Book Title: Vishwashanti aur Ahimsa
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 41
________________ विश्व शान्ति और अहिंसा और विश्वविद्यालय हैं । अहिंसा की शिक्षा और प्रशिक्षण की व्यवस्था के लिए नगण्य सा उपक्रम कहीं कहीं होगा अथवा नहीं होगा। क्या हम इस कॉन्फ्रेंस के माध्यम से अपना संकल्प उन सब तक पहुंचाएं कि वे अहिंसा के प्रशिक्षण को अनिवार्य बनाएं ? इस दिशा में हमारा सामूहिक प्रयल सफल और कार्यकारी बनेगा । अहिंसा की पवित्र वाणी के उच्चारण में हमारी लय और हमारा स्वर एक बन जाए भीयाणं पिव सरणं, पक्खीणं पिव गयणं । तिसियाणं पिव सलिलं, खुहियाणं पिव असणं ॥ समुद्दमझे व पोतवहणं, चउप्पयाणं व आसमपयं । दुहट्टियाणं व ओसहिबलं, अडवीमझेव सत्थगमणं ।। द्वितीय अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन में गणाधिपति श्री तुलसी का संदेश। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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