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पर्युषण]
१३० १५६४ पयुषण आष्टान्हिका व्याख्यान (पाना) रु. ०-८-०(१४) १५६५ पर्युषणना पवित्र दिवसो अने जैनोनुं कर्तव्य. रु. ०-१-० १५६६ पर्युषणनी कथा. रु. ०-४-० (१७९) १५६७ पर्युषणादिक पर्वोनी कथाओ प्रारंभ, बार कथाओ छे. की.
नथी. कोणे छपान्यो ते पण नथी. . १५६८ पर्युषण पर्व महात्म. हिन्दी. सचित्र. रु. ०-८-० (९) १५६९ पर्युषण पर्वाष्टान्हिका व्याख्यान. विजयलक्ष्मीसूरि विर
चित. सं. १९७१ रु. ०-४-० (१७, १०) १५७७ पर्युषण महापर्व महात्म्य, संग्राहक मुनि कपुरविजयजी रु. ०-८-० (३३)
[खी. (७३). १५७१ पर्युषणा कल्प महात्म्यम् मुक्तिविमल कृत. की. नयी रा.
, , संस्कृत व्याख्यान. रु. १-०-० (७३. ६३, ५०)
[(७, ५०) १५७२ पर्युषणादि पूर्वानी कथा. बार कथाओ. गु. सं. १९५३ १५७३ पर्युषणाष्टपन्हिका व्याख्यान भाषान्तर. रु. ०-४-० १५७४ पर्युषणा पर्व निगय हिन्दी. शांतिविजयजी. मफत. सं.
१९८४ (४२६, ५०) १५७५ पर्युषणा पर्व याने पवित्र जीपननो परिचय. (४२७,५०) १५७६ पर्युषणा पर्व विचार. हिन्दी. ले. मुनि विद्या विजयजी.
(४२८, ५०) १५७७ पर्युषणाष्टान्हिक व्याख्यानम् लक्ष्मीविजयगणि. सं. १९५४
नी साल रच्यो (आ ग्रंथ कपडवंजमां लखायो छे) १५७८ पर्व कथा पंचमी वगेरे क्षमा. (५०) (४२९, ५०) १५७. पर्व कथा संग्रह. भा. १ लो, समाकल्याणकोपाध्याय
कृत. तथा साधु श्रावक आराधना. रु. ०-४-० (मति ) (१४, ४३०)
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