________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
१४
आचारां]
आत्म , मूल अने भा. रु. ३-८-० इ १९९२ (पा०
गु० ८४-१) विरचित. (६.) १६७ आचारोपदेश मूळ सं. रत्नसिंहमूरि शिष्य चारित्रसुंदर गणि
" , श्रुटित (गु, ५०) ,, ,, चारित्रसुंदरगणि रु. ०-४-० (अ० ६७.) आचारोपदेश ग्रन्थ ( जुओ-प्रकरण लघुसंग्रह.) " , भाषान्तर सहित रु. ०-१२-० षड्वर्ग
रुप भा. क. (८५-५०) [विजय.) , , (जुओ-सूक्त मूक्तावली भाषान्तर पं. केसर १६८ आजकालनुं हिन्दुस्तान भाग १-२-३ विचारणीय इतर
. (गु.७१) १६९ आजको लाहो लीजीएरे काल कोणे दोठी छ (पायः देवचंद्र
जी कृत जणाय छे (जुओ-देवचंद्र भाग २. वि. १). १७० आठ दृष्टिनी सझाय रु. ०-६-० (गु. ६, ५०,)
१ आठ दृष्टिनी सझाय. २ छुटक महा वाक्यो. ३ श्री गिरनारजीनी तीर्थमाळ (दुहा १०२) ४ आत्मशिक्षाभावना (दुहा १८५) ५ अध्यात्म बावनी त्रण प्रकारचें आत्म स्वरुप,
६ दया छत्रीशी चिदानंदजीकृत. १७. आते वीर धर्म के वणिग् धर्म. (५०. गु.) १७२ आत्मक्रान्ति प्रकाश. विविध स्तवनो स्तुति सझायोनो संग्रह.
रु. ०-४-० (गु. १७) १७३ आत्म चिंतामणि हुकममुनि (दे. २१) १७४ आत्म तत्व दर्शन बुद्धिसागरसूरि प. ११२ ग्रं. ५१ (१५,५८
थी ६२, १८४) रु. ०-१०-१
For Private And Personal Use Only