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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ૨૮ [उपदे उपदेशरत्नाकर (१, १२) उपदेशरत्नाकर सटीक मुनिसुंदरसूरि स्वोपज्ञ पदरमो सैको. उपदेशरत्नाकर भाषान्तर पूर्वार्ध. मुनिसुंदरसूरिकृत रु. १-१२-० (१४३) उपदेशरत्नाकर मणको पांचमो. मुनिसुंदरसूरिविरचित. भाषान्तरसहित. रु. १-१२-० (५०, १४३) उपदेशरहस्यप्रकरण ( संस्कृत ) यशोधिजयउपाध्यायजी कृतस्वोपज्ञविवरणसहित संस्कृत छाया पण छे. रु. २९० उपदेशशतक विगेरे. (५०) २९१ उपदेशसप्ततिका इतिहासिक कथाग्रन्थ सोमधर्मगणि, शोधन __चतुरविजय. रु. १-०-० (१७) उपदेशसप्ततिका सटीक. क्षेमराजमुनि. प्रा. सं. (६) उपदेशसप्ततिका भाषान्तर ( अनेक जैन ऐतिहासिक पाप तोषी भरपूर.) रु. ०-४-० (१७) , , , क्षेमराजमुनिकृत. मूळ अने टीकार्नु भाषान्तर. मेट. सं. १९७६ (६) उपदेशसप्ततिका मोटी सटीक (प्रत.) रु. २-०-० उपदेशसप्ततिका (नव्या) श्रीमत्क्षेमराजमुनिविरचिता स्वो. पझटीकासहित, (कर्तानुं कुलवृक्ष जुमो वि०) टी. निर्माण सं. १५४७ (६) उपदेशसप्ततिका नानी संस्कृत (अलभ्य) रु. ०-१३-०(१७) उपदेशसप्ततिका गुजराती रु. १-०-० (१७) २९२ उपदेश सहस्रावली अथवा सत्य पुरुषोनी बोधजनकवाणी म. नाथीबाइ-मुंबइ. की. अमूल्य. अजैन For Private And Personal Use Only
SR No.008621
Book TitleMudrit Jain Swetamber Granth Namawali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBuddhisagar
PublisherAdhyatma Gyan Prasarak Mandal
Publication Year1926
Total Pages432
LanguageGujarati
ClassificationBook_Devnagari & Catalogue
File Size17 MB
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