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[त्रैलोक्य
त्री] ११३३ त्रिभुवनदीपक प्रबंध जयशेखर सूरि. जुनी गुरु. ०-८-०
(३३७, १४६, २७१) ११३४ त्रिवैद्य गोष्ठि संस्कृत. रु. १-८-० (१२)
" " . (प्रत) रु. ०-८-० ११३५ त्रिषष्ठि शलाका पुरुष चरित्र संस्कृत मूळ पर्व पहेलं. रू.
१-८-० (६) " " , पूर्व बीजुं. रु. ०-१२-० (६) " " " मूळ पर्व ३-४-५-६ रु. २-०-० श्री संभव नाथजी थी मुनि सुव्रत स्वामी सुधीना च.
रित्रो. (६) ११३६ त्रि. श. पु. च. पर्व ३-४-५-६ रु. २-४-० (६) ११३७ त्रि.श.पु. च. पर्व ७ मुं मूळ, रु. १-०-० सं. १९६३ . जैन रामायण तथा श्री नेमिनाथ चरित्र वगेरे. (६) ११३८ त्रि. श. पु. च. पर्व ८-९ रु. १-१२-० (६) ११३९ त्रि.श. पु. च, पर्व १० रु. १-८-० (६) ११४० त्रि. श. पु. च. पर्व १ थी ८ (६) ११४१ त्रिस्तुति परामर्श हिन्दी शान्ति विजय रु. ०-८-० (२७२) ११४२ त्रीजी कोन्फरन्सनो रीपोर्ट, रु. १-०-० (२३५) ११४३ त्रैलोक्य दीपिका श्री संग्रहणी सूत्रार्थ, रु. ०-६-० ११४४ त्रैलोक्य दीपिका समाचारी याने बृहत्संग्रहणी मूळ भाष्य
- कार श्रीमज्जिन भद्र गणि क्षमा श्रमण कृत. ५०० गाथायुक्त. रु. ०-४-० शा. मानचंद वेलचंद गोपीपुरा
सुरत. सं. १९७२ ११४५ त्रैलोक्य दीपिका मूळ अने भाषांतर माणेकमुनिजी मागधी.
हिन्दी. रु. ०-८-.
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