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पाक्षिक] १३४
पुण्य १६२२ पाक्षिक पर्व सार विचार. रु. ०-४-० [विरचित. (७३) १६२३ पाक्षिक पर्व सार विचार. की. नथी. ज्ञान विमल मूरि १६२४ पाक्षिक सूत्र अवचुरि ( पाना ) सं. १९६४ रु. ०-८-०
" " सत्तिकम् (५०)
,, (विवरण सहित ) विवरण कर्ता यशो
देवसरि. (विवरण (१९८०) रु. ०-६-० १६२५ पाक्षिकसूत्र. श्रमणसूत्रादि संग्रह. (संस्कृत अनुवाद स.
हित गुजराती भाषांतर ) सं. १९७९ छा. (आचार ग्रंथ)(१) पाक्षिक सूत्र (२) खामणा (३)पाक्षिक खामणा (४) आहारना ४७० दोष (५) श्री
श्रमणसूत्र आ पांच बाबतो भेगी ले. संस्कृत. (६) १६२६ पिंड नियुक्ति सटीक (प्रत ) भद्रबाहुस्वामि कृत. मल
यगिरि कृत टीकायुक्त ले. सं. १५०२ सं. गं. नं. ४८
, , सावचूरि. (५०) [मू. ३ (१६) १६२७ पिस्तालीस आगम पूजा. पंडित रुपविजयजी कृत. प्र.सं
पत विजयजी शिष्य. मुनि धर्म विजयजी. (४४६ ) १६२८ पीत्त पद्मग्रह मीमासा ओर निक्षेप निबंध, यतीन्द्र विजय.
पीत वस्त्रोका खंडन, रु. ०-५-० (३७) १६२९ पुंडरीक चरित्र. भाषांतर सचित्र. रत्नप्रभ सूरि शिष्य क.
- मलप्रम विरचित. प्र. संघवी. १६३० पुंडरीकस्वामीचरित्र प्रति. रु. १०-०-० [(४४७)
, गु. भाषान्तर सचित्र, रु. ५-०-० १६३१ पुण्य पाप कुलकम् (जुओ कुलक संग्रह १७ वाळो) । १६३२ पुण्य प्रभाव दर्शक. (जुओ कुलक संग्रह. १७ वाळो) १६६३ पुण्य रंग चोपाइ. भेट. मुनि लालचंदजी महाराज सं.
१९७१ पच अप्राप्य (३७)
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