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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org 10 (४) तथा समितिनी मोहनलालजी महाराजनो ज्ञानभंडार. सुरत. (५) शेठ देवचंदलाल भाइनी लायब्रेरी अपूर्ण. (६) ज्ञानमंदिर वडोदरा मपूर्ण (७) वडोदरा सेन्टरल लायब्रेरी संस्कृत विभाग अपूर्ण (८) शेठ वर्धमान सरुपचंद लायब्रेरी अपूर्ण. Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir केटलाक पंथोमां तो तेना छपावनारनुं नाम, कइ प्रेसमां छपायो, कया शहेरमां छपायो, क्यांथी उपलब्ध यह शकशे - तेमांनुं कंइ पण अणावेलुं नहि होवाथी, तेने जेमना तेम रहेवा देवा पडया हे, तोपण तेवा ग्रंथो व्यांग्यांथी जडया तेनुं स्थान पण केटलेक ठेकाणे बनाव्यां छे. केटलीक संस्थाओ एक बीजा साथे जोडाइ गइ छे, attacदारो भने नामो बदलाइ गया छे, तेना स्पष्ट खुलासा छपाया नथी खूणे खोचरे पडेला ओनुं नाम के निशान जडतुं नथी तेथी तेवा ग्रंथो ज्यां ज्यां जणाया ते स्थाननो परिचय कराव्यो छे.. ས། रीवाज प्रमाणे वे पांच रुपैपानी लागतनुं पुस्तक होय तोपण तेनी कींमत नामनी मात्र एक आनो अथवा मेट अमूल्य वांचन, मनन, शान वृद्धि अथवा ते संबंधां कई इसारो पण नथी जणायो एटले वगर कीमतना ओछी कीमतनां, अथवा, भेट तरीके व्हेची दीघेलां न्हानां अने नकामां पुस्तको इशे एम समजवामां कोइए भूल करबी नहि. कारण के अढीसो पृष्टना ग्रंथनी कींमत एक आनो अने तेथी वधारे कदना ग्रंथ विना मूल्य. न्हाना कदनां पुस्तकोमांथी केटलांकनां घणांज महत्तावाळा ज्ञान कीरणोनो रोशनीरुप छे. For Private And Personal Use Only एकाद सूत्र उपर म्होटा म्होटा ग्रंथो लखाया छे ते विबुद्धजनोने उपयोगी होवा छतां साधारण समुदायने विस्तारथी बोधवा माटे तेना ते सूत्रने अवलंबीने अनेक सेंकडो ग्रंथो लखायेला नजरे आये है; तोपण ते मूळ सूत्रना कीरणनी रोशनी पटको मोटो प्रकाश
SR No.008621
Book TitleMudrit Jain Swetamber Granth Namawali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBuddhisagar
PublisherAdhyatma Gyan Prasarak Mandal
Publication Year1926
Total Pages432
LanguageGujarati
ClassificationBook_Devnagari & Catalogue
File Size17 MB
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