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संबोधन सहित आठ विभक्ती युक्त काव्य. जुओ. सकलाऽर्हतनुं काव्य “ वीरः सर्वसूरा इत्यादि " वीरस्तुति - पंचप्रतिक्रण सत्र .
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जोडाक्षर वगरनां चतुः श्लोकी संस्कृत काव्ये. जुओ संसारदावा- नामक वीर स्तुतिः पंचप्रतिक्रमणसूत्र.
एकज लखाणमांथी-सात महापुरुषोनां जीवनचरीत्रनी निष्पत्ति जुओ (सप्तसंधान महाकाव्य. पं. मेघविजयजीकृत.
श्री हर्षरचितम् " नैषधीय महाकाव्यस्यप्रति श्लोक प्रतिपादं यथास्थानं विनिवैष्य निजैः पादत्रयैः श्लोक पूर्तिमाधाय - श्री शान्तिनाथ चरितम् - कर्त्ता पंन्यास मेघविजय, संवत. १७२७ ( मेळवो. हर्षचतितम नैषधीय चरितम् नारायणनी टीकानुं तथा नैषध चरित्र चर्चा - ले. महावीर प्रसाद द्विवेदी प्रकाशक. हरीदास अॅन्ड कुंपनी. २०१ हेरीसनरोड कलकत्ता.
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“ देवनंदा भ्युदयम् ” माघकाव्यनी पाद मूर्त्ति रुप सात सर्गवाल " विजयदेवसूरी चरितम् " - आ चरित्रनो थोडोक भाग यशोविजय ग्रंथमालामां छपायो छे, बाकीना भागनी प्रति पंडित बरदास पासे छे. पूर्ण छपाववानी जरुर छे. कर्त्ता. पं. मेघविजय. रचन संवत. १७६१.
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