Book Title: Vishwashanti aur Ahimsa
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

View full book text
Previous | Next

Page 54
________________ अहिंसा के प्रशिक्षण की आधारभूमि ३. वैर-विरोध प्रतिशोध की मनोवृत्ति। ४. क्रोध कलहपूर्ण सामुदायिक बीवन। ५. अहंकार घृणा, जातिभेद के कारण छुआछूत, रंगभेदजनित विद्वेष। ६. क्रूरता. शोषण,हत्या। ७. असहिष्णुता सांप्रदायिक झगड़ा। ८. निरपेक्ष चिन्तन आग्रहपूर्ण मनोवृत्ति, दूसरों के विचारों को मूल्य न देने की मनोवृत्ति। ९. निरपेक्ष व्यवहार सामुदायिक जीवन में पारस्परिक असहयोग की मनोवृत्ति। ये संवेग व्यक्ति को हिंसक बनाते हैं। हृदय-परिवर्तन का अर्थ हैनन संवेगों का परिष्कार करना,इनके स्थान पर नए संस्कार-बीजों का वपन करना। मस्तिष्कीय प्रशिक्षण के सूत्र १. लोभ का अनुदय शरीर और पदार्थ के प्रति अमूर्छा भाव का प्रशिक्षण। २. भय का अनुदय अभय का प्रशिक्षण । शल निर्माण और शस्त्र का व्यवसाय न करने की संकल्प शक्ति का प्रशिक्षण। ३. वैर-विरोध का अनुदय " मैत्री का प्रशिक्षण । प्रतिशोधात्मक मनोवृत्ति से बचने का प्रशिक्षण। ४. क्रोध का अनुदय क्षमा का प्रशिक्षण। ५. अहंकार का अनुदय विनम्रता का प्रशिक्षण, अहिंसक प्रतिरोध का प्रशिक्षण, अन्याय के प्रति असहयोग का प्रशिक्षण। ६. क्रूरता का अनुदय करुणा का प्रशिक्षण। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org


Page Navigation
1 ... 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74