________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
- आ पंचकुर (Ixxx ) पृष्टमा समायों में
अहीथी हवे मुद्रित जैन श्वेतांबानिय नामावलि (गाइड) वि. शेष परिचयादिसह अकारादियों द्वारा आवेल छे. अने पृष्ट १ थी मंबर नांखवामां आव्या छे. दरेक पुस्तकने छेडे तेना कर्ता:कयो भंडार, क्यांनो ते जोवा संख्यांक नाखवामां आव्या छे. आमां पुस्तको, शिलालेखो, सूचिओ, नकशा, विगेरेनो पण समावेश थाय छे. तया दरेक पुस्तकनी किंमत पण उपलब्ध थइ होय ते आपवामां आवी छे.
केटलांक पृष्टो छपाइ जबा वाद उपलब्ध थयेलां पुस्तको माटे वच्चेज पुरवणी पण करवामां आवी छे.
२६५ पृष्ट आ नामावलिमां रोक्यां छे. ते पछी २६७ पृष्टथी प्रख्यात फ्रेंच डॉ. गेरिनोवाळी सूचि आवे छे. तेमां कर्तावार ग्रंथ तया शिला लेखोर्नु लीष्ट आप्युं छे. ___हमो सारी पेठे समजीए छीए के आ नामावलि अपूर्ण छे. भारतवर्ष तथा बीजा देशोमांना अनेक ग्रंथो हजी लेवाना बाकी छे. तेमज आ पद्धतीमां तेमज बीजी बावतोमां खामीओने अवकाश रहेज छताये गुरुश्रीनी आ बाबतमां थयेली प्रेरणा बतावी आपे छे के तेओ बोलीनेज बेसी रहेनार न हता. भावना भाववी स्हेल छे पण तेनो अमल दुष्करछे पण गुरुश्रीएतो पोताना मंतव्य प्रमाणे आकार्य उपर रही सूचनाओ आपी आपी तैयार करावराव्यो. बचनाडंबर नहिं पण कर्तव्यशिलता ए सत्य सद्गुण छे एम गुरुश्री हमेशां कहेता ते सत्य करी बताव्यु. आ ग्रंथ प्रकट थइ जवा माटे गुरुश्रीनी अपूर्व लागणी हती ने अंतीप समय सुधी हमेशां ते माटे पुछपरछ कर्या करता पण प्रेसनी दीलने लीधे तेना पाकव्यमां ढील थइ
For Private And Personal Use Only