Book Title: Vishwashanti aur Ahimsa
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 59
________________ ४८ विश्व शान्ति और अहिंसा २. मध्य मृदु। ३. अधिमात्र मृदु। मध्य के तीन प्रकार है१. मध्य। २. मध्य मध्य। ३. अधिमात्र मध्य। तीव के तीन प्रकार है१. तीव। २. मध्य तीव्र। ३. अधिमात्र तीव्र। मृदु संवेग वाला व्यक्ति शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व में विश्वास करता है। वह तोड़-फोड़,कलह आदि प्रवृत्तियों में भाग नहीं लेता और आत्महत्या तथा परहत्या की कल्पना भी नहीं करता। मध्य संवेग वाला व्यक्ति कलह,उपद्रव, तोड़-फोड़ आदि में प्रवृत्त होता है। मध्य-मध्य संवेग वाला व्यक्ति वर्ण और जाति के आधार पर घृणा करता है, छुआछूत में विश्वास करता है,ऊंच-नीच की भेदरेखा को विस्तार देता है। अधिमात्र मध्य संवेग वाला व्यक्ति साम्प्रदायिक उत्तेजना फैलाता है, अभिनिवेशवश सांप्रदायिक संघर्ष की स्थिति का निर्माण करता है। तीव संवेग वाला व्यक्ति आत्महत्या, परहत्या जैसे हिंसात्मक कार्यों में प्रवृत्त होता है। मध्यतीव संवेग वाला व्यक्ति जातीयता और सांप्रदायिकता के आधार पर हिंसा भड़का देता है। अधिमात्र तीव्र संवेग वाला व्यक्ति जनता को युद्धोन्माद की ओर ले जाता है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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