SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 4
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir निवेदन. श्रीमद् बुद्धिसागरमरि संथमाली ग्रंक १०६ तरीके श्री जैन श्वेतांबरादि मुद्रित ग्रंय नामापील गोहड ) यांचकोना करफमळमां सादर करतां हर्ष थाय छे. . सं. १९८० ना चैत्र मासमां सूरत खाते भरायेली श्री जैन साहित्य परिषद्ना ठरावो पर आचार्य महाराज श्रीमद् बुद्धिसागरजी महाराज समक्ष पेयापुर मुकामे चर्चा चालतां परिषद्ना बीजा ठरावना समर्थनमा विश्वमा छपायेला जैन ग्रंयोनी पद्धतीसरनी एक नामावलि तैयार कराववानी सूचना श्री अध्यात्म ज्ञानप्रसारक मंडळना कार्यवाहकोने करतां गुरुश्रीनो आदेश मंडळे शिरोधार्य कयों. आ कार्य माटे विद्वानोने रोकी मोटा मोटा शहेरोना भंडारोनां पुस्तकोनी यादीओ लेवा भंडारो तपासाववा जरुरी जणायु. मा माटे पैसानी अने सारा विद्वाननी जरुरीआत हती. पण मंडळे ते कार्य उपाडयु अने इंडर वासी वकील वर्धमान स्वरुपचंद जेओ बा कार्य माटे योग्य जणाया तेमने सारा पगारे रोक्या अने महाराजश्रीनी सूचना प्रमाणे वडोदरा अमदावाद सूरत विगेरे सारा सारा मोटा भंडारी त्यां जाते जइ तपासी मळी आव्यां तेटलां पुस्तकोर्नु लीस्ट तैयार करवामां आव्यु. आ कार्य एटलुं विशाळ छे, भारतवर्ष अने बहार एटला बघा भंडारो छ के जुदी जुदी संस्थाओए आ कार्यो उपाडी, अनेक विद्वानो रोकी लक्षावधी रुपीआनो खर्च करी आवी अनेक नामावलीयो तैयार करवी आवस्यक छे. जेसलमेर. काठीयावाड मारवार मेवाड जोधपूर उदेपूर कच्छ महाराष्ट्र ने गुजरातमां अनेक भंडारो अमूल्य पूस्तकोना भर्या पडया छे. केटला बघा प्रयासो करवा जरुरी छ ते अमने आ कार्य उपाडया पछी प्रतित ययुं छे. For Private And Personal Use Only
SR No.008621
Book TitleMudrit Jain Swetamber Granth Namawali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBuddhisagar
PublisherAdhyatma Gyan Prasarak Mandal
Publication Year1926
Total Pages432
LanguageGujarati
ClassificationBook_Devnagari & Catalogue
File Size17 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy