Book Title: Vishwashanti aur Ahimsa
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

View full book text
Previous | Next

Page 8
________________ (vii) उपरोक्त विचार “शान्ति और अहिंसक-उपक्रम” पर आयोजित दो अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन में प्रदत्त उद्बोधन एवं विशेष वक्तव्यों का सार संक्षेप है । इन उद्बोधन एवं वक्तव्यों में से कुछ का समावेश इस पुस्तिका में किया गया है। प्रथम अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन जैन विश्व भारती, लाडनूं के प्रांगण में ५ से ७ दिसम्बर १९८८ को सम्पन्न हुआ एवं द्वितीय अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन अणुव्रत विश्व भारती, राजसमन्द के प्रांगण में १७ से २१ फरवरी १९९१ को सम्पन्न हुआ। प्रत्येक सम्मेलन में रूस, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, जापान, कनाडा, ब्रिटेन, स्वीडन, बांग्लादेश, हॉलैण्ड, थाइलैण्ड आदि अनेक देशों के सौ से अधिक प्रतिनिधियों ने भाग लिया। ये सारे प्रतिनिधि अहिंसा और शान्ति के क्षेत्र में कार्य करने वाली संस्थाओं से सम्बन्धित थे। यह कार्य गुरुदेव श्री तुलसी की दृष्टि, आचार्य श्री महाप्रज्ञ एवं महाश्रमण श्री मुदित कुमार जी की प्रेरणा, मुनि श्री दुलहराज जी के प्रोत्साहन का परिणाम है। सामग्री को उपलब्ध कराने में मुनि श्री महेन्द्र कुमार जी की महती कृपा रही है । इसको संवारने में अनेकान्त शोध पीठ,जैन विश्व भारती,लाडनूं के विद्वान श्री गिरिजा प्रसाद महापात्र का सक्रिय सहयोग रहा है। आशा है कि यह पुस्तिका “विश्व शान्ति और अहिंसा” इस दिशा में एक नया आलोक प्रदान करेगी। - मुनि धर्मेश Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74