा अमदावाद. १९१ जैनोदय बुद्धिसागर सभा साणंद. २०४ जैनतत्व प्रकाशिनी सभा इटावा. For Private And Personal Use Only Page #79 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org liv २१८ जैन ग्रंथ प्रकाशक सभा अमदावाद. २१९ जिनागम प्रकाशक सभा अमदाबाद. २२० श्री विद्योत्तेजक सभा पालणपुर. २२४ जैन ज्ञान इच्छक सभा धोलेरा.' २५० जैन फ्रेन्डली सोसाइटी मुंबई. २६१ आत्म तिलक ग्रन्थ सोसाइटी पुना. २८८ जैन अॅसोसीएशन अफ इन्डीआ मुंबई. ३०६ जैन बोध बुद्धिसागर सभा साणंद. ३२२ जैन श्रेयस्कर वर्ग " ठाणा. "L ३३० आत्मानंद जैन सभा अंबाला शहेर पंजाब. ३७३ आत्मवीर सभा भावनगर. ३७९ आत्मानंद सभा अंबाला पंजाब. ३८४ आद्य जैन धर्म प्रवर्त्तक सभा अमदावाद. ४०६ तत्व विवेचक सभा राजनगर. ४२० आत्म तिलक ग्रन्थ सोसाइटी जाभनगर. ४७५ जैन हठीसींग सरस्वतीसभा अमदावाद. ५०७ फार्बस गुजराती सभा मुंबई. Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ५४३ सुख सागर ज्ञान प्रचारक सभा लोहावट. ५८९ आत्म तिलक ग्रंथ सोसाइटी रतनपोळ अमदाबाद. ५९५ माङ्गरोल जैन सभा मुंबई. ६५७ लघु जैन धर्म प्रवर्त्तक सभा अमदावाद. ६७३ अमेरीकन ओरीएन्टल सोसाइटी. ७६८ तत्र प्रकाशक सभा अमदावाद. कॉन्फरन्स. १८५ यति कॉन्फरन्स. जैन श्वेतामर कॉन्फरन्स, For Private And Personal Use Only Page #80 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ज्ञान-पुस्तक भंडारो. अमदावाद १ थी २२ १ पुरातत्व मंदिर-रायचंद्र तथा महात्मा गांधी विगेरे अने विद्वा नोनी पसंदगीना कीमती पुस्तकोनो संग्रह. (जुओ नं. ३६) २ जिनविजयजी-पासे अनेक सोधो करीने संग्रह करेलां पुस्तको, चित्रपटो, शिलालेखो, अने जुदी जुदी लायब्रेरीओ ज्ञानभंडारोनां लीष्ट छे. (जुओ ८०९) खंभात शा. नगीनदास करम. चंदना ताडपत्रना भंडारनुं लीष्ट तेमनी पासे छे. पूनामांथी मास्तर लक्षमीचंदे आपेलं छे. ३ वकील केसवलाल प्रेमचंद मोदी-अंगेजी, फ्रेन्च, जर्मन, तेमन आर्य देशीय प्राकृत-संस्कृत, गुजराती, हिन्दी, विगरेनो संग्रह होवा उपरांत आधुनिक विदेशीय, तथा आर्यवृत्तना जुदा जुदा धर्मना अनेक आचार्यों साधुओ, अने विद्वानोनी साथे घणोंज घाढो संबंध धरावे छे. (जुओ नं. ६३) ४ विद्याशाळामां प्रण भंडार (जुओ नं. १५५) ५ डेलाना उपाश्रयनो श्रेष्ट हस्तलिखित गंथनो भंडार शेठ. मंग ळदास ताराचंद झवेरी दोसीवाहानी पोळमां. ७ हंसविजय महाराजनी लायब्रेरी ( जुओ नं. ५२) । ८ मोहनलालजी महाराजनी लायब्रेरी (जुओ नं ८११) ९ चंचळबाइनो भंडार (८१०) शेठ उमाभाइना घरवाळां चंचळ बाइ फतासानी पोळ. अमदावाद. १० वर्द्धमान पुस्तकालय (जुओ नं. ३२३) ११ पंन्यास मेघविजय शास्त्र भंडार (जुओ ८१२) १२ कुसुममुनिनो ज्ञान भंडार (जुओ १६९) १३ विजयनेमि सूरिनो ज्ञान भंडार पांजरापोळ. १४ वीरविजयनो ज्ञान भंडार वीरना उपाश्रय ठाः महीनी पारी. For Private And Personal Use Only Page #81 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १५ दया विमळजीनो ज्ञान भंडार. लिखित तथा मुद्रितनो. १६ उजमबाइनी धर्मशाळांमां आचार्य कमलविजयनो लिखितमुद्रित. १७ विमळगच्छना उपाश्रयनो भंडार ठा. कालसीनी पोळ अमदा. बाद कबाटमां डा. १८ गंथ संख्या ५६४-५५५ छे. १८ विमळगच्छना उपाश्रयनो भंडार. ठा. हाजापटेलनी पोळ उ. पाश्रयनो. डा. ४२ ग्रंथ संख्या १४९६ . उद्योत विमळजी गणीना पटारा वे नं. १ मां २० रायचंद्र साहित्यमंदिर. (जुभो ९९) २१ जन सरस्वती भवन (७५२) २२ ज्ञानवर्द्धक पुस्तकालय. (४०१) अमृतसर. (२३) २३ श्री आत्मानंद जैन सेन्टरल लायब्रेरी-पंजाब आग्रा. (२४) २४ विजय धर्म लक्ष्मी ज्ञान मंदिर बेलनगंज आग्रा. छ हजार लिखित ग्रंथनो भंडार छे. फुलचंद हरीचंद क्यूरेटर आनी साथे श्री लक्ष्मीचंदजी जैन लायब्रेरी जोडाइ गइ छे. (७८५) आमोद. (२५) २५ हस्तलिखित भंडार छे यतिना कबजामा छे आमोद (भरुचपासे) आहोर. (२६) २६ शेठ गोडीदासजी वाघमलजी एरणपूरा स्टेशन. कलकत्ता. (२७-२८) २७ गुलाबकुमारी लायब्रेरी. २८ पूरणचन्द्र नहार वकीलनी लायब्रेरी. कुशलगढ. (२९) २९ श्री पुज्य नृपचन्द्रजीनो जुनो भंडार. (जुओ नं.८१३) (दंत. कया प्रमाणे मुगलाइ संसर्गयी अस्पर्शित.) कुशळगढ. For Private And Personal Use Only Page #82 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ivil डुंगरपुर. (३०) __३० वडगच्छना श्री पूज्यजीनो जुनो भंडार डुंगरपुर. कोटा, (३१) ३१ कोटानो ज्ञानभंडार संघनी देखरेखमां छे. कोडाय (कच्छ.) (३२) ____३२ संघनो भंडार त्यांना संघनी देखरेखमा छे. कोडाय-कच्छ खंभात. (३३-३७) ३३ श्री शान्तिनाथना मंदिरनो जुनो भंडार. नाडपत्रनो मोटो नगीनदास शेठनो खंभात. ३४ श्री खंभात सुबोधक पुस्तकालय. (४०१) ३५ शेठ. पोपटभाइ अमरचंदनो ज्ञान भंडार. (जैन शाळा) ३६ विजयनेमिसरिनो ज्ञान भंडार. जैसलमेर. (३७) ३७ आ भंडार त्यांना संघनी देखरेखमा छे जेसलमेर. जामनगर. (३८) ३८ मुनि विनयविजयनो भंडार छे. संघनो ज्ञान भंडार संपनी .. देखरेखमा छे जामनगर. देवबंद (३९) ३९ देवबंद जि. सहरानपुर जैनधर्म प्रचारक पुस्तकालय(१३६) पाटण. (४० थी ४७) ४० (१) झवेरीवाडामां श्री पार्श्वनाथजीना भंडारना नामे ओळखाय छे अने ते वाडीलाल हीराचंदनी देखरेखमां छे.. ४१ (२) संघवीपाडानी लोढीपोसाळना उपाश्रयनो भंडार के अने ते पाटवानी देखरेखमा छे. ४२ (३) फोफळियावाडानी आगली शेरीनो भंडार छे ते हालाभाइ शेठनी देखरेखमां छे. For Private And Personal Use Only Page #83 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir Iviii ४३ (४) फोफळियावाडानी वखतजीनी शेरीमा संघनो जुनो भंडार छे अने ते संघनी देखरेखमां छे. ४४ (५) फोफलियावाडानी वखतजीनी शेरीमा संघनो नवो भंडार छे अने ते संघनी देखरेखमा छे. ४५ (६) झवेरीवाडामां शा. चुनीलाल मूलचंदनो घर भंडार छे अने ते तेमनीज देखरेखमां छे. आ भंडारोनुं लीष्ट गायकवाड सरकार तरफथी तैयार ययुं छे. थोडा वखतमां छपाइने बहार पडशे. ४६ (७) पूर्णिमागच्छीय श्रीपूज्यनो अपूर्व अलभ्य लिखित कागळ तथा ताडपत्रनो भंडार. ४७ (८) तपगच्छीय विजय शाखानो ज्ञान भंडार. पूना. (४८ थी ५०) ४८ (१) भांडारकरनो जुनो भंडार जे फरग्युसन रोड तरफ छे जेमां डेक्कन कॉलेजनो अने भंडारकरनो एम बे भंडार एकत्र छे. ४९ (२) पं. जिनविजयजी (जुओ अमदावादना भंडारो) ५० (३) रॉयलएसीआटीक सोसाइटी. पुना (सरकारी). मान्तीज. (५१) ५१ अजितसागरसूरि शास्त्र संग्रह. (४६७) बनारस. (५२) ५२ संस्कृत कॉलेज-जैन अने हिंदुधर्मनां हस्त लिखित गंयो सरकारना हुकमथी खरीया तेनां लीष्ट. (१) इ. सने १८९७ थी १९०२ सुधीनुं वॉल्युम. (२), १९०४ थी १९०६ , " , १९०९ थी १९१६ , , अल्हाबाद. (8), १९०२ थी १९०४ " " For Private And Personal Use Only Page #84 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir lix (५) १९०५ थी १९०७ , " (६), १९१० थी १९१७ " " भावनगर. (५३ थी ५५) ५३ (१) जैनधर्म प्रसारक सभा-पासे सं. १९७७ नी साल सुधीमां ६३ हस्त लिखित पुस्तको तथा १७०६ छापेलां पुस्तको छे. ते शीवाय इतर पुस्तकोनो सारो जथ्थो छे. ५४ (२) संघनो जुनो ज्ञान भंडार त्यांना संघनी देखरेखमा छे. ५५ (३) यशोविजय जैन ग्रंथमाला. (१४) मुंबई. (५६ थी ६५) ५६ (१) श्री शान्तिनाथजीना मंदिरमा प्रवचं पूजक सभानो ज्ञान भंडार ठा. पायधुनी मुंबइ. ५७ (२) बंदर उपर कच्छीओनो बहुज मोटो अने घणो सारो ५८ (३) मोहनलालजी ज्ञानभंडार ठा. लालबागमां. (मुंबई) ५९ (४) गौडीजी महाराजना मंदिरनो ज्ञानभंडार (ठा. पायधुनी ६० (५) श्रीआदेश्वरजीना मारवाडी मंदिरनो भंडार ठा. पायधुनी मुंबइ. [लिखित ६१ (६) दशाओसवाळ कच्छी अनंतनाथजीनामंदिरमा जुना इस्त. ६२ (७) दशाओसवाल सेवक समाजमंडळनो मुद्रित ग्रन्थ संग्रह. ६३ (८) मोहनलालजी सेन्टरल लायब्रेरी मुंबई. ६४ (९) मोहनलाल दलीचंद देसाइ वकील मुंबई. [५०९) ६५ (१०) फार्षस गुजराती सभाना हस्तलिखित ग्रंथोनीयाद (जुओ ६६ राधनपुरनो ज्ञानभंडार संघनी देखरेखमा छे. लाहोर. (६७) ६७ दिगंबर जैन पुस्तकालय. (३९४) ६८ (१) लीबडीनो भंडार त्यांना संघनी देखरेखमां के ग्रंथ ३००० उपरांत छे. For Private And Personal Use Only Page #85 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (२) बीजो स्थानकवासीनो मोटो भंडार शेठ नानजी डुंगरसीना __उपाश्रयमां. षडोदरा. (६९ थी ७२) ६९ (१) पाटणना प्रसिद्ध भंडारोमांथी खास जरुरी ग्रंथोनुं लीष्ट. (१८९७ ? ) (छपाववानी तैयारीमां.) ७० (२) हंसविजयजी महाराजनो ज्ञान भंडार. ठा. नरसींहजीनी पोळमां. ज्ञानमंदिर पुस्तक संख्या १७४८ छे. प्रति आ. कारना हस्त लिखित जुदा. ७१ (३) प्रवर्तक कॉन्तिविजयजी महाराजनो ज्ञान भंडार ठा. ज्ञानमंदिर नरसिंहजीनी पोळमां पुस्तक संख्या २८०० अने हस्त लिखित जुला. ७२ (४) सेन्टरल लायब्रेरी तथा तेनो संस्कृत विभाग ताड पत्रना भं डार साथे खास जोवा लायक विदेशमा रहेला जैन ग्रंथो (हस्त लिखित) नो समुह तपासवाने खास उपयोगी.(रफेन्स लायब्रेरी) साथे बे पांच विद्वानोने मोकलीने पुरु जोवानी जरुर पुरी पाडे तेवो आ ज्ञान भंडार छे. कुल जुदी जुदी जातना ७५००० आसरे पुस्तको, ग्रंथो, ताड पत्रो विगेरे मलीने छे ताम्रपत्रो खास ध्यान खेंचवा लायक छे. (२२) ७३. विजापूर ज्ञान मंदिर. (जुओ नं. ६२) वीरमगाम. ७४ जैन धर्म विजय पुस्तकालय. (४०१) ७५ वीकानेर सेठिया जैन लायब्रेरीमा हस्त लिखित १५०० अने मुद्रित हिन्दी. गु. अंग्रेजी अने संस्कृतादि साडाचार हजार पुस्तको छे. वीसनगर. ७६ वीसनगर जैन ज्ञान भंडार. (७४७) साणंद. (७७) For Private And Personal Use Only Page #86 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir i ७७ मोय गच्छनो भंडार. सूरतना भंडारो. (७८ थी ९२) ७८ (१) मगन प्रतापचंदनी लायब्रेरी. ७९ (२) जैनानंद पुस्तकालय गोपीपुरा सुरत सारो गं. सं. ८००० व्यवस्थित भंडार छे. झवेरी अमरचंद मूलचंद वहीवट, (नं. १२) ८० (३) मोहनलालजी महाराजनो ज्ञान भंडार गोपीपुरा सुरत. ८१ (४) छापरीआ शेरीनो भंडार सुरत. ८२ (५) नवा पाडानो भंडार सूरत. ८३ (६) स्थानकवासीनो भंडार सगरामपुरामां सूरत. छोटालालजी महाराजनो. ८४ (७) वडा चौटाना उपाश्रयनो भंडार वहीवटदार शेठ. फकीर चंद खेमचंद. ८५ (८) हरीपुरामा रत्नचंदजीनो ज्ञान भंडार. ८६ (९) जैन स्कुलनो ज्ञान भंडार. ८७ (१०) रत्नसागर जैन स्कुलनो भंडार. (नं. २१) ८८ (११) हुकम मुनिनो भंडार गोपीपुरा सूरत ताडनो तथा कागळनो लिखित. ८९ (१२) जिनदत्त सूरिनो ज्ञान भंडार सूरत वहीवटदार शेठ, पानाभाइ भगुभाइ मालीफलीआ मुरत. ९० (१३) देवचंद लालभाइ बडेखां चकलो सुरत. पुस्तकोद्धार फंडनो, आगमोदय सम्मितिनो तथा तेमनी खांनगी लायब्रेरीनो एम त्रण भेगा छे. ९१ (१४) बालुभाइ अमरचंदना ज्ञान भंडारमा १२०० थी १५०० For Private And Personal Use Only Page #87 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ri ९२ (१५) देसाइनी पोळनो भंडार ३०५ ग्रंय छे. सोजत. (९३-९४) ९३ (१) महावीरजी लायब्रेरी. ( २६४) ९४ (२) श्वेताम्बर अठवाडीक पाक्षिक, अने मासीक पत्र परिचय. अठवाडीक तथा मासीक विगेरे. १ अठ. जैन पत्र(४४) २, वीरशासन. (९४) ३ विविध विचार माला. (४७ ) वडोदरा आगरा. ४ जैन आदर्श मुंबइ. ५ जिनवाणी कलकत्ता. ६ आत्मनंद प्रकाश. भावनगर. (मासीक.) ७ जैन साहित्य संशोधक पुना. . ८ महिला भूषण सूरत. ९ विजय धर्म प्रकाश " हस्त लिखित " मासीक भावनगर. १० सनातन जैन १९०८ मां हतु. ( १७७) (मासीक.) ११ जैन धर्म ज्ञान दीपक. (२५४)(मासीक.) १२ जैन विवेक प्रकाश. ( २८६) (मासीक.) १३ जैन शासन (२८७) १४ "धर्म ध्वज" "हस्त लिखित" मासीक शीवपुरी. (८१४) १५ स्त्री मुख दर्पण अपरनाम. " श्राविका" १६ बुद्धिषमा मासीक. १७ जैन दिवाकर. ( २५३ ) मासीक. १८ महावीर पाक्षिक. १९ “जैन विजय तरंग मासीक " जैन विजय प्रेस मुंबइ. (७४) २० "ज्ञान प्रकास." (१७९५४) मासीक. For Private And Personal Use Only Page #88 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir Ixili २१ जैन समाचार अमदावाद. २२७ मासीक. २२ " जैन प्रभाकर " ६८७ २३ पुरातत्त्व त्रिमासिक अमदावाद. २४ जैन युग मासीक. दिगंबर अठवाडीकादि पत्र परिचय. १ जैन मित्र सूरत. २ दिगंबर जैन सूरत. ३ जैन महिलादर्श सूरत. ४ सप्ताहिक जैन गेझेट कलकत्ता. ५ जैन गेझेट मद्रास. ६ खण्डेलवाल हिनेच्छु मुंबइ. ७ जैन आदर्श मुंबइ. ८ जइसवाल जैन आग्रा. ९ जैन मार्तड हाथरस. १. जैन बोधक सोलापूर. ११ प्रगति अने जिनविजय बेलगाम. १२ परवार बंधु मेरठ. १३ जैन प्रदीप (देवबंद) १४ जैन सिद्धान्त सोलापुर. १५ गोलापुरब जैन (सागर.) १६ वंदे जिनवरम राजहंस निवाणी बेलगाम. १७ विश्वबंधु करणाटक. १८ उरदु जैन प्रचारक. १९ वीर अलीगंज. २० जैन समाज. For Private And Personal Use Only Page #89 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir Ixiv फंड. ३ शा. मानचंद वेलचंद सूरत. (१६) २८ आगमोदय समिति. १६ देवचंद लालभाइ. पु. उ. फंड. १७५ प्राचीन पुस्तकोद्धार फंड सूरत. ४६१ श्री जिनदत्तसूरि प्राचीन पुस्तकोद्धार फंड, बुहारी. विद्यामंदिरो. १ यशोविजय जैन संस्कृत पाठशाळा. मेसाणा. २ भारत जैन विद्यालय. पुना. ३ यशोविजय संस्कृत पाठशाळा. बनारस. ४ संस्कृत कोलेज काशी. ५ संस्कृत डुंगर कोलेज वीकानेर. ६ विद्याशाळा अमदावाद. - स्त्री ग्रंथकारो तथा भाषान्तरकारो. १८० गौतमी बीबी बनारस. ४०२ अ. सौ. मणि. अमदावाद. ४१७ नवलबाइ पोपटलाल. मोरबी. ७१३ व्हेन मुरज. जैन पंडितो. *४ पंडित त्रीभुवनदास अमरचंद पालीटाणा. __९ पंडित काशीनाथ जैन. ३२ , हीरालाल हंसराज. ७६ ,, हरगोविंददास. * ठेकाणा माटे जुओ ऽग्रंथो पलब्ध स्थानमां नंबर, For Private And Personal Use Only Page #90 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir Ixv नंबरना स्थळे जोवाथी अड्स मळशे. ६३ केशवलाल प्रेमचंद वकील. ८४ प्रो. रवजीभाइ देवराज कच्छ कोडाय. १०८ सांकलचंद पीतांपर कवि. अमदावाद. १४५ लालचंद भगवानदास वडोदरा. २०३ माणेकचंद जगरुपजी इन्दोर. २१४ मोहनलाल दलीचंद देसाइ मुंबइ. २३१ व्यास मणीलाल चकोरदास गोधरा. २५८ पंडित सुखलालजी अमदावाद. २८३ पूरणचंद नहारं वकील एम. ए. ४९३-२९३ पंडित बहेचरदास जीवराज. ३१४ पंडित भगवानदास. ३२३ वर्धमान सरुपचंद वकील. ३२९ बबलचंद केशवलाल मे, मोदी. ३४३ सांकलचंद माणेकचंद घडीयाली. ४९७ गौरीशंकर हीरावंद ओझा. इन्दौर. ५०५ नरसीभाइ इश्वरभाइ. जर्मन भाषाना ज्ञाता. ५२२ मणिलाल मोहनलाल पादरा. ५६३ पंडित लालचंद अप. शाह. वडोदरा. ७८१ शेठ. मोतीचंद गीरघर कापडीआ मुंबई. रा. रा मोहनलाल हेमचंद वकील पादरा. , जीवणभाइ साकरचंद मुंबई. गुलाबचंद दवचंद. फतेचंद कपुरचंद लालन मढडा. शीवजी देवजी मढडा. केशवलाल दलसुखभाइ अमदावाद, For Private And Personal Use Only Page #91 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir . Ixvi कुंवरजी आणंदजी भावनगर. __ वल्लभदास त्रिभोवनदास भावनगर. उमेदचंद रायचंद खंभात. , कवी भोगीलाल धोळशाजी (रसीक) अमदावाद. , लल्लुभाइ करमचंद मुंबाई. u जैन साहित्यनी सोध खोळ करी रहेला आचार्यों अने मुनि गण. १ विजयकमलमूरि. । १३ सिद्धिमुनि २ नेपिविजयमुरि १४ जिनविजय ३ बुद्धिसागरसूरि (स्वर्गस्थ) १५ हंसविजय ४ आणंदसागरसूरि १६ प्र० कान्तिविजयसरि ५ सिदिविजयसरि १७ विद्याविजय ६ नीतिविजयसरि १८ मंगलविजय ७ विजयेन्द्रसरि १९ केसरविजय ८ दर्शनविजयसूरि २० देवविजय २१ मुनिमाणेक ९ विजयदेवसरि २२ लब्धिविजयसूरि १० अजितसागरसूरि २३ वल्लभविजयसरि ११ मोहनविजयसरि २४ पं. दानविजयसूरि १२ मुनिजिनविजयजी २५ रामविजयमुनि ___* (पुरा तत्व मंदिर प्रबंध समितिना आचार्य.) For Private And Personal Use Only Page #92 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org lxvii इडरना इतिहासना सांधनो. इलामाकार चैत्य परिपाटी ( हेमबिमलसूरि . ) महिकांठा सिलेक्षन - Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir महिकांठा. डीरेकटरी. महिकांठा मेन्युअल. गुजरातनी जुनी वारताओ. ऐतिहासीक राससंग्रह भाग ४ थो. तीर्थमाळा संग्रह. प्राचीन लेखावली. ( मुनि संपतविजय संग्रहित. कुमारपाल प्रबंध. विजय प्रशस्ति काव्य. गुजरातनो इतिहास फीरस्ताकृत. भारतराज्यमंडळ. इडरनो संक्षिप्त इतिहास ( जोगीदास कृत. ) जैनस्तोत्र संग्रह भाग २ जो. इडरना रावनी वंशावळी. इडरना राणानी इकीकत. इटरना राजा पुंजानी वंसावली. इडरना रावना कागळो. इडरना इतिहासनां छ पानां छुटां. इडरना पटावतोनो इतिहास, पृ. १ थी ७५ मुडेटीना चहुवाणो ले. घढवी धीरजी पृ. १ थी ३९. इडरनी ख्यात ले. गढवी अमजी. तथा बारोट. रतन संगमी. इडरनी पोळोनी ख्यात अने रायकवाटनी वात, इडरनी ख्यात ले. अमजी गढवी. For Private And Personal Use Only Page #93 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir lavili इयरनी ख्यात ले. गढवी सवाइरांम रतनसंघ.. पोळोना रावजीनो इतिहास. रासमाळा भाग. १-तथा २. दरेकनी आरती बीजी. जगमालरावसिंह (जगन्नाथ ) ले.पंडित करुणाशंकर-शर्मा. वांसवाडा इडर चैत्य स्तवन. अनंत हंस. बावन जिनालयना जीर्णोद्धारनो रीपोर्ट. क्रीयारत्नसमुच्चय. प्रशस्ति. सोमसौभाग्य काव्यम्. गुरुगुणरत्नाकर काव्यम्. (आ सघळा ग्रंथो मलवानां स्थान यथास्थाने आ ग्रांथमा छे) इडरना थयेला बे पटधर जैनाचार्यो आणंदविमलसूरि. आ आचार्यनो जन्म सं. १५४७ मां इडरमां थयो हतो मूल नाम आणंदजी हतुं तेमना पितानुं नाम मेघजी हतुं के जेओ ओशवाल ज्ञातीना, मातानुं नाम माणेकदे हतुं, पांच वर्षनी न्हानी उम्मर• मां एटले सं. १५५२ मां तेमणे श्री हेमविमलसूरि पासे दीक्षा लीधी हती तेमने सं. १५६८ मां उपाध्याय पदवी मली हती अने १५७० मां सूरिपद मळ्युं हतुं. दीक्षा लीधा पछी न्हानी उमरमांज हेमणे सारो अभ्यास करी लीधो हतो हेमनामां विजयादि गुणो अने वैराग्य उच्च कोटिनां हतां हेमना वखतनो जमानो एक विचित्र प्रकारनो हतो. एक बाजुए प्रतिमाना उथ्थापको जोर शोरथी प्रतिमा न मानवानी प्ररुपणा करी रह्या हता. बीजी तरफ साधुओमां वधती जती शिथिलवाथी साधु धर्मना उथ्थापको कटुकादि साधु धर्म उपर आक्षेपो For Private And Personal Use Only Page #94 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir करवा बहार नीकली पड्या इता. आ वधा संयोगो गमे तेवा वैरागी ना मनने विचलित करी नाखे त्हेवा हता. छतां पण आणंदविमळे पोतानी वैराग्य वृत्तिने लगारे शिथिळ करी न हती. परंतु उपर्युक्त कारणोथीज तेमणे सं १५८२ मां वडावली ग्रामे (पाटण पासे आवेल) क्रियोद्धार कर्यो हतो.आ क्रियोद्धारमा प्रधान सहायक तरीके विनयभाव हता पहेलां जे मरु भूमिमां श्री सोमप्रभसूरिए पाणीना दूर्ल. भपणाना कारणथी साधुओनो विहार बंध को हतो तेज मरु भूमिमां आ आचार्यश्रीए त्यांना लोकोना उपर दयानी लागणीथी साधुओनो विहार खुल्लो कर्यो हतो साधुओना विहारना अभावथी जैसलमेरना ६४ देरासरोना बारणे कांटा लाग्या हता ते पण आणंदविमलमूरिए कढावी नखाव्या हता अने मंदिरोमां पूजा चालु करावी हती. तेमणे पोताना जीवनमां भव्य प्राणियोने उपदेश आपवा उपरांत तपस्या पण धणी करी हती. १८१ उपवास करीने आलोयणा रुपे संयमनी आराधना करी हती. २२९ छठ वीर प्रभुना कर्या हता. बे वखत वीस स्थानक तपनी आराधना करी हती. तेमां एक वखत ४०० चोथ भक्त करीने अने बोजी वखत ४०० छह करीने करी हती. २० छठ विहरमानना कर्या हता. वळी ज्ञानावरणीय कर्मना पांच उपवास पांचवार; दर्शना वरणीय कर्मना ४ उपवास नव वार, अंतराय कर्मना पांच उपवास पांचवार. मोहनीयना २८ अहम. वेदनीय कर्मना, गोत्रकर्मना, अने आयुष्य कर्मना अहमो अने चार चार उपवासो घणीवार कर्या. एवी रीत्ये साते कर्मना क्षय निमिते तपस्याओ करी परंतु आठमा नाम कर्मना क्षय निमित्ते तपस्या थइ शकी होती. बोजी पण केटलीक तपस्याओ छुटक For Private And Personal Use Only Page #95 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir छूटक रहेमणे करी हती. तेमणे कोईपण वस्तु उपर मोह के ममत्व राख्यो नहोतो तेमनी त्याग वृत्ति पण अनिर्वचनीय हतीअने तेना लीधेज तेओ राज दरबारमा अने जन समाज उपर प्र. भाव पाडी शक्या हता घणा सुलतानो, खानो वजीरो तेमने मान आपता हता वळी तेओ वादियोने परास्त करवामां पण कुशळ हता. तेमणे पोताना जीवनमां लोकोपकारने माटे विहार पण कंइ कम नहोतो कर्यो. माळवा, गुजरात, मेदपाट, मारवाड, सोरठ, दक्षिण, अने कान्हड ( कान्हम् विगेरे देशोमां तेओ विचर्या हता अने रहेना प्रतापथीज पाटण, अमदावाद, चांपानेर त्रंबावटी, देवगिरि मांडव, गंधार, सूरत, साचोर, जालोर मंडोर, जोधपुर, तीवरी, नागोर, अजमेर, आगरा, हीसार, कोट, सीणोर, रायसेण, दढाळीयु, कुंभलमेर, ढूंक-टोडा, दील्ली राजग्रही, सोपारक, पाटण, वांसवाडा, सागचा, डुंगरपुर, आहड, जबासा, वीसलनेर, नडुलाइ, आमलेसर, भरुच, नवसारी, वलसाड, गणदेवी, दमण, माहीम, अगासी, वसही, चेउल, डभोल, मलबार, दीव, मांगरोल, घोघा, अने अदन. विगेरे गामोना श्रावको उपर घणो भाव हतो. छेवटे पोताना साधु जीवनने सफल करी तेओ १५९६ ना चै. सु. ७ ना रोज ९ दीवसर्नु अणसार पाळी अमदावादमां निजामपुरामा स्वर्गवासी थया हता. विजयदेवसूरि. जन्म ईडरना रहीश. ओसवाळ वंशीय. शाह थिरानां धर्म पत्नि बाइ. रुपाइनी कुक्षिथी सं. १६३४ मां थयो हतो. तेमणे सं. १६४३ मां अमदावादमां श्री. विजयसेनमूरि पासे दीक्षा लीधी For Private And Personal Use Only Page #96 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir Ixxi हती. सं. १६५५ सिंकदरपुरमां तेमने पॅन्यास पद मल्युं हतुं सं. १६५६ ना वैसाख सुद ४ ना दीवसे खंभातना श्री मल्लशाहे १८००० रु. खर्चीने करेला उत्सव पूर्वक आचार्यपद मल्युं हतुं. आ वखते विययसेन सूरि साथै ७०० साधु हता. खंभातमां तेणे सुखसागर पार्श्वनाथ, कंसारपार्श्वनाथ जीराउलापार्श्वनाथ अने चितामणी पार्श्ववनाथना दर्शन करी प्रसन्नता मेळवी हती. आचार्य पदवी थया पछी सं. १६५८ ना पोष वद ६ रविवारे पाटणना पारेख सहस वीरे ५००० मुंह मुंडिका खरचीने गणानुं ज्ञानोनंदि महोत्सव कर्यो हतो. सं. १६७१ मां तेमने भट्टारक पदमल्युं हतुं अने सं. १५७४ मां मांडवगढ़मां जहांगीर बादशाहे रहेमने " महा तपा " नुं बिरुद आप्युं हतुं. आ आचार्ये पोतानी विद्वत्ता, त्याग वृत्ति अने उपदेश शैलीना प्रभावथी लोको उपर सारो प्रभाव पडयो हतो मोटा मोटा राजाओ बादशाहेक अने राणाओ तेमने मान आपता हता. एटलुंज नही परन्तु तेओ जे कंइ सारा कार्यों बतावता ते तेओ करता. उदयपुरना माहाराणा जगतसिहजीए आ आचार्यना उपदेशी वरकाणातीर्थमां पौष दशमी उपर मेळामां आवता लोकोनुं दाण माफक हतुं अने हमेशना माटे तेम थयां करे ते माटे एक शिलालेख बनावीने त्यांना मंदीरना दरवाजा आगळ रोपवामां आव्यो हतो हजु पण आ पथ्थर मौजुद छे. तेम नाम पत्र पण करी आव्युं हतुं आज राणा जगतसिंहजीऐ पोताना प्रधान झाला कल्याण, ने आचार्य श्री पासे मोकलीने आचार्यने निमंत्रण क हतुं दयपुरमा चोमासुं फरी ज्य्हारे सूरिजीए बिहार कर्यो हतो त्यहारे तेओ दलबादल महलमां रात रह्या हता. त्यहां राणाजीत - सिंहजी बंदन करवा गया अने सरिजीना उपदेशथी प्रसन्न थ नीचे लिखित प्यार बाबतो स्वीकारी हती. For Private And Personal Use Only Page #97 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १ पीछोला तळाव अने उदयसागरमा माछलाना जाळो नाख. वानो निशेध कर्यो हतो. ३ राज्याभिषेकना दीवसे (गुरुवारे कोइ जीव मारे नही ३ जन्ममास अने भाद्रमासमां कोइ जीव हिंसा करे नही . ४ मसींच दुर्गमां कुंभाराणाए करावेल जिनचैत्यनो उद्धार कराववो, आ चार वातो कबुल करी हती. आ शिवाय हालार देशमां नवा नगरना लाखाराजाने पण प्रतिबोध को हतो तेम दक्षिणमा इदलशा नामना बादशाहने प्रतिबोध करी गौवध बंध कराव्यो हतो वळी इडरना कल्याणमलराजा अने दीवना फीरंगीओ पण तेमना उपदेशने बहु मान आपता हता. ज्यहारे तेओ दक्षिणमां विचारता हता ए ते वखते ते पण हा. ८० साघुओने पंडित पद उपर स्थापन कर्या हता. अने ते शीवाय १७०५ मां इडरमा ६४ पंडितोने बनाव्या हता. ___ आचार्य विजयदेवसरिना शिष्यो पण वाद करवामां बहादुर ता हेमणे सादडीमां लुंकानुयायिओनो पराजय कर्यो हतो तेमज उदयपुरना राणानी समक्ष पण लोंकाओने हरावी राणानो पटो सही अने भालाना चीन्हवाळो तपाओनी सत्यतानो कराव्यो हतो. आ पटो सादडीमां वांचीने सूरिजीनी प्रसन्नता मेळवी हती. ___आ सरिजीना हाथे राजनगरमां-पाटणमां-खंभात-वडनगरइडर-साबली आरासण जालोर मेडता खमणोर. रामपुर, देवकुल पाटक (देलवाडा) नाही. आघाट. आबू. नवानगर, उज्जन अने दक्षिणना केटलांक जुदां जुदां स्थानोमां प्रतिष्ठाओ पण घणी थइ इती. For Private And Personal Use Only Page #98 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir lxxiii तेओ अढी हजार साधुओना उपरी हता-७ सात लाखथी अधिक श्रावको हेमना रागी हता. जो के तेमना वखतमां साधुओमां केटलोक खळभळाट उठयो हतो अने तेओ सागरपक्षवा. लाओने एक वखते खुल्ले खुल्ला मली पण गया हता. अने तेथी तेओना उपर मोटो उपद्रव उभो हतो छतां पण तेओ कोइ पण रीत्ये डग्या नहोता. तेओ तपस्या करवामां पण शूरवीर हसा छठ, अट्टम, आंबिल, निवी उपवास अने एवी बीजी घणी तपस्याओ तेमणे करी ही तेओ हमेशां एक वखत आहार करता हता अगीयार द्रव्यथी वधारे द्रव्य तेओ वापरता न हता दीवसे निंद्रा लेता न हता अने हमेशा वधारे ओछु पण सज्जाय ध्यान अवश्य करता हता एकंदर तेमणे पांचक्रोड सज्याय ध्यान कर्यु हतुं. तेमणे पोतानुं आयुश नजीक जाणी ऊनानी अंदर सं. १७१३ ना असाड मुद ८ ना दिवसे तिविहारु अणसण कयु हतुं ते पछी दशमे चोविहारु अणसण करी आषाढ सुद ११ ना दीवसे स्वर्गवासी थया हता. अहिना श्रेष्ठिक रायचंद्र भणशाळीए हीरविजयसुरिना स्तूभनी पासेज तेमनो (विजयदेवसूरिनो) पण स्तुभ कराव्यो. For Private And Personal Use Only Page #99 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org lxxiv १८ शाखाओ हीरविजयसूरिना वखते हती तेनां नाम. विजय, विमल, सागर, चंद, हर्षा, सौभाग्य, सुंदर, रत्न, धर्म, इंस, आनंद, वर्धन, सोम, रूचि, सार, राज, कुशळ, उदय. विदेशस्थ विद्वान वर्ग परिचय. (१) ए, गेरीनो, अॅल, आइ टी. टी. डी. १९. रु. ड. बुलेन बीलीएर्स पारीस. Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (२) अॅल. डी. बारनेट, अॅम, ए, एल, आई, टी. टी. डी. लंडन, (३) अॅफ. डबल्यू. थोमस अॅम, ए. पी. अॅच डी. इन्डीयाओफीस लायब्रेरी व्हाइट हॉल अॅस, डबल्यू लंडन. (४) प्रो. एच. जेकोबी, पी. अॅच. डी. बोन (५) हरबट वोरन - लन्डन (६) बनारसीलाल, गार. ग्लासगो. (७) प्रो. अॅच. बेलोनी फीलीपी. ब्यूटी पाइसा इटाली. (८) डॉ. जे. कारपे इन्टीयर अप्सला. स्वीडन, (९) डॉ. रुडॉल्फ, होअरली. पी. अॅच. डी. नॉर्थमुररोड ऑक्सफड. 39 (१०) प्रो. ए. बेळीनो फलोरेन्स, ( नं. ९ प्रमाणे. ) (११) प्रो. ऐ. बेलीनी मोन्टेगनाना (, > (१२) डॉ. एन. मीरोनो. पी. अॅच. डी. सेन्ट पीटरबर्ग इत्यादि अंग्रेजी विभागमां- विशेष अजब यात्रा एकाक्षर, विचित्र काव्य, षट्श्लोकी, चतुश्लोकी स्तुति. जुओ. स्तोत्र रत्नाकर द्वितीय भाग. For Private And Personal Use Only Page #100 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir Loxv संबोधन सहित आठ विभक्ती युक्त काव्य. जुओ. सकलाऽर्हतनुं काव्य “ वीरः सर्वसूरा इत्यादि " वीरस्तुति - पंचप्रतिक्रण सत्र . 1 जोडाक्षर वगरनां चतुः श्लोकी संस्कृत काव्ये. जुओ संसारदावा- नामक वीर स्तुतिः पंचप्रतिक्रमणसूत्र. एकज लखाणमांथी-सात महापुरुषोनां जीवनचरीत्रनी निष्पत्ति जुओ (सप्तसंधान महाकाव्य. पं. मेघविजयजीकृत. श्री हर्षरचितम् " नैषधीय महाकाव्यस्यप्रति श्लोक प्रतिपादं यथास्थानं विनिवैष्य निजैः पादत्रयैः श्लोक पूर्तिमाधाय - श्री शान्तिनाथ चरितम् - कर्त्ता पंन्यास मेघविजय, संवत. १७२७ ( मेळवो. हर्षचतितम नैषधीय चरितम् नारायणनी टीकानुं तथा नैषध चरित्र चर्चा - ले. महावीर प्रसाद द्विवेदी प्रकाशक. हरीदास अॅन्ड कुंपनी. २०१ हेरीसनरोड कलकत्ता. " “ देवनंदा भ्युदयम् ” माघकाव्यनी पाद मूर्त्ति रुप सात सर्गवाल " विजयदेवसूरी चरितम् " - आ चरित्रनो थोडोक भाग यशोविजय ग्रंथमालामां छपायो छे, बाकीना भागनी प्रति पंडित बरदास पासे छे. पूर्ण छपाववानी जरुर छे. कर्त्ता. पं. मेघविजय. रचन संवत. १७६१. For Private And Personal Use Only Page #101 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir lxxvi मेघदूत समस्या लेखकालीदासविकृत मेघदूतनी पादपूर्तिवाळो ग्रंथ-" मेघदूतान्त्यपाद समस्या गर्भतयाऽन्वर्थे नामधेयमादधानो-नग नगरादि वर्णनसुरसं" औरंगाबादथी द्वीपबंडदरे विजयप्रभसूरिने विज्ञाप्ति पत्रिकारुपे लखायेलो आ ग्रंथ छे. कर्ता, पन्यास. मेघविजय, काशीना प्रदेशमा आधारभूतगणातो जैन ज्योतिष्यग्रंथ "वर्ष प्रबोध" कर्ता. पंन्यास. मेघ विजय-तेमां संवतसर फल ग्रह गति, नक्षत्र गति. राशि गमन, संक्रान्ति वातचक्रविचार, भूकम्पोत्पातादयो विगेरे सर्व विषयनो समास छे अने हालमा ज्योतिर्विद-पु. रुषो तेने प्रमाणरुप गणे छे. पंन्यास मेघविजयनी बीजी अजब कृतियोः(१) दिगविजय महा काव्यम्-विजप्रभासूरि वृत्तान्त वर्णनपरम्. (२) चंद्रप्रभा-(व्याकरण ग्रंथ) ८००० श्लोक आगरा नगरे सं. १७५७ (३) मातृका प्रसाद-धर्म नगरे सं. १७४७" ॐ नमः सिद्धम्" नुं विस्तीर्ण कही ॐकारनुं स्फुट वर्णन प्रतिपादन कर्यु छे. (४) युक्ति प्रबोध नाटक-केटलीक खंडन युक्तिओ. (५) विजयदेव महात्म विवरणम् (पन्यास वल्लभविजय गणिना ___ रचेलामांना केटलाक भागोनुं स्फुट वर्णन करेल छे ते शीवाय-तत्व गीता-त्रिशष्ठिशलाका पुरुष चरित्र उदय दीषिफा (१७२७ सादडीनगरे) आ शिवाय बीजी पण कृतिओ छे, अने ते दरेक विविध चमत्कार चुक्त छे. For Private And Personal Use Only Page #102 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir lxxvii अपूर्वग्रंथो चार अर्हत प्रवचन व्याख्या - उपास्वातिना तत्वार्थना जेवोज सूरत्र संकलित ग्रंथ छे. ( ताड ) अमम स्वामि चरित्र ( ताड ) निःशेष सिद्धन्तसार बे भाग ( ताड ) वसुदेव हीन्दी संपूर्ण ( लंभक आसरे ४९ छे ) ( ताड ) अन्य विद्वाननीं कृतिना - मात्र एकज लोकना सो अर्थ:शतार्थी - सोमप्रभ. ( सं . १२४१ मां विद्यमान हता तेमणे बनावी छे, गाथा दोस सयमूलजाल, पुब्वरिसि विवज्जिअं जइवंन अध्यं दहसी अणध्यं कीस अणभ्यं तबंचरसि धर्मदास गणिकृत. आ शतार्थीना कर्ता. उपाधाय वल्लरत्नसिंह १ तपगच्छना. त्रीजी शतार्थीनो लोक. प्राप्तु पारमपारस्य, पारा वारस्य पार्य ते. स्त्री प्रकृति वक्राणां, दुष्चरित्रस्यनो पुनः ||१|| मानसागर ? उपाधाय. जिनविजये - कुमारपाळ प्रतिबोधना परिशिष्टमां टांक्या छे, त्यां सविस्तर परिचय छे. For Private And Personal Use Only Page #103 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir xril प्राचीन लिपि माला-जुदी जुदी सोत्तर उपरांत लिपिओनो स्पष्ट रीते परिचय कराव्यो छे (जुओः नं. ४९७) रासाओनी शोध रा. रा. मोहनलाल दलीचंदनां नानां बे पेम्फले बहार पाडी-मळी आवेला ६४६ रासाओतुं लीष्ट बहार पाडयुं छे. तेमां तेना कर्तार्नु नाम अने संवत अने ते दरेक उपलय स्थान परिचय कराव्यो छे अने तेना विसेष परिच माटे आद्य विभाग अने अत्य प्रशस्तिओ विगेरेना परिचय माटे विस्तृत ग्रंथ छपाववो तेमना तरफथी शरु थयो छे. जे प्राचीन इतिहास उपर महान अजवाल्ल पाडशे (जुओ यथा स्थाने.) ऑस्ट्रीयामां महावीरकी मूर्ति ॥ ऑष्ट्रीयाके अन्तगत हंगरी प्रान्तके बुदापेष्ट शहेरमें एक अंग्रेजके बगीचे खोदते हुये निकली हुइ महावीरकी प्रतिमा." जुओ गिरिनार कल्प) इसका फोटा साथमें दीया है. __ पराग शब्दाष्टोत्तर शतार्थ निबद्ध साधारण जिन स्तवन वि. विध वृत्त बद्धम् ( जुओ प्रकरण रत्नाकर भाग. ४.) Citronella Oil Ceylon made in Holand आ नामर्नु एक तेल आवे छे. ते केमीष्टना त्यां ( अंग्रेजी दवा वेचनारना त्यां) मले छे. ते ताड पत्र उपर पीछीथी चोपडवाथी लखाण अने पत्रनी सपाटी वॉर्निसनी पेठे चक्कीत थाय छे. अने For Private And Personal Use Only Page #104 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir lxxix तेम करवायी तेने जीवडां पडी सडीजतां नथी. ताडपत्रना संरक्षणना माटे आ एक उपयोगी वस्तु गणाय छे। अने वडोदरानी लायब्रेरीमां वपराय छे. जोवा माटे तैयार छे. लखो क्यूरेटर ओफ सेन्टरल लायब्रेरी राज्य वडोदरा. sirit नकल करावी लेवानी सस्ती फोटोग्राफि. ४२ इंच पहोळाइ अने ४८ इंच लंबाइनी प्लेटनी सपाटी उपर ग्रंथना पाना मुकीने, तेनो सीलवर पेपर उपर - फोटो १८ इंच पहोळाइनो, अने २२ इंच लंबाइनो लेवाय छे. खर्च आसरे रु. २) आवे छे. आ केमेरा आशरे सात हजार रुपैया जेटलो खर्च करीने नामदार गायकवाड सरकारे मंगाव्यो छे। अने पब्लीकने पण आनो लाभ लेवानी छुट राखवामां आवी छे, वधु खुलासा पाटे-चीफ अॅनजीनीयर वडोदराने लखबुं. " अशोकनां दान पत्र " विगेरेना शिला लेखोनो संग्रह. मां दिनो नकशो आप्यो छे तेमां तेना राज्यनी हिंदमां कयां सुधी -हती जणावेलुं छे गीरनार विगेरे स्थळे आ लेख आवेला छे. भाषा तद्दन जुदीज लिपिमां छे. तेनो शुद्ध संस्कृत अने अंग्रेजीमां तरजुमो छे. - (१) डेलाना उपाश्रयना भंडारमां १९६ रासाओ अने चोपाइओ छे. तेनी सविस्तर याद इ. स. १९०८ ना ऑगस्ट सप्टेम्बरना अंकमां सविस्तर लीष्ट छपायुं छे. कर्त्ता नाम साथे (जुओ नं. ६३) For Private And Personal Use Only Page #105 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir lxxx खास भलामण. आ ग्रंथमा जे जे मुद्रित ग्रंथोनां नामो दाखल थइ शक्यां नथी. तेवां पुस्तको जेमणे छपाव्यां होय तेमणे नीचेना ठेकाणे लखी मोकलवा तस्दी लेवीके-से एकठा थया बाद एक परिशिष्ट तरीके छपावी देवानी अमोने एक ग्रहस्थ तरफथी फरमास थइ छ-एटले ते पण साथे साथे छपावी देवामां आवशे. ठे. हाजापटेलनी पोळमां) शेठ वर्धमान स्वरुपचंद. खाराकुवानी पोळ अमदावाद. ) वकील-(इडरवाळा.) For Private And Personal Use Only Page #106 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ॥भुद्रित जैनश्वेताम्बरादि ग्रंथ नामावलि॥ (गाइड) विशष परिचयादिसह. अ.* अजित शान्ति स्तवन कया सहित..विन कथा अनलारीलाल १ अकबर अने हीरविजयमूरिना फोटा. (१,) २ अकबर बादशाहना फरमानोना फोटा नं. १, नं. २, (१.वि, २. आरबी. ( जुनी उर्द.) [रु. २-८-० (२.) ३ (सम्राट) अकबर. सचित्र. हिं. अनु. पं. गुलजारीलाल ४ अघट कुमार चरित्र प्रमादे निद्रव्य विन कथा अने पुण्या भावे सिद्धदत्तनी कथा सहित. रु. ०-७-० (३,४.) ५ अजित शान्ति स्तवन अर्थसहित सटीक. रु. ०-४-० (६.सं.) ६ अजित शान्ति स्तवनादि स्तोत्र संग्रह. सं क.कान्तिमुनि (पा०) मोहनलाल शिष्य [रु. ०-१-० (हि.५,) ७ अजैन विद्वानोकी सम्मतियो. जैनधर्मके विषयमे ८ अढार दुषण निवारक रु. ०-६-० (६.) ९ अढार पापस्थानक तथा बार भावनानी सझाय. अर्थ रहस्ययुक्त यशोविजय उपाध्याय शिष्य जयसोम मुनि. रु. ०-४-. १० अढार पापस्थानक परिहार भाषा. (१) [(६.गु.) ११ अढीद्वीपना नकशानुं वर्णन. विलक्षण जैन भूगोळ. (७.गु.) १२ अढीद्वीपना नकशानुं पुस्तक. जैनभूगोळ. (७. गु.) [ (गु,७) १३ अढीद्वीनना नकशानी हकीकत. रु. २-०-० जैनभूगोळ १४ अढीद्वीपर्नु संक्षिप्त वर्णन. रु. ०-४-० जैनभूगोळ (गु.) * संकेत सूची जुओ.-(अंक अने अमरोने माटे.) For Private And Personal Use Only Page #107 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org २ १५ अढीद्वीपनो नकशो कपडावाळो प्रमाणे चित्रपट) (६) रु००-६-० (जैनभूगोळ [ रु. ०- १२-० (गु.) १६ हजार वर्ष पूर्वनुं हिंदुस्तान " गुजराती प्रेस मुंबई " १७ अधिक मास दर्पण, रु. ०-२-० (६) १८ अधिकमास निर्णय शान्तिविजय (हिं. ८ ) • १९ अध्यात्म अनुभव रु. ३-८-० हिन्दी सचित्र. (९.) Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २० अध्यात्म कल्पद्रुम. मूळ कर्ता मुनि सुंदरसूरि निर्मीत षोडश शाख, श्री धनविजयगणि विरचित विषमपदाधिरोहण्यासह रु. ०-८-० ( १०, सं.) 59 २१ अध्यात्म कल्पद्रुम मुनिसुंदरसूरि भेट (११. सं.) [१०, सं.) ૧૧ " मूळ सुंदरसूरि कृत धनविजयगणि कृत टीका २३ अध्यात्म कल्पद्रुम भाषान्तर रु. १-४-०६ भा. क. चंद गीरधर, बीजी आवृति (गु० ) मोती २४ अध्यात्म कल्पद्रुम मुनि सुंदरसूरि रु. ०-८-० (१०. सं.) २५ - अध्यात्म कल्पद्रुम सटीक ( पाना. ) रु. २ -८-० (६, सं०) २६ मुनिसुंदरसूरि कृत धनविजयनी व्या 12 35 " ख्या सहित (११.६४) २७ अध्यात्म गीता विगेरे. देवचंद्रजींनी रचेली शिला छापनी (१२) २८ अध्यात्म छन्नुवी उपदेश. हुकम मुनि, ( २१.गु. ) २९ अध्यात्म तत्वालोक. रु. ४-०-० न्यायविजय विरचित, स्वोपज्ञ गूर्जर भाषानुवाद विवरण ( १३ १४, ४७ सं. गु.) ३० अध्यात्म भजन संग्रह बुद्धिसागरसूरि ग्रं. नं. १५. रु. ०-६-० (गु० ५८ थी ६२ - १८४-१५ ) पृ. १९० ३१ अध्यात्म मत परीक्षा टीका, स्वोपज्ञ वृत्ति युक्त यशोविजयकृत. रु. ०-६-० (१६ सं० ) ३२ अध्यात्म मत परीक्षा. गु. रु. ०-४-० (१७.) For Private And Personal Use Only Page #108 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ३३ अध्यात्म व्याख्यान माला बुद्धिसागरसूरि. रु,०-४-० (प्र.१ १५, ५८ थी ६२. १८४ गु.) ३४ अध्यात्म शान्ति. ले. बुद्धिसागरसूरि. (१५५८ थी ६९ १८४) ३५ अध्यात्मसार यशोविजयजी कृत. (१२) ३६ अध्यात्मसार-प्रश्नोतर गंश. पंडित कुंवर विजयजीकृत (७.गु.) ३७ अध्यात्म सार भाषान्तर रु. २-०-० (६.गु.) ३८ अध्यात्म सार मळ. (६) ३९ अध्यात्म सार सटीक उपाध्याय श्री यशोबिजयजी विरचित पन्यास श्रीगंभीरविजयगणि कृत शब्द भावोक्ति टीका. समेत (६) ४० अध्यात्मसारादि दश ग्रंथोनो संग्रह यशोवि य. (६-२२) ४१ अध्यात्मसारोद्धार. हुकममुनि (२१. गु.) ४२ अध्यात्मिक मतखंडन सटीक. (१४-४७. सं.) ४३ अध्यात्मोपनिषद् (६. १४.४७ सं.) ४४ अनमोल रत्नोका अदभूत खजाना रु. ०-१-० (६.) ४५ अनवर गेसेनी जमेन रु. २-०-० ४६ अनित्य पंचाशत. रु. ०-२-० (६.) ४७ अनित्यादि भावनास्वरुप (१८.गु.) [(३. गु.) ४८ अनित्यादि भावना स्वरुप मुनि प्रतापविजय रु. ०-४-० ४९ अनित्यादि भावना स्वरुप. रु. ०-२-० (६.) ५० अनित्यादि भावना स्वरुप भेट. (१८. गु.) ५१ अनुकंपा छत्तिसी. रु. ०-०-६ (६८. हिं.) ५२ अनुकंपा छत्रिशि (१९.) ५३ अनुत्तरोपपातिक दशासूत्र. रु. ०-६-० संस्कृत अभयदेव सूरि कृत वृति युक्त पुद्गल परावर्त स्तोत्र साथे. (१०.१७) ५४ अनुत्तरोववाइ सूत्र मूळ टीका अर्थ युक्त. (की. नथी.) (६) For Private And Personal Use Only Page #109 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ५५ अनुपूर्वी रु. ०१-६ (६, १.) ५६ अनुपूर्वी रु. ०-०-६ (१-६) ५७ अनुभव. जैन हुकम प्रकाश, हुकममुनि, (२०.) ५८ अनुभव जैन हुकम प्रकाश. हुकममुनि, ( २१.) ५९ अनुभव पंचविसति रु. ०-८-० बुद्धिसागरसूरि. (१५,५८ ६० अनुभव प्रकाश. हुकम मुनि. (२१-१.) [थी ६२ - १८४ ) ६१ अनुभव प्रदीपिका. पाटणना भंडारना जैन ग्रंथनु भाषान्तर - वडोदराना देशी केलवणी खाता तरफथी मणिलाल भाइ द्विवेदी बी. ए. (२१, २७०) रु. ०-४-० गु० ६२ अनुभव शतक. रु. ०-३-० (२३.) ६४ 33 ६३ अनुयोगद्वार सूत्र. भाषान्तर साथे (१७) प्रा० सं. धनपतसिंह बाबुवा. (२४.) प्रा० सं० [हिं० ६५ अनुयोगद्वार सूत्रम् पूर्वार्धम् रु. ०-१०० टी. हेमचंद्राचार्य टबो. गु. [ प्रा० सं० मं. नं. ३१. (१६.) ६६ 35 ६७ अनुयोगद्वार सूत्र उत्तरार्ध ( पाना.) रु. १-०-० (१६.) भाग २. टी. हेमचंदाचार्य. प्रा० सं० ७४ "" ६९ ६८ अनुयोगद्वारसूत्र संक्षिप्तभाषान्तर (२५.) पं. देवविजय गणि. ( संक्षिप्त सारांश.) देवविजयजी गणि. (६.) टी हेमचंद्राचार्य कृत. (१०) ७१ अनेकान्त जयपताका. हरिभद्रसूरि कृत. रु. ४-०-० ७० 35 "" ७२ [ (सं. १४-४७) ७३ अनेकान्त बाद प्रवेश रु. ०-५-० हरिभद्र सूरि विरचितो सू. टी. (११.) 55 सटिप्पनक. (२६.) सं. Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मूळ उपरथी भाषान्तर कर्त्ता मणिलाल "" "" "" नथुभाइ, बीए. सं. १९५५ रु. ०–५–०, २७. ७५ अनेकार्य संग्रह (जुओ अभिधान संग्रह भाग. २) For Private And Personal Use Only Page #110 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ७६ अन्तकदशा दी. अभयदेव सूरि रु. ०-१०-० (२८.) ७७ अन्नाय उच्छ कुलकम् आनंद विजय विरचित वृत्ति सहित. मू. प्रा०-टी- सं० यति आचारनुं वर्णन. रु. ०-२-० (१७) ७८ अन्य योग व्यवच्छेद द्वात्रिंशिका. हेमचंद्राचार्य कृत. मं नं. (३०) मल्लिषेणसूरि कृत. स्याद्दाद मंजरी नाम्नी टीका सहित. संशोधक. हरगोविंददास एन्ड बेचरदास. बनारस. प्र. हर्खचंद भुराभाइ बनारस (१४-४७) ७९ अन्योक्ति मुक्तावली. रु. १-०-० (६) ८० अन्योक्तिशतक. रु. ०-६-० (६) [ (२९,१.) ८१ अपोह सिद्धिआदि बौद्धना छ न्याय, रत्नकीर्ति आदि संस्कृत. ८२ श्री अभयकुमार चरित्र भाग. १ लो. रु. २-०-० (१७.) ८३ भाग. २ जो रु. ३-०-० (१७.) " 55 ८४ ( धर्मवीर ) अभयकुमार चरित्र रु. ०-२-० (३०) ८५ अभयकुमार मंत्रीश्वरनुं जीवन चरित्र (उपाध्याय श्री ) अभयकुमार महाकाव्यनुं भाषान्तर गुजराती भाग १ लो रु. २-४-० (३१.१७) चंद्रतिलक कृत. ( ३२.) ८६ " 99 ८७ अभयकुमार चरित्र संस्कृत रु. १५-०-० ८८ अभयकुमार चरित्र भाग. २ जो. रु. ३-०-० (३१.) ८९ अभयकुमार मंत्रिश्वरनुं जीवन चरित्र. रु. १-८-० ९० अभयकुमार मंत्रीश्वरनो रास रु.०-६-० र. सं० १७६१. लक्ष्मीविजय कृत. (७) ९१ अभक्ष अनंतकाय विचार. रु.०-३-० (३३.) ९२ भेट. (३४. १५, ५८ थी ६२, १८४ ) 33 " ९३ अभाव प्रकरण, च्यार अभावनुं वर्णन, हुकम मुनि. (२१.) For Private And Personal Use Only Page #111 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra "" ६. ९४ अभिधम्मध्य संगहो. रु. ०-२-० अनुरुद्धाचार्य कृत. प्रा० (१, ४४५) ९५ अभिधान चिन्तामणि (जुओ अभिधान संग्रह भाग २ ) ९६ अभिधान चिंतामणि कोष, हेमचंद्राचार्य, सूचिपत्र सहित. भाग. पहेलाना, रु. ४-०-० (१४, ४७) ९६ अ. शब्दोनुं अकारादि; भाग. बीजाना ३-०-०१ (१४, ४७) 55 55 ९७ अभिधान चिन्तामणि परिशिष्ट ( जुओ अभिधान संग्रह भाग २ जो. ) [म् (३७.) ९८ अभिधान राजेन्द्र कोशस्य शब्दानामनुक्रमणिका सूचिपत्र९९ अभिधान - राजेन्द्र प्रथम भाग रु. २५) पृ. ८९३ (सं. १९४६ नी सालथी आ ग्रंथ लखवो शरु थयो छे. पुरा थया बाद सं. १९६५ मा पहेलो भाग अने बीजा हजु छपाय छे.) (३७) [११०७ (३७) १०० अभिधान राजेन्द्र द्वितीयभाग रु. ३५) सं. १९६७ प. १०१ तृतीयभाग रु. ३५) सं. १९७० पृ. १०२ चतुर्थभाग रु. ३६) सं. १०३ पंचमभाग रु. ३८) सं. १०४ षष्टमभाग रु. ३८) सं. १०५ सप्तमभाग रु.३८) सं. छपाय छे (३७) 97 १०६ अभिधान संग्रह. संस्कृत प्राचीन कोष. ग्रन्थ समुच्यय, हेम चंद्राचार्य कृत. भाग १ लो. तेमां नीचे मुजब. (१) अमरसिंहकृत नामलिङ्गानुशासनम् (१०, ९५ ) (२) पुरुषोतम देव प्रणीत त्रिकाण्डशेषः (३) "" (8).. "" "" www.kobatirth.org ܕܐ 97 " Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १९७० पृ. १९७८ पृ. १९८० पृ. १४६५ (३७) १३६२ (३७) १३६४ (३७) १६३५ (३७) हारावली. द्रिरुप कोषः For Private And Personal Use Only RA: " "" Page #112 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १०७ अभिधान संग्रह हेमचंद्राचार्य विरचित बीजा भागमां नीचे सुजब. (१) अभिधान चिन्तामणि परिशिष्ट (२) "" 23 (३) अनेकार्य संग्रह. (४) निघण्टुशेष. (५) लिङ्गानुशासन कोष. शिलोच्छच्च. (६) जिनदेव मुनीश्वर विरचितः अभिधान चिन्तामणि रु. २-४-० (१०-१२ ) १०८ अभिनंदन और सुमतिनाथ प्रभुका चरित्र अनुवादक - माणेक मुनि हिन्दी त्रिषष्ठी शलाका पुरुष चरित्र के आधार रु. ०-२-० (३८) १०९ अभिनंदन और सुमतिनाथ प्रभुका चरित्र हिन्दी (३९-४०. १. ) ११० अभ्युदय मार्ग रु. ०-६-० (६) " " 99 १११ अमदावाद कॉन्फरन्स रिपोर्ट रु. ०-८-० ( २३५.) ११२ अमदावाद शहेर यात्रा रु००-२-० (६.) ११३ की. अमुल्य (४१) ११४ अमरकोष टीका सहित रु. २-०-० (६,) ११५ अमरतेज मुनिनी सज्जाय. हुकममुनि ( २१.६.) ११६ अमरदत्त मित्रानंद चरित्र, गद्य रु. १-०-० (३२.) ११७ अमरुशतकम् विगेरे अमरुक कवि विरचितम् ( काव्यमाला १८ अर्जुन वर्मदेव प्रणीतया रसिक संजीवनी समाख्यया व्याख्यया समेतम् रु. ०-१०-० (सं. १०.) ११८ अभिधम्म संगहो अनुरुद्धाचरिय विरचितो. रु. २-०-० ११९ अमुल्य रहन संग्रह रु००-८-० (६०) १२० अमे साधु शा माटे थया. (१९-६८) [ (३६. प्रा० ) For Private And Personal Use Only Page #113 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org 1 १२१ अम्ड चरित्र अमरसूरि (३२. सं. २२) १२२ अर्थदीपिका (श्राद्धमतिक्रमण ) रत्नशेखसूरि सन्हन्ध विवरण युतम् रु,२-०-० ( १६ मा. सं.) (४२. प्रा० अं०) १२३ अर्धमागधी रीडर बनारसीदास अॅम. ए. रु.३-०-० १२४ अर्धमागधी व्याकरण. मुनिरत्नचंद्रजी. सतावधानी (४३प्रा० ) १२५ अनीति भाषान्तर हेमचंद्रचार्य प्रणीत, भा-क मणीलाक नथुभाष दोसी रु. १- ४-० (४४ - ६. गु.) १२६ अर्हनीति भाषान्तर. रु. १-८-० (७० गु-१, १२७ अलंकार चिंतामणी. जिनसेनाचार्य रु. ०- १२-० (हि. ४५ सं. दि.) १२८ अल्प बहुत्व गर्भित श्री महावीर स्तवनम् समय सुंदरगणि विरचित स्वोपज्ञावचूरि सहित तथा महादंडक स्तोत्र अपरनाम अल्प बहुत्व विचार स्तवन ग्रं. नं. १९ रु.०-२-० (१७. सं.) १२९ अवच्छेदक तत्व नियुक्ति विगेरे. १३० अवतारिका परिच्छेदद्वयम् १३० अ.,, Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ३-८ परिच्छेद. 37 आनुं खरु नाम :-- प्रमाणनय तत्वालोकालंकार. रत्नप्रभाचार्यकृत रत्नाकराबतारिकाख्यया बाख्यया समलंकृतः (२४-४७ . ) • १३१ अविद्यान्धकार मार्तंड लब्धिविजयजी रु. ०-१-० (४८) १३२ अव्ययवृत्ति रु. ०–२–० (६.) १३३ अशोक. आर्यावर्त्तना महान चक्रवर्त्ती महाराजा. गुर्जरमा ले० जीवणलाल अमरसी महेता. रु. ०-१०-० (४९.) १३४ अशोकचंद्र (५०, ) १३५ अशोक लेख संग्रह. [ ( तेणे बौध धर्म स्वीकार्यों हतो. ) प्रियदर्शि - प्रशस्तयः संस्कृताङ्गानुवाद. 1 For Private And Personal Use Only Page #114 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अजित] [अवधा पाठभेद-टिप्पणादि सहित. संगृहीताः प्रकाशिताश्च (५१) " पाछळथो आधेला फॉर्ममाथी लीधेला ग्रन्थो-चालु कामे भाषवाथी आ नीचे कीधा छे." ४ अ. अजितकाव्य कीरणावली (६,) ४ ब. अजितनाथ जिन होरी. (जुओ-देवचंद्र भाग २.वि. १). १० अ. अढार पापस्थानक अने बार भावनानी सज्जाय अर्थ रहस्य साथे. रु. ०-८-० (६) [२. वि. १). १६ अ. अतितचोवींशी पैकी एकवीसी. ( जुओ देवचंद्र भाग २६ अ. अध्यात्मगीता प्रायः १७४३ संवत लींबडी. (जुओ देवचंद्र भाग. २ वि. १). २६ ब. , , देवचंद्रजी कृत. (जुओ-आत्मिहितोपदेश, २९ अ. अध्यात्म बावनी. ( जुओ-आत्महितोपदेश.) २९ ब. , , ( जुओ-क्षमाकुलकादि संग्रह ). ३० अ. अध्यात्मिक मतखंडन सटीक (जुओ यशोविजय ग्रन्थमाला) ४३ अ. अनगार धर्मामृत रु. ३-८-० (६) लाल.) ६१ अ. अनुभव प्रवेशिका. (जुओ-सुमति विलास ग्रन्थ मनसुख९० अ. अभय कुलक ( जुओ-कुलकसंग्रह १७वाळो.) ९७ अ. अभिधान चिन्तामणि शिलोञ्छश्च जिनदेव मुनीश्वर विरचित (जुओ-अभिधान संग्रह भाग २ जो.) ११९ अ. अमुलख खुबचंदनुं जीवन चरित्र. (८४३) ११२ अ. अर्धमागधी कोष भाग १ लो सं. हि. गु. अं. साथे (६) १२४ अ. अहंदादि स्तवन विविध पद्य रचनात्मक (जुओ-प्रक रण रत्नाकर भाग ४ थो). ( १३० ब. अवधानना प्रयोगो (रत्नचंदजी स्वामिनारु,०-४-०(६) For Private And Personal Use Only Page #115 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अष्टक ] [अष्टप्र १३६ अष्टकपकरण सटीक. हरिभद्रसूरि कृत. भेट. (११) (हरिभद्र सूरि) अष्टक भाषान्तर युक्त रु. १-१२-० सं० गु० (३२.) सटीक रु. १-०-० (सं. ३२) अष्टक मूळ. हरिभद्रसरि कृत. युक्तिपकाशना भेगो छे.. - रु. ०-८-० (३२.) हरिभद्र सूर ग्रंथमाला ] अष्टक. मल बीजो. हरिभद्र कृत ग्रंथमाळा. (६.) [ जुओअष्टक मूल तथा जिनेश्वर सूरि निर्मित, अभयदेव सूरि प्रतिसंस्कृत वृत्ति सहित. (११.) अष्टक बीजो-हरिभद्र सूरि कृतान्यष्टकानि. मळ-तेनो अर्थ. अने टीकानो भावार्थ. संस्कृत उपरथी, सं. १९५६. (७.) अष्टक प्रकरण. हरिभद्रकृत. ", जिनेश्वर सूरिकृत. अष्टक बे षट्दर्शन समुच्चय बे रु. ०-४-० (१६-१) १३७ अष्ट प्रकरण सटीक. (११.) १३८ अष्ट प्रकारी पूजा-(महाराज राजेन्द्रसरिजीकी.) भेट. ले. __पं. तीर्थ विजय. सं. १९७९ (३७.) अष्ट प्रकारी पूजा (आत्मारामजी कृत.)ह.०-२-० (६.)हिं. ,, ,, पूजा वीरविजयजी कृत, अर्थ सहित. ०-४-० - अर्थ क. पं. चारित्रविनय. (६.) अष्टपकारी पूजा तथा छुटक स्तवनो रु. ०-२-० (६.) गु. अष्टप्रकारी पूजा. रु. ०-२-० (६.) अष्टप्रकारी पूनाओ. २. सं. १७४३ (जुओ देवचंद्र भाग २ वि. १ लो). [२ वि. १) १३९ अष्टप्रवचनमातानी सज्जाय. (जामनगर-जुओ देवचंद्र भाग For Private And Personal Use Only Page #116 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अष्टस] [आउर १४० अष्टसहखी विद्यानंद स्वामिना निर्मिता. (दि.) गांधी-नाथा रंगजी. आकलुजनीवासी. रु. ३-०-०+ १४१ अष्टसहस्री वृत्ति अष्टसहस्त्री यशोविजयकृत टीका श्लो० ८००० नी छे लिखित छे.(छपाववानी खास जरुर.)सुधारेली प्रेस कॉपी विजयोदयसूरि पासे छे ठा. पांजरापोळ अमदावाद. १४२ अष्टान्हकाख्यानम्, रु. ०-६-० अलभ्य. (१७.) " " विगेरे. (५०.) ." , भाषान्तर राजेन्द्रसूरि. सं० हिन्दी. रु. ०-१०-० (३७. ३२३.) १४३ अष्टापद कल्प संस्कृत (गुजराती अनुवाद सहित-) धनपाळ पंचाशिकाना भेगो छे. १९६९ (६.) [रु. ०-२-० १४४ अष्टापद तीर्थ पूजा. वल्लभविजयजी कृत. सं. १९७९ (५२.) १४५ अष्टोत्तर शत तार लक्षण. (५०.) . १४६ अहिंसा. विद्याविजयजी. गु० मेट. (१४-४५) १४७ अहिंसादिग्दर्शन. विजयधर्मसूरि. (४७.१४.) १४८ अहिंसा परमो धर्म. रु. ०-२-० (९.) हिं. १४९ अहेवाले कान्फरन्स रु. ०-५-० (६. गु. २३५.५३) १५० अहेवाले कान्फरन्स. (बीजी कान्फरन्सनो हेवाल.) रु. ०-५-० (५३. २३५) । १५१ अक्षय निधि तप संबंधि विधि विधान तथा गहुंली विगेरेनो संग्रह. सं. १९७४ (६,१,) १५२ अज्ञान तिमिर भास्कर. १९४४ विजयानंदरि कृत. रु. २-८-० (१७,५४,१. हिं.) आ. १५३ आउर पच्चखाण विगेरे. चउसरण, आउरपञ्चख्खाण, भक्त परिज्ञा, संथारग. (६. मा० मूळ) For Private And Personal Use Only Page #117 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org भागम ] १२ आचार 1 १५४ आगम अष्टोतरी हिन्दी भा. (७२-७१) रु. ०-४-० (दि०) १५५ आगम अष्टोत्तरी अभयदेवसूरिकृत (जुओ आत्महितोपदेश ). १५६ आगमनिर्णय, ०-२-० (हि. ६८) १५७ आगम वाचन मीमांसा (७३ - १२) गं. नं. २३ १५८ आगमसार. रु. ०-१०० (७४-७१) Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir आगमसार. पं. देवचंद्रजी कृत् मूळ उपरथी वि. कल्याणजी मळजी भेट १९६३ (७५) आगमसार पं. देवचंद्रजीकृत आगमसार, पांचभावना, अध्यात्मगीता, चिदानंदजीकृत पुद्गलगीता विगरेनो संग्रह छे अमूल्य सं. १९६७ (२६५) आगमसारका हिन्दी अनुवाद देवचंद्रजी विरचित श्रीमच्चि - दानन्दजी महाराज रु. ०-१०-० सं. १९७८ (७६-७७) आगमसार शास्त्री पं. देवचंद्रजी महाराज अपूर्व करणादि स्वरुप ० - १२० सं. १९६५ (३७) आगम सार अध्यात्मगीता. ग्रं. ५७-५८ पृ. ४७० रु. ०–६–० आगमसार (जुओ देवचंद्र भाग २. वि. १२. सं. १७६५ फा. सुद ३ मोटा कोटा-मरोट, आगमसार ( जुओ प्रकरण रत्नाकर भाग १लो. ) १५९ आगमस्तव सावचूरि (जुओ - काव्यमाला गु. ७ बीजी ). १६० आगमसारोद्धार देवचंद्रजीकृत गुजराती रु. ०-२-० (६) १६१ आचार दीपक भाग १ लो. तथा २ जो. पांचप्रकाश रत्नशेखर सूरिकृत रु. १- ४-० (प्र० ७९. प्रा० सं० गु० ) १६२ आचार दिनकर विभाग १ लो पूर्वार्ध सं. वर्धमानसूरि बिरचित पा. १४० ग्रं.नं. २. ४५०० श्लोक (७८) रु. ६-०-० For Private And Personal Use Only Page #118 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir आचार] [आचारां आचार दिनकर भाग २ जो. पा. १४१ थी ३९८ रु. १०-०-० (सं. ७८) १६३ आचार प्रदीप (प्रकाश पहेलो मूळ टीका भाषान्तर) मु. क रत्नशेखर सूरि. रामचंद्र दीनानाथ रु. १-४-० सं. १९५८ (सं. गु. ३२) १६४ आचार रत्नाकर प्रथम प्रकाश पं. मोहनलाल मुनिजी. लक्ष्मी प्रधानगणि शिष्य सं. १९४५ (हिं, ८०, १) । १६५ आचार सार. (दि) सं. १९७४(५०-८१,६.) रु. ०-६-० १६६ आचारांग सूत्र (मूळ, टीका, अर्थ सहित) (की. नथी (६.) ,, द्वितीय आत्ति मूळ भा. सहित रु. ४-०-० , प्र० रवजीभाइ देवराज प्रो० (पा. गु. ८२.) " , मूळपाठ, विशिष पाठभेद, शब्दकोष समन्वित प्रथम श्रुतस्कंध रु. २-०-० (मा. सं. ८३) ,, शीलाङ्काचार्यकृत विवरण अने भद्रबाहु स्वा. मिकृत-नियुक्ति भाग. १ लो रु. १-८-० (२८) " भाग २ जो रु. २-४-० (२८) , बाबुवालं. रु. ४५-८-० स्वधर्मीओना माटे रु. २२-१२-० (२४, ५०) " तथा कल्प सूत्र रु. ६-१२-० (६. अं.) " पूर्वभाग (पाना) रु. १-१२-० (६. प्रा०) " भाषान्तर सहित रु. ३-०-० (गु. ६). भाग १ लो. शीलाङ्काचार्य विहित विवरण समन्वितं. (१६, ५० प्रा० सं.) , भाग २ जो. (१६-५०) (प्रा. सं.) , भाग १ थी ५ मां मुनि माणेक (प्रा. ग. १२.) मूळ, नियुक्ति अने टीकार्नु भाषान्तर For Private And Personal Use Only Page #119 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १४ आचारां] आत्म , मूल अने भा. रु. ३-८-० इ १९९२ (पा० गु० ८४-१) विरचित. (६.) १६७ आचारोपदेश मूळ सं. रत्नसिंहमूरि शिष्य चारित्रसुंदर गणि " , श्रुटित (गु, ५०) ,, ,, चारित्रसुंदरगणि रु. ०-४-० (अ० ६७.) आचारोपदेश ग्रन्थ ( जुओ-प्रकरण लघुसंग्रह.) " , भाषान्तर सहित रु. ०-१२-० षड्वर्ग रुप भा. क. (८५-५०) [विजय.) , , (जुओ-सूक्त मूक्तावली भाषान्तर पं. केसर १६८ आजकालनुं हिन्दुस्तान भाग १-२-३ विचारणीय इतर . (गु.७१) १६९ आजको लाहो लीजीएरे काल कोणे दोठी छ (पायः देवचंद्र जी कृत जणाय छे (जुओ-देवचंद्र भाग २. वि. १). १७० आठ दृष्टिनी सझाय रु. ०-६-० (गु. ६, ५०,) १ आठ दृष्टिनी सझाय. २ छुटक महा वाक्यो. ३ श्री गिरनारजीनी तीर्थमाळ (दुहा १०२) ४ आत्मशिक्षाभावना (दुहा १८५) ५ अध्यात्म बावनी त्रण प्रकारचें आत्म स्वरुप, ६ दया छत्रीशी चिदानंदजीकृत. १७. आते वीर धर्म के वणिग् धर्म. (५०. गु.) १७२ आत्मक्रान्ति प्रकाश. विविध स्तवनो स्तुति सझायोनो संग्रह. रु. ०-४-० (गु. १७) १७३ आत्म चिंतामणि हुकममुनि (दे. २१) १७४ आत्म तत्व दर्शन बुद्धिसागरसूरि प. ११२ ग्रं. ५१ (१५,५८ थी ६२, १८४) रु. ०-१०-१ For Private And Personal Use Only Page #120 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir आत्म] १५ [ आत्म १७५ आत्म निन्दाष्टकम् ( जुओ-काव्यमाला. गु. ७ बीजी ) १७६ आत्म नित्यभावना रु. ०-०-६ (गु. ३.) १७७ आत्मनिंदा शतक रु. ०-४-० (६.) १७८ आत्मपूजा आत्मारामजीकृत पूजाओनो संग्रह. अन्यकृत स्त वनो गहूंलि अने मंडल सहित नवपद पूना (हि.७.५०,) १७९ आत्मप्रकाश-बुद्धिसागरसूरि (१५ ५८ थी ६२ १८४) १८० आत्मप्रदीप बुद्धिसागरसूरिकृत स्वोपज्ञ टीका सहित गु. वि. मणिलाल नथ्थुभाइ दोशी. बी. ए. (१५, ५८ थी ६२ १८४) रु. ०-८-० १८१ आत्म प्रबोध. कुमारकवि (२२,) २८२ आत्म प्रबोध. (पाना) जिनलाभसूरि कृत मूळ कथा विवेचन रु. ८-०-० सं. १९६६ (३२, १७) १८३ आत्म प्रबोध. धनविजय रु. ०-६-० सं. १९७१ (३७) १८४ आत्म प्रबोध. भाषान्तर (शास्त्री) रु, २-८-० (१७) १८५ आत्म प्रबोध स्याद्वाद ग्रन्थ, सं० १९४५, (९०) १८६ आत्मबोध पत्रिका.(जुओ-सुपतिविलास ग्रन्थ. मनसुखलाल.) १८७ आत्मबोध प्रकाश. धनचंद्र सूरिजी रु. ०-४-० गु० (६) १८८ (आत्म शिक्षा भावना विवेचक) बुद्धिसागरसूरि कृत (१५, ५८ थी ६२, १२.१८४) १८९ आत्म रहस्य. श्रीयुत जेम्स्. एलन. के. •oat from the Heart' नामक ग्रन्थका अनुवाद, रु. ०-४-० इ. १९१६ (७१,९१) आत्प रहस्य. दयाचंद्र गोयलीयम चिरंजीलाल.माथुर.हिन्दी १९० आत्म लब्धि विकास. स्तवनावलि. (लब्धिविजयजी) (९२) १९१ आत्म वल्लभ जैन स्तवनावलि. (प्र-नं. १६) रु. ०-६-० गु० (१७) For Private And Personal Use Only Page #121 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org १६ [ आत्म आत्म ] १९२ आत्मवल्लभ पूजासंग्रह विधि साथै रु. २-०-० (६) १९३ आत्म विलास स्तवनावली. आत्मारामजी कृत स्तवनो. रु. ०-६-० हिं० (५०,८०६) १९४ आत्म वोरनी कथाओ. रु. ०-५-० गु० (९३,८०७) १९५ आत्म शक्तिनो उदय चारित्रविजय. रु. ०-४-० (६) १९६ आत्मशक्ति प्रकाश. बुद्धिसागरसूरि (१५, ५८ थी ६२, • Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १८४) १९७ आत्म शक्ति प्रकाश. लब्धि विजय. सं. १९७० रु.०-४१९८ आत्म शान्ति उपाय. रु.०-३-० (६) [हिं० (९५,९६) १९९ आत्म शिव प्रश्नोत्तर. आत्मारामजी ओर मुनि शिवजी रामजी महाराजकी परस्पर बातचीत इ. १८८३ (९७) २०० आत्मशिक्षा भावना, प्रेमविजयजी. गु० (९८) आत्म शिक्षा भावना. विवेचन कर्त्ता बुद्धिसागरसूरि. (१५, ५८ थी ६२ - १८४) ( आत्म दर्शन ) बुद्धिसागरसूरि. (प्राचीन गुर्जर भाषामां जैन साहित्य) ग्रं. नं. ३० अमूल्य. (१५, ५८ थी ६२, १८४) २०१ आत्म सिद्धि शास्त्र रु. ०-५-० (६) For Private And Personal Use Only -0 रु० ०-८-० दे० (९९) 35 33 २०२ आत्म हितबोध, तेमां. (१) शान्ति प्रकाश (२) समाधि मरण (३) मृत्यु महोत्सव (४) समकीत छप्पनी (१० १००) २०३ आत्म हित शिक्षा पद संग्रह अथवा चतुर्दश नियमावली. • रु.०-८-० २०४ आत्म विशिक्षा भावना. सं. १९७४ अमूल्य. (१०१,९५) २०५ आत्म हितोपदेश रु. ०-८-० (५०, १०२) तेमां (१) अध्यात्मगीता देवचंद्रजी कृत (२) मोटी अध्यात्म गीताविनय विजयजी कृत (३) पांच भावना देवचंदजी कृत. Page #122 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १७ आत्म] [आत्मो (४) आलोयणा छत्रीसी. समयसुंदरसूरि कृत, (५) आगम अष्टोत्तरि. अभयदेवसूरि कृत. (६) अध्यात्म बा वनी. (७) ज्ञान पच्चीशी. २०६ आत्मज्ञान ग्रन्थमाला भा. १ लो. हुकममुनिजी (१-२१) २०७ आत्मज्ञान प्रवेशिका. पं. केसरविजय रु. ०-३-० (२५) आत्मज्ञान प्रवेशिका. रु. ०-२-० (६) २०८ आत्मानुशासन. मूल भा० क० सेताबचंद नहार बहादुर. सं० १९३१ सं०, प्रा०, हिं० अलभ्य (१०४) २०९ आत्मानुशासन ओर प्रज्ञा प्रकाश पार्श्वनाग सं०, हिं. रु. ०-४-० आत्मानुशासन ओर प्रज्ञा प्रकाश. (हिन्दी भाषान्तर) रु, २-०-० (१०५) २११ आत्मानुशासन. भद्रभदंत वंसीधरजी (१०६) [(६-१७) २११-अ. आत्मानंद जैन गायन संग्रह प्रथम भाग रु. ०-२-० २१२ आत्मानंद जैन शिक्षावली भाग १लो हिन्दी रु. ०-४-० २१३ आत्मानंद प्रकाश रु. ०-२-० (६-१७) २१४ आत्मानंद स्तवनावली. अमूल्य (१०७, १०१, ५०) २१५ आत्मारामजीकृत पूजाओ रु. ०-४-० (६) २१६ आत्मारामजी महाराजनुं जीवनचरित्र पद्य रु.०-१-०(१०८) २१७ आत्मावबोध कुलक अथवा आत्मज्ञान जयशेखरसूरि रु. ०-८-० प्रा० गु० (१०९) आत्मावबोध कुलक (जुओ-कुलकसंग्रह १७वाळो.) २१८ (लालन) आत्मवाटिका, रु.०-१२-० गु० (१०९-११०) २१९ आत्मोन्नति ग्रं. नं. २३ (अलभ्य) रु. ०-१०-० (१७-६) २२० आत्मोन्नति सर्वज्ञ प्रणीत स्याद्वाद दर्शनरूप (१११ ?) २२१ आत्मोन्नति दिगदर्शन विजयधर्मसूरि सं० १९६६ (१४-४७) For Private And Personal Use Only Page #123 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir आदर्श] [आनंद २२२ आदर्श जैन स्त्री रत्नो रु. २-०-० गु० (१७) २२३ आदर्श साधु विद्याविजय, रु. १-४-० हिं० (१४) २२४ आदिनाथ चरित्र सचित्र. रु. ४-०-० हिं० (९) ____ आदिनाथ चरित्र गु. रु. २-०-० (६) २२५ आदिनाथ चरित्र. (११२, ११३, ११४) २२६ आदिनाथ चरित्र हिन्दी रु. ०-२-० (६) २२७ आदीश्वर चरित्र मूल (त्रिषष्ठिमांयी) रु. १-८-० सं० (६) २२८ आदिनाथ विवाहलो (श्रावक रुषभदासकृत.) सं. १९८८. जै० भंडार सुची. ( ५३७-७१) [(३२) अंचल २२९ भादिनाथजीनो रास. दर्शनसागरजी कृत. रु. ३-०-० २३० आदिनाथ देशना तथा स्तवनो. प्रा०, गु० (११५, १) २३१ आदिनाथ श्लोको. (जुओ-श्लोकासङ्गह शास्त्री.) २३२ आदि पुराण समीक्षा. (दि०) रु. ०-४-० (११६, ५०) २३३ आनंदकाव्य महोदधि (पाचीन जैन काव्यसंग्रह) मौक्तिक १ लुं. जैन गुर्जर साहित्योद्धारे. ग्रन्यांक १ रु १-०-० गु० (१६, ६९६) मानंदकाव्य महोदधि मौक्तिक २ जुः (प्राचीन जैन काव्य संग्रह) जैन गुर्जर साहित्योद्धारे ग्रथांक २ सं० १९७० (१) रामायण. चार अधिकार. रु. ०-१०-० गु० (१६, ११७) आनंदकाव्य महोदधि (प्राचीन जैन काव्य संग्रह ) मौक्तिक ३ जुं. रु. ०-१०-० (१६, ११७) तेमां:(१) भरत बाहुबली रास. (२) जयानंद केवली रास. (३) बच्छराज देवराज रास. (४) सुर सुंदरी रास. (५) नळ दमयंती रास. (६) हरिबल माछी रास. मानंद काव्य महोदधि. (प्राचीन जैन काव्य संग्रह) मौ For Private And Personal Use Only Page #124 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra आनंद ] [ आनंद १९ क्तिक ४ थुं. शत्रुंजय माहात्म्य: जिनहर्ष प्रणीत रु० ० - १२-० गु. (१६, ११७) आनंद काव्य महोदधि, ( प्राचीन जैन काव्य संग्रह ) मौक्तिक ५ मुं. हीरसूरिरास - नयसुंदर प्रणीत. रु. ० -१०-० गु. (१६, ११७) आनंद काव्य महोदधि, मौक्तिक ६ द्वार -- प्राचीन काव्य संग्रह, रु००-१०-० (१६, ११७) www.kobatirth.org (१) रुपकुंवर रास. (२) नळ दमयंती रास.. (३) शत्रुंजयोद्धार रास. २३४ आनंदघन चोवीशी. रु. १-०-० हिं० (६) आनंदघन चोवीशी. (६८) Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir } "" "" . जैन गुर्जर साहित्यो 35 "" (जुओ प्रकरण रत्नाकर भाग. १लो.) आनंदघनजी कृत चोवीशी. देवचंदजी कृत चोवीशी तथा वीशी विगेरेना स्तवनो भेट ( ११८) आनंदघनजीनी चोवीशी. (अर्थ सहित) रु.०-८ - ० हिं० (६) आनंदघनजीनी चोवीशी. ( गुजराती अर्थ वाळी ) रु. ०–६–० (६) नयसुंदर कृत. मां ज्ञान विमलजी अने देवचंदजी बने भेगाने बनावेला, २३ - २४ वे स्तवनो (जुओ देवचंद्र भाग, २ वि. १. ) # For Private And Personal Use Only २३५ आनंदघनजीनी तथा चिदानंदजीनी बृहोंतेरीरु, ० – ७ - ० (६) २३६ आनंदघनजीनी बहोतेरीना पदना अर्थ रु. ०-१-० (६) २३७ आनंदघन पद रत्नावली भा. १को रु.२-०-० गु. (११९) २३८ आनंदघन पद संग्रह भावार्थ सहित बुद्धिसागरसूरि १०८ पद, पृ. ८०८ रु. २–०–०, हिं० गु० (१५, ५८ थी ६२, १८४ ) Page #125 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org २० आनंद ] २३९ आनंदमंगल स्तवनावली. रु. ०-२-० गु० (६) Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir आनंदमंगल स्तवनावली भा. २ जो. रु. ०-४-० गु. (६) आनंद रत्नवली रु. ०-४-० (६) २४० आनंद विनोद, आनंदसागरजी भेट. (१२० ) २४१ आनंद विमल सूरि. ( संक्षिप्त सार रूप तथा मूल रास ) जुओ-जैतिहासिक रास संग्रह भा. ३ जो ) 35 [ आराम २४२ आनंद व्याख्यानमाला. रु. ०-६-० (६) २४३ आप्त परीक्षा अनं पत्र परीक्षा. श्री विद्यानंद स्वामिना विरचिता. सनातन जैन ग्रंथमाला " खंड. १ (दि.) 66 सं० ० रु. ०-२-० (१०६, ८०८ ) आप्त परीक्षा (जुओ-जैन ग्रन्थ रत्नाकर अंक त्रीजो. ) २४४ आप्त मीमांसा, समन्तभद्र स्वामि विरचित. हि. (१०६) ( जुओ - जैन ग्रन्थ रत्नाकर अंक त्रीजो. ) "" २४५ आबुजीनो नकशो. रंगीन रु. ०-४-० (६) २४६ आबु जैन मंदिरो के निर्माता पंडित ललितविजय रु. ०-८-० हि० [ वृत्तियुक्त. २४७ आराधक विराधक चतुर्भगी. यशोविजयजी कृत, स्वोपज्ञ २४८ आराधना. गु. (१) २४९ आराधना कथा कोष भा. १ लो. ( दि०) ब्र. नेमिकृत. उदयलाल कासलीवाला. रु. ४-०-० सं. हि. (१२२, ५०) आराधना कथा कोष भा. २ जो. आराधना कथा कोष भा. ३ जो. For Private And Personal Use Only २५० आराधना सार. देवसेन. (दि.) (८१, ५०) २५१ आराम नंदन, रु००-२-० (८८) २५२ आराम शोभा चरित्र ले. समुद्रविजयजी (वल्लभ विजय शिष्य ) सं. १९७९ रु. ०-२-० (४८) Page #126 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir आरंभ ] २१ [ आलोच २५३ आरंभसिद्धि मूल मात्र उदयप्रभदेवसूरि विरचित श्री हेमहंसगणि विरचितेन शृङ्गाराख्येन वार्तिकेन संवलितः (५०) आरंभसिद्धि विगेरे भाषान्तर. भा. क. पुरुषोत्तम गीगाभाइ रु.५-०-० (५०, १२३) आरंभसिद्धि उदयप्रभदेवसूरि विरचित श्री हेमहंसगणि विरचित टीका सहित. (१) श्री हरिभद्रसूरि विरचित लग्न शुद्धि. (२) श्री रत्नशेखर कृत. दिनशुद्धि सं. १९७४ (७,५०) आरंभसिद्धि भाषांतर सहित रु. ९-०-० २५४ आर्य देश दर्पण, शान्तिविजयजी कृत. ( आत्मारामजीना ) इ. १८८७ हिं. (१२४, ७१) २५५ आर्यमत लीला (जैन गजटसे उध्धृत) (दि०) रु. ०-६-० हि. (११६, ७१ ) (१ - २) आयका तत्वज्ञान. ट्रे, नं. १-२ (३) इश्वरका कर्तृत्व ट्रे. नं. ३ (४) भजन मंडली ट्रे. नं. ४ • (५) कुरीति निवारण ट्रे. नं. ५ (६) जैनियो के नास्तिकत्व पर विचार. ट्रे. नं. ६ (७) धर्मामृत रसायन, ट्रे, नं. ७ २५६ आर्य संशयोन्मूलन. (अर्थात्, " आर्य समाजी स्वामी दर्शनानंदजी सरस्वती रचित " जैनमत समीक्षा ) ट्रेकटका खंडन. (११६, ७१, १२५ ) २५७ आर्योंका तवज्ञान, ट्रे. नं. १-२ ( जुओ आर्य मत लीला ) २५८ आर्योपदेश रत्नमाला दयानंद सरस्वती स्वामी निर्मिता. अजमेर रु००-१-० हि० (७१) २५९ आलोचना पाठ सटीक रु०-१-० (६) For Private And Personal Use Only Page #127 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir आलोय ] [इडर आलोयणा छत्रिशी समयसुंदर सूरिकृत (जुओआत्महितोपदेश) आलोयणा संग्रह हि. (४३) २६० आवश्यक टिप्पण ( हरिभद्रीयावश्यक वृत्ति) (१६,२२) आवश्यक हारिभद्रीया २००० टीका सार्थ संपूर्ण, नियुक्ति मूल-भाष्ययुक्त आवश्यक सूत्र (२८) आवश्यक सूत्र भाग १ लो टी. भद्रबाहु स्वामी तथा हरि. भद्र सरि रु. २-४-० (१६) " " भाग २ जो रु. ३-०-० (१६) ,, ,, भा. ३ जो रु. ३-८-० (१६) " , भा. ४ थो रु. १-०-० (१६) आवश्यक निज्जुत्ती भद्रबाहु स्वामी कृत मूल पृ. १६१ थी २०० प्रा. (१४) आवश्यक सूत्र विभाग १ लो. (हरिभद्र सूरिकृत टीका नि युक्ति मूळ साथे भाषान्तर) लेखक मुनि माणेक सं० १९७९ सं० १९७९ रु. २-०-० (१२) आवश्यक वृत्ति टिप्पण. हेमचंद्र सूरिजी रु.१-१२-० सं. ग्रन्थ नं. ५३, (१-१६) २६१ आहार मीमांसा (५०, १२६) २६२ इडरगढ महात्म्य. भेट. (१०८) इडरना इतिहास ना छ पान छुटा-(जुओ-फार्बस गुजराती समाना हस्त लिखित पुस्तकोनी यादि. अ. ४८-१-छ) इडरना पटावतोनो इतिहास. पृ. १ थी ७५ (जुओ-फार्मस गुजराती सभाना लिखित पुस्तकोनी याद. अं. ४८-१-च.) For Private And Personal Use Only Page #128 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir इडर ] इडरना रावना कागळो ( जुओ-फार्बस गुजराती सभाना हस्त लिखित पुस्तकोनी याद. अं. ४८-१) इडरना राजा पुंजानी वंसावली (जुओ-फा. गु. स. ह. पु. याद. अंक ४८-१) इडरना राणानी हकीकत (उपर प्रमाणे ) इडरना रावनी सावली ( उपर प्रमाणे) इडरना ख्यात गढवी अमजी तथा बारोट रतनसंगजी पृ. १ थी १६ ( उपर प्रमाणे) " ले. अमजी (उपर प्रमाणे) , सवाइरांम रतनसंघ पृ. १-२४ (उपर प्रमाणे) इडरनी पोळोनी ख्यात अने रायकवाटनी वात ले. गढवी धीरजी पृ. १ थी १९ (उपर प्रमाणे) इडरनो संक्षिप्त इतिहार. ले. जोगीदासकृत अमनगर-हि म्मतनगर. ( गोपाळदास जोगीदास) २६३ इतिहास तिमिर नाशक भा. १-२-३ इ. १८०० रु. ०-४-६ (१२७, ७१) २६४ इतिहासिक रास संग्रह भा. १-२ विजयधर्मसूरि (१४,७१) २६५ इतिहासिक सज्झायमाळा भा. २ विद्याविजय, विजयधर्म सूरि शिष्य. (४७, ७१) २६६ इंद्रिय पराजय दिग्दर्शन. विजयधर्मसूरि.(१४,२२,४७,१२७) ,,, ,. मराठी विजयधर्मसूरि. (१४, ४७) इंद्रिय पराजय शतक. गुजराती भाषांतर साथे. विजयधर्मसूरि. (१४, ४५, ७१) ,, ,, ,, बालवबोध सहित. (जुओ प्र. २. भा. ४ थो) २६७ इन्द्रियविकार निरोध कुलक (जुओ. क्षमा कुलादि संग्रह) For Private And Personal Use Only Page #129 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir इलाची ] २४ [उत्तरा २६८ इलाचीकुमारना षट् ढाळीयां २० सं. १७२७ (१२९, ६३) २६९ इलाप्राकार चैत्य परिपाटी हेमविमलकृत. २७० इरियावही कुलक (जुओ कुलकसंग्रह १७ वाळो) २७१ इश्वरकर्ता अने आस्तिक नास्तिक निर्णय, रु. ०-२-० (७१, १३०) २७२ इश्वर कर्ता खंडन. रु. ०-२-० (६) २७३ इश्वरका कर्तृत्व (ट्रेकट नं. ३ जुओ. आर्य मत लीला हिं.(५०) २७४ इश्वरचंद्र विद्यासागरनुं जीवन चरित्र. २७५ इसाइ मत परीक्षा. रु. ०-८-० (१३१) २७६ इसाइ मत समिक्षा. विज्यानंदसूरि. रु. ०-८-० हिं. (१३१) २७७ इस्टोपदेशटीका (दि०) (५०) उ. २७८ उच्च जीवनके सात सोपान. रु. ०-२-० (८८) २७९ उत्तमकुमार चरित्रादि चार ग्रंथ. क. चारुचंद्र. (३२, १.) उत्तमकुमार चरित्र (पाना ) चारित्रसागर. रु. ०-१२-० (१२, ३२.) उत्तमकुमार चरित्र नमस्कार महात्म्य. कूर्मा पुत्र चरित्र. उत्तमकुमार नोवेल. रु. ०-१०-० उत्तम चरित्र कुमारनो रास. जिनहर्षसूरि कृत. २. सं. .१७४५ रु. ०-४ उत्तमचरित्रकुमारनो रास. (जिनहर्षसरि कृत) (वस्त्र२८० उत्तम बोध. (१३२) दान फळ महात्म्यरुप (७, ५०) २८१ उत्तराध्ययन सूत्र मूल यूरोपमां छपायेल. पाठांतरो सहित. अंग्रेजी प्रस्तावना अने टिप्पन युक्त बे भागमां (अंग्रेजी समुदायमा) रु. २२-०-० (६, ४७) For Private And Personal Use Only Page #130 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir उत्तरा] [उपदे उत्तराध्ययनसूत्र. लक्ष्मीवल्लभीया टीका. रु.५-८-० (५०, १३४) उत्तराध्ययनसूत्रनो तरजुमो. मूळ, अर्थ, भावार्थ. डो. हरम. न जेकोबीनुं सुधारेल. रु. ६-०-० (८२, १३५) । उत्तराध्ययनसूत्र पानाना आकारमा रु. २-१२-० (८२, उत्तराध्ययनसूत्र, बीकानेर, (४७, १३६) [१३५) उत्तराध्ययनसूत्रसार विभाग १ लो. हि. रु. ०-२-० उत्तराध्ययनसूत्र शान्त्याचार्यनी टीका. रु.४-१५-० (१६) उत्तराध्ययनसूत्र टीका. (पाना) जयकीर्तिसूरीया टीका. रु. १५-०-० (३२, ५०) उत्तराध्ययनसूत्र तथा सूत्रकृतांगसूत्र. रु. ७-८-० उत्तराध्ययनसूत्र, मूळ, टीका अर्थयुक्त (की. नयी) शान्त्याचार्यकृतटीकायुक्त (६) उत्तराध्ययनसूत्र भावविजयगणिविरचित.टीकोपेत. विभाग १ लो अध्य. १ थी ८ ) बिभाग २ जो अध्य. ९ थी २० । (५०, १७) विभाग ३ जो अध्य. २१ थी ३६ उत्तराध्यय सूत्र भा. १ लो. कमलसंयमीटीकायुक्त. नि. णयसागर. रु. ३-८-० (१६, ७५०) उत्तराध्ययन सूत्र कमलसंयमीटीका भाग २ जो. (छपाय उत्तराध्ययनसूत्रसार. प्रा. हिं. (३९) . [छे) (४७) २८२ उदयसुंदरीकथा सोडलविरचित. रु. १-४-० सं. (१३८) २८३ उद्यापनमहोत्सव. मा० म० शेठनो लग्न प्रसंग, (१०८) ३८४ उपकेशगच्छलघुपट्टावली. (६८) । २८५ उपदेशकल्पवल्ली. रु. ७-८-० (३२) , भाषान्तर इन्द्रहंसगणिकृत. 'मन्हजिणाण For Private And Personal Use Only Page #131 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra उपदे ] २६ [ उपदे आणं ? सज्झाय उपर टीका. सं. १९७८ रु. २-०-० (६) २८६ उपदेश चिन्तामणिः सटीक कर्ता. जयशेखरसूरि भाषान्तर सहित कुल पृ. २४०० (३२, १३९, १४०, १२ ) भा. १लो रु. ३-०-० "" "" "" www.kobatirth.org 33 39 २ जो रु. 3-0-0 ३ जो रु. १०-०-० ४ थो रु. ४-०-० रु.२०-४-० चार भागना, उपदेश चिन्तामणिः भाषान्तर (प्रथमाधिकार) मूल विधिपक्षजयशेखरसूरिकृत भा. क. शास्त्री हरिशंकर वेढवाण, पाना १६३ टीका छापी नथी रु. ३-०-० (१,३२, १४१ ) २८७ उपदेशतरंगिणी मूल रत्नमंदिरगणिनिर्मिता, सं. १९६७ रु. ३-०-० ३३०० श्लोक (१४, ४७ ) - उपदेश तरंगिणी. पांच तरंगनुं भाषान्तर. सं. १९५७ (७) उपदेशतरंगिणी तथा हरिभद्रसूरिना अष्टक भाषान्तरसहित रु.०-३-० · Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २८८ उपदेशपद भाग १ लो रु. ३-०-० (६७) उपदेशपद प्रथम विभाग. (प्रति.) (५०) उपदेशपद भाषान्तर पूर्वार्ध ( शेठ वसनजी श्रीकपजी जे. पी. ग्रन्थमाला) सं. १९६५ रु.१-१२० ( १४३, १४२) उपदेशपद महाग्रन्थ, हरिभद्रसूरिकृत मुनिचंद्रसूरिकृतटीका सहित. (६७) २८९ उपदेशमासादमूल स्तंभ १ थी ६ विजयलक्ष्मीसूरिकृत रु. १-८-० (६) भा. २ जो स्तंभ ७ थी १२ रु. २-०-० (६) " भा. ३ जो स्तंभ १३-१४ (६) 2) For Private And Personal Use Only Page #132 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra उपदे 1 [. उपदे २७ उपदेशप्रासाद भा. १ लो, स्थंभ १ थी ४ नुं भाषान्तर रु. १-८-० (६) उपदेशप्रासाद भा. २ जो, स्थंभ ५ थी ९ नुं 95 रु.२-०-० (६) उपदेशप्रासाद तृतीयभाग विजयलक्ष्मीसूरि त्रयोदशाष्टादशस्तम्भपर्यन्त सं. १९७७ र च. १८४३ सम्यतव, देशविरति अने सर्व विरतिनुं स्वरूप अने तेनी उपर कथाओ छे, (६) उपदेशप्रासाद भा. ३ जो भाषान्तर रु. १-८-० (६) रु.२-०-० (६) भा. ४ थो "" "" 55 भा. ५ मो रु. २–०–० (६) उपदेशमाळा अर्थ सहित. जै. प्र. स. भावनगर रु. २-०-० (६) उपदेशमाळा टीका. धर्मदासगणि मूळकर्त्ता, रामविजयगणि कृत टीका रु० ९-०-० (३२) उपदेशमाला टीका (सिद्धर्षिकृत) रु. ६-८-० (३२) उपदेशमालाप्रकरण धर्मदासगणिकृत तेनी सरळ व्याख्या करनार कर्पूरविजयजी, आमां अंतर्गतकथा गाथानुवाद छप्पय छंद पद्यबंध, भेट. (३३) www.kobatirth.org 99 "" उपदेशमाला भाषान्तर रु. १-८-० "" 55 उपदेशमालाप्रकरण. भाषान्तर ( गुरुतत्त्व प्रकाश रास ) कर्पूरविजयजी (३३) Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 35 सं. १९६६ रु. २-८-०. प्रा. गु. (६) "" नानुं. रु. ०-४-० (६) " 55 उपदेशरत्नकोष रु. ०-४-० भा. क. मोहनलाल दलीचंद देसाई. वि. वाडीलाल मोतीलाल, यू. गा. २६ प्रा. सुखी जींदगी गुजरावानो व्यवहारु उपदेश. " For Private And Personal Use Only ? Page #133 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ૨૮ [उपदे उपदेशरत्नाकर (१, १२) उपदेशरत्नाकर सटीक मुनिसुंदरसूरि स्वोपज्ञ पदरमो सैको. उपदेशरत्नाकर भाषान्तर पूर्वार्ध. मुनिसुंदरसूरिकृत रु. १-१२-० (१४३) उपदेशरत्नाकर मणको पांचमो. मुनिसुंदरसूरिविरचित. भाषान्तरसहित. रु. १-१२-० (५०, १४३) उपदेशरहस्यप्रकरण ( संस्कृत ) यशोधिजयउपाध्यायजी कृतस्वोपज्ञविवरणसहित संस्कृत छाया पण छे. रु. २९० उपदेशशतक विगेरे. (५०) २९१ उपदेशसप्ततिका इतिहासिक कथाग्रन्थ सोमधर्मगणि, शोधन __चतुरविजय. रु. १-०-० (१७) उपदेशसप्ततिका सटीक. क्षेमराजमुनि. प्रा. सं. (६) उपदेशसप्ततिका भाषान्तर ( अनेक जैन ऐतिहासिक पाप तोषी भरपूर.) रु. ०-४-० (१७) , , , क्षेमराजमुनिकृत. मूळ अने टीकार्नु भाषान्तर. मेट. सं. १९७६ (६) उपदेशसप्ततिका मोटी सटीक (प्रत.) रु. २-०-० उपदेशसप्ततिका (नव्या) श्रीमत्क्षेमराजमुनिविरचिता स्वो. पझटीकासहित, (कर्तानुं कुलवृक्ष जुमो वि०) टी. निर्माण सं. १५४७ (६) उपदेशसप्ततिका नानी संस्कृत (अलभ्य) रु. ०-१३-०(१७) उपदेशसप्ततिका गुजराती रु. १-०-० (१७) २९२ उपदेश सहस्रावली अथवा सत्य पुरुषोनी बोधजनकवाणी म. नाथीबाइ-मुंबइ. की. अमूल्य. अजैन For Private And Personal Use Only Page #134 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra V उपवे ] २९ २९३ उपदेशसार रु. ४-८-०० उपदेशसार. टीका. (३२) २९४ उपधानविधि तैयार करनार आणंदजी कुंवरजी. सं. www.kobatirth.org १९७६ (६) २९५ उपमितिभव पंच मूल, अंक १ थी ४ सिद्धर्षि रु. २-०-० (१६) " उपमितिभवप्रपंचा कथा उत्तरार्ध ( पाना ) सं. १९७६ रु. २-०-० (१६) उपमितिभवप्रपंचा कथा सिद्धर्षि, एडीटेड बाय पी. पीटसैन ( १ थी ३ भाग ) अने एच जेकोबी ( ४ थी १४ भाग अने वे वधाराना त्रण विभाग - १ अने २ ) दरेक विभागना रु० -१२-० (१४४) Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir उपमितिभवप्रपंच ग्रन्थ भाषान्तर संक्षिप्त. रु. १-०-० (जुओ प्रकरण रत्नाकर. भाग. १ लो. उपमितिभवप्रपंचा कथा भाषा अवतरण. सिद्धर्षिविरचिता. विभाग १ लो. प्रस्ताव १ थी ३ रु. ३-०-० विभाग २ जो प्रस्ताव ४ थी ५ रु. ३-०-० सं. १९८० (६, ११९) उपमितिभवमपंचना पीठबंधनुं भाषान्तर, नाथुराम प्रेमी (दि.) रु. ०-१२० हिं० (१०६) २९६ उपवासचिकित्सा (दि० ) हि. (१०६, ५० ) २९७ उपसर्गहरस्तोत्र लघुवृत्ति. शारदाविजयग्रन्थमाळा भावनगर. रु. ३-०-० "" ६-०-० [उपास २९८ उपासकदशांगसूत्र ( मागधी, अंग्रेजी तरजुमा साथे ) रु. " २९९ उपासकदशांगसूत्र मूळ टीका अर्थ युक्त. (कि. नथी ) बाळावबोध. धनपतसिंहजी " "" For Private And Personal Use Only Page #135 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir उपास] [ऋषम भगवान विजयकृतभाषा. (२४,५०) उपासकदशांगसूत्र अभयदेवसरिकृत विवरणत्तियुक्त रू. ०-१०-०:(१६) उपासकदशांगसूत्र मूळ मात्र अभयदेवमूरिकृतविवरण (बे न्गाल एशियाटिक सोसाइटी) (१४४, ५०) उपासकदशांगसूत्र भाषान्तर. (५०) उपासकदशांगसूत्र अंक १ थी ६ रु. ३-०-० उपासकदेशांगसूत्र भाग १ लो रु. ३-०-० उपासकदशांगसूत्र प्रथमो भाग. मूल तथा विवरण (जैन मतागमसंग्रहसप्तमांग ) श्रीमद्भयदेवाचार्यसूरिकृत विवरण सहित. डो. ए. एफ. रुडोल्फ हानल परिशोधित इस्वी. १८९० कलकत्ता. शब्दार्थ विगेरे अंग्रेजी अने प्रा. (६३) उपासकदशांग सूत्र टीका. अभयदेवमूरिकृत टीका. सं. १९३३ (२४ २८-१६) २९९ उमेदअनुभव भेट. (६९९) ३०० उववाइसूत्र मूळ टीका अर्थ युक्त (कि. नथी) उववाइसूत्र (प्रत) रु. ०-१२-० उववाइसूत्र धनपतिसिंह (२४, १२) ३००-अ. उपासक दशांग. प्राकृत अने अभयदेवमूरिनी संस्कृतटीका सहित १ थी ६ विभागमा पूर्ण. इंग्रेजीमां भाषान्तर करीने छपावनार ए. एफ. रुडोल्फ होनेळ Rudolf Hornle. पूर्ण रु. १०-०-० (२९) ऋ. रूपकुंवर रास. नयसुंदरकृत जुओ-आनंदकाव्य महोदषि (मौ. ६ हुँ) ३०१ ऋषभपंचाशिकाधनपालप्रणीत (जुओ-काव्यमाला गु. ७ मो. बीजी) For Private And Personal Use Only Page #136 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ऋषभ ] ३१ [ एलाची ३०२ ऋषभवीरजिनस्तुति संस्कृत ( जुओ प्र. २. भा. ३ जो. ) स्तबन ( जुओ. प्र. २. भा. ४ ) "9 "" दिगंबरी ऋषिमंडल यंत्रपूजा भाषान्तर. भा. क. मनोहरलाल शास्त्री. गुणनन्दीविरचित भाषाटीका सहित (दि.) रु. ०-५-० सं. हि. (१, ७०१ ) ३०३ दि० ऋषिमंडलवृत्ति भाषान्तर पूर्वाषै शुभवर्धनसूरिविरचित १९ चरित्रो अने १४ कथाओ छे, सं. १९५८ रु. २–८-० (884) ढ क ए. Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ३०४ एकविंशतिस्थानप्रकरणम् सिद्धसेनसूरिप्रणीतम् (प्र०७०२, १६४ ) ३०५ एकवीसप्रकारी पूजा सं. १७४३ (जुओ देवचंद्र भा. २ वि . १ ) ३०६ एकसो आठ बोलका थोकडा. राजेन्द्र श्वेतांबरोकी सिद्धि. सं. १९८१ रु. १-०-० (३७) ३०७ एकाग्रता और दिव्यशक्ति. भा. क. सन्तराम बी. ए. (हिन्दी गौरव ग्रन्थमालाका ७ मा पुष्प ) अंग्रेजीनो अनुवाद (दि०) खास जोवा लायक पुस्तक छे. अजैन पुस्तक छे. रु. १-०-० (१) ३०८ दि० एकीभावस्तोत्र ( दि.) वादिराजप्रणीत (जुओ काव्यमाला गु. भा. ७ मो.) ३०९ एलाचीकुमारनो रास, जेसलमेरमां जशसोमविबुध ( मणिसुंदर ) ज्ञानसागरकृत. सं. १७१९ (१२९) एकाचीकुमारनो रास तथा बारभावना अने अढारपापस्थाननी सज्झाय विगेरे. रु. ०-४-० एलाचीकुमारनुं चरित्र, मास्तर उजमसी तुलसीदास - वाण शहेर. रु. ०-२-० (५०) For Private And Personal Use Only Page #137 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ३२ एलाची] [ऐतिहा एलाचीकुमार षट् ढाळीा . तथा आर्द्रकुमारनो रास. (१२९) एलाचीकुमारना छ ढाळीआ. रु. ०-४-० ३१० ऐतिहासिक राससंग्रह भाग. १ लो. विजयधर्मसूरि रु. ०-८-० (१४, ४७) तेमां (१) कोचरव्यवहारीनो रास. (२) रसरत्न रास. (३) सुमतिसाधुसूरि विवाहलो. (४) भीमचोपाइ. (५) खेमाहडालीआनो रास. (६) रायचंद्रसूरि गुरु बारमास. ऐतिहासिक रास संग्रह भा. २ विजयधर्मसूरि. रु. ०-१०-० (१४, ४७) तेमां नीचे मुजब. (१) कविवर लावण्यसमय. (२) खिमरुषि रास. (३) बालभद्र रास. मूळ तथा संक्षिप्त (४) यशोभद्रसूरि रास. ) सार रूप. ऐतिहासिक रास संग्रह भा. ३ जो. विजयधर्मसूरि. रु. २-०-० (१४, ४७) तेमां नीचे मुजब. (१) विजयदेवमूरि रास. (२) विद्यासागरसूरि रास. । (३) वृद्धिविजयगणि रास.. (४) कापडहेडा रास. संक्षिप्त सार रूप (५) वृद्धिसागर सूरि रास. तथा मूळ रास (६) जिनोदयसूरिनु विवाहलु| एम बे प्रकारे छे. (७) कर्मचंद्रवंशावली प्रबन्ध. (८) आनंदविमलसूरि रास. (९) पं. कमलविजय रास. , For Private And Personal Use Only Page #138 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra ऐतिहा ] [ अंजना, विद्याविजय, रु. ३३ ऐतिहासिक रास संग्रह. भा. ४ थो. २–८-० (१४, ४७) आमां विजयतिलकसूरि रास छे. ऐतिहासिक सज्झायमाळा. भा. १ लो. मुनि विद्याविजय. सं. १९७३ (१४) www.kobatirth.org ओ. ३११ ओघनियुक्ति. मू. क. सुधर्म टीकाकार. भद्रबाहु . द्रोणाचार्य वृत्तिभूषिता आगमोदयसमिति (प्रा.सं.) रु. ३-०-० ओघनियुक्ति सटीक ( पाना ) रु. ३-०-० ३१२ ओशीया तीर्थ लिस्ट. (६८) ३१३ औपपातिक सूत्र द्रोणाचार्य शोधितवृचियुक्त. टी. अभ यदेव सूरि संदृब्ध विवरण युतं. रु. ०-२२-० (२८) औपपातिकसूत्र बालावबोध. 17 भाषान्वर. अं. ३१४ अंगुल सित्तरी प्रकरण अर्थ युक्त. ( आत्मकमल जैनलायब्रेरी) मुनिचंद्र सरि विरचिता. श्री महावीर जैन सभाना सेक्रेटरी: शा. पुरुषोतमलाल जेठालाल. खंभात. ३१५ अंजन शलाकानां ढाळी. रु. ०-१-० ३१६ अंजनासतिका रास भेट. (४३) अंजना सतीनो रास. रु. ०-२० (७) अंजनासतीनो रास रु.०-६-० (१२९) ३१७ अंजनासुंदरी, (बाइ समरथ स्मारक माळा मणको १ लो ) (११९) "2 Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अंजना सुंदरी रु०० - ३-६ (१४८) अंजनासुंदरी रु. ०-२-० For Private And Personal Use Only Page #139 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अंतक] कन्या ३१८ अंतकृदशानुत्तरोपपातिक दशा अने विपाक सूत्र सटीक अंत कृदशादि (त्रण) टी. अभयदेवसूरि. रु. १-०-० (२८) " " " एल. डी. बेरोनेट, अंतगड दसाणम् टब्बा. भाष्यसहित. (२४, ५०) , दसा. वृत्तिकम् (२४, ५०) ३१९ अंतरिक्ष पार्श्वनाथ स्तवन लावण्यसमय. (१) ३२० अंतसमयनी क्रियाविधि अने सद्गतिदर्शक रु. ०-०-६ (३३) अंतसमयनी क्रियाविधि अने सद्गतिदर्शक. (३३, ५०, ७०४, ७०५) ३२१ अंत: अनुविपाक (५०) ३२२ अंबडचरित्र. रु. १-८-० ३२३ ककाना चन्द्रवला. कका बत्रीशीना चन्द्रावला तथा चोवीशी तीर्थकरादिकना चन्द्रावलानो संग्रह. सं. १९४१ - ०-२-० ( मुंबइ भी० मा० ) ३२३ कका बत्तीसी साथे. (६८) ३२५ कथा रत्नाकर (पाना) हेमविजयगणि. रू. १२-०-० (३२) ३२६ कथा सरित्सागर (जैनेतर) संस्कृत. ३२७ कथा संग्रह. संस्कृत. पूर्वाचार्य मानसागर. रु. ०-२-० (५०, ८१७) ३२८ कन्याविक्रय बाललग्न निषेध बुद्धिसागरसूरि. (१५-५८थी ६२-१८४) ३२९ कन्याविक्रय दोष. रु. ०-४-० (६) ३३० कन्या सद्बोधमाळा. रु. ०-४-० (ले. प्र. ८१८, ४७) कन्या सद्बोधमाला. ले. महुवानिवासी फुलचंद हरीचंददोशी. For Private And Personal Use Only Page #140 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कपुर [कर्तव्य ३३१ कपुरविजयजी मरहुम मुनिश्रीनो प्राचीन लेख संग्रह. (१४९) ३३२. कपोताख्यान अने आत्मानुभव षष्टिशतक रु. ०-४-० गु. (१,१५०) ३३३ कमलप्रभा शुद्ध रहस्य. विजयराजेन्द्रसरिजी. ढुंढक खंडन. रु. ८-२-० ( १, १५१) ३३४ कमलविजयजीनु संक्षिप्त जीवन चरित्र (५०, १५२) भेट. ३३५ कम्मपरडी (प्रत) रु. ०-१४-० (६) मलयगिरि कम्मपयडी सटीक यशोविजयजी कृत. रु. ३-८-० (६) कम्मपयडीनुं भाषान्तर. भा. क. ३९८.। ३३६ कयवना ओर-मायाका अपूर्व चमत्कार. ले. पं. सोहनवि जयजी सं. १९७६ हिं. (१५३, १५४) ३३७ कयवन्ना शाहनो रास. जिनहर्ष सरिजीकृत. दान फळ मा हाल्य रुप रु. ०-४-० (७, ५०) कयवन्ना शेठनो रास. धर्म मंदिर. र.सं. १७२१ रु. ०-४-० (१२९, ६३) फयवन्ना शेठ सचित्र रु. ०-६-० हिं. (९३) ३३८ करकंडु आदि चार प्रत्येक बुद्धनो रास. तदन्तर्गत मयणरेहा महासतीनो रास. समयसुंदरोपाध्याय. सं. १९४१ रु. ०-५-० (छपावनारनुं नाम नथी.) (६३) ३३९ करुणा वज्रायुद्धनाटक. बालचंद्रसूरि विरचित. रु....-४-० (१७, ५०) करुणा वज्रायुद्ध नाटक. रु. ०-८-० प्रा. सं. (१७) करुणा वज्रायुद्ध नाटक. रु. ०-४-० (१७) ३४० कर्तव्य कौमुदी प्रथम ग्रन्थ मूळ भावार्थ साथे (स्थानकवासी) रु. ०-३-० कर्तव्य कौमुदी हिन्दी. सानुवाद भा. २ मो. शतावधानी शुनि रत्नचंद्रजी (उपदेश),(४३). For Private And Personal Use Only Page #141 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कर] ३४१ कर्पूरपकर टीका तथा भाषान्तर युक्त. रु. ०-८-० " ०-२३-० (२१.११." शास्त्री सं. १९५७ रू. क.जुओ कुलकसंग्रह देवचंद्रसूरि विरचनास. (६) कर्पूरमकर श्रीहरि विरचित (जिनवर्धनसूरि शिष्य जिनसागर सूरि विरचित टीका.) उपदेश ग्रंथ. सं. १९७५, सं. रु. ३-०-० (६) ३४२ कर्पूरमंजरी, राजशेखर विद्यासागरनी टीका सहित. प्रा.(५०) कर्पूरमंजरी बालभारत सटीक (नाटक) राजशेखर. सं. मा. . रु. १-०-० (१०) ३४३ कर्मकुलकम् ( जुओ कुलकसंग्रह १७ वाळो) ३४४ कर्मपंथ विभाग १ लो. श्री देवचंद्रसूरि विरचित, स्वोपज्ञ टीका. (कर्मग्रंथ १-२-३-४) सं. १९६६ प्रा. सं. (६) कर्मग्रंथ. प्रथमभाग (१ थी ४) देवेन्द्रसूरि (६७, २२) कर्मग्रंथ वृत्ति प्रथम विभाग आ. २ जी (६७) कर्मग्रंथ सटीक (१ थी ४) प्राचीन (पाना) चतुरविजयकृत 'टीका. रु. २-०-० (१७) कर्मग्रंथ टीका भा. २ जो (५-६) श्री देवेन्द्रसूरि विरचित. स्वोपज्ञ टीका प्रा. सं. (६) कर्मग्रंथ भाग १'लो. रु. १-४-० " , मूळ अने भाषान्तर. गु. (३३, ५०) " , भाषान्तर. हि० (३९, ५०) " मूळ मात्रः (५०) कर्मग्रंथ भाग २ जो. शब्दार्थ, गाथार्थ, मुनि जीवविजयनी कृत बालावबोध (विवेचन) यन्त्रो अने फुटनोट सहित. (३३, २०) हिन्दी भाषान्तर ( ३९,५०) For Private And Personal Use Only Page #142 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra फर्म ] " www.kobatirth.org "" Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ३७ सटीक (५०) "" ,, छट्टानुं भाषान्तर ( सप्ततिका) " "} कर्मग्रथना बत्रीस पृष्ट टीका उपरथी करेला बालावबोध स हित. ( जुओ प्रकरण रत्नाकर भा. ४ थी ) कर्मग्रंथ भा. ३ जो. रु. ०-८० हिन्दी . कर्मग्रंथ मूळ देवेन्द्रसूरि विरचित ( छ कर्मग्रंथ मूल ) म. गांधी हर छगनलाल रु. ०-४-० कर्मrtir सार्थ प्रथम विभाग. रु.०-६-० (३३) द्वितीय भाग. रु० ० -१२-० (३३) "" कर्मविपाक अथवा जंबूपृच्छानो रास १५४५ अने गौतमपृच्छानीचोपाइ वीरजी मुनिकृत, सं. १७२८ रु. ०२-० ( १२९, ६३ ) कर्मविपाक नाम पहेलो कर्मग्रंथ. तेनुं हिन्दीमां भाषान्तर भेट [-कर्म सं. १९७३ (१) - कर्मविपाक नामा प्रथम कर्मग्रन्थ जुओ प्रकरण रत्नाकर भा. ४. थो. ' कर्मविपाक ' कर्मग्रंथ १ लो गर्गमहर्षि विरचित पूर्वाचार्यकृत व्याख्या - परमानंद सूरि विरचित वृत्ति समेत. मू. मा. टी. सं. (मूळ पण जुदो साथै छे ) ( १७, १० ) सं. १९७२. For Private And Personal Use Only ३४५ कर्मचंद्र वंशावलि प्रबन्ध. ( संक्षिप्त साररूप तथा मूळ प्रबंध) ( जुओ अतिहासिक रास संग्रह भा. ३ जो ) * ३४६ - कर्मप्रबोध प्रभाकर वर्जिंग ( विजयचंद्रजी) सदाजी जैन, मु. बागरा मारवाड सं. १९७८ गु. ६२ मार्गणानी १०१ द्वारनी फैलावट, रु. २-८-० (८१९) (९५,१५७, ३७) ३४७ कर्म फील्लोसोफी कर्ता वी. आर. गांधी अंग्रेजी (२८, १६, १) Page #143 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कर्म ३४८ कर्मयोग क० बुद्धिसागरसूरि पृ. १०१२ गं. ५० सं. १९७४ रु. ३-०-० (१५,५८ थी ६२, १८४) ३४९ कर्मविपाक रास. रु. ०-२-० (६) ३५० कर्म संबंधी जैन साहित्य. कुंवरजी आणंदजीए वांचेलं भा षण. भावनगरनी सातमी गुजराती साहित्य परिषद् बखते. (६, १४६) ३५१ कर्म संवेध (जुओ देवचंद भा. २ वि. १) ३५२ कर्मस्तवाख्य-बीजो कर्मग्रंथ. प्राचीन कर्मग्रंथ. गोविंदगणि गुंफित टीका समलंकृत (मूळ पण जुदो आपेलो छे) सं. १९७२ (१७, १०) ३५३ कर्म स्तव नामा बीजो कर्मग्रन्थ. (जुओ प्रकरण रत्नाकर भाग ४ थो) ३५४ कर्म स्तवप्रकाश मुनिनंदनविजय टीका सहित. (११) । ३९५ कलकत्ता अने काशीना अंको छुटा, संस्कृत घटक (५०) ३५६ कल्पभाष्य वा कल्पसून सफे १३२ लखनउ ओर कानपुरके मुंनशी नवलकिशोर सी. आइ.इ. पी. प्रेस.(१४६,८२२) ३५७ कलाव्यवहार निशीथ सूत्राणि सं. १९७९ (१५८) ३५८ कल्पसूत्रम् श्रुतकेवली भद्रबाहु स्वामि प्रणीतम्. धर्मसागरगणि विरचित किरणावली वृत्ति युक्त सं. १९७८ (१७,१०, ३५९ , सकथा (५०) ३६० कल्पसूत्र माणेकमुनि प्रा. हिन्दी. (१५९ कल्पसूत्र उपर निबंध. रु. ०-२-० (६) कल्पसूत्र सुखबोधिका टीका. (पाना) कल्पसूत्र वृत्ति. टीका कार विनयविजय. (६-१६-१७-३१-२८१) कल्पसूत्र सुखबोधिका टीकार्नु भाषान्तर. विनयविजयजी भाषान्तर कर्ता. रु. २-८-० (७, ५०) For Private And Personal Use Only Page #144 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra कल्प ] www.kobatirth.org ܕܕ [ कल्या ३९ कल्पसूत्रम् कालिकाचार्य कथायुक्तम् रु. ०८-० (१६) कल्पसूत्र बालावबोध. (५०) विजयराजेन्द्रसूरि बाळावबोध गु. अलभ्य. Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 99 सं. १९४४ (३७) कल्पसूत्र बाळावबोध. ( ज्ञानविमलजीकृत ढाळो उपर ) रु. १-४-० (६) कल्पसूत्र बालाववोध (चित्र सहित) रु. ३-८-० (७) कल्पसूत्र सुवोधिका भाषान्तर सचित्र रु ३-८-० (३२) मुनिमाणेक हिन्दी, मागधी रु. १-८-० 99 " कल्पसूत्र मूळ (बारसे) रु. १-०-० (६) कल्पसूत्रम् श्री लक्ष्मीवल्लभोपाध्याय विरचित कल्पद्रुम कलिकाख्य व्याख्यया विभूषितम् सं. १९७५ (१७,१६०) किंमत नथी. कल्पसूत्र मूळ मात्र सचित्र (५०) कल्पसूत्र मूळ कलिका (५०) कल्पसूत्र मूळ ओर हिन्दी भाषान्तर ( बुक) रु. १-८-० कल्पसूत्र प्राकृत मूल सूत्रने संस्कृत शब्द अने गुजराती भापान्तर सहित भेट. (१६१) ३६१ कस्तूरि प्रकरण जयशेखरसूरि तथा हेमविजयगणि संस्कृत उपरथी गुजरातीमां (७, ५०) ३६२ कल्याणमंदिर (जुओ काव्यमाळा गुच्छक भा. ७ मो ) कल्याणमंदिर मूळ टीका भाषान्तरयुक्त रु. ०-५-० कल्याणमंदिर स्तोत्रगीता सिद्धाचल स्तवनो सं. १९७४ दरेक काव्यनुं दोहन करीने तेना पर गुजराती काव्य छे, रु. ०–२–० (७३) For Private And Personal Use Only Page #145 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कवि] ३६३ कविकल्पद्रुम श्री हर्षकुलगणिकृत. रु. ०-४-० (१४) ३६६ कविवर लावण्यसमय. (जुओ अतिहासिक राससंग्रह. भा. २ जो) ३६५ कवीन्द्राचार्य सूचिपत्रम् (२२, १३८) ३६६ कलियुगमां सावा देवनो चमत्कार पानसरमां सं. १९६६ रु. ०-०-३ (८२३) ३६७ कल्प-व्यवहार-नीसीथसूत्र मूल. प्रा. रु. २-८-०. (६) ३६८ कान्हड कठीआरानो रास मुनिमानसागरकृत सं. १७४६ रु. ०-२-०.(१२९) कान्हड कठीयारानो रास तथा मयणरेहा सतीनो रास, ३६९ कान्हड कठीयारो अथवा साचा टेकनी गेबी फतेह. ३७० कापडहेडा रास ( संक्षिप्त साररुप तथा मूळ रास) (जुओ औतिहासिक राससंग्रह भाग ३ जो ) ३७१ कापरडाजी तीर्थ प्र. (८२४) ३७२ कामघट कथा रु. ०-१२-० ३७३ कामघट कथा प्रबंध अथवा कामकुंभ ( मंगळकलश) रु. ... ०-१-० (१६३) ३७४ कायस्थिति कुलमंडन मूरिकृत (जुओ प्रकरण पुष्पमाला. प्रथम पुष्प ) कायस्थिति प्रकरण अवचूरि सहित सं. १९६८ (निर्णय सागर) मूल प्राकृत अब. सं. कुलमंडनसूरि (अलभ्य) (१७) ३७५ कार्तिकी पूर्णिमानुं रहस्य. रु. ०-१-० (१६४) ३७६ कान्हडदे प्रबंध पद्मनाभकवि रु. १-४-० (१६५) ३७७ काल सप्ततिकाभिधान प्रकरणम् सं. १९६८ (पाकृत) अव सर्पिणी उत्सर्पिणीरुप कालचक्रने विषे बनता-मोटा मोटा For Private And Personal Use Only Page #146 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कवि ४१ [काव्य पदार्थेनु टुंकाणमां स्वरुप समजाव्युं छे. संस्कृत छाया साथे छे धर्मघोषसरिकृत (अलभ्य) (१७,१०,१२) ३७८ कवितीर्थ स्तवनादि संग्रह भेट. रु. ०-१-० (१४९,५२) ३७९ काव्य कल्लोल सं. १९७२, पृ. ३६०, रु. ०-१०-० (१०८) ३८० काव्य मनोहर तथा मंडन संग्रह भाग १ रु. ०-१२-०(२६) ३८१ काव्यमाला हंसविजयगणि समुचिता. रु. १-०-० (७१) ३८२ काव्यमाळा गुच्छक भाग ५ मो. सोमप्रभाचार्य विरचिता शृंगार वैराग्य तरंगिणी (आ गुच्छको निर्णयसागरे ब हार पाडया छे) (६, ६३, १०) ३८३ काव्यमाळा गुच्छक भा. ७ मो रु. १-०-० (६,६३,१०) १ भक्तामरादि. २ कल्याणमंदिर. ३ वादीराज प्रणीत एकीभाव स्तोत्र दि. ४ धनंजय प्रणीत विषापहार स्तोत्र दि. ५ भुपाल कवि प्रणीत जिन चतुर्विंशतिका. ६ देवनंदि प्रणीत सिद्धिप्रियस्तोत्रम् दि. ७ सोमप्रभाचार्य विरचित. सुक्तिमुक्तावलि. ८ जंबूगुरु विरचित जिनशतक. ९ पद्मानंद कवि प्रणीत वैराग्यशतक. १० जिनप्रभ इत्यादि २३ (ग्रन्थ स्तोत्रनो) संग्रह छे. ३८४ काव्यमाळा गु. ७ मो (बीजी) ३८५ काव्यमाळा. (रायचंद्र प्रणीत) सं. १९६४ (३२५) ३८६ काव्यमाळा. स्तवनादिनो संग्रह छे. रु. ०-१२-० (८२५) ३८७ काव्यमीमांसा. राजशेखरकृत. रु. २-०-० (२२,१३८) ३६८ काव्य संहिता. सं. १९७० रु. १-०-० (७१, १६७) For Private And Personal Use Only Page #147 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir काव्या]] [कीर्ति ३८९ काव्यानुशासन (हेमचंद्राचार्य कृत संस्कृत) स्वोपज्ञालंकार चूडामणि संज्ञक वृत्ति समेतम्. रु. २-४-० सं. १९५७ (६,१०) ३९० काव्यानुशासन. (वाग्भट्टकृत) सटीक सविस्तर गद्यमयसूत्र युक्त. रु. ०-७-० (१०) ३९१ काव्यानुशासन सटीक. (५०) ३९२ काशीकाविवरण पंजीका. अध्याय १ लो। " " " , २ जो ! आचार्य जिनेन्द्र " " , , ३ जो बुद्धिपाद: " " , , ४ थो । ३९३ काळ सप्ततिका प्रकरण धर्मघोषसरि. उत्सर्पिणी-अवसर्पिणी रूप काळनी अंदर थनारा नाना मोटा भावोनुं वर्णन छे. सं. १९६८ मू. प्रा. टी. सं. रु. ०-१-६ (१७) ३९४ काळज्ञान. रु. ०-५-० ३९५ काळज्ञान. रु. ०-४-० ३९६ किन्नरी (शिक्षाप्रद हिन्दी नाटक) रु. १-८-० (५०) ३९७ क्रियारत्न समुच्चय गुणरत्नसूरि रचित. सं. रु.२-०-०(१४) ३९८ क्रियारत्न समुच्चय. रु. १-१२-० ३९९ किरातार्जुनीय काव्यं. मल्लिनाथसूरिकृत. घण्टापथाख्यया व्याख्या समुल्लसितम् (निर्णयसागर) रु. १-८-० (१०, ५०) ४०० कीर्तिकमळा स्तवनावली कीर्तिचंद्रजीकृत. चैत्यवंदनादि. रु. १-०-० (८२६) ४०१ कीर्तिकौमुदी (संस्कृत) प. वस्तुपाल चरित इंग्रजी नोट साथे रु. १-८-० (७१, १६८) For Private And Personal Use Only Page #148 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ४३ [कुमा कीर्ति ४०२ कीर्तिकौमुदी सोमश्वर संस्कृतनुं भाषान्तर. (१,५०,४९) (लिखित. (१)) ४०३. कुंभस्थापना (जुओ देवचंद्र भा. २ जो वि.१) ४०४ कुमारपाळ चरित्र (पाना) जयसिंह सूरिकृत. रु.८-४-०(३२) कुमारपाळ चरित्र हिन्दी ललितविजय. रु. ०-६-० (१७) कुमारपाळ चरित्र भाषान्तर. (हेमचंद्राचार्यकृत संस्कृत टीका युक्त. इ. स. १९०० रु. ८-८-० (१६८) कुमारपाळ चरित्र भाषान्तर मूळ. संस्कृत उपरथी मूळ. चा रित्र सुंदरकृत. रु. ०-१२-० (२७) कुमारपाळ चरित्र महाकाव्यम्, रत्नसिंहसूरि शिष्य चारित्र सुंदरगणि विरत्तितं इ. ६१ सं. १९७३ (६,१७,१२) कुमारपाळ चरित्र हिन्दी वल्लभविजयजीना शिष्य ललितवि जयजीकृत. सं. १९१६ की. लखी नथी. अलभ्य (१७) कुमारपाळ चरित्र हिन्दि. रु. ०-६-० ४०५ कुमारपाळनो रास. रु. १-४-० कुमारपाळनो रास. पाटणमां लखायो जिनहर्षकृत. सं.१७४२ रु. १-०-० (१२९) ४०६ कुमारपाळ प्रतिबोध. सोमप्रभाचार्यकृत. रु.७-८-० (१३८) ४०७ कुमारपाळ प्रबंध. कुमारपाळ प्रबन्ध. (पाना) रभ ३४ सोमसुंदरसूरि शिष्य. जिनमंडनगणि विरचित. सं. १९७१ रू. ०-१४-० (१७, १०) कुमारपाळ प्रबंध, भाषान्तर. रु.१-१२-० भा. क. मगन लाल चुनीलाल वैध. (७१) 'PO4 कुमारपाल हिन्दी. पृ. २८७ रु. ०-६-० For Private And Personal Use Only Page #149 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ४४ कुमा] [ कुलक ४०९ कुमारविहार मूल. अवचूरि अने भाषान्तर साथे (शास्त्री) रु.१-४-० (१७) ४१० कुमारविहार शतक. सूधाभूषण गणि विरचित. जुओ कुलवृक्ष वि. (५०) ४११ कुमारविहार शतकम्. रामचंद्रगणि सं. गुजराती भाषान्तर. मूल, अवचूरी, भावार्थ अने विशेषार्थ सहित. (६, ५०) ४१२ कुमारिका धर्म. (कन्याओना उपयोगनी शिखामण संग्रह. (ले. प्र. ७९९, ४४) रु. ०-४-7 सं. १९८० ४१३ (मुद्रित) कुमुदचंद्र प्रकरण संस्कृत. रु. ०-६-० (मुद्रित) कुमुदचंद्र प्रकरण श्री श्रावक यशचंद्र कृतम्. रु. ०-८-० (१४) ४१४ कुम्मा पुत्त चरिअं पद्यबंध संस्कृत छायायुक्त. मू. मा. रु. ०-४-० (५६) ४१५ कुर्मापुत्र चरित्र रु. ०-२-० ४१६ कुरीति निवारण ट्रे. नं. ५ (जुओ आर्यमतलीला) ४१७ कुलकसंग्रह भावार्थ साथे ८ कुलक छे. रु. ०-१-० (३३) कुलक संग्रह. रु. ०-७-० (१८१) सतर कुलक छे. १ गुणानुराग. १० पुण्यपाप. २ गुरु प्रदक्षिणा. ११ गौतम. ३ सविज्ञसाधुयोग्य नियम. १२ आत्मावबोध, ४ पुण्यप्रभाव दर्शक. १३ जीवानुशास्ति. ५ दानकुलक. १४ इन्द्रियादि विकार निरोध. ६ शीलकुलक. १५ कर्म. ७ तप. १६ दश भावक. For Private And Personal Use Only Page #150 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir [ कौमुदी कुलक] ८ भाव. १७ इरियावहिया. ९ अभव्य. कुलकसंग्रह. योजक कर्पूरविजयजी (३३) ४१८ कुवलयमाला कथा संस्कृत. संशोधक मुनि चतुरविजय. रत्न. प्रभसूरि विरचित. रु. ०-८-० (१७, ७१) . कुवलयमाला भाषांतर. रत्नप्रभसूरि विरचित, मूळ वगरनुं भाषान्तर. शो. चतुरविजयजी मोहना कटुक विपाकना दृष्टान्त. ( ६, ७१) कुवलयमाला कथा. रत्नप्रभसूरि विरचित. सं रु.. १-८-० (१७, १०) ४१९ कुशलचंद विरह. सं. १९७० (१०८) ४२०. कुसुमवाणी विकास भास्कर. कुसुमविजयजी विरचित. (५०, १६९) ४२१ कृपारसकोष, महोपाध्याय शान्तिचन्द्र प्रणीत. संपादक जि नविजय. सं. १९७३ (१७०, १७, ७२, १७२) ४२२ कृष्णगीता संस्कृत. (जुओ शुद्धोपयोग) ४२३ केवळज्ञान ज्योतिना उपासक. प्रकाशक लालन. की. नथी. ४२४ केसरीयाजी तीर्थमाला. सं. १९७८ पद्य. (१७१) ४२५ केसरीयाजी तीर्थनो वृत्तान्त. रु. ०-२-० ४२६ केसरीयाजी, वृत्तान्त भेट, (६) ४२७ कोचरव्यवहारीनो रास. ( जुओ तिहासिक राससंग्रह व भा. १ लो) ४२८ कौमुदी मित्राणंद नाटकम्. रु. ०-८-० (१७) ४२९ कौमुदी मित्राणंद नाटक. रामचंद्र रचित. संशोधक पुण्यवि जय. रु. ०-६-० सं. १९७३ (१७) For Private And Personal Use Only Page #151 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir का [गण ४३० कंठाभरण स्तवन संग्रह अने ज्ञानावली. रू. ०-२-० । ४३१ क्या, इश्वर जगत्कर्ता है ? विना मूल्य (४८) ४३२ क्रियारत्नसमुच्चय. गुणरत्न सूरि विरचित. सं. १९६४ (१४-९५) ४३३ क्रियारत्न समुच्चय. वी. सं. २४३४ की. नथी (१४) ख. ४३४ खरतरगच्छनी स्तवनावली. रु. ०-१-० ४३५ खिमरुषि (संक्षिप्तसार) खिमरुषि रास मूळ रास. (जुओ अतिहासिक राससंग्रह भा. २ जो) ४३६ खिमऋषि रास मूल रास ( जुओ तिहासिक रास संग्रह ___ भाग २) ४३७ खंडखायं यशोविजय गणिविरचित. महावीर स्तवन प्रकरण. (५०) ४३८ खेमा हलाडीयानो रास. ( जुओ अतिहासिक राससंग्रह भा. १लो) ग. ४३९ गच्छमत प्रबंध अने संघ प्रगति तथा जैन गीता. बुद्धिसागर सूरि. रु. १-०-० (१५, ५८ थी ६२) ४४० गच्छाचार प्रकीर्णकम् वानर्षि विहित वृत्ति युक्तमरु,०-६-० (२८) ४४१ गजसुकुमालनी सज्झाय. (जुओ देवचंद्र भा. २ जो वि. १) ४४२ गणिकारिका. (२२) ४४३ मणधरवाद. (पाना) की. ०-४-० ४४४ गणघरवाद. की. नथी. (७३) For Private And Personal Use Only Page #152 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गण] [गहुं ४४५ गणधर सार्धशतकान्तर्गत प्रकरण (पाना) चारित्रसिंहगणि विरचित. रु. ०-१२-० (७४१) ,, ,, ,, वृत्ति. जिनदत्तसरि. टीका सर्वराज गणि. (३२) ४४६ गणरत्न महोदधि. वर्धमानकवि विरचित. स्वीय वृत्ति सहितो. ले. सं. ११९७ रु. २-०-० (५०, ७१) ४४७ गणितसार संग्रह हिन्दी सानुवाद. महावीराचार्यकृत. अनु वादक भगवानदास जैन. (४३) . ४४८ गणितसार संग्रह-दिगंबराचार्य महावीर लगभग नवमी स दीना. संस्कृत अंग्रेजी गणितनो. (८२७) . ४४९ गणिविजं पयना. ( जुओ देशपयन्ना ) ४५० गधचिन्तामणि रु. २-०-० वादीभसिंहसूरिजी. ४५१ गद्यपद्य समुच्चय भा. १ लो. रु. ०-४-० ४५२ गद्यधर विलास. रु. ०-४-० (६८) ४५३ गयवरविलास. (६८) ४५४ गहुंळीसंग्रह. रु. ०-८-० (७) ४५५ गहुंलीसंग्रह. (गु.) रु. ०-१-६ , शास्त्री. की नथी (७) पं. चारित्रविजयकृत. रु. ०-२-० (६) है की. पठन पाठन अने मनन. सं. १९७२ प्र. (८२७) ४५६ गहुलीसंग्रह. रु. ०-२-० , की. नथी. (१४३) ,, भा. १ लो. पृ. ११२ बुद्धिसागरसूरि. रु.०-३-० (१५, ५८ थी ६२, १८४) For Private And Personal Use Only Page #153 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra गाथा ] " www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ४८ [ गुज भा. १ लो पृ. १३० बुद्धिसागरसूरि रु०-४-० ( १५, ५८ थी ६२, १८४ ) ४५७ गाथा सप्तशति विगेरे. (५०) ४५८ गांगेय भंग प्रकरण. मेघपंडित कु. श्री विजयगणिकृत अत्रचूरि. रु००-२-६ प्रा. सं. ( १७, ५० ) ४५९ गायन स्तवन भाग १ लो. (३३, ८३८) गायन स्तवन भाग २ जो. (३३, ८३८) ४६० गायन स्तवनावली. भा. १ लो. (१७३) भा. २ जो. (१७३) " "" ४६१ गिरनार तीर्थोद्धार रास अने तीर्थमाळा. कवि नयसुंदरकृत. अतिहासिक. (१७४, १४६ ) ४६२ गिरनार पूजा स्तवनादि संग्रह कृपांचंद्र सूरिजी . ( १७५ ) ४६३ गिरनार मंडन नेमिनाथजीकी पूजा. हंसविजयजीकृत, हिन्दी, ४६४ गिरनार गिरीश्वर कल्प. ( सं. गु. ) धनपाळ पंचाशिकाना भेगा आ छे. सं. १९६९ (६) ४६५ गिरनार कल्प. (५०) हंसविजय फ्री लायब्रेरी लूणसावाडो, अमदावाद. आमां नीचे मुजवनी एक नवीन वस्तु छे, ओस्ट्रीयाके अन्तर्गत हंगरी प्रान्त के बुदापेस्त शहेर में एक अंग्रेजके बगीचे में खोदते हुवे नीकली हुई महावीरकी प्रतिमा. ४६६ गिरनार महात्म्य. इ. १९१० (ले. ८२४, ४४) रु. १-८-० ४६७ गिरनार स्तुति (जुओ देवचंद्र भाग २ जो वि. १ ) ४६८ गीत रत्नावली. रु००-४-० ४६९ गीरनारजीनो नकशो कपडावाळो रु. ०-६-० ४७० गुजरातनी गर्जना अथवा हेमचंद्राचार्यनुं जीवनसूत्र. रु. १-४-० ( गु. प्र. ८७० ) For Private And Personal Use Only Page #154 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गुज] ४९ [गुण ४७१ गुजरातनी गर्जना अथवा हेमचंद्रनुं जीवनचरित्र. इ. १९१७ (७१, १७६ ). ४७२ गुजरातनी जुनी वार्ताओ जैनेतर. ( ३२३ ) ४७३ गुजरातनुं गौरव अथवा विमलमंत्रीनो विजय, ऐतिहासिक नवलकथा रु. १-८-० (४४, ७१) ४७४ गुजरातनुं गौरव याने विमलमंत्रीनो विजय. (६७) ४७५ गुजरातनो इतिहास फीरस्ताकृत. जैनेतर. ४७६ गुजराती जैनकाव्य साहित्य रासाओ आदिनुं लीस्ट. ले. के. प्रे. मोदी सनातन जैन-ओगस्ट-सप्टेम्बर ९-८ मासीकमां १४७ रास-४९ चोपाइओनुं तेना कर्ता सा. थेनुं लीस्ट. मात्र डेलाना भंडारना लोस्टमाथीज जुदु पाडीने छपावेल छे (६३, १७७) ४७७ गुजराती पुस्तकालयो वास्ते वर्गीकरण पद्धवि. रु. ०-४-० (५३२) प्र. बहेराम महेरवानजी दादाचानजी बी. ए. वडोदरा. चीमनलाल डाह्याभाइ दलाल एम. ए. लाय. ब्ररी मीसेलेनी वडोइरा. (७१) जैनेतर. ४७८ गुजराती पुस्तकालयो वास्ते १००० पुस्तकोनी वर्गीकृतयादी __ कर्ता (८३१) बडोदरा रामनी लायब्ररीओ माटे तैयार करेलुं छे. अजैन. रु. ०-८-० ( २२, २७) ४७९ गुजरातीभाषानो कोष पु. ८ विभागमा छे (४९) ४८० गुजरातीभाषानो जन्म जैनीयोमांयी होवानो संभव छे. (निबंध) रु. ०-८-० (६०६) ४८१ गुजरातीसाहित्यना मार्गसूचक स्तंभो. गु. रु. १-०-० (८३२) ४८२ गुणठाणाद्वार यतीन्द्रविजय गु. ०-४-० सं. १९७० For Private And Personal Use Only Page #155 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गुण ] ५० [ गुणा ४८३ गुणमाळा (पंचपरमेष्टिना १०८ गुणनुं वर्णन अनेक कथाओ सहित ) रु०१-८-० गु. (१७) ४८४ गुणमाळा मुनिमाणेक (१७८) ४८५ गुणरत्नावली गायन प्रवेशिका. रु. ४-०-० ४८६ गुणवर्मा चरित्र भाषान्तर सहित मूळ सहित, सं. १९५८ रु. १-८-० (१७९) ४८७ गुणवर्मा रास. ज्ञानसागरगणि, गु. रु. १-०-० ४८८ गुणविलास बावीस समुदाय, रामऋद्धिसारगणि हिन्दी. ४८९ गुणस्थानक अधिकार. (जुओ देवचंद्र भा. २ बि. १) ४९० गुणस्थानक्रमारोह तिलकविजयजी अमदाबाद. २०-१२-० ४९१ गुणस्थानक्रमारोह वृत्ति रत्नशेखरकृत. ( टीका कोनी करेली ते जणायुं नथी) रु. १-८-० (३२, ५० ) ४९२ युनस्थानकमारोह मूळकर्ता रत्नशेखरसूरि प्रणीत हिन्दी . सं. १९५४ गौतमीबीबी. (१८०) ४९३ गुणस्थानक्रमारोह. चौदगुणस्थाननुं वर्णन तथा चार प्रकारना ध्याननुं स्वरूप पृष्ठ रु००-१२० ४९४ गुणस्थानक्रमारोह. (पाना) रत्नशेखरसूरि सूत्रित स्वोपज्ञ वृत्ति युक्त. रु.०-२-० (१६) ४९.५ गुणस्थानदर्पण हिन्दी अमूल्य. सं. १९७१ (८३३, ७१) ४९६ गुणस्थानदर्पण हिन्दी भेट कोटा (८३४, १) ४९७ गुणानुरागकुलक. (जुओ कुलकसंग्रह १७ वाळो) ( गुणानुरागकुलक सुखसागर ग्रन्थमाला ' लोहावट भेट, (५६०, ६८ ) ४९८ गुणानुराग कुलक जिनहर्षगणि संस्कृत छाया चन्द्रार्थ भावार्थ हिन्दी विवेचन यतीन्द्रविजय. सं. १९७४ (८३५, ३७) ४९९ गुणानुराग कुलक रु० ०-०-६ For Private And Personal Use Only Page #156 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गुणा. ] ५१ [ गुरु ५०० गुणानुराग कुलक. ई. १९१४ अमूल्य. (१८१) ५०१ गुणानुराग कुलक बीजी आवृति रु. ०-१० पृ. २४ ५०२ गुरु अष्टमकारी पूजा भ्रातृचंद्रसूरिकृत भेट. (१८३) ५०३ गुरुगीत गहुलीसंग्रह बुद्धिसागरसूरि पृ. १९०रु००-१२०० ( १५, ५८ थी ६२, १८४ ) ५०४ गुरु गुणमाला. रु.०-२-० (५०) ५०५ गुरु गुणमाला याने गुरुगुण छत्रीसी कुलक तथा समयसार प्रकरण सरहस्य अनुवादक मुनिराज श्री कर्पूरविजयजी आत्मारामजीवाळा (१७) ५०६ गुरुगुणरत्नमाला याने स्त्री उपयोगी संगीत सुमनपाला भेट. सं. १९१४ (८३६) ५०७ गुरुगुणरत्नाकर लक्ष्मीसागरसूरि चरित्र इतिहासिक दृष्टि वर्णव्युं छे. कर्ता सोमचारित्रगणि रु. ०-८-० (१४) ५०८ गुरुगुणरत्नाकर काव्य सोमचारित्रगणि विरचित सं. १९६७ रु. ८-८-० (१७) ५०९ गुरुगुण षट्त्रिंशत् पत्रिंशिका कुलक रत्नशेखर सूरिकृत, सू. प्रा. टी. सं. स्वोपज्ञ वित्ति सहित प्रति रु. ०९-० सं. १९७१ (१७) ५१० गुरुगुण षट्त्रिंशनो टबो (जुओ देवचंद्र भा. २ जो वि. १ को) ५११ गुरुघंटालका व्याख्यान हिन्दी (मोक्षाकर) मtन मिळ विजय अजैन, ( १७, ४६ ) रु.०-०-६ ५१२ गुरुतत्त्वप्रकाश रास कर्पूरविजयजी (जुओ उपदेशमाळा माषान्तर कर्पूरविजयजी) (३३) ५१३ गुरुदर्शन. रु. ०- ६-० जैनेतर. ५१४ गुरुदेवगुणमणिमाला (कि. नथी ) पृष्ठ ९६ सं. १९७० (तीर्थकर पद.) (१७१) For Private And Personal Use Only Page #157 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गुरु] [ नौतम गुरुदेवगुणमणिमाळा. रु. ०-३-. ५१५ गुरुदेवपूजा. पं. मंगळविनयजी (४७) ५१६ गुरुपीयूषलहरी विगेरे. (५०) ५१७ गुरुपदाक्षिणा कुलक. (जुओ कुलय संग्रह १७ वाळो) ५१८ गुरुबोध, बुद्धिसागरसूरि पृ. १७४ रु. ०-४-० (१५, ५८ थी ६२, १८४) ५१९ गुर्वावली श्री मुनिसुन्दरसूरि विरचित. वि. सं. १९६१ संस्कृत सोमतिलक मूरिकृत १६ काव्यो पण आना भेगां छे. रु. ०-८-० (१४) ५२० गुरुशिष्यमीमांसा जारूपयतिकृत. सं. १९७६ रु. ०-४-० (१८५) ५२१ गुंहलीसंग्रह भाग १-२ बुद्धिसागर. रु. ०-२-० (१४३) ५२२ गृहशान्ति स्तोत्र. रु. ०-१-० (६) ५२३ गृहस्थधर्म पं. केसरविजय. रु. ०-८-० (२५) . गृहस्थना सामान्य धर्म गु. रु. ०-२-० (६) ५२४ गोमट्टसार. रु. ०-६-० (दि.) (कर्मकान्ड) (६) ५२५ मोमट्टसार मोटो पुरो छपायो छे. रु. ५१-०-० (दि०)(६) ५२६ गोमट्टसार जीवकान्ड नेमिचन्द्राचार्य. शास्त्रमाला मुंबइ. रु. २-८-० ५२७ गोमट्टसार. कर्मकान्ड रु. २-०-० (६) ५२८ गौतमकुलक (जुओ कुलकसंग्रह १७ वाळो) ५२९ गौतमकुलक. रु. २-८-० (६) ५३० मौतम कुलकत्ति. (पाना) ज्ञानतिलकगणिकृत. रु.१-१२-० . (३२) ५३१ गौतमपृच्छावृत्ति (पाना) रु. २-०-० (३२) For Private And Personal Use Only Page #158 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गौतम] [ग्रह ५३२ गौतमपृच्छा यतीन्द्रविजयजी हिन्दी. (३७) गौतमपृच्छा बालावबोध मागधी गुजराती. गौतमपृच्छा सोमसुंदरसूरिकृत. ५३३ गौतम स्तोत्रम् (जिनप्रभसूरिकृत) जुओ काव्यमाला गु. ७ बीजी) ५३४ गौतमीय महाकाव्य रूपचंद्र कवि. (८३७) रु. ०-८-० ५३५ गौतम स्वामीनो रास अर्थ सहित. रु. ०-१-० ५३६ गौतम स्वामीनो रास भेठ. ले. सं० १४१२ उदयवंत प्रा. कुंवरजी आणंदजी (६) ५३७ गौतमपृच्छा हिन्दी पृ. १५२ रु. ०-१२-० संपादक अम रचंदजी वैद्य हिन्दी. सं. १९७७ (४७) ५३८ गौतमपृच्छा हिन्दी रु. ०-१-० यतीन्द्रविजयजी. १९७१ ५३९ ग्रहस्थगुण एक व्याख्यान धर्मसूरिनुं सं. १९४१ प्रेमचंद रतनजी भावनगर (१४) ५४० ग्रहशान्ति स्तोत्र भद्रबाहु स्वामी विरचित. रु. ०-१-६ ला होर पंजाब. (७१, २१०) ५४१ ग्रंथ परीक्षा भा. १ लो. रु. ०-६-० ग्रंथ परीक्षा. भा. २ जो. रु. ०-६-७ ५४२ ग्रन्धकारोनी यादी रासा अने सज्झायोना कर्ता लगभग १५० छे. (६३) ५४३ गंभीरविजयजीकृत संग्रह. रु. ०-५-० ५४४ गृहवास्तुपूजा गु. रु. ०-१२-० (६) ५४५ स्कों गुण विवाविनया ट्रेक्ट नं. १ भेट सं. १९७४ For Private And Personal Use Only Page #159 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org उद ] ५४६ चउद राजलोक पूजा. वल्लभविजयजी कृत मास्तर माणेक-लाक नानजी भावनगरी रु.०-१-० • ५४७ चमासीदेववंदन पंडित श्री पद्मविजयगणिरचित तथा देववंदन दिवाळीनुं कर्ता ज्ञानविमलसूरिजी (५०, ६७) ५४८ चउसरण आदि चार पयन्ना मूल. सं. १९६६ रु.०-४-० (६) चउसरण, आउरपचखाण, भक्तपरिभा, संथारंग. ५४ घ. Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ," तु ५४९ चउसरण तथा आउर पच्चख्खाण पयन्नो भाषान्तरयुक्त वीरभद्रमुनिकृत सं. १९५७ रु. ०-१२०(१८७) · ५५० चउसरण पयन्ना (जुओ दश पयन्ना) ५५१ चउसरण पयन्ना ( प्रति ) (५०) ५५२ चतुर्थ स्तुति निर्णय शंकोद्धार धनविजय से. १९४६ जण थोयनी सिद्धि. रु. ४-०-० (३७) ५५३ चतुर्थ स्तुति निर्णय भा. १ लो. रु. ०-१०-० ५५४ चतुर्थ स्तुति निर्णय हिन्दी: आत्मारामजीकृत. सं. १९४४ . (७, ७१ ) For Private And Personal Use Only भा. २ जो म्हेसाणाना संघना " "3 " ज्ञानखाता तरफथी रु. ०-२-० (१८८, ७१) ५५५ चतुर्थ स्तुति निर्णय शंकोद्धार धनविजयगणि विरचित मरुघर, मालवक ने गुर्जर संघ सं. १९४६ रु ४-०-० (७१) ५५६ चतुर्थ स्तुति निर्णय भा. २ जो. रु०-२-० (६) ५५७ चतुर्मास व्याख्यान आनंदसागर शिष्य मानसागरकृत रु. ०-४-० (५०, ६ ) ५५८ चतुर्विशति जिनदेशना संग्रह धमघोषस्तूरि. स. १९७२ (१८९) Page #160 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir चतु] [चतु ५५९ चतुर्विशतिजिनस्तव. जिनप्रभसूरि विरचित. (जु. काल्प. माला गु. ७ बीजी) ५६० चतुर्विवतिजिनस्तवन बालावबोध सहित तथा विरमान वीशी विगेरे. देवचंद्रनीगणि गुजराती (१, ७) सं.१९६५ ५६१ चतुर्विंशतिजिनस्तयन यमकमय (जुओ प्रकरणरत्नाकर भा. ४ थो) ५६२ चतुर्विंशतिजिनस्तवन अनुष्टुपवृत्तबद्धम् (जुओ प्रकरण रत्नकार भा. ४) ५६३ चतुर्विंशतिजिनस्तवनावलि रु. ०-६-० , ,, अने परचुरण पद संग्रह. भणसाळी हीराचंद शेपकरण मास्तर (नवाणु यात्रानी लाणी) सं. १९६३ ५६४ चतुर्विंशतिजिनस्तुति देशनासंग्रह. रु. ०-८-० ५६५ चतुर्विशतिजिनस्तुति धर्मयोषमूरिकृत, (जुओ स्तोत्ररत्ना कर प्रथम भाग ) सटीक. ठे. ५६६ चतुर्विशतिजिनस्तुति भाषान्तर. रु. १-0-0 ५६७ चतुर्विशतिजिनस्तुति मट्टिपणी शोभनमुनिप्रणिता, (जुओ काव्यमाळा गु. ७ बीजी) ५६८ चतुर्विंशतिजिनानंदस्तुतय मेरुविजयमुनिकृत. सत्तरमो सैको सं. १९७१ रु. ०-२-० (१६) ५६९ चतुर्विंशतिदेशना. (१२, १८९) ५७० चतुर्विशतिदंडकद्वार यतीन्द्रविजय ठा. चमनामी वागरा. (मारवाड) रु. ०-४-० ५७१ चतुर्विशति प्रबंध राजशेखरविरचित, रु. ४-०-० (२२, ५७२ चतुर्विशति प्रबन्ध भाषान्तर. रु. १-०-० For Private And Personal Use Only Page #161 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir चरि चतु] ५७३ चतुर्विंशति स्तुतिसंग्रह. रु. ०-६-० (१७) ५७४ चतुःशरण आदि पयत्राचार मूल वीरभद्रमनि का. (६) ५७५ चतुरावण चित्र स्तष. जयसिसकरिकृत (पुनो स्तोष रत्नाकर द्वितीयभाग सटीक) ५७६ चमत्कारी सावरि स्तोत्रसंग्रह. वंचूलियामूत्र सारांश. सै. १९७९ (९५, १८४) ५७७ चमत्कारीक दृष्टान्तमाला अजैन. ५७८ चम्पकशेठ हिन्दी साचत्र. रु. ०-८-० (९) ५७९ चरितावली भा. १ लो (प्रथमाति) रु. १-४-० चंपकवेष्ठि चरित्र (६) " (बीजीआवृति) , (६) , भाग २ जो. रु. १-४-० रतिसार चरित्र, (६) भाग ३ जो. रु. १-०-० वत्सराज चरित्र. (६) " भाग ४ थो. नळदमयंती चरित्र. (६) ,, भाग ५ मो स्थूळभद्र चरित्र. (६) " भाग ६ ठो सुरसुंदरी चरित्र. (६, ५०) ५८० चरित्रमाला मुनिमाणेक गुजराती रु. ०-१-६ (१७८) ५८१ चरित्रसंग्रह. रु. १-०-० (८३९) . तेमां:-- १ श्री श्रीपालचरित्र गध. २ ब्रह्मदत्तचक्रवर्तीनी कथा गय. ३ जंबूस्वामीनुं चरित्र. ४ रयणसिंहर्नु , ५ सुभूमचक्रवर्तीन , ६ वंकचूल राजानी कथा. ७ अध्यात्म कल्पद्रुम नामा ग्रंथ १६ अधिकार, For Private And Personal Use Only Page #162 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra चर्चाका ] www.kobatirth.org ५७ ८ शृंगार वैराग्य तरंगिणी. ९ पांडवचारत्र. Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir [ चिंता ५८२ चर्चाका पब्लिक नोटीस. (६८) ५८३ चर्चाप्रकाश याने महावीरस्वामीने विनति शिवजी देवसी. गुजराती. ५८४ चातुर्मासिक व्याख्यान तथा होळीकाख्यान क्षमाकल्याणकजी रु००-८-० (३२) ५८५ चार कर्मग्रन्थ भाषान्तर रु. १-०-० ५८६ चार कर्मग्रन्थ सटीक रु. १-८-० ५८७ चार प्रत्येकबुद्धनो रास रु.०-५-० ५८८ चारित्रपूजा अथवा श्री ब्रह्मचर्यव्रतपूजा, भेट. (१९०) ५८९ चारित्रमंदिर ले. मुनिश्री तिलकविजयजी पंजाबो. रु. ०-२-० ( ८८ ) ५९० चारित्रसार (५०) चामुण्डरायविरचित ( दि. माणेकचंद ग्रन्थमाला ) पु. ९ मुं ७१ ५९१ चारुपनुं आलोकन शा. मंगलदास लल्लुचंद सं. १९७५ पाटण (गुजरात) की. १-०-० भेट ( १२ ) ५९२ चालु चर्चामां सत्यांश केटलो ? ( देवद्रव्यनी चर्चा विषे निबंध. ले. मुनि कल्याण विजयजी. प्र. केसर विजयजी जैनलायब्रेरी जालोर (मारवाड . ) ५९३ चिकागो प्रश्नोत्तर. आत्मारामजी कृत. जसवंतराय जैनी हिन्दी. लाहोर. रु. १-०-० ५९४ चिकागो प्रश्नोत्तर. रु.०००१२-० गु. For Private And Personal Use Only ५९५ चिकागो प्रश्नोत्तर. कन्नोमल बाबु अंग्रेजी रु. ०–१२-० ५९६ चिंतामणि बुद्धिसागर सूरि. सं. १९९२ रु. ०-२-० (१९१) Page #163 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org चिता ] [ चैत्य ५९७ चिंतामणिपार्श्वनाथजिनस्तोत्र ( जुओ प्रकरण रत्नाकर भा. १ लो ) ५९८ चित्रसेन पद्मावती चरित्र. राजसेन वल्लभोपाध्याय, रु. २-०-० (३२) ५९९ चित्र संभूति ऋषि रास. ज्ञानसागर कृत. गुजराती. ६०० चित्रो ओफ पालीताणा. रु. ०-८-० (१) ६०१ चिदानंद बत्रीशी. ३२ पद. हुकम मुनि ( २१ ) ६०२ चेइयण महाभाष्य. संस्कृत छाया संकलितम् सिरि संति सूरि. सं. १९७७ कि. नथी लखी. (९५ ) ६०३ चेटकबोध ग्रन्थ. ग्रं. ७६ बुद्धिसागर सूरि. ( १५, ५८ थी ६२, १८४ ) ५८ ६०४ चेतो दूत. रु. ०–४–० ( १७ ) Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir चेतो दूतम्. प्रका. जैन आत्मानंद सभा ( ७१ ) की. स्टखी नथी. ६०५ चैतन्य चंद्रोदय. ( ६ ) ६०६ चैतन्य चंद्रोदय विगेरे. (५० ) ६०७ चैत्यवंदन चतुर्विंशतिका. (५०, ९५ ) ६०८ चैत्य वंदन चोवीशी. गुजराती. रु०-४-० ( ६ ) ६०९ चैत्य वंदन चोवीशी. अर्थ सहित. संस्कृत. गुजराती. क्षमा कल्याणक रु. ०-८-० ६१० चैत्यवंदन बालावबोध ( गु. ) वंदनादि भाष्यत्रयम् (३३, ५०, ९५ ) ६११ चैत्यवंदन चोवीशी. (त्रैलोक्य प्रकाशाख्या. क्षमा कल्या क. संस्कृत अने भाषांतर. भा. क. हीरालाल हंसरा ज. (७, ३२ ) ६१२ चैत्यवंदन चोवीशी. (गुजराती) रु. ०-३-० (६) For Private And Personal Use Only Page #164 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra चैत्य ] ५९ [ चोबीसी ६१३ चैत्यवंदन चोवीशी. संस्कृत अर्थ युक्त. रु. ०-५-० (६) ६१४ चैत्यवंदन महाभाष्य. रु. १- १२-० ( १७ ) ६१५ चैत्यवंदनस्तवनादि भेट, (६८) ६१६ चैत्यवंदनस्तुतिस्तवनादि संग्रह. भा. १ छो. (६) 35 www.kobatirth.org 55 39 ܕ "" ܕ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir >> ६१७ चैत्यवंदनादिनो संग्रह. रु. १-०-० (६) ६१८ चैत्यवंदनादि भाष्यत्रय. देवेन्द्र सूरि कृत. भावार्थ सहित. रु. ०-६-० प्रा. गु. (६) भा. २ जो. रु. ०-६-० (६) भा. ३ जो. रु. ०-८-० (६) " "" गुजराती. की. नथी ( ३३ ) ६१९ चोमासी तथा दीवाली देववंदन भेट. (६७) ६२० चोमासी व्याख्यान, रु००-४-० ( १६, १ ) ६२१ चोरासी आशातना, (६८) गु. ६२२ चोरासी आशातना हिन्दी भेट. ( ६८ ) ६२३ चोवीसजिनस्तवन. ( जुओ प्रकरण रत्नाकर भा. ४ थो) ६२४ चोवीस प्रभु रासी चक्र. (१९२ ) रु. ०-१-० ( ६ ) "7 " ६२५ चोवीसी तथा वीशी संग्रह. गु. रु. १-८-० रु. १-०-० 55 "" ६२६ ६२७ चोवीसी तथा वीशी संग्रह. रु०२ -८-० ( ६ ) ६२८ चोवीसी तथा वीशी संग्रह. गु. सं. १९३५. रु. ५-०-० ( ५०, १९३ ) ६२९ चोवीसी तथा वीशी संग्रह. शास्त्री मोटी. रु. ५-०-० ( १९४ ) तेमां ३७ चोवीसीओ, अने वीशीओ १० छे तथा छुटक स्तवनो. For Private And Personal Use Only Page #165 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org चोबीसी ] ६० [ चंद्र ६३० चोवीसी यशो विजयजी विरचित भावार्थ अने विवेचन Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir साथे. ( ३३ ) ६३१ चोवीसी वीसी स्तवन संग्रह, सवाइभाइ रायचंद. सं. १९६२ रु. १-८-० ( १२९ ) ६३२ चोसठ ठाणानी पूजा तथा चोवीस तीर्थकरना अठाणु बोल प्र. शीहोर. संघ, केसर विजय (जीवविजयजीना शिष्य) ६३३ चोसठ प्रकारी पूजा संग्रह. अर्थ सहित रु. १-४-० ६३४ चोसठ प्रकारी पूजा अर्थ सहित पं. चारित्र विजय रु १-०-० ( ६ ) ● ६३५ चौद स्वमनुं रहस्य रु.०-२-० ६३६ चंदकुवरनी वारता कवि राम मारवाडी ( १ ) ६३७ चंदन मलियागिरिनी चोपाई, मुनि खेमहर्ष कृत. ( १२९ ) ६३८ चंदन मलयागिरिनो रास क्षेमहर्षकृत. अने शालिभद्रनो रास, मतिसार, रु००-६-० . ६३९ चंदराजानो रास. ( मोटा चित्र साथै ) रु.४-०-० (६) ६४० चंदराजानो रास तथा अर्थ रहस्य युक्त. पं. श्री मोहनविजयविरचित. सं. १९७४ रु.२-०-० (६, १७ ) ६४१ चंदराजानो रास. की. नथी. (१२९.) ६४२ चंदराजानो रास ( अर्थ सहित ) रु. २ -८-० ६४३ चंदराजानो रास पं. मोहनविजयजी कृत. म. बालाभाइ त्रीकमलाल. मगनलाल हठीसिंहना ज्ञानप्रकाश प्रेस. सं. १९६० (६) ६४४ चंदविज्ज पयन्ना ( जुओ दश पयन्ना० ) ६४५ चंद्रकुमार याने आनंदमंदिर रु. १-०-० · ६४६ चंद्रकेवलीनो रास. ज्ञानविमलसूरि विरचित अपरनाम आनं For Private And Personal Use Only · Page #166 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra चंद्र ] www.kobatirth.org [ चंपक ६१ दमंदिर रास. आयंबिल, वर्धमानतपाराधनादि फल मा हात्म्यरूप विचित्रोपदेशमय. (७, ५० ) ६४७ चंद्र गुणावळीनो कागळ रु. ०२-० Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ६४८ चंद्र धवल भूप धर्मदत्त कथा माणिक्य सुंदर सूरिजी संस्कृत. ( १ ) ६४९ चंद्रप्रभा चरित्र वीरनंदी रचित काव्यमाला ३० इ. स. १९१२ रु. ०-१२ - ० ( १२, ६, १० ) ६५० चंद्रप्रभ चरित्र ( संस्कृत ) श्री वीरनन्दि विरचितम् रु. ० -१२-० ( १० ) ६५१ चंद्र राजानो रास. (५०) ६५२ चंद्र लेखा नाटक गद्य पद्यात्मक त्रिखंडी कवि महासुखराम नरभेराम कृत. रु. १-०-० (८४०, ५०, ७१ ) ६५३ चंद्रवीर शुभादि कथा चतुष्टयम् मुनि सुंदर सूरि.रु. १-८-० ६५४ चंद्र शेखरनो रास. ०१६५५ चंद्र संविन्न पयन्नो. (५१) 1010 ६५६ चंपकमाळा कथा भावविजयगणि विरचित, संशो. चतुरविजय, सं. १९७० (विजापुरे सं. १७०८ नी सालना विजय दशमी पुरो कर्यो ) ( अलभ्य ) ( १७, १० ) ६५७ चंपकमाला कथा भाषान्तर. मणिविजयजी. गु. रु.०-८-० ६५८ चंपकमाळा चरित्र अपूर्व सती चरित्र रु. ०-८-० ( १७ ) ६५९ चंपकमाळा चरित्र भाषान्तर भावविजयवाचक प्रणीत. रु. ०–८-० ( १७ ) ६६० चंपक श्रेष्ठी चरित्र ( ६ ) " "" प्रीतिवल्लभगणि. प्र. पाटणना नागरचंद उजमचंदना वहीवटदार प्रेमचंद रतनचंद अमदावाद. ?" " माणेकमुनिजी, रु०० - २ - ० ( १७८ ) For Private And Personal Use Only Page #167 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ६२ चंपक] [ जगद ६६१. चंपक श्रेष्ठीनी कथा. (संस्कृत ) प्रीतिविमल कृत. संशो. मुक्तिविमळ दयाविमल शिष्य. (प्र. १९७) रु. १-१०-० ६६२ चंपक श्रेष्ठीनी कथा. लीपझीग (इ. स. १९११) (हर्षचंद्र भुराभाइ बनारस. (१४, १७) , बीजी. विमलगणि विरचित. संस्कृत. सं. १९७२ मुक्तिविमल. सौभाग्यविमलना शिष्य. (१९८) ६६३ चंपक श्रेष्ठी कथानक जे. हरटल. अंग्रेजी संस्कृत. रु.१-८-० ६६४ चंपक श्रेष्ठीनी कथा. (संस्कृत ) रु. ०-४-० छ. ६६५ छ अट्ठाइस्तवन तथा महावीरस्वामीना सत्तावीस भवनुं स्तवन. अने पारj. रु. ०-२-० (१९९) ६६६ छत्रीस बोल संग्रह. भा. १-२ भेट. (४३) छत्रीस बोल संग्रह. रु. १-०-० ६६७ छ भाइनो रास. (गु.) रु. ०-२-० (१२९) ६६८ छ भाइनो रास. (शास्त्री) रु. ०-२-० । ६६९ छुटक अध्ययनो. रु. ०-२-० ६७० छोटालाल पद बोधिनी. ज्ञा. व. (७१) ६७१ छंदानुशासन हेमचंद्रसरिकृत रु. ०-८-० (२००) . ज.. ६७२ जगडू चरित्र भाषान्तर सर्वानंदररि विरचित मूळ संस्कृत सहित भाषान्तर कर्ता. मगनलाल दलपतराम खख्खर. रु.. १-०-० (२०१, २०२) . ६७३ जगत्कतृत्व मीमांसा हिन्दी. रु. ०-८-० (२०३) ६७४ जगद् उत्पत्ति विचार हिन्दी बा. पुरज भानुजी जैन वकील For Private And Personal Use Only Page #168 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जगद् ] ६३ जया देवबंद लिखित ट्रेक्ट नं. १६ रु. ०-१-० (२०४) ६७५ जगद्गुरु महाकाव्य षट् दर्शन समुच्यय पद्मसागरगणि विर. चित (हरगोविंददास तथा बेचरदास.) छ. रु. ०-४-० (१४) ६७६ जगमाल राबसिंह ( अपरनाम जगन्नाथ राव इडरनो) प्र. पंडित. करुणाशंकर शर्मा मु. वांसवाडा Banswada. ६७७ जन्म मरण सुतक निर्णय यतीन्द्रविजय सं. १९७४ रु. ०-१-० गु. ( ३७) ६७८ जयचक्रि चरित्रम् हेमचंद्राचार्य कृत. (त्रि. घ. सु. पु. च रित्र १३ मा सर्गमां छपायुं छे) सं. १९६३ सं. (६,१०) ६७९ जयतिहुयण अभयदेवमूरि विरचित समयसुंदरनी टीका साथे कृपाचंद्र शिष्य सुखसागरे शोध्यो छे. (१२) ६८० जयतिहुयण स्तोत्र टीका बालावबोध (सं. १९४७ (२०५) जयतिहुयण भेट, कोटा, शेरसिंह. जयतिहुयण स्तोत्र रु. ०-४-० जयतिहुयण स्तोत्र समयसुंदरसूरिकृत विवरण साथे अभय देवसूरि विरचित. किं. नथी. (२०६) जयतिहुयण स्तोत्र सटीक प्र. लोहावट ( मारवाड) श्री __ हजारीमल रतनलाल अमूल्य. (३७, ६८, ७१) ६८१ जयन्तविजय अभयदेव विरचित (महाकाव्य ) रु. १-०-० (६, १०) ६८२ जयानंदकेवली चरित्र संस्कृत (पाना ) रु. १०-०-० मुनिसुंदरसूरि कृत. सं. १९६८ ( ३२, ५०) " , " की. रु. ६-०-० (२०२, ३, २०७, ६) For Private And Personal Use Only Page #169 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जया] [जिन ६८३ जयानंदकेवलीनो रास पंडित पत्रविजयजी विरचित. रु. २-८-० सं. १९४५ (२०८) ६८४ जयानंद केवलीनो रास ( जुओ आनंदकाव्य महोदधि मौ. ३ जु) ६८५ जयंतविजय काव्य वि. (५०) ६८६ जयंति व्याख्यान. रु. ०-८-० (२०४) ६८७ जल यात्रादि विधि रत्नशेखरसरि विरचित जैन चैत्यमां जिन बिंबनो प्रवेश करवानो विधि अष्टोत्तरी स्नात्रनो विधि ग्रह दिगपालपूजननो विधि लघु स्नानो विधि ध्वज तथा कळश चडाववानो विधि वगेरे. ( ७, ७१) ६८८ जल्प कल्पलता. रत्नमंडन कृत. रु. ०-३-० ३४ दळक - मळ प्रबंध आमां छे. सं. (१६, १०) ६८९ जल्प मंजरी प्राच्य मुनि पुंगव विरचित शो. ललितविजय. रु. ०-२-० सं. (६) ६९० जवाब दावा (जैन समाचार ढूंढक पत्राधिपति की पुकारना ___जवाब) ले. मुनि वल्लभ विजयजी मु. पालणपुर.(२१०) ६९१ जस ग्लिास विगेरे विविध पद संग्रह. रु. ०-९-० ६९२ जहांगीरनामा भा २ जो. मुन्सी देवीप्रसाद हिन्दी रु. १-१०-० अजैन. ६९३ जळयात्राविधि रन्नशेखरसूरि विरचिता. रु. ०-६-० (जलयात्रानोजिनबिंब प्रवेश, अष्टोत्तरीस्नात्र बिधि ग्रह दिगपालनां पूजननो विधि, लघु स्नात्र विधि ध्वज तथा कळश चडाक्वानो विधि) (७) ६९४ जातकाभरणम्. (५०) ६९५ जापमाला. (५०, २:१) ६९६ जिनगुण गान लहर. यतीन्द्रविजय, रु. ०-६-० (३७) For Private And Personal Use Only Page #170 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जिन] [जिन ६९७ जिनगुण गायन. रु. ० ३-० ६९८ जिनगुण पद्यावलि. (३३) ६९९ जिनगुण पुष्पमाळा अलभ्य. रु. ०-३-० (१०८) ७०० जिनगुण मंजरी. रु. ०-४-० (८८) जिनगुण मंजरी. रु. ०-२-० ७०१ जिनगुण मंजूषा. प्रथमभाग वि. राजेन्द्रसूरिनो शिष्य समु. दाय. सं. १९६५ रु. ०-१२-० (३७) " , दुसराभाग स्तवनादि. सं. १९६६ रु. ०-७-० (३७) " भाग ३ मो. सं. १९७१ अलभ्य (३७) " , भाग ४ थो. सं. १९७४ (३७) " , भाग ४ थो. रु. १-४-० (३७) ७०२ जिनगुण रत्नमाला. रु. ०-२-० (१०८) ७०३ जिनगुण रत्नावली मा. २ जो. ७०४ जिन चतुर्विंशतिका. (दि.) भूपाल कवि प्रणीत. ( जुओ ____ काव्यमाला गुच्छक भा. ७ मो) ७०५ जिनदत्तमूरि महाराजनुं चरित्र. रु. ०-१-० ७०६ जिनदत्त चरित्र माणेकचंद दिगंबर जैन ग्रन्थमाल सप्तमपुष्प श्रीमद् गुणभद्राचार्य विरचितम् किं. लखी नथी (७१) ७०७ जिनदर्शन पर्व गुणावली.. ७०८ जिनदर्शन पूजन सामायिक विधि प्रकाश. रु. ०-६-० हिन्दी ( २१२, २१३) ७०९ जिनदेव दर्शन. मोहनलाल दलीचंद देशाइ वकील. बी. ए. - एल. एल. बी. सं. १९६६ रु. ०-३-० (२१४) ७१० जिनदेव मुनीश्वर विरचित अभिधान संग्रह भा. २ जो) ७११ जिन पिंजर स्तोत्र विगेरे शास्त्री. सं. १९५४ (२०५) 11.11: For Private And Personal Use Only Page #171 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ७१ जिनपूमा हामिमांसा. जिन] [जिना ७१२ जिनपूजाअधिकारमीमांसा. ले. बाबु जुगलकीशोर सं. १९६९ रु. ०-४-० (१२) जिनपूजाधिकारमिमांसा. रु. ०-२-० ७१३ जिनपूजा महोदधि. रु. ४-८-० (१) ७१४ जिनप्रतिष्ठामहोत्सववर्णन. रु. ०-२-६ ७१५ जिन बोलसंग्रह. (१९०) ७१६ जिनभक्तिआदर्श. ले. कुंवरजी आणंदजी (२१५) ७१७ जिनशतक जंबुगुरु विरचित (जुमो काव्यमाला भाग ७ मो) जिनशतक भाषांतर गुजराती जंबुगुरु विरचित शब्दार्थ साथे अनुवादक वाचस्पति, कवि दयाशंकर रविशंकर सं. १९७० रु. ०-१२-० (२१६, ७१) ,, ,, हिन्दी समन्तभद्राचार्य कृत टीका सहित. टी. कर्ता पन्नालाल बाकलीवाला रु. ०-१२ ० (दि. २१७, ७१) ७१८ जिनस्तवन चोवीशी. गुजराती पद्मविजयजी कृत. अमदावाद जैन ग्रंथ प्रकाशक सभाना कार्यवाहक वाडीलाल शाह रु. ०-२-० (५०, २१८) ७१९ जिनस्तुति. (६८) ७२० जिनहर्षना हस्ताक्षरो. (१) ७२१ जिनागम विस्तार अने आगम प्रकाशने अंगे केटलाक विचार . ले. मनसुख रवजी महेता गुजराती (२०९, ५०, २१९) ७२२ जिनालयगपन. रु. ०-०-६ ७२३ जिनाज्ञामदीप. सिद्धमूर्ति विवेकविलास भा. १ लो. दूसरा उ. रामरीद्धिगणि हिन्दी. ७२४ जिनाज्ञाविधि प्रकाश. (डीवाचो फाटी गयो छे) (१२) .. For Private And Personal Use Only Page #172 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जिने] [जीवन ७२५ जिनेन्द्रदर्शनपूजा. रु. ०-८-० ७२६ जिनेन्द्रदर्शनपूजाविधि डेमी पोकेटसाइझ पा. २८८ संग्रा ___ हक. परी मणीलाल खुशालचं पालणपुर सं. १९७५ - (२२०) रु. ०-४-० ७२७ जिनेन्द्र पूजासंग्रह. पंडित माणेकविजयजी प्र० शेठ वधुभाइ माणेकचंद सं. १९५६ रु. १-१२-० (७१) ७२८ जिनेन्द्र प्रक्रिया (उत्तरार्ध) गुणनंदि विरचिता. (सनातन जैन ग्रंथमाला) (२२२) जिनेन्द्र प्रक्रिया. रु. १-८-० ७२९ जिनेन्द्रभक्ति सुधाकर पूर्वाचार्य सं. १९७२ रु. ०-८-० __अलभ्य. (३७) ७३० जिनेन्द्रस्तवादि गुण मोहनमाला. रु. ०-६-० (२२३) ७३१ जिनेन्द्रस्तुति. (१) ७३२ जिनेन्द्रस्तुति गर्भित विचित्ररागमाला. ले. गंभीरविजयजी - रु. ०-२-० (२२४, ५०) ७३३ जिनेन्द्रस्तुतिरत्नाकर रु. ०-४-० ७३४ जिनेश्वर चतुर्विंशतिका. ले. बुद्धिसागरसूरि सं. १९६९ बे चोवीसीओ रु. ०-१-६ (१९१) ७३५ जिनोदयमूरि वीवाहलु (संक्षिप्त साररुप तथा मूळ वीवाहलु) (जुओ ऐतिहासिक रास संग्रह भा. ३ जो) ७३६ जिनोपदेश मंजरी कथापंचक. राजेन्द्रसूरि सं. १९७४ (३७) ७३७ जिनोपदेश मंजरी यतीन्द्र विजयजी मारवाडी. (३७) ७३८ जीवदया. (२२५) ७३९ जीवदयाना हिमायतीओने एक अपील. (५०, २२७) .. ७४० जीवनप्रभा (राजेन्द्रसरिनुं जीवनचरित्र भेट) यतीन्द्रविजयजी सं. १९७२ (३७) For Private And Personal Use Only Page #173 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जीवन] ६८ [जीवानु ७४१ जीवन सुधारणाना सन्मार्ग ले. विठ्ठलदास मूलचंद शाह. बी. ए. भावनगर (२२६) ७४२ जीवभेद निरुपण यतीन्द्रविजयजी भेट. सं. १९८० (३७) ७४३ जीवविचार ( जुओ प्रकरण लघुसंग्रह) ७४४ जीवविचार. रु. ०-२-० जीवविचार मूल और अर्थ शान्तिमरिजीकृत हि. (१, ३९) जीवविचार प्रकरण. रु. ०-४-६ जीवविचार प्रकरण गुजराती (५०) " , हिन्दी (५०, २२८) " " मूळ मोटा टाइपर्नु रु. ०-०-९ जीवविचार प्रकरण (शान्तिमरिकृत) पाठक रत्नाकर रचित टीकया समेतम् (२२९) .., बालावबोध, रु. ०-४-६ गाथाओना छुटा शब्दोना अर्थ मूळ शब्दार्थ विस्तारार्थ विगेरे तथा तेना छुटा बोल. जीवविचार (प्रकरण) सटीक (पाना) रु. ०-४-० (३३) जीवविचार बालावबोध युक्त. रु. ०-४-० जीवविचार वृत्ति भाषान्तर मूळ साथे. ( १७, ७१) जीवविचार वृत्ति मूळ अने भाषान्तर साथे. रु.०-८-०(१७) ७४५ जीवहिंसा निषेध जीवनचरित्र. रु. ०-४-० ७४६ जीवाजीव राशि प्रकाश श्री ज्ञानवर्धक जैन मित्रमंडळ सैलाना मांडवा रु. ०-४-० (२३०, ७१) ७४७ जीवाजीवाभिगमसूत्र टीकाकार मलयगिरि सं. ग्रंथ नं. ५० ... (१६) रु. ३-४-० ७४८ जीवानुशास्ति कुलकम् (जुओ कुलकसंग्रह १७ बाळो) For Private And Personal Use Only Page #174 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जीवा ] [जैन ७४९ जीवाजीवाभिगमसूत्र सटीक संपूर्ण (पाना) मलयगिरि टीका युक्त. रु. ३-४-० (१६) जीवाजीवाभिगम मलयगिरि. (२४, ५०) " " सूत्र भाषान्तर. (५०) " , मलयगिरि (१६) , , उपांग विवरण साथे. मलयगिरि (१६) ७५० जीवंधरचंपूः (५०) ७५१ जुनागढना महाजननो दयाल्ल ठराव नानाशंकर लक्ष्मीदास. जुनागढ (५०) ७५२ जुनीगुजरातीभाषा अने जैनसाहित्य. (२३१) ७५३ जेसलमेरभांडागारीयग्रन्थानां सूची. (संपूर्ण माया) रु. २-८-० (१३८) ७५४ जैन भाल्बम. आदीश्वरनी मोटीढुंक पालीताणा, आबुनां मंदिर, सा. रंगा, भोयणी तथा दश मुनिओना जुदा जुदा फोटा छे, (वडोदरा कोन. वखतनो) रु. १-८-० (२३२) ७५५ जैन इतिहास अंक २ जो. रु. ०-०-६ ७५६ जैन इतिहास भा. १ लो ले. सूरजमल जैन दि.रु.०-१२-० (५०, २३३) , भा. २ जो. रु. ०-१२-० (५०, २३३) ७५७ जैन इतिहास. रु. ०-१०-० सं. १९६४ (१४२,१४३) ७५८ जैन इतिहास गुजराती रु. ०-६-० (१) ७५९ जैन इतिहास साहित्य गु. को. हे. नो. अंक (साहित्यनो जुलाइ-सप्टेम्बर १९१५ (५०, २३५) ७६० जैन ऐतिहासिक रासमाळा. पृ. ४०८ योजक बुद्धिसागरसूरि For Private And Personal Use Only Page #175 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ७० रु. १-०-० (१५, ५८ थी ६२ १८४) शोधक अने विवेचनकर्ता मोहनलाल दलीचंद देशाइ सं. १९६९ शेठ शांतिदास तथा मुनिओना ऐतिहासिक रास तेनां विवरण अने आलोचना तथा शब्दार्थकोष सहित प्र. अध्यात्म ज्ञान प्र. मंडल चंपागली मुंबइ. मेघजी ही रजीनी कुं. पायधुनी मुंबइ. ७६१ जैन औपदेशिक ग्रंथावली गु. विभाग पृ. १६८ थी २४६ सुधीनो (२३५, ५०) . ७६२ जैन और बोद्धका भेद. राजा शिवप्रसाद सितारे हिन्दकृत. रु...-०-६ (१४६, २३६) ७६३ जैन कथा द्वाविंशतिका. सं. १९५३ (२३४, ७१) ७६४ जैनकथा रत्न कोष भा. १ लामां सिन्दूर प्रकरण कथा स हित. रु. १-४-० ७६५ जैनकथा रत्नकोष भा. २ जो. नेमिनाथनो रास.सं.१९४६ रु. २-४-० (७) " " भा. ३ जो. सं. १९४६ (७) १ मोह विवेकनो रास. २ उपमिति भवप्रपंच आश्रयी श्री धर्मनाथनुं स्तवन. तेमां मोहादिकना परिवार तथा सम्यग्दर्शनना परिवारनुं वर्णन छे. ३ सम्यक्त्व सप्ततिका बालावबोध तथा कथा सहित. ७६६ जैन कथा रत्नकोष भा. ४ थो. अर्थदीपिका बालावबोध, रु. ३-०-० (७) , ,, भा. ५ मो. भुवनभानु केवलीनो रास वि मेरे रु. २-८-० (७) For Private And Personal Use Only Page #176 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जैन] ,, ७१ ,, भा. ६ ठो. गौतमकुलक कथा सहित. रु. , ,, भा. ७ मो. पृथ्वीचंद्र अने गुणसागर चरित्र ___ रु. ३-४-० (७) ,, भा. ८ मो. शान्तिनाथनो रास रु.३-०-० RA. ७६७ जैन कथा संग्रह भा. १ लो. रु. १-०-० " , १३ कथाओ रु. १-४-० , , भा. १ लो. रु. १-४.० (५२) , , भा. २ जो. रु. १-४-० (५२) " " भा. २ जो. रु.१-०-० ७६८ जैन कर्तव्य. अमूल्य. (२३८, ५०) ७६९ जैन काव्य दोहन. भा. १ लो. रु. २-०-० (२३९) ७७० जैन काव्य प्रकाश. रु. १-४-० ७७१ जैन काव्य प्रकाश भा. १ लो. शिला प्रेसनो छापेल सें. १९३९. ६० चैत्यवंदन, ९३ थोयो, ३० छंद, १८ स्तवन, २० वीसविहरमानना, २४ जसविजयचोवीसीनां २४ मानविजय चोवीसी, २४ पद्मविजय चो०, रामविजयकृत आदि ५४ जिनना, ३३ अजितनाथनां, ३३ नेमिनाथनां, ४ नेमनाथना बारमास, ६६ पार्श्वनाथनां स्तवनो, २२ महावीरना, तथा १८० बीजां. सज्झाओ २९ होरी वसंत फागादि. (५) ७७२ जैन काव्य प्रवेश की. वांचन, मनन सं. १९६८ (२१४) ७७३ जैन काव्य प्रवेश, टी. मोहनलाल द. देशाइ इ. स. १९१२ जुदां जुदां जैन काव्यो लइ ते पर विवेचन (अलभ्य) रु. ०-६-.. For Private And Personal Use Only Page #177 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जैन] ७२ [जैन ७७४ जैन काव्य सार संग्रह. रु. २-०-० , ,, ,, सं. १९३८ रामचरित्र विगेरे. चोवी सीओ विगेरे. रु. ५-०-० (१, २४०) ७७५ जैन कुमार संभव काव्य अर्थ सहित जयशेखर मूळ तथा ____ अर्थ शास्त्री. रु. १-१२-० ७७६ जैन कोमकी तरक्कीकाराजह ? उर्दु विना मूल्य (४८) ७७७ जैन ख्रीस्ती संवाद बुद्धिसागरसूरि (१५,५८/६२,१८४) ७७८ जैन गच्छ मत प्रबंध. ग्रं. ३९ ) संघ प्रगति. ग्रं. ४० पृ. ३०४ रु. १-०-० जैन गीता. गं. ४१ ) ७७९ जैन गायनमाळा अंक १ थी ४ रु. ०-४-० , अंक ४ थो. रु. ०-०-६ ७८० जैन गायन रसिक संग्रह. (२४०, ५०) ७८१ जैन गीता. सं. नं. ४१ (जुओ जैन गच्छ मत प्रबंध) ७८२ जैन गीता विवेचन युक्त गुजराती. (१५,५८थी ६२,१८४) ७८३ जैन गुण प्रबोध चिंतामणि. रु. ०-२-० . ७८४ जैन गुण प्रबोध चिन्तामणि. भा. १ लो. बालाभाइ त्रिकम- लाल अमदावाद. रु. ०-५-० ७८५ जैन ग्रंथ गाइड (श्री मार्ग दर्शक भोमीयो) रु. १-०-० (१७) ७८६ जैन ग्रंथ रत्नाकर अंक १ लो. (ब्रह्म विलास पूर्वार्ध) रु. ०-९-० , , अंक. २ जो. (ब्रह्म विलास उत्तराध ) रु. ०-९-० , अंक. ३ जो. (दोलत विलास, आप्त परीक्षा, आप्त मीमांसा) रु. ०-९-० For Private And Personal Use Only Page #178 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org जैन ] ७३ ७८७ जैन ग्रंथावली. रु. ३-०-० (२३५ ) ७८८ जैन चित्रमाला रु० ०-८-० ७८९ जैनजन मांसभक्षणनिषेध, धनविजयजीविरचित, भेट, सं. १९५६ (२४१, ५० ) ७९० जैन ज्योतिष तीथि पत्रिका. १९७२ थी २००७ सुधीना २५ वर्षनुं पंचांग, रु. १-०-० (२४२, ५० ) ७९१ जैन डीरेक्टरी (शहेर भावनगरनीज फक्त छे (६, १७, ५०) ७९२ जैन तत्व दिग्दर्शन, ०-४-० Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir "" 25 , विजय धर्म सूरि. (१४, ४७ ) ७९३ जैन तत्खनो वधारो श्री महावीर स्वामीना पिताना चरणे " जैन " भावनगर भेट. (७१, ४४ ) ७९४ जैन तत्व परीक्षा प्रथम सर्ग उदय विजय सूरि प्रणीत नेमि विजय सुरि शिष्य रु००-४-० (२१८ ) " [ जैन ७९५ जैन न तत्व प्रकाश रु. ०-०-६ ७९६ जैनतत्व प्रदीप म. मंगल विजय. ( ४७ ) ७२७ जैन तत्र प्रदीप मुनि मंगल विजय अभेचंद भगवानदास भावनगरी सं. १९७४ ( ४७, १४ ) ७९८ जैनतस्त्र प्रवेशिका योजक कर्पूर विजयजी रु. ०-४-० ( ३३ ) ७९९ जैन तत्व प्रासाद. " "" नो वधारो हिन्दी. प्रस्तावना उपोद्घात, ग्रन्थकर्तानुं जन्म चरित्र, वंश वृक्ष मुनिराज, सहायको का फोटु वृत्तांत की. नथी. (५०) ८०० जैन तत्व मीमांसा हिन्दी ले. लाला कनोपल एम. ए. रु. ०–०–६ ( ४८ ) १० For Private And Personal Use Only Page #179 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जैन] KLKD . ७४ ८०१ जैन तत्व शोधक ग्रन्थ गुजराती. रु.१-०-० (२४३,५०) ८०२ जैन तत्व सार विवेचक. मुनिश्री जिन विजयजी कि. रु. ०-१०-० (७१) । ८०३ जैन तत्व सार गुजराती भाषान्तर. रु. ०-६-० (१७, ७१) जैन तत्व सार. रु. ०-५-० , ,, हिन्दी ताराचंद दोशी भेट. [सं. १९६६ " , गुजराती भाषान्तर. रु. ०-२-० (१७) , , मूळ तथा भाषान्तर. रु. ०-६-० (१७) ८०४ जैन तत्त्व संग्रह. रु. १-०-० सं. १९६० (२४४) ८०५ जैनतत्त्वज्ञान विजयधर्मसूरि भन्डारकरना रीसर्च इन्स्टी टयुशन तरफथी. ८०६ जैनतत्वादर्श ( शास्त्री) रु. ४-०-० गु. भीमसिंह माणेक मुंबइ (७, १७) " " (गुजराती) पूर्वार्ध. रु. २-०-० " . . " भा. २ जो (गु.) रु. १-०-० . ८०७ जैनतर्कपरिभाषा ( जुओ यशो विजयजी जैन ग्रंथमाला (सभा)) , ,,,, (यशो विजयजी ग्रंथमाळामां छपायो. सं. १९६५ प्रमागर्नु लक्षण अने तेना भेदतुं वर्णन ८०८ जैनतर्कवार्तिक श्री शान्त्याचार्य टीका युक्त शोधक विठल शास्त्री. रु. २-०-० (१४) ८०९ जैनतीर्थगाइड ( शान्तिविजयजी कृत ) रु. ३-०-० ८१० जैनतीर्थयात्रा हिन्दी. (५०) For Private And Personal Use Only Page #180 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जैन ] ७५. ८११ जैनतीर्थयात्रा दीपक हिन्दी. फतेहचंद, रु.०-४-० ८१२ जैनतीर्थावली. रु. ०–२–० [ जैन ८१३ जैनतीर्थावलीप्रवास, रु. १-०-० ८१४ जैनतीर्थावलीप्रवास लखमसी नेणसी गु. रु. १-८-० ८१५ जैनदर्शन न्यायविजय सं. १९१९ रु. ०-८-० (१४) पंडित बहेचरदास जीवराज रु०२-०-० "" 39 ८१६ ८१७ जैनदर्शनना मूळतत्वो अंग्रेजी उपरथी कर्ता हीराचंद लीलाधर झवेरीं. रु. ०-४-० (६०, ७१ ) ८१८ जैनदीक्षा हिन्दी . ( ६८, २४५ ) ८१९ जैनदेवदर्शन, रु. ०-३-० (२१४ ) For Private And Personal Use Only ८२० जैनदेशनासंग्रह धर्मघोषसूरिनी देशना रु००-८-० (१८९) ८२१ जैनदृष्टिए इशावास्योपनिषद् भावार्थ, विवेचनकार बुद्धिसागर सूरि. (१५, ५८ थी ६२, १८४ ) ८२२ जैनदृष्टिए योग ले. मोतीचंद गीरधरलाल कापडीआ प्रथम भाग. रु. ०-८-० ( ६ ) ८२३ जैनधर्म अने ख्रीस्ती धर्मनो मुकाबलो ले. बुद्धिसागरसूरि. ( १५, ५८ थी ६२, १८४ ) ८२४ जैनधर्म रु. ०-२-० ( ८८ ) ८२५ जैनधर्म मी. हर्बर्ट वारन के " जैनीझम् " नामके लेखका अनुवाद; अनुवादक चंद्रसेन जैन वैद्य. हि. एक पैसो. ( २०४ ) [ ५० ) ८२६ जैनधर्म अने देशी वैद्य विद्या ले, वैद्य जटाशंकर. (२४६, ८२७ जैनधर्मका स्वरूप. ले. आत्मारामजी. रु. ०-२-० (२४७, ८२८ जैनधर्मका महत्व, रु. ० ०-१२-० [ ७१ Page #181 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ८२९ जैनधर्मके नियम आर्याजी श्री पार्वतीजी कृत. स. १९६२ रु. ०-०-६ (२४८) ८३० जैनधर्मके विषयमे अजैन विद्वानोकी संमतिमे सुनसी के. ओ. रांका हिन्दी. रु. ०-१-० ८३१ जैनधर्म तरंग बीलीमोराना उपधानवाळाओ वलसाड. इ. १९११ ८३२ जैनधर्मनी माहिती. प्र. क. हरजीवन रायचंद शाह, रु. ०-४-० (७१) ८३३ जैनधर्म विषयक प्रश्नोत्तर हिन्दी. रु. ०-६-० ( २०५) जैनधर्म विषयक प्रश्नोत्तर. रु. ०-४-० (शास्त्री अक्षरमां) . (२५१) ८३४ जैनधर्म विषयम मि. हरबर्ट. (५०) ८३५ जैनधर्मना मूळ तत्त्वो. रु. ०-४-० ८३६ जैनधर्मना व्याख्यानो. रु. ०-४-. ८३७ जैनधर्मनां व्याख्यानो उपाध्याय वीरविजयजीना शिष्य दानविजयजी. ( सयाजीराव गायकवाडने संभळावेलां व्यांख्यानो ) सं. १९६९. शा. त्रिकमलाल मगनलाल. वडोदरा. जैन धर्मना व्याख्यान भा. १ लो. रु. ०-४-० " " , भा. २ जो. रु. ०-२-० ८३८ जैनधर्म नियम. रु. ०-१-६ ८३९ जैनधर्मनी पहेली चोपडी. रु. ०-६-० ८४० जैनधर्मनी प्राचीन ने अर्वाचीन स्थिति ले. बुद्धिसागर मूरि. ..सं. १९७० पृ. ९६ रु. ०-२-० (१५, ८५ थी ६२, For Private And Personal Use Only Page #182 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जैन] ७७ ८४१ जैनधर्ममी बीजी चोपडी. रु. ०-८-० ८४२ जैनधर्मनी माहिती. रु. ०-४-२ ८४३ जैनधर्मनी सत्यता. (जैन अने स्त्रीस्ती धर्मनो मुकाबलो) रु. ०-१-० (२५०, ७१) ८४४ जैनधर्मनो प्राचीन इतिहास. भा. १ लो. रु. १-०-० (३२, ६) , , , . भा. २ जो रु.१-०-० (३२, ६) ८४५ जैनधर्मपर एक महाशयकी टीका. रु. ०-४-० ८४६ जैनधर्म प्रवेशपोथी भा. १ लो. रु. ०-१-० (१४३) भा. २ जो. रु. ०-२-०(१४३) भा. ३ जो. रु. ०-४-० (१४३) . भा. ४ थो. रु. ०-५-० (१४३) जैनधर्म प्रवेशपोथी. भ. १-२ ना अर्थ रु. ०-१-०(१४३) ". " भा. जीजाना अर्थ रु.०-१-६ (१४३) " , भा. चोथाना अर्थ. रु.०-१-३(१४३) ८४८ जैनधर्म प्रसारक सभानी लायब्रेरीनुं लीस्ट (६) [ (६) सभानो रीपोर्ट. वरस १२ रु. ०-२-०. ., सील्वर ज्युबीली अंक रु.१-४-० (६) ८४९ जैनधर्म विषयक प्रश्नोत्तर. (जुदी जुदी हकीकतोनो संग्रह) " " , रु. ०-६-० आत्मारामजी कृत ते लल्लुभाइ हीराचंद छापीने प्रसिद्ध कर्या. सं. १९४५. ८५० जैनधर्मशिक्षण. रु. ०-२-० ८५१ जैनधर्मसिंधु. रु. ३-:-० यति मनसुखलालजी रु. For Private And Personal Use Only Page #183 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org जैन ) ७८ [जैन: ८५२ जैनधर्म ज्ञानदीपक. " जैनधर्मकथा सार " ( मासिक पत्र ) Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( ५ स्तवन विगेरे ) ८५३ जैनधातुप्रतिमालेख संग्रह. भा. १ ले. बुद्धिसागरसूरि. अ. ज्ञा. प्र. मं. पादरा. रु. १-०-० ( १५, ५८ थी ६२, १८४ ) ८५४ जैनधातुप्रतिमालेख संग्रह, भा. २ जो. ( १५, ५८ थी ६२, १८४ ) क. बुद्धिसागर सूरि. ८५५ जैनधार्मिक शंका समाधान, बुद्धिसागरसूरि (१५, ५८ थी ६२, १८४ ) ८५६ जैनना अंको, सने १९१० सने १९९८ नी फाइल (४४ ) ८५७ जैनना केटलाक नामांकित पुरुषो. रु. ०-८-० ८५८ जैन नित्यपाठ संग्रह. (१०, २२ ) ८५९ जैन निबंध, ९ (५०) ८६० जैन निबंध रत्नाकर हिन्दी ( २५५, ६० ) इ. १९१२ ८६१ जैन नियमावली (६८ ) • ८६२ जैन नित्यपाठ संग्रह. काशेय पदंबद्ध रु. ०-६-० (१०) ८६३ जैन नित्यस्मरण स्तोत्र संग्रह अने जैन वार्षिक उत्तम पर्वो. स्तोत्रो तथा स्तवनोनो संग्रह. (२५७ ) ८६४ जैन नीतिप्रवेश. मावजी दामजी घाट कोपर रु. ०-४-० ८६५ जैननो अंक. सं. १९६७ रु. ०-८-० ८६६ जैनन्यायनो क्रमिक विकास साहित्य परिषदमा पं. भावनगर सातमी गुजराती सुखलालजीए करेलुं भाषण, [ ( २५८, १४६ ) ८६७ जैन पाठमाला. रु. ०-६-० ८६८ जैन पाठावली. आवृति बीजी रु. ०-६० (८२, ७१) ८६९ जैनपोथी ( २५९, ७१ ) For Private And Personal Use Only Page #184 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जैन] ७९ [जैन ८७० जैनपबोध. रु. २-०-० (६) ८७१ जैनप्रबोध भा. १ लो प्रथम कटको. जेमा विविध स्तवनो, सज्झायो, छंदो, चोविशीओ, तपनी ओलीनी विधि वगेरे (७. ५०) ८७२ जैनप्रबोध पुस्तक भा. १ लो. (सं. १९४५) (७, ७१) ८७३ जैनप्रभाकर स्तवनावली. रु. ०-२-० ८७४ जैनप्रश्नोत्तर रत्नमाला. की. नथी ठेका' पण नथी छाप्यु. धर्म संबंधी केटलाक तात्त्विक प्रश्नोत्तर छे. ८७५ जैन प्राचीन पूर्वाचार्यों विरचित स्तवन संग्रह. जुदां जुदा ४१ स्तवनोनो संग्रह प्रतिरुपे. ८७६ जैन प्राचीन स्तवनादि संग्रह. रु. ०-६-० ,, गुजराती की. अमूल्य (२५७) , ,, की. ०-१४-० सं. १९७९ ,, ,,रु. १-०-० [(२५७) ८७७ जैन फीलोसोफी ट्रेक्ट नं. १(२-३-४-५) दि.(२०४,५०) ." , कर्ता वी. आर. गांधी (अंग्रेजी) (२८,१६,१) ८७८ जैन बालोपदेश. रु. ०-२-० (४३) ८७९ जैन बाळगरबावली सं. १९६३ रु. ०-२-६ (१४३) ८८० जैनबोध संग्रह. रु. ०-२-० ८८१ जैन बोल विचार संग्रह. रु. ०-८-० (२६०) ८८२ जैन बोल संग्रह भा. १ लो बालाभाइ कालभाइ अमदावाद मांडवीनी पोळ रु. ०-२-० (५०) ,, ,, ,, भा. २ जो उपर मुजय. रु. ०-४-० ८८३ जैन भानु प्रथम भाग रु. ०-५-० (६) " For Private And Personal Use Only Page #185 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org जैन ] ८० [ जैन ८८४ जैन भानु प्रथम भाग कर्ता वल्लभ विजयजी रु. ०-५-० ( २०१, ६, १७, २२८ ) ८८५ जैनमत नास्तिक मत नहि है. रु००-०-३ (४८) ८८६ जैनमतवृक्ष ( मोटुं ) रु. १-४-० (६) ८८७ जैनमतक्षनी समजुती लघु वृक्ष सहित रु. ०-८-० ८८८ जैन मत वृक्ष (आत्मारामजी कृत ) आत्मानंद सभा पंजाब. ८८९ जैनमत शिक्षा. (दि०) [सं. १९५६ ८९० जैनमतसमीक्षा केस. ( आर्यसमाज साथे फैसलो ) फोजदारी दिल्ही. (६, ५० ) " Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ८९१ जैनमधुरगायन रस रु. ०-२-० ८९. २ जैनमार्ग दीपिका, रु. ०१२-० ८९३ जैनमार्गप्रवेशिका. रु. ०-२-० ८९४ जैनमार्गप्रारंभपोथी रु० ०-१-० ८९५ जैन मुक्तावली. सूरिस्तत्र शतकं च प्रणेता नेमिविजय शिष्य मुनि नन्दनविजय सं. १९७९ (११) ८९६ जैन मांसभक्षण निषेध हिन्दी. धनविजयजी भेट. (२४१) ८९७ जै रहस्य भेट. तीर्थविजय पं. सौधर्म बृहत्तपागच्छीय समस्त संघ (२८१) ८९८ जैन रामायण. कृष्णलाल वर्मा हिन्दी. रु. २-०-० ८९९ जैन रामायण विसनजी चतुर्भूज गुजराती रु. १-०-० भाषान्तर याने रामचरित्र. सं. १९५२ (२८२. " ५०) रु.२-०-2 35 ,, मूळ संस्कृत, हेमचंद्राचार्य विरचित रु. २-०-० ( २४, ५० ) For Private And Personal Use Only Page #186 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जैन] ९०० जैन रासमाला. जेमां ३६३ रासोनी नोंध छे. अने तेना संवत तथा कर्ताओनां नाम पण छे (५०) ९०१ जैन रासमाळा. (२३५, २२) ९०२ जैन (ऐतिहासिक) रासपाळा. भा. १ लो. रु. १-०-० ९०३ जैन रासमाळा. रु. ०-४-० (२३५) [(२१४) ९०४ जैन रासमाळा (पूरवणी) मोहनलाल दलीचंद देशाइ. कुल ६४१ रासाओ चोपाइओ वगेरे. (२१४, २३५) ९०५ जैनर्षि पटनिर्णय. यतीन्द्रविजय, रु. ०-४-० (३७) . ९०६ जैनलनविधि. नैयार करनार वैद मगनलाल चुनीलाल वडोदरा. रु. ०-१-० (१३१) ९०७ जैन लायब्रेरी. गुजराती (१) ९०८ जैन लावणीसंग्रह. (शास्त्री) भा. १ लो. रु. ०-४-० (७) , , (गुजराती) रु. ०-६-० , ,, भा. १ लो. गुजराती हिन्दी. रु. ०-८-० ९०९ जैन लेखमाला. रु. १-८-० ९१० जैन लेख संग्रह. प्रथम भाग. रु. ५-०-० (२८३,२८४) ९११ जैन लॉ. (दि.) (५०) ९१२ जैन वार्षिकपर्वो अने नित्यस्मरण स्तोत्र, अमूल्य (२५७,५०) ९१३ जैन विधवापुनर्लग्न निषेध हिन्दी. धनविजयजी कृत. सं. १९५३ (२८५) ९१४ जैन विवाहनां गीत. रु. ०-०-३ (६) ९१५ जैन विवाहनां गीतो. म. सु. महेता. गुजराती. ९१६ जैन विवाह विधि, रु. ८-६-० (६) For Private And Personal Use Only Page #187 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जैन] [जैन ९१७ जैन विविध स्तवन संग्रह. भाग १-२-३-४ गोविंदराम भणसाली. (४३) ९१८ " जैन विवेक प्रकाश" मासिक. ( २८६) ९१९ जैन विवेक हिन्दी. हरजसरायकृत, प्र. अमोलखचंद जैन . प्रभाकर प्रेस. सं. १९४७ रु.१-०-० (५०). ९२० जैन व्रतक्रियाविधि संग्रह पाना. रु. ०-२-० (१७) सं. १९७५ ९२१ जैन शशिकान्त भा. १ लो. रु. १-८-० (१४३) ९२२ जैन शासन पत्रनो दिवाळीनो अंक. रु. १-०-० (१२३) ९२३ जैन शासन अठवाडीक पत्र. दिवाळीनी खास अंक. (२८७) ९२४ जैन शासनसार. अने मूर्तिपूजा निबंध, रु. ०-८-० (६७) ९२५ जैन शासन सार अने मूर्तिपूजा निबंध. पृ. ६७ रु.०-४-० ले. कोठारी रीखवचंद उजमचंद गुर्जर (जीवदया अने कषाय निग्रह वगेरे.) (२२०) ९२६ जैन शास्त्र माला खंड १ लो. सुविचारमाला. मणका नं. १७ वाडीलाल मोतीलाल शाह. सात आगमोनी मतलब की. ९२७ जैन शाळोपयोमी अंक गणित भा. १ लो. रु. ०-१-६ " " , भा. २ जो. (६) , , व्याकरण. रु. ०-२-६ (६) , ,, शिक्षणमाला (३३) पहेली चोपडी रु. ०-२-० बाळपोथी रु. ०-१-६ बीजीचोपडी ०-३-० त्रीजी , ,, पाउमाळा, (६) [ चोपडी. ०-४-० ९२८ जैन शिक्षा दिग्दर्शन. श्री विजयधर्मसूरि. (१४, ४७) ९२९ जैन श्वेतांबर कोन्फरन्सनो रीपोर्ट. १९६५-६६ नो. For Private And Personal Use Only Page #188 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जैन) ४३ जैन " , , हेरल्ड मासीकनी फाइल सने १९१४-- . १९१५-१९१६ (२३५, १) ९३० जैन श्वेतांबर डीरेक्टरी. भा. १-२ रु. १-१४-० (२३५) " " , सने १९१५ रु. ०-४-० (२८८) है , मंदिरावली. भा. १ लो रु. १-८-० (२३५) ९३१ जैन सज्झाय संग्रह. रु. ०-१०-० (१३१) ९३२ जैन सज्झाय संग्रह. भा. १ लो. रु. ०-१०-० (६) ९३३ जैन सज्झायमाळा. रु. १-१-० ____भा. १-२-३-४ बालाभाइ छगनलाल. २,२,२, २, ९३४ जैन सज्झायमाला भा. १ लो. मगनलाल हठीसंग. (१७९) " " भा. ३ जो. रु. १-०-०(८२) ९३५ जैन सती धर्मका स्वरुप. रु. ०-२-० (६) ९३६ जैन सती मंडळ. सं. १९६६ रु. १-४-० (१४२, २८९, १२) " , भा, २ जो. रु. १-०-०. . ९३७ जैन सती रत्न. (प्रथम भाग ) ले. लालचंद लखमीचंद. शाह. सचित्र. रु. १-४-० (२९०) ९३८ जैन समाचार भा. १ को २ जो. रु. ०-८-० ९३९ जैन समाचार भा. ३ जो. ४ थो. रु. ०-८-० ९४० जैन समाज मासिक धीरविजयजी महाराजनो फोटो खंडण ९४१ जैन साधुओर्नु कर्तव्य. (५०) [ग्रंथ. (दि.) ९४२ जैन साहित्य अने श्रीमंतोनुं कर्तव्य. ले. मोहनलाल दली. ____ चंद. (२१४) ९४३ जैन साहित्यका इतिहास. (७१) For Private And Personal Use Only Page #189 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir [जैन - जैन साहित्य निबंध गुजराती. (२९२, ५०, २३५). ९४५ जैन साहित्यनी हितावह दिशा. सातमी गुजरात साहित्य परिषदना जैन विभागना अध्यक्ष. श्रीयुत पंडित फतेचंद क. लालनन भाषण. (१४६) ९४६ जैन साहित्य पैकी अल्प गुजराती रासो आदिना ग्रंथकारो नी यादी. जै. श्वे. को. ओ. मुंबइ. ९४७ जैन साहित्यमां दिकार थवाथी थयेली हानि लेखक अने प्रकाशक. पं. बेचरदास जीवराज. रु. १-८-० ९४८ जैन साहित्य संमेलन. (भा. १-२) जोधपुर. रु. १-०-० (१४) गु. हि. अंगोजी. ९४९ जैन साहित्य संसोधक. त्रिमासिक रु. ५-०-० प्रति अंक. रु.१-८-० प्राचीन शोध खोळनो नसुनो (१५८) ९५० जैन सिद्धान्तग्रंथावली. रु. ३-०-० सं. १९६५ (२३५) ९५१ जैन सिद्धान्तदर्पण प्रथमखंड. (दि.) रु. १-०-० ९५९ जैन सिद्धान्तनियमावलि. प्र. करोडीचंद मंत्री (दि०) (२९४) ९५३ जैनसिद्धान्तमवेशिका. रु. ०-३-० है , गुजराती अनुवाद प्रका. मुलचंद करस नदास कापडीया सुरत रु. ०-४-० (७१) ९५४ जैन सिद्धान्त भवन आरा (दि.) की प्रथम वार्षिक रीपोर्ट ओर नियमावली. (२९४) ९५५ जैन सिद्धान्त समाचारी. रु. ०-८-० ९५६ जैन सिद्धान्त संग्रह नाना १०१ ग्रंथनो संग्रह. (दि.) रु. . २-४-० (२९५) ९५७ जैन सुगुण स्तवनावलि. रु. ०-३-० ९५८ जैन मुबोध प्रकाश, भा. १ लो. रु. ०-२-० (२९६) For Private And Personal Use Only Page #190 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जैन ) ८५. [जैन ९५९ जैन सुबोध प्रकाश भा. १ लो कि. नथी. आवृत्ति त्रीजी. . सं. १९५९ (२९७) " " " भा. २ जो. रु. ०-१०-० सं. १९५१ (२९६) ९६० जैन सुबोध प्रथम भाग भेट. इ. १८८१ पर्वतिथ्यादि स्तव नादि ( २९८) ९६१ जैन मुबोध संग्रह. रु. ०-८-८ ९६२ जैन सूत्रोमें मूर्तिपूजा. हिन्दी. (२०७) ९६३ जैन (जैन मार्तड ) सूर्य. सं. १९६३ रु. ०-३-० (१९९) ९६४ जैन संगीत कमलोदय प्रथम भा. पं. मोहनलाल मुनि (ख१०) ९६५ जैन संप्रदाय शिक्षा. कर्ता श्रीपालचंद्रजी यति बीकानेरवासी रु. ३-८-० (१०,७१) ९६६ जैन संस्कार विधि. (श्रावकना १६ संस्कार) रु. ०-५-० , ,,, शान्तिविजय. रु. ०-८-० [हि. (३०१) ९६७ जैन संस्कृत स्तोत्र रत्नसंग्रह. तथा गुजराती स्तवन तथा ग हुलीसंग्रह रचनार पन्यास सौभाग्यविपळ शिष्य मुनि मुक्तिविमल, रु. ०-४-० ( १९७ ) ९६८ जैन स्तवन विलास. भैरोदान लहेरचंद. (४३) ९६९ जैन स्तवन सझाय संग्रह. भैरोदान उदेचंद. (४३) ९७० जैन स्तवनावली भा. १-२-३ रु. ०-४-० . , , जिनदासकृत. हिन्दी. सं. १९४८ (३०२) ९७१ जैन स्तुति रु. ०-१-० (६८, ३००) ९७२ जैन स्तुति. ( ३०३, ५०) ९७३ जैन स्तोत्रमाला. गुणविजय भेट. सं. १९७९ (१५) ९७४ जैन स्तोत्ररत्नाकर कौशेय पहबद्ध. इ. १९०१ रु. ०-४-० For Private And Personal Use Only Page #191 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जैन] सं. (१०) नवस्मरण, जयतिहुपण, जिनपिंजर, ग्रहशांति, पार्श्वनाथनो मंत्राधिराज स्तोत्र अने यंत्रविधान छे. ९७५ जैन स्तोत्र रत्नावली. रु. ०-८-० (७३) ९७६ जैन स्तोत्र तथा स्तवन संग्रह. रु. ०-६-० ९७७ जैन स्तोत्रभांडाकार भा. १ लो. ले. सं. चंदनश्रीजी कृत. प्र. फुलचंद गोवेछक् भोंदी (३०४) ९७८ जैन स्तोत्र रत्न संग्रह (सं.) मुनि मुक्तिविमलकृत. तथा गु जराती स्तवन तथा गहुंलीसंग्रह. रु.०-४-०(१९७,५०) ९७९ जैन स्तोत्र रत्नाकर (१०, २२) २८० जैन स्तोत्र संग्रह भा. २ जो. ९८१ जैन स्तोत्र संग्रह. सं. १९६२ रु. ०-४-० भक्तामर, क. ल्याणमंदिर, एकीभाव, विषापहार, जिनचतुर्विंशतिका ए पांच छे. (दि.) (१०) . ९८२ जैन स्तोत्र संग्रह. भा. १ लो. रु. ०-६-० (६, १४) ९८३ जैन स्तोत्र संग्रह द्वितीयो भाग. रु. १-०-० (१४) ९८४ जैन स्तोत्र स्तवनावली प्रत. रु. ०-४-० ९८५ जैन स्याद्वाद मुक्तावली. यशस्वत्सागरगणि कृत. संशोधक योगनिष्ठ श्री बुद्धिसागरसूरि. ( अमूल्य ) सं. १९६५ प्रकाशक शेठ भोगीलाल ताराचंद मु. अमदावाद. ९८६ जैन स्वेताम्बर डीरेक्टरी. रु.१-१४-० ९८७ जैन हितबोध, रु. ०-४-० (३३) ९८८ जैन हितबोध. हिन्दी. रु. ०-६-० (३३) ९८९ जैन हितबोध भा. १ लो २-३ हिन्दी. (३३, ५०) ९९० जैन हितैषी अथवा जैन समालोचक. रु. ०-३-० ९९१ जैन ज्ञान थोकडा संग्रह. भेट. (४३). For Private And Personal Use Only Page #192 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जैनं] [जैनोनां ९९२ जैन ज्ञान दीपक गायन संग्रह ले. बुद्धिसागरसूरि. सं.१९६३ रु. ०-३-० (३०६) ९९३ जैन ज्ञान बीजी चोपडी. प्र. श्री. वंथली. जैन शाला. भेट. ९९४ जैन ज्ञानमहोदधि विज्ञानपत्रिका. प्र. ( ३०८) [(३०७) ९२५ जैनार्णव. (दि.) रु. १-४-० (११६) ९९६ जैनास्तिकत्वमीमांसा अपरनाम. जैनीयोको नास्तिक कहना भूलहे ले. पंडित हंसराजशर्मा. रु. ०-०-६ (३०९) ९९७ जैनास्तिकत्व विचार हिन्दी. पं. भीमसेनशर्मा रचित. (दि.) रु. ०-०-६ (३१०) ९९८ जैनी आस्तिक है. (उर्दु ) विना मूल्य. (४८) ९९९ जैनिझम बाय हरबर्ट वोरन (Gainizm by Herbert Warron ) तेनुं जैन धर्म बाय प्रो. हर्बर्ट वोरन लेखक ' तेनुं गुजराती भाषन्तर कर्ता. मोहनलाल दली. चंद बी. ए. इ. स. १९१० (६०, २१४) १००० जैनीयोंका तत्वज्ञान और चरित्र. हिन्दी. इटावा. (दि.) रु. ०-०-६ (११६, ५०) १००१ जैनीयोके नास्तिकत्व पर विचार. ट्रे. नं. ६ ( जुओ आर्य मत लीला) " , (दि.) रु. ०-०-३ (२०४, ३११,५०) १००२ जैनेतर द्रष्टिए जैन. जैनेतर अनेक मध्यस्थ विद्वानोना जैन धर्म संबंधी अभिप्राय अमरविजयजी आत्मारामजीना शिष्य. ( ३१२) १००३ जैनेन्द्रप्रक्रिया श्री गुणनन्दीविरचिता. (७१) १००४ जैनोका तिथि मंतव्य. हिन्दी (५०), १००५ जैनोनां जाहेर खातां अने तेनी स्थिति. (३१३, ५०) For Private And Personal Use Only Page #193 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जैनो] ८८ [जंबु १००६ जैनोपनिषद् बुद्धिसागरसूरि. पृ. ४० रु. ०-२-० (१५, ५८-६२, १८४) १००७ जोतिष सार ( प्राकृत ) हिन्दी सानुवाद. अनुवाद. पं. भगवानदास जैन. रु. ०-१२-० (४३, ३१४) १००८ जंबुकुमार रास. नयविमलजी. गुजराती. १००९ जंबुगुण रत्नमाला. रु. ०-६-०. १०१० जंबुचरित्र परदेशीराजाकी चोपाइ इ. १९१९ रु. ०-६-० (१०४) १०११ जंबुद्वीपनो नकशो ( कपडावाळो ) रु. ०-६-० (६) १०१२ जंबुद्वीपपन्नातिसूत्र मूल. टीका अर्थ युक्त. (५०) १०१३ जंबुद्वीपप्रज्ञप्ति नामक उपांगम् द्वितीय भाग. रु. २-०-० शांतिंचंद्र गणि वाचक विरचिताया प्रमेयरत्न मंजुषा नामाया. वृत्ति. (१६) १०१४ जंबुद्वीप प्रज्ञप्ति नामक उपांगक प्रथम भाग त्रण वृक्ष. (१६) ,, , प्रथम भागे चोथो वृक्ष. (१६) , भाषान्तर. ( २४, ५०) १०१५ जंबुद्वीप प्रज्ञप्ति (टीका अने भाषांतर युक्त ) मलयगिरि कृत टीका मागधी. संस्कृत, गुजराती. १०१६ जंबुद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र पूर्वाध ( पाना ) रु. ४-०-० " . , भाग १ लो. (५०) " " भाग २ जो. (५०) १०१७ जंबुद्वीप समास. उमास्वाति वाचक विरचित. सं. १९७९ रु. ०-४-० (३१५) . १०१८ जंबुद्वीप संग्रहणी टीका (पाना) रु. ०-४-० हरिभद्रसूरि विरचित. (प्रभानंदमूरिकृत टीका सहित.) सं. १९७१ की. नथी. मूळ माकृत; टीका संस्कृत (६) For Private And Personal Use Only Page #194 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जबु] ..[ ठाणांग १०१९ जंबु नाटक. रु. ०-४-० (२०१) १०२० जंबुस्वामीचरित्र, रत्नशेखरकृत. रु. ०-८-० (१७) १०२१ जंबुचरित्र गुजराती (५०) " रु. ०-८-० मूळ संस्कृत तेजु भाषान्तर गुर्जर सं. १९५० (२९६) १०२२ जंबुस्वामींचरित्र गुजराती. रु. ०-६-० (१७) १०२३. जंबुस्वामीचरित्र (शास्त्री) रु. ०-९-० १०२४ जंबुस्वामीचरित्र. अपूर्व चरित्र. सं. १९६८-१९७० जय - शेखरकृत. सं. (१७) १०२५ जंबुस्वामीनो रास. ज्ञानविमलसूरीश्वररचित. बारव्रतनी टीपनो रास. मोदी केशवलाल प्रेमचंद तेना शोधक. १०२६ जंबुस्वामीनो रास तथा बारव्रतनी टीपनो रास. ज्ञानविम लसूरि रचित. २. सं. १७२९ रु.०-४-० (७३,५०) १०२७ ज्योतिष्यसार हिन्दी सचित्र. अनु. पंडित भगवानदास जैन(५, १६, १) रु. ०-१२-० १०२८ ज्योतिष्यसारसंग्रह हिन्दी भाषान्तर कर्ता भगवानदास पंडित संस्कृत हिन्दी सं. १९८० रु. ०-१२-० १०२९ टोड राजस्थाननो इतिहास. भा. १ लो. गौरीशंकर हीरा चंद ओझाकृत. इ. १९१३ रु. २-४-० (३१५) १०३० ठाणांगसूत्र. (२४) १०३१ ठाणांगसूत्र पूर्वाध. भा. १ लो. (२८) , उत्तरार्ध भा. २ जो. (२८) १०३२ ठाणांगसूत्र मूळ टीका. अर्थयुक्त. For Private And Personal Use Only Page #195 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir इभोइनां] [दुंढक ड. . १०३३ डभोइनां पुरातन कामो गुजराती. (७१) " " , अंग्रेजी. (७१) , , ,, उदमां (७१) Antiquities of Dabhoi in Gujarat By ____Burges. L. L. L. C. I. E. Director general of the Archeolotgical Servey of India. गायकवाडना आर्डरे छपाइने प्रसिद्ध थइ. (१८८८) कालीकाना मंदीरना अने तळावना अंदरना जुना मंदिरना देखावोना नकशा आपेला छे. अत्यारे काली. मंदिर छे. पण कोतरकाम जोतांज ते जैनोनुज लागे छे. १०३४ डीक्षनरी मोफ जैन वायोग्राफी उमरावसिंह टांक. सेन्ट्रल पब्लीसींग हाउआरा. दि. रु. १-०-० (१) १०३५ डंके पर चोट. (६८) १०३६ डंडक तथा लघु संघयणी बालावबोध युक्त.रु.०-६-०७) १०३६ अ. ढालसागर. रीषभसागर. गुजराती. (१) १०३७ ढुंढक नंदराम मतखंडन हिन्दी. राजगढ संघ तरफसे छ पानेवाला. एल. वि. (५०) १०३८ ढुंढक नंदराम मतखंडन परशुपत्रिका रु. ०-३-० . १०३९ ढुंढक पत्रकारने प्रत्युत्तर की. नथी. अलभ्य. ढुंढकने प्रतिमा संबधी जवाष. (३१८) । १०४० ढुंढक मत खंडन नाटक. प्रश्नोत्तर रुप धर्म विषयक प्रकरण प्र. नाम नथी. 'पोते ' एम लखेल छे. रु. १-०-० (५०) For Private And Personal Use Only Page #196 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ९१ हुँढक] तत्त्व १०४१ ढुंढक मत, पराजय. सं. १९६६ (३१९.). १०४२ हूंढक मत समीक्षा. रु. ०-८-0 ___" , हिन्दी. [(६,५०) १०४३ हूंढक हितशिक्षा ( गप्प दीपिका समीर ) रु. ०-८-. १०४४ हुंढक हृदय नेत्रांजन. रु. १-८-० सं. १९६५ (३२०) १०४५ हूंढीयाकी पोलम पोल. बा. फतेचंद, मुल्य दो पैसा. ले. खक, चेलाराम जैनी देहली. (३२१) १०४६ ढंढण ऋषिनी सज्झाय. ( जुओ देवचंद भा. २ वि.१) त. १०४७ तत्त्व चिन्तामणि याने शम अने मोहनो संवाद. रु. ०-१२-० (६) १०४८ तत्त्व चिन्तामणौ उपमान खंड श्रीमद् गंगेशोपाध्याय विर चित. १८७२ की. लखी नथी. (७१) जैनेतर १०४९ तत्त्वनिर्णय प्रासाद आत्मारामजी कुत्र. रु. ४-०-०(८२) १०५० तत्त्व निर्णय प्रासादनो वधारो. रु. १-०-० १०५१ तत्त्व प्रकाश पाठमाला भा. १ लो. यति मनसुखलालजी नेमचंद कृत. रु. ०-२-० [५८ थी ६२, १८४) १०५२ तत्वबिन्दु. बुद्धिसागरसूरि. पृ. २३० रु. ०-४-० (१५, १०५३ तत्त्व बोधक कल्याण शतक कल्याण विजयजी. भेट. सं. १०५४ तत्त्व भूमिमां प्रवास. रु. १-२-० [१९७२ (९५) १०५५ तत्व वार्ता लक्ष्मी सरस्वती संवाद. पं. गंभीर विजय गणि विरचित. तथा धना चरित्रमाथी उद्धरित लक्ष्मी सरस्व ती संवाद सं. १९६९ रु. ०-४-० (६). १०५६ तत्त्व विचार. बुद्धिसागरसूरि. (१५, ५८ थी ६२, १८४) १ ५७ तत्त्व विचार. रु. ०-४-० For Private And Personal Use Only Page #197 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir aa ] ५२ [सस्था १०५८ तव विवेक विजय राजेन्द्र सूरिजी विरचित. प्र. क. लल्लु चल्यम धोलेरा वाळा, रु. ०–६-० (७१) १०५९ तत्वविवेक पुस्तक पहेलं. गुजराती. ( ५० ) १०६० तत्रज्ञान ( रायचंद्र कृत ) प्रभु मुक्षु, अमदावाद. (५०) १०६१ तवज्ञान दीपिका. बुद्धिसागरसूरि कृत. पृ. १२४ रु. ०-६-० ( १५, ५८ थी ६२, १८४ ) १०६२ तत्रज्ञान प्रकाश. भा. १ ( ३२४ ) १०६३ तवाख्यान पूर्वार्ध. ( चार दर्शननी मीमांसा ) ले. मंगळ विजयजी (१७, ४७, २६६, ३२४ ) उत्तरार्ध बाकीना वे दर्शनोनी मीमां 95 " सा. ( नवीन ढवना आ वे ग्रंथो छे ) ले. मंगळ विजयजी. ( १७, ४७, २६६, ३२४ ) १०६४ तत्त्वानुबोध, ( जुओ प्रकरण रत्नाकर. भा. १ लो ) १०६५ तत्वानुशासनादि संग्रह. छोटा छोटा १४ ग्रंथनो संग्रह छे. रु.० - १४० (दि. ) ( ८१ ) १०६६ तत्त्वार्थ हिन्दी भाषान्तर ( रायचंद्र जैनशास्त्रमाला.) सभाष्य तार्थाधिगमसूत्र. (३२५, ९५, ३२३ ) १०६७ तत्वार्थ टिप्पणकम् अमूल्य. सं. १९८० ( ११ ) १०६८ तत्वार्थ टीका. प्रथमाध्ययन विवरण, यशोविजय किंमत नथी ( ११ ) १०६९ तत्त्वार्थ सूत्र. रु. ०-१-० (२०१) १०७० सत्वार्थ परिशिष्ट मूळ अने भाषांतर रु. ०-६-० १०७१ ( न्यायावतार) तत्वार्थ सूत्र श्री मदानन्दसागरसूरि वरैर्दब्धं परिशिष्टं च. भेट. (२५७) १०७२ तत्वार्थ परिशिष्टम् (११, ३२३) For Private And Personal Use Only Page #198 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra चार्य ] [ तत्त्वार्था • १०७३ तस्वार्थ भाष्य सहित अंक त्रणमां संपूर्ण. रु. १-९-० १०७४ तवार्य राज वार्तिक. अकलंकदेव विरचित, पन्नालाल जैन (दि.) (५०) १०७५ तत्त्वार्थ राज वार्तिकालंकार प्रथम खंड. भारतीय जैन सिद्धान्त प्रकाशिनी संस्था. ९ विश्वकोष लेन. बाघबाजार कलकत्ता. पं. गजाघरलालजी न्यायतीर्थद्वारा अनुवादित, और, पं. मख्खनलालजी न्यायालंकार वादीभकेसरी द्वारा संशोधित और परिवर्धित अकलंक देव विरचित. भाषा टीका सहित (दि.) १०७६ तत्वार्थ विवरणम् . ( ११ ) १०७७ तस्वार्थ सूत्र. (५०) १०७८ तत्वार्थ सूत्र. (पंचाध्यायीमयं प्रथमो विभाग. ) (११) १०७९ तस्वार्थ सूत्र. (५०) "" www.kobatirth.org १०८० तत्रार्थाधिगम. उमास्वाति वाचकवर्य संदृब्धः 'स्वोपज्ञ भाष्य' देवगुप्तनी वृत्ति सिद्धसेननी टीका. पंचाध्याय प्रथमो भाग. (११) [ (३२५) १०८१ तत्त्वार्थाधिगम, ( रायचंद्र जैनशास्त्रमाला. ) रु. २-०-० सवृत्ति. (५०) 59 " १०८२ तवार्थाधिगम. सर्वार्थ सिद्धि वचनीका. (५०) परिशिष्ट मूळ अने भाषान्तर हिन्दी. Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 95 9" i १०८३ तत्रार्थाधिगम सूत्र. अंक १ लो. रु. ०–७–० 53 99 सूत्र ( भाषा सार्थ. ) एडीटेड बाय. एम. के प्रेमचंद १ थी ३ भाग पूर्ण रु. ०-१२० दरेक विभागना. (२९) For Private And Personal Use Only रहस्यार्थ साथे रु. ०-३-० भेट. (३३) सं. १९७२ ( ३३, ९५, ३२३ ) "" Page #199 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir तस्यांमृत] [ तिलक १०८४ तत्त्वामृत ग्रंथर्नु भाषांतर. रु. ०-२-० १०८५ तवामृत ग्रंथ, ज्योतिर्विजय कृत. सभाषान्तर. सं. १९७६ रु. ०-८-० (३२६, ५२): । १०८६ तन्दुलवैयाली पयन्ना (जुओ दश पयन्ना) १०८७ तन्दुल वैचारिक. ( चतु: सरणी) टीकाकार विजयकमल मूरि. सं. ग्रंथ नं. ५९. रु. १-८-० (१६) १०८८ तपकुलकम् (जुओ कुलकसंग्रह १७ वाळो) १०८९ तपागच्छीय पंचप्रतिक्रमण सूत्र अर्थ साथे.रु. ०-६-० (६) १०९० तपावली. भा. १ लो तथा २ जो (गु.) भेट.(३२७,३२८) १०९१ तपावली. रु. ०-६-० (२०७, ५०) १०९२ तपोरत्न महोदधि. जेमा तपावली विभाग १-२ अनेक ग्रंथोमांथी तमाम प्रकारना तपना करेलो संग्रह. भक्तिविजयजीकृत. (६) १०९३ तरंगवती. पादलिप्त. नेमिचंद गणि मुं. भा. क. तथा प्र. - (३२) . १०९४ तर्क कौमुदी काशीनाथ पाडुरंग परब. निर्णय सागर. मुंबई रु. ०-२-० (७१) जैनेतर १०९५ तिथि तप माणिक्यमाला. सं. १९७९ त्रीजी आ. स्तवनो अने स्तुतिओनो समुदाय छे. रु. ०-२-० प्र० (५२) १०९६ तिन चतुर्मासोका दिग्दर्शन. (६८) १०९७ तिलक मंजरी बुक धनपाल कवि. गद्य काव्य.रु.२-८-० १०९८ तिलक विलास. मुनि तिलक विजय. सं. १९७२ (३३०) १०९९ तिलक मंजरी कथा. (पाना) रु. ०-८-० (५०) " गुजराती. (५०) , कथा सार लक्ष्मीधर रचित. रु. ०-८-० (२६, ३३१) For Private And Personal Use Only Page #200 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org तिलक ] ९५ [ तीर्थ ११०० तिलक मंजरी धनपाल कृत जैन आख्यायिका कादंबरीना जेवो अपूर्व ग्रंथ. गद्य काव्ययुक्त. रु. २८-० (१०) ११०१ तीन निर्नामा लेखोनो उत्तर ( ६८ ) ११०२ तीर्थ कल्प जिन प्रभसूरि बाय. डी. आर. केदारनाथ साहित्य भूषण. भा. १ लो गाइड. शान्ति विजय. रु. ३-०-० भा. १ लो. समेत शिखरजीनो ११०३ तीर्थ ", _०–४–० ( ३३२, ३३३ ) 15 Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ०-२-० ११०४ तीर्थमाला संग्रह. ११०५ तीर्थ यात्रा. हिन्दी. ज्ञान सुंदर. (५० ) ११०६ तीर्थकर चरित्र भूमिका हिंदी. रु. ०–२–० (६) ११०७ तीर्थकर चरित्र सचित्र चोवीस तीर्थकरनां. सं. १९७६ रु. २-८-० ( ८२ ) ११०८. तीर्थंकर चरित्र. रु. १-०-० ११०९ तीर्थकर वर्धमाननो समय ( खंड २ जो अंक बीजो ) ( ८३, ८८ ) १११० तीर्थ तप माणिक्य माला भेट. ( ५२, ३२६ ) ११११ तीर्थ माला मुनिचंद्र प्राकृत. भंडारकर अने ( छपाय छे ) [ ( २९ ) प्रवास. रु. For Private And Personal Use Only अमुलख रत्न हिन्दी ( २६८, ७१ ) रु. १११२ तीर्थयात्रानुं विमान. बुद्धिसागर सूरि. आवृति बीजी पृ. ६४.रु. ०–२–० ( १५, ५८ थी ६२, १८४ ) १११३ तीर्थ यात्रा प्रवास. ( समेतशिखर आदि ) (२७० ) स्तवन, (६८ ) १११४ तीर्थ स्तवनावली. रु० -८-० ( ६ ) 17 Page #201 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir तीर्थ ] ९६ -[ त्रिका १११५ तीर्थ क्षेत्र कुलपाक. ले. बालचंद्राचार्य, रु००-४-० १११६ तीर्थ क्षेत्र कुल्पाकनो पार्ट. रु.०-२-० [ ( ३३४,२०३ ) १११७ तीर्थेश्वर महिमा हिन्दी . (५० ) १११८ तेजसार राजानो रास रु. १-८-० (३३५, ५० ) रामचंद्र कृत. रु. १-८-० " 93 १११९ तेतीस बोलका थोकडा मोतीलाल श्रीमाल, रु००-१-० १९२० तेरह द्वीप पूजन विधान. (४८१५) (दि.) (३३६) [ (४३) ११२१ तेरापंथी विद्याविजय, इ. १९१५ (२७१, १२) रु. ०-८-० ११२२ तेरापंथी कृत, देव गुरु धर्मनी ओळखाण. गु. मारवाडी. ११२३ तेरापंथी चर्चा पत्र. (५० ) [ रु. १-०-० १९२४ तेरापंथी नाटक. (७१) ११२५ तेरापंथी मत समीक्षा, ले. मुनि विद्याविजय. म. अभयचंद भगवानदास इ. १९१५ उदयपुरमां लखी. रु. ०-४-० (४७) ११२६ तेरापंथी सम्मायक प्रतिक्रमण अर्थसहित, मागधी, गुजराती. ११२७ तेरापंथी हितशिक्षा, रु. ०-८-० हिन्दी. "> 95 ११२८ त्रण कागल लखेल ५ मो ( नं. ४९, ५०, ५१ ) ( जुओ देवचंद भा. २ वि . १ लो ) ११२९ त्रण भाष्य अर्थयुक्त. रु. ०-६-० १९३० त्रण थुइ विरुद्ध सुरतना संघनो ठराव. ठा. संघ सुरत की. नथी. सं. १९५९ (५० ) ११३१ त्रण निर्नाम लेखनो उत्तर ले. मुनि ज्ञानसुंदरजी म. शा. मेघराज चुणोद. ( ६८ ) ११३२ त्रिकान्डशेष. पुरुषोत्तम देव प्रणीत जुओ अभिधान संग्रह. भा. १ को For Private And Personal Use Only Page #202 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir [त्रैलोक्य त्री] ११३३ त्रिभुवनदीपक प्रबंध जयशेखर सूरि. जुनी गुरु. ०-८-० (३३७, १४६, २७१) ११३४ त्रिवैद्य गोष्ठि संस्कृत. रु. १-८-० (१२) " " . (प्रत) रु. ०-८-० ११३५ त्रिषष्ठि शलाका पुरुष चरित्र संस्कृत मूळ पर्व पहेलं. रू. १-८-० (६) " " , पूर्व बीजुं. रु. ०-१२-० (६) " " " मूळ पर्व ३-४-५-६ रु. २-०-० श्री संभव नाथजी थी मुनि सुव्रत स्वामी सुधीना च. रित्रो. (६) ११३६ त्रि. श. पु. च. पर्व ३-४-५-६ रु. २-४-० (६) ११३७ त्रि.श.पु. च. पर्व ७ मुं मूळ, रु. १-०-० सं. १९६३ . जैन रामायण तथा श्री नेमिनाथ चरित्र वगेरे. (६) ११३८ त्रि. श. पु. च. पर्व ८-९ रु. १-१२-० (६) ११३९ त्रि.श. पु. च, पर्व १० रु. १-८-० (६) ११४० त्रि. श. पु. च. पर्व १ थी ८ (६) ११४१ त्रिस्तुति परामर्श हिन्दी शान्ति विजय रु. ०-८-० (२७२) ११४२ त्रीजी कोन्फरन्सनो रीपोर्ट, रु. १-०-० (२३५) ११४३ त्रैलोक्य दीपिका श्री संग्रहणी सूत्रार्थ, रु. ०-६-० ११४४ त्रैलोक्य दीपिका समाचारी याने बृहत्संग्रहणी मूळ भाष्य - कार श्रीमज्जिन भद्र गणि क्षमा श्रमण कृत. ५०० गाथायुक्त. रु. ०-४-० शा. मानचंद वेलचंद गोपीपुरा सुरत. सं. १९७२ ११४५ त्रैलोक्य दीपिका मूळ अने भाषांतर माणेकमुनिजी मागधी. हिन्दी. रु. ०-८-. For Private And Personal Use Only Page #203 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir त्रैलोक्य] [दयानंद ११४६ त्रैलोक्य प्रकाश नानि चैत्यवंदन चोवीशी क्षमाकल्याण विरचित. ( इ. १५०) (७, १२) ११४७ त्रलोक्य दीपिका संग्रहणी. रु. ०-४-० (१६, १) ११४८ त्रैलोक्यसार (दि.) नेमिचंद्र सिद्धान्त चक्रवर्ति विरचित. रु.२-४-० (५०) ११४९ त्रैवैद्य गोष्ठी, मुनिसुंदरसूरि कृत. सं. १९६६ (२००, १२) ११५० थुइ सज्झाय संग्रह अथवा पुर्यषणी चैत्यवंदन संग्रह. जिन कृपाचंद्र सूरि कृत. (५०) ११५१ थोकडा प्रबंध भा. १ लो. रु. ०-२-० " " भा. २ जो. रु. ०-१-० " , भा. ३ जो. रु. ०-२-० , भ.. ४ थो. रु. ०-२-० " " भा. ५ मो. (६८) " " भा. ६ ठो. भेट, " " भा. ७ मो. भेट. " " भा. ८ मो. " , भा. ९ मो. ११५२ दयाग्रंथ (जुओ शुद्धोपयोग ) बुद्धिसागरसूरिकृत. सं० ११५३ दया देवीनो प्रसाद. रु. ०-१-० (१०८) ११५४ दयाधर्म. सं. १२.७८ (२०९) . ११५५ दयानंद कुतर्क तिमिर तरणी. लब्धि विजय. रु. ०-६-० ११५६ दयानंद मिथ्यार्थ प्रकाश हिन्दी. (५०) [( २०१) For Private And Personal Use Only Page #204 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir दयानंद ] ११५७ दयानंद मुख चपेटीका हिन्दी. इ. १८८२ रु...-५-० (२७३, ७१) ११५८ दयानंद अने मूल सिद्धान्त की हानि. (२७४) ११५९ दर्पणशतक ले. मुनि माणेक. ( १७८, ७१) १९६० दर्शन चोवीशी. ( सादी) रु. ०-२-६ . ११६१ दर्शनशुद्धि टीका ( पाना ) चंद्रप्रभसूरि कृत, देवप्रभसरि कृत टीका. (९१८३) रु. ६-०-०(३२) ११६२ दर्शनसार. रु. ०-४-० (दि.) ११६३ दशपयन्ना. (प्रकीर्णक दशक ) बाबुवाला. ग्रं. नं. २४ तंदुल बयाली. २५ देविन्दु स्तव. २६ गणि विज्जा. २७ चउसरण. सं. १९४२ ना २८ संथार. . . पोस मासे. २९ आउर पचख्खाण. .. (२४, ५०) ३० भत्त परिज्ञान. ३१ चंदविज. ३२ महा पचरूखाण. ३३ भरण विभत्ति संज्ञका. ११६४ दशवैकालिक सूत्र मूळ कर्ता सय्यंभवसरि. टीका हरिभद्र सूरि सं. ग्रन्थ. नं. ४७ रु. २-८-० (१६) ११६५ दश श्रावक कुलकम् ( जुओ कुलक संग्रह १७ वाळो) ११६६ दशपर्वी कथा आचंता (५०) ११६७ दश वैकालिक सूत्र अ.४ प्रकाशक पनमुनि इर्षविजयना शिष्य. रु. ०-५-० ( २७५) - - For Private And Personal Use Only Page #205 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra 140) ५० दशवे ] १०० दशवे ११६८ दश वैकालिक मूल कर्ता सध्यंभवसूरि समय सुंदरनी टी का. (प्रत ) रु.६-०-० (३२) 33 " "" "" www.kobatirth.org सूत्र सटीक (बाल धन, वाल मोडं. (२४, .. " Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir टीका भाषान्तर भा. १ मुनिमाणेक " सार्थ. 39 भा. २ (१२,५०) " दीपिका सहित रु. ४-०-० " 39 दश वकालिक सुत्र म. क. भीमसिंह माणेक निर्णयसागर ( ७१ ) दश वैकालिक सूत्र बाबु शय्यंभवोद्गार रूपम, गुर्जर भाषा सहित, अवचूरि संवलितं, समय सुंदरोपाध्याय कृत, दीपिका सना, श्री हरिभद्र मुरि कृत, बृहद्वृत्ति विराजितम् सं. १९५७ (३४०, ७, ९५ ) [ ( २७६ ) दश वैकालिक समय सुंदरनी टीका. दीपिका नान्नि समयसुंदरी टीका युक्त पाना, (२-०-० ) 39 दश वैकालिक सुत्र भाषान्तर गुजराती, भा. क. पं. केसरविजयजी रु. ०-८-० (२५) For Private And Personal Use Only दश बैकालिक सूत्र अर्थ सहित रु.२-४-० दश वैकालिक सूत्र मूळ हरिसागर जैन. (६८) ११ सय्यंभवसुरि प्रणीतम्. " 17 " दश बैकालिक सूत्र अर्थ सहित (न्हानुं ) रु. १-८-० दश बैकालिक मूळ, अर्थ, भावार्थ सहित रु २-४-0 ( १३५, ३४२ ) Page #206 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir [दान दश वैकालिक सूत्र टीकार्नु भाषान्तर. भा. १-२-३-४ नियुक्ति, टीका अने भाष्यना आधारे संपूर्ण सरळ भाषान्तर मुनि माणेक. सं. १९७८ भा. २ जो. रु. १-४-० (१२) भा. ३ जो. रु. ०-१२-० (१२) दश वैकालिक सूत्र मूळ शब्दार्थ नामा हिन्दी भाषान्तर साथे (छपाय छे) (४७) (सिरि) दश वेआलिअ-सुत्त. (श्री दश वैकालिक सूत्र मूळ ) श्री शय्यंभव सूरि विनिर्मित सं. १९८० (४३) दश वैकालिक सूत्र. (हारिभद्री टीकासहित) रु.१०-०-० शय्यंभव सरि. वृत्ति. हरिभद्रसूरिकृत बृहत्. वृत्ति, भद्रबाहु विरचित. नियुक्ति युक्तम्. ११६९ दक्षिण महाराष्ट्र जैन सभाका. १४ अधिवेशन (दि.) सभापतिका व्याख्यान. ११७० दादासावकी पूजा. रु. ०-१-० (६८) ११७१ दादासाहेब रत्नप्रभसूरि पूजा. (६८) ११७२ दानकल्पद्रुम. (धनाचरित्र ) सोमसुंदरसूरि शिष्य. जिन कीर्तिमूरि विरचित. सं. १९६८ (१६) ११७३ दान कुलक. (जुओ कुलक संग्रह. १७ वाळो) १९७४ दान छचिसा. रु. ०-०-६ (६८) ११७५ दान छत्रीश. रु. ०-४-० ११७६ दान प्रकाश. कनककुशलगणि रु. १-६-० (३२) ११७७ दान प्रदीप. (पाना) चारित्र रत्नगणि उपाध्याय, रचन सं. १४९९ सं. १९७४ पृष्ट २०० शो. चतुरविजय (१७) ११७८ दानवीर मानीकचंद (माणेकचंद) रु. १-८-०(८१) ११७१ दानवीर रत्नपाल. सं. १९६४ रू. ०-८-० (१४३) For Private And Personal Use Only Page #207 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir दान) .. १०२ [ दीवा १९८० दानादि कुलकत्ति . गद्य पद्य. रु. ६-८-०(३२) ११८१ दानादि कुलकानि. (९०, ८४) दानादि कुलकत्ति. लाभकुशलगणि कृत. रु. ६-०-० (३२) ११८२ दिगंबर जैन अने जैन पत्रना आल्बम् (चित्रमाळा) ११८३ दिगंबर जैन ग्रंथकर्ता ओर उनके ग्रन्थ हिन्दी. रु.०-३-. (२७७) ११८४ दिगंबर जैनोनुं प्राचीन साहित्य. ( २३३) ११८५ दिग्पट चोरासी बोल. जुओ प्रकरण रत्नाकर. भा. १ लो. ११८६ दिनशुद्धि रत्नशेखरकृत (जुओ आरंभसिद्धि उदयप्रभदेव सूरि विरचित) ११८७ दिनशुद्धिनी टीका. विश्वप्रभा. कर्ता रत्नशेखर टीका. द. शेनविजय. सं. १९८० मा. गु. ज्योतिष. ११८८ (दिवाली भेट ) जैन पत्र. ( महावीर निर्वाण) आठमा वर्षनी भेट. (जैन) (२७८, ४४) ११८९ दिव्य ज्योर्तिदर्शन. जैन ध्यानयोगविधि. योजक लालन. (गुजराती) (१०९) ११९० दीक्षाकुमारी प्रवास. रु. १-०-० (१४३) ११९१ दीप उत्सवादि संग्रह. रु. ०-२-० ११९२ दीपमालिका व्याख्यान. गर्मित. वीर स्तोत्र. जिनवल्लभ सूरिकृत. समयसुंदरोपाध्यायकृत वृत्ति सहित. प्रा. सं. रु. ०-८-० ११९३ दीवाळीकल्प संस्कृत (पाना) रु. ०-१२-० ११९४ दीपालिका कल्प. सं. (५०) ११९५ दीवाळीनी पत्रिका. पृष्ट १४ सं. १९७८ ११९६ दीवाळीनुं स्तवन लघु (जुओ देवचंद्र भा. २ वि. १) For Private And Personal Use Only Page #208 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir दीवाळी] १०३ [देवचंद्र ११९७ दीवाळी स्तवन मूल तथा भाषान्तर सहित. पद्मविजयकृत (भेट) गुजराती रु. ०-०-६ (६३) ११९८ दीक्षाकुमारी. रु. १-०-० , प्रवास भा. १ लो. गुजराती रु. २-०-० " " भा. २ जो. ११९९ दीक्षाविधि व्रतविधि. (पाना) रु. ०-४-० (१२) १२०० दुकाळ छपनानां गायन. (२७९) १२०१ दुनियानो सौथी प्राचीन धर्म. भा. १ लो रु. १-४-० सं. १९५९ (३४३) १२०२ देलवाडा मेवाड. हिन्दी. रु. ०-०-६ (२६१) १२०३ देवकीजीना षट् पुत्रनो रास. तथा मूर्ख मनुष्यना अपल क्षणनो संग्रह. सं. १९५७ रु. ०-२-० (७) १२०४ देवकुल पाटक. ले. विजयधर्मसूरि. इ. १९१६ (६७) १२०५ देवगुरु वंदनमाला. रु. ०-१-० (६८) १२०६ देवगुरु वंदनादि विधि संग्रह. भेट. (६७) १२०७ (श्रीमद् ) देवचंदजी अने तेमनुं जीवनचरित्र. बुद्धिसागर सरि. (१५, ५८ थी ६२, १८४) १२८८ (श्रीमद् ) देवचंदजी निर्वाणरास. (जीवनचरित्र) ले. पादराकर. (१५, ५८ थी ६२, १८४) १२०९ देवचंद्र भा. १ लो. पृ. १०२८ रु. २-०-० १२१० देवचंद्र भा. २ जो. विभाग १ लो तथा विभाग २ जो. ग्रं. ५३ बुद्धिसागरसूरि ग्रन्थमाला. पृ. १२०० रु, ३-८-० (१५, ५८ थी ६२, १८४) १२११ देवचंद्रजीकृत चोवीशी. अर्थ सहित. रु. ०-६-० For Private And Personal Use Only Page #209 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra देवचंद्र ] १०४ [ देवभ १२१२ देवचंद्रजीकृत चोवीशी. कि. अमूल्य, बालावबोध. वीशीगत चोवीशी तथा ध्यानदीपिका सहित छपावी प्र. कर्ता. (१०३) इ. १९१५ " www.kobatirth.org १२१३ देवचंद्रजीकृत स्नात्रपूजा रु०-१-० १२१४ देवचंद्रजीनी चोवीसी. बालावबोध युक्त. रु. १-८-० १२१५ देवचंद्रजी कृत कर्मग्रंथ. १-२ विवरण हि० (३९) १२१६ देवचंद लालभाई जैन. पु. फंडना रीपोर्ट. सं. १९६४ थी ६८-६९-७०-७१ थी ७७ सुधी, (१) १२१७ देवद्रव्य भेट (६) १२१८ देवद्रव्य निर्णय. देवद्रव्यका शास्त्रार्थ संबंधी पत्रव्यवहार और संक्षपमें देवद्रव्यका साररूप निर्णय. मुनि मणिसागर मुल्य नथी, इन्दोर. (५०) १२१९ देवद्रव्य संबंधी मारा विचारो पत्रिका न. १-२-३-४ ले. विजयधर्मसूरि. इ. १९२० (४७) १२२० देवद्रव्यादि सिद्धि. ले. लब्धिविजय हिन्दी. (३४४, ९५ ) भा. २ जो हिन्दी ( ७०५३ ) भा. ३ जो भा. ४ थो 19 "" १२२१ देवधर्म परीक्षा देवनुं स्वरूप, स्वरुप मूळ सूत्रोथी समर्थन " " " Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir " " ( ७०५४) प्रतिमा पूज्य छे, ते धर्मनुं कर्तुं छे. संस्कृत यशोवि (६) ܕܪ जयजी कृत ग्रंथमाळामां बीजे नंबरे छपायों छे. १२२२ देवपरीक्षा. प्रथम विभाग रु. ०–०–६ (४८) १२२३ देवभक्तिमाला देवविजयजी (भेट) सं. १९७६ (२५,१७) १२२४ देवभक्तिमाला प्रकरण. गुजराती. आचार्य विजयकमल सूरिनुं जीवनवृत्तान्त छे. की. लखी नथी. रु. १-०-० पंडित देवविजयजीकृत (केसरविजयवाळा ) (१७) For Private And Personal Use Only Page #210 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir देववं] [देविन्दु १२२५ देववंदन चोवीशी भेट. देवचंद्रगणि. (सुखसागर) (३४५) १२२६ देववंदन निर्णय पताका, धनविजयजी कृत (मरुधर साय. लाना संघे प्रसिद्ध कर्यो. अपरनाम जाळस्तवे द्रव्यस्तव फर्तक जैन शास्त्रविरुद्ध पीतांबर नवीनपंथी श्री सुरत सं. " अगत्य ठराव खंडन" सं. १९६० (७१) १२२७ देववंदनमाला. रु. ०-१२-० (६७) १२२८ देववंदनमाला. (गुजराती) रु.१-४-० शास्त्री. रु.१-०-० १२२९ देववंदनमाला भेट. ले. राजेन्द्रमूरि ज्ञानपंचम्यादि सं. १९७६ अलभ्य. (३७) १२३० देववंदनविधि गुजराती दीवाचो फाटी गयो छे. (५०) १९३१ देववंदन स्तुति स्तवन संग्रह. पृ. ४७० बुद्धिसागरसरि रु. ०-६-० (१५, ५८ थी ६२, १८४) १२३२ देववंदनादि भाष्यत्रयम् देवेन्द्रसरि विरचित, सोमसुंदरसूरि विरचित अवचूरि सहित सं. १९६९ रु. ०-८-० १२३३ देववंदनादि विधि संग्रह भेट. (६७) [(१७, ५०) १२३४ देवविनोद पदो तथा ध्यानादि. पं. देवविजय पृ. १५० रु. १-०-० (२५) १२३५ देवभक्तिमाळा प्रकरण (विजयकमळ सूरिनुं जीवनचरित्र) (आत्मारामजीवाला नहि ) की. नथी (३४६) १२३६ देवसीराइ प्रतिक्रमण रु. ०-३-० गु० (१६) देवसीराइ प्रतिक्रमण सूत्र. प्रा. हिन्दी. देवसीराइ प्रतिक्रमण सत्रार्थ रु. ०-४-० १२३७ देवानंदाभ्युदय महाकाव्यम् महोपाध्याय, मेघविजयगणि विरचित. माघकाव्यनी पादपूर्ति छ. सं. १९६९ (१४) १२३८ देविन्दु स्तवपयन्ना. (जुओ दशपयन्ना) १२३२ देवववचित अवनि भेट. (६७ For Private And Personal Use Only Page #211 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir [दंडक १२४३ दशाशाखार्थ, हिन्दी ४-० (३४७ पोषसूरि प्रणं देवेन्द्र ] १०६ १२३९ देवेन्द्र नरेन्द्र प्रकरण. रु. ०-१२-० (१७) १२४० देशना शतक अर्थ सहित. रु. ०-२-० १२४१ देशना संग्रह. (५०) १२५२ देशी नामवाळा. ( हेमचंद्राचार्यकृत) (१४३) १२४३ देशोन्नतिनो सरल मार्ग. जैनेतर. ०-३-० सं. १९६३ १२४४ देहली शाखार्थ. हिन्दी इश्वरकर्तव्य, तीर्थकर, सर्वज्ञत्व खं. डण विषयक रु. ०-४-० (३४७,५०) १२४५ देहस्थिति स्तव (पाना) रु. ०-१-० धर्मघोषसूरि प्रणीत श्री आत्मानंद ग्रंथमाळा. आत्म संवत १६ सं. १९६८ जीवाभिगम सत्रमांथी उद्धृत सर्व जीवोनुं जघन्योत्कृष्ट देह प्रमाणनुं वर्णन कर्यु छे. प्रवर्तक श्री कान्तिविजय शिष्य चतुरविजय मुनिए सुरतमां रहीने शुद्ध कयों. प्रा. (अलभ्य) (३४६, १७) १२४६ दोषकत्ति सं. सह प्रा. (साधु साध्वीने भेट) रु. ०-६-० (३४८, ३४९, ५०) । १२४७ दोलतविलास. (जुओ जैन ग्रन्धरत्नाकर अंग त्रीजो ) १२४८ दंडक (जुओ प्रकरण लघु संग्रह) १२४९ दंडक (हिन्दी अर्थ साथे )(३९) १२५० दंडक प्रकरण गजसार मुनिकृत. रुपचंदमुनि टीका. सं. १९७२ रु. ०-२-० (२२९) १२५१ दंडक विचार वृत्ति. (भाषान्तर साथे) (१७) १२५२ दंडक प्रकरण सटीक पाना गजसार मुनिकृत. रु. ०-२-० , ,, गुजराती को. नथी. (१७, ५०) [(३२) १२५३ दंडक बालावबोध. (अमदावादनु) रु. ०-६-०। १२५४ दंडक तथा लघु संघयणी. बालावबोध, की. नथी. सं. १९५२ (७, १०) For Private And Personal Use Only Page #212 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १२६० द्रव्यशादालाल नरभेराम भटामुक्त. गुर्जर-भा दंडक ] १०७ [ द्रव्या १२५५ दंडकविचार वृत्ति. मूळ तथा अवचूरि. रु.०-८-० (१७) १२५६ दंडकादिद्वार संग्रह. गु. प्रा. रु. ०-५-० १२५७ दंडकादिद्वार संग्रह विगेरे. गजसारमुनि वगेरे. ४१ द्वार छे रु. ०-५-० (२५७, ९५) १२५८ दृष्टान्त रत्नावली. गद्य पद्य. रु. १-४-० (३२) " , रु. १-२-० १२५९ दृष्टान्त शतक भाषान्तर कथायुक्त. गुर्जर-भाषान्तर कर्ता छोटालाल नरभेराम भट, रु,०-१०-० (३५०,३५१) १२६० द्रव्यगुणपर्यायनो रास. (जुओ प्रकरण रत्नाकर भा.१लो) द्रव्यगुणपर्यायनो रास. यशोविजयजी उपाध्यायकृत, भा. वार्थ अने विवेचन समेत. पृ. ३५० रु. ०-८-० (७४, ३५२) १२६१ द्रव्य गुणपर्यायनो रास, रु. १-४-० १२६२ द्रव्यप्रकाश. र. सं. १७६७ पोस वद १३ बीकानेर चो मासु सं. १७६६ नुं कर्याबाद ( जुओ देवचंद भा. २ वि. १) १२६३ द्रव्यप्रदीप प्रवर्तक मंगलविजयजी. सं. १९७७ (१७,४७) १२६४ द्रव्यलोक (लोक प्रकाशमांथी ) पाना रु. ७-८-० १२६५ द्रव्य सप्ततिका मूळ अने छाया साथे. (५०) , , अर्थ युक्त लावण्यविजयजी विरचीत. सं. १९५८ मूळ टीका तथा बनेनां भाषान्तर युक्त, की. नथी. (६) १२६६ द्रव्य सित्तरी टीका अर्थ युक्त. रु. ०-६-० १२६७ द्रव्यानुभव रत्नाकर हिन्दी. रु. २-८-० (७७) " " सचित्र. रु. २-८-० (९) For Private And Personal Use Only Page #213 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir न्या] [दाय १२६८ द्रव्यानुयोग तर्कणा चिदानंदकृत भोजकवि विरचित व्या करणाचार्य पंडित ठाकुरप्रसाद शर्म प्रणीत हिन्दी भाषा नुवाद सहित. सं. १९६२ रु. २-०-० (३२५) १२६९ द्रव्यानुयोग प्रवेशिका द्वितीय ज्ञान सुंदर हिन्दी. रु. ०-४-० (३५४) १२७० द्रव्यानुयोग प्रथम प्रवेशिका ज्ञानसुंदरजी हिन्दी. (६८) , द्वितीय ,, , रु. ०-२-० (६८) १२७१ द्रव्यानुशासन विगेरे. (५०) १२७२ द्रौपदी स्वयंवरम् शो. मुनि जिनविजय प्र, कांतिविजय जैन इतिहास माला पंचमपुष्प, रु. ०-२-० (१७, ७०) १२७३ द्रौपदी स्वयंवर नाटक. रु. ०-४-० (१७०) १२७४ द्वात्रिंशद् द्वात्रिंशिकान्तर्गत एक विशतिका. (जुओ सिद्ध सेन दिवाकर ग्रन्थमाला) १२७५ द्वात्रिंशद् द्वात्रिंशिका सटीक (पाना ) रु. १-८-० यशो विजय. सं० (६) १२७६ द्वात्रिंशत् पुत्तलिका. (५०) १२७७ द्वात्रिंशद् द्वात्रिंशिका. (५०) १२७८ द्वादशपर्वी कथा प्रति भेट. (३५५) १२७९ द्वादशपर्वी व्याख्यान क्षमाकल्याण कृत. (५०) १२८० द्वादशपर्व व्याख्यान रतलाम निवासी शेरसिंह. रु. १२८१ द्वादशव्रत पूजा अर्थ युक्त. रु. ०-६-० [०-८-० १२८२ द्वादशव्रत पूजा संग्रह अथे अने दृष्टान्त युक्त. रु. ०-८-० १२८३ द्वादशानुप्रेक्षा (प्रत) रु. ०-८-० [(१६३) १२८४ द्वाश्रय महाकाव्य संस्कृत पूर्वाध. हेमचंद्राचार्य कृत अभय तिलक गणि विरचितया टीका समेतम् मूळ १ यी १० For Private And Personal Use Only Page #214 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir द्विरुप] [धनंजय सगे. इ. १९१५ रु. ९-०-० (१६८, ३५७, ६२९) भा. २ जो. रु.९-०-० (१६८, ३५७, ६३९ ) मा. " , भाषान्तर मूळ संस्कृत उपरथी. भा. क. मणिलाल नभुभाइ. सं. १९४९ गु. रु. १-८-० (२७) १२८५ द्विरुप कोश पुरुषोतम देव प्रणीत (जुओ अभिधान संग्रह भा. १लो) १२८६ द्विसंधान महाकाव्यम् श्री धनंजय विरचितं बदरीनाथ वि. . रचितं टीका सहित. रु. १-८-० १२८७ धनचंद्र सूरिका जीवनचरित्र यतीन्द्र विजय हिन्दीसं. १२८८ धनदचरित्र गध. रु. ०-१२-० (३२) [ १९७९ (३७) १२८९ धनपाळ अने देवी कल्याणीनो आत्मोत्सर्ग. बौद्धना समयनी अतिहासिक नवलकथा भाषा डाह्याभाइ हीमतलाल. रावत वडोदरा, (पु. र. मुं जैनेतर.)(३५८,३५९) १२९० धनपाल चरित्र. हिन्दी. रु. ०-१-६ १२९१ धनफाळ पंचाशिका (टीका अर्य युक्त.) अवचुरि तथा अर्थ युक्त मूळ प्राकृत तेनी गुजराती अनुवाद पण छे. संस्कृत छाया अने टीका. गुजराती अनुवाद पण छे. रु. ०-३-० (६) १२९२ धनसार अघटकुमार चोपाइ धनविजय उपाध्याय, रु. ०-३-० (३७) १२९३ धना शालिभद्रनो रास पंडित जिनविजय विरचित सुपात्र दान विषय. सं. १९६३ रु. १-४-० (७) १२९४ धनंजय कोष अनुवाद सहित. रु. ०-६-० दि. For Private And Personal Use Only Page #215 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra " धन्ना ] ११० [ धम्मिल १२९५ धन्ना चरित्र श्री जिनकीर्ति सूरि विरचित. की. नथी. रु. मतिशेखर कृत. ( १ ) [ ०-३-० (६) धन्य कथानकम् गद्यबंध. ( पाना ) रु. १०-०-० ज्ञानसागर गणि संस्कृत प्रति २९६ पान. C "7 दया वर्धनजी रु० - २-० (१) १२९६ धन्य चरित्र पूर्वार्ध कर्ता ज्ञानसागरगणि. रु. ४-०-० ( १६, १ ) उतरार्ध ܕ 99 ( १६, १ ) " ܕ ०-१०-० (१७८ ) 99 १२९७ धन्यकुमार चरित्र भाषान्तर अंतर्गत शालिभद्र चरित्र भा - पान्तर कर्ता रतिलाल गीरधरलाल बी. ए. ज्ञानसागर गणि विरचित. रु. २ -८-० सं. १९७८ (६, ९५ ) १२९८ धर्म रत्नाकरम् सटीक भा. १ लो. वर्धमान सूरि ( ३२ ) भा. २ जो. ( ३२ ) १२९९ धम्मिल कथा पाना. ( रत्न ४१ ) इह लोकार्थ तप प्रभावे आ कथा ले. सं. १९७१ रु. ०-२-० (६, १७,६०) १३०० धम्मिलकुमार चरित्र भा. १ लो. अचळ गच्छाचार्य जयशेखर मूरि विरचित लालचंद नागजीभाइ शाह. रु. " 19 " www.kobatirth.org " १३०१ धम्मिल कुमारनो रास पंडित श्री वीर विजयजी विरचित, इ. १८९६ रु. ०- १२-० १३०२ धम्मिलचरित्र संस्कृत ( पाना ) रु. ३-०-० (३२) भाषान्तर द्वितीयो भाग. (३२, १७८ ) त्रीजो भाग. ( ३२, १७८ ) चोथो भाग ( ३२, १७८ ) ?? Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ܕ "" रु.४-०-० For Private And Personal Use Only Page #216 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra १११ धर्म ] १३०३ धर्म आह्लाद. रु. ०–४–० १३०४ धर्म कल्म (प्रत ) मृ. कर्ता www.kobatirth.org [ धर्मप उदयधर्मगणि विरचित. दान, शील, तप, भाव उदाहरण सहित (गुं. नं. ४०) सं. १९७३ रु. १-०-० ( १, १६ ) १३०५ धर्म गीतांजली धर्म नीति ग्रंथावली. ( ३ ) रचयिता मुनि श्री न्याय विजयजी. अमूल्य ( ३६० ) १३०६ धर्म. चर्चा संग्रह हिन्दी दिगंबरी. रु० ०–८–० १३०७ धर्म जीज्ञासु अकबर अने आचार्य हीरविजयसूरिजी रु. २-८-० (३६१ ) १३०८ धर्म तत्व भास्कर याने जैन धर्म संबंधी कायदो अपरनाम धर्म आल्हाद ' ( दि. ) (३६२, ७१ ) १३०९ धर्म देशना ( धर्मविजयसूरि ) सं. १९७४ ( १७ ) १३१० धर्मना दरवाजाने जोवानी दिशा अथवा तत्वातत्व विचार. श्री आत्मारामजी महाराजकृत. सं. १९६४ रु. ०-५-० ( ३६३ ) १३११ धर्मनो दरवाजो जोवानी दिशा रु. ०-८-० १३१२ धर्म परीक्षा, रु. ०१२-० (१७) प्रति. १३१३ धर्म परीक्षा कथा. मूळ कर्ता पद्मसागरगणि. र. सं. १६४५ संस्कृत. (१६) श्वे. ܕܕ " Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पाटण हेमचंद्राचार्य सभा, सं. १९७८ (२६) भा. १ लो भा. २ जो. हिन्दी. अमितगति आचार्य कृत. (दि.) (५०) 77 १३१४ धर्म परीक्षानो रास अर्थ सहित रु. २-२-० सं. १९३४ ( ३६४ ) १३१५ धर्म परीक्षा प्रकरण जिनमंडन गणि उपाध्यायकृत. सं. १९७४ ( १७ ) For Private And Personal Use Only Page #217 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir धर्मम] ११२ [ धर्मर १३१६ धर्म प्रदीप स्तवनादि मंगलविजयजी (४७, १४ ) १३१७ धर्म बिन्दु प्रकरण मू. क. हरिभद्रसूरि. टी. मुनि चंद्रसूरि. ___रु. ०-१२-० (२८, १६, १) १३१८ धर्म बिन्दु हरिभद्र भा. १ लो. अध्याय १-२ चालु. रु. _____०-१२-० (२९) १३१९ धर्म बिन्दु हरिभद्रसूरि विरचित, मूल, टीका अने भाषा न्तर सहित. सं. १९५१ १३२० धर्म बिन्दु ग्रन्थ, मूल, टीका अने भाषान्तर साथे. हरि भद्रसरि विरचित. अलभ्य रु. २-८-० (१७,६३) १३२१ धर्मबिन्दु भाषान्तर. रु. २-८-० ,, ,, म. न. दोशी. संस्कृत रु. २-०-० १३२२ धर्म बिंदु प्रकरण. मुनिचंद्राचार्य, कृत वृत्ति युक्त. रु. ___ ०-१२-० (२८) १३२३ धर्म बुद्धि (मंत्रि) पापबुद्धि (राजा) नो रास. पंडित उदयरत्नकृत. रु. ०-३-० (१२९, ६३) १३२४ धर्म महोदयम्. रत्नविजय विरचित. रु. ०-२-० (१४) १३२५ धर्म रत्न प्रकरण सार माणेकमुनिजी. हिन्दी का. (१२, ७१) १३२६ धर्म रत्न प्रकरण भा. १ लो. रु. २-०-० (१४३) देवे न्द्रसरि विरचित. , भा, २ जो. रु. १-८-० (१४३) , " भा. ३ जो. रु. १-०-० (१४३) , ___आ त्रणे भाग मूळ अने गुजराती छे. १३२७ धर्म रत्न करंटिका. भा. १ लो (पाना) रु. ७-८-० " " भा. २ जो (पाना) रु.७-८-० For Private And Personal Use Only Page #218 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ११३ १३२८ धर्म रत्न प्रकरण, शानि-सूरि मलिन, स्वोपत्रवृत्ति समेत. सं. १९७० (अलभ्य) (पति) रु. १-०-० (१७) १३२९ धर्म रत्न मंजुषा भा. १ लो. (पाना) देवविजयगणि. रु. ४-८-० (३२) धर्म रत्न मंजुषा भा. २ जो (पाना) रू. ६-१२-० देवविजयगणि. (३२) , ,, भा. ३ जो. (पाना) रु.६-१२-० ,, (३२) १३३० धर्म लावणी. चम्पारामकृत. सं. १९६१ रु. ०-६-० हि. (३६६, २८३, १४) १३३१ धर्म विलास. संस्कृत कथाओ. मतिनंदजी वाचनाचार्य रु. १-०-० (३२) १३३२ धर्मविजयजी जीवनवृत्तांत. ले. मुनि विद्याविजय. (३६७, ४७, ५०) १३३३ (श्रीमान् ) धर्मविनयजीना विचारोनी समीक्षा. ले. राम विजय. (३६८) १३३४ धर्मविलास श्री मतिनं जी रु. १-०-० (३२,५०) १३३५ धर्मवीर कुमारपाळ सं. १९७९ रु. १-४-० (३६९) १३३६ धर्मशर्माभ्युदय. काव्य सस्कृत. महाकवि श्री हरिचन्द्र विरचितम् रु. १-०-० (१०) १३३७ धर्मशिक्षा. न्यायविजयजी हिन्दी. रु. १-०-० (४७) सं. १९७१ . १३३८ धर्मसंग्रह पूर्वार्ध मूळकर्ता मानविजय उपाध्याय रु.१-०-० सं. (१६) , उत्तरभाग , " " " ९. रु. १०४-० र, सं. १७३१ (सं. गं. नं. ४५) (१६) For Private And Personal Use Only Page #219 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir धर्म] [धर्म १३३९ धर्मसंग्रह श्रावकाचार ( भाषानुवाद ) रु. २-८-० भा. उदयलाल काशलीवाल केठारा (७१) १३४० धर्म संग्रहणी भा. १ लो. मूळकर्ता हरिभद्रसूरि. टी. मल यगिरि आचार्य (सं. ग्रं. नं. २९) रु. १-८-० (१६) ,, , भा. २ जो. मूलकर्ता. हरिभद्रसूरि. टी. मलय. ___गिरि आचार्य, (नं. ४२) रु. १-४-० (१६) १३४१ धर्मसभानु धर्तिग. १३४२ धर्म सर्वस्वाधिकार अने कस्टरी प्रकरण अर्थ सहित. र त्नशेखरसूरिजी अने हेमविजयगणि रु. ०-८-० रु. ०-१२-० १३४३ धर्मसिंहजी अने धर्मदासजी ले. हर्षचंद्रजी दरियापुरी संप्र दाय. (दुढीयांनु) अमूल्य. (प्र. ३७०) १३४४ धर्मसंग्रह. भा. १ लो. मानविजयगणि विरचित. सं. १९६१ (१४२, १४३, ५०) .. भा. २ जो. ., " " 5 पूर्वार्ध. उ. मानविजयजी रु. १-०-० (१६) ,, उत्तरार्ध. , रु. १-४-० (१६) १३४५ धर्मसंग्रह. उत्तरभाग यशोविजयजी महोपाध्याय. (१०,२२) , (३७१) ६ धर्म संग्रहणीं. भा. १ लो (५०) , भा. २ जो (५०) १३४७ धर्म संग्रह भा. १ लो भाषान्तर सहित. रु. १-०-० १३४८ धर्म संग्रहणी. पूर्ध रु. १-१-० हरिभद्रका, मलयगि रिनी टीका. (१६) , उत्तरार्ध रु. १-४-० " ., (१६) For Private And Personal Use Only Page #220 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir धर्मा) [घुपद १३४९ धर्माभ्युदय नाटक. मेघप्रभाचार्य विरचित. सं. १९७४ रु. ०-४-० (१७) १३५० धर्मामृत रसायन. दे. नं. ७ १३५१ धातुप्रतिमा लेखसंग्रह. भा. १ लो. बुद्धिसागरमरि. रु. १-०-० (१५, ५८ थी ६२, १८४) , , भा. २ जो. " १३५२ धातु रुपावली. (१०, ५०) १३.३ धातु संग्रह विवेचन. गुजराती. (५०) १३५४ धार्मिक गद्य संग्रह तथा सदुपदेश. भा. १ लो बुद्धिसागर _सरि. पृ. ९७६ रु.३-०-० (१५,५८ थी ६२,१८४) १३५५ धूर्ताख्यान. रु. ०-३-० १३५६ धूर्ताख्यान. गुजराती भाषामां शुद्ध करी मुंबई मध्ये ग्रंथ सागर प्रेसमां छाप्यो. किंमत लखेली नथी (७१) .१३५७ ध्यान छत्रीसी. (जुओ, क्षमाकुलकादि संग्रह) १३५८ ध्यान दीपिका. पं. केसरविजय. (ध्यान स्वरुप ) रु. १-४-० (२५) । १३५९ , , चतुष्पदी. र. सं. १७६६ वैशाखवद १३ मुलतान पंजाब (जुओ देवचंद्र भा. २ कि. १) १३६० ध्यानविचार. (ध्याननु स्वरुप.) भेट. (१७) १३६१ ध्यानविलास. ( हुकममुनि) १३६१ अ. ध्यान स्वरुप अध्यात्मगीता सं. आत्मसमाधि शतक. सं. धुद्धिसागरसूरि. (१५, ५८ थी ६२, १८४) १३६२ ध्यानानंद कुतर्क तिमिर तरणी. रु. •-६-० १३६३ ध्रुपद स्तवन जुओ. ( देवचंद्र भा. २ वि. १) For Private And Personal Use Only Page #221 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नंदी ११६ [नयचक्र १३६४ नंदी सूत्र मूल पाठ देवऋद्धिगणि क्षमाश्रमण प्रणीत. (६८) १३६५ नंदी सूत्र. तदुपरि मलयगिरि कृत. टीका-तदुपरि भाषा बालावबोध समेत सं. १९३६ बाबु धन. (२४) १३६६ नमस्कार महात्म्य सिद्धसेनसरि. ( ३२, २२) १३६७ नमस्कार महात्म्यम् अने योगप्रदीप सिद्धसेनसूरि.(३२,५०) ,, , अने कूर्मापुत्र चरित्र. रु. ०-२-० (६) १३६८ नमिनाथ चरित्र. (त्रि. प. पु. चरित्रना छेल्ला भागमा छाप्यु छ. अगीआरमा सर्गमां) संस्कृत हेमचंद्राचार्य प्रणीत १३६९ नमोक्कारने करेमिभंते. सं. १९७९ ( २६, ६३, ३७२) १३७० नयकर्णिका. मूल संस्कृत कर्ता विनयविजयजी भाषान्तर विवेचन कर्ता फतेचंद क. लालन अने मोहनलाल द. देशाइ. मूळ कर्ता विक्रम अढारमी सदीनो पूर्वार्ध सं. गु. ( नय-एटले दृष्टिविन्दुनु सामान्य ज्ञान) मेघजी हीरजी तथा भारत जैन विद्यालय. फग्युसन रोड पुना. (१०९, १०४) रु. c-६-० १३७१ नयकर्णिका. Naya Karnika. मूलनुं अंग्रेजीमां भाषान्तर तथा विवेचन कर्ता. मोहनलाल द. देशाइ इ. १९१५१६ सं. अंग्रेजी धी सेन्ट्रल पब्लीसींगहाउस. आरा. जैन गेझेट ओफीस मद्रास. १३७२ नयचक्र (जुओ देवचंद्र भा. २ वि. १ लो) १३७३ नयचक्र सार. देवचंद्रजी कृत (जुओ प्रकरण रत्नाकर भा. १ को) For Private And Personal Use Only Page #222 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नया ११७ [नर्मदा १३७४ नयप्रकाशस्तव वृत्ति (पाना) पद्मसागरगणिकृत. रु. ०-३-० (३७, ६३, २६, ५०) १३७५ नयप्रकाशकस्तव वृत्ति. पद्मसागरगणिकृत. रु. ०-६-० (३७२, ६३, २६) १३७६ नयप्रदीप. सप्तभंगी समर्थन करी स्याद्वाद शी वस्तु छे. ते अने द्रव्यार्थिकना दश मुद्दा जणाव्या छे. सं. १६६५ (१४, ६, १०) ,, (जुओ यशोविजयजी ग्रन्थमाळा. (सभा)) १३७७ नयमार्ग दर्शक. (सात नयन स्वरुप ) भेट. (१७) १३७८ नयरहस्य. नयोर्नु अन्योन्य विरोधपणुं नथी ए वात बहु दृष्टान्तो अने हेतु युक्तिथी सारी रीते समजाची छे. सं. १९६५ (१४, ६, १०) १३७९ नयरहस्य. ( यशोविजयजी ग्रन्थमाला. (सभा) १३८० नयोपदेश सावचूरि. सं. १९६५ संस्कृत, द्रव्यार्थिक अने पर्यायार्थिक नयनुं स्वरुप बतावी सर्व नयनो सिद्धान्त बताव्यो छे. स्वोपज्ञ टीकायुतम् (१४, ६, १०, ३७३, ३७४) नं. (६) १३८१ नयोपदेश. सावचूरि (जुओ यशोविजयजी ग्रन्थमाला सभा) १३८२ नरनारायणानंद महाकाव्यम् श्री वस्तुपाल विरचित(१३८) १३८३ नरभव दृष्टान्तोपनयमाला. नयविमलगणि (ज्ञानविमलमूरि) कृत रु. १-०-० (७३, ५०, ३७५) १३८४ नरचंद्र जैनज्योतिष. भा. १-२ प्र. (३७६) रु.१-४-० १३८५ नरमेघयज्ञमीमांसा समालोचना हिन्दी. १३८६ नरवर्मा चरित्र. (पाना) रु. १-०-० (३२, ५०) १३८७ नर्मदासुंदरी शीलमहात्म्योपरि (वसुदेव हिंडीमांथी उधृत) For Private And Personal Use Only Page #223 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ११८ [नवतत्व , कथा. (पाना) रु. ०-४-० गु. (५०) , सती शिरोमणी. गु. रु. ०-२-० (३७७, ३७८, ५०) , नो रास. पंडित मोहनविजय विरचित. रु. ०-१२-० (७, ५०) १३८८ नळदमयंती नाटक. डीबाचो फाटी गयो छे. (७१) १३८९ नळदमयंती उपाख्यान. विनयचंद्रसूरि विरचित. अपरनाम महासत्या दवदन्याश्चरितम् ( ३८०, ३७९, ५०) १३९० नवओळीनी विधि. तथा सिद्धाचलनो रास. विगेरे. रु. . ०-४-० ( ३८१, ३८२, ७१) १३९१ नवकार महात्म्य ध्यान. प्रदीप. (पाना) रु. ०-१२-० १३९२ नवकार मंत्र संग्रह. रु. ०-२-० १३९३ नवकार मंत्रनी चमत्कारिक कथा विगेरे (३८३) १३९४ नवग्रह शान्तिनुं हिन्दी भाषान्तर. रु. ०-१-६ (२०१) १३९५ नक्तत्व (जुओ प्रकरण लघु संग्रह) १३९६ नवतत्त्व प्रकरण. देव गुप्ताचार्य प्रणीत. मू. प्रा, टी. सं. - अभयदेवमूरिनी अलभ्य. रु. ०-१२-० .सं. १९७० (१७, १२) १३९७ नवतत्व गाथाओना छुटा शब्दोना अर्थ सहित. तथा छुटा बोल सहित. रु. ०-८-० (१८१) १३९८ नवतत्त्वना प्रश्नोत्तर रु. २-०-० १३९९ नवतस्वनो सुंदर बोध. अवचूरि सहित. भाषांतर साथे. रु. १-०-० (१७) १४०० नवतत्त्व बालावबोध. रु. ०-१२-० १४०१ नवतत्व भाज्य. (१७) For Private And Personal Use Only Page #224 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org नवतत्व ] ११९ [ नवस्म १४०२ नवव सविस्तरार्थ ( विजयने मिसूरि ) यन्य परिशिष्ट. टिप्पण्यादि विभूषितः रु. ४-०-० (३८५, ३८६, ११, ९५ ) १४०३ नवतच्च साहित्य संग्रह. भा. १-२-३-४ उदयविजयसूरि नेमिसरि शिष्य. पांच जातनां नवतश्व छे, सं. प्रा. गुर्जर भाषारूप सानुवाद. (११, ३८५, २८६ ) Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १४०४ नवतत्त्व स्वरुप रु०-४-० १४०५ नवतत्त्व सभाष्यवृत्ति (५० ) १४०६ नवतत्त्व संक्षिप्तसार. गु. रु. ०-२-० (१७, ३२६, ५०) १४०७ नवतच हिन्दी भाषान्तर साथै, ( २२८. ७१ ) " १४०८ नवपद पूजादि संग्रह. हिन्दी. (प्र.) डा. गांधी कोदरलाल छगनलाल मु. वेजलपुर, जिल्ला पंचमहाल. स्टे. खरसालीआ. १४०९ नवपद ओळीनी विधि, रु. ०-१-० १४१० नवपद ओळीनी विधि. बालावबोध. सं. १९६२ रु. ०-४-० ( ५०, ३८८ ) - १४११ नवपद पूजा उलाळा ( जुओ देवचंद भा. २ वि . १ ) १४१२ नवपद पूजादि संग्रह, रु००-१२० (५० ) संपादक. मनसुखलाल हरीलाल (पंचमहाल ) सं. १९६४ बाळबोध टाइप (कींमत नथी) ( ३९० ) 99 १४१३ नवपद महात्म्य. वीसस्थानक आदि तपगुण वर्णन, योजक मुनि कर्पूरविजयजी गु. रु. ०-३-० (१६३) १४१४ नवस्मरण अने गौतमरास. हिन्दी भाषान्तर. सं. १९७९ रु. ०-३-० ( १६, १ ) १४१५ नवस्मरण अने तस्वार्थसूत्र. रु०-४-६ ( १६, १ ) For Private And Personal Use Only Page #225 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १२० नवस्म ] [नाभाक १४१६ नवस्मरण. बालबोध लीपीमां छापेला. सं. १९७९ (३९१) , गुजराती. (५०) शिला प्रेसमां. सं. १९४१ मुंबइमां छाप्यु छे. जगदीश्वर मुद्रालयमां १४१७ नवस्मरण मूल. रु. ०-४-० " " (गुजराती) रु.०-२-० , ,, (हीराचंदवालं) रु. ०-२-६ (१८९) १४१८ नवस्मरण गौतम रास. रु. ०-३-० (१६, १) १४१९ नवाणु प्रकारी तथा नवपदजीनी पूना. रु. ०-२-० १४२० नवाणु प्रकारी पूजा साथे. रु. ०-८-० झवेरभाइ भाइच दनी जीवनरेखा सहित. (१७) १४२१ नवाणु यात्रानो अनुभव, योजक कुंवरजी आणंदजी अमूल्य १४२२ ( नवानगर ) आदि जिन स्तवन. (जुओ देवचंद भा. २ वि १) १४२३ नवीन जैन गरबावली. रु. ०-४-० १४२४ नवीन पंथ दिग्दर्शन उपदेश पद. रु. ०-०-३ (१७१) १४२५ नळदमयंती आख्यान. सं. (१६) १४२६ नळ: मयंती चरित्र. रु. ०-३-० (६) १४२७ नळदमयंती रास (जुओ आनंद काव्य महोदधि मौ. ३जु) " , नयसुंदर कृत ( जुओ आनंद काव्य म. होदधि मौ. ६ ढुं) १४२८ नाकोडा पार्श्वनाथ भेट यतीन्द्रविजय सं. १९७१ अलभ्य. (३७) १४२९ नागपुरीय तपागच्छनी. पट्टावली. ( १८३, ३९२) १४३० नाभाक राजचरित्र मेस्तुंग मूरि. भाषान्तर. रु. ०-५-० (३२) For Private And Personal Use Only Page #226 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra 99 www.kobatirth.org नाममाला ] " "5 १४३१ नाममाला कोष. (१, १६ ) १४३२ नाम लिंगानुशासनम् अमरसिंह कृत ( जुओ अभिधान संग्रह. ) भा. १ १४३३ नामावलि हिन्दी दिगंबरोना पुस्तकोनुं लीस्ट साळवार भाषा ग्रंथोनुं छे. रु. ०-१-० (३९३ ) सं. १९०१ १४३४ नारकीना चित्रो (मोटी ) रु. ० -१२-० (६, ५० ) ( न्हानी ) रु००-८-० (६) ( न्हानी ) रु००-५-० (६) 39 45 "" १४३५ नार चंद्र जैन ज्योतिष भा. १-२ रु. १-४-० १४३६ निगोद छत्रिशि. (२८, १६ ) ( १७, १० ) Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १२१ ( पाना ) रु००-६-० (६) बालावबोध सहित. ( जुओ प्रकरण र "" " नाकर भा. ३ जो ) 97 " ( जुओ प्रकरण पुष्पमाळा पुष्प बीजुं ) १४३७ निगोद षट्त्रिंशिका रत्नसिंहसूरि विरचित वृचि सहित. " ( किं. नथी ) ( २२९ ) "" १४३८ निगोद बंध षट्त्रिंशिका. (५०) १४३९ निघंट शेष ( जुओ अभिधान संग्रह भा. २ ) १४४० नित्य नियमनी पोथी रु. ०-२-० १४४१ नित्य भावना भाववानुं पुस्तक. रु. ०-१-० [ नित्य १ नवकार मंत्रम् २ बृहद् जिनशांति स्मरणम् ८ भक्तामर १६ १४४२ नित्य स्मरण पाठमाला ( द्वितियावृत्ति ) अमूल्य. (७७) १४४३ नित्य स्मरण पाठमाला ( की. नथी ) ( ३९५, ३९६ ) ७ उवसग्गहर स्मरणम् For Private And Personal Use Only Page #227 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नित्य] १२२ [निरा ३ नमिऊण स्मरणम् ९ बृहद्श नि ४ गणधर देवस्तुति स्मरणम् १० जिन पिंजर स्तोत्रम् ५ गुरुपारतन्त्र्य स्मरणम् ११ श्रीगोडीपार्श्व जिनबृहद् स्तवनम् ६ सिग्घमवहरउ स्मरणम् १२ श्री गौतम स्वामीजी रास १४४४ नित्य स्मरण स्तोत्र संग्रह. भेट. ( १८१, ५०) १४४५ निन्यानवे प्रकारी पूजा. रु. ०-४-० (२०१) १४४६ निन्यानवे (९९ ) प्रकारी पूना, रु. ०-३-० १४४७ निबंध संग्रह. रु. ०-६-० १४४८ निरयावलिका सूत्रम् चंद्रमरि पिरचित वृत्ति युक्त. (२८) १४४९ निरयावलि भाषान्तर. (बाबु ) ( २४, ५०) , , १० पयना बाबुवाल. ( २४, ५०). १४५० निर्यावलिका सूत्रम् (९४, २८, १६, १) १४५१ निरस्त तमोनिधि हिन्दी. रु. ०-४-० सं. १९३१ सेता बचंद (३६६,१०४) १४५२ निर्भय भीम व्यायोग. रु. ०-४-० (१४) १४५३ निराकरण निर्णय हिन्दी. ले. यति बालचंदजी (आमां दिगंबर श्रावक तात्या नेमिनाथ पांगल के असत्य आ क्षेपो के उत्तर ) रु. ०-२-० (२०३, ३९७) १४५४ निर्भय भीम व्यायोग. रु. ०-२-६ , , (संस्कृत) श्री रामचंद्रसूरि विरचित. रु, ०-४-० (१४) १४५५ निराकरण निर्णयम् ले. यति बालचंदजी दिगंबरोने जवाब रु. ०-२-० (३०९, ४००) १४५६ निराकरण निर्णय, श्वेतांबगेनुं प्राचीनत्व सप्रमाण सिद्ध कई छे. हिन्दी रु. ०-२-० (२०३) For Private And Personal Use Only Page #228 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १२३ निर्या) [ नेमना १४५७ निर्यावली सूत्र. सटीक टीकाकार श्रीचंद्रसूरि सं. १९७८ रु. ०-१२-० (२८) १४५८ नीतिदर्पण. रु. ०-४-० (५२) १४५९ (स्त्री.) नीतिपाठ अ. सौ. मणि. मीसीस वर्धमान स्वरु पचंद गु. (४०२, ३२३, ५०) १४६० (स्त्री) नीति विचार माला गु. (५०) १४६१ नीतिदर्पण. रु. २-०-० (४०३) १४६२ नीतिमय जीवन ले. पं. केसरविजयजी रु. ०-८-० , , अने गृहस्थ धर्म रु. ०-६-० [(२५) १४६३ नीतिवाक्य वचनामृत. पं. केसरविजय. रु. ०-६-० १४६४ नीति वाक्यामृत. सं. रु. १-०-० [(२५) १४६५ नीति वाक्यामृत. भाषान्तर. रु. ०-६-० . १४६६ नीति , सटीक. सोमदेवसरि. माणेकचंद २२ (दि.) १४६७ नीति शिक्षण. [(८१) १४६८ नीति सार. गु. (५०) १४६९ नीति विचार रत्नमाला. (४०४, ४०५) १४७० नूतन स्तोत्र संग्रह. प्राकृत, संस्कृत. (४०६, ५०) १४७१ नेमिनाथ चरित्र. रु २-०-० १४७२ नेमनाथजीना चंद्रावळा. रु. ०-२-० १४७३ नेमनाथजीनो विवाहलो. रु. ०-२-० । १४७४ नेमनाथना श्लोको. ( जुओ श्लोकासंग्रह शास्त्री) १४७५ नेमिनाथनी रसवेल . नं. ३३२७ विजापुर ज्ञानभंडार.उ. समविजय खुशालविजय यतिकृत. प्र. अमृतविजय रत्न विजय यति (अलभ्य) (४०७) १४७६ नेमिनाथ महाकाव्य. कीर्तिराजोपाध्याय. (१४, २२) १४७७ नेमनाथ चरित्र, रु. .-२-६ For Private And Personal Use Only Page #229 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मेमनाथ [नंदी १४७८ नेमनाथ राजेमति चरित्र. रु. १-०-० १४७९ नेमिनाय चरित्र गरबंध. (पाना रु. ६-०-० १४८० नेमि निर्वाण वगेरे वाग्भट्टः । १०) १४८१ नेमि निर्वाण काव्य संस्कृत महाकवि श्री वाग्भट विरचित संस्कृत महाकाव्य. रु. १-०-० (६, १०) १४८२ नेमिनाथ महाकाव्यम् श्री कीर्ति राजोपाध्याय विरचित. विद्या विजय श्री. प्रे, भावनगर सं. १९७० रु. ०-१२-० (१४) १४८३ नेमिसागरजीनुं जीवनचरित्र. (जुओ सुखसागर गुरु गीता) १४८४ नेमीश्वर भगवानना बसो पंचाणु चंद्रावला मुनि लब्धि वि. . जय विरचित. (४०८) १४८५ नैषधीय चरित्र चर्चा हिन्दी लेखक महावीर प्रसाद द्विवेदी. रु. ०-८-० (४०९) १४८६ नैषधीय चरितं श्री हर्ष रचितम् श्रीमन्नारायण रचिता. नैषधीया प्रकाशाख्यया. जेनेतर. व्याख्या युक्त. रु. ५-०-० (१०, ५०) १५८७ नंदिसूत्र मूळ टीका; अर्थ युक्त. भाषान्तर देववाचकगणि. (१०) १४८८ नंदिसूत्र घालावबोध. (५०) " बाबुवालं. (२४) १४८९ नंदीसूत्र मूल. देववाचक गणि. टीकाकार. मलयगिरि. (२८, १६) १४९० नंदीसूत्रम् मलयगिरि कृत विवरण. रु. २-८-० (१६, २८) १४९१ नंदीरत्र मूलपाठ. (६८) For Private And Personal Use Only Page #230 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir न्याय] [न्याय १४९२ न्यायकुसुमांजलि. कर्ता न्यायविजय. महावीर पूना. अपरनाम. सं. १९७० रु. ०-४-० (१४, १०) १४९३ न्याय खंड खाद्य. (पाना) रु. १०-०-० , , महावीर स्तवन प्रकरणम् (११) १४९४ न्यायतीर्थ प्रकरण. (संस्कृत) न्यायविजय. (धर्म विजय.) न्यायग्रंथ. सं. १९६९ रु. ०-४-० (४१०, १०) १४९५ न्यायदीपिका. संस्कृत. (न्यायग्रंथ ) धर्म भूषणयति विर चित. (दि.) रु. ०-१२-० (४११) , , भाषा टीका हिन्दी ४२०९ (दि.) (४१२, ५०) " , विगेरे. दि. (५०) १४९६ न्यायालोक. (११) १४९७ न्यायरत्नजीकी बे इन्साफी हिन्दी. (४१३, ५०) १४९८ न्यायरत्नदर्पण मुफत. शान्तिविजय. ( ठाणा) १४९९ न्यायशिक्षा, न्यायविजयजी न्यायतीर्थ. रु. ०-४-० (१४, ७१) १५०० न्यायसार. सर्वज्ञ प्रणीत. जयसिंहसरि विरचित. न्याय तात्पर्य दीपिका नामनी टीका सहित. महोपाध्याय. सतीशचंद्र विद्याभूषणेन.परिशोधितः (२९, ५.) १५०१ न्यायसिंधु प्रकरण. विजयनेमिसूरीश्वर प्रणीत. अमूल्य. . (११) १५०२ न्यायसंग्रह. सटीकम् हेमहंसगणि संगृहीतः रु. ३-०-० १५०३ न्यायसंग्रह. (न्यायार्थ मंजूषा ) रु. ३-०-० प्र. हर्षचंद मुराभाइ (महुम) श्री हेमहंस गणि संगृहीत. (७१) १५०४ न्याय संदर्भित. आत्महित शिक्षा याने योग्यता दर्शक रू. For Private And Personal Use Only Page #231 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra पायार्थ] www.kobatirth.org १२६ [ पत्र १-०-० रचनार तथा योजक कर्पूर विजयजी सं. १९६१ (४१४ ) १५०५ न्यायार्थ मंजूषा स्वोपज्ञ लघुन्यास हिता रु. ३-०-० ( ६, १४ ) १५०६ न्यायालोक. यशोविजयगणि विरचित. की. नथी. ( ११ ) १५०७ न्यायालोक. रु.८-०-० (३८५, ३८६, ५०, ११ ) १५०८ न्यायालोक संस्कृत (पाना.) रु. २-०-० यशोविजयगणि. १५०९ न्यायावतार. ( पाना ) वादि सिद्धसेन दिवाकर प्रणीत. राजशेखरसूरिविरचित टिप्पन सहित टीका अने टिप्पन सहित. पाटण (२६ ) Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( ६ ) 19 १५१० न्यायावतार मूल. ( जुओ सिद्धसेन दिवाकर ग्रन्थमाला ) १५११ न्यायावतार तस्वार्थ सूत्रम् परिशिष्ट. (२५७, ५० ) प. १५१२ पउम चरियम् मागधी (पाना ) राहुसूरि प्रशिष्य विमलसूरि विरचितं पद्य ( राम ) चरितम् रु. २-८-० जर्मनी देशीय. बोन. पुरवासी प्रो. हर्मन जेकोबीत्यनेन संशोधितम्. (६, ५० ) १५१३ पक्वान्न व्यंजन संग्रह. गु. (५० ) [ ०-६-० १५१४ परूखी सूत्र टीका. ( पाना ) यशोदेवसूरिकृत टीका. रु. १५१५ पच्चीस बोलका थोकडा. भेट. हिन्दी मारवाडी. (४३) १५१६ पच्चीस बोलनो थोकडो रु. ०-०-६ ( ६ ) १५१७ पंचेन्द्रिय विषय त्याग पद ( जुओ देवचंद्र भा. २ वि. १ ) १५१८ पत्र परीक्षा वगेरे संस्कृत, आप्त परीक्षा. (दि.) रु. • १-०-० (४१५, ५० ) For Private And Personal Use Only Page #232 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पत्र ] १२७ [ परमात्म १५१९ पत्र सदुपदेश. भा. २ जो. बुद्धि पागर सूरि. (१५, ५८ १५२० पदसंग्रह. रु० ०-८-० [ थी ६२, १८४ ) रु. १-८-० १५२२ पदसंग्रह, हुकम मुनि. (२१ ) १५२२ पदार्थो के गुण. व. स्वभाव (५० ) १५२३ पद्म चरित्र. शुभवर्धन गणि. (३२, २२ ) १५२४ पद्म पुराण समीक्षा. ( दि.) (५० ) १५२५ पन्नवणा सूत्र पूर्वार्ध. सटीक (प्रत ) ०१-८-० १५२६ पन्नवणा सूत्र मूळ टीका अर्थ युक्त. १५२७ पयन्ना संग्रह. भा. १ लो. रु. ०-४-० ( १२ ) १५२८ पयन्ना. ( ६ ) १५२९ पयन्ना संग्रह, गुजराती भाषान्तर साथ. (७१ ) १५३० परदेशी रजानो रास. रु०-४-० (६) १५३१ लघु हेमप्रभा व्याकरण. भेट. ( ११ ) [ पुष्प ) १५३२ परमाणु खंड छत्रिशि. ( जुओ प्रकरण पुष्पमाला. बीजुं १५३३ परमाणु छत्रिशि. ( २८, १६ ) १५३४ परमाणु खंड षट् त्रिशिका. पुद्गल शिका. अने निगोद षट्त्रिंशिका सटीक रत्नसिंहरिविरचित, वृत्ति सहित मू. मा. रु. ०-३-० ( १७, १० ) • १५३५ परमज्योति पंचविंशति, अध्यात्म उपनिषद् रुपे. यशोविजय उपाध्याय विरचिते अनुवादक. माणेकलाल घेलाभाइ०रु००-८-० ( ६० ) १५३६ परमाणु पुद्गल निगोद षट् त्रिशिका. रु००-३-० (१७) १२३७ परमात्मज्योति, परमात्म पंच विंशतिका, सं. तथा गु. मां. बुद्धिसागर सूरि, रु, ०–१२-० (१५, ५८ थीं ६२, १८४ ) For Private And Personal Use Only Page #233 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir परमात्मj १२८ ..[परिशिष्ट १५३८ परमात्मदर्शन. ज्ञान अने क्रिया बने जोडबंध सबंध वडे परमात्म दशेननुं स्वरूप. बुद्धिसागर सुरि. सं. १९६६ रु. ०-१२-० (१५, ५८ थी ६२, १८४) १५३९ परमात्म प्रकाश योगीन्द्र देव. रु. ३-०-२ शा. मुंबइ. १५४० परमानंद पच्चीसी. भेट. (४१६) १५४१ परमार्थसारकाव्य सविवरणं. सं. (५०) १५४२ परलोक प्रकाश. रु. ०-६-० (६) १५४३ परलोक प्रकाश. गुजराती. मूळ लेखिका. स्व. व्हेन. न वलबाइ. पोपटलाल केवलचंद, विस्तारथी लखनार. पोपटलाल केवलचंद. (५०) १५४४ परागशब्दाष्टोत्तर शतार्थ निबद्धं साधारण जिन स्तवन वि विधवृत्त बद्धम् (जुओ प्रकरण रन्नाकर भा. ४) १५४५ परिणाम माला. ( उपमिति भव प्रपंचा कथात् उद्धृता) (प्रभावना माटे) (४१९) १५४६ परिमाण मंजरी. अथवा काष्ट माप संग्रह. रु. १-४-० १५४७ परिशिष्ट पर्व. रु. २-०-. , ,, भा. १ लो. हिन्दी. तिलक विजयजी सं. १९७३ (४२) " " भा. २ जो. , , (४२) १५४८ परिशिष्ट पर्व इंग्लीश अथवा स्थविरावली. त्रि. श. पु. च रित्रनी एपन्डेक्षीस साथे हेमचंद्राचार्य. प्र. हर्मन जेको बी. सं. १८९१ (४२१) १५४९ परिशिष्ट पर्व ( अर्थात् इतिहासिक पुस्तक भा. १ लो. रु. १-०-० तेर सर्गर्नु भाषान्तर छे. (६) १५५० परिशिष्ट पर्व भाषान्तर भा. २ जो. रु. १-०-० (६) For Private And Personal Use Only Page #234 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १२९ परिशिष्ट ] [पर्युषण १५५१ परिशिष्ट पर्व मूळ. (पाना) हेमचंद्राचार्य कृत. रु. १-०-० (६) १५५२ परिशिष्ट पर्व मूळ संस्कृत ) रु. २-०-० (६) १५५३ परिशिष्ट पर्व भा. १-२ जो कर्ता. हेमचंद्राचार्य वल्कल चीरा, प्रसन्नचंद्र राजर्षि विगेरे महान पुरुषोना जीवन चरित्र.) हिन्दी. रु. १-४-० (८८, २६१) १५५४ परिशिष्ट पर्व. , हर्मन जेकोबी (४९) १५५५ परिशिष्ट पर्व. सभामुं. रु. १-०-० (१७, ६) १५५६ परिहार पत्र. हिन्दी. पीतांबर संवेगी. आत्मारामजी शिष्य कमलविजयादिक तथा झवेरसागरजी शिष्य आनंदसागर चतुर्थ स्तुतिक परिहार पत्र. (५०, ७१, ४२२, ४२५) की. नथी. १५५७ परिहार प्रश्नोत्तर खंडन हिनदी. संघ समस्त साचोर. कम. लविजयादि तिरस्कार आनं:सागर ( वदन ) मुख चपेटा. अपर नाम कमल विजयादि. आनंदसागर परि हारोत्तर पत्र खंडन. की. नथी. (४२३, ५०) १५५८ परिहार मीमांसा. मी. जेकोबी. मेक्समुलरान, प्रति प्रे षिता. स्तंभतीर्थे सं. १९५५ (४२४, ७१) १५५९ परीक्षा मुख, संस्कृत. प्रमेय रत्नमाला नाम्नि व्याख्या स. हितम्. (दि.) रु. ०-८-० (५०) १५६० परोपकार. गु. (५०) १५६१ परंज्योति पंचविंशति. गु. (५०) १५६२ परंज्योति. (५०) १५६३ पर्युषणा अठाइ व्याख्यान. संस्कृत व्याख्यान.रू,०-५-. For Private And Personal Use Only Page #235 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पर्युषण] १३० १५६४ पयुषण आष्टान्हिका व्याख्यान (पाना) रु. ०-८-०(१४) १५६५ पर्युषणना पवित्र दिवसो अने जैनोनुं कर्तव्य. रु. ०-१-० १५६६ पर्युषणनी कथा. रु. ०-४-० (१७९) १५६७ पर्युषणादिक पर्वोनी कथाओ प्रारंभ, बार कथाओ छे. की. नथी. कोणे छपान्यो ते पण नथी. . १५६८ पर्युषण पर्व महात्म. हिन्दी. सचित्र. रु. ०-८-० (९) १५६९ पर्युषण पर्वाष्टान्हिका व्याख्यान. विजयलक्ष्मीसूरि विर चित. सं. १९७१ रु. ०-४-० (१७, १०) १५७७ पर्युषण महापर्व महात्म्य, संग्राहक मुनि कपुरविजयजी रु. ०-८-० (३३) [खी. (७३). १५७१ पर्युषणा कल्प महात्म्यम् मुक्तिविमल कृत. की. नयी रा. , , संस्कृत व्याख्यान. रु. १-०-० (७३. ६३, ५०) [(७, ५०) १५७२ पर्युषणादि पूर्वानी कथा. बार कथाओ. गु. सं. १९५३ १५७३ पर्युषणाष्टपन्हिका व्याख्यान भाषान्तर. रु. ०-४-० १५७४ पर्युषणा पर्व निगय हिन्दी. शांतिविजयजी. मफत. सं. १९८४ (४२६, ५०) १५७५ पर्युषणा पर्व याने पवित्र जीपननो परिचय. (४२७,५०) १५७६ पर्युषणा पर्व विचार. हिन्दी. ले. मुनि विद्या विजयजी. (४२८, ५०) १५७७ पर्युषणाष्टान्हिक व्याख्यानम् लक्ष्मीविजयगणि. सं. १९५४ नी साल रच्यो (आ ग्रंथ कपडवंजमां लखायो छे) १५७८ पर्व कथा पंचमी वगेरे क्षमा. (५०) (४२९, ५०) १५७. पर्व कथा संग्रह. भा. १ लो, समाकल्याणकोपाध्याय कृत. तथा साधु श्रावक आराधना. रु. ०-४-० (मति ) (१४, ४३०) For Private And Personal Use Only Page #236 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पर्व] १३१ [पांडव १५८० पर्वतिथि वगेरेना चैत्यवंदन संग्रह. जैन ध.प्र. स. भावन१५८१ पर्वोनी कथा. रु. १-८-० [गर. (६,५०) १५८२ पशुवध निषेधक. भा. १-२-३ भेगा. रु. १-८-० १५८३ पहेली कोन्फरन्सनो रीपोर्ट, रु. ०-१०-० (२३५) १५८४ पाइअलच्छी (पायलच्छि ) नाममाला. प्राकृत कोष. ध. नपाल कवि कृत. रु. १-१२-० (३४८,९५) १५८५ पाइअ सद्द महण्णवो भा. १ लो (७६, ६३) .. , भा. २ जो. (७६, ६३) १५८६ पांच कर्म ग्रंथनो टबो. (जुओ देवचंद्र भा. २ वि. १) १५८७ पांच प्रतिक्रमण सूत्र विधिपक्षगच्छीय श्रावकनां अर्थ तथा वीजी केटलीक जरुरी बाबतो साथे. सं. १९६१ (७) १५८८ पांच भावना देवचंद्रजी कृत. (जुओ आत्महितोपदेश) १५८९ पांजरापोळनी व्यवस्था. (५०) [०-१-० (३३५) १५९० पाटणा कोन्फरन्सना प्रमुखद् भाषण (इंग्रजी) रु. , , (गुजराती) रु. ०-१-० ( ३३५) १९९१ पाटणना जैन भंडारना १३ पुस्तकोनो सार संग्रह. रू. १५९२ पाटणना जैन भंडारो अने खास करी तेमां रहेल अपभ्रंश तथा प्राचीन गुजराती साहित्य. (पांचमी गुजराती साहित्य परिषद् माटे तैयार करेलो निबंध.) (४३१, ७१) १५९३ पाटणना जैन मंदिरोनी मंदिरावली. रु. ०-०-६ श्री पा. टण जैन श्वेताम्बर संघालनी सरभरा करनारी कमीटी तरफथी. [२२) १९९४ पाण्डव चरित्र श्री देवविजयगणि. सं. १९७०, (४३४, For Private And Personal Use Only Page #237 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org पांडव ] १३२ १५९५ पांडव चरित्र ( जुओ चरित्र संग्रह ) १५९५ पात्रीस द्वारादि संग्रह. रु. ०-५-० (४:५) १५९७ पांत्रीस बोल, सरळ अर्थ साथे रु. ०-१-० १५९८ पांत्रीस बोलनो थोकडो रु. ०-१-० १५९९ पांत्रीस बोल. (गु. ) (६, ७, ३३ ) 99 " सहित लेखक ४३८, ५० ) Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir [ पार्श्वनाथ हिन्दी. ७००८ रु. ०-४-० विवेचन कृष्णलाल वर्मा ( ४३६, ४३७, १६०० पांत्रीस बोलनो थोकडो. रु. ०-१-० [ ०-१-६ "" " ( शिखामणना बोल सहित ) रु. १६०१ पांडव चरित्र गद्यबंध मूळ. देवविजय गणि विचित. रु. ४-०-० (४३०, ६ ) १६०२ पांडव चरितम् महाकाव्यम्. मलध री देवप्रभसूरि विरचित. रु. ४-४-० (७, ४४०, ५० ) १६०३ पांडव चरित्र भाषान्तर रु. ५-०-० १६०४ पांडव चरित्र महाकाव्यम्. पंडित शुभवर्धनमणि विरचित, ( ३१५, ४३९, ३२ ) १६०५ पांडव प्रबोध. रु. १-८-० १६०६ पार्श्व चंद्र सूरीश्वरनुं संक्षिप्त जीवन चरित्र, रु० ०-१-० पृ० २४७ (४४१ ) १६०७ पार्श्वजिन स्तवन. ( जुओ प्रकरण रत्नाकर भा० ४ यो ) १६०८ पार्श्वनाथ अष्टक. मलुकचंद्र कृत. ( जुओ प्रकरण रत्नाकर भा. १ लो ) For Private And Personal Use Only १६०९ पार्श्वनाथ चरित्र, अंग्रेजी. अमेरिकाना एक विद्वाने अनुवाद करेलो अने त्यांनी एक कंपनीए छपावेलो. १२-०-० (६३) Page #238 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पार्षनाथ ] १३३ [पालीताणा १६१० पार्श्वनाथ चरित्र. सं रु ०-८-० १६११ पार्श्वनाथ चरित्र संस्कृत. (बुक ) रु. "-.-. १६१२ पार्श्वनाथ चरित्र. (संस्कृत) पद्यबंध. रु. ३-०-० ,, , बनारस पुस्तकाकारे. रु. ४-०-० (१४) ., , (पद्यबंध.) हेमविमलगणि विरचितम् सं. १९७२ रु. १-८-० (४४२, ८९, ५०, ४४३, [ (७६, ९५, १४) भावदेव. सं. १९६८ रु. ३-०-० " भाषान्तर. रु.१-८-० १६१३ पार्श्वनाथ चरितं (सरल गयबद्ध ) श्री उध्यवीरगणि विरचितम् सं. १९७० आपां ३० कथाओनो समास छे. मू. ५५०० श्लो. २ सं. १६५४ (स्वोपज्ञ प्र शस्तिमां आ साल छे) (६) १६१४ पार्श्वनाथना चंद्रावला. रु. ०-२-० [(३७) १६१५ पार्श्वनाथ छंद संग्रह. भेट. सं. १९७१ पद्य (अलभ्य) १६१६ पार्श्वनाथजीनो विवाहलो. रु. ०-१-० (६, ५०, ४४४) १६१७ पार्श्वनाथ स्तव. जिन प्रभसूरिकत. ( जुओ काव्यमाला. ___गु. ७ बीजी) [त्नाकर भा. ४ थो) १६१८ पार्श्वनाथ स्तवन. अनुष्टुप वृत्त बद्धम् (जुओ प्रकरण र. १६१९ पार्थ स्तव. (जुओ काव्यमाला गु. ७ बीजी) १६२. पार्थाभ्युदय काव्य संस्कृत. रु. ०-१२-० , ,,. सटीक. पालि पाठावली. प्रथम भाग मूल. जिनविजय. रु. ०-१४-० (३६, ४४५) [रु. ०-१-० १६२१ पालीताणानी जैन मंडळीओमां गवातां गायनोनो संग्रह. For Private And Personal Use Only Page #239 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पाक्षिक] १३४ पुण्य १६२२ पाक्षिक पर्व सार विचार. रु. ०-४-० [विरचित. (७३) १६२३ पाक्षिक पर्व सार विचार. की. नथी. ज्ञान विमल मूरि १६२४ पाक्षिक सूत्र अवचुरि ( पाना ) सं. १९६४ रु. ०-८-० " " सत्तिकम् (५०) ,, (विवरण सहित ) विवरण कर्ता यशो देवसरि. (विवरण (१९८०) रु. ०-६-० १६२५ पाक्षिकसूत्र. श्रमणसूत्रादि संग्रह. (संस्कृत अनुवाद स. हित गुजराती भाषांतर ) सं. १९७९ छा. (आचार ग्रंथ)(१) पाक्षिक सूत्र (२) खामणा (३)पाक्षिक खामणा (४) आहारना ४७० दोष (५) श्री श्रमणसूत्र आ पांच बाबतो भेगी ले. संस्कृत. (६) १६२६ पिंड नियुक्ति सटीक (प्रत ) भद्रबाहुस्वामि कृत. मल यगिरि कृत टीकायुक्त ले. सं. १५०२ सं. गं. नं. ४८ , , सावचूरि. (५०) [मू. ३ (१६) १६२७ पिस्तालीस आगम पूजा. पंडित रुपविजयजी कृत. प्र.सं पत विजयजी शिष्य. मुनि धर्म विजयजी. (४४६ ) १६२८ पीत्त पद्मग्रह मीमासा ओर निक्षेप निबंध, यतीन्द्र विजय. पीत वस्त्रोका खंडन, रु. ०-५-० (३७) १६२९ पुंडरीक चरित्र. भाषांतर सचित्र. रत्नप्रभ सूरि शिष्य क. - मलप्रम विरचित. प्र. संघवी. १६३० पुंडरीकस्वामीचरित्र प्रति. रु. १०-०-० [(४४७) , गु. भाषान्तर सचित्र, रु. ५-०-० १६३१ पुण्य पाप कुलकम् (जुओ कुलक संग्रह १७ वाळो) । १६३२ पुण्य प्रभाव दर्शक. (जुओ कुलक संग्रह. १७ वाळो) १६६३ पुण्य रंग चोपाइ. भेट. मुनि लालचंदजी महाराज सं. १९७१ पच अप्राप्य (३७) For Private And Personal Use Only Page #240 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पुद्गल] १३५ [पुष्प १६३४ इद्गल गीता. (जुओ क्षमा कुलकादि संग्रह.) १६३५ पुद्गल छत्रीशी. ( २८, १६). , , (जुओ प्रकरण पुष्पमाळा बीजु पुष्प) १६३६ पुद्गल षत्रिशिका. रत्नसिंहसरि कृत. वृत्ति सहित. मू. प्रा० वृत्ति सं. सं. १९६४ ( १७, १०) " . , प्रभृति. (५०) १६३७ पुण्य प्रकाश स्तवन. गु. (६, ५०) १६३८ पुण्य धन नृप कथा (पाना) मुनिसुंदर सूरि शिष्य शु ____ भशील गणि कृत. रु. ०-४-० (९२, ४४८, १२) १६३९ पुण्य धन कथा. (५०) १६४० पुण्य प्रभाव याने समरादित्य. १६४१ पुण्याढय चरित्र. रु. ०-३-० १६४२ पुनर्जन्म गुजराती. १६४३ पुण्य प्रकाशनुं स्तवन. रु. ०-०-६ नथी. (३६) १६४४ पुरातत्त्व संशोधननो पूर्व इतिहास. मुनि जिनविजय. की. १६४५ पुरुषार्थ दिग्दर्शन. विजयधर्मसरि. (१४,४७) १६४६ पुरुषार्थ सिद्धि. कर्ता. शा. शिवजी देवशी. रु. ०-५-० (१४३, ४४९) ,, , गद्यपद्यात्मक. रु. २-०-० ३६० पान. सं. १९७६ गुर्जर. (१०८) [(४५०, ५०) १६४७ पुरुषार्थ सिद्धयुपाय अने स्याद्वाद मजरी हिन्दी. (दि.) १६४८ पुरुषार्थ सिद्धयुपाय, रायचंद्रजी शास्त्रमाला. अमृतचंद्रा चार्य टीका भाषा सहित. सं. १९६२ रु. १-०-० (४५१) १६४९ पुष्पमाला प्रकरण मूल. अभयदेव मूरि शिष्य रत्न मल्ल धारी हेमचंद्रसूरि विरचितम्. रु. ०-८-० (३३) For Private And Personal Use Only Page #241 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पुष्प] [ पूजा १६५० पुष्पमाला प्रकरण. (भाषान्तर) रु. ०-४-० (३३, ५०) १६५१ पुष्पवती विचार. रू. ०-१-६ , तथा सुतक विचार. रु. ०-२-० १६५२ पुष्पवती विचार गुजराती तथा सूतक विचार. मुनि विवेक विजय. (४५२) १६५३ पूजा महोदधि. प्रथम भाग. राजेन्द्रसूरि अलभ्य. सं. १९६८ रु. ०-४-० (३७) " " द्वितीय भाग. धनविजयजी. रु. ०-२-० अलभ्य. ( ३७ ) १६५४ पूजावलि. संग्रह कर्ता सेनाबचंद नादर. प्रसिद्ध पूजाओ. सं. १९६९ ( ३६६ ) [(४५३) १६५५ पूजासंग्रह. ले. लब्धि विजयजी सं. १९८० (१२) १६५६ पूजासंग्रह भा. २ जो. बुद्धिसागरसूरि. (१५, ५८ थी ६२, १८४ ) . १६५७ पूजासंग्रह तथा स्तवन संग्रह. (वल्लभ विजयजी कृत) रु.१-०-० १६५८ पूजासग्रह. पद्म विजय तथा रुप विजय, तथा वीर विजय तथा सकलचंदजी कृत. सं. १९२२ नी शिलाछाप कुसुंबावाडा पसे गु. ना डेलामां. (४५४) १६५९ पूजा वीसस्थानक तपनी कथा. रु. १-०-० (४५५) १६६० पूजासंग्रह. बुद्धिसागर कृत. अष्ट प्रकारी. वास्तुक. तथा चीर विजयजी कृत. स्नात्र. रु. ०-२-० ( १३१) १६६१ पूजासग्रह. भा. १ लो. आकृति बीजी पृ. ४१६ रु. १-०-० बुद्धिसागर. " भा. २ जो. For Private And Personal Use Only Page #242 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org पूजा ] १३७ [ प्रभंज १६६२ पूजा संग्रह ने स्तवनो. रु. १-०-० (६) पूजासंग्रह लघु बुद्धिसागरसूरि (१५, ५८ थी ६२, १८४) मोटो Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( " ,,) " ?? " १६६३ पूजा गिरनारजी १०८ प्रकारी कर्ता हंसविजयजी रु. ०-४-० (५२ ) १६६४ पूजा पंच कल्याणक श्री महावीर प्रभुना, हिन्दी, रु. ०-१-० (५०) "" "" आदिनाथ प्रभुनी गुजराती लेखक. मुनिश्री वल्लभविजयजी की. सदुपयोग, ( ४५७, ४५६ ) १६६५ पूजासंग्रह भा. २ जो. ( शिलानो ) रु. १-८-० १६६६ पूर्ण प्रज्ञ दर्शन ( माध्नभाष्य. विगेरे.) जैनेतर. १६६७ पूर्व देश तीर्थ स्तवनावलि. रु. ०-५-० (६) १६६८ पूर्व देश स्तवनावली हिन्दी. ४४ स्तवनो छे. (६, ५० ) १६६९ पूर्व सूरि कृत. प्रश्नावली. ( जुओ स्तोत्र रत्नाकर प्रथमभाग सटीक ) १६७० पोळोना रावजीनो इतिहास. ले. कवि. दलपतराम डा. इ. १८६६ (जुओ फार्बस गुजराती सभांनी हस्त लिखित पुस्तकोनी यादी.) पृ. १ थी ५४ अं. ४८ क ) जैनेतर. १६७१ पंच सूत्र. चिरंतन आचार्य कृत हरिभद्र सूरि कृत टीकाना आधारे करेली सरल व्याख्या. ( ६ ) १६७२ पंन्यास कमल विजय रास. ( संक्षिप्त साररूप तथा ) मूळ रास. ( जुओ अतिहासिक रास संग्रह भा. ३ जो ) १६७३ प्रकरण समुच्चय. (४९) रु.१-४-० ( १६, १ ) १६७४ प्रतिमा पुष्प पूजा सिद्धि. ( जुओ देवचंद भा. २ वि . १ ) १६७५ प्रभंजनानी सज्झाय ( लीम्बडीमां ) ( जुओ देवचंद्र भा. २ वि . १ ) ८ For Private And Personal Use Only Page #243 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १३८ [ पेथड प्रस्तुति ] १६७६ प्रभुस्तुति (जुओ देवचंद भा. २ वि . १ ) १६७७ प्रवचन सारोद्धार, नेमिचंद्र सूरि कृत. ( जुओ प्रकरण रनाकर भा. ३ जो ) १६७८ प्रवचन सारोद्धार मूल कर्ता नेमिचंद्र सूरि. टीकाकार सिद्धसेन मूरि सं. ग्रन्थ नं. ५८ रु. ३-०-० (१६) टी. अभयदेव सूरि. १६७९ प्रश्न व्याकरण, मूळ कर्ता गणधर रु. १–१२–० ( २८, १६ ) १६८० प्रश्नोत्तर ( जुओ देवचंद्र भा. २ जो वि. १ को ) १६८१ प्रश्नोत्तरना दुहा. ( जुओ क्षमा कुलकादि संग्रह ) १६८२ प्रश्नोत्तर माला. (दि. ) ( जुओ मुक्त मुक्तावली भाषान्तर. पं. केसर विजय . ) १६८३ प्रश्नोत्तर रत्नमाला. विमळ प्रणीता. ( जुओ काव्यमाला. गु. ७ मो बीजी ) १६८४ प्रश्नोत्तर शतक जिनवल्लभ सूरि कृत. (जुओ स्तोत्र रत्नाकर द्वितीय भाग, सटीक ) १६८५ प्रज्ञापना सूत्र. (पूर्वार्ध) मृ. कर्ता. श्यामाचायें. टीकाकार मलयगिरि रु. ३-१४-० (२८, १६ ) "" 39 (उत्तरार्ध) रु. १- १२-० (२८, १६) १६८६ प्राचीन लेखावली. ( संपतविजय संग्रहीत्. ) [ भगुभाइ, १६८७ प्रचीन स्तवनादि रत्न संग्रह. रु. २-०-० जमनाभाइ १६८८ पृथ्वी स्थिर प्रकाश याने भूगोळ फरवानुं खंडन, रु. १-८-० १६८९ पृथ्वीचंद्र चरित्र संस्कृत. ( पाना ) रु. १-१०-० १६९० पेथड कुमारका परिचय रु००-४-० (३२६.९५ ) १६९९ पेथड कुमार. ( ४५८ ) For Private And Personal Use Only Page #244 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir [पंच पैतीस] १३९ १६९२ पैतीस बोल, हिन्दी. रु. ०-२-० (६८) १६९३ पोसह विधि. बीजी. रु. ०-३-० " " भेट. (६७) " " रु. ०-१-० (५०) , (मुंबइनी) रु. ०-४-० १६९४ पोष दशमी महालय कथा. की. नथी. (७३, १९७) १६९५ पौषधोपवास व्रत. रु. .-४-० १६९६ पंच कल्याणक पूजा पंच ज्ञाननी पूजा. रु. ०-१-०(६, " " (११) [४५६, १७, ३९ ) , , तथा अष्ट प्रकारी पूजा. रु. ०-४-० १६९७ पंच तीर्थ पूजा. रु. ०-२-० १६९८ पंच निग्रंथी प्रकरण प्रज्ञापना तृतीय पद संग्रहणी (पाना) अभयदेवसरि. विरचित. सावरि. सं. १९७४ (१७, १६९९ पंच परमेष्ठी गुणमाळा. रु. १-८-० (१७) १७०० पंच परमेष्टी गुण रत्नमाला. (१७, ९५) १७०१ पंच परमेष्टी ध्यानमाला. १७०२ पंच प्रतिक्रमण विधि. महोपाध्याय विनयविजयगणि, यशो विजयगणि, पंन्यास. विद्या विजयगणि इत्यादि पूर्व पंडितोए संशोधित. संग्रह कर्ता. मुक्तिविमल-सौभाग्य विमल शिष्य. ( १९७) १७०३ पंच प्रतिक्रमण शास्त्री (समानी) रु. ०-६-. १७०४ पंच प्रतिक्रमण सूत्र. शिला छापर्नु. सं. १९१८ विधाव र्धक भा. ५ मो. (४५४, ४५९) १७०५ पंच पविक्रमण. (गुजराती) रु. ०-८-. For Private And Personal Use Only Page #245 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १४० १७०६ पंच प्रतिक्रमण सूत्र. रु. ०-५-० (१६) १७०७ पंच प्रतिक्रमण विधि साथे मूळ. रु. ०-१२-० " , सूत्र अर्थवाळी. रु. १-०-० " " " रु. ०-१०-० " " , " रु. ०-४-० , प्रकरणो तथा दंडक सहित. गुजराती. (३४८) [रु. ३-४-० (६) , अर्थ सहित. त्रण भाष्यवाळी (मोटी) १७०८ पंच प्रतिक्रमण सूत्र. (वधारावाळी ) मूल. रु. १-४-० " " " , रु. ०-१२-० , अर्थ सहित. (हीराचंद ककलवाळी) रु. २-८-० ( १७९) " " " विद्याशाळानी. रु.१-१०-० , सूत्राथे सावचूरि. रु. ०-१२-० (३३) १७०९ पंच प्रतिक्रमण सूत्र पूर्वाध रु. ०-६-० (१४३) १७१० पंचमी दुहा. धनपाल कृत ( अपभ्रंश भाषायाम् ) (१३८) १७११ पंचमी महात्म्य. प्रथम भाग. अनु. पं. लालचंद भगवान दास गांधी. ( २७१, १४६, ४६०) १७१२ पंचलिंगी प्रकरणम्. ९३६८ वसतिमार्ग प्रकाशक श्री जिने श्वर सूरि विरचित. स्वोपज्ञ टीका सहित. प्रन्यांक. १० (४६१, ४६२, १०) १७१३ पंच सूत्र. (चिरन्तनाचार्य कृत ) हरिभद्र मुरि विरचित व्याख्या सहित. मू. प्रा. टी. सं. ग्रं. नं. २. सं. १९७० रु. ०-२-० (१७, १०) १७१४ पंच सूत्रम् सटीकम् (चिरन्तनाचार्यकृत) हरिभद्र सूरि कुत कीका. रू.१-८-० ( ३२, ५०.) For Private And Personal Use Only Page #246 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org पंच 1 १४१ १७१५ पंच संग्रह. . नं. ५० रु. ३-८-० (१७) १७१६ पंच संग्रह भा० १ लो. 39 " भा. २ जो. भा. ३ जो. भा. ४ थो. "" १७१७ पंचाख्यान वार्तिक. जिनविजयगणि. सं. १७३० प्राचीन गुजराती भाषानी ४८ कथाओनो संग्रह छे. रु. ३-१२-० Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir [ प्रकरण चंद्रर्षि महत्तर सूरि कृत, मलयगिरि सूरि कृत टीका. रु. ३० :-०-० ( १७ ) १७१८ पंचाख्यान वार्तिकम्. भा. १ लो. बाय. Johannas Hertel. Leipjg. Universitatsotrasse. 15. अने हरखचंद मुराभाइ बनारस, जर्मनीनुं सरनामुं. ( ४६३, ४६४ ) १७१९ पंचाशक ग्रंथ. सटीक रु. २ -८-० ( प्रति ) (६, १० ) हरिभद्रसूरि विरचित. ( अभयदेव सूरि विरचित. टीका सहित ) सं. १९६८ श्रावक धर्म, दीक्षा, चैत्यवंदन, पूजा, प्रत्याख्यान, स्तवन, जिनभवन प्रतिष्ठा, यात्रा, श्रावक प्रतिमा, साधु धर्म सामाचारी, पिंडविधि, शीलांङ्गनी, आलोचना, प्रायश्चित्त, कल्पव्यवस्था, साधु प्रतिमा, तपोविधि, एटली बाबतोनुं वर्णन छे. मूळ प्राकृत, व्याख्या संस्कृत. १७२० पंचास्तिकाय. कुंदकुंदाचार्य १७२१ पंचेंद्रिय संग्रह वाद. रु.०-१-० भाषा For Private And Personal Use Only [ २-०-० (४५१ ) टीका सह रु. १७२२ प्रकरण पुष्पमाला, प्रथम पुष्य. ग्र. नं. २४ रु०-६ शेठ. आनंदजी पुरुषोत्तम ग्रंथमाला. नंग. १ (६) कुलमंडन सूरि कृत. काय स्थिति. महेन्द्रसूरि कृत. विचार सित्तरी. [ एमां. Page #247 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रकरण] [प्रकरण आनंद विमल मूरि शिष्य विचार पंचाशिका. (वानरमुनि कृत) आ त्रणे मूळ तथा टीका अने व्याख्या समेत. १७२३ प्रकरण पुष्पमाला बीजुं पुष्प, रु. ०-८-० (६) एमां. परमाणु खंड छत्रीशी. पुद्गल छत्रिशी, अने निगोद छत्रिशी मूळ टीका अने व्याख्या सहित. १७२४ प्रकरण पुष्पमाला भाषान्तर ( भेट ) गुजराती. पंन्यास देवविजयजी कृत. (२५) " " (१७) १७२५ प्रकरण माळा मूळ. रु. ०-८-० [ रु. १-०-० (४५४) , , (विद्याशाळानी ) छ कर्म ग्रंथावळी. , (भोगीलाल ताराचंद ) रु. १-८-० (१७१) १७२६ प्रकरण रत्न. जीव विचार, नवतत्त्व, टुंडक, कर्म ग्रंथ. विगेरे. रु. ०-१-० ( २४० ) १७२७ प्रकरण रत्नाकर भा. १ लो. (बीजी आवृति) रु. ५-८-० (७) (१) सीमंधर स्वामीनी विनति रुप. साडात्रणसो (२) देवचंद्रजी कृत. आगम सार. [गाथार्नु स्तवन. (३) , नव चक्रसार. (४ ) आनंदघनजी कृत चोवीशी. (५) द्रव्य गुण पर्यायनो रास. (६) योगद्रष्टिनो स्वाध्याय. वालावबोध सहित. (७) उपमिति भव प्रपंच. (८) अध्यात्मसार. For Private And Personal Use Only Page #248 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रकरण] [प्रकरण (९) तत्वानु बोध. (१०) समाधि शतक. (११) समता शतक. (१२) दिगपट चोराशी बोल. (१३) श्री चिन्तामणि पार्श्वनाथ जिन स्तोत्र कोइ महापंडित विरचित. (१४) श्री पार्श्वनाथ अष्टकं मल्कचंद कृत. (७) १७२८ प्रकरण रत्नाकर भा. १ लानो ककडो १ लो (साडात्र सो गाथार्नु स्तवन ) रु. २-०-० (७) १७२९ प्रकरण रत्नाकर भा. २ जो (आखो) रु. ६-४-० (७) १७३० प्रकरण रत्नाकर भा. ३ जो. रु. ६-४-० (७) (१) प्रवचन सारोद्धार-नेमिचंद्र सूरि कुत. (२) महावीर जिन स्तुति (२७६ विषयो छे ) रुप दोढसो गाथार्नु हुंडोनुं स्तवन. यशो विजयजी . (३) यशो विजयजीनो कागळ तेमां दिगंवर अने ढुंढीयाने शीखाण उपदेश. (४) निगोद छत्रीसी (बालाव बोध सहित ) (५) रत्नाकर पच्चीसी. (६) सवासो गाथार्नु स्तवन. यशोविजयजीनु. (७) शोभन मुनि कृत चोवीस स्तुतिओ बालाम्बोध (८) भव वैराग्य शतक. टला सहित.. [सहित. (९) रुषभ वीरजिन स्तुति संस्कृत. (१०) हृदय प्रदीप षट् त्रिशिका. संस्कृत. (११) मार्गानुसारीना १० काव्य-योग शास्त्रमांथी. १७३१ प्रकरण रत्नाकर भा. ४ थानो ककडो १ लो. मोटी संघ. For Private And Personal Use Only Page #249 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रकरण] १४४ [प्रकरण यणी. क्षेत्र समास. पाना १ थी ३०४ रु. २-०-० (७) " , ककडो बीजो. कर्म ग्रंथ १ थी ४ पाना. ३०५ थी ६०४ रु. २-०-० (७) भा. ४ थामांथी. (छ कर्म ग्रंथ. भाषान्तर ) रु. ५-०-० (७) । १७३२ प्रकरण रत्नाकर भा. ४ थो. (बीजी आवृति) रु. ५-०-० (७) १ इंद्रिय पराजय शतक बालावबोध सहित. २ अहंदादि स्तवन. विविध पद्य रचनात्मक. ३ पाश्वनाथ स्तवन. अनुष्टुप् वृत्त बद्धम्.. ४ चतुर्विंशति जिन स्तवन, नाना पद्य निबद्धम् ५ युगादि जिन स्तवन, ६ पार्थ जिन स्तवन. ७ जिनप्रभ मूरि. ८ पराग शब्दाष्टोत्तरशतार्थ निबद्धं साधारण जिन __स्तवन. विविध वृत्त बद्धम्. . ९ महावीर जिन स्तवन. १० पाश्वनाथ जिन स्तवन, ११ रुषभादि जिन स्तवन. [बोध सहित. १२ संघयणी रत्न. त्रैलोक्य दीपिकाख्य ग्रंथ. बालाव १३ रत्नशेखर कृत. क्षेत्र समास. मूल तथा बालावबोध. १४ सिद्धान्त स्तवन. १५ चोवीश जिन स्तवन. १६ यमकमय चतुर्विशति जिन स्तुति. For Private And Personal Use Only Page #250 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra मकरण ] १४५ [ प्रकरण १७ टीका उपरथी करेला बालावबोध सहित. कर्म ग्रंथना बत्रिश पृष्ट. १८ कर्म विपाक नामा प्रथम कर्म ग्रंथ. १९ कर्म स्तव नामा बीजो कर्म ग्रंथ. २० बंध स्वामित्व नामा तृतीय कर्म ग्रंथ. २१ षडशीति नामा चतुर्थ कर्म ग्रंथ. २२ शतक नामा. पंचम कर्म ग्रंथ. २३ सप्ततिका नामा पष्ठ कर्म ग्रंथ. १७३३ प्रकरण रत्नाकर भा. ४ नो ककडो पाना ५३३ थी. ६३३ रु. ३-८-० (७) १७३४ प्रकरण समुच्चयम्. (४९) रु.१-४-० सं० १९८० (१६) १७३५ प्रकरण सुखसिन्धु प्रथम भाग ले. पं. अजितसागरजी गणि. छ शतय ( ४६४ ) www.kobatirth.org " "" द्वितीय भाग. आठ शतक (४६७,४६८) १७३६ प्रकरण लघु संग्रह. (७, ५० ) १ जीवविचार, २ नवतस्त्व, ३ दंडक, ४ लघुसंघयणी, ५ बृहत्संघयणी त्रैलोक्यदीपिका, ६ लघुक्षेत्रसमास, ७ पट्कर्मांथ, ८ श्रीरत्नाकरपंचविंशतिका, ९ आचारोपदेश ग्रंथ, षड्वर्गरूप. Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १७३७ प्रकरण संग्रह भा. १ लो. रु. ०-५-० ( १७ ) ( १ ) सिन्दूर प्रकर मूल मात्र, ( २ ) तत्त्वार्थाधिगम सूत्र. १७३८ प्रकरण संग्रह भा. २ जो. रु. १-०-० (४३) सं. मुनि उत्तमचंदजी स्वामी (गुजराती) " १७३९ प्रकरण संग्रह मूळ. ( सिंदूर प्रकर. तत्वार्थ सूत्र, गुणस्थानक्रमारोह. ) रु. ०-४-० ( १७ ) ( मोडं ) रु. १-०-० ( ७ ) """ te For Private And Personal Use Only Page #251 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रकरण] १४६ [प्रतिमा १७४० प्रकरणमादि विचार गर्भित स्तवन संग्रह. रु. ०-६-० १९४१ प्रकीर्ण चतुष्कम्. (५०) १७४२ प्रकीर्ण दशकम्. (५०) १७४३ प्रकृति प्रकाश. ले. हुकममुनि. (२१) १७४४ प्रगटप्रभावी पार्श्वनाथ. सं. मणिलाल न्यालचंद शाह. सं. १९७९ रु. ०-८-० (४५८, ४६९, ९५, ३२३) १७४५ प्रच्छा प्रतिवय. हिन्दी खंडनादि प्र. चुनीलालजी खजांची. - मुंबइ विगेरेथी आवेला प्रश्नोनो उत्तर. सं. १९६१ (४७०, ७१) १७४६ प्रजासमाज कर्तव्य संस्कृत ग्रं.७४ बुद्धिसागरसूरि. (१५,५८ थी ६२, १८४) १७४७ प्रतिक्रमणविधि अमूल्य. सं. १९६१ बीजी आत्ति हि. सं. प्रा. (३६६) १७४८ प्रतिक्रमण विधि प्रकाश. (प्रत) मुनिचंद्रसरि रु. ०-१२-० (४७१) १७४९ प्रतिक्रमणसूत्र गुजराती अर्थवाळी. रु. १-४-० १७५० प्रतिक्रमणसूत्र विधि प्रकाश. (५०) १७५१ प्रतिक्रमण हेतु भाषान्तर. रु. ०-८-० १७५२ प्रतिक्रमणना हेतु. (६ १७५३ प्रतिमाखंडनमंडन स्तवन संग्रह. अनेक महापुरुषकृत. प्र. चुनीलाल (४७२, ७१) १७५४ प्रतिमा छत्रिशी ज्ञानसुंदरजी विरचित. उपकेशगच्छीय. रु. ०-०-६ (६८) १७५५ प्रविमाशतक (पाना ) .नं. ४२ रु..-८-० (१७,५०) For Private And Personal Use Only Page #252 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org प्रतिमा ] १४७ [प्र १७५६ प्रतिमाशतक सटीक यशोविजयउपाध्यायकृत. भावकृत सूरिकृत लघु टीका समेत. मूळ अने टीका बने संस्कृतमां छे. सं १९७१. सं. १७७३ नी सालमां वृत्ति करी रु.२-०-० • १७५७ प्रतिमाशतक. यशोविजयकृत, स्वोपज्ञ टीका सहित सं. १९७६ (६७, ४७३ ) 17 ,, गुजराती भाषान्तर. यशोविजयजी विरचित. लघुवृत्तिनुं भा. क. वकील मुलचंद नथुभाई. Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir रु. ०-१२० सं० १९५९ म. (७, ७१ ) १७५८ प्रतिमाशतक. मोटी टीका, संस्कृत, रु. २-०-० १७५९ प्रतिमास्थापक प्रबंध. रु.०-६-० (४७५ ) १७६० प्रतिमास्थापन न्याय. ܕܐ १७६१ प्रतिष्टाकल्प. भाषान्तर सहित, ( पाना ) रु००-८-० संस्कृत - छपावनार विगेरे कइ पण 535 " लखेल नथी. (५० ) १०६२ प्रतिज्ञापालन, बुद्धिसागरसूरि पृ. ११० नं. ३८ रु. ०-५-० ( १५, ५९ थी ६२, १८४ ) "9 १७६३ प्रत्येक बुद्ध चरित्र ( पाना ) रु. १-०-० ( ३२, २२ ) १७६४ प्रदीपप्रकाश मंगलविजय. (४७, १४ ) १७६५ प्रदेशीचरित्र. ( प्रत ) रु. ३-८-० ( ३२ ) १७६६ प्रद्युम्नकुमार, ले. पुरोहित पुरणचंद्र म. सवाइभाइ रायचंद ( १२९, ६३ ) १७६७ प्रद्युम्नचरितम् महासेनाचार्य ( दि.) (४७७, २२ ) १७६८ प्रद्युम्नचरित्र ( पाना ) श्रीशान्तिचंद्रोपाध्याय शिष्यरत्न चंद्रगणि रु. २-०-० ( ३४८, ५० ) For Private And Personal Use Only Page #253 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रधुन १५८ [सभापक १७६९. प्रधुम्नचरित्र. भाषान्तर कर्ता. पं. चारित्रविजय. १७७० प्रद्युम्नचरित्र भा. १ लो. रु. १-०-० , भा. २ जी. रू. १-०-० " भाषान्तर. रु.१-८-० १७७१ प्रबुद्धरोहिणेय नाटकम्. रामभद्रमुनि निर्मितम्. नं. ६० रु. ___०-२-० (१७. ५०) १७७२ प्रबंधचिन्तामणि. १ थी त्रण भाग (पूर्ण) मेस्तुंगाचार्य. रु. ३-१२-० (२९) . , , मेरुतुंगाचार्य. इ. स. १८८८ जैनविद्या शाळा मुंबइ रु. २-०-० (४७९, १२) १७७३ प्रबोधचिन्तामणि. जयशेखरमूरिकृत. मोहविवेकनुं स्वरुप अने तेमर्नु युद्ध, मोहनो पराजय, विवेकनुं साम्राज्य इत्यादि संस्कृत. सं. १९६५ (६, १७) १७७४ प्रपंधचिन्ताणणि भाषान्तर. रु. २-०-०) बने भेगाना रू. " , संस्कृत. रु. २-०-०)(४८०,४८१) १७७५ प्रबोध चिन्तामणि भाषान्तर गुजराती. रु. ०-८-० पं. केसरविजय. (२५) , , ,, जयशेखरसूरि विरचित. (६) १७७६ प्रबंध चिन्तामणि भाषान्तर. इंग्रजी. रु. ३-१२-७ १७७७ प्रबोध चन्द्रोदय नाटक. कृष्णमित्रयति प्रणितम् सटीक. रु. ०-१४-० (१०, ५०) १७७८ प्रभावक पुरुष चरित्र (संस्कृत) (प्रभावक चरितम् ) चंद्रप्रभसूरि प्रणितम् बावीस प्रभाविक पूर्वाचार्योनां चरित्र छे. इतिहास पुरो पाडे छे. संस्कृत अने इंग्रजीनो एक प्रसिद्ध विद्वान-संपादक छे. (१०) For Private And Personal Use Only Page #254 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra प्रभावक ] १४९ [ प्रमाण १७७९ भभावक चरित्रम् चंद्रप्रभरि प्रणितम् महाकवि गुणदोष विवेचनात्मकम् रु. १-८-० (५०) १७८० प्रभावती (७१) १७८१ प्रभुका चरित्र रु. ०-२-० १७८२ प्रभु पूजा. रु. ०-०-६ (६८) १७८३ प्रमाणनयत लोकालंकार मूळ. ६ देवाचार्य निर्मित. ११३४ जन्म. १९५२ दिक्षा. ११७४ सूरिपद. १२२६ स्वर्ग. श्रावण वद्र, ७ गुरुवादि देवसूरि रु.८-०-० ( ९५ ) १७८४ प्रमाणनय तत्त्वा लोकालंकार. ( प्रत ) रु.४-०-० संस्कृत. जैन न्याय प्रवेश ग्रंथ. रु. 39 19 ०-८-० (१४ ) " www.kobatirth.org 19 "" ?? "" विवृत्या विभूषित. सं. १९७० ( ११ ) 93 "" परिच्छेद रु. १-०-० ܕ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( संस्कृत ) रु. ३-०-० "" "3 मूल. वादि देव सूरि विरचित, यशो विजय जैन. ग्रं. नं. १ रु.०-६-० ( १४ ) 39 "" • [ वे परिच्छेद रु. १-८-० संस्कृत वादि देव सूरि विरचित. स्वोपक्ष स्याद्वाद रत्नाकराख्यया स्याद्वाद रत्नाकरावतारिका टीका वे रत्नाकरावतारिका युक्त. रत्न प्रभाचार्य निर्मित टीका, यशोविजय जैन ग्रंथमाला. (१४) "" " १७८५ प्रमाण परिभाषा. श्री विजय धर्म सूरि. (१४, २२ ) न्यायालंकार नाम टीका विभूषिता. न्यायविजय कृत न्यायतीर्थ न्याय विशारद. हरखचंद भूराभाइ. काशी. रु. ०१२-० (१४, ४७ ) For Private And Personal Use Only Page #255 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रमाण] १५० [प्रथम १७८६ प्रमाण मीमांसा. हेमचंद्राचार्य, रु. २-०-० " , सटीका. (११) बीजा ध्ययनर्नु प्रथम आन्हिक. हेमचंद्राचार्य प्रणित. १७८७ प्रमाण लक्षणम्. (५०) १७८८ प्रमा लक्षा लक्षणं. सटीकम्. (११) १९८९ प्रमेय रत्न मार्तड. (५०) १७९० प्रभु पूजा. (६८) १७९१ प्रमेय कमल मार्तड. (पाना) रू. ४-०-० १७९२ प्रमेय रत्न कोश. चंदप्रभ विरचित. (संस्कृत) रु. ____०-४-० Luigi Suali (६, १०) १७९३ प्रवचनसार. (रा. गं. मा) कुन्दकुन्दाचार्य प्रणीतम् (दि.) रु. ३-०-० ( ३२५) १७९४ प्रवचनसार. टीका. प्रथम खंड हिन्दी अनुवाद. १७९५ प्रवचनसार मूळ हिन्दी श्रीमत्कुन्दकुन्दाचार्य विरचित. तत्त्वदीपिका. तात्पर्य वृत्ति बालबोधिनी भाषेति टीका त्रयोपेतम् (दि.) (३२५, ५०) १७९६ प्रवचनसारोद्धार. (पूर्व भाग) नेमिचंद्र निर्मित. सिद्ध सेनसूरिशेखर रचित. वृत्तियुक्त गं. नं. ५८ रु. ३-०-० (१६) १७९७ प्रवृत्ति निवृति. चारित्र विजय. रु. ०-८-० (१७) १७९८ प्रशमरतिप्रकरणम्. श्रीउमा स्वाति वाचक विरचितमः सटीकमवरि सहितम् सं. १९६६ टीकाकारतुं नाम जडयुं नथी. मूळ अने अवचूरि बने संस्कृत. (१०) प्रति. For Private And Personal Use Only Page #256 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org भश्चम ] १५१ १७९९ प्रशम रति प्रकरण मूल. रु.०-६-० १८०० प्रशमरति, रु. ८-४-० (३३) १८०१ प्रशमरति प्रकरम् श्री उमा स्वामिकृत. केशवलाल प्रेमचंद संशोधितम् रु. ०-३-० श्रीजुं, तेमां चार तीर्थ कल्प छे कीं • • Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 77 " मत नथी सं. १९६० ( ३३ ) १८०२ प्रशमरति भाषान्तर. सं. १९६६ रु. ०-६-० (३३, ५० ) १८०३ प्रशमरति सटीक रु.०-१२-० १८०४ प्रश्न चिन्तामणि ( पाना ) रु. ३-८-० · १८०५ प्रश्न द्वात्रिंशिका स्तोत्र नयविमलगणिकृत गं. नं. ४ रु. ०-४-० ( ७३, ४८२ ) १८०६ प्रश्न पद्धति, अभयदेव सरि शिष्य हरिचंद्र गणि विरचित, नं. ७० सं० १९७८ रु. ०-२-० ( १७ ) १८०७ प्रश्नमाला स्तवन. रु. ०-१-० ( ६८ ) ( ४८३ ) १८०८ प्रश्नमाला. प्रश्न. १००रु.०-१-० (६८ ) १८०९ प्रश्न रत्नाकर शेन प्रश्न. (५०) १८१० प्रश्न व्याकरण. सुधर्मस्वामिकृत टीका. बाबुनुं नं. १० (२४, ५० ) टीका. १८१९१ प्रश्नामृत प्रश्नोत्तर तरंग. रु. १-०-० बार प्रश्नोना उत्तर धन विजयजी ( अलभ्य ) सं. १९५१ ( ३७ ) अभयदेव सूरि. [ १९७५ ( २८ ) रु.१-१२ - ० सं. 99 99 17 ललु वल्यम शाह. रु. १-०-० 99 " ( ४८४ ) १८१२ प्रश्नोत्तर तत्व बोध, रु००-८-० For Private And Personal Use Only [ प्रश्नोत्तर Page #257 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रश्नोत्तर] १५२ [प्रश्नीचर १८१३ प्रश्नोत्तर पत्रिका. प्र. आनंदसागर प्रेस. दरबारधार. ६. १९०४ (४८६, ७१) १८१४ प्रश्नोत्तर पुष्पपाला. इंसविजयजी विरचित, २०५ प्रश्नोना उत्तर छे. नं. १९ (शास्त्री) रु. ०-१२-० (१७,६) १८१५ प्रश्नोत्तर पुष्प वाटिका. भेट. राजेन्द्रसूरि सं. १९७१ मार वाडी. (३७) १८१६ प्रश्नोत्तर प्रदीप ग्रंथ. लक्ष्मीविजय विरचित. प्र. शा. रव चंदभाइ गीरधरलाल. सं. १९७३ (४८७, १०) , तेमां त्रण ग्रंथ, प्रश्नोत्तर प्रदीप, पर्युषणा टान्हिकाख्यान. पंच जिन स्तुति. पं. संघवी भोगीलाल कालीदास. (४८८) १८१७ प्रश्नोत्तर प्रदीप. रु. ०-१२-० , गुजराती. १८१८ प्रश्नोत्तर मालिका हिन्दी. १८१९ प्रश्नोत्तर मंजरी. ग्रंथस्य रितीय भाग. बुद्धि मुनि. पंन्य. केसरमुनि शिष्य. गणिनामक मकसुदाबाद. (५०) चोकस ठेकाणुं लखेलु जणातुं नथी. " " भा. १ लो. (५०) " " भा. ३ जो. (५०) " , रु.६-४-० १८२० प्रश्नोत्तर रत्न चिन्तामणि. रु. ०-७-० , गुजराती. अनोपचंद मलुकचंद. रु. ०-८-० (२५१, २३१) १८२१ प्रश्नोत्तर रत्नमाला. गुजराती. रु. ०-४-० (३३,५०) १८२२ प्रश्नोचर रत्नमाला टीका. (पाना) रु. १३-०-. For Private And Personal Use Only Page #258 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रश्नोत्तर १५३ [प्रज्ञापना १८२३ प्रश्नोत्तर रत्नाकर. रु. १-०-० " " की. नथी. (७३) १८२४ प्रश्नोत्तर विचार, रत्नसार. रु. ०-४-० (४८९) , हिन्दी. प्र. बुद्धि मुनि. केसर मुनि. जी गणिना शिष्य (५०) १८२५ प्रश्नोत्तर समीक्षा. रु. ०-२-० १८२६ प्रश्नोत्तर सार्ध शतक सटीक. सबीनं कल्याणविजयगणि कृत. (४९०, ५०.) १८२७ प्रश्नोत्तर संग्रह. रु. ०-४-० " , कि. मनन. आत्मारामजीए. ए. सो. कलकत्ताना सेक्रेटरी. डो. हॉर्नलमा प्रश्नोना आपेला उत्तरो सं. १९७२ ( ३७३, ४९१) १८२८ प्रश्नोत्तरी बोधमाला. प्र. श्रीमती सौ. श्राविका हरकोर. शा. मोहनलाल गोविंदजीना धर्मपत्नी पालीताणा पु. ७ मुं. सं. १९७९ (४९२) १८२९ प्रस्ताव दृष्टान्त. प्रस्ताव शतक टीका. दृष्टान्त. रत्नावल्या. ख्या. कर्ता केसर विमल. (५०) १८३० प्रस्तावशतक टीका. (संस्कृत) पाना. रु. १२-०-० १८३१ प्रस्तावरत्नावली. गणितानु योग. ले. रत्नचंद्रजी मुनि. सतावधानी. (४३) १८३२ प्रज्ञापना सूत्र. अनुवाद युक्त. बाबुवालु. (२४, ५०) .., भाषान्तर. तेनो विभाग. (५०) १८३३ प्रज्ञापना सूत्र भा. १ भा. २ श्यामाचार्य संहब्ध पूर्वाधे श्री मलयगिरि आचार्य विहित विवरणयुतं. रु. ३-१४-. (५०) 32 For Private And Personal Use Only Page #259 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रज्ञापनो] १५४ [प्राचीन १८३४ प्रज्ञापनोपाङ्ग . तृतीय पद संग्रहणी. अवचूरि भूषिता. (१४, ४७) १८३५ प्राकृत कथा संग्रह. सं. १९७८ प्रथम भाग मूळ पाठ. रु. ०-१२-० (३६) १८३६ प्राकृत पिंगल. सूत्र संस्कृत टीका सहित. श्रीमद् वाग्भट्ट विरचितानि. लब्धिनाथभट्टकृत. टीका सहितानि. .. (६, १०) १८३७ प्राकृत मार्गोपदेशिका. कर्ता. पं. बेचरदास. रु. ०-१२-० (४९३) १८३८ प्राकृत रूपावतार. प्राकृत (ग्रामर ) व्याकरण. अंग्रेजी प्रस्तावना साथे. (२९) १८३९ प्राकृत लक्षण इंग्लीश नोट, सहित भा. १ लो. अगत्यनी प्रस्तावना साथे. इ. १८८० रु. १-८-० (२९) १८४० प्राकृत व्याकरण सविवेचन. गुजराती. (४९४, ५०) रु.१-०-० १८४१ प्राकृत शब्द रुपावलि. मोटी. रु. ०-१२-० प्रताप विजय मुनि प्रणीत. सं. १९६८ (११) " " रु. ०-२-० १८४२ प्राकृत सूक्त रत्नमाला. मूल. संस्कृत. छाया अंग्रेजी भा पान्तर भा. क. पूरणचंद नहार. इ. १९१९ प्राचीन सुभाषित संग्रह. रु. ८-८-० (२८३) १८४३ प्राचीन गुर्जर काव्य संग्रह. प्रथमो भाग. रु. २-४-० (१३८) १८४४ प्राचीन जैन लेख संग्रह. मुनि जिनविजय. खारवेलना लेखो छे. रु. ०-८-२ (६, १०, ३६) For Private And Personal Use Only Page #260 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्राचीन [प्राकृत १८४५ प्राचीन तीर्थमाला संग्रह. भा. १ लो. रु. २-८-० (१४) १८४६ ( दुनियानो सौथी ) प्राचीन धर्म भा. १ लो. गुजराती. रचनार सांकलचंद माणेकचंद घडीयाली. रु. १-४-० (३४३ ) १८४७ प्राचीन पूर्वाचार्य विरचित. स्तवन संग्रह. भेट. (४९५) १८४८ प्राचीन भरतखंडनो महिमा. इतर इतिहासिक वडोदरा रा. ज्यना दिवान दत्तनो लखेलो छे. (५०, २२) जैनेतर. १८४१ प्राचीन भारत. गुजराती. (५० ) जैनेतर.. १८५० प्राचीन भारत वर्षकी सभ्यताका इतिहास.भा.१-२-३-४ श्री रमेशचंद दत्त. इतर. (४९६) अजैन. १८५१ प्राचीन (मूर्तिओना ) लेख. अजैन. १८५२ प्राचीन लिपिमाला. गौरीशंकर हीराचंद ओझा. रायबहा ___दुर. रु. २५-०-० इ. १९१८(४९७,४९८) अजैन. १८५३ प्राचीन लेखमाला भा. ३ जो निर्णयसागरना (त्रण भाग छे) ले. (६, १०) अजैन. १८५४ प्राचीन लेख संग्रह. भा. १ लो. रु. १-०-० (१७, ४९९) , , भा. २ जो. रु. ३-४-० (१७, ४९९) १८५५ प्राचीन लेख संग्रह. मर्डम मुनि श्री. कर्पूर विजयजीनो प्राचीन लेख संग्रह. ( इन्दोरना) १४९, ५००) " . भा. १ लो. रु. ०-८-० १८५६ प्राकृत लेख विभाग. प्रवर्तक. कान्ति विजय जैन इतिहास माला पुष्प. ४ धुं. संपादक. मुनि जिनविजय. (१७, ५०१) For Private And Personal Use Only Page #261 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org प्राचीन ] १५६ प्रेमची १८५७ प्राचीन श्वेतांवर अर्वाचीन दिगंबर रु. ०-४-० (३२३) १८५८ प्राचीन स्तवन संग्रह भा. १ लो. ( ज्ञानविमलसूरि कृत ) रु. २-०-० ( १९७, ५० ) १८५९ प्राचीन स्तवनो. यशोविजय. १२५-१५०-३५० गाथाओनां रु. १-०-० सं० १९७५ (९२, ५०, ५०२ ) १८६० प्राचीन स्तवन संग्रह. रु.०-६-० (५०३, ५०४ ) १८६१ प्राणी पोकार. रु. ०-२-० भेट. गद्यपद्य. ( १०८ ) " 59 १८६२ प्राणी हिंसा अने पाणी खोराक निषेधक. रु. ०-७-० Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( ६ ) १८६३ प्राणी हिंसा निषेधक. रु. ०-७-० १८६४ मातमंगल पाठ रु.०-१-० (२०१ ) १८६५ प्रात:स्मरणार्थ बुक. रु. ०-८-० ८६६ प्रायश्चित्त संग्रह. माणेकचंद ग्रं. १८ ( दि. ) ( ८१ ) १८६७ प्रियंकर चरित्र भाषान्तर रु. ०-४-० (६ ) " १८६८ प्रियंकर नृप चरित्र ( पाना ) जिनसूरि कृत उपसर्गहर स्तोत्र महिमा गर्भित. रु. १-१२-० (६, ५० ) प्रियंकर नृप चरित्र. जिनसूरि कृत. उपसर्ग स्तोत्र महिमा गर्भित. सं. १९७२ भेट. " हिरालाल हंसराज जामनगर. रु. १-१२-० (३२ ) १८६९ पृथ्वीचंद्र चरित्रम् लब्धिसागर सूरि. (३२) इ. १९१२ १८७० पृथ्वीचंद्र चरित्रम रुपविजय गणि. इ. १९१८ (६, २२ ) १८७१ सत्यराज गणि. (१४ ) १८७२ प्रेमी मुक्ति, चारित्र विजय. रु. ०-८-० (६०) "" "" For Private And Personal Use Only Page #262 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रमेय १५७ [4 १८७३ प्रमेय रत्न कोष. श्री चंद्रप्रभ मूरि विरचित. पी. एच. डी. इत्युपाधि धारिण एल स्वाली संज्ञे युरोपखंडवासिना संशोधित. (६) १८७४ प्रेसिडन्ट. महावीर. (गार्फील्ड लखनार.) प्र. नरसिंहभाइ इश्वरभाइ पटेल. (गु. ५०६, ५०५) .. १८७५ प्रो. ल्युमन अने आवश्यक सूत्र. विस्तारपूर्वक पत्रक युक्त. थोडोकज भाग छे. गु. (६३) १८७६ फार्बस गुजराती सभाना हस्त पुस्तकोनी यादी. सं. १९७९ (५०७, ५०८, ५०९) १८७७ फाहियान ओर हुसेनसंगकी भारत यात्रा. रु. २-४-. बौद्ध भारतना समयमा परिव्राजक फाहियान तथा हुसेनसंगका भ्रमण वृत्तान्त पांचमी शताब्दिना हिंदनी धार्मिक अने सामाजिक स्थिति. (५०) अजैन. १८७८ फेशनका फीतुर फुलचंद अग्रवाल. (५१०, ५११) १८७९ फोटा. जिनवल्लभजीना प्राचीन पुस्तको विगेरेना. (५०) ब. १८८० बडी साधु वंदना (जुओ देवचंद भा. २ वि. १) १८८१ पत्रीस सूत्र दर्पण ज्ञानसुंदर. सं. १९७४ ओसीआ तीर्थ मारवाड. रु. ०-३-० (६८, १२) १८८२ पत्रीश बत्रीशी सटीक. रु. १-८-१ (६) १८८३ बंध स्वामित्व नामनो त्रीजो कर्म ग्रन्थ. हरिभद्र मूरि विर चित व्याख्या सहित. प्राचीन कर्म ग्रंथ. मू. भा. टी. सं. मूलपण जुदो आपेल छे. सं. १९७२ (१७) For Private And Personal Use Only Page #263 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १५८ म्यान] [बाल १८८४ व्यान पारसनाथ. पहाड. शान्तिविजय कृत. १८८५ बलिभद्र ( संक्षिप्त सार ) तथा बलिभद्र मूलरास. (जुओ अतिहासिक रास. संग्रह भा. २ जो.) १८८६ बर्नियरकी भारत यात्रा. भा. १-२-३-४ इतर. सन १६५६-६८ मुगल राज्यमेकी हुइ एक फ्रेन्च विद्वानकी भारत यात्राका वृत्तान्त. अंग्रेजीपरथी अनुवादक (५१२, ५०) १८८७ बलभद्र चरित्र. (प्रत ) रु. ०-८-० १८८८ बार व्रतनी टीप शास्त्री. रु. १-१-० (६) , रु. ०-२-० (६) १८८९ बार व्रतनी टीपनो रास. ज्ञानविमलसूरि कृत. जंबुस्वामी ना रासना भेगो छपायेल छे. जुओ. पं. दयाविमलजी जैन ग्रंथमाला नं. ११ मो. (३१६, ७३) १८९० बारह भावना. हिन्दी. (५०) १८९१ बार भावनानी सज्झाय. सकलचंदजी पाध्याय कृत. (जुओ श्लोका संग्रह. शास्त्री) १८९२ बारेमासा सं. १९६३ बीजी आति. हिन्दी. रु. ०-४-० १ ३६६) १८९३ बाल रामायण नाटक मूल मात्रम्. राजशेखर प्रणीतम् प्र. गोविंददेव शास्त्री ( ५१३, ५०) , ,, . भाषान्तर गुजराती, भा. क. भद्रशेकर. जयशंकर शास्त्री गुजराती पद्यबंध मूल नथी. रु. १-८-० सं. १९७२ (५१४, ५०) १८९४ बावीसपंथी ओर तेरापंथीयोसे प्रश्नावली. गु. (५०) १८९५ बालपोथी. (जैन शिक्षणमाळा.) आवृति बीजी. रु. ०-१-६ (३३) For Private And Personal Use Only Page #264 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir बाळबोध ] १५९ १८९६ बाळबोध चोवीशी. ( शास्त्री ) रु. ०-२-० " , गुजराती भेट. सं. १९६३ काव्य ___" , शास्त्री. रु. ०-१-० [(५१५) १८९७ बाळबोध जैनधर्म. भा. १ लो. रु. ०-२-० " " भा. २ जो. रु. ०-२-० (६) १८९८ बाळ भारत संस्कृत. रु. ३-४-० (६) १८९९ वासठिया. ९७ बोल. विचार यंत्र. रु. ०-२-० (३७) १९०० बाहु जिन स्तवन. अने टबो (जुओ देवचंद्र भा. २ वि.१) १९०१ बीजी जैन श्वेतांबर कोन्फरन्सनो रीपोर्ट. रू. ०-१२-० (२३५) १९०२ बुद्ध चरित्र. रु. ०-८-० (६) १९०३ बुद्ध महावीर अवतार लीला लेखमाळा. लेख नं. ३-४ रु. ०-४-० ले. किशोरलाल घनश्यामलाल मशरुलाल (५१६, ५१७, ९५) १९०४ बुद्धिप्रकाश. गायन संग्रह. ले. बुद्धिसागर सूरि सं. १९६० . रु. ०-३-० प्र. मणिलाल वाढीलाल.(१९१-५१९) १९०५ बुद्धिप्रकाश, गायन संग्रह. भा. १ लो. अलभ्य. रु. ०-२-० ( १९१) १९०६ भा. २ जो. रु. ०-२-० संभव. जिन मंडली. (५२०) १९०७ बुद्धिसागर. सगराम सोनी कृत. (२२) १९०८ बुद्धिसागर मूरिना भाषण- अंग्रेजी भाषान्तर. वडोदरा. . (५२१) १९०९ बुद्धिसागर सरि अने तेमनुं जीवन अने गुर्जर साहित्य For Private And Personal Use Only Page #265 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra घे] " १६० [ बंच सं. १९८० ले मणिलाल मोहनलाल, पादराकर. | हरिभद्रादि कृत. रु० ०-५-० ( २८, १६ ) ( ५२२ ) १९१० बे अष्टक प्रकरण १९११ वे षट्दर्शन समुच्यय १९१२ बे प्रतिक्रमणना छुटा अर्थ रु.०-२-० ( ६ ) १९१३ वे प्रतिक्रमण सूत्र अर्थ सहित रु. ०-५-० (६) १९१४ बे प्रतिक्रमण सूत्र (गुजराती) रु. ०–४–० ( ६ ) 99 " " www.kobatirth.org 19 Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir रु.०-२-६ (६) " (शास्त्री ) रु.० - ४–६ ( ६ ) रु.०-२-० (६) " "" १९१५ बोध दिनकर. हुकममुनि, (२१) १९१६ बंध उदय हेतु त्रिभंगी प्रकरण ( पाना ) नं. ६६ पं. हर्षकु लविरचित, (लक्ष्मीसागर शिष्य ) विमल विजयगणिनी टीका साथे. टीका सं. १६०२ सं. १९७४ ( १७, १० ) १९१७ बंध छत्रिशी. ( २८, १६ ) १९१८ बंध षट्त्रिंशिका सटीक वानर्षिगणि कृत. अवचूरि स. हित, रत्न. १२ सं. १९६९ रत्न १२ निर्णयसागर . (१७) रु.०-३-० बंध पत्रिशिका सटीक की. नथी. (३३, ५० ) १९१९ बंध स्वामित्व नामा प्रथम कर्मग्रन्थ ( जुओ प्रकरण रत्नाकर भा. ४ थो. ) १९२० बंध हेतु प्रकरण. जघन्योत्कृष्ट पद एक कालं गुणस्थानकेषु " बंध हेतु प्रकरण " मू. प्रा. टी. सं. ( नं. ६६ ना भेगु छपायुं छे ) सं. १९७४ ( १७, १० ) For Private And Personal Use Only Page #266 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir बंध ] १६१ [ बृहत् १९२१ बंधहेतूदय त्रिभंगी सावचूरि १९२२ बंधोदयसत्ता प्रकरण. विमल विजयगणि. रत्न. ६६ ना भेगुं छे. सं. १९७४ ( १७, १० ) [ कृत. (५२३) १९२३ ब्रह्मचर्य इतर भेट सं. १९७२ भोगीलाल मनसुखराम १९२४ ब्रह्मचर्य दिग्दर्शन विजयधर्मसूरि. ( ११,४७ ) १९२५ ब्रह्म० चक्रवर्तिनी कथा गद्य. ( जुओ चरित्र संग्रह ) १९२६ बृहद् द्रव्य संग्रह नेमिचंद्राचार्य रु. २-४-० (४५१) दि. १९२७ बृहत्सूत्र कल्पभाषा वेदकल्प छेद सूत्र शुद्ध मूळ शब्दार्थ भावार्थसहित रु. १- ४-० (१३५, १२) १९२८ बृहत्संघयणी त्रैलोक्य दीपिका. (जुओ प्रकरण लघु सङ्ग्रह) १९२९ बृहत्संग्रहणी भाषान्तर प्रा. सं. (१२) १९३० बृहद् हेमप्रभाव्याकरणम् (११) १९३१ ब्रह्मचर्यव्रत सं. १९६५ पृ० २१६ रु. ०-३-० (३३) १९३२ बृहत्कथा मंजरी क्षेमेन्द्र विरचिता रु. ३-४-० (५०, १०) १९३३ बृहदालोयण ( लालाजी कृत ) रु००–४–० १९३४ रणजीतसिंहजी कृत रु.२-६-० (८२) १९३५ बृहत्पर्युषणा निर्णय पूर्वार्ध प्रथम दूसराखंड कर्ता मणिसागर "" महाराज भेट (५२६,५२७,५२८) १९३६ बृहत्संघयणी मलयगिरि विरचित वृत्तियुता जिनभद्रगणि क्षमाश्रमण संयन्था सं. १९७३ रु.२ -८-० रत्न ४७ (१७,१०) १९३७ बृहत्संघयणी सटीक (पाना) रु. १- १२-० (५.) ,5 १९३८ बृहत्क्षेत्रसमास जिनभद्रगणि क्षमाश्रमण निर्मित ( मलय गिरिनी टीका सहित ) सं. १९७७ अढी द्वीपनो अधिकार ૨૧ For Private And Personal Use Only Page #267 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir [ भक्ति अने तेमां आवेला सूर्य चंद्र अने अंतीपनो अधिकार छे. गाथा प्रमाण ६३७ छे. अति उत्कट भूगोनो विषय छे. (संस्कृत) (६) भ. १९३९ भक्त परिज्ञा (पयन्ना) मूळ. (जुओ चउसरण आदिचार पयन्ना) १९४० भक्तामर (दि.) (जुओ काव्यमाळा. गुच्छक ७मो भाग) भक्तामर टीका रू. ०-८-० (६) भक्तामर संस्कृत टीका भाषान्तर हिन्दी पंडितावतंस श्री सिद्धचंद्र प्रणीत (दि.) टीका सहित तथा कवि हेमराज विरचिता हिन्दुस्थानी भाषामां दोहो चोपाइ बालावबोध युक्त (७) भक्तामर स्तोत्र श्रीवीर, नेमि अने सरस्वती एम त्रण स्तुति गर्भित सम्पादक धर्मसिंह कृत ( जुओ स्तोत्र रत्नाकर प्रथमभाग सटीक) भक्तामर स्मरण रु. ०-२-६ (६) भक्तामर स्तोत्र रु. ०-६-० (६) भक्तामर स्तोत्र टीका अर्थ सहित रु. ०-८-० (६) भक्तामर स्तोत्र सटीक (प्रत) रू. ३-०-० , , सयंत्र विवेचन युक्त गुजराती (५०) " " " , मूळ सह गुजराती (५०) (गद्यपद्यमां भाषान्तर छे श्वे० आग्नायर्नु ४८ काव्यर्नु)(५७०) १९४१. भक्तिभावना प्रकाश (५३१, ५.) [( ५३२). १९४२ भक्तिमार्ग प्रकाश गु० गंभीरविजयजीगणि विरचित. For Private And Personal Use Only Page #268 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir भक्ति १९४३. भक्तिमाला गु. (५३३, ५३४, ५०) १९४४ भगवतीसूत्र (भा. १ लो) मूळ. सुधर्मास्वामी टीका अभय देवसरि रु. ३-४-० (२८,१६) , भा. २ जो. रु. ३-८-० (२८, १६) ,, भा. ३ जो. रु. ३-४-० (२८, १६) १९४५ भजन मंडली द्वे. नं. ४ ( जुओ आर्यमतलीला) १९४६ भगवती सूत्रम् ( व्याख्या प्रज्ञप्ति ) सुधर्मा स्वामी प्रणीत अभयदेवमूरि विरचित विवरण सहित पंचमांगे प्रथमखंड समस्तनी किंमत रु. ४५-०-० (५३५, २०९) " तियादि (५०) भाषान्तर गुजराती (५०) सति बाबु० ( २४, ५०) " भा. १-२-३ (५०) । भगवती सूत्र मूळ टीका अर्थ युक्त. (पाना) भगवती सूत्र भा. १ लो मूल कर्ता सुधर्मा. रु. ३-४-० सं. १९७४ (२८) [(२८) , भा. २ जो. , रु. ३-८-० सं. १९७६ , भा. ३ जो. ,, रु. ३-४-० सं. १९७७ (२८) " भा. २ जो. पंडित बहेचरदास. (५२४) १९४७ भजन पचासा. रु. ०-२-० १९४४ भजन इक्कीसा हिन्दी पुस्तक सं. ६ ले. जवाहरलाल जैन. (५३७, २२८) १९४९ भजन पचिसी. (५०) १९५० भजन संग्रह. रु. ०-८-० पृ. २०० (१५) १९५१ भजन संग्रह. भा. १ लो. रु. ०-४-०(१५) For Private And Personal Use Only Page #269 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १६४ [ भरटक " , भा. २ जो. रु. ०-८-० पृ. ३३६ (१५) ,,, भा. ३ जो. रु. ०-८-० पृ. २१५ (१५) , , भा. ४ थो. रु. ०-८-० पृ. ३०४ (१५) ,,, भा. ५ मो. तथा ज्ञान दीपिका. रु. ०-६-० पृ. १९० (१५) " , भा. ६ ठो. रु. ०-१२-० पृ. २०८ (१५) ,, ,, भा. ७ मो. रु. ०-८- पृ. १५६ (१५) १९५२ भजन संग्रह भा. ८ मो. पृ. ९७६ रु. ३-०-० (१५) ,, भा. १ मो. पृ. ५८० रु.१-८-० (१५) , भा. १० मो. पृ. २०० रु. १-०-० (१५) , भा. ११ मो पृ. १८० रु. १-०-० (१५) १९५३ भजन मंजुषा. रु. ०-१-० १९५४ भट्टारक मिमांसा. रु. ०-२-० १९५५ भक्ति परिज्ञान ( जुओ दशपयन्ना) १९५६ भद्रकालीनो भोग. रु. ०-२-० सं. १९७६ (१०८) १९५७ भद्रबाहु चरित चर्चा. ले. बालचंद्राचार्य, प्र. यतिजी श्री माणेकचंदजी. हिन्दी. ( २०३) १९५८ भद्रबाहु संहिता. भाषान्तर त्रिकालदर्शी श्री भद्रबाहु स्वा. मि प्रणिता. रु. १-०-० सं. १९५९ (७) , , संस्कृत. (पाना ) रु. २-१२-० (६) १९५९ भरटक द्वात्रिशिका. रु. ३-०-० (१४, ४७) है , किंमत नथी. खुलासा अने नोट साये पाठान्तर साथे बाय. Johannes-Hertel In commission bee Market & Petters Leipzig. Seebargstr. 5s. For Private And Personal Use Only Page #270 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org 39 भरत ] १६५ [ भावना १९६० भरत बाहुबलनो लोको ( जुओ श्लोका संग्रह. ) १९६९ भरत बाहुबलि चरित्र. रु. १-६-० ( ५३९, १ ) १९६२ भरत बाहुबलि चरित्र रु००-१-६ ( ६ ) रास. ( जुओ आनंद काव्य महोदधि. मौ. · १९६३ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 99 ३ जुं. ) १९६४ भरतेश्वर बाहुबलि वृत्ति भाषान्तर मूळ संस्कृत गद्यात्म उपरथी. रु. २ - ८-० ( आ. बी. १७९ ) भरतेश्वर बाहुबली वृत्तिनुं गुर्जर भाषान्तर (३१, १७) १९६५ भर्म विद्वरत्न जितमलजी स्वामिकृत. ( तेरापंथी ) (५४०, ७१ ) [ भा. ३ जो ) १९६६ भव वैराग्य शतक टबा सहित ( जुओ प्रकरण रत्नाकर १९६७ भविसयत्त कहा. धनपाल विरचित. इ. १९२३ की. रु. १९६८ भारत राज्य मंडळ. जैनेतर [ ६-०-० (१३८ ) १९६९ भाव कुलकम् ( जुओ कुलक संग्रह १७ वाळो ) १९७० भावना बोध रायचंद रु. १-०-० ( ३२५ ) १९७१ भावी चोवीसी पैकी पद्मनाभनुं स्तवन ( जुओ देवचंद्र भा. २ वि . १ ) १९७२ भाषा चंद्रिका डीवाचो फाटी गयो छे. (५० ) १९७३ भाट्ट भाषा प्रकाश. (५०) अजैन १९७४ भातृचंदजी विरह. पृ. ६४ ( भेट ) सं. १९७२ (१०८) १९७५ भारत सहकार शिक्षण पद्य काव्य बुद्धिसागरसूरि रु. ०-१०-० सं० १९७५ १९७६ भाव आवश्यक गुजराती. रु.०-४-० १९७७ भावनगर आत्मानंद सभानो रीपोर्ट, रु. ०-२-० (१७) १९७८ भावना बोध राज्यचंद्रप्रणीत बार भावनानुं स्वरूप सं. १९६३ रु० ०-४० (४५१ ) [१९७८ ( ५४१ ) For Private And Personal Use Only Page #271 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir भावना ] १६६ [ भीमज्ञान १९७९ भावना भूषण मुनि विनय विजयजी की. नथी. सं. १९८० भावना शतक. गुजराती मूळ भावार्थ अने विवेचन साथै शतावधानी पंडित मुनिराज श्री रत्नचंद्रजी ( ५४२ ) १९८१ भावना संग्रह सोळ भावनानुं स्वरुप तथा दशविध यतिधमनुं स्वरूप, रु. ०-८-० की. नथी. (२०९ ) १९८२ भावना स्वरूप रु. ०-४-० 99 59 रु.० - १-० यतीन्द्रविजय अलभ्य. १९८३ भाव परिज्ञान विगेरे (५०) [ सं. १९६४ ( ३७ ) १९८४ भाव प्रकरणम् विमल गणि (विजय) विरचितम् (ज्ञानबिंदु नं. २ ) मूल्य मनन (५४३) १९८५ भाव प्रकरण सटीक ( पाना ) विमलगणि विरचित रत्न नवसुं स्वोपज्ञ अवचूरि सहित सं. १९६८ सं. १६२३ ना पोस वदी ५ ना रोज अवचूर्णि आनंदविमलसूरि शिष्य विजयविमलेकरी मूळ प्राकृत अवचूरि संस्कृतमां छे. उपशमादि भावोना मूळ तथा उत्तरभेदनुं निरुपण कर्यु छे अलभ्य ( १७, १० ) [ (दि.) (८१) १९८६ भाव संग्रहादि ( माणेकचंद नं. २० ) संशोधक पन्नालाल १९८७ भाषा चंद्रोदय हिन्दी भाषाका व्याकरण इ. सन १८६७ ( ५४४ ) १९८८ भाषा रहस्य संस्कृत यशोविजयजी कृत रु. २-०-० (११) १९८९ भाष्यत्रय सार्थ शास्त्री रु. ० - ६-० (३३) 39 " गुजराती रु. ०-४-० (३३) १९९० भीम चोपाइ ( जुओ ऐतिहासिकराससंग्रह भा. १ को ) १९९१ भीम ज्ञान द्वात्रिंशिका रु. ०-६-० ,, हिन्दी रु. ०-०-६ (५४५, ५० ) 99 १९९२ भीमज्ञान त्रिशिका रु. ०-६-० सं. १९६६ (५४५) For Private And Personal Use Only Page #272 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १६७ भुवन] [मयण १९९३ भुवन प्रदीपक भाषान्तर संस्कृत हिन्दी पद्मप्रभसूरि रु. ०-६-० (५४६) १९९४ भुवनभानु केवलीनुं चरित्र (पाना) रु. २-१२-० . १९९५ , , ,, भाषान्तर रु. ०-६-० १९९६ भुवनभानु केवलीनो रास उदयरत्न कृत २ सं. १७६९ रु. १-०-० रु. १९२७ (प्र. ५४७) १९९७ भूगोळ फरवार्नु खंडन (याने ) पृथ्वी स्थिर प्रकाश भा. १ लो. शा. गंभीर शामजी विरचित. ( ३८८, ६३, ५४८) १९९८ भोज प्रबंध. रत्नमंदिरगणिविरचित पं. भगवानदास. सं. १९७८ (५५०) १९९१ भोज व्याकरणम् विनयसागरउपाध्याय कृत. भेट. (५५१) म. २००० मुनिपति राजर्षि चरितम् श्री जंबूकवि विरचितम् सं. १९७८ ( ३७२, ६३) २००१ मणिमाला मणि विजयजी कृत. रु. ०-२-६ (५५२) २००२ मत मीमांसा. संग्राहक कमल विजय सूरि संयोजक लब्धि विजय. ( ५५३) २००३ मनहर माधुर्य. रु. ०-१-६ २००४ मनहर माला मुनि माणेक. (१७८) " तथा कुसुममाला. रु. ०-४-० (६) २००५ मनुष्य कर्तव्य रु. ०-१-० (६) जैनेतर २००६ मनुष्याहार, रु. ०-२-० (६) अजैन [(२१) २००७ मनोरथ भावना श्रावकनामनोरथनुं वर्णन हुकम मुनि, २००८ मयणरेहा चउपाइ भेट, (४३) For Private And Personal Use Only Page #273 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir भयण] १६८ [महा २००९ मयणरेहा महासतीनो रास. (जुओ करकंड आदिचार प्रत्येक बुद्धनो रास) , तथा कान्हड कठीयारानो रास मानसागरगणिविरचित. (७, ५०) २०१० मयासागरजीनुं जीवनचरित्र (जुओ सुखसागर गुरुगीता) २०११ मरण विभक्ति. २०१२ मलयसुन्दरी चरित्र मूळ कर्ता जयतिलकसरि (पंदरमो सैको) सं० . नं. ३४ रु. ०-७-० (१६) " , संस्कृत (पाना) रु. ४-०-० " , प्रत (१६) २०१३ मलयसुन्दरी रु. ०-१०-० (१६) [(१६) , चरित्र जयतिलकसूरि विरचित पाना रु. ०-७-० , , भाषान्तर रु. ०-१०-० , भाषान्तर पं. केसरविजय शीयल प्रस्तावे रु. १-४-० (२५) [२५ , पृथमावृति केसरविजय रु. ०-१०-० २०१४ मल्लिनाथ चरित्र महाकाव्य सं. विनयचंद्र सं. १९६८ रु. ३-०-० अं. नं. २९ (१४, ४७) ,, , भाषान्तर रु. १-८-० गु. (५०, १२) २०१५ मस्तरामजी बोधवचनमाला रु. ०-१-० (६) २०१६ महाजनवंश मुक्तावलि रु. १-१-० सं. १९६७ (५५४, २०१७ महापचख्खाण (जुओ दशपयत्रा) [५५५) २०१८ महाबल मलयसुंदरीनो रास पंडित कान्तिविजयजीकृत सं. १९७५ रु. १-०-० (५५६) २०१९ महावाक्य रत्नावली विगेरे (५०) For Private And Personal Use Only Page #274 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir महा] [महावीर २०२० महाविद्या विडंबनम् भट्टवादीन्द्र कृत भुवनसुन्दरसूरि टीकायुक्त रू. २-८-० (१३८) २०२१ महावीर चरित्र (मागधी) रु. ०-८-० (६) २०२२ महावीर चरित्र गुजराती रु. ०-८-० (६) २०२३ महावीर चरित्रम् नाटक ( भवभूतिकृत) वीरराघवकृत टीका सहित. (दि.) ५० , , (दि. ) अशग कवि कृत. (५०) २०२४ महावीर चरियं नेमिचंद्र मूरि. अं. रत्न ५८ सं. १९७३ २०२५ महावीर जिन स्तवन. (जुओ प्रकरण रत्नाकर भा.४ थो) २०२६ महावीर जिन स्तुति २७६ विषयो रुप दोढसो गाथार्नु हुंडीनुं स्तवन यशो विजयजीनुं (जुओ प्रकरण रत्ना कर भा. ३ जो.) २०२७ महावीर जीवन विस्तार प्रयोजक. भीमजी हरजीवन कर्ता. रा. सुशील रु. १-८-० सं. १९७७ रु. २-०-० (४९९, ६., ५५८) २०२८ महावीर जीवन विचार. (५०) २०२९ महावीरना दश श्रावको रु. १-४-० (५५९) २०३० महावीरनां वचनो रु. ०-६-० (६) २०३१ महावीर पूजा (अपरनाम न्याय कुसुमांजली) रु. ०-४-० २०३२ महावीर प्रभु पंच कल्याणक पूजा रु. ०-२-० (६) २०३३ महावीर पंच कल्याणक पूजादि संग्रह पद्मविजय, नेमि विजय शिष्य. भेट. (११) २०३४ महावीर भक्त मणिभद्र रु. १-८-० (६) २०३५ महावीर शासन रु. ०-६-० सं. १९७८ हिन्दी कलित विजयजी. (८८) For Private And Personal Use Only Page #275 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org महा ] १७० [ महा २०३६ महावीर समय निर्णय ( साहित्य संशोधक खंड २ अंक २ मां है ) (८८) २०३७ महावीर स्तत्र संस्कृत (पाना) रु. ०६-० २०३८ महावीर स्तव. संयम श्रेणि गर्भित. उत्तमविजयगणिविरचित इ. १९२२ रु. ०-४-० (४३९) २०३९ महावीर स्तव, तथा वर्धमान स्तोत्रद्वय पार्श्वजिन स्तोत्र, नेमि स्तवन, विहरमान स्तव, एकाक्षर विचित्र काव्य, षट्श्लोकी, चतुःश्लोकी स्तुति पार्श्वचंद्रकविकृत (जुओ स्तोत्र रत्नाकर भाग द्वितीय सटीक ) २०४० महावीर स्तुति विगेरे (प्र. २९६ ) २०४१ महावीरस्वामीना दश श्रावको सं. १९७९ ( आनंदादि दश श्रावकोनो अधिकार रु. १-४-० (५५९) 99 २०४२ महावीरस्वामीना पांच वधावा ( ७ ) २०४३ महावीर स्वामीना २७ भवनुं स्तवन विगेरे रु. ८-१-० (६) २०४४ महावीरस्वामी स्तोत्रम् जिनवल्लभसूरि कृत ( जुओ काव्यमाला गु. ७ बीजी ) माला गु. ७ बीजी ) ( हेमचंद्राचार्य कृत) (जुओ काव्यद्वितीयम् हेमचंद्राचार्य कृत २०४५ महावीरस्वामीना पंचकल्याणकनुं अने सत्तावीशभवनुं स्तवन तथा चोढाळीयुं त्रण ढाळो विगेरे. सं. १९७७ रु. ०-३-० (५६२) २०४६ महावीरस्वामीनुं चरित्र तथा तपागच्छनी पट्टावली म. शा. मगनलाल हठीसंग रु. ०-८-० सं. १९५९ ( १७९ ) २०४७ महासती चंदनबाला आवृति बीजी नं. ३ सं. १९७९ रु.०-३-० (५५९) 99 Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir " " For Private And Personal Use Only Page #276 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org " महा ] १७१ [ माणेक २०४८ महासती शीलसुन्दरीका रास, धनचंद्र सूरि सं. १९३२ अलभ्य (३७) २०४९ महासती सुरसुंदरी रु०-३-० (५६०) रु. ०-३-० (१८२) " " २०५० महिला महोदय जैनपत्रना १६ मा वर्षनी भेट (४४,५६१) २०५१ महीकांठा डीरेक्टरी सादरा. (३२३) २०५२ महीकांठा मेन्युअल सादरा (३२३) २०५३ महीकांठा सिलेक्षन वोरा सांकलचंद रतनचंद वकील अमदावाद, अजैन २०५४ महीपाळ चरित्र संस्कृत (पाना) चारित्रसुंदरगणि विरचित रु.१-४-० (३२, ५० ) (१४ ) २०५५ महीपाळ चरित्र (६) भेट. [सं. १९६८ २०५६ महेन्द्र स्वर्गारोह. न्यायविजयविरचित ( ४६४, १४ ) न्याय विजय (न्याय तीर्थ रु. ०-४-० २०५७ मागधी व्याकरण ढुंढीका टीका तथा अर्थ सहित पूर्वाध रु. ३-८-० [ (३७) २०५८ मांगलिक संग्रह सं. १९७२ (पद्य स्तवनादि) रु.०-३-० २०५९ मांडवगढ मंत्री अथवा पेथड कुमारका परिचय रु. ०-४-० ( ५६३, ५०, १४९ ) २०६० माणसनुं कर्तव्य (३२३, ५६४) अजैन. २०६१ माणिभद्र तीर्थनुं वर्णन रु०-१-० प्रसिद्ध कर्ता. शा. हरीलाल गलाबचंद आगलोड उत्तर गुजरात (७१) Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २०६२ माणिभद्र विगेरे छंदोनो संग्रह रु. ०-8-0 २०६३ माणेकमाला अपरनाम हितचितिका शिरपुरनो संघ बेट सं. १९६३ (५६५) For Private And Personal Use Only Page #277 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org मान ]. १७२ [ मुनिपति २०६४ मानतुंग मानवतींनो रास मानतुंग राजा अने मानवती राणीनो रास रु. ०-८-० ( १२९,६३ ) २०६५ मानवधर्म संहिता शान्तिविजय रु. २-०-० २०६६ मारी यात्रा रु००-८-० २०६७ मार्गपरि शुद्धि यशोविजय प्रणीत (१८) २०६८ मार्गानुसारीना १० काव्य (जुओ प्रकरण रत्नाकर भा. जो ) २०६९ मित्र परीक्षा, हुकम मुनि उपदेश ( २१ ) २०७० मित्रमैत्री (मित्रधर्म ) बुद्धिसागर सूरि सं. ४३ रु. ०-८-० (१५, ५८ थी ६२, २०७१ मिथ्यात्व विध्वंस. हुकम मुनि ( २१ ) २०७२ मीमांसा श्लोक वार्तिकम् कुमारिलभट्टकृत काशी. सं. १९५५ (५६६) अजैन 39 Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २०७३ मुक्ति कुमुदचंद्र नाटक श्री पद्मचंद्रसूरिनु यशश्चन्द्र कृत ग्रंथ नं. ८ (१४,५० ) "" २०७४ मुक्तिमार्ग दर्शन याने धर्ममाप्तिना हेतुओ भेट (६७) याने भक्तिमाळा पूर्वाचार्यानां बनावेळां स्तवनादिनो संग्रह रु. ०-८-० (३०) २०७५ मुक्ति सुंदरीनो स्वयंवर सं. १९६४ रु. ०-३ (१४३) २०७६ मुडेटीना चहुवाणो ले. गंढवी धीरजी पृ. १ थी ३९ (जुओ फार्बस गुजराती सभाना हस्त लिखित पुस्तकोनी यादी अंक नं. ४८-१, ३) जैनेतर २०७७ मुनिनाम माळा. की. नथी. ( ५६७ ) २०७८ मुनिपति चरित्र संस्कृत ( पाना ) रु. २-८-० रु. ०-२-६ १९.७३ ग्रं. नं. १८४) For Private And Personal Use Only "" २०७९ मुनिपति चरित्र भाषान्तर रु० - ६-० ( १७९ ) Page #278 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir , नो रास मुनि धर्मविजयजीना शिष्य रत्नविज यजीकृत. रु. ०-१०-० (५६८) २०४० मुनिराज श्री अमरविजयजीनां चोढाळीयां. रु. ०-१-० २०८१ मुनि संमेलन हिन्दी ले. अमृतसर निवासी पंडित हीरालाल शर्मा प्र. अजमेर निवासी शेट हीराचंद सचेती तथा लाला चुन्नीलाल दुग्गड अमरतसर निवासी.(३१९, ५६९, ५७०) २०८२ मुलतान शास्त्रार्थ गु. अंबालाल जेठालाल. (५७१, ५०) २०८३ मूरखो. रु. ०-६-० (५७२) २०८४ मूर्ख शतकम्. मूरखना सो दुर्गणर्नु वर्णन छे. (५०) २०८५ मूर्ति मंडन. रु. ०-४-० . प्रश्नोत्तर. रु. ०-१२-० २०८६ मूलराज सोलंकी. रु. २-०-० अजैन २०८७ मेघ महोदय वर्ष प्रबोध हिन्दी भाषानुवाद पंडित मेघ वि. जय गणि अनुवादक पं. भगवानदास जैन (विशेष नोंधमां जुओ. (४३) २०८८ मेघदूत समश्या लेख. रु. ०-२-० नं. २४ (१७) २०४९ मेघदूत काव्यं समश्लोकी भाषान्तर गु. कालिदास कृत. भाषा क. किलाभाइ घनश्याम. रु. १-४-० (५०) , सटीक ४२७५ मल्लीनाथकृतटीका (संजीविनी) नाम्नि. रु. ०-६-० (१०,५०) , इंग्लीश नोट सहित. ४२७६ डेकन कोलेज रु. १-४-० (५७४ ) जैनेतर २०९० मेघदूत समश्या पूर्ति काव्यं. २०९१ मेघदूत संजीवनि टीका सहित. For Private And Personal Use Only Page #279 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मेघ १७४ [मोक्ष २०९२ मेघमाला अर्थ सहित. (पाना) विजयप्रभ सूरि कृत. मूल तथा भाषान्तर. रु. ०-५-० (७) २०९३ मेरु त्रयोदशी कथा (पाना ) रु. ०-१-० (५०) " " रु. ०-४-० (१७) , मुक्तिविमलकृत. नं. १६ (७३, २०९४ मेरे विचार नं. २ पंन्यास सोहनविजय. रु. ०-१-० २०९५ मेजर नामो. (६८) [(८८) २०९६ मोटी अध्यात्म गीता विनय विजयजी कृत. (जुओ आत्महितो पदेश) [५८ थी ६२, १८४) २०९७ मोटुं गुजरात विजापुर वृत्तान्त. बुद्धिसागर सूरि. (१५, २०९८ मोतीशानां ढांळीयां. रु. ०-१-० २०९९ मोहनलालजीनां भंडारनुं सूचिपत्र. रु. 6-४-० सं. १९७५ (१२) २१०० मोहनचरित्र मूल अने भाषान्तर. गु.रु.२- -० (५७५, २००) २१०१ मोह पराजय नाटक यशपालकृत. रु. २-०-० (१३८, २१०२ मोहराज पराजय नाटक. संस्कृत. रु. २-०-० २१०३ मोहराय पराजयम् यशपालमंत्री विरचित. (१३८) २१०४ मोक्ष पद सोपान, रु. ०-१२-० चौद गुणस्थान- स्वरुप. २१०५ मोक्ष मार्ग प्रकाश भाषान्तर सहित. रु. २-८-० [(१७) २१०६ मोक्ष माला. रायचंद्र कृत. रु. ०-१२-० (३२५,४५१) २१०७ मोक्षमाला भा. १ लो. रायचंद्र कृत. रु. ०-८-० (०-१२-०) (५७६, ४५१) . २१०८ , भा. २ जो. कीमत नथी. (४५१, ५०) For Private And Personal Use Only Page #280 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org मौन ] १७५ [ मृग २१०९ मौन एकादशी कथा संस्कृत ( पाना ) रु००-२-० (५०) २११० मौन एकादशीना देव वंदनो तथा सझायो रु.०-२-६ २१११ मौन एकादशीनुं गणणुं रु. ०-१-० ( १८१, ५० ) दोसो कल्याणकनुं गणं. रु. ०-१-० " "" आ जैन धर्म प्रर्वर्तक सभा. (१८१, ३८४ ) Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 39 "" ( १८१, ५० ) २११२ मंगळ कलशनो रास पुण्यफळ महात्म्य मय रु०-८-० ( ७, ५० ) २११३ मंडन ग्रंथ संग्रह ग्रं. नं. १७ मण्डन ग्रन्थाङ्क. नं. ५ रु. "" गणणं अने स्तवनो विगेरे. रु. ०१-० ० - १२-० काव्य मंडनं. २ सं. १२५० ले. सं. १५०४ शृङ्गार मंडनं लेखन सं. १५०४ लेखक पंडित विनायकदास पंडित, (५७७, २६ ) जैनेतर २११४ मंडल प्रकरण संपादक मुनिसंपतविजय ग्रं. नं. ७३ सं. १९७८ रु. ०-४-० ( १७ ) २११५ मंत्रराज कल्प महोदधि अर्थात् श्री पंच परमेष्टि स्तोत्र नमस्कार व्याख्या. ले. जयदयालुशर्मा जिन कीर्ति सूरि महाराज कृत रु. ३-०-० (५७९, ९५ ) " २११६ मंत्रराजं गुणकल्प महोदचि भाषान्तर सह हिन्दी . ( ५० ) २११७ मंदसोर उत्पत्ति, भेट ( ३२६ ) ऐतिहासिक २११८ मृगांक चरित्र आत्मबीर ग्रंथांक नं. ५ ऋद्धिचन्द्र पणीत. ( ३७३, ५०, ५८० ) २११९ मृगावती चरित्र संस्कृत ( पाना ) रु.२-१२-० २१२० मृगसुंदरी कथा पद्म विजयजी शोधित. सं. १९७५ (५८१) संस्कृत. (५८१, ५० ) For Private And Personal Use Only Page #281 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १७६ [ यो २१२१ मृगावती चरित्र मलधारी श्री देवप्रभसूरि. रु. २-१२-० २१२२ मृगांकलेखा हिंदी. रु. ०-६-० [(३२, ५०) २१२३ मृत्यु महोत्सव ( जुओ आस्महित बोध ) २१२४ म्हारी यात्रा. ( लेखक, म. ५८२) २१२५ यति लक्षण समुच्चय (यशो विजयजी कृत ग्रंथमालामा छपायो छे. पांचमे नंबरे)सं. १९६५ साधुओना सात लक्षणोनु विवेचन छे (संस्कृत) (६, १०) २१२६ यति समालोचना गु. अर्थात् यति सुधारा संबंधी विचार पुस्तक पहेलं. (५८३, ५०) २१२७ यन्त्रराजाडेयं श्री महेन्द्रसरिविरचित श्री मलयेन्दु सूरि कृत टीका सहित. इ. १८८३ रु. १-५-० (५८४) २१२८ यश विलासादि पद संग्रह श्री यशोविजय, विनयविजय, ज्ञानसारजी विरचित. सं. १९५८ (७, ९५) २१२९ यशस्तिलक चपू. श्री सोमदेवमूरिविरचितं. श्रुतसागर मूरिकृत. व्याख्या समेत पूर्वखंड रु. ३-१२-० (६,१०) २१३० यशस्तिलक उत्तरार्ध पूर्ण श्री सोमदेवमूरि विरचित सागर. मूरिकृत टीका युक्त रू. २-१२-० (६,१०) २१३१ यशोधर चरित्र भाषान्तर (दि.) रु. ०-६-० (भा० ० ५८५, प्र० २३३) " , संस्कृत (पाना) रु. २-०-० " , , , वादि राजसूरि प्र. नं. ५ रु. ०-८-० इ. स. १९१२ (५८६,५८७) For Private And Personal Use Only Page #282 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org यशा J १७७ २११२ यशोब्रह्म नाटक धनविजय रु. ०-६-० (५८८) २१३३ यशोभद्रसूरि ( संक्षिप्त सार) तथा यशोभद्रसूरि (मूळ रास) ( जुओ ऐतिहासिक रास संग्रह भा. २ जो ). २१३४ यशोभद्रसूरि चरित्र. ले. ललितविजयजी रु. ०-२-० ( ८८, ५८९ ) २१३५ ( श्रीमद् ) यशोविजयजी रु. ०-४० कर्ता. मोहनलाल दलीचंद देसाई इ. १९१० (अंग्रेजी) यशोविजयजीनी कृतियो विगेरे मेघजी हीरजी कुं, पायधुनी मुंबई २१३६ यशोविजयजी ग्रंथमाला (सभा) रु. १-०-० प्रति (६) तेमां १ अध्यात्मसार २ देवधर्म परीक्षा ३ अध्यात्मोपनिषद् ४ अध्यात्मिक मत खंडन ५ यति लक्षण समुच्चय Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir [ पा ६ नय रहस्य ७ नय प्रदीप ८ नयोपदेश सावचूरि ९ जैन तर्क परिभाषा १० ज्ञाननिबंध For Private And Personal Use Only २१३७ यशोविजयजीनुं जीवन अने तेनुं गुजराती साहित्य. ले. बुद्धिसागर गुजराती चोथी साहित्य परिषद्मां रजु थयेल निबंध, रु. ०-३-० (१५, ५८ थी ६२, १८४, ५० ) २१३८ यशोविजयजीनो कागल तेमां दिगंबर अने ढुंढीआओने शिखामणने उपदेश छे. ( जुओ प्रकरण रत्नाकर भा. ३ जो. ) [ रु. ०-४-० २१३९ यशोविजयजी विरचित, चोवीशी. भावार्थ विवेचन साधे. २३ Page #283 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra मुक्ति ] २१४४ रु. ०-३-० [ योग १७८ यशोविजयजी विरचित चोवीसी. भावार्थ विवेचन साये. " 29 ?? www.kobatirth.org गाथाओना स्तवनो. रु. १-०-० २१४० युक्ति प्रकाश. स्याद्वाद कलिका, अष्टक संस्कृत टीका सहित. ( कर्ता पद्मसागर गणि) रु. ०-८-० त्रण ग्रंथ. ( ३२ ) २१४१ युक्त्यनुशासनम् समन्तभद्राचार्य कृत. ग्रं. नं. १५ ( दि० ) (८१) २१४२ युगादि जिन स्तवन. (जुओ प्रकरण रत्नाकर भा. ४ ग्रो.) २१४३ युगादि देशना भाषान्तर, सोममंडनगणि कृत. पांच उल्लासमां आवेली अनेक कथाओ तेमज अमुल्य उपदेश. रु. ०-८-० सं. १९७२ (६) " Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्राचीन स्तवनो १२५, १५०, ३५० संस्कृत. (पाना) रु. १-८-० (५० ) रु.०-८-० • ," 39 33 २१४५ योगतत्त्व अथवा श्री हेमचंद्राचार्य कृत. योग शास्त्रनुं दोहन. रु. ०-४-० ( १४३ ) २१४६ योग दर्शन, सटीकम् ग्रं. नं. ७२ पं. सुखलाल, रु १–८-० ( १७, ५०, २५४ ) २१४७ योग दर्शन तथा योग विंशिका. २१४८ योगदीपक, बुद्धिसागर सूरि गं. नं. २३ ५-३-८ (१५, ५८ थी ६२, १८४ ) For Private And Personal Use Only २१४९ योगप्रदीप. हिन्दी अनु० जीतमुनिजी (प्र. ५९०, ५९१ ) २१५० योगदृष्टि समुच्यय हरिभद्र सूरि विरचित, स्वोपज्ञ वृत्तियुक्त. संशोधक. प्रो. एल. सुएली. डी. पी. एच. स. १९६९ रु. ०-३-० (१६, ५० ) Page #284 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org पोन ૨૭૨ [ फोन २१५१ योगदृष्टिनो स्वाध्याय. बालावबोध. ( जुओ प्रकरण रत्ना कर भा. १ लो. ) २१५२ योग फीलोसॉफी, वीरचंद राघवजीनां भाषणो. अंग्रेजी. रु. ०-५-० इ. १९१२. ( २८, १६, १, ९५ ) २१५३ योगबिन्दु सटीक रु. ०-११-० (६) "" प्रकरण सटीक, हरिभद्रसूरि स्वोपज्ञ. (६) २१५४ योगविंशिका तथा योगदर्शन. हरिभद्रसूरि बिरचित यशोविजयजी उपाध्यायनी व्याख्या सहित पाताञ्जल योगदर्शन साथै रु. १-८-० ( १७, ५० ) २१५५ योगशास्त्र मूळ. हेमचंद्राचार्य कृत. सं. १९७१ संस्कृत. ( बार प्रकाश पुरा ) तथा धर्मदास गणि विरचिता उपदेशमाला (मूळ) (६) २१५६ योगशास्त्र. हेमचंद्र स्वोपज्ञ विवरण. एडीटेड बाय मुनि महाराज श्री धर्म विजय उर्फे श्री विजयधर्म सूरि १ थी ६ विभाग, चार प्रकाश (अपूर्ण) चालु की. ७-८-० दरेक विभागना ०- १२-० सींगलना डबल रु. १-८-० (२९) २१५७ योगशास्त्र सशब्दार्थ रु.०-१-० ( ५१३ ) २१५८ योगशास्त्र भाषान्तर रु. ३-८-० Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गुजराती, ४२७२ शब्दार्थ, ०-२-० (४९४ ) 19 "1 २१५९ योगशास्त्र मूल मात्र. (५०) विगेरे. (५०) "" २१६० योगशास्त्र भाषान्तर. पं. केसर विजय. रु. २००० (२५) पं. सं. १९६६ मं. नं. " 59 "; ३ रु००-८-० (५९५ ) For Private And Personal Use Only Page #285 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra बोगसार ] "" www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १८० कथा साथे रु. ०-८-० "3 मूळ तथा उपदेशमाला मूल. रु.०-८ [ रत्नपार्क " ( ६ ) २१६१ योगसार संपादक हरगोविन्ददास त्रीकमचंद शेठ, सं. १९७६ (५६) २१६२ योनि स्तव ( अवचूरि ) ( पाना ) रु. ० - १-० धर्मघोष सूरि विरचित ( श्रीमन्महावीर जिन विज्ञप्ति गर्भितं इदं प्रकरणं निर्मितं ) सुर मनुष्यादि तथा अचित्तादि योनि निर्णय. नं ४ सं. १९६८ ( अलभ्य ) ( १७ ) २१६३ यन्त्र पूर्वक कर्मादि विचार ( छ कर्म ग्रंथना रहस्यभूत. ) सं. १९७३ (६) र. २१६४ रतलाम शास्त्रार्थकी पूर्णता. लक्ष्मीविजयजी. हिन्दी सागरानंद पवायनभेट. ( ३७ ) • २१६५ रतिसार कुमार. हिन्दी सचित्र रु. ०- १२-० (म. ९) २१६६ रतिसार चरित्र ( जैन धर्म म ग्राहकोने भेट. ) रु. ०-३-० ( ६ ) २१६७ रत्नकर्णिका अथवा आदर्शभूत नीतिना सिद्धान्तों. (५०) २१६८ रत्नगंध मालिका. रु. ०-८-० For Private And Personal Use Only २१६९ रत्नचूड कथा (प्रत ) रु००-८-० २१७० रत्नचूडनो रास. रु०-४-० २१७१ रत्नचूड व्यवहारीनो रास. कनक निधानजी कृत २० सं. १७२४ (१२९, ६३ ) २१७२ रत्नपाळ नृप कथानकम् (वाचनाचार्य सोममंडनविरचित) ( पाना ) रु००-५-० सं. १९६९ (१७, १० ) Page #286 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २१७३ रत्नपाळ व्यवहारीनो रास. पं. मोहनविजय विरचित. रु. ०-१०-० (१२९, ६३) २१७४ रत्नप्रभसूरिनी पूजा. आदि अन्य गुरुवरोनी बृहत् पूजा और लघु पूजा. रु. ०-२-० (म० ५९६) २१७५ रत्नशेखर चरित्र (पाना) रु. १-२-० ११७५ रत्नशेखर राजर्षि कथा. गु. रत्नशेखर तथा रत्नवतीनी कथा मूल संस्कृत पाकृत गद्यबंध. चंपुर्नु भाषान्तर. ग्रा. भेट, (६) २१७७ रत्नशेखर रत्नवती कथा. प्रा. भेट. रु. ०-४-० (६) २१७८ रत्नसमुच्यय तथा रत्न विलास. कर्ता. रामलालजी. की. नथी सं. १९६ (५९७) २१७९ रत्नसागर भा. १ लो. वा मोहन गुणमाला. प्रथम भाग. खर. लक्ष्मीप्रधानगणिना शिष्य मुक्तिकमल संग्रह कृत्य शुद्धि कृतम् सं. १९३६ (५९९, ६००) २१८० रत्नसागर भा. २ जो. आचाररत्नाकर सं. १९४९ (५९९, ६००) २१८१ रत्नसार चरित्र. सं. १९५७ रु. ०-४-० (१७९, ५०) , अंचलगच्छना भट्टारक रत्नसागरना श्रावक. हीरजी इंसराज की. नथी. (नवकार स्तवनो विगेरे) (६०१) " भा. १लो . रु.५-०-० , भा. २ जो. रु. २-८-, २१८२ रत्नसार भा. ३ जो. रु. १-८-० , शास्त्री टाइप गुर्जर. सं. १९५६ प्रश्नोत्तर (६०२) " वा मोहन गुणमाळा. रु. २-०-० For Private And Personal Use Only Page #287 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org रत्नसेन ] ૨૮૨ [ रसिक २१८३ रत्नसेन रत्न मंजरीनो रास. रु. ०-४-० २१८४ रत्नाकर अवतारिका, श्री रत्न प्रभाचार्य कृत. रु. ३-०-० ( ४३० ) Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir टिप्पण. पंजिका सहित रत्नप्रभाचार्य "" "9 विरचित. रु. १-०-० (४३० ) २९८५ रत्नाकर पचिसी. (जुओ प्रकरण रत्नाकर भा. ३ जो. ) २१८६ श्री. रत्नाकर पञ्चविंशति (जुओ प्रकरण लघु संग्रह . ) २१८७ रत्नाकर पचिशी. दरेक काव्यना गुजरातीमां हरिगीत छंद बनावी तेनुं गुजराती भाषान्तर भेट. (६) २१८८ रत्नावलि नाटिका विगेरे. (५० ) २१८९ रत्नेन्दु या पुनर्जीवन, रु००-४-० (८८) २१९० रयण सहेरीय कहा. मागधी (पाना ) जिनहर्षगणि कृत. रु. ०–८–० ( १७, ५० ) २१९१ रयणसेहर कहा. जिनहर्षगणि, संस्कृत छायायुक्त. रु. ०–८–० ( ५६ ) २१९२ रयणसिंहनुं चरित्र (जुओ चरित्र संग्रह . ) २१९३ रविसागरनुं चरित्र अने शोक विनाशक ग्रंथ. रु.०-२० बुद्धिसागर सूरि ( १५, ५८ थी ६२, १८४, ५० ) २१९४ र बिसागरजीनुं जीवन चरित्र. (जुओ सुखसागर गुरु गीता.) २१९५ रस गंगाधर सटीक, विगेरे. (५०) अजैन २१९६ रस रत्न रास. (जुओ जैतिहासिक रास संग्रह भा. १ लो.) २१९७ रस रत्न समुच्यय, (५०) २१९८ रसिक स्तवनावली. भा. १-२ रु. ०-१-६ २१९९ रसिक सत्तर भेदी पूजा. ५० ३२ की. नथी. पद्य. (३१८) २२०० रसिक सुबोध रत्न. की. नथी. पृ. ५० ( अलभ्य ) सं. १९६२ गुर्जर पद्य, प्रभु गुण. ( ३१८ ) For Private And Personal Use Only Page #288 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १८३ राजेन्द्र २२०१ रसिक स्तवनावलि. भा. १-२-३ रु. ०-२-६ " , सं. १९८० (६०३) २२०२ रागमाला. ४७ पद अने नयचक्र विगेरे हुकम मुनि. (२१) २२.३ राघव नैषधीय काव्यं विगेरे. श्री हरदत्तमूरि विरचित स्वोपज्ञ टीका. (५०) २२०४ राजकुमारी सुदर्शना. रु. ०-८-० , भाषान्तर २ पं. केसर विजय. रु. २-८-० (२५) २२०५ राजगुण कल्प महोदधि. रु. ३-८-० २२०६ ( श्रीमद् ) राजचंद्र. रु. ८-०-० २१०७ राज्यचंद्र जैन काव्यमाला. गु. १ लो. सनातन जैन का. र्यालय मुंबइ. रु. ०-१२-० , , , रु. ०-१२-० (९९) २२०८ राजचंद्र विचार किरणो. भेट. प्र. एक जिज्ञासु. (६०५, २२०९ राजनगर रत्न विरह. उर्फे लालभाइ दलपतभाइ विरह. की. नथी पृ. १६ सं. १९६८ गुर्जर. (३१८) २२१० राज्यपद. रायचंद्र कृत पदनो संग्रह. रु. ०-१२-० (९९) २२११ राजप्रश्न. रु.१-०-० (२०९) २२१२ राजबोध. की. नथी. बीजी आवृति. (६०६, ६०७.) २२१३ राजरंग. (५०) २२१४ राज वल्लभ अथवा शिल्प शास्त्र. रु. ३-०-० २२१५ राजमति ले. भभूतमल डी. सी. इ. रु. ०-४-० (६०८, २२१६ राजेन्द्र सूरि गुणाष्टक संग्रह सार्थ. राजेन्द्रकी गुरु स्तुति. रु. ०-६-० सं. १९८१ (३७) For Private And Personal Use Only Page #289 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org १८४ [ माचीन राजेन्द्र ] २२१७ राजेन्द्र सूर्योदय. (६१० ) १२१८ (श्रीमद् ) राजचंद्र मुंबई. (छपाय छे नवी ) बीजी आवृत्ति रु. ३-०-० " २२१९ रात्रिभोजन निषेधक रु०-६-० ( प. ६११ ) २२२० रात्रि भोजननो रास. जिनहर्षसूरि कृत. र. सं. १७५९ रु.०-३-० (७) Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir र. सं. १७५९ (१२९, ६३ ) "" परिहार रास. (५० ) "" " " रामकोष संस्कृत अने हिन्दी. २२२१ रामचरित्र संस्कृत ( पाना ) रु. ८-०-० २२२२ राम रास, रु. १-८-० श्री जिनहर्षसूरि कृत. रु. ०-३-० रु.०-८-० ?? २२२३ रामचंद्र जैन काव्यमाळा गुच्छक १ लो. रु. ० -१२-० २१२४ रामायण चार अधिकार. ( जुओ आनंद काव्य महोदषि यौ. २ जुं. ) २२२५ रायचंद्रसूरि गुरु बार मास. ( जुओ जैतिहासिक रास संग्रह भा. १ लो. ) २२२६ रायपसेणी सूत्र मूळ टीका, अर्थयुक्त बाबु. रु. ८-११-० ( २४, ५० ) "" 95 २२२७ रासमाळा. आवृति, १ भा. २ जो. ग. सें. प्रेस. मुंबई. २ भा. १ लो. ग. सें. प्रेस. २२२८ रसाले मजहब, ढुंढिये शान्तिविजयजी (अलभ्य ) २२२९ रुढिप्रयोग. प्रचलित वाक्योना अर्थनो कोश छे. ले. भोनीलाल भीखाभाइ गांधी, (६१२, ६१३) · For Private And Personal Use Only Page #290 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org रुपसेन ] १८५ २२३० रुपसेनचरित्र संस्कृत पानां. रु. १-८-० २२३१ रुपमाला भा. १-२-३-४-५-६-७-८ २२३२ रुषिमंडल यंत्रपूजा. रु. ०६-० २२३३ रेखादर्शन देवविजयगणि. (प्र. ६१४ ) पंन्यास देवविजय. (हस्तरेखा) (२५) २२३४ रोहिणी अशोकचंद्रकथा. कनककुशल संकलिता. (पाना) ग्र. नं. ३६ रु. ०-५-० सं. १९७१ ( १७ ) २२३५ रोहिणी अशोकचंद्रकथा. कनककुशलकृत (पाना) प्र० नं. ३६ रु. ०-२-० ( १७ ) "" २२३६ रोहिणीपर्वकथा. मुक्तिविमल. ग्रं. नं. १७ भेट. ( ७३, १९७, ६१५ ) भेट. २२३७ रौहिणेयकथा प्रत. देवचंद्र शिष्य देवमूर्ति विरचित, . नं. ४५ रु. ०-२-० ( १७, ५० ) २२३८ रौहिणेयचरित्र संस्कृ ( पाना ) रु. ०–८–० २२३९ रंभामंजरी नाटक. रु.०-८-० (६, ४८० ) 39 २४ 27 Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ल. २२४० ला ( मणको पहेलो ) रु. ०-०-६ गु. (५०) २२४१ ला मंदिर. (५०) २२४२ लग्नशुद्धि हरिभद्रसूरिविरचित. उदय प्रभदेवसूरिविरचित. ) ( जुओ आरंभसिद्धि [ ( ६ ) २२४३ अने दिनशुद्धि अर्थ सहित रु.१-४-० २२४४ लघु अने बृहत्प्राकृत व्याकरण. रु. १-०-० (६) २२४५ लघु चैत्यवंदन चतुर्विंशति मुक्तिविमल कृत. (प्रत ) रु. " ०-२-० (६१५ ) [ ऋ For Private And Personal Use Only चोनिशी मुक्तिविमकविरचिव - सौ Page #291 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १८६ बधु] [लिंगानु भाग्य विमल शिष्य. (सं.) ग्रं. नं. १८ सं. १९७६ " " , रु. ०-३-० [(७३) २२४६ लघु दंडक थोकडा. भेट. (४३) २२४७ लघु प्रकरण संग्रह. आचारोपदेश सहित. रु. १-४-० २२४८ लघु शान्ति सत्ति. (५०) . [(७) २२४९ लघु शान्ति स्तव. (पाना ) रु. ०-१-० २२५० लघु संघयणी. ( जुओ प्रकरण लघु संग्रह) (११,९५) २२५१ लघु हेमप्रभा नेमिसूरिप्रणीतम् व्याकरण. सं. १९७८ २२५२ लघुक्षेत्रसमास. (जुओ प्रकरण लघु संग्रह) [(५०) " , प्रकरण सटीक ( पाना) रु. ०-१२-० २१५३ लघ्वल्प बहुत्वं अने चार दिशामा रहेला जीवोर्नु अल्प बहुत वाचक मात्र बेज गाथाओनी स्फुट व्याख्या करी छे. ( आत्मानंद सभा) निर्णयसागर छपायो. सं. १९१८ (अं. नं. ६ ना भेगो.) २२५४ लब्धिसार नेमिचंद्राचार्य. (शास्त्री) मुंबाइ. रु. १-८-० २२५५ ललित विस्तारा. अंग्रेजी नोट सहित. बौद्ध ग्रन्य. (५०) ,, चैत्यवंदन वृत्ति (पाना ) हरिभद्र सूरि, पं. जिका मुनिचंद्र सूरि. रु. ०-८-० (१६) । २२५६ लाला लाजपतराय अने जैन धर्म. बुद्धिसागर मूरि. रु. ०-४-० (१५, ५८ थी ६२, १८४) २२५७ लिंग निर्णय. रु. ०-१-० (६८) , बहोतरी. ज्ञानसुंदरजी विरचित. रु. -१-० (६१७, ६८) ". २२५८ .. (५०) २२५८ लिंगानुशासन कोश. (जुओ अभिधान संग्रह भा. २जो.) For Private And Personal Use Only Page #292 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir लीगवती] १८७ [ोक २२५९ लीलावतीनो रास. रु. ०-२-० ( १२९, ६३) २२६० लीलावती महीयारीनो रास पंडित श्री उदय रत्नजी महा राज कृत लीलावती राणी अने मुमति विलासनो रास १७१६ नी सालनो) (७,५०) २२६१ लीलावती संस्कृत. गणित विषय भास्कराचार्य विरचित. (५०) २२६२ लीलावती भाषान्तर हिन्दी. खेमराज कृष्णदास. (५०) २२६३ लीलावतीनो रास. रु. ०-१-० (६) २२६४ लेख संग्रह भा. १ लो. रु. ०-१२-० २२६५ लेखमाला. मणको १ लो. ले. कुंवरजी आणंदजी (व्हेन. मोंघी गीरधर पुत्री स्मारक.)(६) २२६६ लेखमाला. भा. १ लो. रु. १-०-०) चारित्र विजयना , भा. २ जो. रु. १-०-० लेखोनो संग्रह के. २२६७ लेखसंग्रह. लाडुआ श्रीमाली वाणिया. ज्ञातनी प्राचीनता बनावनार लेख संग्रह. (६१८) २२६८ लोकतत्व निर्णय भाषान्तर सहित. मूळ संस्कृत. गुजरा तीमां भाषान्तर छे. हरिभद्र भूरि विरचित. सं. १९५४ छाप्यो. (१४५ काव्यो) अनेक मतवादीयोन ख. इन छे. , बीजो उपर मुजवनो सं. १९७८ आरति बीजी रु. ०-४-० (५१) " " भाषा. (५०) २२६९ लोकनालिका दात्रिशिका तथा छध्वल्प बहुत्व. (पाना) रु. ०-२-० धर्मघोषसरि सं. १९६८ लोकस्वरुप For Private And Personal Use Only Page #293 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra 1 " १८८ [ बचना वर्णन आ गंथनी प्रस्तावनामां धर्मघोष सुरिनो समय अने टुंक जीवन चरित्र . वि. सं. १३२७ नी सालमां आ प्रकरण लखाएलं मनाय छे. ( १६, २७ ) सावरि. (५०, ६, १७ ) 79 " बीसी. सटीक ( पाना ) रु००-२-० अलभ्य. ( १७ ) ܕܙ २२७० लोक प्रकाश ( आखो ) पाना. रु. ३०-०-० भा. १ १ थी ११ प्रकाश. भा. २ १२ यी २७ प्रकाश. भा. ३ भा. ४ क्षेत्रलोकप्रकाश विनयविजय उपाध्याय (५०) २२७१ छोकप्रकाश भा. १ लो. ( द्रव्य लोक ) अर्थयुक्त. रु. ६-०-० " " www.kobatirth.org 39 ܕ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir भाषान्त भा० २ जी ( क्षेत्र लोक ) परिच्छेद १ लो रु. १०-०-० परिच्छेद बीजो. रु. ९-०-० " " 77 २२७२ लोकप्रिय जैन लेखमाला. मणको त्रीजो. किं. नथी. ले. जीवराज मणशी. मणका एकथी १२ सुधीना हे. सं. १९६७ (६२०, ६१९ ) २२७३ लोकागच्छीय श्रावक स्पष्ठार्थ, पंच प्रतिक्रमण सूत्र. (१२) व. २२७४ वचनामृत. रु.०३-० 93 आचार्य बुद्धिसागरजी सूरि. म. क. मोहनलाल. ही. पादरा. सं. १९६२ पृ. ८३० . ०-१४-० For Private And Personal Use Only Page #294 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १८९ [वसुदे (१५, ५८ थी ६२, १८४) २२७५ वच्छराज देवराजनो रास. (जुओ आनंद काव्य महोदधि. भो. ३ जु.) २२७६ बडोदराना प्रसिद्ध जैन मंदीरस्थ इस्त लिखित ग्रन्थानां क्रम प्रदर्शक पत्र ले. मणीलाल नभुभाइ. मुद्रित, सं. १९५३ (१३८,७१) २२७७ वडोदरामां मुनि संमेलन. रु. ०-२-० २२७८ वत्सराज चरित्र. रु. ०-३-० (६) २२७९ वनस्पत्याहारका महत्व. प्र. लल्लुभाइ गुलाबचंद झवेरी. २२८० वर्णमाला. (६८) [(६२१, ६२२) २२८१ वर्तमान चोवीसी. (जुओ देवचंद्र भा. २ वि. १) २२८२ वर्धमान देशना भाषान्तर. प्रा. सं. गु. रु. २-०-० सं. १९६० (१७९, ८२) " , शास्त्री. रु. २-८-० (६) , , संस्कृत. पाना. रु. ५-०-० (६) २२८२ वर्धमान द्वात्रिंशिका मूळ टीका अर्थ युक्त. सिद्धसेन दिवा कर विरचित. उदयसागर कृत टीका. अने गुजराती भाषान्तर सहीत. सं. १९५९ रु. ०-३-० (६) २२८३ वर्धमान पयसिंह चरित्र काव्यबद्ध भाषान्तर सहित. रु. २-०-० (३२) [जी (६२४, ६२५) २२८४ वर्षप्रबोध हिन्दी. ( मेघ महोदय ) अनु. ज्वाला प्रसाद२२८५ वसन्तविलास महाकाव्यम् बालचंद्रसूरिविरचितम् रु. १-८-० (१३८) २२८६ बसुदेवहिंदसार (प्रत) रु. ०-२-० (२६) For Private And Personal Use Only Page #295 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir वस्तु] १९० [विचार २२८७ वस्तुपाळ परित्र भाषान्तर जिनहर्ष गणिकृत. सं. १९७४ रु. १-८-० (६) , , संस्कृत. रु. ७-८-०(५०) २२८८ वस्तुपाळ तेजपाळनो रास. पंडित मेरुविजयविरचित. तथा पंचानुष्टान चोविशी. रु. ०-६-० (७) २२८९ वाक्यप्रकर्ष. उदयमुनिप्रणीत. (जुओ स्तोत्र रत्नाकर प्रथम भाग सटीक) २२९० वागभट्टालंकार संस्कृत श्री वाग्भट्टमणीत, देवसिंहगणि विरचित टीका समेत. ( अलंकार मंथ. ) (७) २२९१ वाराहिय संहिता. मूळ अने भाषान्तर हिन्दी. मुरादाबाद निवासी. पंडित बलदेव प्रसाद मित्रद्वारा अनुवादित और संपादित. सं. १९७५ (५०) २२९२ वासुपूज्य चरित्र. वर्धमान सूरि विरचित. (संस्कृत) रु. २२९३ वास्तुकपूजा. हुकममुनि. (२१) [२-८-० (६, ५०) २२९४ वास्तुपूजासंग्रह. बुद्धिसागरसूरि. रु. ०-३-० (६) २२९५ विक्रमचरित्र संस्कृत. रु. ३-०-० (६) " भाषन्तर रु.२-४-० (६) , विगेरे मराठी. (जैन ग्रंथो उपरथी तैयार करी छपावनार) (५०,७) २२९६ विक्रान्त कौरवम् नाटकम. हस्तिमल्ल कृत. (सं.) माणे - कंचंद नं. ३ (दि.)(८१) २२९७ विचार पंचाशिका. विमळगणि विरचित. स्वोपज्ञावधरि सहित. (औदारिकादि शरीरादि नवद्वारनुं वर्णन) सं. . १९६९ (अलभ्य) (१७,७) रू. ०-२-० For Private And Personal Use Only Page #296 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org विचार ] १९१ [ विजय २२९८ विचार पंचाशिका. आनंदविमलसूरिशिष्य वानरमुनि कृत ( जुओ प्रकरण पुष्प माला प्रथम पुष्प ) २२९९ विचार रत्नसार. ( प्रश्नोत्तर रूप ) ( जुओ देवचंद्र भा. २ जो वि. १ लो . ) २३०२ २३०० विचार सप्ततिका. महेन्द्रसूरि कृत. विनयकुशळ विरचित वृत्ति सहित सं. १९६९ रु. ०-२-६ अंचलगच्छ, ( विधि पक्ष ) ना महेन्द्र शाश्वत प्रतिमा संख्यादि बार द्वारवडे ग्रंथ पूरो कर्यो छे. मू. प्रा. टी. सं. ( १७७ ) २३०१ विचार सार. र. सं. १९७६ का. सुद. १ नवानगर (जामनगर ) (जुओ देवचंद्र भा. २ बि. १ को ) प्रकरण. (छाया सह ) मूळकर्ता प्रद्युम्न सूरि छाया. माणिक्य सागर चौदयो सैको रु. ०-८-० ( २८, १६, १,९५ ) "" Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 35 २३०३ विचार सितरि महेन्द्र सूरि कृत (जुओ प्रकरण पुष्पमाला प्रथम पुष्प ) २३०४ विजयकळा. रु. २-०-० (३४३ ) २३०५ विजयचंद केवली चरित्र. ( कर्ता श्री चंद्रप्रभ महत्तराचार्य ) भाषान्तर रु००-८-०२ सं. ११२७ ( ६ ) • २३०६ विजयचंद केवली चरित्र मूळ रु. ०-८-० भाषान्तर गु. ( ५० ) 39 २३०७ विजयतिलकसूरि रास ( जुओ ऐतिहासिक राससंग्रह भा. ४ यो. ) २३०८ विजयदेवसूरि माहात्म्य ज्ञानविमलना शिष्य वल्लभोपा - ध्याय कृत अवचूरि ले, सं. १७०९ चैत्र वद ११ बुध. For Private And Personal Use Only Page #297 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir विजय ] १९२ [बीजापुर ठे. मुनिश्री कान्तिविजयजी शास्त्र संग्रह. छाणी. नं. ८१९ ( लिखित) २३०९ विजयधर्म सूरि चरित्र. रु. ०-३-० (४३) जीवनचरित्र. (इंग्रेजी) रु. ०-६-० (४७) , जीवनप्रभा. रु. ०-२-० (४७) " तेनुं जीवन अने तेमना ग्रन्थो. ए. जी. मुना. वाला बी. ए. एल. एल. बी. इ. १९२२ इंग्लंडमां छपायुं छे. २३१० विजय धर्म सूरि. मूळ लेखक. डो. एल. पी. टेसीटोरी. अनुवाद. ( ६२९) (१४)(४७) इ. १९१९ हिझ लाइफ एन्ड वर्क. लखनार बाय. ए. जे. सुनावला. बी. ए. एल. एल. बी. रु. ४-८-० (१४, ४७) २३११ विजयप्रशस्ति महाकाव्य, हीरविजयसूरि, विजयसेनमूरि, विजयदेवसूरि ए तणनां चरित्र श्री हेमविजयगणिकृत. रु. ५-०-० (१४) २३१२ विजयप्रशस्ति सार. रु. ०-६-० २३१३ विजयानंद द्वात्रिंशिका. रु. ०-२-. २३१४ विजयानंदमूरिका संक्षिप्त जीवन (सरस्वतीसे उद्धृती भेट. (३३०) २३१५ विजयानंदाभ्युदय काव्य भाषान्तर सहित रु. २-८-० २३१६ , महाकाव्यम्. (५०) २३१७ विजापुर वृत्तान्त. बुद्धिसागरसूरि. पृ. ९० रु. ०-४-० (१५, ५८ यी ६२, १८४) For Private And Personal Use Only Page #298 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org विदग्ध ] १९३ [ विमळ २३१८ विदग्ध मुखमंडन काव्य श्री धर्मदाससूरि प्रणीतम् स्वो(७, ५० ) पज्ञ व्याख्या समलंकृतम् रु. ०-४० २३१९ विद्यावर्धक भा. १ लो. रु. ०-२-० २३२० विद्यासागर रास. ( संक्षिप्त साररूप ) तथा विद्यासागर रास मूल. (जुओ ऐतिहासिक रास संग्रह भा. ३ जो) २३२१ विधिपक्ष प्रतिक्रमण प्रेमाबाई सं. १९३७ (१.६३०, १२७) २३२२ (श्री) विचिपक्ष गच्छीय सार्थ, पंचप्रतिक्रमणसूत्र (पूर्वार्ध) सं. १९६३ (१४३) २३२३ विधिपक्ष पंचप्रतिक्रमण सार्थ (उत्तरार्ध) (१४३) २३२४ विनति शतक. (६८) Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २३२५ विनयदेवसूरि रास. (संक्षिप्त सार) तथा विनयदेवसूरि रास मूळ (जुओ ऐतिहासिक रास संग्रह भा० ३ जो ) २३२६ विनयवतीना जीवननुं अवलोकन रु. ०–१–० २३२७ विनोदकथा संग्रह संस्कृत ( पाना ) रु. १-०-० २३२८ विनोदात्मक कथा संग्रह, मलधारी राजशेखर सरि विरचित भाषान्तर. ०–१२-० (३३ - ३८ वर्षनी भेट ) सं. १९७८ (६) २३२९ विपाकसूत्र टीका तथा मूलनी संस्कृत छाया साथे रु. ०–१२-० (६७) 59 २३३० " मूळ, तेनी अभयदेवनी टीका अने भगवान विजय कृत भाषा संशोधीत - बालुवालु ( २४, ५० ) २३३१ विपाकसूत्र मूळ - टीका अर्थ युक्त. (10) सहतिक. (५०) 59 २३३२ विमळनाथ चरित्र संस्कृत (पाना) रु. ९-०-० (५०) શ્ય For Private And Personal Use Only Page #299 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra 35 विषळ ] १९४ [ विविध २३३३ विमळ प्रबंध. पं. लावण्यसमयकृत. रु.१-४-० (प्र- २३१) , गु. सं. १५६८ लावण्य समयकृत लक्ष्मीसागरना २३३४ विमळमंत्रीनो रास. रु. ०-१०-० [ शिष्य. (५०) २३३५ विमल म्हेतानो लोको. (जुओ श्लोकासंग्रह शास्त्री ) २३३६ विमळ विनोद, स्वामी दयानंद सरस्वतीका उपदेश. मोक्षाकर (३९) २३३७ विवाहचूलिकाकी समालोचना और बंगचूलिकासूत्र. सं. १९८० रु. ०-२-० (६८) २३३८ विविध जिनगुण स्तवन. रु.०-६-० (६३२) २३३९ विविध ढाल संग्रह. भेट. (४३) २३४० विविध पदसंग्रह. गुणचंद्र विरचित. रु.० - ४-० (६३३, ५०) २३४१ विविध पयन्न अवचूरि रु. १-८-० [ २-०-० (१७) २३४२ विविध पूजासंग्रह. ( तद्दन नवीन पूजाओनो संग्रह ) रु. ( आत्मारामजी कृत ) रु००-८-० आत्मारामजी कृत तथा वल्लभविजयजी कृत १४ पूजाओनो संग्रह. सं. १९७१ (१७) "" "9 " "" 39 3 99 AAAA 39 " " "" 99 39 99 "" www.kobatirth.org प्रथम भाग रु. १-८-० 99 " भाग १ लो. (गुजराती) रु. १-८-० (शास्त्री) रु. १-८-० 91 भाग २ जो. रु. १-०-० " ܕܕ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कीमत लखी नथी. ( १२९, ६३ ) आवृति त्रीजी रु ८-८-० (१७) कीमत नथी (१२९) " (शास्त्री) रु. ०- १२-० 59 भाग ३ जो. रु. १-२-० (७) की. लखी नथी. For Private And Personal Use Only Page #300 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir विविष] " , भा. २ जो (७) की. लखी नयी. " , भा. १-२-३ रु. १-८-० " , भा. १-२-३-४ रु. १-८-० २३४३ विविध बोध. शोधक पंडित उसमचंद्रजी. सं. १९६१ रु. रु. ०-६-० (६३४) २३४४ विविध बोल रत्नाकर भा. १ लो रु. १-०-० ,, , ,, भा. १ लो रु. ०-८-० (प्र. ६३५) " " " , शान्तिसागरवाळो. सं. १९४६ " , , भा. २ जो. रु. २-८-० २३४५ विविध सज्झाय संग्रह रु. ०-४-० (६३६) २३४६ विविध स्तवन संग्रह. रु. ०-२-० (६३६ थी ६३९) २३४७ विविध ज्ञान विस्तार मराठी. (५०) २३४८ विवेकदर्शक लेखमाला. अंक पहेलो रु. ०-०-६ २३४९ विवेकमंजरी आसाइकविकृत अने बालचंद्रसूरिकत. टीका भा. १ लो. पृ. १४८ उपदेश प्रा. सं. १९७५ विविध साहित्यशास्त्रमा छपायुं छे. (५६) कलकत्ता (१) ,, भा. २ जो. सटीक रु. १-०-० (५६) ,, टीका. रु. ५-८-० , सटीक. प्रथम भाग (अलभ्य) (५६) २३५० विवेकविलास. जिनदत्तसूरिकृत संस्कृत अने हिन्दी (मा. चार विचार ) सरस्वती ग्रंथमाळा तरफयी छपायं. रु. २-८-० (४७) २१५१ विवेक विलास अर्थ सहित. रु. २-०-० २३५२ विवेकविलास श्री जिनदच सूरि विरचित. मामातर कर्ता पंडित दामोदर गोविंदाचार्य डायपंडज्युविकिपी पेस For Private And Personal Use Only Page #301 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org विवेक ] १९६ [ विश्वः अमदावाद रु. २-०-० उदयसिंहराजा सं. १२३१ मां परलोकवासी थयो ते वखते आ ग्रन्थकार हयात हता. २३५३ विवेकविलासनो लोको. (जुओ श्लोकासंग्रह. शास्त्री ) २३५४ त्रिंशति स्थानक चरित रु. १-०-० मूळ कर्ता जिनहर्ष : गणी सं. ग्रंथ नं. ६० (१६) २३५५ विंशति स्थानक विचारामृत संग्रह (पाना) रु. ४-८-० २३५६ विंशस्थानक पदपूजा कथासह गु. ( ४५०, ५० ) २३५७ विंशतिक स्थानानि अथवा विचारसंग्रह. (५०) २३५८ विंशति स्थानक चरितं हर्षमणि विनिर्मित (विचारामृत संग्रह ) रु. १-०-० (१, १६) २३५९ विशेष निर्णयपत्र हिन्दी. सं. १९६५ रु. ० - ४ - ० (६३, ५० ) २३६० विशेषशतक समयसुंदरगणिकृत. (प्रत ) संस्कृत रु.०- १२-० (६४४, ४७, ५० ) २३६१ विशेषावश्यक गाथाना नामाकारादिक्रम Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( २८, १६, १ ) २३६२ विशेषावश्यक भाष्य पृष्ट ४०० भा. १-२ 59 99 " " ४०१ थीं ८३४ भा. ३-४ ,, ८३५ थी १३६० भा. ५-६-७ मूळ पृष्ट थी २६२ भा. ८ 39 33 "" २३६३ विशेषावश्यक भाषान्तर भा. १ लो. जिनभद्रगणी भाषा० ०-५-० कर्ता चुनीलाल इकमचंद गु. रु.२-०- ( २८, १, १ ) भा. १ लो. श्लोक १ थी १५४८ सुधी For Private And Personal Use Only " 77 रु. २-०-० (२८) २३६४ विश्वरचना प्रबंध. दर्शनविजय गु. द्रव्यविचार तथा खगोळ. सं. १९७९ ( प्रेसमां ) २३६५ विश्वळीला पुष्पमाला. रु००-१-० Page #302 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir विश्वा ] १९७ [ वीर २३६६ विश्वानुभव अने दर्पण शतक. रु. ०१-६ (१७८ ) २३६७ विषयतावाद (५० ) २३६८ विषापहार स्तोत्र- धनंजय प्रणीत. ( जुओ काव्यमाला. गुच्छक. भा. ७ मो. > २३६९ बिहार गाइड, चारित्रविजयकृत, सं. १९७४ भुगोल. २३७० विज्ञप्ति त्रिवेणी. (संस्कृत) रु. १-०-० ( श्री कान्तिविजय ग्रन्थमाला ) ( १७, ४९९ ) २३७१ विज्ञप्ति विनोद मुनि जिनविजय. एक विस्तृत संस्कृत ऐतिहासिक पत्र. गं. नं. प्रथम पुष्प, रु०-१४-० ( ६४५, १७ ) २३७२ वीतराग महादेव स्तोत्रम् भाषान्तर अनुवाद. जिणेन्द्र स्तुति अने रत्नाकर पश्चिमीना अनुवादो सहित. (प्र. १०८ ) २३७३ वीतराग. महादेव स्तोत्र हेमचंद्राचार्य विवरण कर्ता. प्रभानंद अवचूरि कर्ता. विशळराज. सं. १९५१२ रु. ०~८-० ( १६ ) २३७४ वीतराग स्तोत्र तत्वार्थ भाषान्तर हेमचंद्र सूरि. सं. गु. रु. ०-१२-० ( १६, १ ) २३७५ वीतराग स्तोत्र भाषान्तर युक्त. रु. ०-२-० • २३७६ वीतराग स्तोत्रम् भाषान्तर सहित भेट. ( ३३ ) २३७७ वीर निर्वाण कल्याणक स्तव. ( जुओ काव्यमाला गु. ७ मो बीजी ) २३७८ वीर निर्वाणना स्तवननी ढाळो. भावनगर मां. (जुओ देवचंद्र भा० २ वि . १ ) २३७९ वीर ने अपील. लेखक. शिवजी देवशी भेट. (४४९) २३८० वीरविजयजी महाराजनुं जीवनचरित्र बाबूजी सुमेरमलजी For Private And Personal Use Only Page #303 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पंडित ] १९८ [वेदान्त सूराना. बीकानेर वाळी. सं. १९७७ अमूल्य. कलक त्ता. डे. मनोहरदास का कटरा बडावजार. कलकत्ता. २३८१ (पंडितश्री) वीरविजयजी महाराजनो टुंको प्रबंध. सं. १९७६ की. फो. (२०५) २३८२ वीर स्तव. जिनमभाचार्यविरचित. (जु. काव्यमाला गु. ७ बीजी.) २३८३ वीरस्तुतिरुप हुंडीनुं स्तवन. यशोविजयजीउपाध्याय कृत. ___ तथा तेमनो शा. हरराज देवराज उपर लेखेलो कागळ. (६४८, ५०). २३८४ वीर स्तोत्रम्. धनपालीय विरुद्ध वचन. मूल अने भाषान्तर. हिन्दी. (५०) " सत्ति . (५०) , गुजराती. (३३, ५०) २३८५ वीसविहरमान वीसी. (पालीताणा) (जुओ देवचंद्र भा. २ वि. १) २३८६ वीस स्थानक तपविधि. मेट. सं. १९६९ (६४९, ६५०, २३८७ वीस स्थानकनी पूजा. रु. ०-१-० २३८८ वीस स्थानकनो रास. रु. २-०-० २३८९ वीस स्थानक पद पूजा संग्रह. रु. ०-४-० , स्तुति ( जुओ देवचंद्र भा. २ जो. वि. १ को.) २३९० वेद प्रमाण्य चंद्रिका. ५०४१ ( इतर.) २३९१ वेद मीमांसा. हिन्दी. २३९२ घेदांकुश. प्रत. रु. ०-६-० (२६) २३९३ वेदान्त परिभाषा. ५०३६ ( इतर ) २३९४ वेदान्त सार भाषान्तर. (इवर) हिन्दी. For Private And Personal Use Only Page #304 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir वेराग्य ] १९९ [ वृद्धि २३९५ वेराग्य कल्पलता पूर्वार्ध यशोविजय उपाध्याय. मूळ सहित भाषान्तर रु. ३-०-० (७, ५० ) २३९६ वैराग्य तरंगभक्तिमाळा. रु. ०-६-० पृ॰ २१६ सं॰ १९६५ (१०८) २३९७ वैराग्यरत्नाकर (वैराग्य शतक विस्तारार्थ युक्त) रु. १०० २३९८ वैराग्यशतकम् पद्मानंद कवि प्रणीत. ( जुओ काव्यमाळा गुच्छ भा. ७ मो ) २३९९ वैराग्यशतक मागधी अर्थयुक्त मूळ अने भाषान्तर सहित. सं. १९५२ रु. ०–२–० ( २९६ ) २४०० वैराग्यशतकम् सटीकम् बालावबोध. (५०) २४०१ वैराग्यशतक संस्कृत अर्थयुक्त. रु.०-४-० २४०२ वैराग्योपदेश विविध पद संग्रह. गु. यशोविजय, विनयविजय, तथा ज्ञानसारजी विरचित (७, ५० ) " "" २४०३ वैराग्योपदेश पोथी. भा. १ लो रु. ०-२-६ भा. २ जो. रु. ०-२-० २४०४ कचूळ राजानी कथा ( जुओ चरित्र संग्रह ) २४०५ दारुवृत्ति (पाना) वन्दारुवृत्ति अपरनानि श्राद्ध प्रतिक्रमणसूत्र. वृत्तिकार. देवेन्द्रसूरिनिर्मित ग्रं. ८ रु. ०-८-० ( १६, १, ५० ) २४०६ व्याकरण (धर्मदीपिका कर्ता हेमचंद्रसूरि ) श्लो. ७०० वृत्ति मंगलविजयजी कृत. हे पा. ७५ (४७) २४०७ वृत्तरत्नाकर ( वांचत्रा लायक काव्य विनोद ) (५०) २४०८ वृद्धिचंद्रजी महाराजनुं चरित्र रु ० - ४-० (६, ५० ) २४०९ वृद्धिविजयगणि रास ( संक्षिप्त साररूप तथा मूळ ) ( जुओ ऐतिहासिक रास संग्रह भा. ३ जो ) For Private And Personal Use Only Page #305 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २०० वृदि] [मुनि २४१० वृद्धिसागरसूरि रास. (संक्षिप्त साररुप तथा मूल रास.) (जुओ ऐतिहासिक राससंग्रह भा. ३ जो) २४११ व्याख्यान लब्धिविजय, (६५) २४१२ व्याख्यान देहली ले. लब्धिविनयजी. हिन्दी (प्र.६५२) २४१३ व्याख्यान परिषद् विचार. रु. ०-८-० (२०३) २४१४ व्याख्यान ज्ञप्ति. (२८) [रु. ०-१-० (४८) २४१५ व्याख्यान मौक्तिक. वल्लभविजयजीना बे व्याख्यान रु. २४१६ व्याख्या विलास रत्नविजयजी. रु. ०-२-० (६८) २४१७ व्याख्याविलास. (६८) भा. २ जो. (६८) भा. ३ जो. (६८) भा. ४ थो. (६८) गुजराती. (५०) २४१८ व्याख्यान साहित्य संग्रह. भा. १ लो. रु. २-८-० २४१९ व्याख्यान साहित्य संग्रह. भा. २ जो. सं. १९७५ (६५३, ६५४, ९५) २४२० व्याख्यान , भा. ३ जो. सं. १९७५ २४२१ व्याख्यान संग्रह. रु.१-०-० [(६५३,६५४,९५) , की. नथी. चारित्रविजय. “जैन ग्रंथावली " नं. १५ भगु फतेचंद. सं. १९६६ , , चारित्र विजय. रु. १-४-० (६) २५२२ व्यापारीनो रास. श्रावक जिनदास कृत. तथा श्रावक ही राचंद कृत उपदेश रास. २ सं. २७१९ रु. ०-१-६ २४२३ व्युत्पत्ति वादटीका. वि. मंगलविजय (४७) [(७) २४२४ (मुनि) वृद्धिचंद्रजी चरित्र. ग्रा, मे. (६) २४२२ व्या कृत उपद मंगलविजय ) For Private And Personal Use Only Page #306 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org शकिबाद ] २०१ श. २४२५ शक्तिवाद टीप्पन ( न्याय ) मंगलबिजय. (४७) २४२६ शक्ति वादादर्श. (५०) २४२७ शवकनामा पांचमो कर्मग्रन्थ ( जुओ प्रकरण रत्नाकर भा. ४ थो. ) २४२८ शतक प्रकरणम् शिवशर्मसूरिकृत सचूर्णि रु. १-८-० ( ९४, ६५६ ) २४२९ शवपदी भाषान्तर अंचळगच्छवाळानुं मेरुतुंग सूरि विरचित लघु शतपदीनी उपयोगी बीना तथा पदावली साथै, सं. १९५१ ( ८४ ) २४३० शत: मंगल पाठ रु००-१-० (२०१ ) ܙ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir [ १२४१ २४३१ शतार्थी. सोम प्रभाचार्य कृत. एक लोकना सो अर्थ. सं. २४३२ बीजी. उदय वल्लभ कृत. ते धर्मदास गणि कृत उपदेशमालानी एक गाथानी. २४३३ शतार्थी त्रीजी योगशास्त्राना श्लोकनी मानसागरउपाध्यायकृत. २४३४ शत्रुंजय उद्धारादि प्रबंधमाला, लघु जैन धर्म प्रवर्तक सभा तरफथी सेक्रेटरी वाडीलाल मनसुखराम गुसापारेखनी पोळ अमदावाद. रु. ०-४-० (६५७, ६५८ ) १९५० रु. ०-५-० [ १९६९ (३२२ ) २४३६ शत्रुंजय उद्धार मुनि नयसुंदरकृत भेट, आवृति ३ सं. २४३७ शत्रुंजय तीर्थ स्तवनावली. गुजराती रु०-५-० (१३) २४३८ शत्रुंजय तीर्थोद्वार प्रबंध ग्रंथ पुष्प ३ उपघात और ऐतिहासिक सारभाग सहित संशो. मुनि जिनविजय ( १७०, १७ ) *f २४३५ शत्रुंजय तीर्थरास उद्धार विगेरे. स. ( ७, १० ) For Private And Personal Use Only [ शर्भुजय Page #307 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शर्बुजय] २०२ [शमता २४३९ शत्रुजय तीर्थोदार प्रबंध हिन्दी. जिनविजयकृत. (५०) २४४० शत्रुजयनो नकशो. (कपडावाळो) रु. १-०-० (६) २४४१ शत्रुजय माहात्म्य (नार्नु) रु. ०-८-० " , जिनहर्ष प्रणीत. (जुओ आनंदकाव्य म. होदधि मौ. ४ धुं ) , गुजराती भाषान्तर. रु. २-८-० २४४२ ,, , भाषान्तर. धनेश्वरसूरिकत. संस्कृत प द्यात्मक महा ग्रन्थy (जेहर्नु) रु. २-०-० (६) ,, खंड १ लो. भाषान्तर रु. ३-४-० २४४३ ,, संस्कृत. (पाना) रु. १२-०-० २४४४ः महातीर्थे महात्म्य सार रु. ०-१२-० २४४५ , , यात्राविधि कर्ता कर्पूरविजयजी (३३,६५९) २४४६ (श्री) शत्रुजय महातीर्थादि यात्रा विचार सं. १९७०(३३) २४४७ शत्रुजय लघु कल्प. अर्थ सहित. सं. १९७८ (६) २४४८ शर्बुजयादि यात्रा विचार. रु. ०-०-६ (३३) २४४९ , स्तवन संग्रह. रु. ०-१-६ २४५० शत्रुजयोदार प्रबंध रु. १-०-० (४९९, १७) २४५१ शत्रुजय तीर्थोद्धार प्रबंध उपोद्घात तथा इतिहास भाग सहित. जिनविजय. रु. ०-१०-० (१), ६६०) २४५२ शत्रुजयोद्धार रास. नयसुंदरकृत (जुओ आनंदकाव्य महो. दधि मौ. ६ ढुं) २४५३ शनीश्वरनी चोपाइ विगेरे. रु. ०-३-० २४५४ शब्दकोष चिन्तामणि. रु. १२-०-० संस्कृत गु. कोश (प्र. ६६१) २४५५ शमताशतक. ( जुओ प्रकरण रत्नाकर भा. १ लो) For Private And Personal Use Only Page #308 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २०३ [शान्ति २४५६ शब्द रत्नाकर कोष. अं. नं. ३६ (१४,७१) २४५७ , , संस्कृत साधुसुन्दरगणि विरचित. अं. नं. ३१ रु. ०-१२-० (१७, ६) अने जै. ध. प्र. सभावती. २४५८ शब्द सप्ततिका प्रकाश. (५०) २४५९ शब्द स्तोम महानिधि. (६६२) २४६० शमामृतम्. (छायानाटकम् ) नेमिनाथ स्तवन अने रंगसा गरनेमि हाडा संशोधक मुनि धर्मविजय सं. १९७९ (६६७) २४६१ शाणी सुलसा. ले. मु. विद्याविजयजी सं. १९६९ रु. ०-४-० (६६८, १२३, ४७, १४) २४६२ शान्त सुधारस विनयविजय उपाध्यायकृत (गंभीरविजय गणिकृत. टीका समेत ) अनित्यादि १२ अने मैत्र्यादि चार मळी सोळ भावनानुं यथास्थित स्वरुप बनावनार आ अपूर्व ग्रंथ छे. मूळ संस्कृत अने टीका सं. १९६९ (प्रति ) (६, १०) ,,, गुजराती तथा चिदानंदजी विरचित मेट, प्रश्नो. सर रत्नमाला मूल अने सरल व्याख्या. (३३,५०) " ,, भावना. रु. ०-८-० (५०) " , सटीक रु. १-०-० " " ,रु. ०-१२-० २४६१ शान्तिनाथ काव्य. मुनिभद्रसूरि विरचित. सं. १९६७ (१४, ९५) २४६४ शान्तिनाथ चरित्र. (श्री अजितमूरि विरचित.) सं. १९७३ ( अजीवप्रभसूरि) संस्कृत (२९, ६) , , भा. १ थी ४ छट्ठा प्रस्ताव.सुधी. अजीत प्रभाचार्यकृत. चालु. रु. ३-०-० (२९) For Private And Personal Use Only Page #309 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २०४ पाधि , ,, मुनिभद्रवरि विरचित. पचात्मक (१४,४७) " , हिन्दी सचित्र. रु. ४-०-० ,, ,, (भावचंद्रसूरि विरचित ) गद्यात्मक (पति) (६६९) " , उपरनानु भाषान्तर. रु. २-०-० से. १९७८ (६) ,, चरित्रम् पंन्यास मेघविजय. नैषध महाकाव्यनी पादपूर्तिरुप लखायुं छे. अने शान्तिनाथ भगवाननुं चरित्र वर्णन कर्यु छे. रु. १-०-० (७७) २४६५ शान्तिनाथ चरित्रम् पंन्यास मेघविजयगणि. रु. १-०-० (५६, ४७) . २४६६ शान्तिनाथ चरित्र (पयबन्ध ) प्रत. रु. १-४-. " (मत) रु. १-२-० (३२) ,(मुनिभद्रसूरिकृत) रु. ३-०-० (६७,७६) " ,संस्कृत. गद्य भावचंद्रकृत. (६) " रु. ०-४-० २४६७ शान्तिनाय पुराण (दि०) मूल सकलकीर्ति रु.७-४-० अनु. (६७१, ५०) [(२५) २४६८ शान्तिनो मार्ग. पं. केसरविजय. सं. १९८० रु.०-४-० , , , सं. १९७८ (५२१, ६७२) २४६९ शान्तिप्रकाश. (जुओ आत्म हितबोध) २४७० शालिभद्र चरित्र. (संस्कृत) पं. धर्मकुमार विरचित. अपूर्व कया अथ. टिप्पण सहित. (प्रति) रु. १-४-० (१४, ५०, ४३०) For Private And Personal Use Only Page #310 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra "" www.kobatirth.org २०५ शालिभद्र ] [ शिवबोध २४७१ शालिभद्र चरित्रनो अंग्रेजी अनुवाद. विवेचन सहित अमेरिकन ओरियन्टल सोसाइटी बोल्युम ४३ मां छपायोडे. २४७२ शालिभद्रनो लोको. (जुओ श्लोका संग्रह शास्त्री ) २४७३ शास्त्रवार्ता समुच्यय ( संस्कृत पाना ) हरिभद्रसूरि निमित. यशोविजयकृत, स्याद्वाद कल्पलताना ४ ना टीका सहित, प्रथम विभाग रु २-०-० (१६, १,५० ) सस्तबक. हरिभद्रसूरिकृत ( जुओ हरिभद्र " ग्रन्थमाला ) ܕ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रति (६७४, ६) 39 २४७४ शास्त्रार्थ दिग्दर्शन, विद्याविजय. सं हिन्दी. सं. १९८० ( ३७ ) २४७५ शालोपयोगी जैन प्रश्नोत्तर. रु. ०-६-० २४७६ शिखरजीनुं व्यान हिन्दी. ब्यान प्रारसनाथ पहाड. तवा - रिख तीर्थ समेत शिखर मुल्क बंगाल जीला हजारी बाग. सं. १९६४ (६७५ ) २४७७ शिल्प दीपक ( गंगाधर प्रणीत. ) रु. १-८ - ० जैनेतर. २४७८ शिल्प सार संग्रह. रु०-८-० इतर. २४७२ शिव प्रबोध. भा. १ लो. गु. रु. ०-८-० नं. मणको ७ मो. (४४९, ६७६ ) २४८० शिवबोध भा : लो. रु०००१२-० ( ६०, ५० ) भा. २ जो. (६, ५० ) • २४८१ शित्रविनोद . ( ४४९, ६७६, ५ ) २४८२ शिव विलास. गु. रु. ०-१२० डां. मणको ६ ( ४४९, For Private And Personal Use Only ६७६, ५० ) २४८३ शिवबोध भा. १ लो. रु. ०-१२-० ( ६०, ५० ) Page #311 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra विनोद ] www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २०६ भा. २ जो (६०, ५० ) 95 २४८४ शिवविनोद गु. (४४९, ६७६, ५० ) २४८५ शिव विलास. गु. रु. ०-१२० ग्रं. मणको ६ (४४९, ६७६, ५० ) २४८६ शिवविनोद. भा. ३ जो. रु. ०१२-० (४४९, ६७६, ५० ). २४८७ शिशु शिक्षा, 'मनोरंजन ' नामना हिन्दी लेखारथी अनुवादक मुनि श्री तरुण विजयजी कोट, मुंबई. सं. १९८० (२६१ ) [पील २४८८ शिष्योपनिषद् बुद्धिप्रभानी मेट. बुद्धिसागर सूरीश्वर. नं. नं. ४४ पृ. ४८ सं. १९७३ रु. ०-८-० ( १५५८ थी ६२, १८४ ) २४८९ शिक्षाका आदर्श ( सत्यदेव ) आर्थिक, मानसिक अने आध्यत्मिक स्वतंत्रता विगेरे विषयो बडी सुंदर विवेचना की है. ( ८८, २६१ ) For Private And Personal Use Only २४९० शीघ्रबोध अथवा थोकडा प्रबंध. भा. १ थी २५ ( तेमां केटलाकनी किमत बे आना छे अने केटलाक भेट तरीके छे. ) (६८) २४९१ शीघ्र मोक्षमाला गंभीर विजयजी महाराज गु. मेट. (५०, ६७७ ) २४९२ शीयलोपदेश. ( शियळोपदेश ) ( १२९ ) माला. भाषान्तर. गु ( ५० ) 39 २४९३ शीयल बावनी. गु. ले. झवेर डाह्याभाई. रु००-२-० (६७८, ६७९, ५० ) २४९४ शील कुलकम् ( जुओ कुलक संग्रह १७ वाळो ) Page #312 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २०७ शील] [शुकनशास्त्र २४९५ शीर तरंगिणि. ( प्रति.) शीलोपदेशपाला वृत्ति पळ कर्ता जयकातिमूरि टीकाकार सो रतिली . रु. ९-०-० (३२, ५०) [५०) २४९६ शीलदूत. चारित्रसुन्दर गगि विनिर्मित काव्य. (४३०, २४९७ शील प्रकाश. संस्कृत (पाना ) रु. ०-१२-० (५०) , पासागर गणि. रु. ०-१२-० २४९८ शील रत्नसार. (४६) [०-२-० २४९९ शील रक्षा. भा. २ जो. अथवा सुदर्शन चरित्र. रु. २५०० शीलवती सती कथा. रु. ०-६-० (५०) २५०१ शीलवती कथा. गं. मा. नं. १० सं. १९७६ (५२) २५०२ शीलवतीनो रास. कवि. नेमविजय कृत. गं. नं. ३५ रू. १-२-०, रु. १-०-० सं. १९५१ (६८०, ६८१, ५०) २५०१ शील सुन्दरी रास. रु. ०-२-० २५०४ शीलमूत्र विगेरे. २५९४ (इतर ) २५०५ शीलांगादि रथ संग्रह. चित्र तथा समजुती सहित. सं. १९६८ रु. ०-१२-० (१८१) २५०६ शीलोपदेश माला (जयकीर्तिरि विरचित.) भाषान्तर. रु. ३-८-० (१५५) २५०७ शीक्षा शतक. रु. ०-१-० (तेरापंथी) २५०८ शुकन शास्त्र. भाषान्तर रु. ०-६-० जिनेन्द्रमरिविरचित तेर्नु भाषान्तर. सं. १९५५ रु. ०-८-० (३२) हिन्दी. (५०) गुजराती. (५०) For Private And Personal Use Only Page #313 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शुकन] २०८ [शेठ. बीरचंद २५०९ शुकन सागेदर. (प्र.) संस्कृन. रु. १-०-० २५१० शुकराज कथा. माणिस्यामूरिविरचित. सं. १९८० (५२) २५११ शुकराज कुपार. रु. -:-.हिदी. सचित्र. (९) २५१२ शुकराज चरित्र. रु. ०-२-० ग्रा. मेट. (६) २५१३ शुद्धदेव अनुभा शिवार. हिन्दी अमूल्य. (७७) २५१४ शुद्ध सामाचारी प्रकाश भाषान्तर हिन्दी. अनु.पं.प्र. श्री. बृहत्कोटीक खरतरगच्छे श्री रायचंदजीमुनि. सं. १९२९ (प्र. ६८२, ५०) २५१५ शुद्ध देव गुरु धर्मनी सेवा उपासना विधि. रु. ०-१-० २५१६ शुद्धोपयोग. तेमां. १ शुद्धोपयोग. गं. ६९ । २ दयाग्रंथ. गं. ७० । ) पृ. १५६ रु. ०-१२-० ३ श्रेणिकसुबोध गं.७१ । ४ कृष्णगीता. गं. ७२ ) (१५,५८ थी ६२,१८४) २५१७ शुद्धोपयोग अथवा सहज समाधि गु. ले. फतेचंद कर्पूर चंद लालन ( २८८, १०९, ५०) " " , छ. म. कर्ता. जन एसो. सीएसन ओफ इन्डीमा. (७१) , प्रवेशिका. (जुओ मुमतिविलास. अन्य. म नमुखलाळ.) २५१८ शु पशुमेध सशास्त्र छे. १ (५०) [(१०८, ११) २५१९ शेठ मनसुखभाइनो जीवन विरह. (मेट) पद्यात्मक. २५२० शेठ. मोतीचंद अमीचंद जीवनचरित्र. ३९५ (वि.) २५२१ शेठ, लालभाइ चिरह. ( मेट) (१०८, ६८३) २५२२ शेठ. वीरचंद विरह. (मेट) (१०८) २५१९ २० मोतीचंद अमावाट) (१०८, For Private And Personal Use Only Page #314 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शोक] २०९ [श्राद्धगुण २५२३ शोक विनाशक. गं. ७५ बुद्धिसागरसूरि. (१५, ५८ थी ६२, १८४) २५२४ शोभन स्तवनावली. दशवैकालिकसूत्रनां अध्ययनो स्तवनो विगेरे. रु. ०-५-० ( ६८४. ६८५, ५०) २५२५ स्यावाद कलिका. ( राजशेखर सूरि) श्री युक्तिप्रकाशना भेगो आ गंथ छे.) रु. ०-८-० (भेगांनी) (३२) २५२६ साम्य शतक. विजयसिंहसरि कृत. सविवेचन. भाषान्तर सहित. (१४३ ) २५२७ श्रद्धाशुद्धि उपाय. कर्पूरविजयकृत, रु ०-२-० (भेट) (३३, ५०) २५२८ श्रमणनारद. इंग्रेजी उपर अनुवादक. पंडित लालम. फ. क. परोपकारनो अवतार. भेट. (१०९, ५०) २५२९ श्रमण प्रतिक्रमण सत्तिकम्. (५०) २५३० श्रमण प्रतिक्रमण सूत्र. सं. १९६७ रु. ०-१-६ (१६, २५३१ श्रपणसूत्र. (५०) [१) (प्रति) २५३२ श्रमणसूत्रवालावबोध. नयविमलगणि कृत. रु. ०-४-० २५३३ श्रमणसूत्रचि . (पाना) रु. ०-१-६ (७३) २५३४ श्राद्ध कल्पतरु. योजक कर्पूरविजयजो. (३३, ५०) २५३५ श्राद्धगुण विवरणम् जिनमंडनगणि गुंफितम् अणहिलपुरप. दृन नगरे. सं. १४९४ वर्षे निर्मित अलभ्य. गं. रत्न, २९ सं. १९७० रु. १-०-० (१७, १०) २५३६ श्राद्धगुणविवरण भा. १ लो. आत्मानंद जैनेटेकट सो. साइटी. अंबाला शहेर. " " भाषान्तर. प्र. नं. ३० रू. १-८-० (प्रति ) (६८६, १७) For Private And Personal Use Only Page #315 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir भाददिन] . [श्रावक संस्कृत. (पाना) रु. १-०-० २५३७ भाद्धदिन कृत्य. अर्थ सहित. रु. ०-८-० , , भाषान्तर हिन्दी. नानकचंद जती. ___ की. नथी. ( ६८७, ५०) २५३८ श्रादप्रतिक्रमणसूत्र. अपरनाम ( अर्थदीपिका ) वृत्ति ( पाना) रत्नशेखरसूरिकृत. विवरण युक्त. गं. नं. ४९ रु.२-०-० (१६) " " , टीकाकार रत्नशेखरसरि. टी. २ सं. १४९६ टी. ले. सं. १६०३ सं. अन्य नं. ४८ रु. २-e-० (१६) २५३९ श्राद्धविधिग्रंथ संस्कृत. पाना रत्नशेखरमूरिकृत. स्वोपन वृचि युक्त सं. १९७४ रु. २-८-० (६८८ ) २५४. श्रादविधि भाषान्तर. (गुजराती) पंडित. रत्नशेखर मूरिविरचित. तथा तेमनी रचेली विधिकौमुदी नामनी टीकार्नु भाषान्तर. रु. ३-८-० (१५५, ५०) ,, ,, (गुजराती) "जैननुं " पंडित रत्नशेखर सुरिए करेला मूल. तथा तेमनी टीका ( कौमुदी) नुं भाषान्तर. गुर्जर. रु. २-०-० (४४, ६८९) ,, , शास्त्री. रु. ३-०-० २५४१ श्रामण्य रास्य. प्र. विवेकचंद ज्ञानमल. ( ६९०, ६९१) २५४२ श्रावक आचार. अम्मितगति आचार्य विरचित. (दि.) अं. नं. २ रु. १-१०-० २५४३ श्रावक कल्पतरु. श्रावकना बार व्रतनुं स्वरूप. प्रा. भेट. योमक मुनि कर्पूरविजय. गं. नं. २१ सं. १९६८ (१७) For Private And Personal Use Only Page #316 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra ܕ भावक ] 99 २५४४ श्रावकगुण दर्पण. रु. ०-१-६ २६४५ श्रावकधर्म दर्पण. रु. ०-३-६ २५४६ श्रावक धर्म संहिता (धर्मविन्दुमांथी धर्मविन्दु सार प्रथम भाग ) प्र. नं. ३ रु. ०१२-० (५९५ ) २५४७ श्रावक धर्म स्वरूप. भा. १लो. रु. ०-१ - ०] आ. बीजी. पृ. ४० भा. २ जो. रु० - १-० } " " पृ. ४० २५४८ भावकनी आलोयणा. ( स्थानक वासीनी ) रु०-४-० रु. ०–२–० www.kobatirth.org "P ܕ 33 39 Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २११ की. नथी. (३३) 99 २५४९ श्रावक प्रज्ञप्ति भाषान्तर रु. ०-२-० " 39 सूत्र. मूळ. सं. टीकार्नु भाषान्तर. गु. भा. क. के. प्रे. मोदी. रु. ०-१०-० (६३, ५० २५५० श्रावक व्रतभंग. प्रकरण. अवचूरि सहित. ग्रॅ. रत्न. १४ मू. मा. सं. १९६९ रु. ०-२-० ( १७, १० ) २५५१ श्रावक श्राविका धर्म. ग्रं. नं. १५रु. ०-२-० सं० १९७८ ( ५३९, ६९३ ) " " " २५५२ भावक सामायिक विधि रु. ०-६-० २५५३ श्रावक संसार. रु० ०-१२-० २५५४ श्रावक स्तवन संग्रह. भा. १-२-३ भेट. ४३ २५५५ श्राविका धर्म, रु.०-१-० (६९४) रु. ०-१-६ [ ६० ) २५५६ श्राविका भूषण. प्रथमालंकार. रु. ०–१२-० ( १४३, द्वितीयालंकार रु. १-०-० ( १४३, ६० ) · [ भाविका For Private And Personal Use Only तृतीयालंकार. रु. १-०-० ( १४३, ६० ) तुर्यालंकार रु. १-४-० ( १४३, ६० ) Page #317 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir [भोपाल २५५७ श्राविका शिक्षण रहस्य. रु. ०-२-० (१४३) २५५८ श्राविका सुबोध दर्पण. रु. ०-१२-० (५०) २५५९ श्रीचंद केवलीनो रास. गुजराती. रु. १-८-० २५६० श्रीचंद केवलीनो रास, रु. १-८-० २५६१ श्रीचंद चरित्र. संस्कृत (पाना ) रु. ५-०-० २५६२ श्रीपाळ गोपाल कथा. सोमसुंदरसूरिना शिष्य जिनकी तिमूरिविरचित. गं. मौक्तिक. सं. १९७६ (६२५) २५६३ श्रीपाल चरित्र. मूल कर्ता. ज्ञानविमल मूरि. ले. सं. १७४५ संस्कृत. गं. नं. ५६ रु. ०-१४-० (१६) " रु. ०-१२-० जिनहर्ष. गुजराती. ( २४,.५०) गय. ( जुओ चरित्र संग्रह) मागधी. (पाना ) रु. २-८-० नयविमळ. उर्फे ज्ञानविमळ संस्कृत काव्यम्. रु. ०-१४-० (१६) प्राकृत सावचूरि. (५०) संस्कृत. (५०) ., (पाना) रु. १-१२-० २५६४ श्रीपाल राजानो रास. न्याय सांगरजी कृत. अर्थ सहित. रु. २-०-० (३२) [२-४-० " , " (अथे सहित ) शास्त्री. रु.. " " " ले. कुवरजी आणंदजी (६.५०) " " " श्री विनय विजयजी तथा यशोविजयजी उपाध्याय विरचित. (७) २५६५ श्रीपाल राजानो रास गुजराती. रु. २-८-० For Private And Personal Use Only Page #318 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir भीमा । लोकासंग्रह , ,,, (रहस्य युक्त) रु. ०-१०-० " " , मूल (शास्त्री) रु. ०-८-० २५६६ श्रीमद् विजयानंद द्वात्रिंशिका मुनिश्री लब्धिविजय माणिक्य मुनीभ्यां विनिर्मिता. की. लखी नथी. (७१) २५६७ श्रीमंधर स्वामीनां स्तवन् त्रण भेट. (६५०) २५६८ श्रीमंधर स्वामीने विनतिरुप साहात्रणसो गाथार्नु स्तवन (जुओ प्रकरण रत्नाकर भा. १ लो.) २५६९ श्री पंचमी महात्म्य. रु. ०-२-० २५७० शृंगार वैराग्य तरंगिणी. अर्थयुक्त. रु. ०-४-० __ " " " (जुओ चरित्र संग्रह) ,, , (जुओ काव्यमाळा गुच्छक. " " , रु. ०-१-० [भा. ५ मो.) २५७१ श्रेणिक चरित्र. जिनप्रभसूरिविरचित. भाषान्तर भा. १लो. रु. ०-१२-० (१४३) २५७२ श्रेणिक चरित्र. संस्कृत (पाना ) रु. १-१२-० २५७३ श्रेणिक महाराजा तथा अष्टपकारी पूनानो रास. रु.०.४-० २५७४ श्रेणिक रास. अष्टप्रकारी पूजायुक्त. गु. वांचवायोग्य (५३) २५७५ श्रेणिकरास. (सम्यक्त्व सार ) अष्टप्रकारी पूजानो. की. नथी. छपावनारनुं नाम नी (६३) २५७६ श्रेणिकसुबोध. ( जुओ शुद्धोपयोग) बुद्धिसागरसूरि. २५७७ श्वेतांबर तेरापंथी मतसमीक्षा. विद्याविजय भेट. (४६४) २५७८ श्वेतांबर तेरापंथ मत-समीक्षा. रु. ०-४-० २५७९ श्वेतांबर दिगंबर संवाद. रु. १-६-० २५८० श्वेतांबर स्थानकवासी. जैन कोन्फरन्सनो चोथो वार्षिक २५८१ श्लोकासंग्रह (शास्त्री) रु. ०-५-० [ रीपोर्ट. For Private And Personal Use Only Page #319 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra श्लोका संग्रह ] लोका स्वाध्याय. १ नेमनाथनो. १२ शालिभद्रनो. ३ भरत बाहुबळनो. ४ संखेश्वर पार्श्वनाथनो. 77 77 " ܕ ८ विमल मेतानो. ९ विवेक विलासनो. १० बार भावनानी सज्झाय. सकलचंदजी उपाध्यायकृत. २५८२ श्लोकासंग्रह. गुजराती. रु. ०-४-० २५८३ षट्कर्मग्रंथ. (जुओ प्रकरण लघु संग्रह. ) २५८४ पट्कर्म दीपिका विगेरे. (५०) २५८५ षट्कर्म निरुपणम् -सटीकम् - श्री पूर्णानन्द तम् रु० ०-८-० (५०) यति विरचि [ ग्रन्थमाळा ) " २५८६ षट्दर्शन समुच्यय, हरिभद्र सूरिकृत ( जुओ हरिभद्रसूरि हरिभद्र गुणरत्ननी टीका. तर्करहस्य दीपिका. एडीटेडबायएल. सुअली ( Suali ) १ थी ३ विभाग पूर्ण. पहेलो विभाग अलभ्य बीजो त्रीजो रु. १-८-० दरेकनो ( २९ ) २५८७ षट्दर्शन समुच्यय हरिभद्रसूरिकृत रु. ०-५-० (१६) राजशेखरकृत रु. ०-५-० (१६) 19 "" 15 39 www.kobatirth.org 79 39 99 २१४ 39 Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ५ आदिनाथनो. ६ संखेश्वरनो. ७ नेमनाथनो. (६, ६७४ ) " ,, लघुटीका रु००-११-० राजशेखरसूरि विरचित. रु. ० - ४-० (१४) भाषान्तर, रु. १-४-० (२७) सटीक ग्रं. ४९ रु.२ -८-० (१७) [ षट्दर्शन For Private And Personal Use Only Page #320 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir षड्दन्य] [षडशीति ,, ,हरिभद्रसुरिकृत. मणिभद्रकृतयाटीका सहित , ,, विगेरे. (५०) [रु. १-०-० (७०६) २५८८ षड्द्रव्य विचार. ले. बुद्धिसागरसूरि ग्रं. नं. ६५. पृ. २४० रु. ०-४-० (१५, ५८ थी ६२, १८४) २५८९ षट् पाहुड ग्रन्थ भाषान्तर हिन्दी. कुन्दकुन्दस्वामी विर चित. (दि.)(७०७) २५९० षट्पुरुष चरितम् मूलका. क्षेमंकर गणि. (पंदरमोसैको) __सं. रु. ०-२-० (१६) २५९१ षट् पुरुष चरित्र भाषान्तर. भा. क. पं. चारित्रविजय.मूळ पंडित क्षेमंकरगणिकृत. सं. १९६२ रू. ०-४-० (६) , , , संस्कृत (पाना) क्षेमंकरगणिविरचित. रु. ०-२-० प्र. नं. २४ (१६) " , , , ,रु. १-०-० । २५९२ षट्झामृतादि संग्रह. कुन्दकुन्दाचार्य. (दि.) (८१) [मुंबइ. २५९३ षड्भाषा चंद्रिका. लक्ष्मीधरकृत. व्याकरणगंथ. ए. सो. २५९४ षडशीति नाम चतुर्थ कर्मग्रन्थ. (जुओ प्रकरण रत्नाकर भा. ४ थो) " " " " जिनवल्लभगणि पुंगव प्रणीत. हरिभद्रसूरि विरचित वृत्त सहित. आनुं बीजुं नाम "आगमिक वस्तुविचार सार प्रकरणम्" बने टीका वाळो उत्तम ग्रंथ छे मूळ पण जुदो आपेलो छे. गं. नं. ५२ (१७) २५९५ षडशीति अपरनाम चौथा कर्मग्रन्थ. श्री देवेन्द्रसूरि विर. चित. पं. सुखलालजीकृत. हिन्दी अनुवाद. और टीका टिप्पणी आदि सहित. रू. २-०-० (३९) For Private And Personal Use Only Page #321 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir षडशीति] १६ [सज्झाय २५९६ षडशीति प्रकाश. प्रणेता नन्दनविजय. कीमत नथी राखी शेठ माणेकलाल मनसुखभाइ. अमदावाद. २५९७ षष्टिशतक भाषान्तर. वेदान्तविचार. लब्धिविजय. दे. नं. ३३ (४८, ९५) २५९८ षष्टिशतकम्. भाषान्तर सहित. शास्त्री गुजराती. मळकर्ता नेमिचंद भंडारी. भेट. सं. १९७६ ( ३२ ) २५९९ षोडशक टीका. षोडशक प्रकरणम्. हरिभद्रसरि विरचित. यशोभद्रकृत विवरण अने यशोविजय उपाध्यायकृत. दीपिकावृत्ति युक्त गं. नं. ६ रु. ०-६-० (१६) स. २६०० सकाम निर्जरा अने नारी हितशिक्षा. (१७८) २६०१ संग्रहणी सूत्र. मूळकर्ता श्री चंद्रसरि टीकाकार देवभद्रसूरि र.सं. १७९३ रु. ०-१२-० (१६) २६०२ संघयणी रत्न त्रैलोक्य दीपिकाख्य ग्रन्थ बालावबोध सहित (जुओ प्रकरण रत्नाकर ) २६०३ संखेश्वरनो श्लोको ( जुओ श्लोकासङ्गह शास्त्री) २६०४ सच्ची प्रभावना (५०) २६०५ सज्जन चित्त वल्लभ. सटीक रु. ०-३-० (७१०) २६०६ सज्जन सन्मित्र. इ. १२१३ अमूल्य (७११, ९५) २६०७ सज्जायमाला अने स्तवनसंग्रह. हीराचंद ककलभाइ सुपर वाइझर जैन कन्याशाळा अमदावाद. (प्र. ७१२, २६०८ सज्झाय. ( जुओ देवचंद भा. २ वि. १) [१७९, ५०) २६०९ सझाय पद तथा स्तवनादिकनो संग्रह. रु. २-०-० २६१० सझाय पद संग्रह. यशोविजयजीकृत. भेट. सं. १९७२ (७१३) For Private And Personal Use Only Page #322 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सझाय] [सदुप २६११ सझायमाला शिलाछापनी. ( लल्लुभाइ करमचंदना छाप - खानामां सं. १९२१ मां छपायुं (ले.) १५,७१४,९५) २६१२ सझायमाळा भा. १ लो ( गुजराती) रु. १-०-० (प्र. ७१६, ५०) ,, भा. २ जो. रु. १-१-० सं० १९६१ (८२) ,, भा. ३ जो. रु. १-०-० (७१७,५०) ,, भा. ३ जो. (शास्त्री मोटी) रु. २-८-० २६१३ सठिसय. (पष्टिशतक ) पयरण. संस्कृत. रु. ०-८-० २६१४ सती कलावती हिन्दी. सचित्र रु. ०-८-० (प्र.९) २६१५ सती चंदनबाला. हिन्दी सचित्र. रु. ०-१०-० (९), २६१६ सती शीयळवतीचरित्र मुनिमाणेक. (१७८) २६१७ सती सुरसुंदरी हिन्दी सचित्र. रु. ०-८-० (९) २६१८ सत्यनुं समर्थन याने जैन साहित्यनी सर्वोत्कृष्टता. ले. रामविजय. रु. ३-०-० (९४) २६१९ सत्यबोध भास्कर. यतीन्द्रविजयजी. सं. १९७१ इंढकोका . खंडन. रु. ०-६-० (३७) २६२० सत्यशास्त्रार्थ, गुजराती. ले. पं. केसरमुनिजी गणि शिष्य. प्र. मुनि बुद्धिसागर मुनि. सं. १९७५. २६२१ सत्य स्वरुप. गु. बुद्धिसागरसूरि. रु. ०-४-० (१५, ५८ थी ६२, १८४) २६२२ सत्यार्थ रत्नाकर भेट, तीर्थविजय पन्यास. सं. १९७३ त्रिस्तुतिक मीमांसा खंडन. ( ५८८) २६२३ सद्बोध सूचना ( १९२) २६२४ सदयवत्स चरित्र संस्कृत. (पाना ) रु. ३-८-० २६२५ सदुपदेश. ले. पंडित. कन्हैयालाल उपाध्याय रु.०-२-६ २६२६ सदुपदेशमाळा, रु, ०-८-० [(७१८, ७१९) For Private And Personal Use Only Page #323 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra सद्गुण ] २१८ २६२७ सद्गुण प्रशंसा. रु.०-८-० २६२८ "9 [ सप्तभंगी 77 अथवा गुणानुराग कुलकनो भावार्थ श्रावक हरशीभाइ देवराज कच्छ, सरडीवाळा. सं. १९६१ रु. ०-४-० ( ७२० ) २६२९ सद्बोध चिन्तामणी अने गुणमाळा. रु. ०-२-० २६३० सदबोध संग्रह, भा. १ लो. रु. ०-६-० २६३१ सद्वक्ता. भाषणकळानो प्रथम उपक्रम. (१०९ ) २६३२ सनम परस्तिए जैन ले शान्तिविजय. रु.००४-० (प्र. ७२१ ) www.kobatirth.org २६३३ सनातन जैन ग्रन्थमाळा. प्रथमगुच्छक रु. १-०-० पनालाल वंशीधर संशोधक. चौदग्रन्थनो संग्रह. (दि.) (१०) २६३४ सप्ततिका नामा षष्टकर्मग्रन्थ ( जुओ प्रकरण रत्नाकर भा. ४ थो) • "" भाष्य सटीक ( पाना ) श्री अभयदेव विरचितमेरुतुंगाचार्यकृत टीका सहित. अष्टधा कर्म विवरण मूळ प्राकृत अने व्याख्या संस्कृत रु. १-८-० ( ६, १०, ५० ( २६३५ सप्तति शत स्थान प्रकरण. सोमतिलकमूरिविरचित. राजगच्छीय देवविजयविरचित वृत्तियुक्त सं. १९७५ ग्रं. रत्न ६८. रु. १-०-० ( १७ ) २६३६ सप्तभंग तरंगिणी. कर्ता श्री विमळदास भाषा टीका हिन्दी २६३७ शास्त्री . रु. १-०-० मुंबइ. 99 ܕ " २६३८ सप्तभंगी जाप हिन्दी. रु. ०१-० रु,०२-० " Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir " भाषान्तर सहित रु.०-१२-० ( जैन तर्क ग्रन्थ ) मूळ रु. ०-९-० "" ܕܕ For Private And Personal Use Only Page #324 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सप्तमगी] २१९ [समकित २६११ सप्तभंगी प्रदीप. ले. मंगलविजय. ( ७२२, ४, १७) २६४० सप्तभंगी प्रदीपक गुर्जर. ले.मंगलविजयजी आगरा(१४,४७) २६४१ सप्तमगुच्छक. २३ जैन प्राचीन स्तोत्र छे. रु.१-०-०(१०) २६४२ सप्तव्यसन निषेध. ले. मणिविजय. रु. ०-८-० (८२) २६४३ सप्तव्यसन परिहार. बहुतलालात्मज किशनलाल पटवा. कुकडेश्वर सं. १९८० रु. ०-४-० (३७) २६४४ सप्तसंधान. महाकाव्यम् मेघविजयगणि. रु. ०-८-० (५६, ७६, ७२३) २६४५ सप्तसन्धान महाकाव्य. महोपाध्याय मेघविजयजी गणि. आ काव्यनो प्रत्येक श्लोक सात महापुरुषोना जीवन वृतान्त साथे संबंध राखे छे. संस्कृत साहित्यभरमां आq बीजु कोइ महाकाव्य नथी. रु. १-०-० (७७) २६४६ समकित गुजराती लखनार सागरचंदजी गुलाबचंदजी डा. बी. ए. रु. ०-६-० (६) २६४७ समकित कौमुदी भाषान्तर. रु. ०-८-० (१७९) , रास. रु. १-८-० , , ,, रु. ०-४-० (६३६) " , संस्कृत (पाना ) रु. १-१२-० २६४८ समकित छप्पनी (जुओ आत्महित बोध ) २६४९ समकितना सडसठ बोलनी सज्झाय अर्थ सहित. मलकर्ता यशोविजयजी टी. मोहनकाळ द. देशाइ. इ. १९१२ रु. ०-२-० ( अभ्य ) . २६५० समकितना सडसठ बोलनी सज्झाय भेट. (२२९) , ,, अर्थ सहित रु. ०-१-० सं. १९६० (३३, १४, ४७) For Private And Personal Use Only Page #325 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir समकित ] २२० [समरा २६५१ समकितनी सज्झाय. (जुओ देवचंद भा. २ वि. १) २६५२ समकित परीक्षा संस्कृत (पाना ) रु. ०-६-० २६५३ समकित मूळ बार व्रतनी टीप. रु. १-४-० " " ,, संक्षिप्त टीप रु. ०-१-० (६) २६५४ समकित विषे निबंध (हिन्दी) रु. ०-६-० (६) २६५५ समकित शल्योद्धार (गुजराती) (सभानो) रु. १-४-० २६५६ समकित शल्योद्धार (शास्त्री) रु.१-४-० (६) [(६) २६५७ समकित सार भा. १ लो. गु. रु. १-४-० (७२४) ,, भा. २ जो. सं. १९४२ रु.१-४-० (७२६,७२७) २६५८ समय प्राभृत. (दि०) कुन्दकुन्दाचार्य पानालाल जैना ,, सटीक. कुन्दकुन्दाचार्य. (दि.) [रु. ४-०-० २६५९ समयसार टीका. हिन्दी भाषान्तर सहित. (दि.)(५०) २६६० समयसार. कुंदकुंदाचार्य. (दि.) शास्त्र. मुंबइ. २६६१ समवसरण स्तवन. ( जुओ देवचंद भा. २ वि. १) २६६२ समवायांग 'सटीक मू. सुधर्मास्वामी. टी. अभयदेवसरि ___टीका. सं. ११२० रु. १-०-० (२८, १६) २६६३ समयसार प्रकरण पाना (रत्न ३९) स्वोपज्ञ व्याख्योपे तम्. रु. ०-८-० (१७) " , सटीक देवानंद कृत. २६६४ समयसार पगरण प्रा. मूळ. (प्रति) (१६) २६६५ समराइच कहा हरिभद्र. एडीटेद बाय जेकोषी. १ यी ८ भाग. नव भव्व पुरा चालु. रु. ६-०-० " " सोसाइटीनुं (९५) ,, , संस्कृत छाया सहित हरिभद्र सुरिवर For Private And Personal Use Only Page #326 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir समरादि] २२१ [समाधि विरचित. मू. प्रा. सं. १९७२ रु. २-४-. " " भा. २ जो. रु.१-१२-० . भा. ३ जो. रू.१-१२-०.. २६६६ समरादित्य केवलीनो रास. रु. ३-८-० (६३, ७२८) हरिभद्र सुरिए क्रोध निरासार्थे आ चरित्र भाख्युं ते उपरथी पद्म विजयजीए रचेल चरित्र सं. १९२२ जुनी गुजराती नवखंड छे. सर्व गाथा ८५६ प्र. दोलतचंद हकमचंद. २६६७ समरादित्य चरित्र भा. २ जो. प्रत. रु. ७-८-० , भा. १ लो. (प्रत) रु. ७-८-० " " (५०) , संक्षेप श्री प्रद्युम्नाचार्य विरचित. संस्कृत रु. २-८-० (७२९, ६३) २६६८ समवसरण स्तव अवचूरि सहित धर्मघोष मूरिकृत (पाना) मू. प्रा. अव. संस्कृत. रु. ०-१-६ (६) २६६९ समवसरण स्तव अवचूरि सहित मू. प्रा. अलभ्य. रु. ०-१-० (१७) २६७० प्रभृति. (५०) २६७१ समवायांग सूत्र मूळ टीका अर्थयुक्त अभयदेव मूरि कृत वृत्तियुक्त. रु. १-०-० (२८) [टीकायुक्त. (२४) , , सत्तियादिक मेघराजगणि कृत भाषा " भा. १ लो. (५०) २६७२ समाचारी प्रकरण आराधक विराधक चतुर्भगी प्रकरण पाना. रु. ०-६-० २६७३ समाधितंत्र गुजराती. रु. ०-६-० [ मेरट. (७३०) २६७४ , सं. हिन्दी. मुनिमाणेक कीर्ति प्रसादजी वकील - टाप... For Private And Personal Use Only Page #327 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra २२२ समाधितंत्र ] २६७५ समाधितंत्र गुजराती सं. १९७२ भेट. ( ७३१ ) रु. ०-३-३ "" 27 २६७६ समाधि मरण ( जुओ आत्महित बोध ) २६७७ समाधि विचार. रु००-३-० ( ३३ ) 77 www.kobatirth.org की. मनन सं. १९७१ ( ३३ ) आराधनानुं स्तवन अने गौतम स्वामीना रास साथे भेट बीजी आवृति. ४००० ( ३३ ) "" २६७८ समाधिशतक. ( जुओ प्रकरण रत्नाकर भा. १ लो. ) समता शतक अने अनुभव शतक. रु. ०-८-० ( २३ ) " Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ܕ " बुद्धिसागर सूरि (१५, ५८ थीं ६२, १८४ ) २६७९ समाधिशतक. रु. ०-४-० 23 अने आत्मशक्ति प्रकाश. रु. १-०-० ले. बुद्धिसागर सूरि सं. १९६३ रु. ०-८-० ( १५, ५८ थी ६२, १८४ ) अने समता शतक. रु. ०-६-० ?? 55 [ सम्मत्याख्य "" अने अनुभव शतक. रु. ०-८-० "" 57 २६८० समुचित्तोत्तर दानपत्र हिन्दी विजय राजेन्द्र बिरुद्ध लखेळा जैन भिक्षुने उचित लेख. (५० ) २६८१ समेतशिखरजीनो नकशो ( कपडावाळो ) रु. ०-६-० २६८२ समेतशिखर रास. रु. १-०-० २६८३ समोवसरण स्तव. ( १७, १२ ) For Private And Personal Use Only २६८४ सम्पति सूत्र मूळ. (जुओ सिद्धसेन दिवाकर (ग्रन्थमाला) २६८५ सम्मत्याख्य प्रकरण सिद्धसेन दिवाकर रचित श्री राजगच्छीय अभयदेव सूरि रचित तत्त्वबोध विधायिनी व्याख्या सहित रु. ३-०-० ( १४, ४७ ) Page #328 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra "" सभ्य ] २२३ [ सम्य २६८६ सम्यक्त्व अने मिध्यात्वनो संवाद अथवा जैनकोन्फरसनुं कर्तव्य. रु. ०-१ - ३ ( १४३ ) २६८७ सम्यक्त्वकौमुदी जिनहर्षगणि विरचित. सं. १४८७ वृत्ति करी सं. १४९७ जयचंद (जिनहर्ष शिष्य ) चितोडगढे अलभ्य. ग्रं. रत्न नं. २८ ( प्रति ) सं. १९७० रु. ०-१२ - ० ( १७ ) "" www.kobatirth.org ܕܪ प्रथमावृति मोतीचंद ओधवजी. ( १७ ) २६८८ सम्यक्त्वकौमुदी संस्कृत, ( पाना ) रु. १-०-० २६८९ सम्यक्त्व दर्शन. गु. रु.० -१२-० १३ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १६९० सम्यक्त्वना बार व्रतनी टीप पंडित उद्योतसागर गणी वि रचित द्वितीयावृति (७, ५० ) २६९१ सम्यक्त्वना सडसठ बोलनी सज्झाय यशोविजयजी कृत. रु.०-१-० ( प्र. २१४ ) २६९२ सम्यक्त्व निर्णय बुद्धिविजय शिष्य भावविजय हिन्दी ताविक मेट. सं. १९३० (७३२) उपलानुं भाषान्तर ग्रं. नं. ३३ भेट २६९३ सम्यक्त्व परीक्षा उपदेश शतक मू. कर्ता विबुधविमलसूरि सं. गं. नं. २८रु.०-२-० (१६) २६९४ सम्यक्त्व मिथ्यात्वनो संवाद. रु. ०-१-३ [ (१८१ ) २६९५ सम्यक्त्व मूळ बार व्रतनी टीप. सं. १९६५ रु. ०-५-० २६९६ सम्यक्त्व सप्तति मूळ कर्ता हरिभद्र सूरि वृति संघ तिलकाचार्य वृत्ति १४१२ सं. ग्रन्थ. नं. ३५ रु. १-०-० २६९७ सम्यक्त्व सत्योदार हुकम मुनि (२१) [ (१६) हिन्दी विजयानंद सरि. की. नथी. २६९८ सम्यक्त्व सप्तति संस्कृत (पाना) रु. १-०-० [ ( ७३३) २६९९ 39 विगेरे. (५०) " For Private And Personal Use Only Page #329 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सम्य] २२४ [साघ २७०० सम्यक्त्व स्तव. रु. ०-४-० (१७) २७०१ सम्यक्त्व स्वरुप स्तवन भाषान्तर. नं. २९ सं. १९७२ २७०२ सम्यक्त्व न्याय सुधारस. [रु. ०-३-० (१७) , ,, (जुओ सुमतिविलास ग्रन्थ मनसुखलाल) २७०३ सम्यक्त्व दर्शन. सम्यक्त्व स्वरुप ले. पं. केसरविजय. सं. १९७३ रु. ०-१२-० (२५) २७०४ सम्यग्दृष्टि गुजराती. कोरोनेशन भेट. (ता. १२-१२-११) ले. चारित्रविजयजी. ( ७३४ ) २७०५ सम्यग् ज्ञान दर्शनपूजा. सं.१९७८ रु.०-२-० (प्र.४५६) २७०६ सर्व दर्शन संग्रह माधवाचार्य प्रणीत. (अन्यमतिकृत) आमां आहेत दर्शननी बाबत छे. इ. १८९६ रु. ५-०-० ( भा. क. ७३५) २७०७ सलोकासंग्रह भा. १ लो. ११ सलोका छे. रु. ०-६-० (१७९) २७०८ सवासो गाथार्नु स्तवन यशोविजय. (जुओ प्रकरण रत्ना. कर भा. ३ जो) २७०९ सविधि साधु प्रतिक्रमण सूत्राणि. (३७) २७१० सवीर्यध्यान. शुभचंद्र देव विरचित सं. १९५९ रु.०.१२.० , रु. ०-१०-० [(भा. क. ७३६) २७११ सहजसमाधि अर्थयुक्त. रु. ०-४-० २७१२ 'सहस्रकुट् स्तवन ' ( जुओ देवचंद्र भा. २ वि. १) २७१३ साकारसिद्धि गु. अमुल्य. (प्र. ७३५) २७१४ सागार धर्मामृत सटीकम् ( माणेकचंद नं. २) आशाधर . कृत (दि.) (८१) २७१६ साध वंदना. रु. ०-१-० २७१७ , रास. रु. ०-४-० For Private And Personal Use Only Page #330 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir साधारण] २२५ [साधु २७१८ साधारण जैन स्तोत्र संग्रह पंडित कीर्ति विमळगणि शिष्य पंडित लक्ष्मी विजयग़णि विरचित. की. नथी. (१९७) २७१९ साधु आवश्यक क्रिया सूत्र भेट संस्कृत. (१७) २७२० साधु दिनकृत्य (पाना) रु. ०-१२-० श्री हरिभद्र सूरि . कृत. (३२) २७२१ साधु प्रतिक्रमण (जुओ सौभाग्य पंचमी विगेरे पूर्व कथा संग्रह.) " , सूत्रावचूरि. सं. १९७७ (पाना) रु. ०-४-० (१७, ७३८) " , मूळ सहित अवचूरि छ. प्र. हीरा, इंस. जामनगर. ०-४-० " , सूत्राणि तथा क्षमा कल्याणक उपाध्याय विरचित श्री साधु विविध प्रकाश प्र. अमीचंद पन्नालाल मुंबइ. २७२२ साधुषिधि प्रकाश. (जुओ सौभाग्य पंचमी विगेरे पर्व कथा संग्रह.) " " , विगेरे. (५०) २७२३ साधुवंदना रास. नयविमलगणि उर्फे (ज्ञानविमळसूरि) २० सं. १७६१. आसो सुद २ गुर्जरभाषा ग्रं. नं. १० रु, ०-५-० (७३, १२) २७२४ साधु शिक्षा, रु. ०-८-० (८८, २६१) २७२५ साधु श्रावक आराधना. ( जुओ सौभाग्यपंचमी विगेरे पर्व कथा संग्रह). २७२६ साधु सामाचारी प्रकरणम्, (योगविशेष वाक्ययुतम् ) पूर्वाचार्यकृत, ( २८, १६) २८ For Private And Personal Use Only Page #331 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra २२६ [ सामायक साधु ] २७२७ साधु साघवीना आवश्यक विधिओ. रु. ०–२–० २७२८ साधु साधवी योग्य आवश्यक क्रियानां सूत्रो. ( भेट) (६) साधु साधवी योग्य आवश्यकना सूत्रो अर्थयुक्त. रु.०-८-० २७२९ साधु- स्वाध्याय तेना पर ज्ञानसारनो टबो (जुओ देवचंद्र भा. २ वि . १ ) 39 २७३० साध्वाबश्यक. (६, ५० ) २७३१ साबरमती काव्य पृ. १९६ रु. ०-६ - ० बुद्धिसागरसरि, २७३२ सामाचारी प्रकरण. ग्रं. रत्न ५५ ( पाना ) रु.०-८-० यशोविजयवाचक विरचित. स्वोपज्ञवृत्ति समलंकृत निर्णयसागर सं. १९७३ यशोविजयजीना बनावेला. लभ्य. ३८ ग्रंथोनुं लीस्ट अने अलभ्य. २४ ग्रंथोनुं लीस्ट आनी प्रस्तावनामां आपेल के. " www.kobatirth.org "" 99 Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir योग विशेष वाक्ययुतम् (५०, १६ ) आराधक विराधक चतुर्भगी. (५०) अर्थसहित. गुजराती ( ५० ) "" " २७३३ सामान्य निरुक्ति. (५०) अजैन, २७३४ सामायक चैत्यवंदन सूत्रार्थ रु. ०१-६ २७३५ सामायक. सं. १९६४ मोहुँ. विस्तार भेट. ( ३३ ) २७३६ सामायक चैत्यवंदन सूत्रार्थ रु.०-१-० २७३७ सामायक तथा पडिकपणु, (ढुंढीयानु ) रु. ०-३-० २७३८ सामायक तथा मूल प्रतिक्रमण. ( दि.) भावनगर दिगंबर समस्त संघ. रु. ०-६-० २७३९ सामायिक वृत्त तथा देशापकाशिक व्रत रु०-४-० ( प्र. १८१ ) २७४० सामायक सिद्धयुपाय. For Private And Personal Use Only Page #332 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra सामायिक ] 39 www.kobatirth.org "9 २७४१ सामायकसूत्र अर्थ सहित रु. ०-६-० ?? २२७ [ सिद्ध ( जुओ सुमतिविलासना ग्रन्थ. मनसुखलाल ) 99 रु.०-२-० " " ( मोटुं ) अर्थ सहित, रु० ०–४–० २७४२ सामायकसूत्र अर्थ ( संस्कृत अवचूरि. ) रु. ०-२-६ पृ. १९२. विवेचनादि कर्ता. मोहनलाल दलीचंद. देशाइ रु. ०-६-० Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २७४३ सामुद्रिकशास्त्रनुं शुद्ध भाषान्तर भद्रबाहु स्वामीकृत. पाछळ पाना २१३ मे तेनी नोंध छे. ते जोवी. जेसलमेर. (७) सामुद्रिकशास्त्र संस्कृत ( प्रत ) रु. ०-७-० २७४४ साम्लिसंग्रह, पूरणचंद नाहर, हिन्दी . अलभ्य, रु०.४.० ( १०४ ) २७४५ सारदीया नाम माला. ( बुक ) रु. १-०-० २७४६ सार्वजनिक भा. ७ हिन्दी. जैनतत्वज्ञान, मुनिमाणेककृत. ( ७३० ) २७४७ सावचूरि श्रावक व्रतभंग प्रकरण . ( पाना) रु. ०-२-० (६) २७४८ साक्षात्मोक्ष. रु० ०-२-० (६) २७४९ साक्षात् सरस्वती. ( रायचंदनो वृत्तांत ) (६) २७५० सिद्धगिरिना १०८ खमासमण, रु००-१-० २७५१ सिद्धगिरिनां १०८ वांदणां रु. ०-०-६ (५६१) २७५२ सिद्धदंडिका स्तव देवेन्द्रसूरि टिप्पणिका समेत सं. १९६८ (देवेन्द्रसूरितुं स्वर्गारोहण १३२७ छे. एम मुनि सुंदरसूरि प्रणित गुर्वावलि जोतां निर्णय थाय छे) सू. मा. विस्तार संस्कृतमां छे. ग्रं. रत्न. ७ (१७) ६७५३ सिद्ध दंडिका प्रकरण तथा प्रव्रज्या विधान प्रकरण. बन्ने अवचूरि साथे रु. ०-८-० (३२) For Private And Personal Use Only Page #333 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org " सिदूत ] ૨૦ [ सिद्धहेम २७५४ सिद्धदूत काव्य. अवधूत रामयोगी विरचित. मेघदूत पाद. पूर्ति रुपम्. सं. १९७३ नं. रत्न नं. ३ रु००-२-० ( ३७२ ) २७५५ सिद्धनी १५ ढाळो. सिद्धना पंदर भेद बताया है. स्त्री मोक्षाधिकार के हुकममुनि (२१) २७५६ सिद्ध पंचाशिका देवेन्द्रसूरि विरचित, अवचूरि सहित. (पाना) मू. प्रा० टी० [सं० पं. रत्न १६० रु. ०-१-० सं. १९६९ (१०, ५० ) २७५७ सिद्ध प्रतिमा मुक्तावली. मुनिश्री गयवरचंदजी विरचित. रु. ०~८–० ( ७४०, ५० ) २७५८ सिद्धप्राभृत, रत्न नं. ६४. रु. ०-१०-० ( १७, ५० ) २७५९ सिद्धदंडिका. प्रवृज्या विधान ( पाना ) रु००-८-० स्तव. ( १७ ) विगेरे. (५०) Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir "" " २७६० सिद्धसेन दिवाकर ग्रन्थमाला. रु. ० - ४-० ( प्रति ) ( ६५० ) १ द्वात्रिंशद् द्वात्रिंशिकान्तर्गत. एकविंशतिका. २ न्यायावतार मूळ. ३ सम्मतिसूत्र मूळ. २७६१ सिद्धम अकारादि अनुक्रमणिका. रत्न ११ सं. १९१५ ( १४, ४७, ९५ ) २७६२ सिद्धहेम शब्दानुशासन. लघुवृत्ति धातु पाठादि सहितम् . हेमचंद्रसूरिकृत रु. ३-०-० (१४, ४७, ५० ) 39 ,, मूळमात्रम् रु. ०-५-० ( १४, ४७ ) २७६३ सिद्धम लघुवृत्ति ५५३१ हेमचंद्राचार्य, शब्दानुशासनहृति नं. ३ चुनीलाल पन्नालालनी मददथी (१४, ४७, ७४१) For Private And Personal Use Only Page #334 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सिबहेम] २२९. २७६४ सिद्धहम शब्दानुशालनस्य अष्टमाध्याय सूत्रपाठ अभिधान राजेन्द्रकार्यालयादयक्षः सं. १९७२. रु. ०-३-० (०-४-०) (३७) , , , एकथी आठ अध्यायनां सूत्र. हेमचंद्रसूरि (१४, ४७) २७६५ सिद्धहेम शब्दानुशासन. स्वोपज्ञ लघुत्ति युक्त. रु.२.०.० (१४, ४७) " " (११) २७६६ सिद्धहेम सूत्रानुक्रम. २७६७ सिद्धहेन सूत्रपाठ हेमचंद्राचार्य विरचित. सं. १९६२ रु. ०-६-० (१४,४७) २७६८ सिद्धहेम शब्दानुशासन. (मूलमात्र) रु.०-५-०(१४,४७) सूत्र पाठस्याकारादि क्रमेण सूचिपत्रम् सं. १९६५ रू. ०-४-० (७४२) २७६९ सिद्धाळजीनां स्तवनो रु. ०-२-० २७७० सिद्धाचळजीनो उद्धार. (शत्रुजय तीर्थमाला रास. उदा रादिक संग्रह ग्रंथ.) (७,५०) २७७१ सिद्धाचलजीनी सिद्धवेल. पं. उत्तमविजयजीकृत. सं. १९७९ (७४३) २७७२ सिदाचलजीनो उद्धार श्री नय सुंदरजी कृत. (७) , , नय सुंदरजी कृत. (१२९, ६३) २७७३ सिद्धाचलर्नु वर्णन. रु. ०-६-० गु. ( ७४४, ५०) २७७४ सिद्धाचल महात्म्य अने गायन संग्रह. रु. ०-१-० २७७५ सिद्धाचलनी नवाणु यात्रानी विधि. रु. ०-४-० (७४५, ५०) For Private And Personal Use Only Page #335 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सिद्धाधल] [सिरि २७७६ सिद्धाचल संघ प्रमाण. पृ. ४८ सं. १९८० झवेरी मोहन लाल गोकलदासना संघनुं वर्णन. (१७१) २७७७ सिद्धाचल स्तवन, २ सं. १८०४ मा. मुद. १३ (पाली ताणा)(जुओ देवचंद भा. २ कि. १) २७७८ सिद्धाचल स्तवन ग्रं. नं. ३९-४०-४१ ( जुओ देवचंद भा. २ वि. १) २८७९ सिद्धाचल स्तुति. (जुओ देवचंद भा. २ कि. १) २७८० सिद्धान्त स्तवन. (जुओ प्रकरण रत्नाकर भा. ४ थो.) २७८१ सिद्धान्त रत्निका व्याकरण श्री जिनचंद्र सूरिणा प्रणीतम् ठा. जैन उपाश्रय सं. १९६६ रु. ०-६-० (७४६, . ७४७, ९५, १०) २७८२ सिद्धान्त सारादि संग्रह. (२१ मो मणको) (दि.) (८१, ५०) " सारोद्धार हुकममुनि. (२१) २७८३ सिद्धियन्त्र विगेरे. (५०) २७८४ सिद्धिप्रिय स्तोत्रम् (दि०) देवनंदि प्रणीत. (जुओ काव्यमाला गुच्छक भा. ७ मो) २७८५ सिन्दुर प्रकरण टीका अर्थ युक्त. रु. ०-६-० २७८६ सिन्दुर प्रकर (जुओ सूक्त मूक्तावली भाषान्तर. पं. के . सर विजय.) २७८७ सिरि पाक्यदीयालि कप्प. प्रा. सिरि सिणपट सूरि विरश्य जिनप्रभ सूरि कृत (पाया बृहत कल्पो दीपोत्सव पावापुरी कल्प देवगिरि नगरे वि. सं. १३८७ भादरवो वदी पक्षे १४ २७८८ सिरि सिरिपाल कहा. (श्रीपाल चरित ) मू. क. रत्नशे खर सरि. सं. प्र. नं. ६३ रु. १-४-० (१६) For Private And Personal Use Only Page #336 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org सीताराम ] २३१ [सुख २७८२ सीताराम चरित्र रु०-१-० · २७९० सीमंदर जिन स्तवन (जुओ देवचंद भा. २ वि . १ ) २७९१ सीमंधर स्वामीने खुल्लो पत्र रु. ०-४-० (८८ ) २७९२ सीमंधर स्वामीने विनति रुपे कागळ, हुंडी, पेंठ, परपेंठ अने मेज्झर नामुं, ले. ज्ञानसुंदर रु. ०-८-० (६८) २७९३ सुकुमाल चरित्र रु.०-६-० Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २७९४ सुकुमाल हिन्दी कथा. रु. ०-४-० २७९५ सुकृत सागर ( प्रत ) ( रत्न. ४०) रत्न मंडन गणि विरचित. रु.०-८-० ( १७, ५० ) २७९६ · सुकृत संकीर्तन काव्य, पं. अरिसिंह विरचित. ग्रं. रत्न नं. ५१ रु. ०–६–० ( १७, ५० ) २७९७ मुक्त मुक्तावली गुर्जर पद्यबद्ध. (७७२ ) २७९८ सुकृत संकीर्तनम, पं. रत्न ५१ रु. ०-३-० ( १७ ) २७९९ सुख चरित्र. आनंदसागर महाराज कृत. ( ७४४, १४६ ) २८०० सुख प्राप्तिनां साधनो रु.०-४-० २८०९ सुख बोधिकानाम कल्प सूत्र टीका, संस्कृत पाना रु. ६-०-० २८०२ सुखबोधिका वृत्ति. ( ५० ) २८०३ सुख प्राप्तिनां साधनो रु. ०-४० (१४३, ४४९ ) २८०४ सुख विपाक मूळ सूत्र. ( ६८ ) सुख विपाक सूत्र (६८) २८०५ सुख सागर गुरु गीता तथा तपागच्छे सागर शाखानी पट्टावलि. बु. गं. मा. ३०-३१-३२-३३-३४ मायासागरजीनुं जीवनचरित्र, नेमसागर. 29 For Private And Personal Use Only Page #337 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir . सुखसागर] ___ २३२ [सुपार्श्वनाथ रविसागर. सुखसागर. ले. पुद्धिसागर सूरि. सं. १९७२ (१५, ५८ थी ६२, १८४) रु. ०-४-० २८०६ सुखसागरजीतुं जीवन चरित्र. (जुओ मुखसागर गीता.) २८०७ सूयगडांग सूत्र. (५०) २८०८ सुगुण स्मरण. रु. ०-४-०। २८०९ सुजन संमेलन हिन्दी. (५०) २८१० सुदर्शनचरित्र. (पाना) रु. ०-४-० , (प्रथम भाग) रु. ०-६-० (१७) २८११ सुदर्शन शेठ. सचित्र हिन्दी. रु. ०-१०-० (प्र. ९) २८१२ सुदर्शन शेठ. गुजराती शील महीमा रु. ०-४-० (म. , याने शील महिमा. रु. ०-१-६ २८१३ सुदर्शना सुबोष गं. ७७ बुद्धिसागर सूरि (१५, ५८ थी ६२, १८४) २८१४ सुधर्म गच्छ परीक्षा दशाश्रुत स्कन्ध सूत्रनी टीका तथा जंबुद्धीप पनति सूत्रनी टीका कर्ता ब्रह्मर्षि सायणकच्छ निवासी. सं. १९६८ रु. ०-४-० (प्र. ७४९) २८१५ सुधारस स्तवनावली. रु. ०-२-० २८१६ सुपार्थमाय चहित्र मागधी पूर्वार्ध छायावालु भा. १ लो. लक्षण गणि विरचित. रु. २-०-० (७६, ५६) " , भा. २ जो. रु. २-०-० (७६, ५६ ) " , भा. ३ जो. रु. २-०-० (७६, ५६) " " रु. २-०-० (१७) , भाषान्तर भा. १लो. भा. क. भजित For Private And Personal Use Only Page #338 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra सुबद्ध ] www.kobatirth.org [ सुभाषित ?? 17 ( ४६७, १७ ) २८१७ सुबद्ध सुशिक्षा रास शालिभद्र मुनि, सं. १९७२ अलभ्य. २३३ सागर सूरि. (४६७, १७ ) भा. २ जो. रु.०-१-० (६८ ) २८१८ सुबोध नियमावली. ( ६८, ५० ) Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ܕ रु॰ ०–१–६ ( ६८ ) 35 "" २८१९ सुबोध पाठ संग्रह. भेट. ( ६७, २२३ ) २८२० सुबोध रत्न शतकम् (५० ) ܪܕ २८२१ ( माणिक्य सुबोध रत्न शतक माणिक्य मुनि कृत ब्रह्मदत्त शास्त्री कृत टीका साथे. सं. १९७२ रु.०-३-० २८२२ सुबोध रत्न शतकम् माणिक्य मुनि विरचित राजवैद्य श्री - तलप्रसाद जैन, रु. ०-०-६ इ. १९१५ ( दि.) २८२३ सुबोध शतक संस्कृत मुनिमाणेक. ( ३९ ) भाषान्तर हिन्दी. 77 २८२४ सुबोधा समाचारि मुळकर्ता श्री चंद्राचार्य. १३०० सं. ग्रन्थ नं. ६२ रु. ०-८-० ( १६ ) २८२५ सुबोध स्तवन संग्रह. भेट. (७५० ) २८२६ सुबोध स्तवनावली. रु. ०-२० (७, ५० ) २८२७ सुबोध पद्य रत्नावली रु.०-६-० (७५१, ७५२,७५३) २८२८ सुबोधा समाचारी. श्री चंद्राचार्य संकलिता. रु. ०-८-० ( १६ ) For Private And Personal Use Only २८२९ सुबोधिकाख्य वृत्तियुतम्. कल्पसूत्रम् रु. २-०-० (१६) २८३० सुभद्रा. रु. ०-३-० २८३१ सुभाषित त्रिंशति. (५०) [०–१२–० (५०, १०) २८३२ सुभाषित रत्नसंदोह, अमितगति विरचित. ( दि.) रु. ३० Page #339 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org २३४ [ सुमुख सुभाषित ] २८३३ रत्नसंग्रह. विगेरे. ( ५० ) 39 २८३४ सुभाषित स्तवनावलि. भा. १ लो ( सभानी छपावेळी ) रु. ०–६–० ( १७, ६ ) " " भा. २. जो. रु. ०-४-० (१७, ६) २८३५ सुभाषितावलि, वल्लभदेव संगृहीता. अंग्रेजी नोट सहित. 99 ( ७५४, ५० ) २८३६ सुभूम चक्रवतनुं चरित्र. (जुओ चरित्र संग्रह . ) २८३७. सुमति तथा चारित्र राजानो सुखदायक संवाद. रु.०-३-० ( १६३, ५० ) २८१८ सुमतिविलास ग्रंथ. कर्ता मनसुखलाल ( ७५५, ७५६ ) रु. १-८-० सं. १९६३. “सामायिक सिद्धयुपाय, सम्यक्त्व न्याय सुधारस, आत्मबोध पत्रिका, शुद्धोपयोग प्रवेशिका, अनुभव प्रवेशिका, पा. ३१६ " • २८३९ सुमतिनाथ चरित्र. हिन्दी. मुनि माणेक प्रा. सं. (१५९, ७५) २८४० सुमतिप्रकाश ग्रन्थ ले. मनसुखलाल गुर्जर, पृष्ट ३८० सं० १९६७ ओवीसीओ तथा ढाळो. रु. १-४-० (७५५. ७५६, ५० ) Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २८४१ सुमति व्यवहार ग्रन्थ ले, मनसुख हरीलाल गोधरावाळा. गुर्जर. सं. १९६४ पृ. ३२२. ढाळो तथा सज्झायो विगेरे संग्रह, रु.१-४-० ( ७५७, ५० ) २८४२ सुमति साधुसूरिनो विवाहलो. ( जुओ ऐतिहासिक रास संग्रह भा. १ को ) २८४३ सुमित्र चरित्र ( पाना ) रु. १-०-० · न २८४४ सुमुख नृपादि कथानकम् मं. रत्न नं. ७५ रु. ०-११-० ,, गुजराती गं. २ नं. ४५ रु. १-०-० (१७) For Private And Personal Use Only Page #340 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सुपगडांग] २३५ [सुशीलाबाई , धर्म प्रभावकोनी कथा. चंद्रवीर शुभा. धर्मषन विगेरेनी कथाओ छे. सं. १९७९ मे. आ. ग्रं. माग नं. ४४ (१७) २८४५ मूयगडांग मूळ अर्थ टीका युक्त. २८४६ सूयगडांग सूत्र सटीक (प्रत ) रु.२-१२-० (५०) " " , प्रत (२४, ७, ५०) २८४७ सुरप्रिय मुनि चरित्र कनककुशळ गणि कृतनुं गुर्जर भाषा न्तर. रु. ०-२-० (७५८, ६७) । २८४८ सुरसुन्दरी. हिन्दी सचित्र. रु. ०-८-० (९) , चरित्र. रू. १-८-. , चरिए धनेश्वर मुनीश्वर. चार हजार गाथाओ मा. विस्तृत प्रस्तावनामां बीना नामी यो तथा नामी आचार्योनो जाणवा योग्य इतिहास. रु. २-८-०(७७) ,, , की. नयी. (५६, ५०) . २८४९ मुरसुंदरी चरित्र गुजराती. न. प. म. ना.ग्रा. मेट. इ. ०-३-० सं. १९५१ (६) २८५० पुरसुंदरी. रु. ०-२-६ (४८) २८५१ मुलसा चरित्र. भाषान्तर (पाना) मूळ संस्कृत पद्यात्मक . सं. १९५५ रु. १-०-० (१५५) २८५२ सुरसुंदरी रास. (जुओ आनंद कान्य मझेदपि मौ. ३५) २०५३ सुवचन बत्रीशी. गुणी अने भलो (७५९, ५०) २८५४ सुविचार कुसुम माला. २८५५ (मुनि) सुव्रत स्वामीनां स्तवनोनो संग्रह. मणिविजयणी कर्ता. रु. ०-१-० (प्र. ७६०, ५०) १८५६ सुचीकाबाई काण्याख्यान. ६.०-१-. For Private And Personal Use Only Page #341 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org [स] २३६ [ सूत्रकृतांग २८५७ सुसढ चरित्र. संस्कृत. रु. ०-२-० (५० ) २८५८ सूक्ष्मार्थ सारोद्धार सार्ध शतक. जिनवल्लभगणिविरचितम् धनेश्वरसूरिविरचित टीका समलंकृतम् रु. १-०-० ( ६ ) ( प्रति ) २८५९ सूक्त मुक्तावली. सं. गं. नं. ५७ (१६ ) रु. २-०-० २८६० सूक्तिमुक्तावली सोमप्रभाचार्य विरचित. ( जुओ काव्यमाका गुच्छक भा. ७ मो ) २८६१ सूक्त मुक्तावली भाषान्तर, रु. २-८-० रु॰ १-०-० पं. केसरविमलजी विरचित. श्री सोमप्रभाचार्यजी 39 Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्री चारित्र सुंदर गणिजी " तथा सिंदुरकर, आचारोपदेश, तथा चिदानंद प्रनोत्तर मालादि सहित. (७६१, ५० ) २८६२ सूक्त मुक्तावली. पूर्वाचार्य संकलित, गं, रत्न नं. ५७ रु. २-०-० (१६) "" " 23 २८६३ सूक्त मुक्तावली संस्कृत (पाना ) रु००-८-० रु. ०-१०-० ( ३३ ) रु. ४-८-० (३२ ) 27 २८६४ सूक्त रत्नमाला प्रा. संस्कृत छाया साथै, अंग्रेजी भाषान्तर साथै रु. ०-८-० (५६, ५० ) २८६५ सूक्त रत्नावली. विजयसेन सूरि प्रणीता रु. ०-४-० (६, १७) आ. गं. नं. २३ For Private And Personal Use Only २८६६ सूक्तावलि. (५०) २८६७ सूत्रकृतांग. मूल कर्ता सुधर्मास्वामी टी. शीळांकाचार्य. रु. २-१२-० (२९, १६ ) Page #342 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org २३७ [ सेलाना सूत्रोनी ] २८६८ सूत्रोनी नोंध (५०) २८६९ सूयगडांग सूत्र सटीक भाषान्तर विभाग १ को मुनि माक. रु. १-८-० ( १२ ) भा. २ जो, रु. १-८-० (१२) " Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir '"' 99.99 ४७ ) 33 59 २८७० सुराचार्य ओर भीमदेव रु०-४-० (८८ ) २८७१ सूरीश्वर अने सम्राट रु.३-८-० (१४, हिन्दीमां ग्रन्थ छे, रु.४-८-० (१४, ४७) " (भा. २ जो ) रु. ३-८-० ले, मुनि विद्याविजय, पृ. ४५. हिन्दी ऐतिहासिक चरित्र. ( १४, ४७ ) [ गुजराती. " "" ( भा. १ को ) रु. ४-८-० पृ. ४५० २८७२ सूर्य प्रत्युपांग सटीक (पाना) मलयगिरि विहित. विवरण युक्त. रु. ३-८-० (२८, १६, ५० ) • २८७३ सुवर्ण वचनावली. रु.०-०-६ २८७४ सूक्ष्मार्थ विचार सारोद्धार ( सार्ध शतकम् ) श्री जिनवल्लभ गणि विरचित, ( धनेश्वर सूरिकृत टीका साथै ) कर्म प्रस्तावे सूक्ष्म सूक्ष्मतर विचारवर्णन, मूळ प्राकृत, सं. २८७५ सूक्ष्मार्थ विचार. (५०) [ १९७१ (६, १० ) २८७६ सेन प्रश्न पाना ( प्रश्न रत्नाकराभिघ: ) शुभविजयगणिकृत प्रश्नोत्तर (१६ . रत्न ५१ रु. १-०-० • २८७७ सेन प्रश्ननो उतारो. (५०) २८७८ सेन प्रश्ना: ( ५० ) २८७९ सेन प्रश्नः अथवा प्रश्नरत्नाकराभिधः ( ५० ) २८८० सेलाना ( मालवा ) सरकारे बकरा नहि मारवानो करी भापेलो परवानो सागरानंदसूरिने ता. १५ नवेम्बर For Private And Personal Use Only Page #343 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सोनेरी] २३८ [ संग्रहणी १९२१ नो अभयपद प्रवर्तक परमधर्म शुषक महाराजाधिराज श्री दिलीपसिंहजी बहादुर महाराजे सेलाना मालवा. श्रा. वद १२ थी भा. सुद ४ सुधी, दरेक . महीनानी आठम १४, एकादशी अने अमावास्या.(१६) २८८१ सोनेरी भेट. गुजराती. (१६३) २८८२ सोभन मुनि कृत. चोवीस स्तुतिओ वालावरोध. (जुओ प्रकरण रत्नाकर भा. ३ जो) २८८३ सोभन स्तवनावली अलभ्य. (६५०) २८८४ सोम सौभाग्य काव्य अर्थ सहित मुनिराज धर्म विजयजी (पछीथी सूरि) द्वारा थएलु भाषान्तर.रु. ०-१२-० २४८५ सौंदर्य कुमारी (दि.) (७६२) [(१३१) २८८६ सौभाग्य अलंकार कुंकुम तिलक. (४०४) २८८७ सौभाग्य पंच. मी विगेरे पर्वकथा संग्रह (पाना) रु. १-०-० क्षमाकल्याणकादि विरचित तथा साधु श्रा वकाराधना. (७६३) २८८८ सौभाग्य पंचमी विगेरे पर्व कथा संग्रह तथा (१) साधु श्रावक आराधना. (२) साधु प्रतिक्रमण तथा. [(७६४) (३) साधु विधि प्रकाश. मेगा. की. नथी. २८८९ संगीत दर्पण भा. १ लो. सं. १९६५ रु. ०-८-० संग्रह स्तवनो विगेरे (७६५) [(७६६) , , भा. २ जो. सं. १९८० रु. ०-३-० २८९० संगीत पुष्पमाळा संग्रह. रु. ०-२-० (७६७, १६३) २८९१ संग्रहणी टीका. (पाना) रु.५-४-० २८९२ संग्रहणी मोटी (अमुल्य) (७) For Private And Personal Use Only Page #344 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org संग्रहणी ] २३९ २८९३ संग्रहणी सूत्र. (५० ) २८९४ संग्रहणी, मूल और अर्थ, (३९, , Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १ ) सटीक रु०-१२-० "" [ थी ६२, १८४ ) २८९५ संघ कर्तव्य ग्रन्थ. ग्रं. नं. ७ बुद्धिसागरसूरि. (१५, ५८ २८९६ संघ पट्टक काव्य, अर्थ सहित जिन वल्लभसूरिकृत, बिस्तारवाळी टीका सहित. घटाडेली कि, रु. २-८-० ( ३-८-० ) ( ८२ ) 99 " २८९७ संघ प्रगति तथा जैन गीता. रु. नं. ४० ( जुओ जैन गच्छमत. प्रबंध ) २८९८ संजीवनी बुटी. ( सत्यदेव ) आत्मसंयम अने स्वमदोषथी बचवानो उपाय विगेरे वर्णन छे. रु. ०-८-० २८९९ संत स्वरुप पंचासी. " उपदेश" हुकममुनि, (२१) २९०० संथार पयन्ना. ( जुओ दश पयन्ना ) संथारग पयन्ना. (जुओ चउसरण आदि चार पपन्ना मूळ ) संथारा पयो, विगेरे (५०) संदेह दोलावली टीका (पाना) खरतर विधि (विधिपक्ष ) ( विविध ) रत्नकर टीकाख्या. मूल कर्ता श्री जिनदतसरि टीकाकार जय सागरोपाध्याय टीकानो संवत १४९५ ( ३२ ) 39 प्रबोध चंद्रगणि कृत टीका उपरथी रु. २-०-० (५२७, पु. नं. ९ ) २९०१ संदेह विषौषधि ( पाना ) नामा कल्पसूत्रनी व्याख्या. रु. ३-४-० (३२ ) २९०२ संप्रतिनृपति चरित्रम्. सं. १९७६ (६९५, ५४९ ) [ संप्रति १-०-० For Private And Personal Use Only Page #345 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra " संगति ] २४० [ संविज्ञ २९०३ संप्रति राजा. रु.०-१-० (८८ ) २९०४ संबोध प्रकरण हरिभद्रसूरि विरचितम् रु. १-०-० ( ७६८, ७६९, २१८, ५० ) २९०५ संबोध सित्तरी . ( परचुरण) (डेमी पोकेट साइझ ) पान. ७१ सं. १९६५ बालबोध रु००-०-० (२२० ) गुजराती. रु. १-०-० ( १७ ) 55 " www.kobatirth.org 59 • ( १५५, ५० ) टीका ( पाना ) रु. १-८-० 39 "" २९०६ संबोध सप्तका याने हित गृहण अहित त्याग रूप संवेग मार्गनुं स्वरूप तत्वज्ञानना विषयो तथा कथाओ सहित सं. १९७८ आत्मा. प्र. मा. ग्रा. भेट नं. १९ ( १७ ) २९०७ संबोध सप्तति सटीक (पाना ) ( रत्न ५३ ) रु००-१०-० ( १७ ) Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २९०८ संमत्यारूप प्रकरणम् भा. १ लो सिद्धसेनदिवाकरविरचितम् अभयदेवसरिनी टीका सहित. ( १४, ४७ ) २९०९ संमेतशिखर कल्प मूळ, सं. अनुवाद गूर्जर . ( धनपाळ पंचाशिकाना भेगो आ छे. सं. १९६९ ६ ) ' २९१० संयमश्रेणी गर्भित ' श्री महावीर स्तव. ? पंडित उत्तम विजय गणि विरचित. रु. ८-४-० (७७०, ४३९ ) २९११ संलेखना मृत्यु महोत्सव रु.०-४-० २९१२ संवाद सुंदर. रु. ०-८-० २९१३ संविज्ञ साधु योग्य नियम संग्रह भेट. सं. १९७२ (१८१, ५०) ५०७५ २९१४ संविज्ञ साधुयोग्य नियम. ( जुओ कुलकसंग्रह १७ वाळो ) For Private And Personal Use Only Page #346 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir संवेग ] २५१ [स्तवन २९१५ संवेग छत्रीशी. आवृति पहेली तथा बीजी ले. अजितसागर सूरि. छत्रीसद्वारना दरेकनां छत्रीस छत्रीस द्वारनो गुज राती बोध. (४६७) २९१६ संवेगम कंदली अर्थ सहित. विमळाचार्य कृत. सरहद. २९१६ संवेगम - ( ३२६ स्व.खंडणग्रंथ २९१७ संशयिवदन विदारण. (दि.) स्वे. नुं खंडणग्रंथछे हिन्दी. २९१८ संसार दावानल स्तुति सटीक सावचूरि. हरिभद्रमूरिकत. वृत्ति ज्ञानविमलसूरिकृत. ( रु. ०-१-० रु.०-३-०) २९१९ १ (७२, कमलमरिकन २९१९ संसारमा सुख क्यां छे भा. १ लो. (२२७, ७७१) २९२० संसार स्तवन. प्रो. एफ डब्ल्यु बेइनना अनुवाद अ. तथा प्र. रु. १-०-० (७७२. ५०) . . . २९२१ संस्कृत. स्वयं शिक्षक जै. घ. ५. ग्रा. भेट. रु.१००.० (६) २९२२ संक्षिप्त जैन रामायण, जै. ध. प्र. ग्रा. भेट (६) २९२३ संक्षिप्त १२ व्रत तथा १४ नियमनी टीप. दोघन रामचंद जेठाभाइए छपावी. २९२४ सिंहासन बत्तीसी. प्रका. गंगाविष्णु श्री कृष्णदास ने अपने लक्ष्मी वेकुंटेश्वर. की. लखी नथी (७१) २९२५ स्तवन तथा सझाय संग्रह हिन्दी. (३९) २९२६ स्तवनपद समुदाय रु. ०-०-६ २९२७ (श्री) स्तवन रत्नाकर. व. कुल्पाक मंडणपूजा. नेमिचंद्रय तिने छपवाया. (७७५, ७७६) । २९२८ स्तवन लहरी. मुनि सौभाग्यविजयजी कृत. सं. १९७७ (७७६, ९५) For Private And Personal Use Only Page #347 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir स्तवन] स्त्रिी २९२९ स्तवन संग्रह. रु. ०-२-० २९३० स्तवन संग्रह अमूल्य. सं. १९७७ ग्रं. रत्न. १० (३९२, २९३१ स्तवन संग्रह. भाग पहेलो. रु. ०-२-० (६८) भाग बीजो. रु. ०-२-० भाग त्रीजो. रु. ०-८-•सं. १९६८ (६) (११) भाग दुसरा. रु. ०-२-० (६८) भाग तीसरा. भेट. (६८) २९३२ स्तवनावली. भा. १ लो. रु. ०-८-० २९३३ (जैन) स्तवनावली. (सं. क. ७७७) , हिन्दी संग्रहीत. रु. १-८-० (३६६) २९३४ स्तवनावली. भा. २ जो. रु. ०-४-० , भा. ३ मो. रु. ०-६-० (१०४) २९३५ स्तवनावली. सं. १९६२ त्रीजी आवृति. रु. १-८-० , द्वितीय खंड (दादाजीका ) संग्रह कर्ता सहे. ताबचंद सं. १९०६ हिन्दी लभ्य. रु. ०-४-० (१०४, ३६६) २९३६ स्त्रीयोकी स्वाधीनता हिन्दी. रु. ०-१२-० २९३७ स्त्रीयोपयोगी गीत संग्रह. रु. ०-१-० २९३८ स्त्री शिक्षण. हिन्दी. सं. १९७८ (७७८) २९३९ स्त्री सुबोधमाळा. रु. ०-३-० पा. ६८ पध. (१०८) २९४० स्त्री सुख दर्पण मासीक भावनगर. (४४) For Private And Personal Use Only Page #348 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २४३ स्तुति] [स्थविरा २९४१ स्तुति कल्पलता. (यशो विजयजी कृत) रु. ०-८-० (कीमत नथी) भावनगरना रतनजी वीरजी प्र. की. नयी. (प्र. ७८०, ५०) २९४२ स्तुति संग्रह अवचुरि सहित (पाना) बप्पभट्टसूरिविरचिता. (जिनप्रभसूरिविरचिता इत्यादि संग्रह. (पति) (३३, ३२९, ५०) २९४३ स्तोत्रभानु, नन्दनविजयकृत. (३८५, ३८६) २९४४ स्तोत्र रस्नाकर. प्रथम भाग. सटीक. (१) श्री धर्मघोषवरि कृताभिश्चतुर्विशति जिन स्तुतिभिः (२) धर्मसिंह कृत. श्री वीर नेमि-सरस्वती स्तुति गर्भित समस्याबद्ध भक्तामर स्तोत्र त्रयेण संगृहीतः (३) उदयमुनिप्रणीत वाक्य प्रकाशेन चमिलितः (३३, २२९) , , द्वितीय भाग सटीक. जिनवल्लभकत प्रश्नोत्तर शतक, जयतिलकसूरिकृत चतुर्विंशति चित्र स्तव, पूर्व सूरि कृत. प्रश्नावली पार्श्वचंद्रकवि कृत, महावीर स्तव तथा वर्धमान स्तोत्र द्वय श्री पार्वजिनस्तोत्र षट्कैन संग्रहीत, नेमि स्तवन, विहरमाण स्तव, एकाक्षर विचित्र काव्य षट् श्लोकी, चतु ऋोकी स्तुति सं. १९७० रु. १-२-० (३३, २२९, ५०) २९४५ स्थळ नामकोश मराठी. (५०) २९४६ स्थविरावली. मेरुतुंगाचार्य कृत. (जुमओ साहित्य संशोषक खंड २ अंक २)(८८) For Private And Personal Use Only Page #349 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra स्थविरा ] २४४ [ ानज २९४७ स्थविरावली चरित्र परिषिष्ट पर्व हेमचंद्राचार्यकृत, बायं हर्मन जेकोबी. (४२१ ) www.kobatirth.org २९४८ स्थविरावलि चरित अथवा परिशिष्ट पर्वम् त्रिषष्टि शलाका. पुरुष चरित्रनो विभाग एडीटेड बोय. एच जेकोबी. १ ५ विभाग पूर्ण रु. १-०-० ( हेमचंद्राचार्य ) स्थविरावळी टीका. रु. १-०-० [ (२९) २९४९ स्थानकवासी बीजी कोन्फरन्सनो रीपोर्ट. रु. ०-६-० २९५० स्थानांग सूत्र (पूर्वार्ध) रु. २- १२० मू. क. सुधर्मा स्वामी. टी. अभयदेव सूरि. ( २८, १६ ) ( उत्तरार्ध) टीका. रु. ४-०-० सं. 99 95 ११२० (२८, १६ ) स्थानांग सूत्र. प्रथमाद. रु. ४-०-० उत्तरभाग. रु, ०–२–० ( २८ ) 99 " [ संस्कृत. (१६) २९५१ स्थूलभद्र रु. ०-२-० २९५२ स्थूलभद्र चरित्र. मूळकर्ता जयानंदसूरि. रु. ०-२-० स्थूलभद्र चरित्र ( पाना ) रु. १-०-० स्थूलभद्र चरित्र, जै. ध. प्र. ग्रा. भेट. (६) " Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir " १९५३ स्थूलीभद्रनी शीयळ वेल, विगेरे. रु. ०-४-० " "> रु. ०-२-० (प्र. ५३९, ६९३, १० ) " 3, " २९५४ स्नात्रपूजा रु. ०-६-० एकली मणको ३ (७०३, ७८१ ) आत्मारामजी कृत शास्त्री, रु. ०-२०० वीरविजयजी कृत गुजराती. रु००-२-० For Private And Personal Use Only Page #350 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra स्नात्र ] "" www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २४५ [ स्याद्वाद बुद्धिसागरसूरि कृत. रु. ०-२० (१५, ५६ थीं ६२, १८४ ) ,, ( जुओ देवचंद्र भा. २ वि. १ ) " २९५५ स्नात्र पंचाशिका तथा मुनिदान उपर कथाओ गुजराती. मुनिसुंदरसूरि शिष्य श्री शुभशीलगणीजी कृत. विद्याशाळा. सं. १९३० मां शिला प्रेसमां रु० ० -१२-० ( १५५, ५० ) २९५६ स्नात्रविधि, बीजी आवृति हिन्दी. सं. प्रा. सेताबचंद नाहार (३६६, १०४ ) रु.०-३-० २९५७ स्नात्र सत्तरभेदी, विसस्थानक पूजा. जै. ध. प्र. ग्रा. भेट ( ६ ) २९५८ स्नात्रादि स्तवनावली रु.२-०-० 59 " प्रकटकर्ता " जैन " की. अमूल्य (४४) २९५९ स्फोट सिद्धि न्याय विचार. २९६० स्यादि शब्द समुच्यय कविराज अमरचंद्रसूरि विरचित. बालचंद्र संशोधित. रु० १००० (१४, ४७, १४६, ५०) २९६१ स्याद्वाद अनुभव रत्नाकर सचित्र (हिन्दी) रु. १-८-० (प्र. ९ ) १९६२ स्याद्वाद अनुभव रत्नाकर, चिदानंदजी कृत : सं. १९५१ (प्र. ७८२, १२ ) २९६३ स्याद्वाद कलिकाष्टकानि विगेरे. (५०) २९६४ स्याद्वाद बिन्दु दर्शनविजयगणि. रु.२-०-० (३८५, ३८६) १९६५ स्याद्वाद भाष्या, ( प्रमाणनय तत्व प्रकाशिका ) मूलकर्ता शुभविजयगणी, रु०-१-६ (१६, ५० ) For Private And Personal Use Only Page #351 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir स्थावाद] २४६ [ स्वरोदय २९६६ स्याद्वाद मंजरी मूळ, (काशीमा छापनी) श्री मल्लीषणसरि विरचित. सिद्ध हेम निर्मित वीतराग स्तुति व्याख्यान रुपा. रु. १-०-० (१४, ४७) " , (५६६) , हेमचंद्रकृत. रायचंद शास्त्रमाळा. अन्ययोग व्यवच्छेदिका नामकस्तुतिकी वि० टीका रु. ४-०-० " , मूळ (भाषान्तर सहित) रु. ४-०-. , , भाषान्तर गुजराती. मूळकर्ता. हेमचंद्राचार्य. टीकाकार मल्लिषेणसरि. गुर्जरभाषा करता तथा छपावीने प्र. कर्ता रु. ४-०-० (३२, ५०) २९६७ स्यावाद रत्नाकर (५०) २९६८ स्वामि विवेकानंदना पत्रो. अंग्रेजी. भा. क. मोहनलाल दलीचंद देशाइ. स्वामिजीना जीवनसहित सने १९१२ सं. १९६८ गु. अनेक धार्मिक सामाजिक विषयने च. र्चतापत्रो. रु. ०-५-० सस्तुसाहित्यवर्धक कार्यालय, अमदावाद. २९६९ सृष्टिवाद परीक्षा. हिन्दी ( ११६, २०४ ) टेक्ट नं. १७ की. एक पैसो. २९७० स्वमचिन्तामणी भाषान्तर. मराठी (५०) २९७१ स्वमप्रदीप (प्रत ) रु. ०-६-० २९७२ स्वरमालिका. (५०) २९७३ स्वरोदय ज्ञान, ध्यानमाला, पुद्गलगीता विगेरे. रु.०.८०० चिदानंदजीकत. तथा छानविमळसूरिकृत ध्यानमाग(७) For Private And Personal Use Only Page #352 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir स्वाध्यय ] १४७ २९७४ स्वाध्याय गुंडळी संग्रह. (६८ ) २९७५ स्वाध्यायमाळा. प्रथम रत्न रु. ०-१-० १९७६ स्वानुभव दर्पण. ले. माणेकलाल घेलाभां विवेचनकार. लालन, रु. ०-१२-० (७८३ ) • [ हरिभद्र २९७७ स्वामि दयानंद और जैनधर्म वादग्रन्थ, सं. १९७२ रु. ०-८-० ( ७८४, ५६९, ७८५ ) २९७८ स्वामिवात्सल्य. गु. ( इनामी निबंध, नं. २) (७८६, ७८७, ५० ) ह. २९७९ हनुमान चरित्र रु००-६-० २९८० हमीरकाव्य, संस्कृत ( इन्मली नोट सहित ) रु.१-४-० २९८१ हम्मीरमद मर्दन, जयसिंहसूरिकृत रु.२-०-० (१३८) २९८२ हरिबल माछीनो रास. ( जुओ आनंदकाव्य महोदधि. मौ. ३ जुं ) २९८३ हरिबल मछीनो रास मुनि लब्धिविजयजीकृत र. सं. १८१० महासुद २ भृगुवारे. (निषधमांथी उद्धृत. ) (जुओ कर्त्तानुंकुळ वृक्ष माटे विशेष हकीकतमां चालु नंबरे) (७) For Private And Personal Use Only २९८४ हरिभद्रसूरि ग्रन्थमाला, रु०-४-० (६, ५० ) प्रति. हरिभद्र. (१) शास्त्रवार्ता समुच्चय. सस्तबक. (२) षड्दर्शन समुच्चय, ( हरिभद्र ) (१) अष्टक हरिभद्र Page #353 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org हरिभद्र ] २४८ [ हस्त १९८५ हरिभद्रसूरि चरियं धनेश्वरसूरि साधारण संस्करण. रु. २-०-० राजसंस्करण. रु. ३-०-० (५६, ७६, ५०) 29 २९८६ हरिभद्रसूरि चरित्रम् रु. ०-४-० (५६, ७६ ) २९८७ हरिविक्रमचरित्रनुं भाषान्तर. गुजराती. रु. १-८-० २९८८ हरिविक्रमचरित्र संस्कृत. रु.८-०-० २९८९ हरिचंद्र राजानो रास रु. ०-६-० • सं. १६९७ कनक सुंदरनो "3 " खेलो. (१२९, ६३ ) Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 31 [ ५० ) कनक सुंदर विरचित. (७, "" " २९९० हरिषेण चक्रि चरित्र. ( संस्कृत ) त्रि. प. श. पु. चरित्रना सातमा पर्वमा बारमा सर्गमां छे. हेमचंद्राचार्य विरचित. (१०, ६ ) २९९९ हरि विक्रम चरित्रनुं मराठी भाषान्तर. रु. २ -८-० २९९२ हरिभद्र सूरि चरित्रम् (५६, ७६, २५ ) २९९३ (श्री) हरिभद्राचार्यस्य समय निर्णय. ले. जिनविजयः ( ८३, ५० ) २९९४ हरिविक्रमचरित्र सने १९०७ नं. ९६रु. १-८-० २९९५ हरिहर सुभाषितम् ( ६ ) [ ( ३३, ५० ) २९९६ हर्ष हृदय दर्पण. बुद्धिसागर मुनि खरतर गच्छीकी की तर्फ से. (७१) १९९७ हर्षवार्ता ननामो लेख. (७१) २९९८ हस्त जीबीनी भाषान्तर. क. मेघविजय उपाध्याय साक अलभ्य दर्शनविजय रु. ०-४-० (७८८) For Private And Personal Use Only Page #354 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २४९ हालवली ] २९९९ हारावली पुरुषोत्तमदेव प्रणीत. (जुओ अभियान संग्रह.) भा. १ अजैन. ३००० हारित दीपावश्यक टिप्पण. (५०.) अजैन. ३००१ हारिभद्रीयावश्यक कृत्ति टीप्पणकम् मलभारमच्छीय. हेम चंद्र मूरिसूत्रितम्. रु. १-१२-० (१६, १) ३००२ हिंगुल प्रकरण अर्थ सहित, (पामा) विनवासामरोपाध्याय. रु...-५-० (मा. क. ७,५०१)। ३०३ हिसशिक्षा. रु. ०-२-० ३००४ हितशिक्षानो रास. श्रावक रुपमदासजी कृतम्स. १६८२ बीजी आरति सं. १९५२. ३.१-०-० (७) ३००५ हितोपदेश. संस्कृत, इंग्रेजी अने मराठी कठीण शब्दना कोष साथे वाय एडपीन भानोल्ड एम. ए. प्रीन्सी. पाल पूना कोलेज. (१६८) ३००६ हितोपदेश. (६८) . , भाषान्तर कर्ता धीमतसम. (७८९,९५) , वैदक. रु.१-४-० ३००७ हिदायत चुत परस्तिाये जैन. सन्धिविनयकृत (निपाणी) कुंदनमलजीका लेखका जवाब. ३००८ हिंदी जैमशिक्षा भा. १लो. रु. ०-०-६ (३०१,५०) , , भा. २-जो. रु. ०-०-६ (१०१, ५०) " , भा. ३ जो. (३०१, ५.) , ,भा. ४.थो. रु. ०-१-०.(३०१, ५०) ३००९ (श्री) हिन्दी जैन साहित्यका इतिहास, साम हिंदी साहित्य संमेलन के लीए लिखा गया निबंध. माधुराम प्रेमी सं. पा. जैन हितैषी (दि.).-६-० (९०, १४६) For Private And Personal Use Only Page #355 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir हिंसा ] २५० [ हेमलि ३०१० हिंसा निषेध (निबंध) रु. ०१-० + ३०११ " ही " ओर " भी " पर विचार लब्धिविजय. रु. ३०१२ हीरप्रश्न. ( पाना) रु.२-४-० (५०) [ ०-१-६ (४८) ३०१३ हीरप्रश्नावलीं. रु.०-८-० (५०, ( ७९१.१० ) ) ३०१४ ही प्रश्नोत्तराणि संस्कृतम. पंडित श्री कीर्तिविजयगणि समुच्चित. (५०) ३०१५ हीरप्रश्नावलि रु. ०-८-० (७९३, ७९१, ६३ ) ३०१६ हीरप्रश्नापर नाम प्रश्नोत्तर समुच्यय ( प्रति ) पं. कीर्ति - विजयगणि समुच्चितः श्री हंसविजय लायब्रेरी फी. छोटालाल जेसंग भाइ सुतरीया. अमदावाद. लुणसावाडो ३०१७ हीरविजयसूरिनुं चरित्र रु०-१-० • • ३०१८ हीरविजयसूरि रास. संघवी रुपभकवि प्रणीत (जुओ आनंदकाव्य महोदधि मौ. ५ मां छे) (१६, ११७, १, २८) ३०१९ (श्री) हीरविजयसूरि (जगद्गुरु) ले ललित विजय. (८८) ३०२० हीरसूरी महाराजनुं चरित्र रु००-३-० सं. १९४९ ३०२१ हीररत्नसूरीन्द्र नमस्कारादि सूत्र, (२२) [ (प्र. ७९४ ) ३०२२ हीरसूरि रास. नयसुंदर प्रणीत. (जुओ आनंद काव्य महोदधि मो ५ मु ) ३०२३ हीरसौभाग्य काव्य संस्कृत टीकायुक्त श्री देवविमलगणि विरचित स्वोपज्ञया व्याख्यया समलंकृतम् हीरविजयसरिनुं जीवनवृत्तान्त छे. इ. १९०० मां छपायो छे रु ५-८-० काव्यमाळा ग्रं. नं. ६७ ( ६, १० ) ३०२४ हुकमविलास हुकममुनि, (२१) ३०२५ हेमलघुप्रक्रिया व्याकरण रु. १-८-० ३०२६ हेमलिंगानुशासन संस्कृत अवचूरि सहित. हेमचंद्राचार्यकृत. रु, ०–६–०, रु, ०-८-०, रु०-५-० (१४, ४७) For Private And Personal Use Only Page #356 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir हेमवि] [हृदय ३०२७ हेमविभ्रम सटीक गुणचंद्रसूरि विरचित बनारस गं. नं. ३४ रु. ०-४-० (१४, ४७, ५०, १७, ६,) ३०२८ हेमशब्दानुशासन बृहत्ति लघु न्यासयुक्त. रु.१०-०-० चार अध्याय चार पाद सहित हेमचंद्राचार्य. ,, बीजो भाग पांचमाथी आठमो पुरो. हेम चंद्राचार्य कृत. [हित. (७९६, ७९५) ३०२९ हैमधातुपारायण हेमचंद्राचार्य कृत. स्वोपज्ञ कृत टीका स३०३० हैमलघुप्रक्रिया उपाध्याय विनयविजयजीकृत. सं. १९७४ ३०३१ होरी संग्रह रु. ०-६-० [ संस्कृत व्याकरण (६, १०) ३०३२ हंसराज वच्छराजनो रास. जिनोदयसूरि विरचित शीलादि महात्म्य रुप सं. १९५२ (७,५०) रु. ०-६-० ,, ,, कथा सर्वसुन्दरसूरि मलधारी गच्छीयकृत(५०) ३०३३ हंसविनोद स्तवन स्तोत्रनो संग्रह (शास्त्री) रु. ०-१२-० (५२, २३७, १७) सं. १९५९ ३०३४ हृदय प्रदीप षड्विशिका (संस्कृत) (जुओ प्रकरण रत्ना , ,रु. ०-४-० (६) [कर भा. ३) ३०३५ हृदय प्रदीप उपरनानुं गुजराती भाषान्तर सं. १९७३ मूळ टीका अने भाषान्तर की. लखी नथीं. (६) d . For Private And Personal Use Only Page #357 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १५१ पछीबी मळेल शेष ग्रंथोनुं परिशिष्ट. १ अ. अकबर और जैनधर्म हिन्दी रु. ०-२-३ (४८) ४ क. अजितनाथ ओर संभवनाथ चरित्र हिन्दी रु. ०-२-० ५ अ. अजितशान्ति स्तवन हिन्दी रु. ०-०-६ (४८)[(४८) २० अ. अध्यात्म कल्पद्रुम त्रीजी आवृति गु. रु. २-८-० (६) ४३ अ. अनगार धर्मामृत पं. आशाधरभट्ट. रु. ४-८-०(८४४) ४३ ब. अनमोल मोती (शिक्षाप्रद भजन) उर्दू रु. ०-१-३(४८) ४३ क. " " " । हिन्दी रु. ०-१-६ (१८) ४५ अ. अनाथीमुनि. हिन्दी रु. ०-१-० (४८) १२१ अ. अर्धमायधी कोष. भाग पहेलो. सं. हिं. गु. तथा इंग्लीश साथे. (६) १३० अ. अवधानना प्रयोगो (रत्नचंद्रगी स्वामी) गु. ०-४-०(६) १५८ अ. आगमसारका हिन्दी भाषान्तर. (७७) १६० अ. आगमसारोद्धार तथा अध्यात्मगीता गु. ०-६-० (६) २३२ अ. आदिश्वर भगवानका जीवन चरित्र भाग १-२ प्रत्येक रु. ०-१-३ (४८) २४४ अ. आत मीमांसा प्रमाणपरीक्षा सं. रु. ०-१५-० (६): २५७ अ. आर्यों की प्रलय हिन्दी रु. ०-१-० (१८) २७४ अ. इश्वरास्तित्व हिन्दी रु. ०-०-६ (४८) २७९ अ. उत्तमकुमार चरित्र हिन्दी रु. ०-२-० (६) , ब. उत्तमकुमार हिन्दी रु. ०-२-० (४८) २८१ अ. उसराध्ययन सूत्र कमळसंयमी टीका भाग १ लो छ अ. ध्ययन सं. रु. ३-८-० (६) ३०० अ. उवसर्गहर स्तोत्र लघुरति सं. रु. ३-०-० (६) ३०३ अ. एक भादर्शजीवन हिन्दी रु. .-१-० (४८) For Private And Personal Use Only Page #358 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कन्या 1 १५३ ३२७ अ. कन्या एजन्सीका व्यापार ६०-१-० (४८) ३५५ अ. कलावती विगरेनी कथा रु०-३-० (६) ३४४ अ. कर्मग्रंथ चोथो हिन्दी रु. २-०-० (६) [ क्षमा 17 ब. कर्मग्रंथ भाग १ लो. गु. रु००-८-० (६) ३४८ अ. कर्मविचार गु. रु० ०-४-० (६) ३५६ अ. कलीयुगियोंकी कुलदेवी हिन्दी ६००-०-९ (४८) ३५८ अ. कल्पसूत्र मूळ श्री भद्रबाहु स्वामि विरचित. Edited with an historial introduction notes and a Prakrit glossary by H, Jacobi 1879 Germany 10-0-0. For Private And Personal Use Only ३६० अ. कल्पसूत्र सुबोधिका संस्कृत रु. २-०-० (६) ३९९ अ. कीरणावली भेटनी पत्र २०५ सं. १९७८ (१७) ४०४ अ. कुमारपाल चरित्र पृ. २०० रु.१-४-० (३६९) ४०८ अ. कुमारपालमहाराजा ने हेमचंद्राचार्य रु. १-४-० (६) ४२२ अ. केवळ ज्ञान पहेला भाग उर्दू. रु. ०-१-० (४८) ४२३ अ. केशीमुनि अने परदेशीराजा पृ० १०० रु ०-६-० ( ३६९ ) ४२७ अ. कोल सप्ततिका रु० ०-१-६ पत्र ८ सं. १९६८ (१७) क्ष. ३०३६ क्षत्र चूडामणि काव्य संस्कृत रु. १-०-० ३०३७ क्षमाकुलकादि संग्रह. रु.०-३-० (३) १ क्षमाकुळक २ इन्द्रिय विकार निरोध कुलक. ३ अध्यात्म बावनी. ४ पुद्गळ गीता. ५ हितशिक्षा छत्रीशी. Page #359 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir समा] २५४ जीवन ६ दया छत्रीशी. ७ प्रश्नोत्तरना छ दुहा. ३०३८ क्षमापना बुद्धिसागर सूरि. (१५, ५८ थी ६२, १८४) ३०३९ क्षमामुनिजीका संक्षिप्त जीवनचरित्र. ले. मुनिराज कर्पू३०४० क्षमा ऋषि मूल. रु. ०-१-० (८८) [रविजयजी. ३०४१ क्षापणा पत्रिका हिंदी. ले. बुद्धिसागर (केसरविजयना) (प्र. ७९८,५०) ३०४२ क्षुल्लक भवावलि प्रकरणम्. धर्मशेखरगणि. सं. १९६८ ___ भवनी आवलिकाओनुं स्वरुप निरुपण करेल छे. मूळ प्राकृत विवरण संस्कृत. रु. ०-१-० (१७) ३०४३ क्षेत्रसमास रत्नशेखरकृत मूळ तथा बालावबोध सहित. (जुओ प्रकरण रत्नाकर भा. ४ थो) ३०४४ क्षेत्र समास प्रकरण (स्वोपज्ञ टीकया भूषितम् ) ग्रं. रत्न नं. ४६ रु. १-०-० (१७) (अलभ्य) ४३३ अ. खनककुमार चरित्र हिन्दी रु. ०-२-० (४८) ४३६ अ. खुलासा मजहब उर्दु रु. ०-१-० (४८) ५०३ अ. गुरुगुण छत्रीशी भाषान्तर रु. ०-८-० (१७) ५८० अ. चरित्रसार रु. ०-८-० (८४४) ५८३ अ. चातुरमासका महत्व हिन्दी रु. ०-२-० (६) ५८८ अ. चारित्रपूजा हिन्दी रु. ०-६-० (६) ५९५ अ. चिकागो प्रश्नोत्तर उर्दु ०-१२-० (४८) ६२२ अ. चोरासी प्रबंध गद्य श्री राजशेखर सूरिकृत रु. ६-०.० ६३६ अ. चंदनबाला महासतीचं चरित्र रु.०-३-० (६)[(८४४) ६८१ अ. जयविजय कथा रु. ०-३-० (६) ६८३ अ. जयानंद केवली रास. रु. १-०-० (६) ७३९ अ. जीवनचरित्र महावीरस्वामी उर्दु रु. ०-२-० (४८) For Private And Personal Use Only Page #360 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जैन] २५५ [ ज्ञाता ,, ब. , श्रीमद विज्यानंदसूरि हिन्दी रु. ०-२-० (४८) ७५६ अ. जैन इतिहास भाग १-२ रु. ०-१-० दरेकनो (४८) ८२८ अ. जैनधर्मकी अनेकान्तात्मिकता हिन्दी रु..-०-९ (४८) ८३० अ. जैनधर्मके सिद्धान्त हिन्दी रु. ०-०-६ (४८) ८७७ अ. जैनफीलोसोफी हिन्दी रु. ०-०-९ (४८) ८८२ अ. जैनभक्ति आदर्श हिन्दी रु. ०-०-६ (४८) ८९० अ. जैनमतसार तथा हिन्दु मतसार उर्दु रु. ०-२-९(४८) ८३० ब. जैनधर्मको अहिंसातत्व हिन्दी रु. ०-१-० (६) ८९६ अ. जैन मेघदुत रु. २-०-० पत्र १७६ सं. १९८० (१७) •८९८ अ. जैन रामाशण हिन्दी रु. ३-०-० (४८) ९११ अ. जैनवार्तिक वृत्ति सहित काशी रु. १-१२-० (८४४). ९१६ अ. जैन विविध ढाळ संग्रह हिन्दी रु. ०-८-० (६) ९२७ अ. जैन शिक्षणमाला पहेली चोपडी गु. ०-४-० (६) ,, ब.. , बीजी चोपडी ,, ०-६-० (६) ९६० अ. जैन सुबोध भक्तिमाला गु. रु. ०-५-० (६) ९७० अ. जैन स्त्री रत्नो गु. रु. १-०-० (६) ९७२ अ. जैन स्तुति चरित्र गु. रु. ०-८-० (६) १०१४ अ. जंबुद्वीप प्रज्ञप्ति, शान्तिचंद्र बाचकेन्द्र विहित विवरण. रु. २५-०-० (८४४) ३०४५ ज्ञाताधर्मकथाङ्गम् अभयदेवसूरिसूत्रित विवरण युक्त. रु. १-१२-० (२८, १६) , बालाव बोध, (५०) बाबुवाल. " " सटीक. (५०) ३०४६ ज्ञाताधर्मकथा. (२४, १२) For Private And Personal Use Only Page #361 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra ज्ञता ] . २५६ ३०४७ ज्ञातासूत्र मूळ, टीका, अर्थ युक्त. www.kobatirth.org " ३०४८ ज्ञातासूत्र सटीक ( पाना ) रु. १ - १२-० ३०४९ ज्ञान थोकडा भा. १-२-३-४ भेट हिन्दी मारवाडी. ३०५० ज्ञान दर्पण. रु. ०–४–० [ (४३) ३०५१ ज्ञान निबन्ध, ( जुओ यशोविजयजी ग्रंथमाला ( सभा ) ) ३०५२ ज्ञाननो बगीचो. भा. १-२-३ रु. १-१-० (इ. १८९०) ३०५३ ज्ञान पच्चीसी ( जुओ आत्महितोपदेश ) [ (३६२) ३०५४ ज्ञान पंचमी. रु. ०-६-० "" Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कथा गं. नं. १३ (७३, १९७ ) फ्री. (६) " अने तेनुं उद्यापन मावजी दामजी शाह इ० १९८० उपदेश, कथा, प्रकार, विधि अने उद्यापन पद्धति सहित रु. ०-४-० (७९९ ) कथा (५०) 59 कीमत नथी. (२१) ३०५५ ज्ञानप्रकाश प्रकरण कर्ता हुकममुनिजी महाराज. सं. १९४७ ३०५६ ज्ञान बहुमान स्तुति. ( जुओ देवचंद भा. २ वि . १ ) ३०५७ ज्ञानबाजी ( सादी ) रु००-२-० ३०५८ ज्ञानबिन्दु ज्ञाननुं लक्षण ( संस्कृत ) ( १४, ४७, १०, ६ ) ३०५९ ज्ञानभूषण हुकम मुनि, (२१) ३०६० ज्ञानमाला भा. १-२ भेट. ( ८०० ) ३०६१ ज्ञानमंजरी टीका. २ सं. १७९६ का. सुद. ५ नवानगर ( जामनगर ) ( जुओ देवचंद भा. २ वि. १. लो. ) ३०६२ ज्ञानविमल सूरि चरित्र ( प्रत ) मुक्तिविमल कृत. रु. ३०६३ बनविलास. हुकममुनि, (२१) [ ०-४-० (७३) ३०६४ ज्ञान शितळ बिलास. मा. १ लो. सं. १९६५-६६ रु. ०–८-० (१०३, ८०१, ८०२, २१ ) [ ज्ञान For Private And Personal Use Only Page #362 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २५७ [ज्ञानाव भा, २ जो. (५०, १०३, ८०१, ८०२, २१) ३०६५ ज्ञानसार यशोविजय उपाध्याय कृत. (गंभीरविजय कृत. टीका युक्त ) सं. १७२८ ) बत्रीस अष्टक छे. पूर्णाष्टकादि. सं. १९६९ गं. नं. ३७ रु. १-०-० (१७, , भाषान्तर. भा. क. दीपचंद छगनलाल शाह. बी. ए प्र. कर्ता हरीचंद छगनलाल. भावनगर. वीजी आवृति. रु. १-०-० भा. क. (८०४) म.क. (८०५) " सटीक. (५०) , (अध्यात्मोपनिषद् ) सूत्र कर्ता. ऊ. यशोविजय तथा श्रावकविधि मूळ. कवि धनपाळ. भेट. (६७) , ज्ञानमंजरी टीका देवचंदजी टीकाकार यशोविजयजी कृत. (१७) , अष्टक अर्थ युक्त. रु. १-०-० । " , टीका यशोविजयजी कृत. पं. गंभीरवि जयजी गणि कृत टीका युक्त. रु. ०-१२-० (६) ३०६६ ज्ञानसार अष्टक टीका अधुरी रु. ०-१२-० ३०६७ ज्ञानसार बीजी टीका (पाना ) ( रत्न ३८) यशोविजय उपाध्याय संकलितम् देवभद्रमुनिकृत टीका. रु.१-०-० (१७) ३०६८ ज्ञानामृत काव्यकुंज (अपूर्व अध्यात्म ग्रंथ) गुजराती ज्ञान सार अष्टक गध, पय अनुवाद सहित. रु. ०-१२-० आ. प्र. ग्रा. भेट (१७) ३०६९ ज्ञानावली मूळ भाषा हिन्दी सह. रु. ४-०-० (३२५) 33 For Private And Personal Use Only Page #363 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ज्ञाना] २५८ [नवतत्व ३०७० ज्ञानावली प्रथमखंड संग्रहकर्ता सेताबचंद नहार बहादूर. सं. १९६६ त्रीजी आरति हिन्दी धार्मिक रास सइशाय ( अलभ्य ) ( २८३, ३६६, १०४ ) , द्वितीयखंड. रु. १-४-० सं. १९६२ लभ्य. (२८३, ३६६, १०४) [१-०-० (६) ११६८ अ. दश वैकालीक सूत्र टीकार्नु भाषान्तर भाग १ लो रु. ११५२ अ. दया दर्पण हिन्दी. रु. ०-०-१ (४८-०) ११७७ अ. दानप्रदीप भाषान्तर. रु. ३-०-० पत्र ४९६ भा. क. पं. चतुर विजय महाराज. (१७) ११८८ अ. दिल्लगीका बस्ता नसीहतोका गुलदस्ता उर्दू, रु. ०-१-३ (४८) १२०१ अ. दूलभकाव्य कलोल गु. रु. १-३-० (६) १२०४ अ. देवगुरु धर्मका स्वरुप उर्दू रु. ०-१-६ (४८) १२२४ अ. देवेन्द्र नरकेन्द्र प्रकरण वृत्तियुत रु. १-८-० (८४४) १२४५ अ. दोढसो गाथार्नु स्तवन गुजराति रु. २-०-० (६) १२७१ अ. द्रौपदी हिन्दी रु. ०-१-३ (४८) । १२९० अ. धनपाल पुरीहित याने तिलकमंजरी रु. ०.४.०(३६९) १२९५ अ. धन्यकथानकम् रु. ०-५-० (८४४) १३०० अ. धम्मिल कुमालचरित्र शास्त्री रु. १-०-० (६) १३०४ अ. धर्मकी जड सदा हरी उर्दू रू. ०-०-६ (४८) १३०८ अ. धर्मदत्तकथा संस्कृत रु. ०-२-० (६) १३२१ अ. धर्मबिन्दु भाषान्तर गु. रु. १-२-० (६) १३३३ अ. धर्मविधिपकरण माघधी रु. १-८-० (६) १३७३ अ. नयचक्र संग्रह रु. १-४-० (८४३) १३९७ अ. नवतत्व याने जैन फिलोसोफी उर्दु रु. ०-६-०(४८) , ब. नवतत्व हिन्दी रु. ०-४-० (४८-०) For Private And Personal Use Only Page #364 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra नवपद ] २५९ [ पंचमी १४१२ अ. नवपद पूजा अर्थ साथै नवपदयंत्र तथा मंडलना फोटा साये रु. १- ४-० पत्र १५४ यशोविजयजी उपाधाय कृत. सं. १९८१ (६) १४१७ अ. नवस्मरण सचित्र भावार्थ साथै गु. रु. २-०-० (६) १४२५ अ. नळदमयंती उपाख्यान सं. रु. १-०-० (६) १४२७ अ. नेमनाथ चरित्र भाषान्तर रु.२-०-० पृ.२३२ (१७) १५६८ अ. पर्युषण महात्म्य बालावबोध रु. १1010 (६) १५९५ अ. पान्डव चरित्र शुभवर्धन गणिकृत रु. ३-०-० ( ०४४) १६०५ अ. पारसचरित्र उर्दू रु. ०-१-३ (४८) १६१२ अ. पार्श्वनाथ चरित्र वादिराज सूरिकृत (८४४) १६२१ अ. पाली शब्दकोष गप दीपिका पाल रु.५-०-० (६) १६२६ अ. पिंड निर्युक्ति भद्रबाहु स्वामि प्रणीत सभाष्य की. रु. ३-८-० (८४४) १६५५ अ. पूजासंग्रह हिन्दी रु. ०- १२-० (४८) ब. ** ?? आत्मवल्लभकृत रु. १-८-० पत्र ४८४ आचार्य वल्लभबिजयकृत सं. १९८१ (१७) १६६७ अ. पूर्वतीर्थ स्तवनावली हिन्दी रु. ०-४-० (४८) १६६९ अ. पेंतीसबोल हिन्दी रु. ०-४-० (४८) १६७० १ पंचकल्याणक पूजा रु० ०-१० हिन्दी (४८) 77 ?? >> **** " www.kobatirth.org " Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 97 २ पंच निर्ग्रथी रु. ०-८-० पत्र ५६ सं. १९७४ (१७) ३ पंचपरमेष्टि गुणमाळा भाषान्तर रु. १-८-० (१७) ४ पंचप्रतिक्रमणसूत्र अचळगच्छ १-८-० (६) ५ खरतरगच्छ २-४-० (६) विधिगच्छ ५-०-० (६) ६ 97 ७ पंचलिंगी प्रकरण सं. रु.२-८-० (६) ८ पंचमीकहा इतिहासीक ग्रंथ रु. ६-०-० (८४४) For Private And Personal Use Only Page #365 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रकरण] १६७२ अं. प्रकरणे पुष्पमाला पुष्प १ लो रु. ०-६-० (१७) १६७३ अ. प्रकरण मुखसिन्धु प्रथम भाग सं. गु...-८-० (६) " ब. , बीजो भाग, ,, १-८-० (६) ,, क. प्रकरण संग्रह भाग २ हिन्दी रु. १-०-० (६) ,, ड. प्रतिमा छत्रीशी हिन्दी रु. ०-०-६ (४८) १६७४ अ. प्रबुद्ध रोहिणेय नाटक रु. ०-६-० पत्र ९६ सं. १९७४ (१७) १६७५ अ. प्रभाविक चरित्र रु. १-८-० (८४४) १६७६ अ. प्रमाण निर्माण रु. ०-७-० (८४४) १६८७ अ. प्रवचन सारोद्धार भाग २ जो भाषान्तर प्रा. गु. रु. ४-४-० (६) , ब. प्रश्नपद्धति सं. रु. ०-२-० (६) १६८७ क. प्रश्नोत्तर रत्नमाळा हिन्दी रु. ०-२-६ (४८) , ड. प्राकृत शब्द महाणेव कोष भाग १-२-३ वकील केश वलाल प्रेमचंद मोदी अमदाबाद तथा(६)हरगोविंददास. , इ. प्राचीन चार कर्मगंथ सटीक रु. २-८-० पत्र २२२ सं. १९७२ (१७) ,, फ. प्राचीन जैन लेखसंग्रह भाग २ जो शास्त्री तथा गु. रु. ३-८-० बुद्धिसागरसूरि. १८७९ अ. बचपनकी शादी उर्दू रु. ०-०-६ (४८) १९०१ अ. बुटदेवकी स्तुति, या देशी जूतेकी फरियाद हिन्दी रु. १९१५ अ. बोधवचनो शास्त्री रु. ०-२-० (६) [०-०-३(४८) १९४० अ. भक्तामर और कल्याणमंदिर स्तोत्र अर्थ सहित हिन्दी रु. ०-२-० १९४२ अ. भक्तिमाला पृ. १५० रु. ०-८-० (३६९) For Private And Personal Use Only Page #366 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir भगवती] [रिसाला १९४३ अ. भगवती आराधना मागधी हिन्दी अर्थ भावार्थ साये रु. ५-०-० (६) १९४४ अ. भजन मंजूषा हिन्दी रु. ०-०-९ (४८) १९४९ अ. भजन विलास हिन्दी रु. ०-२-६ (४८) . १९५६ अ. भद्रबाहु और कल्पसूत्र हिन्दी रु. ०-२-० (४८) १९७० अ. भावनाभुषण गु रु. ०-१२-० (६) १९९८ अ. भोज प्रबंध भाषान्तर गु. रु. ०-८-० (६) २००२ अ. मदनरेखा सतीनी चोपाइ रु. ०-१-० (६) २००५ अ. मनुष्य कर्त्तव्य हिन्दी रु. ०-०-९ (४८) २०१५ अ. महर्षि गुणमाळा हिन्दी रु. ०-०-६ (४८) २०१८ अ. महाराणी रुषभसेना उर्दू रु. ०-१-० (४८) २०४८ अ. महासती सीताजी हिन्दी रु. ०-३-० (४८) २०७५ अ. मुख्तसिर जीवन चरित्र श्री विज्यानंदमूरि उर्दू रु. २०९२ अ. मेरीभावना हिन्दी (४८) [०-०-६ (४८) २०९५ अ. मैथिली कल्याण नाटक रु. ०-६-० (८४४) २११४ अ. मंडलप्रकरण स्वोपज्ञ वृत्तिसहित रु. ०-४-० (८४४) २१३८ अ. यशोबिजय विरचित १५० गाथानु स्तवन गु. (६) रु. ०-४-० २१६३. अ. रघुनाथजी स्वामीनुं जीवनचरित्र गु. रु.०-८-० (६) २१७४ अ. रत्नमाला (शिक्षाप्रदभजन) हिन्दी रु.०-१-६ (४८) , ब. , , उर्दू रु. ०-१-३ (४८) २१८७ अ. रत्नाकर पच्चीसी (पद्यमय) हिन्दी रु. ०-१-६ (४८) २२८८ अ. रिसाला मुर्तिमंडन उर्दू रु. ०-४-० (४८) , ब. , हिन्दी रु. ०-४-० (४८) For Private And Personal Use Only Page #367 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir रुपकि 1 २६२ २२२९ अ. रूपकिशोर हिन्दी रु. ०-१-० (४८) २२३१ अ. रुपसुंदरी हिन्दी रु. ०-२-६ (४८) २२४३ अ. लधीयस्त्रयादि संग्रह मूळ रु. ०-८-० (८४४) २२५५ अ. बालजी गुरु १-०-० (६) २२५६ अ. लाहौर में श्री विजयसेनसुरिकी पधरामणी हिन्दी रु. ०-१-० (४८) २२७९ अ. वर्णबोध हिन्दी रु. ०-१-३ (४८) २२८२ अ. वर्धमांनदेशना राजकीर्तिसूरिकृत रु. ८-०-० (८४४) २२९४ अ. विकटजाल हिन्दी रु००-१-३ (४८) २३०५ अ. विजयचंद केवळी चरित्र रु०० - ६-० (६) २३०९ अ. विजयधर्मसूरि चरित्र इंग्लीश रु. ४-८-० (६) २३१२ अ. विजयसेनसूरि हिन्दी रु.०-१-० (४८) २३३६ अ. विमलशाह चरित्र इन्द्रहंसगणिकृत रु. १-८-० (८४४) २३४२ अ. विविध पूजासंग्रह शास्त्री भावनगरनी रु. १-०-० ( ६ ) सचित्र भाग १ थी ७ गु. रु. ब. For Private And Personal Use Only [ वेदान्त 77 ३-१२-० (६) २३५० अ. विवेकविलास सचित्र गु. रु. २-४-० (६) २३६५ अ. विश्वलोचन कोष, मागधी हिन्दी रु. १-७-० (६) २३७६ अ. वीरचंद राघवजी गांधीका जीवनचरित्र हिन्दी रु. ०-४-० (४८) २३७९ अ. वीरबाळ स्तवनावली भाग १ लो गु. रु. ० - २ - ६ (६) २३८१ अ. वीरशीरोमणि वस्तुपाल किंवा पाटणनी चढती पडती गु. रु.२-०-० (६) २३८४ अ. वीर हनुमान हिन्दी रु. ०-१-० (४८) २३८६ अ. वीसस्थानक तप तथा पूजाविधि शास्त्रि रु. १-४-० (६) २३९३ अ. वेदान्त विचार हिन्दी रु. ०-१-६ (४८) Page #368 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २६३ वैराग्य] [ सप्तभंगी २३९८ अ. वैराग्य शतक भाषान्तर सहित शास्त्री मूळ तथा भा० रु. ०-१२-० (६) २४०६ अ. व्याख्यान तिलक हिन्दी रु. ०-०-३ (४८) २४४१ अ. शत्रुजय महात्म्य. जर्मनी रु. १०-०-० (८४४) , ब. , तीर्थ महात्म्य शाह फ० रु. ०-८-० (६) २४५४ अ. शब्दार्णव चन्द्रिका (जैनेन्द्र लघुत्ति) सं. रू.३-४-० २४६० अ. शहिनशाह अकबर और हीरविजयसूरि उर्दू रु. २४६४ अ. शान्तिनाथ चरित्र भाषान्तर गु. रु. २-०-० (६) २४६९ अ. शारीरिक केलवणी गु. रु. ०-१-२ (६) २४९१ अ. शीघ्रषोध हिन्दी रु. ०-२-० (४८) २५०० अ. शीलवती सती कथा सं. रु. ०-२-० (४८) " ब. , हिन्दी रु. ०-१-६ (४८) २५६३ अ. श्रीपाल चरित्र सत्यराजगणि विरचित रु. १-४-० (८४४) , ब. , रु. ०-४-० (१७-३६९) २५६६ अ. श्रीमाली वाणीआओनी ज्ञातिनाभेद गु. रु.३.०००(६) २५६९ अ. श्री हीरविजयमूरि हिन्दी (४८) [१-२-० (६) २६०३ अ. सचित्र रामायण अथवा आपणा आदर्शो गु. रु. , ब. सच्चा बलिदान हिन्दी रु. ०-२-० (४८) २६१४ अ. सती दमयंति रु. ०-३-• हिन्दी (४८) २६२१ अ. सत्य हरिश्चंद्र हिन्दी रु. ०-६-० (४८) २६३६ अ. सप्तभंगी नय हिन्दी रु. ०-१-० (४८) ,, ब. , मुनिश्री जिनविजयजीकी भूमिका सहित रु. ०-१-० (४८) For Private And Personal Use Only Page #369 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org सप्तव्यसन ] २६४ [ सुमति "" क. सप्तव्यसन निषेध हिन्दी रू००-४-० (६) २६७२ अ. समाजके अध: पतनके कारण और उन्नतिके उपाय हिन्दी रु. ०-२-० (४८) २६७९ अ. समाधिशतक हिन्दी रु. ०-२-० ܕ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir " ब. समुचित शिक्षा १ ला भाग ( ब्रह्मचर्य ) हिन्दी रु. ०-१-० (४८) २६८१ अ. समेदशीखरजीनो प्रवास गु. रु. ०-२-३ (६) २७०५ अ. सरस्वती विगेरेनी कथा रु. ०-४-० (६) २७१४ अ. साची टेकनी गेबी फतेह अथवा ( कान्हड कठीआरो) गु. रु. ०–१२–० (६) २७३५ अ. सामायकसूत्र अर्थ साथै हिन्दी रु. ०-३-० (६) २७६० अ. सिद्धसेनदीवाकरसूरि याने विक्रमना समयनुं हिन्द पाकु बाइन्डींग पृ. ३०४ रु. १-८-० (३६९) २७७६ अ. सिद्धाचळ संघ प्रयाण तथा गहुलीसंग्रह रु. ०-४-० रु. १-८-० (६) २७९० अ. सीमंधर स्वामी विनतिरुप सज्जायो गु. रु.०-२-० (६) २७९७ अ. सुक्तमुक्तावली विगेरे शास्त्री रु. ०-१०-० (६) २८०६ अ. सुखा हुवा चमन कैसे हरा हो सक्ता है (हम और हमारा फर्ज ) उर्दू रु. ० - १-६ (४८) २८१५ अ. सुंदर राजानी सुंदर भावनाओ याने शीलसत्वनी क सोटी मनहर विजयकृत रु. १-०-० ( विद्याशाळा अमदावाद ) ब. सुंदर विलास हिन्दी रु. ०-२० (४८) उर्दू रु. ०-१-६ (४८) क. " " २८४२ अ. सुमति स्तवन संग्रह हिन्दी रु. ०-६-० (६) For Private And Personal Use Only Page #370 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra सुरपाल ] २६५ [ इंसराज २८४७ अ. सुरपाल विगेरेनी कथा रु० ०-३-० (६) २८४२ अ. सुमति स्तवन संग्रह हिन्दी रु. ०६-० (४८) २८४६ अ. सूरत में जयन्ति महोत्सव हिन्दी (४८) २८८८ अ. सौभाग्य रत्नमाला हिन्दी रु. ०-९-० (४८) ब. संखेश्वर पार्श्वनाथ चरित्र पृ. २५६ रु. १-८-० (३६९) २९०५ अ. संबोध सत्तरी गु. रु.०-३-० (६) 79 www.kobatirth.org २६८३ अ. सम्पत्तितर्क प्रकरणम् ( गुजरात पुरातत्व ग्रंथावली ) सिद्धसेन दिवाकर प्रणितम् जैन श्वेताम्बर राजगच्छीय प्रद्युम्नसूरि शिष्य - तर्क पंचानन श्रीमद् अभयदेवसूरि निर्मितया तत्वबोध विधायिन्या व्याख्या विभूषितम् प्रथमो विभाग रु. १०-०-० पुरातत्वमंदिर अमदाबाद. २९२९ अ. स्तवनसंग्रह तथा बारह मासा हिन्दी रु. ००२.० (४८) २९४४ अ. स्तोत्रसंग्रह अवचूरि तथा वंकचूलियासूत्र सारांस शास्त्री रु. ०-४-० (६) " २९९२ अ. स्थूलभद्र चरित्र पृ. ५०रु० ०-३-० (६) • ब. हिन्दी रु. ०-२-६ (४८) Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 99 ܕ क. "" 99 २९८१ अ. हरिचंद्र कथा सं. रु.०-८-० (६) २९८२ अ. हरिभद्र समय निर्णय सं. ०-४-० (६) ब. " ३०२३ अ. हीराचंद्रकान्त गु. रु. १-०-० (६) ३०३२ अ. हंसराज बच्छराज कथा सं. रु.०-८-० (६) जयानंद सूरिकृत रु. १-८-० (८४४) सूरि चरित्र काशी रु. ०–८-० (८४४) For Private And Personal Use Only Page #371 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir For Private And Personal Use Only Page #372 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 267 एक फ्रेन्च विद्वान डॉ. गरीनो ए इसीसने १८९५ नी साल सुधी जैन ग्रंथोनी नोध लीधेलो ते उपरथी कर्ता वार-ग्रांथ तथा शीलालेख जे छपाइ गया छे तेनी याद Auteurs et Ouvrages. 1 Adhidvipano nakso........... 2 Ajitaasantistavanadi carasmaranono....... 3 Alpabetical Index of Mss. in oriental M88. Library Madras.......... 4 ALWIS, J. The six Tirtaka........ 5 ANANDAJI KHETASI Juinaprabodha pustka................ 6 ANANTACHRYA, P.-B, Ed. Saptabhangitaraugini de Vimala dast..... 7 - Ed. Sarvdarsanasiromani de Rama nujacarya................ 8 ANDERSON, J. Catalogue and Hand-book of the Collectons in the Indian museum (Callcutta)........ 9 Annual Progress Report of the Archæological Survey Circle, North Westrn Procinces and Oudh.... 10 Annual Progress Report of the Archaeological Survey Circle Panjab and United Provinces................... 11 Annual Report of the Archæological Survey, Bengal Circle 12 Archaeological Survey, of India. Annual Report 1802-03 13 ARIEL, E. Kur al de Tiruvalluvar, fragments. 14 - Tiruvalluvar tcharitra ........... 15 Atmarajana........... 16 AUERECHT, Th. Catlocguc sk. mas in Trinity College Cambridge............. Catalogus catalogorum........ Catalogus sk mss. Biblothccao Bodleianae....... Florentine sk. mss....... Katalog d. sl. Handschriften der Univaesita tbibliothek Leipzig........... 21 - wei Erzahlunger............. . . . . . ... . . For Private And Personal Use Only Page #373 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 32 268 22 - Zwei Eozahlungen aus der Bharatakadvatri ncatika und dem Katharnnva .... 23 BALABHI CHAGANLALA, Jaini kakko............... 24 BALFOUR E. Cyclopædia of India...................... 25 BALLINI, A Agadatta............ Un ciclo anedotlico del Sultano Firuz II del Parcacatiprabodhasamband hah........ Ed. Pancacatl-Prabodha sambadhal......... La Upamitabhavaprapanca Kuthur di Sid dharsi....... 28 BARRIGUE de FONTAINIEU G. de Le livre de l' Amour de Tirouvallouva........... 29 BRATH, A. M. Buhler et la tradition jaina................ 30 - Bulletin des religions de l'Inde. Juinisme.... Roligione de l'Inde.............. - Religions of India, trad. J. WOOD.............. 33 BEAL, S. Si-yu-ki. Buddhist Rceords of the Westeon World .............. 34 BEAMES, J. Outlines of indian Philology... 35 BEAUCHAMP, H. K. Voir Dubois, J.-A. 36 BACANARAMA TRIPATHI. Ed. Balutblarata d'Amarrcandra 37 BENARASI Dass, L. Lecture on Jainism....................... 38 BANDALL, C. Ancient Indian Sects and Orders mentioned Buddhist Writer's............ 39 Catalogue sko mss. Briiish Museum....... 40 - Journey in Nepal and Northern India ....... 41 BENETT, W.-C. Netes connected with Sahet Mahet ......... 42- BERTFEY Tb. Indien .............. 43 BERTRAND, A Dictionnaire des religions.............. 44 BAAGWANLAL INDRAJI. Antiquarian Ramains at Sopara and Padana............. The Hathigumpha thece ouher inscriptions in the Udayayiri Caves.. A new Yadava Dynasty.. et J. BURGESS. Kahaun Inscription of Ska ndagupta. ............ Vir BURGESS, J....... For Private And Personal Use Only Page #374 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 269 53 .. . . 57 49 BAANDART VIRACAND BHUTAJI. Vinati patra ............... 50 BHANDARKAR, D.-R. Epigraphic notes and questions........ 51 Gurjaras........................ 52 BHANDARKAR, R.-G. Early History of the Dekkan....... A Peep into the early History of India. ................. 54 The Prakrits and the Apabhramsa. Principal results of my studies in sk. mss. and literature.... 56 Report on the search for mss. 1882-83...... 1883-84...... 58 1884-87...... 59 1887-91...... 60 BHANDARKAR, S.-R. Crtalogue of the Collections of mos in the Deccan College..... 61 Report on sl. mss. in Central India. 62 BAAU DAJI, Brief Notes on Hemachandra............... 63 The Inroads of the Scythians into India.... Merutunga's Therovali............. 65 - Report on photographic copies of inscrip tions in Dharucar and Mysore...... On the sanskrit Poet, Kalidasa...... 67 BAIMASIMHA MANAKA El. Bhaktamarastotra ............... 68 - Jivavicara....... 69 Navatattva........ 70 - Samayika-Pratikramanasutra Jainakavyaprakasa........ 72 Laghu-pralcarana-samgraha............... Prakarana-ratnakara. 74 BHURABHAI BEHECAR JOSI. Astapailaji bimba pratistha... 75 Biggs, Col. Voir FERGUSSON, J....... 76 BIRD, J. Historical Researches on Bauddha and Jaina raligions................ 77 BJORNSTJERNA. British Empire in the East................. BLACK, F.-G. Voir SMITH, V.-A......... 34 64 ........... 66 71 73 For Private And Personal Use Only Page #375 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 270 78 BLOCH, Th. Vararuci und Hemncandra.............. 79 BLONAY, G. de. Histoire de Sanamkumara. 80 BOHTLINGK, O. Bemerkungeu zu Ginakirti's K'ampaka Icathanaka...................................... 81 et Cb. RIEU. Ed. Abhidhanacintamani de Hemacandra......... 82 BOSE, R-C. Hindu Philosophy.................................. 83 BOWER, H. Introduction to the Nannul.............. 84 BOWRING, L. (Traces of Jains in Mysore)................. 85 BOYER, A,-M. L'epoque de Kaniskn......... 86 BRIGGS, H.-G. the cities of Gujarashtra..................... 87 BROADLEY, A.-M. the buddhistic Remains of Bihar.. 88 On identification of Pleces in Magadha 89 BROWN, Cb.-P. Cyclic tables of hindu and mahomedan Chronology.............. 90 BUCHANAN HAMILTON, F. Description of jaina Temples En South Bihar and Bhagalpur 91 The Srawac or jaing......... BUHLER, G. On the Age of the Naishada-Charita......... 93 Additional Remarks on the Age of the Naishadiya......................................... 94 On the Authenticity of the jaina tradition 95 The Author of the Paialachhi. 96 On the cclebrated Bhandar of sk. mas at essalmir........................................... 97 98 III III.1 11 99 100 101 On the Chandikasataka of Banábhatta... The Desisabdasamgraha of Hemachandra... Digambara jainas............................... Dr, Fuhrer's excavations at Mathura...... Dr. Stein's discovery of a jaina temple, desccribed by Hiuen Triang............... Ed. Paiyalacchi Namamalu de Dhanapala Ed. Vikramankadevacarita de Bilhana...... 102 108 For Private And Personal Use Only Page #376 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 271 Eleven Land-grants of the Chaulukyas of Anhilvad........ Epigraphicdis Ceverees at Mathura........... Further jaina inscriptions from Mathura Further proofs of the Antheuticity of the aina tradition................................. Indische Palaeographie............. Die indische Secte der Jaina.................. The indian Sect of the Jains, trad. J. BURGESS.......... The Jagaduchrita of Sarvananda....... A Jaina Account of the End of the Va ghelas of Gujarat............. The Jaina inscription in the temple of Baijnath at Kiragrama..... The Jaina inscriptions from Satrunjaya Jaina Sculpturs from Mathura............ Ueber das Leben Jaina Monches Hmachandra Legend of the Jaina Stupa at Mathura... Lexicographical notes Dharmavahika...... Meaning of iti and cha...................... Miscellaneous Notes.......... New Excavations in Mathura. New Jaina incriptions from Mathura...... On the pedestal of an image of Parsva natha in the Kangra Bazar............ On Prakrit Glossar Paiyalachhi............ Prasasti of the temple of Vadipura-Pars vicii atha at Pattana......... Pushpanuitre Up Push yunitu ?.......... RccLsieb: .-G. I HANDARKAR, Reports on sk 7.88. 1882 83, 1883 8+ FETE150N, 100 kiezur to on sk. 1188............................ Report on ok. mss. 1869........ - 1870-71............. 124 125 126 127 1:8 129 180 For Private And Personal Use Only Page #377 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 872 . 1872-73.................... 181 1871-72....... 132 183 1873-74.................... 184 1874–75........... 135 1879-80....... 136 Report on sk. mss. in Kasmir, Rajputana and Central India............. 137 Sammlung con sk. und pk. Handschriften fur die Wiener Universitat.................. 138 Specimens of Jaina Sculptures from Mathura 139 Das Sukritasamkirtana des Arisimha...... 140 - The Sukritusa'mkärtana of Arisimha, trad. J. BURGESS.......... 141 Three new Edicts of Asoka............... 142 Two Lists of sk. mss........................ 143 Voir PISCHEL, R. 144 BURGESS, J. The ancient Monuments, Temples and Sculptures of India........ 145 The Dharasinva Roclc Temples ............... 146 Digambaru Jaina Iconography............... 147 Extracts from the Journal of C. Mackenzie's Pandit .............................. 148 Gujarat and Rajputana................. 149 The Iconography of the Digambara Jains. 160 Lists of the antiquarian remains in the Bombay Presidency.............. 151 On the Muhammadan Architecture in Gujarat............................................ 152 The Muhammudun Architecture of Ahmeda bad.............................. 153 Note on Jain Mythology........................ 154 Notes of' a visit to Satrunjaya hill......... 155 Notes of a visit to Somnath Girnar......... 156 Notes on hindu Astronomy............ :II1 III For Private And Personal Use Only Page #378 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra 157 158 159 160 161 162 163 164 165 166 167 168 169 T 1 171 www.kobatirth.org - # 278 Papers on Satrunjaya and the Jains....... Report of the first season's operations in the Belgam and Kaladgi Districts...... Report on the Antiquities in the Bidar and Aurangabad Districts.......... Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir Report on the Antiquities of Kathiawad and Kachh...on.. Report on the Elura Cave temples and the brahmanical and jaina Caves in Western India..... et Lewis RICE. The Merkara Plates......... Voir BHAGWANLAL INDRAJI; EUHLER, G.; FERGUSSON, J; FUHRER, A.; GRUNWEDEL, A., et WEBER, A. 170 BURNELL, A-C On the Aindra School of sanskrit Gram ................................ Somanath, Girnar, Junagadh.. Supara, Surparaka, EORHAPA............... Tamil and sanskrit Inscriptions.......... The Temples of Satrunjaya................................................ et BHAGWANLAL INDRAJI Inscriptions from the Cavetemples of Western India et H. COUSENS The architectural Antiquities of Northern Gujarat...... Revised Lists of antiquarian remains in the Bombay Presidency marians.... Classified Index to sk. mss in the Palace at Tanjore On the colossal Jain statue at Karkala......... Elements of South-India Palæography.. 172 173 174 BURNES, A. Account of the Jain Temples on Mcurt Abu 175 Notice of a remarkable Hospital for Animals at Surat................................................................. *******. For Private And Personal Use Only ********* ***** *****.. ***** 244... Page #379 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir UV8ION............... ................. 176 BURNOUF, E. Introduction a rhistoire du Buddhisme indien................*** 177 BUTERAYA. Muphatti vise carca...... 178 CALDWELL, R, A comparative Grammar of the Dravidian Languages........................ 174 CAMANLAL SANKALCAND MARFATIYA Jain Ramayana... 180 CAMPAT RAE. Qaumi Apil.. "Oz Apil............... 181 Caritrasangrahdu................ 182 Catalogue of sk mss. in the Lahore Division... 183 Catalogue of sk. mss. Sanskrit College Benares. 184 Census of India, 1881....... 185 1891........ 186 1901..... 187 CHALMERS, The Jains.......... 188 CHANTEPIE de la SAUSSAYE. Lehrbuch des Religions geschichte................... Manuel d'Histoire des re ligions, orad. H. HUB ERT et I. LEVY......... 189 Classified List of sk mss. Library Bombay Branch R. A. Society Bhagwanlal Indraji Collection..................... 190 COLEBROOKE, B-T. Inscription at temples of the Jaino Sect in South Bihar.. 191 Miscellaneous Essay: ........ 198 Observations on the Sect of Jains. 193 on the philosophy of the Hinius 194 Essais sur la philosophie des Hind ous, trat. G. PAUTHIER......... 195 Collection of Prakrit and Sanskrit Inscriptions......... 196 CONOLLY, E Observations upon the condition of Ujjaijani 197 COPLESTON, R, S. Papers on the first fifty Ja'akas...... 198 M'CORKELL, G. A Legend of old Belyam.................. 199 Corpus inscriptionum indicarum. Voir CUNNINGHAM, A., et FLEET, J.-E............ For Private And Personal Use Only Page #380 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 278 200 COUSENS, H. Lists of antiquarian remains in His High ness Nizam's Territories........... 201 Lists of antiquarian remains in the Central 202 Provinces and Berar......... 203 Notes on Bijapur and Satrunjaya................ 204 Voir BURGESS, J. 205 COWELL, E.-B. Prakrit-Grammar of Varrruchi......... 206 Short introduction to the ordinary Prakrit 207 - et A.-E GOUGH Trad. Sarva-darsana samgraha 208 CROOKE, W. An introduction to tke popular religion and rolklore of Northe n India. 208 - The tribes anil castes of tke North-Western Provinces and Oud'.............. 210 CUNNINGHAM, A Archælogical Survey of India; Reports 211 Book of indian Era ..... 212 Corpus inscriptionum indicarum. I. Inscriptions of Asoka................ 213 CUST, R. Religions et ngues de l'Inde..................... 214 DAHLMANN, J. Buddha.............. 815 - Das Mahabharata als Epos uud Re chtsbuch................ 216 DALTON, E.-T. Descriptive Ethnology of Bengal............ 217 DAMODARA LAL Gosvami. Ed. Saddarsanasamuccaya de Haribhadra...... 218 Ed. Syadvadamanjari de Mal lisena........... 219 DELAMAINE, J. The Srawacs or Jains.. 220 DELIUS, N. Radices pracriticae.. 221 DEVIPRASADA Voir NESFIELD, J-O. 222 DÄRUVA, H A copperplate Grant of King Trilocha napala............. 223 The Dohad Inscription of the Chaulukya King Jayasimha-Deva....... The Nadole Inscription of King Alhanadero 224 For Private And Personal Use Only Page #381 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra 225 226 227 233 www.kobatirth.org 228 DIPACAND DEVACAND et JAVERI CHAGANLAL Siddhacalanum varnana... 229 DowSON, J. Ancient Inscriptions from Mathura....... On the geographical Limits, History and Chronology of the Chera Kingdom......... 230 276 Prasastis of Nanaka.. Sanskrit Grants and Inscriptions of Gujrat Kings.......... DHUNDHIRAJ SASTRI Catalogue of sk. mss in North Western Provinces..... 231 DROPATTI. Arithant-puja-khandana........ 282 DUBOIS, J.-A. Maurs, institutions et ceremonies des peuples de l'Inde..... Hindu manners, customs and ceremonies, trad. H.-K. BEAUCHAMP... 239 Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 234 DUBOIS de JANCIGNY et X RAYMOND Inde... 235 DUFF, C. M. Chronology of India........... DULICAND PAKSIKA. Bats abhaksya tyaga.. Jaina Yatradarpana.... 236 237 238 - DURGAPRASADA, P. et K.-P. PARAB, Ed. Dharmasarmabhyudaya de Haricandra.... Kavyamala, Part V Part VII 240 DURGAPRASADA, P. Voir MAHAMAHOPADHYAYA. 241 DUTT, R-Ch. Hostory of civilization in ancient India... 242 Dvadasakosa-Samgraha.. 243 The Dvaiasharaya.. 244 EGGELING, J. et E. WINDISCH. Catalogue of sk. mss. Library India Office......... races of the North 245 ELLIOT, H-M. Memoirs on the Western Provinces of India... 246 ELLIOT, W. Hindu Inscriptions........ 247 ELPHINSTONE, M. History of India.... 248 Epigraphia carnatica Voir RICE, Lewis. For Private And Personal Use Only Page #382 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra ********* 249 Epigraphia indica................. 250 ETTINGHAUSEN, M -L. Harsa Vardhana empereur et poete 251 Famed Rikhabnath... 252 FEER, L. Nataputta et les Niganthas.. Tirthikas et Bouddhistes... 253 254 FEIGL, H. Buddha und Jina.......... 262 263 264 265 266 www.kobatirth.org 267 268 277 269 270 271 257 258 255 FEISTMANTEL, O. Die Sekte der Dschains.................................. 256 FERGUSSON, J. History of indian and eastern Architecture On the rock-cut Temples of India... et J. BURGESS, The Cave Temples of India PIGOU, A. NEILL, Col. BIGGS et Col. TAYLOR. Architecture in Dharwar and Mysore......... 259 272 273 274 275 | | | | 260 FICK, R Eine jainistische Bearbeitung der Sagara-Sage 261 FLEET, J.-F. Bhadrabahu, Chandragupta, and Sravana Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ****** ********* ......... ************ ******* Belgola. Corpus inscriptionum indicarum. III. Inscriptions of the early Gupta Kings and their successors...... Epigraphic Researches in Mysore............ Inscri tions at Ablur..... Inscriptions at Bail Hongal........... Kaluchumbarru Grant of VijayadityaAmma II. Nisidhi and Gudda......... Note on a Jain inscription at Mathura... Notes on Indian History and Geography Sanskrit and Old Canarese Inscriptions... On some Sanskrit Copper-plates found in Belgaum........ For Private And Personal Use Only ************** Spurious Sudi copper-plate Grant......... Sravana-Belgola Epitaph of Marasimha II Prabhachandra Two Passages from the Acharatika......... ૩૬ Page #383 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra 276 285 1:3 277 FORBES, A.-K. Puttun Somnath....... Ras Mala.... 278 279 FOUCAUX, Ed. La guirlande precieuse des demandes et des reponses.............. 280 FOUCHER, A. L'art greco-bouddhique du Gandhara...... Voir OLDENBERG, H. 281 282 FOULKES, Th. The Pallavas.......... 283 FRANCIS, W. Madras District Gazetteers........... 284 FRANCKLIN, W. The temple of Parsuanat'ha at Samet Sikhar..... www.kobatirth.org 289 290 278 ― Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir et H.-V. LIMAYA. Translations of inscript ions from Belgaum, Kalaagi, Kathiawad and Kacch 286 FRANKE, R.-O. Ed. Linganusasana de Hemacandra... 287 Die indischen Genusechren..... 288 FUIRER, A. The monumental antiquities and inscriptions in the North-Western Provinces and Oudh - ********............ Tenets and Doctrines of the Jeynes and Boodhists......... Pabhosa Inscriptions......... E.-W. SMITH et J. BURGESS. The Sharqi architecture of Jaunpur.... 291 LAYAVOC, A. Trad. grecque du Balabharata d'Amaracandra.... 292 GANDHI, V.-R. Contribution of Jainism to philosophy, history and progress.. ******.............. For Private And Personal Use Only 293 294 GARBE, R. Samkhya und Yoga..... 295 Gazetteer of the Bombay Presidency............ 296 Genealogical Tree illustrating the Chronology of the Jain Religion....... 297 GERSON da CUNHA, J. Notes on the History and Antiquities of Chaul... 298 G ESON, A-C. Voir GRUNWEDEL, A. History and religion of the Jains......... Page #384 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 300 279 299 GOLDSCHMIDT, S. Bildungen aus Passive-Stammen in Prakrt........ Der Infinitiv des Passive im Prakrt 301 Prakrtica................................ 302 Prakrtische miscellen...................... 303 GOUGH, A.-E. Papers relating to the collection and preservation of Records of sanskrit Literature........... 304 - Voir COWELL, E.-B. 305 GRANT, Ch. Gazetteer of the Central Provinces......... 306 GRIERSON, G.-A, The modern vernacular literature of Hindustan..................... 307 Recension: R. HOERNLE, Uvasagadasao 308 - R. PISCHEL, Grammatik der Prakrit-Sprachen... 309 Voir SENART, E., et WEBER, A. 310 GROWSE, F-S. Mathura Inscriptions.... 311 GRUNWEDEL, A. Buddhistische Kunst in Indien......... 312 - Buddhist Art in India, trad. A.-C. GIBSON et J. BURGESS.................. 313 GUBERNATIS, A. de. Le iscrizioni del Kathiavar......... 314 GUERINOT, A. La doctrine des etres vivants dans la religion jaina........... 315 - Le Jivaviyara de Santisuri.......... 316 GULAL CHAND. Jainism. 28 Labdhees or Miraculous powers............... 317 HAACK, A. Trad. Kirtikaumudi de Somesvaradt va...... 318 HALL, F. Contribution towards an index to the biblio graphy of the indian philosophical systems 319 Ed. Vasavadatta de Subandbu ........... 320 HARDY, Ed. Indische Religionsgeschichte........ 321 HARIDAS SASTRI. A Note on Vimala............... 322 HARI RAMAJI. Grabhasangraha............. 323 HATTHI SIMHA, Anjanasilakanam dhaliyam.......... 324 HENRY, V. Les litteratures de l'Inde...... ................. ..................... For Private And Personal Use Only Page #385 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ........... 337 280 325 HERTEL, J. Uber Amitagatis Subhasitasamdohau.......... 326 Uber dis Jaina-Rezensionen des Pancatantra 327 - Eine vierte Jaina-des Pancatantra......... 328 Voir SCHMIDT, R. 329 HEWITT, J.-F. Notes on the early History of Northern India............. 330 HIRANANDA SHASTRI, Jaina - Images from Tonk... 331 HOEFER, A. De Prakrita dialecto................ 332 HOLLER, P. Manual of Indian Literature.................. 333 HOPKINS, E.-W. Notes from India............... 334 - Religions of India................. 335 HOERNLE, R. Ed. Prakrta Lakshanam or Chanda's Gra. m mar....................................... 336 Ed. et Trad. Uvasagadasao.................. The Gurjara Empire........................... 338 Jainism and Buddhism ........................ 339 The Patiavali of the Upakesa - Gachchha... 310 Two Pattavalis of the Sarasvali-Gachchha 341 Three further Pattavalis of the Dägambaras 342 et A. STARK, A History of india......... 343 HUBERT, H. Voir CHANTEPIE de la SAUSSAYE. 344 HUET, G. Voir KERN, H. 845 HUKM MUNIJI. Adhyatma-prakarana-sangraha......... 346 Jnanaprakasa-prakarana-sangraha .... 347 HULTZSCH, E. Inscriptions on the three Jaina Colossi of Southern India............ 348 Jaîna rock-inscriptions at Vallimalai... 349 Reports on sk, mss. in Southern India... 350 Sammlung indischer Handschriften and Inschriften........................... 361 South-indian Inscripticns. Vol. I......... 952 Vol. III... 353 Sravana-Belgola Epitaph of Mallishena. 1:11 For Private And Personal Use Only Page #386 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra 354 28% Two inscriptions from Cunningham's Reports........... 355 Two Jaina inscriptions of Irugappa...... 356 HUNTER, W.-W. The Imperial Gazetteer of India...... 357 IMFEY, E. Description of a Colossal Jain Figure......... 358 Inscriptions on Jain images from Central India......... ISWARCHANDRA VIDYASAGARA. Ed. Sarvadarsanasamgraha......... 359 372 373 374 362 360 JACOB, G-A. Notes on Alankara Literature............... 361 JACOBI, H. Der Akzent im Mittelindischen......... Anandhavardhana and the date of Magha... Ausgewahlte Erzahlungen in Maharashtri... Betonung in Sanskrit und Prakrit.......... On Bharavi and Magha...... 363 364 365 366 367 Ueber den Cloka im Pali und Prakrit...... Die Cobhana Stutayas des Cobhana Muni... Ed. Ayaramga Sutta......... 368 369 Ed. Kalpasutra....... ******** 370 Ed. Sthaviravali Charita or Parisishtaparvan 371 JACOBI, H. Entstehung der Cvetambara und Digambara Sekten... 375 www.kobatirth.org 376 377 378 379 380 381 Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir Entwicklungd indischen Metrik........... Zur genesis der Prakritsprachen.......... Indische Hypermetra und hypermetrische Texte......... Die Jaina Legende von dem Untergange Dvaravatt's und von dem Tode Krishna's Jaina Sutras translated.. Ueber den Jainismus und die Verehrung Krischna's.............. For Private And Personal Use Only ...... ..................******* Das Kalakacarya-Kathanakam. Ueber Kalacoka-Udayin.......... Liste von indischen Handschriften...... On Mahavira and his Predecessor............. ....... ............................... ......................... Page #387 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra 382 383 384 385 386 387 388 389 390 391 www.kobatirth.org C 182 Miscellen........... Das quantitatsgesets in den prakrtsprachen... Recension: S.J. WARREN, Nirayavaliyasuttam Ueber unregelmassige passiva im Prakrit... Upamitabhavaprapancae kathae specimen... Ueber vocaleinschub und vocalisirung des y im pali und prakrit... Zusatzliches zu meiner Abhandlung; Ueber die Entstehung der Cvetambara und Digambara Sekten....... Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir Zwei Jaina-Stotra.......... Voir KERN, H. et PETERSON, P........ JAGMANDER LAL JAINI. Some Notes on Digambara Jaina 399 Jaina prarthanamala......... 400 Juind-sastra-katha-sangraha... ********* ***** Iconography..... 392 Jainadharma dilkus stavanavali.................................................................. 393 Jainadharma jnana pradipaka pustaka.... 394 Juinadharma-jnanuprakasaka....... 395 Jaina dharma sara sangraha........... 336 Jaina dharma siddhanta sara pustaka................... 397 Jainakatharatnakosa........... .................28... 398 Jaina-kavya-sara-sangraha......... .......................... .........R For Private And Personal Use Only ........ ....................... ************ .........................................**.*** 401 Jainastotrasangraha............. 402 Jambudvipano nakso........................................................................................................................... JAVERASAGARA. Jinamurti pujapradipa............. ********* 403 404 JAVERI CHAGANLALA. Voir DIPACAND DEVACAND..... 405 Jindpujddigrantha......... 406 JULIEN, St. Histoire de la Vie de Hiouen-Thsang. Memoires de Hiouen-Thsang... 407 408 KALIVAR VEDANTAVAGIS et RAM DAS SEN. Ed. Abhidhana **......................... cintamani de Hemacandra. 409 KASHI NATH KUNTE. Report on sk, mss. in Punjab, 1880–81 410 1881-82 Page #388 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 285 417 411 KATHAVATE A.-V, Ed. Kirtikaumudi de Somesvaradeva 412 Report on the search for sk. mss. 1891-95................. 413 KAVI RAYCAND, Trad, bindie du Ralpasutra........... 414 Kavyamala Voir DURGAPRASADA, P. et K.-P. PARAB. 415 KEARNS, J. F. Archæology in North Tinnevelli............ 416 KERN, H Geschiedenis van het Buddhisme in Indie... Der Buddhismus und seine Geschichte in Indien, trad. H. JACOBI ........ 418 - Histoire du Bouddhisme dans l'Inde, trad. G. HUET.............. 419 - Manual of iudian Buddhism................... 420 - Over eenige Tijdstippen der indische Geschiedenis 421 KJAKHAR, D-P. Castes and Tribs in Kachh............... 422 - Report on the architectural and arch æological remains in the province of the Kachh.. 425 KIELHORN, F. Account of Hemchandra's Sanskrit Gra mmar ......... 424 Ainole înscription of Pulikesin II...... 425 Ancient palm-leaf Mss............ 426 Bamani inscription of the Silahara Vi jayaditya............ 427 Dubkund stone inscription of the Kachchha paghata vilcramasimha........... On the Grammar of Sakatayana......... 429 Inscriptions from Khajuraho......... On the Jainendra-Vyakarana........... On a Jaina statue in the Horniman Museum.......... 432 Kolhapur inscription of the Silahara Vijayaditya..................... 433 Konnur spurious inscription of Amogha varsha I........ 434 Lists of sk. mss 1877-78, 1879-80,1881-82 Il 4.28 ! 43 ..... 1 1 For Private And Personal Use Only Page #389 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 284 435 ........ a. . . . . . A Note on one of the Inscriptions at Sravana Belgola.............. 436 Report on sk. mss. 1869-70.................. 437 1881-81................... 438 Die Sakatayana Grammatik............ 439 Three inscriptions from Northern India 440 KIRSTE, J. Ed. Dhatupatha de Hemacandra............. 441 Ed. Unadiganasutra de Hemacandre......... 442 Epilegomena zu Hemachandra's Unadiga nasutra.................. 443 Hamsakhyayika........................ 494 Ueber Hemacandra's Dhatupatha........... 445 Inscriptions from Northern Gujarat......... 446 Notes de paleographie indienne........... 447 KIRTANE, N.-J. The Hammira Mahakavya of Naya chandra Suri ............ 448 KITTEL, F. Ed. Sabdamanidarpana de Kesitaja.. 449 - Old Kanarese Literature.................. 450 - Three Kongu Inscriptions................ 451 - Ursprung des Lingakultus in indien......... 452 KITTS, E-J. Report on Census of Berar, 1881............ 453 KLATT, J. Eine apokryphe Pattavali der Jains....... 454 The date of the poet Magha.............. 455 Dhanapala's Rishabhapancacika............ 456 Extracts from the historical Records of tke Jains.............. 457 - The Samachari-Satakam and Pattavalis of the Anachala-Gachchha and other Gaoh. chhas............................................... 458 Specimen of a Jaina-Onomasticon............ 459 - Surparakd.................................... 460 KRISHNA MAHABALA. Ed. Pralcrat vyakarana de Homa candra............. 461 KRISHNA SASTRI, H. Karkala inscription of Bhairava II. 462 KUHN, E. Der Mann in Brunnen..... .... For Private And Personal Use Only Page #390 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra 463 KUNTE, M. Nirvana.. 464 KUPPUSWAMI SASTRI, T.-S. Ed. Gadyacintamani de ***** 465 KUPPUSWAMI SASTRI, T.-S. Ed. Ksatracudamani de Vadibhasimha.............................................. 466 LABHAVIJAYA. Jainakavyasangraha................................................................... 467 LAMAIRESSE, E. L'Inde apres le Bouddha......... 468 LA MAZELIERE, Mis de. Essai sur l'evolution de la civilisation indienne.......... Moines et ascetes indiens......... www.kobatirth.org 480 481 482 285 469 470 LANMAN, Ch.-R. Voir STEN, KONOW. 471 LAOUENAN, Fr. Du Brahmanisme et de ses rapports avec le Judaisme et le Christianisme........ 483 484 485 486 472 LASSEN, Ch. Indische Alterthumskunde....... Translation from Lassen's Alterthums kunde, par E. REHATSEK.. 473 Institutions linguae pracriticae......... 487 Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 488 Vadibhasimha... 474 475 Lavanisangraha......................... 476 LAZARUS, J. Trad. du Nannul... 477 LE BON, Dr. G. Les civilisations de l'Inde...... Les monuments de l'Inde.............. 478 W J --- *******. 479 LEUMANN, E. Die alten Berichte von den Schismen der Jaina..... ******* ********** *******........... For Private And Personal Use Only *****....... ... Die Avasyaka-Erzahlungen.... Ueber die Avacyaka-Literatur............... Beziehungen der Jaina-Literatur zu andern Literaturkreisen Indiens........................................ *****........... Billige Jaina-Drucke........... Dasavakalika sutra und niryukti, Ed. Aupapatika Sutra...... Die Hamburger und Oxforder Handschriften des Pancatantra........................................ Jinabhadra's Jitakalpa, mit Auszugen aus Siddhasena's Curni........ Die Legende von Citta und Sambhuta...... ૩૭ Page #391 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 286 489 Liste von Abschriften und Anzugen aus der Jaïna-Literatur ............... 490 LEUMANN, E. Prabhacandra's Epitaph................. 491 Recension: G. BOHLER, Leben des Jaina Monches............................ 499 Hemachandra... 493 R. HOERNLE, Uvasagadasao... 494 MAX MULLER, India, what can it teach us ?............. 495 Zum siebenten Kapitel von Amitagati's Su bhasitasamdoha............. 496 Strassburg Collection of Digambara Manus cripts......................... 497 Zwei weitere Kalaka-Legenden................... 498 LEVI, Sylvain Djainisme............. 499 Les donations religieuses des rois de Valabhi........ 500 La science des religions et les religions de l'Inde .......... 501 LEVY, I. Voir CHANTEPIE de la SAUSSAYE. 502 LIMAYA, H-V. Voir FLEET, J-F. 503 List of ancient monuments in Bengal............... 504 List of mss in Sane krit College, Benares, 1897-1901... 505 1902...... 506 LORD, P.-B. Letter to Sir Alex. Johnston.................. 507 LOVARINI, E. La novellina gainion del re Papabuddhi... 508 LUDERS, H. Epigraphical Notes.................... 509 Kadaba plates of Prabhutavarsha......... 510 Srarana-Belgola inscription of Irugapa... 511 MACDONELL, A. History of Sanskrit Literature.. 512 MACKENZIE, C. Account of the Jains. 518 MACKENZIE, S.-F. The temple at Halabid................. 514 Sravana Belligola................... 515 MAHAMAHOPADHYAYA et P DURGAPRASADA. Ed. Candran prabhacarita de Viranandin. ce 1 r u e . ..... ........ ...... ............ For Private And Personal Use Only Page #392 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org 287 ........ 516 MAINDRON, M. L'art indien.......... 517 MARTINENGO-CESARESCO. The jaina precept of non-killing 518 MAX MULLER. A history of ancient sanskrit Literature India, what can it teach us? 519 520 MEYER, J.-J. Dandin's Dacakumaracaritam ubersetzt. 521 529 Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir Kavyasamgraha.......... 525 522 MILES, W. Jainas of Gujerat and Marwar.. 523 MILLETT, M. Some modern Jain Sects...... 524 MILLOUE, L. de Conferences au Musee Guimet...... Essai sur la religion des Jains.. Etude sur le mythe de Vrisabha...... Histoire des religions de l'Inde......... Introduction au Catalogue du Musee Guimet... 526 527 528 et SENATHI RAJA, W. Essai sur le Jainisme par un Jain...... 530 MIRONOW, N. Die Dharmapariksa des Amitagati.. 531 Modern Jain Antipathy to Brahmans............. 532 MONIER WILLIAMS, M. Hinduism...... 533 ...... Religious Thought and Life in India.. 534 Remarks on the Jains............ 535 MORRIS, R. Notes on some Pali and Jaina-Prakrit words.... 536 MUIR, J. On the Era of Buddha and the Asoka Inscriptions......... 537 Original sanskrit texts. 538 MUKHARJI, P.-C. An independent hindu view of buddhist Chronology..... For Private And Personal Use Only 539 MUKHARJI, T.-N. Art-Manufactures of India.......... 540 MULLER, E. Beitrage zur Grammatik des Jainaprakrit 541 MURRAY-AYNSLEY, G. M. The asiatic Symbolism........ 542 NANA DADAJI. Stavanasangraha................. 543 NANA KOLEKAR. Bhajana sadbodha malika......... 544 NANAK CAND Jinapujasangraha................................... *****... *******... Page #393 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 288 w ..... $45 NANAK CANDRAJI. Padaratnavali........... 546 NANDARCIKAR, G.-R. Ed. Raghuvansa de Kalidasa...... 547 NARASIMHACHAR, R. Ed. Kavyavalokana de Nagavarman 548 NATHA LALUBŲAI. Mahoti pujasangraha..... 549 NEILL, A. Voir FERGUSSON, J. 550 NESFIELD, J.-C. et DEVIPRASADA. Catalogue of sk. mss. in Oudh............... et RAJENDRALALA MI TRA. List of sk. mss. in Oudh, 1876....... 551 NEVILL, H.-R. District Gazetteers of the United Provin ces of Agra and Oudh.. 552 New Jaina Temple at Palitana........... 553 NILMANI MUKHOI ADHYAYA, Sahityaparicaya; an Intro duction to Sanskrit Lite. rature.......................... 654 Notes on Inscriptions in Kacch............. 555 OLDENBERG, H. Buddha, sein Leben, seine Lehre, seine Gemeinde.......................... 556 Le Buddha, sa vie, sn doctrine, sa com munaute, trad. A. FOUCHER..... 557 Recension: H. JACOBI, Kalpasutra...... 558 Der vedische Kalender und das Alter des Veda.................... 559 OLDHAM, C.-F. Serpent-Worship in India.................. 560 OPPERT, G. Ed. Sakatayana's Grammar.................. 561 - Lists of sk. mss. in Southern India......... 562 ORELLI, C. von. Allyemeine Religionsgeschichte.. 563 OZHA, V.-G. The Somnathpattan Prasasti of Bhava Brihaspati.....................* 564 PADMARAJA. Smrtisangraha.................... 565 A Treatise on Juin Law and Usages...... 566 PARAB, K.-P. Ed. Hirasaubhagya de Devavimal&....... 567 Voir DURGAPRASADA, P.; SASTRÍ, Bh., et SIVADATTA, P............ For Private And Personal Use Only Page #394 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra 570 571 572 573 574 575 676 577 289 569 568 PATHAK, K.-B. Bhartrihari and Kumarita............... The date of Mahavira's Nirvana, as determined in Saka 1175............. The date of Trivikrama.............................................................. Ed. Kavirajamargga de Nrpatungs..... Explanation of term Palidhvaja......... On the Jaina Poem Raghavapandaviya Note on the early Kadamba Inscriptions Nripatunga's Kavirajamarga....... An Old Kanarese Inscription at Terdal A Passage in the Jain Harivamsa relating to the Guptas........ The position of Kumarila in Digambara Jaina Literature..... Pujyapada and the Authorship of the Jainendra-Vyakarana.... 578 579 580 PAUTHIER, G. 581 PAVIE, Tb. La 582 PAVOLINI, P.-E. 583 584 585 586 587 588 589 590 591 592 www.kobatirth.org des Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir Voir COLEBROOKE, H.-T. legende de Padmani... Appunti di novellistica indiana......... Bharatakadvatrincika.......... Il compendio dei cinque elementi. Pancatthiyasam-ganasuttam..... Eroine brammaniche in un novelliere ..... For Private And Personal Use Only giainico......... Meghadutiana......... Sulla leggenda deì quattro Pratyekabuddha..... La novella di Brahmadatta secondo la versione di Hemacandra.......... La novella di Brahmadatta tradotta ed annotata... Le novelline pracrite di Mandiya e di Agaladatta....... Una redazione pracrita della Pracnottararatnamala....... .......... Gli scritti di Somaprabhacarya....... ....... *******...* Page #395 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 290 593 Una suktavali giainica anonima........ 594 Venti strofe del Gathakoca di Muni candrasuri.... 595 Vicende del tipo di Muladeva......... 596 PETERSON, P. Detailed Report on sk. mss. 1882-83...... 597 Second 1883-84..... 598 Third 1884-86.... 599 Fourth 1886-92.... 600 Fifth 1892-95...... 601 Sixth 1895-98...... 602 et H. JACOBI. Ed. Upamitibhavaprapan ca Katha............ 603 PHILLIPS, M. The seven Pagodas............... 604 PIGOU. Voir FERGUSSON, J. 605 PISCHEL, R. Der Akzent des Prakrit............. 606 PISCHEL, R. Die decicabdas bei Trivikrama..... 607 De grammaticis pracriticis.......... 608 Ed. Hemacandra's Grammatik der Prakrit sprachen....................... 609 - Grammatik der Prakrit-Sprachen......... 610 Gutmann und Gutweib in Indien......... 611 et G. BUHLER. Ed. Desinamamala de Hemacandr&....... 612 POINTET, J. Voir WARREN, S.-J. 613 POPE, G.-U. The Naladiyar...... 614 - Notes on the Kurral.......... 615 The sacred Kurra Tiruvalluva...... 616 Prakaran-mala....................................................... 617 Prakarand-sangraha....................................... ...... 618 Prarthanavali.........: 619 PREMCHAND MODY, K. Ed. Prasamarati d'Umasvati... Ed. Tattvarthadhigama...... 621 PRINSEP, J. Essays on indian Antiquities....... 622 - Note on inscriptions at Udayagiri and Khandgiri in Cuttack............... 623 Progress Report of the Archeological Survey of Western India... 620 For Private And Personal Use Only Page #396 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra 626 627 628 629 630 625 624 PULLE, F.-L. La cartografia antica dell' India........... Catalogo dei manoscritti gianici di Firenze. Florentine Jaina manuscripts............. Della letteratura dei G'aina.............. Les manuscrits de l'Extra-Siddhanta de 631 632 633 639 www.kobatirth.org 640 641 642 291 649 Shatdarcanasamuccayasutram............................................ 634 PURUSHOTTAMA KAKAL. Astotri sanatra mahotsava...... 635 RAJARAM BODAS, M. Historical Survey of Indian Logic 636 RAJENDRALALA MITRA. The Antiquities of Orissa...... 637 Buddha Gaya......................... 638 Catalogue of sk. mss. of the 650 Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir Florence.............................................................................................................. I novellieri gianici.......... Originali indiani della novella Ariosted nel XXVIII canto del Furioso......... Un progenitore indiano del Bertoldo...... Satdarcanasamuccaya-tika........ Notice of sk. mss.... Report on sk. mss. 1874......... Sanskrit buddhist Literature of Nepal.................. 643 Voir NESFIELD, J.-C. 644 RAMACANDRA DINANATHA. Ed. Prabandhacintamani de ***** ....................... Maharaja of Bikaner........ Notes on Sanskrit Inscriptions from Mathura.... Merutunga........ 645 RAM DAS SEN. Voir KALIVAR VEDANTAVAGIS. 646 RAYMOND, X. Voir DUBOIS de JANCIGNY. 647 REA, A. Chalukyan Architecture.......... 648 ........................... For Private And Personal Use Only ................................... *****ONTUO Liste of ancient Monuments in the Madras Presidency....... List of architectural and archaeological remains in Coorg............ South indian buddhist Antiquities................ .... ********... ............. Page #397 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 292 . . . . . . 651 RECLUS, Elisee. Nouvelle geographie universelle, Indo et Indo-Chine........ 652 Report regarding the archeological remains in Sindh. 653 Rhys Davids, T.- W. Buddhisni, its History and Literature........................* 654 History of Indidn Buddhism. 655 Indian Sects or Schools in the time of the Buddha............ 656 Rice, Lewis. Bhadra Bahu and Sravana Belgola......... 657 Catalogue of sk. mss. in Mysore and Coorg 658 Early History of Kannada Literature... 659 Early Kannada Authors.............. 660 Ed. Karnataka-Bhasha-Bh:shana de Naga varman.......................................... 661 Ed. Pampa Bharata............................ 662 Ed. Pampa Ramayana..... 663 Epigraphia carnatica. I. Coorg inscrip tions............ 664 Inscriptions at Sravana Bel. gola............ 665 III-IV. Inscriptions in the Mysore District......... 666 V. Ins. Hassan District. 667 VI. Ins, Kadur District. 668 VII-VIII. Ins. Shimoga District... 669 IX, Ins. Bangalore District... 670 Ins. Kolar District....... 671 Ins. Chitald roog District. 672 Ins. Tumkur District...... ill 1111 I IIIIII XI. XII. For Private And Personal Use Only Page #398 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 298 IIIIII 681 682 673 The Ganga Inscriptions in Coorg............ 674 A Jaina-Vaishnava Compact................. 676 Jain Inscription at Sravana Belgola...... 676 Mysore.......................... 677 Mysore and Coorg..................... 878 Mysore inscription translated............... 679 Nagamangala copper plate Inscription... 680 The Poet Pampa. A Rashtrakuta Grant from Mysore.. Voir BURGESS, J. 688 RICKHAH DASS JANI. Doctrines of Jainism............... 684 RIBU, Ch. Voir BOHTLINGK, O............... 685 ROCKHILL, W.-W. Life of the Buddha.............. 886 ROUSSELET, L. L'Inde des Rajahs............ 687 ROWLAND, J. Mount Abu............... 688 Sajaydmala..................... 889 SAMINADEIYA. Ed. Sindnmani....... 690 Samskrta-pujapatha........ 891 Sanatana-Jainagrantha-mala........... 692 SANKALCAND MAHASUKHARAMA. Dilkus staranvali....... 693 Pujusangraha... 694 SASTRI, Bh. et K-P. PARAB ED. Subhasitaratnusam doha d'Amitagadi................ 695 Satrunjaya tirthamala............... 096 BCHMIDT, R. The Kavyamala Edition of Amitagati's Subhasitasamdoha, ................ 697 - et. J. HERTEL. Amitagati's Subhasitasam doha. ........ 698 SCHRADER, F.-O. Uber den Stand der indischen Philo sophie zur Zeit Mahaviras und Buddhas.................................... 699 SCHROEDER, L von. Indiens Literature und Cultur... 700 SOHUBRING, W. Das Kalpa-sutra..... 701 SENART, E. Les inscriptions de Piyadasi.......... 703 - The inscriptions of Piyadari, trad G.-A: GRIERSON........ For Private And Personal Use Only Page #399 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 294 703 SENATHI RAJA, W. Voir MILLOUE, L. de. - 704 SESHAGIRI SASTRI. Report on sk. and tamil mss. 1893-94 705 1896-97 706 SEWELL, R. List of inscriptions and sketch of the Dyua sties of Southern Indid........................ 707 - List of the antiquarian remain in the Presidency of Madrds........................ 708 SHANKAR PANDURANG PANDIT. Ed. Gandavaho de Vakpati 709 Ed. kumarpalacharita de Hemacandra................ 710 SHERRING, A. Hindu tribes and castes...................... 711 SINCLAIR, W-F Notes on Castes in the Dekhan......... 712 SITABCAND NAHAR. Jaina stavanavali... 713 SIVADATTA, P. et K.-P. PARAB. Abhidhana-Samgraha....... 714 Ed. Balabharata d'Amar acandra. 715 - Dvisandhana de Dha. napjaya................. 716 - Kavyanusana de Hemcandra........... 717 Kavynnusasana de Vagbhata............ 718 - Neminirvana de.. Vagbhata............. 719 Vagbhatalamkara...... - Yasaxtilaka de Somadov............ Slokasdngraha....... 722 SMALL, G. Handboole of sanskrit Literature................ 723 SMITH, E-W. Voir FUHRER, A. 124 SMITA, V.-A. The early History of India................. 725 The Jain Stupa and other Antiquities of Mathura......................... 726. The Kushan, or Indo-Scythian, Period of Indian History........... 720 For Private And Personal Use Only Page #400 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra 7,28.; 729 295 727 SMITH, V.-A. Notes on the Bhars and other early Inhabitants of Bundelkhand........... Vaisali 739 6 www.kobatirth.org 741 Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 730 SMYTH, W.; Voir WEBER, A. 731 SPENCE, HARDY, R Eastern Monachism......... 732 STARK, A. Voir HOERNLE, R.. 733 Statistical Atlas of India....... 734 STEFANI, L. de La novellina jainica di Madiravati...... 735 Nota alla novellina di Madirvati......... 736 STEIN, A. Notes on an archaeological tour in South Bihar and Hazaribagh............ 737 STEINTHAL, P. Specimen der Nayadhammakaha......... 738 STEN KONOW. Maharashtri and Marathi........ 738 Recension: R. PISCHEL, Grammatik der Prakrit Sprachen........ et Ch.-R. LANMAN. Ed. Karpura-manjari de Rajasekhara.. 740 STEVENSON, J. On the Intermixture of Buddhism with Brahmanism......... et F.-C. BLACK.. Observations Chandel Antiquities.......... ―― on For Private And Personal Use Only some ................................... Some Remarks on Relation between the Jain and Brahmanical systems of Geography...... 742 743 Tithyas or Tirthakas................................ Trad. Kalpa Sutra and Nava Tatva... 744 STIRLING, A. An Account of Orissa Proper, or Cuttack. 745 SUALI, L. Ed. Sudarsanasamuccaya.......................................................... Il Lokatattranirnaya di Haribhadra... I sistemi filosofici nell India alla fine del secolo XIV.......... 746 747 **********................ ................... ****** ............ 748, SULTAN SINGH JAINI. Account of the Jains in India... 749. SYAMSUNDAR DAS. Report on hindi ms. 1900...... 1901............ 750. 751 TAMODARAMPILLEI. Ed. Sulamaní.......... ................. Page #401 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 296 758 152 TAWNEY, O.-H. A Folklore Parallel.......................... 753 Kathakoca or Treasury of stories......... 754 Trad. Prabandhacintamani de Meru tunga............. 765 TAYLOR, Col. Voir FERGUSSON, J. 756 TAYLOR, W. Catalogue of m88. College Fort Saint George 757 TELANG, K.-T. Subandhu and Kumarila ............. - Three Kadamba Copperplates............... 759 THIBAUT, G. Astronomie, Astrologie und Mathematik... 760 - On the Suryaprajnapti............. 761 THOMAS, E. The early Faith of Asoka.................... 762 - Jainism............. 768 THORNTON, D. Parsi, Jaind, and Sikh.................. 764 THORNTON, E. Guzetteer of the East-India Company... 785 TOD, J. Annals and Antiquities of Rajasthan............ 766 - Comments on an Inscription at Madhucarghar 767 - Travels in Western India. 768 Umetanam dhaliyam........ 769 Varanasi-ridyamandira-pustakanam sucipatram......... 770 VAVIKAR, Y.-S. Some Remarks on the Svastika......... 771 VENKAYA, V. Jaina rock-inscriptions at Panchapand avamalai.................... 772 VIDYABHUSANA, S.-C. The Suraka Caste.... 773 VINSON, J. Un episode du poeme epique Sindamani...... 774 La grande epopee de l'Inde nravidlenne, le Sindamani.................... 778 Legende tamoule relative a l'auteur des Kur'at 776 Legendes bouddhistes et d jainas.................. 777 Litterature tamoule ancience; le Sindamani 778 le Srolamani.. 779 Manuel de la langue tamcule.................. 780 La religion des J'aina........... 781 Les religions actuelles......... 782 WADDELL, L-A. Discovery of the exact site of Pataliputra ............... ......... For Private And Personal Use Only Page #402 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 793 794 789 WALADUSE, M.-J. Archæological notes...................... 784 WARREN, S.-J. Ed. Nirayavaliyasuttam............ 785 Godsdienstige en wijsgeerige Begrigo pen der Jaina's......... 786 Les idees philosophiques et religieuses des Jainas, trad J. POINTET. 187 WARREN, W.F. Problems still consolved in Indo-Aryan Cosmology................ 788 WATHEN, W.-E. Ancient Inscriptions......................... 789 Ten ancient Inscriptions................... 780 WATSON, C. Rajputana District Gazetteers.................. 791 WEBER, A. Ahalya,' ' und Verwandtes...... 792 Akadeonische Vorlesungen uber indische Inte raturgeschichte........................ Ueber Bhuvanapala's Commentar zu Hala's Sapta.catakam................................... Ueber das Compakacreshtikathanka............. 795 Ueber das Catrunjaya Mahatmyam............ 796 - The Satrunjaya Mahatmyam, trad. J. BUR GESS..................... 797 Chronologische Notie ............ 798 Ueber einige Lalenburger Streiche.......... 799 Uber ein Fragment der Bhagavati............ 800 Ueber die heiligen Schriften der Jaina...... 801 - Sacred Literature of the Jains, trad. W. SMYTE................................................ 802 Zur indischen Roligionsgeschichte............ 803 WEBER, A. History of religion in India, trad. G.-A. GRIERSON........... 804 Ueber den Kupalcshokaucikaditya des Diarma sagara....................... 805 - Pancadandachattraprabandha ... 806 - Ueber die Pracnottararatndmala... Uber die Samyaktvakaumudi..... 808 - Das Saptdcatakam des Hala 807 For Private And Personal Use Only Page #403 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra 809 810 811 812 813 Ueber die Sinhasanadyatrincika......... Ueber die Suryaprajnapti......... Uber das Utlamacaritrakathanakam........ Verzeichniss der Sanskrit und Handschriften der K. Bibliothek zu Berlin. Prakrit 814 WHEELER, J-T. History of India........ 815 WHITWORTH, G-C. Anglo-indiam Dictionary......... 816 WICKREMASINGHE. Z. Index of the Prakrit Words in Pischel's Grammatik.......... www.kobatirth.org - 819 820 821 822 298 Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 817 WILSON, H.-H. Dictionary sanscrit and english............................. 818 Essays and Lectures on the religion of the Hindus ********.. The Mackenzie Collection...... Sanscrit Inscriptions at Abu........ Sketch on the religious sects of the Hiudus Two Lectures on the religious practices and opinions of the Hindus........ 823 WILSON, J. Memoir on the Cave-Temples and Monasteries of Western Indig....... 834 835 836 824 WINDISCH, E. Hemacandra's Yogacastra....... 825 ************* Ueber den sprachlichen Charakter des Pali Voir EGGELING, J. 826 827 WINTERNITZ, M. Nejamesha, Naigamesha Nemeso........ 828 WODEHOUSE, Ch. Sravaka Temple at Bauthli....... 829. WOOD, J. Voir BARTH, A. 830 WURM, P Geschchichte der indischen Religion........... 831 YAJNIK, J-U. Mount Abu and the Jain Temples of Dailwada.............. 832 ZACHARIE, Th. Ed. Anekarthasamgraha de Hemacandra 833 Epilegomena zu der Ausgabe des Anekarthasamgraha......... For Private And Personal Use Only Die indischen Worterbucher Das Jainendravyakaranam.. Die Nachtrage zu dem synonymiscon Worterbuch des Hemacandra............ Page #404 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 299 Dr. A. Guerinot, Repertoire D. Epigraphie Jaina. डॉ. अॅ. गेरीनो कृत. अपीग्राफी जैन. (जैन शिलालेखो.) आ ग्रंथमा इस्वी. १८९५ सुधीमां कया कया स्थळना केटला शिलालेखो. कया कया पुस्तकोमा छपाइ गया छे; तथा तेना अंग्रेजीविगेरे भाषाओमां तरजुमा थया छे. तेनी संपूर्ण नोंध लीधी छे तेमांथी मात्र स्थळ अने लेख संख्या नीचे मुजब छे. ( जुओ नं.) संख्या स्थळ संख्या स्थळ १ अबालवाडी (A balvadi) | ६ बाला गांव (बेल गांव) २ आबलुर Ablur Balagamve १७ आबु Abu १ बालेहोनुर Balehonur १ आदुर Adur १ बामणी Bamani ३ आइहील Aihole ६ बन्दालीक Pandalike १ बंदर Bandur ६ अजमेर २ बाङ्कापुर Bankapur. १ अलहल्ली Alahalli १ बरनगर १ अलसन्द्रा Alesandra १ बसवानपुर Basavanapar १ अलतेम Altem १ बास्टी Basti १ अमरापुरा (अमरपुर.) १ बास्टीपुरा Bastipura १ अनवेरी Anaveri ३ बावागंज Bawagang २ अनवालु Anevalu १ बेगुर Begur ९ अंगाडी Angadi . १ बेक्का Bekka ३ अणहीलवाड (पाटण) १ बेलावटी Belavatte १ जनगिरि १ बेलगांम Belguam १ अरसकेरे Arsikere १ बेलुर Belur १ बदामी Badami १ बेलुरु Beluru १ बहादुरपुर ... १ बेरामवाडी Berambadi १ बहल हॉगल Bail-Hongal | २ भीलरी Bhilri For Private And Personal Use Only Page #405 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra संख्या १ बीदार Bidre १ बीदरपुर Bidarpur २ बीजोली Bijoli १ बीलीडर १ बोगाडी Bogadi १ बोम्मणहल्ली Bomnaana halli स्थळ www.kobatirth.org १ ब्यान Byana १ खंभात Cambay १ चइतननाथ Chaitnath १ चाल्य Chalya १ चामराजनगर Chamraj nagar १ पात्रदल्ली Chatrada - halli १ चीदरवल्ली Chidarvalli ४ चीतोड ( राजपूताना . ) २ दणसाल Danasali १ देवनगर Davanagare १ देल्ही Delhi ३ देवगढ Deogarh ३ देवगिरि Devagiri १ देवालपुर Devalpur १ देवरहल्ली Devarhalli १ धर्मपुर १ दोदागुरु Didaguru १ दीलमाल Dilmal Dodda-Kanaguru १ दोहद Dohad २ बकुंड Dubkand 800 Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir संख्या स्थळ १ एचीगनहल्ली Echiga halli १ इलेवाला Elevala १ इलुरा Elura २ गेडी Gedi २६ गिरनार ( पर्वत ) ३ गोगा Gogga १ गोवरधनगिरि Govar - dhangiri १ गुबी Gubbi १ गुडीगेरे Gudigere १ गुण्डलुपेट Gundlupet २ गवाळीअर १ हडीकल्लु Haddikallu १ हागरहल्ली Hagalahalli १ डालेबेलगोला Hale-Bel - gola ९ डालेबीड Halebid ३ हालेसोराब ! Hole-Sorab ४ दालसी Halsi ६ हणसोज (चीका) Hana soge १ हंतुर Hanturu १ हराकर Harakery १ बारव Harave १ हन्ता Hanta १ हट्टन Hattana १ हेबन्डो Hebbande ४ हैग्री Hoggere १ हेमवती Homvati For Private And Personal Use Only Page #406 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 301 संख्या halli संख्या ३ हेरागु Heragu १ कालुचम्बर Kaluchum. ३हेरकेर Herekere barru २६ होरे अवाली Hire-Avali | १कालुगमाला Kaluguma२ हीरेहल्ली Hirehalli lai ३ होगेकर Hogekere १ कल्य Kalya २ होलेलकर Holalkere ३ कम्बावाल्ली Kambada. १ होनेनाहल्ली Honnona. halli - ३ कानवे Kanave १ होनुर Honnur १ काम्प्रा Kangra १होनवर Honvad २कन्थकोट Kanthkot १ होसाहोलालु Hosaholalu २ करदलु Karadala १ हल्लीगर Hulligere ३ कर्कल Karkala १ हुल्लुहल्ली Hulluhalli १ करगन्हा Karuganda १९ हुम्चा Humcha (२२) १ कसलगर Kasalagare १ हुनासिकट्टी Hunasikatti १ केलासुर Kelasuru १सुर Isure ११ खजुरा Khajuraho १ आवागल्लु Javagallu १ किरप्राम Kirgram २ जेसलमेर २ कोल्हपुर Kolapur १ कबालो Kabli १कोलुर Kolur १ करव Kadaba २ कोन्नुर Konnur काकोल Kadkoll २ कोनुर Konur १ करवन्ति Kadvanti १ कोपा Koppa १ कडुर Kadur १ कोठार Kothara १ कह उन Kahaun १ कुलगिरि Kulgeri १ कहवाल Kaidall १ कम्बरहल्ली Kunbara१कालसा Kalasa halli १ कलभावी Kalbhavi १कुम्बन हल्ली Kumben१ कलहोली Kalholi halli १ कल्लाबास्ति Kallabasti | १कुमती Kumsi १ कल्लुरगुहा Kallurgudda - कुप्पतर Kuppaturu 36 - -- For Private And Personal Use Only Page #407 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 802 संख्या स्थळ २ कयेतनहल्ली Kyatana halli ५ लक्ष्मेश्वर Lakshmeswar १ लोन्ड्रेस Londres १ मादलपुर Madalpur १ मदने Madane १ मेदनुर Madanur १ मद्दगिरि Maddagiri १ मद्रास Madras ६ मगड़ी (चोक्का) Magadi २ मगलुर (चीक) Magalur ८ महोबा Mahoba १ मलालकर 'Malalakare ११ मलेयर Maleyur २ मडावी Mandavi २ मान्न Manne १ मरकुली Markuli २ मसार Masar ८५ मथुरा Mathura : ३ मत्तावर Mattavara १ मेलीग Melige १ मरकारा Markara १ मुदहल्ली Mudahali ४ मुगुलुर Mugular १ मलगुन्ड Malgund ६ मुलुर Mullur १ मुनिच Munich १ मुटसंद्रा Mutsandra १ मुट्टत्ति Muttatti १ (मथुरा.) मटा संख्या स्थळ २ नादोल Nadol १ नागदा Nagada १ नाखुर Nakhur २ नल्लुर Nallur १ नन्दी Nandi १ नारलाइ Naralai . १ नरसीपुर Narasipur १ नसारजी Nesargi १ नीदीगी Nidigi २ नीदुगल्लु (पर्वत.) Ni dugallu : ३ नीतुरु:Nitturee २ नोना मंगलNonamaugala १ नवसारी Nosari. . ३ पभोस Pabhosa १ पालणपुर २ पांच पांडवामालाइ Pan ehapandareamalai, १ पंडितराहल्ली Pandita rahalli १ पटणा Patana १ पेगुरु Peggur ३ पुराली Purale २ राइबाग Raibag ३ राजगिर Raggir २ रामनगर (औध). Ram nagar १ राणपुर. Raupur . १ रावणदुर Ravandur २ रोहो Roho For Private And Personal Use Only Page #408 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra संख्या स्थळ १ सालिग्राम Saligram १ सन्डा Sanda www.kobatirth.org १ सारागुरु Saraguru ३ सोरोत्रा Sarotra ७७ शेजय ( पर्वत . ) ५ सुन्दत्ती Saundatti १ सम्बतुर Sembanur १ सोग्गांव Sigamvbe १ सोका Sikra २ सोन्डिगेरी Sirdigare १ शिरोही Sirohi ६ शिवगंज (पर्वत) Sivagangce ४ शियालबेट Siyal-bet ४ सोमवार Somavara १ सोराब Sorab ८८ श्रवणबेलगोला Sravana belgola १ सुडी Sudi २ सुहनीय Sueaniya १ सुकादर Sukadare १ सन्ध (पर्वत) Sundha १ तगदुर Tagaduru १ तलगुन्ड Palgund 303 Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir संख्या स्थळ १ तारंगा Taraege १ टट्टेकर Tattekere ६ तवनन्दी Tavanandi ३ तेरदल Terdal - १ तेवरतेष्पा Tevertoppa १ टीप्पुर Tippur ५ तीरुमलाइ Terumalai २ तीरुप्य रुत्तिककुरणु Tirupparutkkunru १ टोन्क Tonk ३ उदयगिरि १ उदयगिरि ६ उदरी Udri १ वाक्कलगेरे Vakkalagore ४ बालीमलाइ Valemalai १ वरण Verunae २ वेनुर Venur १ विजयनगर Vig १ वुद्री Vudri १ यब्लाडहल्ली Yalladahalli १ यदागुरु Vidagurv १ यीदुबानी Yiduvani For Private And Personal Use Only Page #409 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra अकलंकस्तोत्र अकलंकाष्टक अजापुत्र कथा अजित तीर्थकर पुरण फ्रेन्चविद्वान डॉ. गेरीनोए पोतानी बीबलीओ प्राफीमां लीला ग्रंथोनुं कक्कावारी लीष्ट. अजितशान्तिस्तव अजितशान्तिस्तोत्र. अज्ञाततिमिरभास्कर अज्ञान चरित्र www.kobatirth.org अज्ञान सुंदरी संबंध अंजना सतीनो रास. अढार दुषण निवारक अढार पापस्थानकनी सजाय 804 अनुयोगदारसूत्त ( अनुयोग द्वारसूत्र ) अनुकम्पारी अनुत्तरोववाइदसाओ ( अनुत्तरोपपातिक दशा. अध्यात्मकल्पद्रुम अध्यात्म चिंतामणि अध्यात्म मत परीक्षा अध्यात्मसार Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अध्यात्मसार - प्रश्नोतर अध्यात्मोपनिषद् (योगशास्र ) अध्याष्टक स्तोत्र अनंतना कथे अनुत्तरोपपातिक दशा अनुवत सिद्धसार अनुयोगद्वार सूत्र अछेक शास्त्र सार समुच्चय अनेकार्य करवाकर कौमुदि अनेकार्य संग्रह अंतकृत दशा अंतगड दशाओ (अंतकृतदशा) अंतर कथा संग्रह अन्ययोगव्यवच्छेद ( वीतराग स्तुति ) अन्योक्ति मुक्तावली अपराजित स्वर शतक अभिधान चितामणि अभिशेक संधि अमम स्वामि चरित्र अमोघ वृत्ति For Private And Personal Use Only Page #410 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अयवन्ति मुकामारनां तेर । आचार सूत्र ढालीयां आचारांग सूत्र अरिहंत स्तुति संग्रह आचारोपदेश अर्थ रत्नावली आदिश्वरनो श्लोको अहन्नीति आतुरमत्याख्यान अलंकार चूडामणि आत्म ख्याति अलंकार तिलक आत्म निदा অ সায়ম आत्मनिंदा अष्टक अष्ट लक्षी-(अर्थ रत्नावली) आत्म प्रबोध अष्टवर्णतिलक आत्मबोर अने जीवनी उत्पचि अष्ट सती (देवागमस्तोत्र न्यास) आत्मानु शासन अष्ट सहस्र टिप्पणी आत्मारांमजी आनंदविजयजी अष्ट सहस्रो आदित्य कयावदी (वली) अष्ट सहस्री विवरण आदिनाथ स्तुति अष्टापदादि महोत्सव वर्णन आदि पुराण अस्मदशन नव स्तवी आनंद सुंदर आउरपच्चरुखाण आत परीक्षा (आतुर प्रत्याख्यान्) आप्त मिमांसा अख्या मणि कोष आप्तमिमांसालंकार ( अष्ट आगमसंग्रह सहस्त्री) आगम सार आयारंगसूत्त (आचारांगर) मागम सारोदार आयार विहि माचार योत आरंम सिद्धि आचार प्रदीप आराधना कथा कोष आचार सार आरामनंदन कथा For Private And Personal Use Only Page #411 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 506 आरोग्यनय सिद्धि.. आर्य विन्दु सद्धर्मनी व्रत्तदर्पण आर्यस्त सहस्रीक आलाप पद्धत्ति आलोचना पाठ आवश्यक सूत्र. आवश्यकनियूक्ति आश्चर्य योगमाला लघुत्ति उक्त्युनुशासन उणादि गण सूत्र " , वृत्ति उणादि नाममाला उत्तम चरित्र कथानक उत्तम शिखर पुराण उत्तराध्ययन (सूत्र) उत्तर पुराण उत्तराध्यन बृहात कथा उत्तराध्यनसूत्र उदयराज देवरापद उपदेश कंदली उपदेश चिन्तामणि उपदेशपद उपदेश प्रसाद उपदेशमाला उपदेशरत्नाकर उपदेशरसाल उपदेश शत-(महापुरुषचरित् ) उपदेश सिद्धान्त रत्नमाला उपमिति भवप्रपंचा कथा " ,,, वृत्तिक रुपा उपमिति भवप्रपंचा कथा सारोद्धार उपमितिभव प्रपंचा नाम समुच्चय उपमितिभवप्रपंचवृत्तिरुप उपसर्गपाठ उपसर्गहरस्तोत्र उपाशकदशा उपासकाचार उल्लासिकम स्तोत्र उवासगदशाओ उपासकदशा ऋषभपंचाशिका ऋषिदत चरित्र ऋषिमंडलटीका ऋषि मंडल प्रकरण सुत्र स्तोत्र एकाक्षर नाम मालीका एकी भाव भाषा एकी भाव स्तोत्र एलादि ओघ नियुक्ति वृत्ति For Private And Personal Use Only Page #412 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra ओवाइय= औपपत्तिका सूत्र ओप पातिक सूत्र कथाकोष कथाकोष (शुभशीलगणि) ( पंचास्ति प्रबंध संबंध कथा महोदधि कथा रत्नकोश कथा रत्नाकर कथा संग्रह कमल शीलतर्फ कम्मययडि ( कर्म प्रकृति करुणा वज्रायुध नाटक करणाटक भाषा भूषण शब्दानुशासन कर्पूरम कर्पूरम कर = सुभाषितकोश कर्पूर प्रकरण कर्मकान्ड कर्मग्रंथ कर्मग्रंथी प्रथमाविचार कर्मनिर्जरा कर्म प्रकृति कर्मवतिसी www.kobatirth.org 307 कर्म विपाक कर्म स्तव कर्म स्तव टीका कर्म हरा स्तमियन Karmaharastamiyanomhi Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कल्पकरणावलि. कल्प कुजडनोम्पि Kalpakujadanompi कल्प चूर्णि कल्पद्रुम कलिका कल्पप्रदीपिका कल्पमंजरी कल्पलता कल्पसूत्र कल्पसुत्रस्य व्याख्या कल्पान्तर ब्राकानि कल्याण कारक कल्याण मंदिर स्तोत्र कविता रहस्य कविराज मार्ग कवि शिक्षा " For Private And Personal Use Only " वृति Page #413 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 303 कान्नढ चोपाइ कामन कथे Kamanakathe कारिका वृत्ति कार्तिकेयानु प्रकाश कालकाचार्य कथानक काल सत्तरी काल सरुव काव्यकल्प लता काव्य प्रकाश काव्य प्रकाश संकेत काव्य संग्रह काव्यानुशासन काव्यानुशासनत्ति (अलंकार तिलक) काव्य अंबुधि काव्यावलोकन काशिका विवरण पंचीकागति कौशीकन्याय सटीक कुपक्ष कौशिकादित्य कुबेर पुराण कुमारपाल चरित्र कुमारपालप्रतिबोध महाकाव्य कुमारपाल प्रबंध कुमारपालराजानोरास. कुमारविवाहप्रशस्ति काव्य कुराल ( Kural ) कुलक वृत्ति कुर्मा पुत्र चरित्र कौमुदि कथेइ ( Kaumudi kathai) क्रिया कल्पलता " पुस्तक क्रियारत्नसमुच्चय क्रियास्थानक विचार क्षत्र चूडामणि क्षेत्र संग्रह क्षेत्र समास गच्छाचार प्रकीर्णक सूत्र गणककुमुद कौमुदि गणधर सार्यशतक गणित शास्त्र गणिसार संग्रह गय चिन्तामणि For Private And Personal Use Only Page #414 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 309 गंभीर विजय दीपक) गमनीकासूत्रत्ति ग्रहशान्तिस्तव गाथाकोश चउशरण गाथासहस्त्री (चतुःशरणप्रकरण) गीरनार तीर्थोद्धारमहिमा चरितावली गुणमाला चारित्रसार गुणरत्न महोदेधि चतुःशरणप्रकिर्ण गुणवर्मा चरित्र चतुर्विशजिनेन्द्र स्तवनावली घुणस्थानकर्मारोह चतुर्विशति जिनस्तव गुणस्थान प्रकरण चतुर्विति जिन स्तवन गुरुदत्त चरित्र चतुर्विशति जिनस्तुति गुरुपरिपाटी चतुर्विशतिपुराण गुरु स्तुति चन्द पन्नत्ति (चन्द्रप्राप्ति) गुर्वावलीसूत्र चन्द्र दर्शन नोम्पि गुर्वावली (मुनि सुंदर) चन्द्र प्रज्ञप्ति गुहुली संग्रह गोडीपार्श्वनाथजीनां डालीयां चन्द्र प्रभ चरित्र गोतम पृच्छा चन्द्र प्रम जिनगद्यमालिका चन्द्र प्रभ पुराण गौतमकुलकत्ति चन्द्र राजानो रास गोतमस्तव चन्द्र राजा अने गुणावली रा. गोमठसार __णीना कागळ गोरखमच्छेन्द्रचरित्र चम्पकवेष्टिकथानक गौतमीय प्रकाश चंपु जीवन धारा गौतमीय महाकाव्य चामुण्डरायपुराण (ग्रहभाव प्रकाश)-(भावना- चार प्रत्येक बुधरास ४० For Private And Personal Use Only Page #415 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 310 चार स्तवननो संग्रह चित्रसेन पद्मावती चरित्र चिन्तामणि चिन्तामणि टिप्पणी चेतन कर्म चरित्र चैत्यवंदनसूत्र चैत्यवंदनाकुलवृत्ति चोवीस जिन स्तुति चोवीसीनाम स्तवन छन्दोनुशासन छन्दोम्बुधि छन्द रत्नावली छ भाइनोरास छह ढाला छेकोक्ति विचार लीला जगड चरित जगतसुंदर योगमाला जन्मपत्रिपद्धति जन्मपत्रि लच्छन प्रकार जमालीसूत्र जम्बुदीवपन्नत्ति ( जम्बुद्दीप प्रज्ञप्ति) जम्बुपृच्छ चोपाइ जम्बु चरित्र जम्बुद्दीप प्रज्ञप्ति जम्बुद्दीप समास जम्बुद्दीप संग्रहणी जयतिहुयण स्तोत्र जय जयन्त विजय जयन्तकाव्य जयानन्द केवलीना रास जल्पकल्पलता जिन कथा जिनचतुर्विशिती (भूपाल स्तोत्र जिनचतुर्विंशतिटीका जिनदत्तरायचरित्र जिनधर्म जिन पीजर स्तोत्र जिनपूजा महोदधी जिन मुनि तनय जिनयज्ञकल्प जिनरास जिनवचनामृतशी जिनशतक जिनसहनस्तोत्र (सहस्त्र-नाम मंत्र) जिन संहिता जिन सिद्धागम जिन स्तुति जिन स्तवन जिनागम For Private And Personal Use Only Page #416 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 311 जिनेन्द्रमतदर्पण जितकल्प जितकल्प चूर्णि जीवक चिन्तामणि जिनेन्द्रमतर्पण जीवंधर स्वामिचरित्र जीवंधर पुराण जीव विचार जीव समास प्रकरण जीव हितार्थ जीवाभिगमसूत्र जिनकथा द्वाींशति जीन काव्य प्रकाश जीन कोहीनुर संग्रह जीनगुण प्रबोधरत्न चिन्तामणी जैन कदंब जैन गणित जैन ज्ञानप्रकाश जैनतत्व शोधक जैन तत्त्वादर्श ग्रंथ जैन तर्क भाषा जैन तीर्थकर स्तवन मंजरी जैन तीर्थावली प्रवास जैन देवता पूजाविधि जैन देवता स्तोत्र जैन धर्म तस्व संग्रह जैन धर्म प्रकाश जैन धर्म प्राचीन इतिहास जैनधर्मवीर संस्तवन जैनधर्मामृतसार जैनधर्मावलंबिता जैनधर्म प्राचीन इतिहास जैनधर्मावास स्तवन जैनधर्मविषयक प्रश्नोत्तर जैन नित्य पाठसंग्रह जैन पूजा विधान जैन पूजा होम जैन प्रभाकर जैन प्राथमीक शिक्षण जैन बाल गुट्टीका जैन बाल पाठमाला जैन भजन संग्रह जैन मतवृक्ष जैन लग्नविधि जैन लघुसार संग्रह जैन बालज्ञान सभा जैन बीरुदावली जैनमतनी परीक्षानो प्रत्युत्तर जैनमत विशय जैनमत सारसंग्रह Jainrabastiyadhavalad. haada For Private And Personal Use Only Page #417 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 312 तत्व प्रकाश तत्व रत्नदिपीका तत्त्वार्थ दिपीका तत्त्वार्थ वार्तिक तत्त्वार्थसार तत्वार्थ सारदिपीका तत्वार्थाधिगम सूत्र तंदुल वैयालिय तपविधि तपागच्छ पट्टावली (गुर्वावली सूत्र जैन राजी जैन वर्णाश्रम जैन व्रत शिक्षा पत्रि जैन शतक जैन श्लोकवार्तिक जैन संगीत रागमाला जैन स्तोत्र जैन स्तोत्र रत्नाकर जैनस्तोत्र संग्रह जैनीप्रतिमाप्रतिष्ठा विधि जिनेन्द्र धातुपाठ जैनवत्त शिक्षापत्रि जैनेन्द्रयज्ञ विधि जैनेन्द्र व्याकरण जैन गति ज्ञाता धर्मकथा ज्ञान प्रदीपक ज्ञान सार ज्ञान सूर्योदय ज्ञानार्णव ज्ञानावली ज्योतिष्य सारसंग्रह ज्योतिष्य सारोद्धार थाण= (स्थाणाङ्ग सूत्र) थाणाङ्गसूत्तरिसय तपोतमत कुट्टण तक तरंगिणि तर्क फकीका तिजय पहुत्त स्तोत्र Tirunurrantadi तिरुवल्लुवर चरित्र तिलक मंजरी तिलय सुंदरी रयणचूडकहा तीर्थ कल्प तीर्थर्वदन स्तोत्र तीर्येश पूजा संधि तीर्थेशस्तुति (चतुर्विशति जिन स्तुति) | तेरापंथीकृत ग्रंथ संग्रह For Private And Personal Use Only Page #418 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 818 दश वैयालीय (दशवकालीक तोलका पीयाम (Tolokappiyam) त्रिपंचाशत क्रीया कथा त्रिपुर दहन संगत्य त्रिभुवन दीपक प्रबंध त्रिलोक शतक त्रिलोकसार त्रिवर्णाचार त्रिविक्रमदेव त्रिविक्रम व्याकरण वृत्ति (प्रा. कृत शब्दानुशासन) त्रिषष्टिपुराण लक्षण (महापुराण) त्रिष्टिशलाका पुरुष चरित त्रिषष्ट स्मृति त्रैलोक्य दिपीका (संग्रहणी) त्रैलोक्य रक्षामणि शतक स्थुलीभद्रनी शियलवेल. दंडक दमयती कथा वृत्ति दर्शन शुद्धि प्रकरण दश द्रष्टान्त कथा दर्शन सार दश लक्षणी पूजा दशलक्षन्यादि पूजासंग्रह दशवैकालीक सूत्र दशाश्रुत स्कंध सूत्र दशाओ दशाश्रुतस्कंध सूत्र दानकल्पद्रुम दानादिकुलक दायभाग दिगंबरदर्शन दिट्टीवाय द्रष्टिवाद दीवाकर दीवाकरम् दीप संग्रह दीपालीकल्प दुरितहरस्तोत्र दुर्गाप्रबोदव्याख्या दुर्वादिमुख चपेटीका (संवेगी हितशिक्षा द्रष्टाष्टक स्तोत्रं द्रष्टिवाद देवगुरुधर्मनी ओळखाण देवचंद्र प्रभा स्तोत्र देवागमस्तोत्र (आप्तमिमांसा) देवांगमस्तोत्र न्यास देशीनाममाला देशी शद्धसंग्रह देशीशद्ध संग्रह देवज्ञदीपकटीका द्रव्यगुण पर्यायनो रास For Private And Personal Use Only Page #419 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 314 धर्मशर्माभ्युदय धर्मसारमभ्युदय धर्मसंग्रह धर्माभ्युदय महाकाव्य धर्मामृतकथा धर्मामृतपुराण धर्मोत्तरवृत्ति धर्मोपदेशमाला धातु तरंगिणी धातु पाठ धातु रत्नाकर. (क्रीया कल्प द्रव्य संग्रह द्रव्यानुयोग तर्कणा द्वात्रिशिका द्वादशभावना द्वादशव्रत द्वादशानुप्रेक्षा द्विजवंदन चपेटीका द्विसंधानकाव्य द्वाश्रयकाव्य धनंजयकोश धनद कथा धनपाल चरित्र धनासालीभद्र धन्ना साली भद्रनो रास. धन्यशालीचरित्र धम्मिल कुमारनोरास धर्मतत्वभास्कर धर्मदत्तचरित्र फर्म परिक्षा धर्मपरीक्षानो रास धर्म परीक्षे धर्मरत्नाकर धर्मविधि धर्मबिंदु धर्मबिंदुति नंदीसूत्र कहा नंदी सूत्र नंदयाध्यन टीका नशुल नमस्कार मंत्र नमस्कार स्तवनय कर्णिफा नय चक्र टीका नय चक्रसार नय विवरण नल दवदंतीनोरास नलायन (कुबेरपुराण) नवतव For Private And Personal Use Only Page #420 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra नवतत्व चोपाड नवनिधी भंडारदनोम्पी नवपदप्रकरण नवपदार्थ - तत्रवबोध नवपदार्थना तेरेद्वार नवीन नंदीश्वर महोत्सव नव्य बृहत क्षेत्र समास www.kobatirth.org नाग कुमार कथा नाग कुमार चरित्र नाग कुमार पंचमीय नोम्पी नागर पंचमी नाटकसमयसार कलश नाडी परीक्षा नानार्थ रत्नाकर नाममाला नाममावा शेत्र (शेष संग्रह ) नाम सारोद्वार नायक कहा (ज्ञाताधर्मकथा) नारचंद्र नालदीयार निघंटु निघंटु शेष (शेष संग्रह ) निघंटु समय नियम सार निरयावलीयसूत्र 315 Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir निर्युक्ति भाष्य निषिथ सूत्र निषियाध्यन (निविथसूत्र ) निति कान्ड निति काव्यामृत निति व्याक्यामृत नितिसार नेमविवाह नेमिचंद्र चरित्र नेमिजिन पुराण नीत्य पाठक्रीया निर्वाण कान्ड नेमिचरित्र नेमिदुचकाव्य नेमिदुत्त नेमिनाथ पुराण नेमिनिर्वाण नेमिनिर्वाण काव्य नेमिजिनधर्म न्यायकुमुद चंद्रोदय न्याय तात्पर्य दीपिका न्याय दीपिका न्याय निश्चय वार्तिकालंकार न्याय प्रवेशटीका न्याय बोधनि For Private And Personal Use Only Page #421 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 316 पंजिका पट्टावलि वाचना पट्टावलीसारोद्धार पडिकमण पन्नवणाभगवती (मज्ञापन भग वती) न्याय मंजुसा न्यायमणिदीपिका न्यायत्ति न्यायावतार वृति न्यायार्थ मंजुषिका (न्याय मंजुषा) पण्णवागरण (प्रश्नवाकरण) , पंचकल्याणनी पूजा पंचतंत्रसूत्र पञ्चाध्याय संग्रह सत्त (प्रव चनसार). पंचदंड छत्र प्रबंध पंच निग्रंथी पंचपरमेष्टि स्वरुप निरुपण पंच प्रमाण पंचप्रतिक्रमण सूत्र पंचमार्गोत्पत्ति पंच वस्तुक पंचसती प्रबोध संबंध. पंचसूत्र पंचाख्यान पंचाख्यानक पंचाख्यानोद्धार पंचाशद गाथा.. पंचास्तिकाय समयसार पद्मचरित्र ( पद्मपुराण पद्मनाभ काव्य पद्म चरित्र पद्म पुराण पद्मावति चरित्र पम्प भारत पम्प रामायण परमात्म प्रकाश परमीत बिचारामृत संग्रह परमोरी परिशिष्ट पर्वन् परीक्षामुख लघुत्ति परीक्षा मुख सूत्र परीक्षा मुखालंकार पर्युषणकल्पदशश्रुतस्कंध (श्री पर्युषण शतक पयुषणाष्टानिहका पवयण सार (प्रवचनसार) पाइअलच्छी पाक्षिक सूत्र For Private And Personal Use Only Page #422 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 317 पाणीनी शब्दावतार पान्डव चरित्र पान्डव पुराण पात्रीश बोलनो योकडो पालण संधी पार्वजिन स्तवन पार्श्वनाथ काव्य पार्थनाथ चरित्र पार्थनाय स्तव पार्श्वनाथ स्तोत्र पाचनाथ स्वामि पुराण पाश्वं स्तव पाश्चाभ्युदय पिंगलन्देश पिण्ड नियूक्ति पिण्ड विशुदि पिशाचकाल चक्रायुद्ध वर्णन पुण्डरीक स्तवन पुण्यचंद्रोदय पुराण पुद्गलषडत्रिंशिका पुरुषार्थ सिध्युपाय पूष्प दंत पुराण पूष्पांजली पूजा जापमाला पूजा आदि पूजा प्रकरण पूजा प्रकाश पूज्यपाद चरित्र पूर्व कर्मा-अपर कर्मा पृथ्वीचंद्र गुणसार गीता पृउवी चंद्र चरित्र प्रकाशिका प्रक्रीय कौमुदि प्रक्रीयावतार प्रक्रीया संग्रह प्रज्ञापना सूत्र प्रज्ञापना प्रदेश व्याख्या प्रज्ञापना भघवती 'प्रज्ञापना सूत्र प्रतापसिंह रास प्रतिक्रमण विधि मातक्रमणसूत्र प्रतिष्ठा विधि प्रत्येकबुध चरित्र प्रत्याख्यान पदयुमन चरित्र प्रबन्ध कोश प्रबन्ध चिन्तामणि प्रभंजन चरित्र प्रभात व्याख्या पदत्ति प्रभावक चरित्र प्रमाण नयनत्त्वालोकालंकार For Private And Personal Use Only Page #423 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra प्रमाण निर्णयप्रमाण रत्न प्रदीप प्रमेयकणिका प्रमेव कुमार तण्ड ( परीक्षामुखा लंकार प्रमेयरत्नमाला www.kobatirth.org प्रमेयरत्नमालाव्याख्या ( न्यायमणि दीपिका ) प्रवचन परीक्षा ( कुपक्ष कौशि कादित्य प्रवसनसार प्रवचनसार प्रकरण प्रवचन सारोद्धार प्रशमरति प्रश्न व्याकरण सूत्र प्रश्नावली प्रश्नोतर रत्नमाला प्रश्नोत्तरशत प्रश्नोत्तरीकाषष्टिस्तवनावळी प्रश्नोत्तरोपासकाचार प्राकृत प्रबोध प्राकृत मणिदीप ग्राकृत लक्षण प्राकृत व्याकरण प्राकृतशद्वमदीपिका 318 Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्राकृतशद्धानुशासन (त्रिविक्रमव्याकरणवृत्ति) माभृतकत्र व्याकरण प्राभृतसार बंध स्वामित्व भट्टी सूरि चरित्र बलीनरेद्राख्यानक बार व्रतनी टीप बालभारत बिजाल चरित्र बीबाधा रत्नप्रकाश बुद्धजन मनोरंजनी बृहत् कथाकोश बृहत् कव्यसुत्र बृहत् स्वयंभु स्तोत्र बृहत् शान्ति भक्त परिन्ना भक्तामर स्तोत्र भगवतीं भगवती गीता भगवत्याराधना भयहरस्तोत्र भत्तपरिन्ना (भक्त परिक्षा) भद्रबाहु चरित्र भयहर स्तोत्र For Private And Personal Use Only Page #424 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir '319 भरठकदात्रिशिका भरतादिकथा (पंचसति प्रबोध संबोध भरतेश्वरचरित्र भरतेश्वरवैभव भलाहनी चोपाइ भव भावना भव वैराग्यशतक भव्यानंदनोम्पि भाष्य मंजरी भावना सुंदरी कथा भीखणजी चरित्र भुवनेश्वरी स्तोत्र (सिद्धसार श्वत स्तोत्र) भुवनदीपक-ग्रहभाव प्रकाश भूपाला चौवीशी भुवनभानू केवळीनो रास भूपाल स्तोत्र भोज चरित्र भोज प्रबंध भ्रमविध्वंसन मंगलकलश-कुमारनो रास मच्छ प्रबंध मंजरी मकरंद मदन पराजयनाटक मनोरंजक स्तवनावली मंत्राधिराज स्तोत्र मल्लीजिन महात्म्य मल्लीनाथ चंद्र प्रकाश मल्लीनाय पुराण मशनवी ( Masnavi) महानिषिध ( महानिशिष्यसूत्र महानिषिथ सत्र महापूराण महापुरुष चरित्र महावीर चरित्र महावीर स्तवन महावीर स्तुति महावीर स्वामि स्तोत्र महावीर स्वामिना सत्तावीस. भवनुं स्तवन महावीर स्वामि चरित्र महावीर स्वामिनु स्तवन महावीराष्टक स्तोत्र महिम्न स्तोत्र महीपति राजाप्रधान महीपाल चरित्र महीसुर शान्तीश्वर (प्रतिष्टानाटक माघ काव्य टीका माघनंदीश्वर मानतुंग मानवतीनो रास For Private And Personal Use Only Page #425 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 320 मार्गणाशतक यप्पारंग लक्करि गेह मलीयागीरीनो रास Yapparungalakkarigei मिगेयनोम्पि (Migeyanompi) युकत्यानुशासन मित्र चतुष्क कथा युगप्रधान स्वरुप मुक्तिद्वात्रिंशिका यूमंत्शद्वनवस्तवन मुक्तिमार्गसोपान थोगचिंतामणी मुमिपतिरास योगद्रष्टि मुनि सुव्रत काव्य योगप्रदीपाधिकार-झानार्णव मुनिसुव्रत स्वामि चरित्र योगबिंदु मुत्र परीक्षा योगशास्त्री मुलशुद्धि प्रकरण योगशाखत्ति मुष्टि योगसार मूलाचार आचारसूत्र योगीन्द्रसार मेघदूत काव्य मैथोलि नाटक रघुविलास मोक्षमार्ग पयही रत्नकरन्टक मोक्षमार्ग प्रकाश रत्नकरण्डवावकाचार मोक्षमाला रत्ननाथ चंद्रोदय मोतीशानां ढालीयां रत्नपाल चरित्र मोहन चरित रत्न सागर मोहराज पराज्य रत्न सार यति जितकल्प रत्नाकर गांगलपदजाति यतिधर्म-श्रावकधर्म रत्नाकर पंचवीसी यमक स्तुति रत्नाकरावतारीका यशस्तिलक रयण आर यशोधर चरित्र रयणसार सूत्र वृत्ति रघुटीका' For Private And Personal Use Only Page #426 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 321 रस रत्नाकर लोकस्वरुप रसीक स्तवनावली. वज्जालग्गा Vajjalagga राघवपान्डवीय-द्विसंधानकाव्य । वज्जालया-वज्जालगा राजप्रश्चिय वरदत्तगुणमंजरी कथा राजवार्तिक बराङनृप चरित्र राजा प्रदेशीनो रास वर्षमान पुराण राजावलिकथा वसुदेव हिंण्ड रामचंद्रचरित्रपुराण-पम्पा रा वस्तु कोष मायण वस्तु पाल चरित्र रामचरित्र रामायण (रामचरित्र) वस्तु पाल प्रशस्ति वाक्य प्रकाश रायपसेणीय्य (राजप्रश्नीय) वाक्यमंजरी रायमल्लाभ्युदय महाकाव्य रिषहदेव चरिय वागभट्टालंकार रुषित दंडक स्तुति वासु पुज्य चरित्र लघु क्षेत्र समास विशति विहरमान जिनस्तवन लघुवृत्ति विक्रम चरित्र लघु शान्ति पुराण विक्रम प्रबंध लघुसंग्रहणी विक्रमादित्य चरित्र (सिंहाललित विस्तरा पंजिका सन द्वात्रिंशितकथानक लिंगानुशान विक्रमार्जुन विजय-पम्पा भारत लीलावती विचार मंजरी लुप्पाकमत कुट्टण विचाररत्न संग्रह लोकतत्वनिर्णय विचारश्रेणि लोकनालद्वात्रिंशिका विचार षट् त्रिंशक (दंडक). लोक प्रकाश ... । विचार सार For Private And Personal Use Only Page #427 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra विचार सार प्रकरण - मार्गणा शतक विचारामृत संग्रह - परिमित विचारामृत संग्रह विजय कुमारिय चरित्र विजयचंद्र चरित्र विजय राजेन्द्र जन्म चरित्र विज्जालराय चरित्र विध्यात्व रत्नाकर विधि पा विधि मार्ग प्रपा विनोद विलास रास विपाकसूत्र विभ्रमसूत्र विमलनाथ पुराण विवागसूय-विपाकसूत्र विविधबोल रत्नाकर विविधरत्न प्रकाश विवेक मंजरी विवेक विलास विवेकसार www.kobatirth.org विशमपदादिरोहिणी विशेषावश्यक विषापहार स्तोत्र विसंवादशतक विहार शतक 322 Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir चिहिमग्गपवा वीतराग स्तुति वीर चरित्र निर्वाण कल्याणक स्तव वीर स्तव वीर स्तुति वृत रत्नाकर बृहन्नव्यक्षेत्र समास वैराग्य कल्पलताव्रत फळवर्णन वैराग्य शतक व्यवहार सूत्र व्रत कथा कोश व्रतोयाख्यान कथा - व्रत कथा कोश शकुन शास्त्र शक्रस्तव शतक शतक वृत्ति शतपदिका शतपदि शतपदि सारोद्वार शत्रुजय महात्म्य शत्रुंजय महातीर्थं महात्म्य शत्रुंज्यादि स्तवन संग्रह शत्रुज्योद्धार शदुर्विंशति पुराण For Private And Personal Use Only Page #428 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 323 शब्द भूषण शब्दमणि दर्पण शब्दानुशासन शब्दार्णव चंद्रिका शाकटायन व्याकरण शान्त सुधारस शान्तिनाथ चरित्र शान्तिनाथ स्तुति शान्ति पुराण शान्ति स्तव शान्तिश्वर पुराण शान्त्याष्टक स्तोत्र शाली भद्र चरित्र शालीभद्रशाहनो रास शास्त्रसार शिन्धामणी शिलाप्पदिगारम शोलोच शीलोपदेश ग्रंथ शीवरात्री कथा शीशु हितैषिणी शीष्य हिता शील कथा शीलतरंगिणी शील समुध शीलोपदेशमाला शुदादामणी निघंटु गुलामणी शोभनस्तवनावली शोभन स्तुति श्रृंगार मंजरी श्रृंगार वैराग तरंगिणी शेठ क्यवन्नाशाहनो रास शेष नाममाला शेष संग्रह शेष संग्रह नाममाला शोभन स्तुति-चतुर्विशति जिन स्तुति श्राद्ध गुण संग्रह श्राद्धजिन कल्प श्राद्ध प्रतिक्रमण वृत्ति श्राद्धपतिक्रमण सूत्र श्राद्ध विधि श्राद्ध विधि कौमुदि श्रावकदीन कृत्य श्रावक प्रज्ञप्ति श्रावक वृत्त श्रावकाचार श्री कल्प सिद्धान्त श्री चंद केवलीनो रास श्री चंद्र चरित्र श्री जिनेद्र चरित्र For Private And Personal Use Only Page #429 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra श्रीपाल गोपाल कथा श्रीपाल चरित्र श्री वीर चरित्र श्री संघपट्ट प्रकरण श्रृत सागरी श्रृत स्कंदनोम्पि श्रुत प्राभृत श्रेणिक पुराण दृष्टि टोका सदावस्यक सूत्र सुदर्शन विचार सुदर्शन वृत्ति सुदर्शन संक्षेप सुदर्शन समुच्चय " टीका 99 सष्टि शतक सष्टि शत प्रकरण सष्टि संवतसरी संवेग रंग शाला संस्कृत जिनेद्रमाला संग्रहणी संघपति चरित्र - धर्माभ्युदय संघथणी - संग्रहणी सज्जन चित्तवल्लभ www.kobatirth.org सनम कुमार कथा सतर भेदी पूजा 324 Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सता सतीओनी सज्जाय संतिकर स्तोत्र संथारंग पय-सथार प्रकरण संथार प्रकीरण संथारा विधि संदेह दोलावली संदेहविशौषधी सप्त जोतिय कथा सप्त टीका सप्तभंगी तरंगिणी सभा श्रृंगार समकित सार समक्ति शल्योद्वार समय प्राभृत समय भूषण समय सार समय सारना समरादित्य कथा समरादित्य केवलीनो रास अमरादित्य चरित्र समरादित्य संक्षेप समवायोग सूत्र . समाधि मरण समाधि मरण भाष्य समाधि शतक समेद शिखर जीविधान संगीत For Private And Personal Use Only Page #430 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 325 संमेदशिखर विधान पूजा संवेगिहितशिक्षा संबोषिपंचाशिका समायक जैन धर्मयोप सम्यकत्व कौमुदि सम्यकत्व सहसठ बोल सम्यकत्व निर्णय सम्यकृत्व शल्योद्धार " सप्ततिका " संभव रूपस्तव सरस्वती स्तोत्र शिरोमणी सर्वदर्शन शिरोमणी सर्वरस सुभाषितावली सवार्य सिदि सपासो गायानुं स्तवन सहस्रनाम स्तोत्र " " मंत्र " , स्मृति साकार दीपिका साडा प्रणसो गायार्नु स्तवन साधारण जिन स्ववन साधुवघ्न समाचारी समाचारी शतक समायार विहि समायिक " " भाष्य सार संग्रह सारस्वत व्याकरण दीपिका सारस्वतीय धातुपाठ सारोद्धार सिंहासन हात्रिशिका " " , ककथानक सिद्ध जयन्ति चरित्र सिद्धहरनोम्पि सिद्धसारस्वत स्तोत्र सिद्धान्त धर्मसार सिद्धान्तसार सिद्धान्तालापक सिद्धान्तागम स्तव सिदि प्रिय स्तोत्र सिंदुरमकर-सूक्त मुक्तावली सिंधुर प्रकर सिरिनाह चरिय सीलरास सुक्र संकीर्तन सुख बोधिका सुगमन्वय सुदर्शन चरित्र For Private And Personal Use Only Page #431 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 886 सुप्रभात स्तोत्र मुबोध सुबोधिका सुभासित सुभाशित कोष " रत्नसंदोह " संदोह सुमतिप्रकाश सुर संग्रह सुलसाचरित्र-सम्यकश्वसंभव मुसाध कथा सुक्त मुक्तावली एक्ति मुक्तावली-सिधुर प्रकरण सत्रकृताज सूयगडाङ्ग मुरिमंत्र कल्पसारोबार सुर्यपत्रचि (सूर्य प्राप्ति) सूर्यप्रज्ञप्ति सोळकारणपूजा सोलस्वप्न स्तोत्र संग्रह स्थविरावली चरित्र-परिशिष्ट पवेन् स्थानाङ्ग सूत्र स्थूल भद्र चरित्र स्नात्र पंचाशिका स्नात्र पूजा स्याहाद मंजरी , रत्नाकर स्वदष्ट तरगिणी स्वामि कार्तिके यातु प्रेक्षा हंसराज वत्सराजनो रास हनुमंत मोक्ष्यगामिकथा हनुम चरित्र हमीर मदमर्दन हमीर महाकाव्य हरिचंद राजानो रास हरिबलमाछीनो रास हरिवंश पुराण हरिवंश हीर विजय चरित्र हीर सौभाग्य हुकमविलास हेमलघु प्रक्रीया For Private And Personal Use Only Page #432 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir For Private And Personal Use Only