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विश्व शान्ति और अहिंसा
१. संगठनात्मक
संगठनात्मक दृष्टि से निम्नांकित कार्य सम्पन्न हों:(१) समस्त शान्ति सभाओं, समुदायों में “शान्ति” शब्द का भरपूर प्रयोग। (२) जन-सभाओं में चित्रों एवं प्रदर्शनियों के माध्यम से “शान्ति” की
संकल्पना और इसके महत्व का प्रचार । (३) कार्यशालाओं,मूल्याकंन और अनुवर्ती कार्यों का आयोजन । (४) इस प्रकार के पहले से ही विद्यमान गैर-सरकारी संगठनों का और
अधिक सुदृढ़ीकरण। (५) शान्ति ब्रिगेड्स को अहिंसा का प्रशिक्षण देने हेतु प्रशिक्षण केन्द्रों की
स्थापना। विभिन्न शान्ति संगठनों एवं संस्थाओं के कार्य-कलापों का समन्वय
एवं कार्य-तन्त्र का निर्माण। (७) सक्रिय शान्ति कार्यकर्ताओं और संगठनों का व्यक्तिगत स्तर पर
आदान-प्रदान। (८) निःशस्त्रीकरण के पक्ष में जन-मानस का निमार्ण । (९) शान्ति और अहिंसा के कार्यों के प्रचार और प्रसार हेतु अन्तर्राष्ट्रीय
प्रसार केन्द्रों की स्थापना। (१०) सभी प्राणियों की समेकता और उनके अधिकारों पर बल देने तथा
पशु-नागरिक अधिकारों से सम्बद्ध ऐसे सिद्धान्तों और कानूनों की रचना की जाय, जिनसे अहिंसावादी विश्व में समस्त प्राणियों के मध्य
समता-संतुलन स्थापित किया जा सके। (११) सभी संगठनों के स्तर पर पशुओं के प्रति क्रूरता के कार्यों पर रोक तथा
लोगों के मनों में, विशेषतः बच्चों में,शान्ति-स्थापना के प्रति रुचि और
उत्साह का जागरण। (१२) भविष्य में विश्व के उन क्षेत्रों में, जो हिंसा उत्पन्न करने वाली
समस्याओं से ग्रसित हैं,शान्ति सम्मेलनों का आयोजन ।
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