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[ भक्ति अने तेमां आवेला सूर्य चंद्र अने अंतीपनो अधिकार छे. गाथा प्रमाण ६३७ छे. अति उत्कट भूगोनो विषय छे. (संस्कृत) (६)
भ. १९३९ भक्त परिज्ञा (पयन्ना) मूळ. (जुओ चउसरण आदिचार
पयन्ना) १९४० भक्तामर (दि.) (जुओ काव्यमाळा. गुच्छक ७मो भाग)
भक्तामर टीका रू. ०-८-० (६) भक्तामर संस्कृत टीका भाषान्तर हिन्दी पंडितावतंस
श्री सिद्धचंद्र प्रणीत (दि.) टीका सहित तथा कवि हेमराज विरचिता हिन्दुस्थानी भाषामां दोहो चोपाइ
बालावबोध युक्त (७) भक्तामर स्तोत्र श्रीवीर, नेमि अने सरस्वती एम त्रण
स्तुति गर्भित सम्पादक धर्मसिंह कृत ( जुओ स्तोत्र
रत्नाकर प्रथमभाग सटीक) भक्तामर स्मरण रु. ०-२-६ (६) भक्तामर स्तोत्र रु. ०-६-० (६) भक्तामर स्तोत्र टीका अर्थ सहित रु. ०-८-० (६) भक्तामर स्तोत्र सटीक (प्रत) रू. ३-०-०
, , सयंत्र विवेचन युक्त गुजराती (५०) " " " , मूळ सह गुजराती (५०)
(गद्यपद्यमां भाषान्तर छे श्वे० आग्नायर्नु
४८ काव्यर्नु)(५७०) १९४१. भक्तिभावना प्रकाश (५३१, ५.) [( ५३२). १९४२ भक्तिमार्ग प्रकाश गु० गंभीरविजयजीगणि विरचित.
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