Book Title: Vishwashanti aur Ahimsa
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 52
________________ अहिंसा के प्रशिक्षण की आधारभूमि घटक है-व्यक्ति-रचना इसलिए अहिंसक व्यक्ति-रचना प्रशिक्षण का पहला चरण होगा। पारिवारिक जीवन और अहिंसा एक व्यक्ति का दूसरे व्यक्ति के साथ संबंध और व्यवहार का तात्पर्य है, समाज। मानवीय संबंध और निश्छल व्यवहार का प्रशिक्षण सामाजिक स्तर पर अहिंसा का प्रशिक्षण है। उसकी पहली प्रयोगभूमि है, परिवार । हिंसा को, युद्ध और आतंकवाद. तक सीमित करना हमें इष्ट नहीं है। युद्ध कभी कभी और किसी किसी भूभाग में होने वाली घटना है। पारिवारिक जीवन में हिंसा की घटनाएं प्रतिदिन या बहुत बार होती रहती हैं। वे मानसिक शांति में बाधा डालती हैं,व्यापक हिंसा की पृष्ठभूमि तैयार करती हैं। पारिवारिक जीवन में शान्तिपूर्ण सह-अस्तित्व का होना अहिंसा के प्रशिक्षण का महत्त्वपूर्ण कार्य होगा। असहिष्णुता, असंयम और महत्त्वाकांक्षा-ये पारिवारिक जीवन में अशांति का विष घोल देते हैं। सहिष्णुता और संयम का अभ्यास, महत्त्वाकांक्षा का परिसीमन-ये प्रयोग पारिवारिक जीवन में होने वाली हिंसा का वातावरण बदल देते हैं। पारिवारिक अहिंसा : अनेकांत का प्रशिक्षण पारिवारिक अहिंसा का एक महत्त्वपूर्ण घटक है, सामंजस्य । भिन्न विचारों, भिन्न रुचियों में सामंजस्य स्थापित किया जा सकता है। इस कार्य में अनेकांत का प्रशिक्षण बहुत सहयोगी है। उसमें स्वतंत्रता मान्य है किन्तु सापेक्षता को छोड़कर स्वतंत्रता मान्य नहीं । सह-अस्तित्व मान्य है किन्तु अन्याय की प्रतिकारात्मक शक्ति को छोड़कर सह-अस्तित्व मान्य नहीं । समानता मान्य है किन्तु क्षमतात्मक असमानता छोड़कर समानता मान्य नहीं । शांति का आधार-स्तंभ इतना कमजोर न हो कि भिन्नता के एक झोंके से चरमरा जाए। अनेकांत के प्रशिक्षण में भिन्नता अमान्य नहीं है । शर्त इतनी है कि उसका एक छोर अभिन्नता होनी चाहिए। अभिन्नता और भिन्नता के संगम की चेतना को जगाना अहिंसक समाज-रचना की दिशा में एक नया कदम होगा। समाज में हिंसा के आधार सामाजिक जीवन में हिंसा के मजबूत आधार बने हुए हैं। उन्हें बहुत लम्ने Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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